\id MIC उर्दू जियो वर्झ़न \ide UTF-8 \h मीकाह \toc1 मीकाह \toc2 मीकाह \toc3 मीक \mt1 मीकाह \c 1 \s1 सामरिया की तबाही \p \v 1 ज़ैल में रब का वह कलाम दर्ज है जो मीकाह मोरश्ती पर यहूदाह के बादशाहों यूताम, आख़ज़ और हिज़क़ियाह के दौरे-हुकूमत में नाज़िल हुआ। उसने सामरिया और यरूशलम के बारे में यह बातें रोया में देखीं। \p \v 2 ऐ तमाम अक़वाम, सुनो! ऐ ज़मीन और जो कुछ उस पर है, ध्यान दो! रब क़ादिरे-मुतलक़ तुम्हारे ख़िलाफ़ गवाही दे, क़ादिरे-मुतलक़ अपने मुक़द्दस घर की तरफ़ से गवाही दे। \v 3 क्योंकि देखो, रब अपनी सुकूनतगाह से निकल रहा है ताकि उतरकर ज़मीन की बुलंदियों पर चले। \v 4 उसके पाँवों तले पहाड़ पिघल जाएंगे और वादियाँ फट जाएँगी, वह आग के सामने पिघलनेवाले मोम या ढलान पर उंडेले गए पानी की मानिंद होंगे। \p \v 5 यह सब कुछ याक़ूब के जुर्म, इसराईली क़ौम के गुनाहों के सबब से हो रहा है। कौन याक़ूब के जुर्म का ज़िम्मादार है? सामरिया! किसने यहूदाह को बुलंद जगहों पर बुतपरस्ती करने की तहरीक दी? यरूशलम ने! \p \v 6 इसलिए रब फ़रमाता है, “मैं सामरिया को खुले मैदान में मलबे का ढेर बना दूँगा, इतनी ख़ाली जगह कि लोग वहाँ अंगूर के बाग़ लगाएँगे। मैं उसके पत्थर वादी में फेंक दूँगा, उसे इतने धड़ाम से गिरा दूँगा कि उस की बुनियादें ही नज़र आएँगी। \v 7 उसके तमाम बुत टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे, उस की इसमतफ़रोशी का पूरा अज्र नज़रे-आतिश हो जाएगा। मैं उसके देवताओं के तमाम मुजस्समों को तबाह कर दूँगा। क्योंकि सामरिया ने यह तमाम चीज़ें अपनी इसमतफ़रोशी से हासिल की हैं, और अब यह सब उससे छीन ली जाएँगी और दीगर इसमतफ़रोशों को मुआवज़े के तौर पर दी जाएँगी।” \s1 अपनी क़ौम पर मातम \p \v 8 इसलिए मैं आहो-ज़ारी करूँगा, नंगे पाँव और बरहना फिरूँगा, गीदड़ों की तरह वावैला करूँगा, उक़ाबी उल्लू की तरह आहें भरूँगा। \v 9 क्योंकि सामरिया का ज़ख़म लाइलाज है, और वह मुल्के-यहूदाह में भी फैल गया है, वह मेरी क़ौम के दरवाज़े यानी यरूशलम तक पहुँच गया है। \p \v 10 फ़िलिस्ती शहर जात में यह बात न बताओ, उन्हें अपने आँसू न दिखाओ। बैत-लाफ़रा \f + \fr 1:10 \ft बैत-लाफ़रा = ख़ाक का घर। \f* में ख़ाक में लोट-पोट हो जाओ। \v 11 ऐ सफ़ीर \f + \fr 1:11 \ft सफ़ीर = ख़ूबसूरत। \f* के रहनेवालो, बरहना और शर्मसार होकर यहाँ से गुज़र जाओ। ज़ानान \f + \fr 1:11 \ft ज़ानान = निकलनेवाला। \f* के बाशिंदे निकलेंगे नहीं। बैत-एज़ल \f + \fr 1:11 \ft बैत-एज़ल = साथवाला यानी सहारा देनेवाला घर। \f* मातम करेगा जब तुमसे हर सहारा छीन लिया जाएगा। \v 12 मारोत \f + \fr 1:12 \ft मारोत = तलख़ी। \f* के बसनेवाले अपने माल के लिए पेचो-ताब खा रहे हैं, क्योंकि