\id EZR उर्दू जियो वर्झ़न \ide UTF-8 \h अज़रा \toc1 अज़रा \toc2 अज़रा \toc3 अज़ \mt1 अज़रा \c 1 \s1 जिलावतनी से वापसी \p \v 1 फ़ारस के बादशाह ख़ोरस की हुकूमत के पहले साल में रब ने वह कुछ पूरा होने दिया जिसकी पेशगोई उसने यरमियाह की मारिफ़त की थी। उसने ख़ोरस को ज़ैल का एलान करने की तहरीक दी। यह एलान ज़बानी और तहरीरी तौर पर पूरी बादशाही में किया गया। \p \v 2 “फ़ारस का बादशाह ख़ोरस फ़रमाता है, रब आसमान के ख़ुदा ने दुनिया के तमाम ममालिक मेरे हवाले कर दिए हैं। उसने मुझे यहूदाह के शहर यरूशलम में उसके लिए घर बनाने की ज़िम्मादारी दी है। \v 3 आपमें से जितने उस की क़ौम के हैं यरूशलम के लिए रवाना हो जाएँ ताकि वहाँ रब इसराईल के ख़ुदा के लिए घर बनाएँ, उस ख़ुदा के लिए जो यरूशलम में सुकूनत करता है। आपका ख़ुदा आपके साथ हो। \v 4 जहाँ भी इसराईली क़ौम के बचे हुए लोग रहते हैं, वहाँ उनके पड़ोसियों का फ़र्ज़ है कि वह सोने-चाँदी और माल-मवेशी से उनकी मदद करें। इसके अलावा वह अपनी ख़ुशी से यरूशलम में अल्लाह के घर के लिए हदिये भी दें।” \p \v 5 तब कुछ इसराईली रवाना होकर यरूशलम में रब के घर को तामीर करने की तैयारियाँ करने लगे। उनमें यहूदाह और बिनयमीन के ख़ानदानी सरपरस्त, इमाम और लावी शामिल थे यानी जितने लोगों को अल्लाह ने तहरीक दी थी। \v 6 उनके तमाम पड़ोसियों ने उन्हें सोना-चाँदी और माल-मवेशी देकर उनकी मदद की। इसके अलावा उन्होंने अपनी ख़ुशी से भी रब के घर के लिए हदिये दिए। \p \v 7 ख़ोरस बादशाह ने वह चीज़ें वापस कर दीं जो नबूकदनज़्ज़र ने यरूशलम में रब के घर से लूटकर अपने देवता के मंदिर में रख दी थीं। \v 8 उन्हें निकालकर फ़ारस के बादशाह ने मित्रदात ख़ज़ानची के हवाले कर दिया जिसने सब कुछ गिनकर यहूदाह के बुज़ुर्ग शेसबज़्ज़र को दे दिया। \v 9 जो फ़हरिस्त उसने लिखी उसमें ज़ैल की चीज़ें थीं : \p सोने के 30 बासन, \p चाँदी के 1,000 बासन, \p 29 छुरियाँ, \p \v 10 सोने के 30 प्याले, \p चाँदी के 410 प्याले, \p बाक़ी चीज़ें 1,000 अदद। \p \v 11 सोने और चाँदी की कुल 5,400 चीज़ें थीं। शेसबज़्ज़र यह सब कुछ अपने साथ ले गया जब वह जिलावतनों के साथ बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुआ। \c 2 \s1 वापस आए हुए इसराईलियों की फ़हरिस्त \p \v 1 ज़ैल में यहूदाह के उन लोगों की फ़हरिस्त है जो जिलावतनी से वापस आए। बाबल का बादशाह नबूकदनज़्ज़र उन्हें क़ैद करके बाबल ले गया था, लेकिन अब वह यरूशलम और यहूदाह के उन शहरों में फिर जा बसे जहाँ उनके ख़ानदान पहले रहते थे। \v 2 उनके राहनुमा ज़रुब्बाबल, यशुअ, नहमियाह, सिरायाह, रालायाह, मर्दकी, बिलशान, मिसफ़ार, बिगवई, रहूम और बाना थे। ज़ैल की फ़हरिस्त में वापस आए हुए ख़ानदानों के मर्द बयान किए गए हैं। \p \v 3 परऊस का ख़ानदान : 2,172, \p \v 4 सफ़तियाह का ख़ानदान : 372, \p \v 5 अरख़ का ख़ानदान : 775, \p \v 6 पख़त-मोआब का ख़ानदान यानी यशुअ और योआब की औलाद : 2,812, \p \v 7 ऐलाम का ख़ानदान : 1,254, \p \v 8 ज़त्तू का ख़ानदान : 945, \p \v 9 ज़क्की का ख़ानदान : 760, \p \v 10 बानी का ख़ानदान : 642, \p \v 11 बबी का ख़ानदान : 623, \p \v 12 अज़जाद का ख़ानदान : 1,222, \p \v 13 अदूनिक़ाम का ख़ानदान : 666, \p \v 14 बिगवई का ख़ानदान : 2,056, \p \v 15 अदीन का ख़ानदान : 454, \p \v 16 अतीर का ख़ानदान यानी हिज़क़ियाह की औलाद : 98, \p \v 17 बज़ी का ख़ानदान : 323, \p \v 18 यूरा का ख़ानदान : 112, \p \v 19 हाशूम का ख़ानदान : 223, \p \v 20 जिब्बार का ख़ानदान : 95, \p \v 21 बैत-लहम के बाशिंदे : 123, \p \v 22 नतूफ़ा के 56 बाशिंदे, \p \v 23 अनतोत के बाशिंदे : 128, \p \v 24 अज़मावत के बाशिंदे : 42, \p \v 25 क़िरियत-यारीम, कफ़ीरा और बैरोत के बाशिंदे : 743, \p \v 26 रामा और जिबा के बाशिंदे : 621, \p \v 27 मिकमास के बाशिंदे : 122, \p \v 28 बैतेल और अई के बाशिंदे : 223, \p \v 29 नबू के बाशिंदे : 52, \p \v 30 मजबीस के बाशिंदे : 156, \p \v 31 दूसरे ऐलाम के बाशिंदे : 1,254, \p \v 32 हारिम के बाशिंदे : 320, \p \v 33 लूद, हादीद और ओनू के बाशिंदे : 725, \p \v 34 यरीहू के बाशिंदे : 345, \p \v 35 सनाआह के बाशिंदे : 3,630। \p \v 36 ज़ैल के इमाम जिलावतनी से वापस आए। \p यदायाह का