रब की तरफ़ से आफ़त नाज़िल होकर यरूशलम के दरवाज़े तक पहुँच गई है। \p \v 13 ऐ लकीस \f + \fr 1:13 \ft लकीस के क़िलाबंद शहर में जंगी रथ रखे जाते थे। \f* के बाशिंदो, घोड़ों को रथ में जोतकर भाग जाओ। क्योंकि इब्तिदा में तुम ही सिय्यून बेटी के लिए गुनाह का बाइस बन गए, तुम्हीं में वह जरायम मौजूद थे जो इसराईल से सरज़द हो रहे हैं। \v 14 इसलिए तुम्हें तोह्फ़े देकर मोरशत-जात \f + \fr 1:14 \ft ‘मोरशत’ तोह्फ़े और जहेज़ के लिए मुस्तामल इबरानी लफ़्ज़ से मिलता-जुलता है। \f* को रुख़सत करनी पड़ेगी। अकज़ीब \f + \fr 1:14 \ft अकज़ीब = फ़रेब है। \f* के घर इसराईल के बादशाहों के लिए फ़रेबदेह साबित होंगे। \p \v 15 ऐ मरेसा \f + \fr 1:15 \ft ‘मरेसा’ फ़ातेह और क़ाबिज़ के लिए मुस्तामल इबरानी लफ़्ज़ से मिलता-जुलता है। \f* के लोगो, मैं होने दूँगा कि एक क़ब्ज़ा करनेवाला तुम पर हमला करेगा। तब इसराईल का जलाल अदुल्लाम तक पहुँचेगा। \v 16 ऐ सिय्यून बेटी, अपने बाल कटवाकर गिद्ध जैसी गंजी हो जा। अपने लाडले बच्चों पर मातम कर, क्योंकि वह क़ैदी बनकर तुझसे दूर हो जाएंगे। \c 2 \s1 क़ौम पर ज़ुल्म करनेवालों पर अफ़सोस \p \v 1 उन पर अफ़सोस जो दूसरों को नुक़सान पहुँचाने के मनसूबे बाँधते और अपने बिस्तर पर ही साज़िशें करते हैं। पौ फटते ही वह उठकर उन्हें पूरा करते हैं, क्योंकि वह यह करने का इख़्तियार रखते हैं। \v 2 जब वह किसी खेत या मकान के लालच में आ जाते हैं तो उसे छीन लेते हैं। वह लोगों पर ज़ुल्म करके उनके घर और मौरूसी मिलकियत उनसे लूट लेते हैं। \p \v 3 चुनाँचे रब फ़रमाता है, “मैं इस क़ौम पर आफ़त का मनसूबा बाँध रहा हूँ, ऐसा फंदा जिसमें से तुम अपनी गरदनों को निकाल नहीं सकोगे। तब तुम सर उठाकर नहीं फिरोगे, क्योंकि वक़्त बुरा ही होगा। \v 4 उस दिन लोग अपने गीतों में तुम्हारा मज़ाक़ उड़ाएँगे, वह मातम का तलख़ गीत गाकर तुम्हें लान-तान करेंगे, \p ‘हाय, हम सरासर तबाह हो गए हैं! मेरी क़ौम की मौरूसी ज़मीन दूसरों के हाथ में आ गई है। वह किस तरह मुझसे छीन ली गई है! हमारे काम के जवाब में हमारे खेत दूसरों में तक़सीम हो रहे हैं’।” \p \v 5 चुनाँचे आइंदा तुममें से कोई नहीं होगा जो रब की जमात में क़ुरा डालकर मौरूसी ज़मीन तक़सीम करे। \p \v 6 वह नबुव्वत करते हैं, “नबुव्वत मत करो! नबुव्वत करते वक़्त इनसान को इस क़िस्म की बातें नहीं सुनानी चाहिएँ। यह सहीह नहीं कि हमारी रुसवाई हो जाएगी।” \v 7 ऐ याक़ूब के घराने, क्या तुझे इस तरह की बातें करनी चाहिएँ, “क्या रब नाराज़ है? क्या वह ऐसा काम करेगा?” \p रब फ़रमाता है, “यह बात दुरुस्त है कि मैं उससे मेहरबान बातें करता हूँ जो सहीह राह पर चले। \v 8 लेकिन काफ़ी देर से मेरी क़ौम दुश्मन बनकर उठ खड़ी हुई है। जिन लोगों का जंग करने से ताल्लुक़ ही नहीं उनसे तुम चादर तक सब कुछ छीन लेते हो जब वह अपने आपको महफ़ूज़ समझकर तुम्हारे पास से गुज़रते हैं। \v 9 मेरी क़ौम की औरतों को तुम उनके ख़ुशनुमा घरों से भगाकर उनके बच्चों को हमेशा के लिए मेरी शानदार बरकतों से महरूम कर देते हो। \v 10 अब उठकर चले जाओ! आइंदा तुम्हें यहाँ सुकून हासिल नहीं होगा। क्योंकि नापाकी के सबब से यह मक़ाम अज़ियतनाक तरीक़े से तबाह हो जाएगा। \v 11 हक़ीक़त में यह क़ौम ऐसा फ़रेबदेह नबी चाहती है जो ख़ाली हाथ आकर \f + \fr 2:11 \ft लफ़्ज़ी तरजुमा : जो हवा यानी कुछ नहीं अपने साथ लेकर आए। \f* उससे कहे, ‘तुम्हें कसरत की मै और शराब हासिल होगी!’ \s1 अल्लाह क़ौम को वापस लाएगा \p \v 12 ऐ याक़ूब की औलाद, एक दिन मैं तुम सबको यक़ीनन जमा करूँगा। तब मैं इसराईल का बचा हुआ हिस्सा यों इकट्ठा करूँगा जिस तरह भेड़-बकरियों को बाड़े में या रेवड़ को चरागाह में। मुल्क में चारों तरफ़ हुजूमों का शोर मचेगा। \v 13 एक राहनुमा उनके आगे आगे चलेगा जो उनके लिए रास्ता खोलेगा। तब वह शहर के दरवाज़े को तोड़कर उसमें से निकलेंगे। उनका बादशाह उनके आगे आगे चलेगा, रब ख़ुद उनकी राहनुमाई करेगा।” \c 3 \s1 राहनुमाओं और झूटे नबियों पर इलाही फ़ैसला \p \v 1 मैं बोला, “ऐ याक़ूब के राहनुमाओ, ऐ इसराईल के बुज़ुर्गो, सुनो! तुम्हें इनसाफ़ को जानना चाहिए। \v 2 लेकिन जो अच्छा है उससे तुम नफ़रत करते और जो ग़लत है उसे प्यार करते हो। तुम मेरी क़ौम की खाल उतारकर उसका गोश्त हड्डियों से जुदा कर लेते हो। \v 3 क्योंकि तुम मेरी क़ौम का गोश्त खा लेते हो। उनकी खाल उतारकर तुम उनकी हड्डियों और गोश्त को टुकड़े टुकड़े करके देग में फेंक देते हो।” \v 4 तब वह चिल्लाकर रब से इल्तिजा करेंगे, लेकिन वह उनकी नहीं सुनेगा। उनके ग़लत कामों के सबब से वह अपना चेहरा उनसे छुपा लेगा। \p \v 5 रब फ़रमाता है, “ऐ नबियो, तुम मेरी क़ौम को भटका रहे हो। अगर तुम्हें कुछ खिलाया जाए तो तुम एलान करते हो कि अमनो-अमान होगा। लेकिन जो तुम्हें कुछ न खिलाए उस पर तुम जिहाद का फ़तवा देते हो। \v 6 चुनाँचे तुम पर ऐसी रात छा जाएगी जिसमें तुम रोया नहीं देखोगे, ऐसी तारीकी जिसमें तुम्हें मुस्तक़बिल के बारे में कोई भी बात नहीं मिलेगी। नबियों पर सूरज डूब जाएगा, उनके चारों तरफ़ अंधेरा ही अंधेरा छा जाएगा। \v 7 तब रोया देखनेवाले शर्मसार और क़िस्मत का हाल बतानेवाले शरमिंदा हो जाएंगे। शर्म के मारे वह अपने मुँह को छुपा लेंगे, \f + \fr 3:7 \ft मुँह का लफ़्ज़ी तरजुमा ‘मूँछें’ है। \f* क्योंकि अल्लाह से कोई भी जवाब नहीं मिलेगा।” \p \v 8 लेकिन मैं ख़ुद क़ुव्वत से, रब के रूह से और इनसाफ़ और ताक़त से भरा हुआ हूँ ताकि याक़ूब की औलाद को उसके जरायम और इसराईल