ख़ानदान जो यशुअ की नसल का था : 973, \p \v 37 इम्मेर का ख़ानदान : 1,052, \p \v 38 फ़शहूर का ख़ानदान : 1,247, \p \v 39 हारिम का ख़ानदान : 1,017। \p \v 40 ज़ैल के लावी जिलावतनी से वापस आए। यशुअ और क़दमियेल का ख़ानदान यानी हूदावियाह की औलाद : 74, \p \v 41 गुलूकार : आसफ़ के ख़ानदान के 128 आदमी, \p \v 42 रब के घर के दरबान : सल्लूम, अतीर, तलमून, अक़्क़ूब, ख़तीता और सोबी के ख़ानदानों के 139 आदमी। \p \v 43 रब के घर के ख़िदमतगारों के दर्जे-ज़ैल ख़ानदान जिलावतनी से वापस आए। \p ज़ीहा, हसूफ़ा, तब्बाओत, \v 44 क़रूस, सियाहा, फ़दून, \v 45 लिबाना, हजाबा, अक़्क़ूब, \v 46 हजाब, शलमी, हनान, \v 47 जिद्देल, जहर, रियायाह, \v 48 रज़ीन, नक़ूदा, जज़्ज़ाम, \v 49 उज़्ज़ा, फ़ासिह, बसी, \v 50 अस्ना, मऊनीम, नफ़ूसीम, \v 51 बक़बूक़, हक़ूफ़ा, हरहूर, \v 52 बज़लूत, महीदा, हर्शा, \v 53 बरक़ूस, सीसरा, तामह, \v 54 नज़ियाह और ख़तीफ़ा। \p \v 55 सुलेमान के ख़ादिमों के दर्जे-ज़ैल ख़ानदान जिलावतनी से वापस आए। \p सूती, सूफ़िरत, फ़रूदा, \v 56 याला, दरक़ून, जिद्देल, \v 57 सफ़तियाह, ख़त्तील, फ़ूकिरत-ज़बायम और अमी। \p \v 58 रब के घर के ख़िदमतगारों और सुलेमान के ख़ादिमों के ख़ानदानों में से वापस आए हुए मर्दों की तादाद 392 थी। \p \v 59-60 वापस आए हुए ख़ानदानों दिलायाह, तूबियाह और नक़ूदा के 652 मर्द साबित न कर सके कि इसराईल की औलाद हैं, गो वह तल-मिलह, तल-हर्शा, करूब, अद्दून और इम्मेर के रहनेवाले थे। \p \v 61-62 हबायाह, हक़्क़ूज़ और बरज़िल्ली के ख़ानदानों के कुछ इमाम भी वापस आए, लेकिन उन्हें रब के घर में ख़िदमत करने की इजाज़त न मिली। क्योंकि गो उन्होंने नसबनामे में अपने नाम तलाश किए उनका कहीं ज़िक्र न मिला, इसलिए उन्हें नापाक क़रार दिया गया। (बरज़िल्ली के ख़ानदान के बानी ने बरज़िल्ली जिलियादी की बेटी से शादी करके अपने सुसर का नाम अपना लिया था।) \v 63 यहूदाह के गवर्नर ने हुक्म दिया कि इन तीन ख़ानदानों के इमाम फ़िलहाल क़ुरबानियों का वह हिस्सा खाने में शरीक न हों जो इमामों के लिए मुक़र्रर है। जब दुबारा इमामे-आज़म मुक़र्रर किया जाए तो वही ऊरीम और तुम्मीम नामी क़ुरा डालकर मामला हल करे। \p \v 64 कुल 42,360 इसराईली अपने वतन लौट आए, \v 65 नीज़ उनके 7,337 ग़ुलाम और लौंडियाँ और 200 गुलूकार जिनमें मर्दो-ख़वातीन शामिल थे। \p \v 66 इसराईलियों के पास 736 घोड़े, 245 ख़च्चर, \v 67 435 ऊँट और 6,720 गधे थे। \p \v 68 जब वह यरूशलम में रब के घर के पास पहुँचे तो कुछ ख़ानदानी सरपरस्तों ने अपनी ख़ुशी से हदिये दिए ताकि अल्लाह का घर नए सिरे से उस जगह तामीर किया जा सके जहाँ पहले था। \v 69 हर एक ने उतना दे दिया जितना दे सका। उस वक़्त सोने के कुल 61,000 सिक्के, चाँदी के 2,800 किलोग्राम और इमामों के 100 लिबास जमा हुए। \p \v 70 इमाम, लावी, गुलूकार, रब के घर के दरबान और ख़िदमतगार, और अवाम के कुछ लोग अपनी अपनी आबाई आबादियों में दुबारा जा बसे। यों तमाम इसराईली दुबारा अपने अपने शहरों में रहने लगे। \c 3 \s1 नई क़ुरबानगाह पर क़ुरबानियाँ \p \v 1 सातवें महीने की इब्तिदा में पूरी क़ौम यरूशलम में जमा हुई। उस वक़्त इसराईली अपनी आबादियों में दुबारा आबाद हो गए थे। \v 2 जमा होने का मक़सद इसराईल के ख़ुदा की क़ुरबानगाह को नए सिरे से तामीर करना था ताकि मर्दे-ख़ुदा मूसा की शरीअत के मुताबिक़ उस पर भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जा सकें। चुनाँचे यशुअ बिन यूसदक़ और ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल काम में लग गए। यशुअ के इमाम भाइयों और ज़रुब्बाबल के भाइयों ने उनकी मदद की। \v 3 गो वह मुल्क में रहनेवाली दीगर क़ौमों से सहमे हुए थे ताहम उन्होंने क़ुरबानगाह को उस की पुरानी बुनियाद पर तामीर किया और सुबह-शाम उस पर रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करने लगे। \v 4 झोंपड़ियों की ईद उन्होंने शरीअत की हिदायत के मुताबिक़ मनाई। उस हफ़ते के हर दिन उन्होंने भस्म होनेवाली उतनी क़ुरबानियाँ चढ़ाईं जितनी ज़रूरी थीं। \p \v 5 उस वक़्त से इमाम भस्म होनेवाली तमाम दरकार क़ुरबानियाँ बाक़ायदगी से पेश करने लगे, नीज़ नए चाँद की ईदों और रब की बाक़ी मख़सूसो-मुक़द्दस ईदों की क़ुरबानियाँ। क़ौम अपनी