को उसके गुनाह सुना सकूँ। \p \v 9 ऐ याक़ूब के राहनुमाओ, ऐ इसराईल के बुज़ुर्गो, सुनो! तुम इनसाफ़ से घिन खाकर हर सीधी बात को टेढ़ी बना लेते हो। \v 10 तुम सिय्यून को ख़ूनरेज़ी से और यरूशलम को नाइनसाफ़ी से तामीर कर रहे हो। \v 11 यरूशलम के बुज़ुर्ग अदालत करते वक़्त रिश्वत लेते हैं। उसके इमाम तालीम देते हैं लेकिन सिर्फ़ कुछ मिलने के लिए। उसके नबी पेशगोई सुना देते हैं लेकिन सिर्फ़ पैसों के मुआवज़े में। ताहम यह लोग रब पर इनहिसार करके कहते हैं, “हम पर आफ़त आ ही नहीं सकती, क्योंकि रब हमारे दरमियान है।” \p \v 12 तुम्हारी वजह से सिय्यून पर हल चलाया जाएगा और यरूशलम मलबे का ढेर बन जाएगा। जिस पहाड़ पर रब का घर है उस पर जंगल छा जाएगा। \c 4 \s1 यरूशलम एक नई बादशाही का मरकज़ बन जाएगा \p \v 1 आख़िरी ऐयाम में रब के घर का पहाड़ मज़बूती से क़ायम होगा। सबसे बड़ा यह पहाड़ दीगर तमाम बुलंदियों से कहीं ज़्यादा सरफ़राज़ होगा। तब उम्मतें जौक़-दर-जौक़ उसके पास पहुँचेंगी, \v 2 और बेशुमार क़ौमें आकर कहेंगी, “आओ, हम रब के पहाड़ पर चढ़कर याक़ूब के ख़ुदा के घर के पास जाएँ ताकि वह हमें अपनी मरज़ी की तालीम दे और हम उस की राहों पर चलें।” \p क्योंकि सिय्यून पहाड़ से रब की हिदायत निकलेगी, और यरूशलम से उसका कलाम सादिर होगा। \v 3 रब बैनुल-अक़वामी झगड़ों को निपटाएगा और दूर तक की ज़ोरावर क़ौमों का इनसाफ़ करेगा। तब वह अपनी तलवारों को कूटकर फाले बनाएँगी और अपने नेज़ों को काँट-छाँट के औज़ार में तबदील करेंगी। अब से न एक क़ौम दूसरी पर हमला करेगी, न लोग जंग करने की तरबियत हासिल करेंगे। \v 4 हर एक अपनी अंगूर की बेल और अपने अंजीर के दरख़्त के साये में बैठकर आराम करेगा। कोई नहीं रहेगा जो उन्हें अचानक दहशतज़दा करे। क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज ने यह कुछ फ़रमाया है। \p \v 5 हर दूसरी क़ौम अपने देवता का नाम लेकर फिरती है, लेकिन हम हमेशा तक रब अपने ख़ुदा का नाम लेकर फिरेंगे। \p \v 6 रब फ़रमाता है, “उस दिन मैं लँगड़ों को जमा करूँगा और उन्हें इकट्ठा करूँगा जिन्हें मैंने मुंतशिर करके दुख पहुँचाया था। \v 7 मैं लँगड़ों को क़ौम का बचा हुआ हिस्सा बना दूँगा और जो दूर तक भटक गए थे उन्हें ताक़तवर उम्मत में तबदील करूँगा। तब रब उनका बादशाह बनकर अबद तक सिय्यून पहाड़ पर उन पर हुकूमत करेगा। \v 8 जहाँ तक तेरा ताल्लुक़ है, ऐ रेवड़ के बुर्ज, ऐ सिय्यून बेटी के पहाड़, तुझे पहले की-सी सलतनत हासिल होगी। यरूशलम बेटी को दुबारा बादशाहत मिलेगी।” \s1 यरूशलम अभी तक ख़तरे में है \p \v 9 ऐ यरूशलम बेटी, इस वक़्त तू इतने ज़ोर से क्यों चीख़ रही है? क्या तेरा कोई बादशाह नहीं? क्या तेरे मुशीर सब ख़त्म हो गए हैं कि तू दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खा रही है? \p \v 10 ऐ सिय्यून बेटी, जन्म देनेवाली औरत की तरह तड़पती और चीख़ती जा! क्योंकि अब तुझे शहर से निकलकर खुले मैदान में रहना पड़ेगा, आख़िर में तू बाबल तक पहुँचेगी। लेकिन वहाँ रब तुझे बचाएगा, वहाँ वह एवज़ाना देकर तुझे दुश्मन के हाथ से छुड़ाएगा। \p \v 11 इस वक़्त तो मुतअद्दिद क़ौमें तेरे ख़िलाफ़ जमा हो गई हैं। आपस में वह कह रही हैं, “आओ, यरूशलम की बेहुरमती हो जाए, हम सिय्यून की हालत देखकर लुत्फ़अंदोज़ हो जाएँ।” \v 12 लेकिन वह रब के ख़यालात को नहीं जानते, उसका मनसूबा नहीं समझते। उन्हें मालूम नहीं कि वह उन्हें गंदुम के पूलों की तरह इकट्ठा कर रहा है ताकि उन्हें गाह ले। \p \v 13 “ऐ सिय्यून बेटी, उठकर गाह ले! क्योंकि मैं तुझे लोहे के सींगों और पीतल के खुरों से नवाज़ूँगा ताकि तू बहुत-सी क़ौमों को चूर चूर कर सके। तब मैं उनका लूटा हुआ माल रब के लिए मख़सूस करूँगा, उनकी दौलत पूरी दुनिया के मालिक के हवाले करूँगा।” \c 5 \s1 नजातदहिंदा की उम्मीद \p \v 1 ऐ शहर जिस पर हमला हो रहा है, अब अपने आपको छुरी से ज़ख़मी कर, क्योंकि हमारा मुहासरा हो रहा है। दुश्मन लाठी से इसराईल के हुक्मरान के गाल पर मारेगा। \p \v 2 लेकिन तू, ऐ बैत-लहम इफ़राता, जो यहूदाह के दीगर ख़ानदानों की निसबत छोटा है, तुझमें से वह निकलेगा जो इसराईल का हुक्मरान होगा और जो क़दीम ज़माने बल्कि अज़ल से सादिर हुआ है। \v 3 लेकिन जब तक हामिला औरत उसे जन्म न दे, उस वक़्त तक रब अपनी क़ौम को दुश्मन के हवाले छोड़ेगा। लेकिन फिर उसके भाइयों का बचा हुआ हिस्सा इसराईलियों के पास वापस आएगा। \p \v 4 यह हुक्मरान खड़े होकर रब की क़ुव्वत के साथ अपने रेवड़ की गल्लाबानी करेगा। उसे रब अपने ख़ुदा के नाम का अज़ीम इख़्तियार हासिल होगा। तब क़ौम सलामती से बसेगी, क्योंकि उस की अज़मत दुनिया की इंतहा तक फैलेगी। \v 5 वही सलामती का मंबा होगा। जब असूर की फ़ौज हमारे मुल्क में दाख़िल होकर हमारे महलों में घुस आए तो हम उसके ख़िलाफ़ सात चरवाहे और आठ रईस खड़े करेंगे \v 6 जो तलवार से मुल्के-असूर की गल्लाबानी करेंगे, हाँ तलवार को मियान से खींचकर नमरूद के मुल्क पर हुकूमत करेंगे। यों हुक्मरान हमें असूर से बचाएगा जब यह हमारे मुल्क और हमारी सरहद में घुस आएगा। \p \v 7 तब याक़ूब के जितने लोग बचकर मुतअद्दिद अक़वाम के बीच में रहेंगे वह रब की भेजी हुई ओस या हरियाली पर पड़नेवाली बारिश की मानिंद होंगे यानी ऐसी चीज़ों की मानिंद जो न किसी इनसान के इंतज़ार में रहती, न किसी इनसान के हुक्म पर पड़ती हैं। \v 8 याक़ूब के जितने लोग बचकर मुतअद्दिद अक़वाम के बीच में रहेंगे वह जंगली जानवरों के दरमियान शेरबबर और भेड़-बकरियों के बीच में जवान शेर की मानिंद