ख़ुशी से भी रब को क़ुरबानियाँ पेश करती थी। \v 6 गो रब के घर की बुनियाद अभी डाली नहीं गई थी तो भी इसराईली सातवें महीने के पहले दिन से रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करने लगे। \v 7 फिर उन्होंने राजों और कारीगरों को पैसे देकर काम पर लगाया और सूर और सैदा के बाशिंदों से देवदार की लकड़ी मँगवाई। यह लकड़ी लुबनान के पहाड़ी इलाक़े से समुंदर तक लाई गई और वहाँ से समुंदर के रास्ते याफ़ा पहुँचाई गई। इसराईलियों ने मुआवज़े में खाने-पीने की चीज़ें और ज़ैतून का तेल दे दिया। फ़ारस के बादशाह ख़ोरस ने उन्हें यह करवाने की इजाज़त दी थी। \s1 रब के घर की तामीरे-नौ \p \v 8 जिलावतनी से वापस आने के दूसरे साल के दूसरे महीने में रब के घर की नए सिरे से तामीर शुरू हुई। इस काम में ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल, यशुअ बिन यूसदक़, दीगर इमाम और लावी और वतन में वापस आए हुए बाक़ी तमाम इसराईली शरीक हुए। तामीरी काम की निगरानी उन लावियों के ज़िम्मे लगा दी गई जिनकी उम्र 20 साल या इससे ज़ायद थी। \p \v 9 ज़ैल के लोग मिलकर रब का घर बनानेवालों की निगरानी करते थे : यशुअ अपने बेटों और भाइयों समेत, क़दमियेल और उसके बेटे जो हूदावियाह की औलाद थे और हनदाद के ख़ानदान के लावी। \p \v 10 रब के घर की बुनियाद रखते वक़्त इमाम अपने मुक़द्दस लिबास पहने हुए साथ खड़े हो गए और तुरम बजाने लगे। आसफ़ के ख़ानदान के लावी साथ साथ झाँझ बजाने और रब की सताइश करने लगे। सब कुछ इसराईल के बादशाह दाऊद की हिदायात के मुताबिक़ हुआ। \v 11 वह हम्दो-सना के गीत से रब की तारीफ़ करने लगे, “वह भला है, और इसराईल पर उस की शफ़क़त अबदी है!” जब हाज़िरीन ने देखा कि रब के घर की बुनियाद रखी जा रही है तो सब रब की ख़ुशी में ज़ोरदार नारे लगाने लगे। \p \v 12 लेकिन बहुत-से इमाम, लावी और ख़ानदानी सरपरस्त हाज़िर थे जिन्होंने रब का पहला घर देखा हुआ था। जब उनके देखते देखते रब के नए घर की बुनियाद रखी गई तो वह बुलंद आवाज़ से रोने लगे जबकि बाक़ी बहुत सारे लोग ख़ुशी के नारे लगा रहे थे। \v 13 इतना शोर था कि ख़ुशी के नारों और रोने की आवाज़ों में इम्तियाज़ न किया जा सका। शोर दूर दूर तक सुनाई दिया। \c 4 \s1 रब के घर की तामीर की मुख़ालफ़त \p \v 1 यहूदाह और बिनयमीन के दुश्मनों को पता चला कि वतन में वापस आए हुए इसराईली रब इसराईल के ख़ुदा के लिए घर तामीर कर रहे हैं। \v 2 ज़रुब्बाबल और ख़ानदानी सरपरस्तों के पास आकर उन्होंने दरख़ास्त की, “हम भी आपके साथ मिलकर रब के घर को तामीर करना चाहते हैं। क्योंकि जब से असूर के बादशाह असर्हद्दून ने हमें यहाँ लाकर बसाया है उस वक़्त से हम आपके ख़ुदा के तालिब रहे और उसे क़ुरबानियाँ पेश करते आए हैं।” \v 3 लेकिन ज़रुब्बाबल, यशुअ और इसराईल के बाक़ी ख़ानदानी सरपरस्तों ने इनकार किया, “नहीं, इसमें आपका हमारे साथ कोई वास्ता नहीं। हम अकेले ही रब इसराईल के ख़ुदा के लिए घर बनाएँगे, जिस तरह फ़ारस के बादशाह ख़ोरस ने हमें हुक्म दिया है।” \p \v 4 यह सुनकर मुल्क की दूसरी क़ौमें यहूदाह के लोगों की हौसलाशिकनी और उन्हें डराने की कोशिश करने लगीं ताकि वह इमारत बनाने से बाज़ आएँ। \v 5 यहाँ तक कि वह फ़ारस के बादशाह ख़ोरस के कुछ मुशीरों को रिश्वत देकर काम रोकने में कामयाब हो गए। यों रब के घर की तामीर ख़ोरस बादशाह के दौरे-हुकूमत से लेकर दारा बादशाह की हुकूमत तक रुकी रही। \p \v 6 बाद में जब अख़स्वेरुस बादशाह की हुकूमत शुरू हुई तो इसराईल के दुश्मनों ने यहूदाह और यरूशलम के बाशिंदों पर इलज़ाम लगाकर शिकायती ख़त लिखा। \p \v 7 फिर अर्तख़शस्ता बादशाह के दौरे-हुकूमत में उसे यहूदाह के दुश्मनों की तरफ़ से शिकायती ख़त भेजा गया। ख़त के पीछे ख़ासकर बिशलाम, मित्रदात और ताबियेल थे। पहले उसे अरामी ज़बान में लिखा गया, और बाद में उसका तरजुमा हुआ। \v 8 सामरिया के गवर्नर रहूम और उसके मीरमुंशी शम्सी ने शहनशाह को ख़त लिख दिया जिसमें उन्होंने यरूशलम पर इलज़ामात लगाए। पते में लिखा था, \p \v 9 अज़ : रहूम गवर्नर और मीरमुंशी शम्सी, नीज़ उनके हमख़िदमत क़ाज़ी, सफ़ीर और तरपल, सिप्पर, अरक, बाबल और सोसन यानी ऐलाम के मर्द, \v 10 नीज़ बाक़ी तमाम क़ौमें जिनको अज़ीम और अज़ीज़ बादशाह अशूरबनीपाल ने उठाकर सामरिया और दरियाए-फ़ुरात