होंगे यानी ऐसे जानवर की मानिंद जो जहाँ से भी गुज़रे जानवरों को रौंदकर फाड़ लेता है। उसके हाथ से कोई बचा नहीं सकता। \v 9 तेरा हाथ तेरे तमाम मुख़ालिफ़ों पर फ़तह पाएगा, तेरे तमाम दुश्मन नेस्तो-नाबूद हो जाएंगे। \s1 रब इसराईल के बुतों को ख़त्म करेगा \p \v 10 रब फ़रमाता है, “उस दिन मैं तेरे घोड़ों को नेस्त और तेरे रथों को नाबूद करूँगा। \v 11 मैं तेरे मुल्क के शहरों को ख़ाक में मिलाकर तेरे तमाम क़िलों को गिरा दूँगा। \v 12 तेरी जादूगरी को मैं मिटा डालूँगा, क़िस्मत का हाल बतानेवाले तेरे बीच में नहीं रहेंगे। \v 13 तेरे बुत और तेरे मख़सूस सतूनों को मैं यों तबाह करूँगा कि तू आइंदा अपने हाथ की बनाई हुई चीज़ों की पूजा नहीं करेगा। \v 14 तेरे असीरत देवी के खंबे मैं उखाड़कर तेरे शहरों को मिसमार करूँगा। \v 15 उस वक़्त मैं बड़े ग़ुस्से से उन क़ौमों से इंतक़ाम लूँगा जिन्होंने मेरी नहीं सुनी।” \c 6 \s1 अल्लाह इसराईल पर इलज़ाम लगाता है \p \v 1 ऐ इसराईल, रब का फ़रमान सुन, “अदालत में खड़े होकर अपना मामला बयान कर! पहाड़ और पहाड़ियाँ तेरे गवाह हों, उन्हें अपनी बात सुना दे।” \p \v 2 ऐ पहाड़ो, अब रब का अपनी क़ौम पर इलज़ाम सुनो! ऐ दुनिया की क़दीम बुनियादो, तवज्जुह दो! क्योंकि रब अदालत में अपनी क़ौम पर इलज़ाम लगा रहा है, वह इसराईल से मुक़दमा उठा रहा है। \p \v 3 वह सवाल करता है, “ऐ मेरी क़ौम, मैंने तेरे साथ क्या ग़लत सुलूक किया? मैंने क्या किया कि तू इतनी थक गई है? बता तो सही! \v 4 हक़ीक़त तो यह है कि मैं तुझे मुल्के-मिसर से निकाल लाया, मैंने फ़िद्या देकर तुझे ग़ुलामी से रिहा कर दिया। साथ साथ मैंने मूसा, हारून और मरियम को भेजा ताकि तेरे आगे चलकर तेरी राहनुमाई करें। \v 5 ऐ मेरी क़ौम, वह वक़्त याद कर जब मोआब के बादशाह बलक़ ने बिलाम बिन बओर को बुलाया ताकि तुझ पर लानत भेजे। लानत की बजाए उसने तुझे बरकत दी! वह सफ़र भी याद कर जब तू शित्तीम से रवाना होकर जिलजाल पहुँची। अगर तू इन तमाम बातों पर ग़ौर करे तो जान लेगी कि रब ने कितनी वफ़ादारी और इनसाफ़ से तेरे साथ सुलूक किया है।” \p \v 6 जब हम रब के हुज़ूर आते हैं ताकि अल्लाह तआला को सिजदा करें तो हमें अपने साथ क्या लाना चाहिए? क्या हमें यकसाला बछड़े उसके हुज़ूर लाकर भस्म करने चाहिएँ? \v 7 क्या रब हज़ारों मेंढों या तेल की बेशुमार नदियों से ख़ुश हो जाएगा? क्या मुझे अपने पहलौठे को अपने जरायम के एवज़ चढ़ाना चाहिए, अपने जिस्म के फल को अपने गुनाहों को मिटाने के लिए पेश करना चाहिए? हरगिज़ नहीं! \p \v 8 ऐ इनसान, उसने तुझे साफ़ बताया है कि क्या कुछ अच्छा है। रब तुझसे चाहता है कि तू इनसाफ़ क़ायम रखे, मेहरबानी करने में लगा रहे और फ़रोतनी से अपने ख़ुदा के हुज़ूर चलता रहे। \s1 