के बाक़ीमाँदा मग़रिबी इलाक़े में बसा दिया था। \p \v 11 ख़त में लिखा था, \p “शहनशाह अर्तख़शस्ता के नाम, \p अज़ : आपके ख़ादिम जो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहते हैं। \p \v 12 शहनशाह को इल्म हो कि जो यहूदी आपके हुज़ूर से हमारे पास यरूशलम पहुँचे हैं वह इस वक़्त उस बाग़ी और शरीर शहर को नए सिरे से तामीर कर रहे हैं। वह फ़सील को बहाल करके बुनियादों की मरम्मत कर रहे हैं। \v 13 शहनशाह को इल्म हो कि अगर शहर नए सिरे से तामीर हो जाए और उस की फ़सील तकमील तक पहुँचे तो यह लोग टैक्स, ख़राज और महसूल अदा करने से इनकार कर देंगे। तब बादशाह को नुक़सान पहुँचेगा। \v 14 हम तो नमकहराम नहीं हैं, न शहनशाह की तौहीन बरदाश्त कर सकते हैं। इसलिए हम गुज़ारिश करते हैं \v 15 कि आप अपने बापदादा की तारीख़ी दस्तावेज़ात से यरूशलम के बारे में मालूमात हासिल करें, क्योंकि उनमें इस बात की तसदीक़ मिलेगी कि यह शहर माज़ी में सरकश रहा। हक़ीक़त में शहर को इसी लिए तबाह किया गया कि वह बादशाहों और सूबों को तंग करता रहा और क़दीम ज़माने से ही बग़ावत का मंबा रहा है। \v 16 ग़रज़ हम शहनशाह को इत्तला देते हैं कि अगर यरूशलम को दुबारा तामीर किया जाए और उस की फ़सील तकमील तक पहुँचे तो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े पर आपका क़ाबू जाता रहेगा।” \p \v 17 शहनशाह ने जवाब में लिखा, \p “मैं यह ख़त रहूम गवर्नर, शम्सी मीरमुंशी और सामरिया और दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहनेवाले उनके हमख़िदमत अफ़सरों को लिख रहा हूँ। \p आपको सलाम! \v 18 आपके ख़त का तरजुमा मेरी मौजूदगी में हुआ है और उसे मेरे सामने पढ़ा गया है। \v 19 मेरे हुक्म पर यरूशलम के बारे में मालूमात हासिल की गई हैं। मालूम हुआ कि वाक़ई यह शहर क़दीम ज़माने से बादशाहों की मुख़ालफ़त करके सरकशी और बग़ावत का मंबा रहा है। \v 20 नीज़, यरूशलम ताक़तवर बादशाहों का दारुल-हुकूमत रहा है। उनकी इतनी ताक़त थी कि दरियाए-फ़ुरात के पूरे मग़रिबी इलाक़े को उन्हें मुख़्तलिफ़ क़िस्म के टैक्स और ख़राज अदा करना पड़ा। \v 21 चुनाँचे अब हुक्म दें कि यह आदमी शहर की तामीर करने से बाज़ आएँ। जब तक मैं ख़ुद हुक्म न दूँ उस वक़्त तक शहर को नए सिरे से तामीर करने की इजाज़त नहीं है। \v 22 ध्यान दें कि इस हुक्म की तकमील में सुस्ती न की जाए, ऐसा न हो कि शहनशाह को बड़ा नुक़सान पहुँचे।” \p \v 23 ज्योंही ख़त की कापी रहूम, शम्सी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों को पढ़कर सुनाई गई तो वह यरूशलम के लिए रवाना हुए और यहूदियों को ज़बरदस्ती काम जारी रखने से रोक दिया। \p \v 24 चुनाँचे यरूशलम में अल्लाह के घर का तामीरी काम रुक गया, और वह फ़ारस के बादशाह दारा की हुकूमत के दूसरे साल तक रुका रहा। \c 5 \s1 रब के घर की तामीर दुबारा शुरू होती है \p \v 1 एक दिन दो नबी बनाम हज्जी और ज़करियाह बिन इद्दू उठकर इसराईल के ख़ुदा के नाम में जो उनके ऊपर था यहूदाह और यरूशलम के यहूदियों के सामने नबुव्वत करने लगे। \v 2 उनके हौसलाअफ़्ज़ा अलफ़ाज़ सुनकर ज़रुब्बाबल बिन सियालतियेल और यशुअ बिन यूसदक़ ने फ़ैसला किया कि हम दुबारा यरूशलम में अल्लाह के घर की तामीर शुरू करेंगे। दोनों नबी इसमें उनके साथ थे और उनकी मदद करते रहे। \p \v 3 लेकिन ज्योंही काम शुरू हुआ तो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी और शतर-बोज़नी अपने हमख़िदमत अफ़सरों समेत यरूशलम पहुँचे। उन्होंने पूछा, “किसने आपको यह घर बनाने और इसका ढाँचा तकमील तक पहुँचाने की इजाज़त दी? \v 4 इस काम के लिए ज़िम्मादार आदमियों के नाम हमें बताएँ!” \v 5 लेकिन उनका ख़ुदा यहूदाह के बुज़ुर्गों की निगरानी कर रहा था, इसलिए उन्हें रोका न गया। क्योंकि लोगों ने सोचा कि पहले दारा बादशाह को इत्तला दी जाए। जब तक वह फ़ैसला न करे उस वक़्त तक काम रोका न जाए। \p \v 6 फिर दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों ने दारा बादशाह को ज़ैल का ख़त भेजा, \p \v 7 “दारा बादशाह को दिल की गहराइयों से सलाम कहते हैं! \v 8 शहनशाह को इल्म हो कि सूबा यहूदाह में जाकर हमने देखा कि वहाँ अज़ीम ख़ुदा का घर बनाया जा रहा है। उसके लिए बड़े तराशे हुए पत्थर इस्तेमाल हो रहे हैं और दीवारों में शहतीर लगाए जा रहे हैं। लोग बड़ी जाँफ़िशानी से काम कर रहे हैं, और मकान उनकी मेहनत के बाइस तेज़ी से बन रहा है। \v 9 हमने बुज़ुर्गों से पूछा, ‘किसने आपको यह घर बनाने और इसका ढाँचा तकमील तक पहुँचाने की इजाज़त दी है?’ \v 10 हमने उनके नाम भी मालूम किए ताकि लिखकर आपको भेज सकें। \v 11 उन्होंने हमें जवाब दिया, \p ‘हम आसमानो-ज़मीन के ख़ुदा के ख़ादिम हैं, और हम उस घर को अज़ सरे-नौ तामीर कर रहे हैं जो बहुत साल पहले यहाँ क़ायम था। इसराईल के एक अज़ीम बादशाह ने उसे क़दीम ज़माने में बनाकर तकमील तक पहुँचाया था। \v 12 लेकिन हमारे बापदादा ने आसमान के ख़ुदा को तैश दिलाया, और नतीजे में उसने उन्हें बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र के हवाले कर दिया जिसने रब के घर को तबाह कर दिया और क़ौम को क़ैद करके बाबल में बसा दिया। \v 13 लेकिन बाद में जब ख़ोरस बादशाह बन गया तो उसने अपनी हुकूमत के पहले साल में हुक्म दिया कि अल्लाह के इस घर को दुबारा तामीर किया जाए। \v 14 साथ साथ उसने सोने-चाँदी की वह चीज़ें वापस कर दीं जो नबूकदनज़्ज़र ने यरूशलम में अल्लाह के घर से लूटकर बाबल के मंदिर में रख दी थीं। ख़ोरस ने यह चीज़ें एक आदमी के सुपुर्द कर दीं जिसका नाम शेसबज़्ज़र था और जिसे उसने यहूदाह का गवर्नर मुक़र्रर किया था। \v 15 उसने उसे हुक्म दिया कि सामान को यरूशलम ले जाओ और रब के घर को पुरानी जगह पर अज़ सरे-नौ तामीर करके यह चीज़ें उसमें महफ़ूज़ रखो। \v 16 तब शेसबज़्ज़र ने यरूशलम आकर अल्लाह के घर की बुनियाद रखी। उसी वक़्त से यह इमारत ज़ेरे-तामीर है, अगरचे यह आज तक मुकम्मल नहीं हुई।’ \p \v 17 चुनाँचे अगर शहनशाह को मंज़ूर हो तो वह तफ़तीश करें कि क्या बाबल के शाही दफ़्तर में कोई ऐसी दस्तावेज़ मौजूद है जो इस बात की तसदीक़ करे कि ख़ोरस बादशाह ने यरूशलम में रब के घर को अज़ सरे-नौ तामीर करने का हुक्म दिया। गुज़ारिश है कि शहनशाह हमें अपना फ़ैसला पहुँचा दें।” \c 6 \s1 दारा बादशाह यहूदियों की मदद करता है \p \v 1 तब दारा बादशाह ने हुक्म दिया कि बाबल के ख़ज़ाने के दफ़्तर में तफ़तीश की जाए। इसका खोज लगाते लगाते \v 2 आख़िरकार मादी शहर इक्बताना के क़िले में तूमार मिल गया जिसमें लिखा था, \p \v 3 “ख़ोरस बादशाह की हुकूमत के पहले साल में शहनशाह ने हुक्म दिया कि यरूशलम में अल्लाह के घर को उस की पुरानी जगह पर नए सिरे से तामीर किया जाए ताकि वहाँ दुबारा क़ुरबानियाँ पेश की जा सकें। उस की बुनियाद रखने के बाद उस की ऊँचाई 90 और चौड़ाई 90 फ़ुट हो। \v 4 दीवारों को यों बनाया जाए कि तराशे हुए पत्थरों के हर तीन रद्दों के बाद देवदार के शहतीरों का एक रद्दा लगाया जाए। अख़राजात शाही ख़ज़ाने से पूरे किए जाएँ। \v 5 नीज़ सोने-चाँदी की जो चीज़ें नबूकदनज़्ज़र यरूशलम के इस घर से निकालकर बाबल लाया वह वापस पहुँचाई जाएँ। हर चीज़ अल्लाह के घर में उस की अपनी जगह पर वापस रख दी जाए।” \p \v 6 यह ख़बर पढ़कर दारा ने दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों को ज़ैल का जवाब भेज दिया, \p “अल्लाह के इस घर की तामीर में मुदाख़लत मत करना! \v 7 लोगों को काम जारी रखने दें। यहूदियों का गवर्नर और उनके बुज़ुर्ग अल्लाह का यह घर उस की पुरानी जगह पर तामीर करें। \p \v 8 न सिर्फ़ यह बल्कि मैं हुक्म देता हूँ कि आप इस काम में बुज़ुर्गों की मदद करें। तामीर के तमाम अख़राजात वक़्त पर मुहैया करें ताकि काम न रुके। यह पैसे शाही ख़ज़ाने यानी दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े से जमा किए गए टैक्सों में से अदा किए जाएँ। \v 9 रोज़ बरोज़ इमामों को भस्म होनेवाली क़ुरबानियों के लिए दरकार तमाम चीज़ें मुहैया करते रहें, ख़ाह वह जवान बैल, मेंढे, भेड़ के बच्चे, गंदुम, नमक, मै या ज़ैतून का तेल क्यों न माँगें। इसमें सुस्ती न करें \v 10 ताकि वह आसमान के ख़ुदा को पसंदीदा क़ुरबानियाँ पेश करके शहनशाह और उसके बेटों की सलामती के लिए दुआ कर सकें। \p \v 11 इसके अलावा मैं हुक्म देता हूँ कि जो भी इस फ़रमान की ख़िलाफ़वरज़ी करे उसके घर से शहतीर निकालकर खड़ा किया जाए और उसे उस पर मसलूब किया जाए। साथ साथ उसके घर को मलबे का ढेर बनाया जाए। \v 12 जिस ख़ुदा ने वहाँ अपना नाम बसाया है वह हर बादशाह और क़ौम को हलाक करे जो मेरे इस हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी करके यरूशलम के घर को तबाह करने की जुर्रत करे। मैं, दारा ने यह हुक्म दिया है। इसे हर तरह से पूरा किया जाए।” \s1 रब के घर की मख़सूसियत \p \v 13 दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों ने हर तरह से दारा बादशाह के हुक्म की तामील की। \v 14 चुनाँचे यहूदी बुज़ुर्ग रब के घर पर काम जारी रख सके। दोनों नबी हज्जी और ज़करियाह बिन इद्दू अपनी नबुव्वतों से उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई करते रहे, और यों सारा काम इसराईल के ख़ुदा और फ़ारस के बादशाहों ख़ोरस, दारा और अर्तख़शस्ता के हुक्म के मुताबिक़ ही मुकम्मल हुआ। \p \v 15 रब का घर दारा बादशाह की हुकूमत के छटे साल में तकमील तक पहुँचा। अदार के महीने का तीसरा दिन \f + \fr 6:15 \ft 12 मार्च। \f* था। \v 16 इसराईलियों ने इमामों, लावियों और जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों समेत बड़ी ख़ुशी से रब के घर की मख़सूसियत की ईद मनाई। \v 17 उन्होंने 100 बैल, 200 मेंढे और भेड़ के 400 बच्चे क़ुरबान किए। पूरे इसराईल के लिए गुनाह की क़ुरबानी भी पेश की गई, और इसके लिए फ़ी क़बीला एक बकरा यानी मिलकर 12 बकरे चढ़ाए गए। \v 18 फिर इमामों और लावियों को रब के घर की ख़िदमत के मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया गया, जिस तरह मूसा की शरीअत हिदायत देती है। \s1 इसराईली फ़सह की ईद मनाते हैं \p \v 19 पहले महीने के 14वें दिन \f + \fr 6:19 \ft 21 अप्रैल। \f* जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों ने फ़सह की ईद मनाई। \v 20 तमाम इमामों और लावियों ने अपने आपको पाक-साफ़ कर रखा था। सबके सब पाक थे। लावियों ने फ़सह के लेले जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों, उनके भाइयों यानी इमामों और अपने लिए ज़बह किए। \v 21 लेकिन न सिर्फ़ जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईली इस खाने में शरीक हुए बल्कि मुल्क के वह तमाम लोग भी जो ग़ैरयहूदी क़ौमों की नापाक राहों से अलग होकर उनके साथ रब इसराईल के ख़ुदा के तालिब हुए थे। \v 22 उन्होंने सात दिन बड़ी ख़ुशी से बेख़मीरी रोटी की ईद मनाई। रब ने उनके दिलों को ख़ुशी से भर दिया था, क्योंकि उसने फ़ारस के बादशाह का दिल उनकी तरफ़ मायल कर दिया था ताकि उन्हें इसराईल के ख़ुदा के घर को तामीर करने में मदद मिले। \c 7 \s1 अज़रा इमाम को यरूशलम भेजा जाता है \p \v 1 इन वाक़ियात के काफ़ी अरसे बाद एक आदमी बनाम अज़रा बाबल को छोड़कर यरूशलम आया। उस वक़्त फ़ारस के बादशाह अर्तख़शस्ता की हुकूमत थी। आदमी का पूरा नाम अज़रा बिन सिरायाह बिन अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह \v 2 बिन सल्लूम बिन सदोक़ बिन अख़ीतूब \v 3 बिन अमरियाह बिन अज़रियाह बिन मिरायोत \v 4 बिन ज़रख़ियाह बिन उज़्ज़ी बिन बुक़्क़ी \v 5 बिन अबीसुअ बिन फ़ीनहास बिन इलियज़र बिन हारून था। (हारून इमामे-आज़म था)। \p \v 6 अज़रा पाक नविश्तों का उस्ताद और उस शरीअत का आलिम था जो रब इसराईल के ख़ुदा ने मूसा की मारिफ़त दी थी। जब अज़रा बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुआ तो शहनशाह ने उस की हर ख़ाहिश पूरी की, क्योंकि रब उसके ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ उस पर था। \v 7 कई इसराईली उसके साथ गए। इमाम, लावी, गुलूकार और रब के घर के दरबान और ख़िदमतगार भी उनमें शामिल थे। यह अर्तख़शस्ता बादशाह की हुकूमत के सातवें साल में हुआ। \v 8-9 क़ाफ़िला पहले महीने के पहले दिन \f + \fr 7:8-9 \ft 8 अप्रैल। \f* बाबल से रवाना हुआ और पाँचवें महीने के पहले दिन \f + \fr 7:8-9 \ft 4 अगस्त। \f* सहीह-सलामत यरूशलम पहुँचा, क्योंकि अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ अज़रा पर था। \v 10 वजह यह थी कि अज़रा ने अपने आपको रब की शरीअत की तफ़तीश करने, उसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने और इसराईलियों को उसके अहकाम और हिदायात की तालीम देने के लिए वक़्फ़ किया था। \s1 शहनशाह अज़रा को मुख़तारनामा देता है \p \v 11 अर्तख़शस्ता बादशाह ने अज़रा इमाम को ज़ैल का मुख़तारनामा दे दिया, उसी अज़रा को जो पाक नविश्तों का उस्ताद और उन अहकाम और हिदायात का आलिम था जो रब ने इसराईल को दी थीं। मुख़तारनामे में लिखा था, \p \v 12 “अज़ : शहनशाह अर्तख़शस्ता \p अज़रा इमाम को जो आसमान के ख़ुदा की शरीअत का आलिम है, सलाम! \v 13 मैं हुक्म देता हूँ कि अगर मेरी सलतनत में मौजूद कोई भी इसराईली आपके साथ यरूशलम जाकर वहाँ रहना चाहे तो वह जा सकता है। इसमें इमाम और लावी भी शामिल हैं, \v 14 शहनशाह और उसके सात मुशीर आपको यहूदाह और यरूशलम भेज रहे हैं ताकि आप अल्लाह की उस शरीअत की रौशनी में जो आपके हाथ में है यहूदाह और यरूशलम का हाल जाँच लें। \v 15 जो सोना-चाँदी शहनशाह और उसके मुशीरों ने अपनी ख़ुशी से यरूशलम में सुकूनत करनेवाले इसराईल के ख़ुदा के लिए क़ुरबान की है उसे अपने साथ ले जाएँ। \v 16 नीज़, जितनी भी सोना-चाँदी आपको सूबा बाबल से मिल जाएगी और जितने भी हदिये क़ौम और इमाम अपनी ख़ुशी से अपने ख़ुदा के घर के लिए जमा करें उन्हें अपने साथ ले जाएँ। \v 17 उन पैसों से बैल, मेंढे, भेड़ के बच्चे और उनकी क़ुरबानियों के लिए दरकार ग़ल्ला और मै की नज़रें ख़रीद लें, और उन्हें यरूशलम में अपने ख़ुदा के घर की क़ुरबानगाह पर क़ुरबान करें। \v 18 जो पैसे बच जाएँ उनको आप और आपके भाई वैसे ख़र्च कर सकते हैं जैसे आपको मुनासिब लगे। शर्त यह है कि आपके ख़ुदा की मरज़ी के मुताबिक़ हो। \v 19 यरूशलम में अपने ख़ुदा को वह तमाम चीज़ें पहुँचाएँ जो आपको रब के घर में ख़िदमत के लिए दी जाएँगी। \v 20 बाक़ी जो कुछ भी आपको अपने ख़ुदा के घर के लिए ख़रीदना पड़े उसके पैसे शाही ख़ज़ाना अदा करेगा। \p \v 21 मैं, अर्तख़शस्ता बादशाह दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहनेवाले तमाम ख़ज़ानचियों को हुक्म देता हूँ कि हर तरह से अज़रा इमाम की माली मदद करें। जो भी आसमान के ख़ुदा की शरीअत का यह उस्ताद माँगे वह उसे दिया जाए। \v 22 उसे 3,400 किलोग्राम चाँदी, 16,000 किलोग्राम गंदुम, 2,200 लिटर मै और 2,200 लिटर ज़ैतून का तेल तक देना। नमक उसे उतना मिले जितना वह चाहे। \v 23 ध्यान से सब कुछ मुहैया करें जो आसमान का ख़ुदा अपने घर के लिए माँगे। ऐसा न हो कि शहनशाह और उसके बेटों की सलतनत उसके ग़ज़ब का निशाना बन जाए। \v 24 नीज़, आपको इल्म हो कि आपको अल्लाह के इस घर में ख़िदमत करनेवाले किसी शख़्स से भी ख़राज या किसी क़िस्म का टैक्स लेने की इजाज़त नहीं है, ख़ाह वह इमाम, लावी, गुलूकार, रब के घर का दरबान या उसका ख़िदमतगार हो। \p \v 25 ऐ अज़रा, जो हिकमत आपके ख़ुदा ने आपको अता की है उसके मुताबिक़ मजिस्ट्रेट और क़ाज़ी मुक़र्रर करें जो आपकी क़ौम के उन लोगों का इनसाफ़ करें जो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिब में रहते हैं। जितने भी आपके ख़ुदा के अहकाम जानते हैं वह इसमें शामिल हैं। और जितने इन अहकाम से वाक़िफ़ नहीं हैं उन्हें आपको तालीम देनी है। \v 26 जो भी आपके ख़ुदा की शरीअत और शहनशाह के क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी करे उसे सख़्ती से सज़ा दी जाए। जुर्म की संजीदगी का लिहाज़ करके उसे या तो सज़ाए-मौत दी जाए या जिलावतन किया जाए, उस की मिलकियत ज़ब्त की जाए या उसे जेल में डाला जाए।” \s1 अज़रा की सताइश \p \v 27 रब हमारे बापदादा के ख़ुदा की तमजीद हो जिसने शहनशाह के दिल को यरूशलम में रब के घर को शानदार बनाने की तहरीक दी है। \v 28 उसी ने शहनशाह, उसके मुशीरों और तमाम असरो-रसूख़ रखनेवाले अफ़सरों के दिलों को मेरी तरफ़ मायल कर दिया है। चूँकि रब मेरे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ मुझ पर था इसलिए मेरा हौसला बढ़ गया, और मैंने इसराईल के ख़ानदानी सरपरस्तों को अपने साथ इसराईल वापस जाने के लिए जमा किया। \c 8 \s1 अज़रा के साथ जिलावतनी से वापस आनेवालों की फ़हरिस्त \p \v 1 दर्जे-ज़ैल उन ख़ानदानी सरपरस्तों की फ़हरिस्त है जो अर्तख़शस्ता बादशाह की हुकूमत के दौरान मेरे साथ बाबल से यरूशलम के लिए रवाना हुए। हर ख़ानदान के मर्दों की तादाद भी दर्ज है : \p \v 2-3 फ़ीनहास के ख़ानदान का जैरसोम, \p इतमर के ख़ानदान का दानियाल, \p दाऊद के ख़ानदान का हत्तूश बिन सकनियाह, \p परऊस के ख़ानदान का ज़करियाह। 