यरूशलम को भी सामरिया की-सी सज़ा मिलेगी \p \v 9 सुनो! रब यरूशलम को आवाज़ दे रहा है। तवज्जुह दो, क्योंकि दानिशमंद उसके नाम का ख़ौफ़ मानता है। ऐ क़बीले, ध्यान दो कि किसने यह मुक़र्रर किया है, \p \v 10 “अब तक नाजायज़ नफ़ा की दौलत बेदीन आदमी के घर में जमा हो रही है, अब तक लोग गंदुम बेचते वक़्त पूरा तोल नहीं तोलते, उनकी ग़लत पैमाइश पर लानत! \v 11 क्या मैं उस आदमी को बरी क़रार दूँ जो ग़लत तराज़ू इस्तेमाल करता है और जिसकी थैली में हलके बाट पड़े रहते हैं? हरगिज़ नहीं! \v 12 यरूशलम के अमीर बड़े ज़ालिम हैं, लेकिन बाक़ी बाशिंदे भी झूट बोलते हैं, उनकी हर बात धोका ही धोका है! \p \v 13 इसलिए मैं तुझे मार मारकर ज़ख़मी करूँगा। मैं तुझे तेरे गुनाहों के बदले में तबाह करूँगा। \v 14 तू खाना खाएगा लेकिन सेर नहीं होगा बल्कि पेट ख़ाली रहेगा। तू माल महफ़ूज़ रखने की कोशिश करेगा, लेकिन कुछ नहीं बचेगा। क्योंकि जो कुछ तू बचाने की कोशिश करेगा उसे मैं तलवार के हवाले करूँगा। \v 15 तू बीज बोएगा लेकिन फ़सल नहीं काटेगा, ज़ैतून का तेल निकालेगा लेकिन उसे इस्तेमाल नहीं करेगा, अंगूर का रस निकालेगा लेकिन उसे नहीं पिएगा। \v 16 तू इसराईल के बादशाहों उमरी और अख़ियब के नमूने पर चल पड़ा है, आज तक उन्हीं के मनसूबों की पैरवी करता आया है। इसलिए मैं तुझे तबाही के हवाले कर दूँगा, तेरे लोगों को मज़ाक़ का निशाना बनाऊँगा। तुझे दीगर अक़वाम की लान-तान बरदाश्त करनी पड़ेगी।” \c 7 \s1 अपनी क़ौम पर अफ़सोस \p \v 1 हाय, मुझ पर अफ़सोस! मैं उस शख़्स की मानिंद हूँ जो फ़सल के जमा होने पर अंगूर के बाग़ में से गुज़र जाता है ताकि बचा हुआ थोड़ा-बहुत फल मिल जाए, लेकिन एक गुच्छा तक बाक़ी नहीं। मैं उस आदमी की मानिंद हूँ जो अंजीर का पहला फल मिलने की उम्मीद रखता है लेकिन एक भी नहीं मिलता। \v 2 मुल्क में से दियानतदार मिट गए हैं, एक भी ईमानदार नहीं रहा। सब ताक में बैठे हैं ताकि एक दूसरे को क़त्ल करें, हर एक अपना जाल बिछाकर अपने भाई को पकड़ने की कोशिश करता है। \v 3 दोनों हाथ ग़लत काम करने में एक जैसे माहिर हैं। हुक्मरान और क़ाज़ी रिश्वत खाते, बड़े लोग मुतलव्विनमिज़ाजी से कभी यह, कभी वह तलब करते हैं। सब मिलकर साज़िशें करने में मसरूफ़ रहते हैं। \v 4 उनमें से सबसे शरीफ़ शख़्स ख़ारदार झाड़ी की मानिंद है, सबसे ईमानदार आदमी काँटेदार बाड़ से अच्छा नहीं। \p लेकिन वह दिन आनेवाला है जिसका एलान तुम्हारे पहरेदारों ने किया है। तब अल्लाह तुझसे निपट लेगा, सब कुछ उलट-पलट हो जाएगा। \p \v 5 किसी पर भी भरोसा मत रखना, न अपने पड़ोसी पर, न अपने दोस्त पर। अपनी बीवी से भी बात करने से मुहतात रहो। \v 6 क्योंकि बेटा अपने बाप की हैसियत नहीं मानता, बेटी अपनी माँ के ख़िलाफ़ खड़ी हो जाती और बहू अपनी सास की मुख़ालफ़त करती है। तुम्हारे अपने ही घरवाले तुम्हारे दुश्मन हैं। \p \v 7 लेकिन मैं ख़ुद रब की राह देखूँगा, अपनी नजात के ख़ुदा के इंतज़ार में रहूँगा। क्योंकि मेरा ख़ुदा मेरी सुनेगा। \s1 रब हमें रिहा करेगा \p \v 8 ऐ मेरे दुश्मन, मुझे देखकर शादियाना मत बजा! गो मैं गिर गया हूँ ताहम दुबारा खड़ा हो जाऊँगा, गो अंधेरे में बैठा हूँ ताहम रब मेरी रौशनी है। \v 9 मैंने रब का ही गुनाह किया है, इसलिए मुझे उसका ग़ज़ब भुगतना पड़ेगा। क्योंकि जब तक वह मेरे हक़ में मुक़दमा लड़कर मेरा इनसाफ़ न करे उस वक़्त तक मैं उसका क़हर बरदाश्त करूँगा। तब वह मुझे तारीकी से निकालकर रौशनी में लाएगा, और मैं अपनी आँखों से उसके इनसाफ़ और वफ़ादारी का मुशाहदा करूँगा। \p \v 10 मेरा दुश्मन यह देखकर सरासर शरमिंदा हो जाएगा, हालाँकि इस वक़्त वह कह रहा है, “रब तेरा ख़ुदा कहाँ है?” मेरी अपनी आँखें उस की शरमिंदगी देखेंगी, क्योंकि उस वक़्त उसे गली में कचरे की तरह पाँवों तले रौंदा जाएगा। \p \v 11 ऐ इसराईल, वह दिन आनेवाला है जब तेरी दीवारें नए सिरे से तामीर हो जाएँगी। उस दिन तेरी सरहद्दें वसी हो जाएँगी। \v 12 लोग चारों तरफ़ से तेरे पास आएँगे। वह असूर से, मिसर के शहरों से, दरियाए-फ़ुरात के इलाक़े से बल्कि दूर-दराज़ साहिली और पहाड़ी इलाक़ों से भी आएँगे। \v 13 ज़मीन अपने बाशिंदों के बाइस वीरानो-सुनसान हो जाएगी, आख़िरकार उनकी हरकतों का कड़वा फल निकल आएगा। \p \v 14 ऐ रब, अपनी लाठी से अपनी क़ौम की गल्लाबानी कर! क्योंकि तेरी मीरास का यह रेवड़ इस वक़्त जंगल में तनहा रहता है, हालाँकि गिर्दो-नवाह की ज़मीन ज़रख़ेज़ है। क़दीम ज़माने की तरह उन्हें बसन और जिलियाद की शादाब चरागाहों में चरने दे! \v 15 रब फ़रमाता है, “मिसर से निकलते वक़्त की तरह मैं तुझे मोजिज़ात दिखा दूँगा।” \v 16 यह देखकर अक़वाम शरमिंदा हो जाएँगी और अपनी तमाम ताक़त के बावुजूद कुछ नहीं कर पाएँगी। वह घबराकर मुँह पर हाथ रखेंगी, उनके कान बहरे हो जाएंगे। \v 17 साँप और रेंगनेवाले जानवरों की तरह वह ख़ाक चाटेंगी और थरथराते हुए अपने क़िलों से निकल आएँगी। वह डर के मारे रब हमारे ख़ुदा की तरफ़ रुजू करेंगी, हाँ तुझसे दहशत खाएँगी। \p \v 18 ऐ रब, तुझ जैसा ख़ुदा कहाँ है? तू ही गुनाहों को मुआफ़ कर देता, तू ही अपनी मीरास के बचे हुओं के जरायम से दरगुज़र करता है। तू हमेशा तक ग़ुस्से नहीं रहता बल्कि शफ़क़त पसंद करता है। \v 19 तू दुबारा हम पर रहम करेगा, दुबारा हमारे गुनाहों को पाँवों तले कुचलकर समुंदर की गहराइयों में फेंक देगा। \v 20 तू याक़ूब और इब्राहीम की औलाद पर अपनी वफ़ा और शफ़क़त दिखाकर वह वादा पूरा करेगा जो तूने क़सम खाकर क़दीम ज़माने में हमारे बापदादा से किया था।