150 मर्द उसके साथ नसबनामे में दर्ज थे। \p \v 4 पख़त-मोआब के ख़ानदान का इलीहूऐनी बिन ज़रख़ियाह 200 मर्दों के साथ, \p \v 5 ज़त्तू के ख़ानदान का सकनियाह बिन यहज़ियेल 300 मर्दों के साथ, \p \v 6 अदीन के ख़ानदान का अबद बिन यूनतन 50 मर्दों के साथ, \p \v 7 ऐलाम के ख़ानदान का यसायाह बिन अतलियाह 70 मर्दों के साथ, \p \v 8 सफ़तियाह के ख़ानदान का ज़बदियाह बिन मीकाएल 80 मर्दों के साथ, \p \v 9 योआब के ख़ानदान का अबदियाह बिन यहियेल 218 मर्दों के साथ, \p \v 10 बानी के ख़ानदान का सलूमीत बिन यूसिफ़ियाह 160 मर्दों के साथ, \p \v 11 बबी के ख़ानदान का ज़करियाह बिन बबी 28 मर्दों के साथ, \p \v 12 अज़जाद के ख़ानदान का यूहनान बिन हक़्क़ातान 110 मर्दों के साथ, \p \v 13 अदूनिक़ाम के ख़ानदान के आख़िरी लोग इलीफ़लत, यइयेल और समायाह 60 मर्दों के साथ, \p \v 14 बिगवई का ख़ानदान का ऊती और ज़बूद 70 मर्दों के साथ। \b \p \v 15 मैं यानी अज़रा ने मज़कूरा लोगों को उस नहर के पास जमा किया जो अहावा की तरफ़ बहती है। वहाँ हम ख़ैमे लगाकर तीन दिन ठहरे रहे। इस दौरान मुझे पता चला कि गो आम लोग और इमाम आ गए हैं लेकिन एक भी लावी हाज़िर नहीं है। \v 16 चुनाँचे मैंने इलियज़र, अरियेल, समायाह, इलनातन, यरीब, इलनातन, नातन, ज़करियाह और मसुल्लाम को अपने पास बुला लिया। यह सब ख़ानदानी सरपरस्त थे जबकि शरीअत के दो उस्ताद बनाम यूयारीब और इलनातन भी साथ थे। \v 17 मैंने उन्हें लावियों की आबादी कासिफ़ियाह के बुज़ुर्ग इद्दू के पास भेजकर वह कुछ बताया जो उन्हें इद्दू, उसके भाइयों और रब के घर के ख़िदमतगारों को बताना था ताकि वह हमारे ख़ुदा के घर के लिए ख़िदमतगार भेजें। \p \v 18 अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, इसलिए उन्होंने हमें महली बिन लावी बिन इसराईल के ख़ानदान का समझदार आदमी सरिबियाह भेज दिया। सरिबियाह अपने बेटों और भाइयों के साथ पहुँचा। कुल 18 मर्द थे। \v 19 इनके अलावा मिरारी के ख़ानदान के हसबियाह और यसायाह को भी उनके बेटों और भाइयों के साथ हमारे पास भेजा गया। कुल 20 मर्द थे। \v 20 उनके साथ रब के घर के 220 ख़िदमतगार थे। इनके तमाम नाम नसबनामे में दर्ज थे। दाऊद और उसके मुलाज़िमों ने उनके बापदादा को लावियों की ख़िदमत करने की ज़िम्मादारी दी थी। \s1 यरूशलम के लिए रवानगी की तैयारियाँ \p \v 21 वहीं अहावा की नहर के पास ही मैंने एलान किया कि हम सब रोज़ा रखकर अपने आपको अपने ख़ुदा के सामने पस्त करें और दुआ करें कि वह हमें हमारे बाल-बच्चों और सामान के साथ सलामती से यरूशलम पहुँचाए। \v 22 क्योंकि हमारे साथ फ़ौजी और घुड़सवार नहीं थे जो हमें रास्ते में डाकुओं से महफ़ूज़ रखते। बात यह थी कि मैं शहनशाह से यह माँगने से शर्म महसूस कर रहा था, क्योंकि हमने उसे बताया था, “हमारे ख़ुदा का शफ़ीक़ हाथ हर एक पर ठहरता है जो उसका तालिब रहता है। लेकिन जो भी उसे तर्क करे उस पर उसका सख़्त ग़ज़ब नाज़िल होता है।” \v 23 चुनाँचे हमने रोज़ा रखकर अपने ख़ुदा से इलतमास की कि वह हमारी हिफ़ाज़त करे, और उसने हमारी सुनी। \p \v 24 फिर मैंने इमामों के 12 राहनुमाओं को चुन लिया, नीज़ सरिबियाह, हसबियाह और मज़ीद 10 लावियों को। \v 25 उनकी मौजूदगी में मैंने सोना-चाँदी और बाक़ी तमाम सामान तोल लिया जो शहनशाह, उसके मुशीरों और अफ़सरों और वहाँ के तमाम इसराईलियों ने हमारे ख़ुदा के घर के लिए अता किया था। \p \v 26 मैंने तोलकर ज़ैल का सामान उनके हवाले कर दिया : तक़रीबन 22,000 किलोग्राम चाँदी, चाँदी का कुछ सामान जिसका कुल वज़न तक़रीबन 3,400 किलोग्राम था, 3,400 किलोग्राम सोना, \v 27 सोने के 20 प्याले जिनका कुल वज़न तक़रीबन साढ़े 8 किलोग्राम था, और पीतल के दो पालिश किए हुए प्याले जो सोने के प्यालों जैसे क़ीमती थे। \p \v 28 मैंने आदमियों से कहा, “आप और यह तमाम चीज़ें रब के लिए मख़सूस हैं। लोगों ने अपनी ख़ुशी से यह सोना-चाँदी रब आपके बापदादा के ख़ुदा के लिए क़ुरबान की है। \v 29 सब कुछ एहतियात से महफ़ूज़ रखें, और जब आप यरूशलम पहुँचेंगे तो इसे रब के घर के ख़ज़ाने तक पहुँचाकर राहनुमा इमामों, लावियों और ख़ानदानी सरपरस्तों की मौजूदगी में दुबारा तोलना।” \p \v 30 फिर इमामों और लावियों ने सोना-चाँदी और बाक़ी सामान लेकर उसे यरूशलम में हमारे ख़ुदा के घर में पहुँचाने के लिए महफ़ूज़ रखा। \s1 यरूशलम तक सफ़र \p \v 31 हम पहले महीने के 12वें दिन \f + \fr 8:31 \ft 19 अप्रैल। \f* अहावा नहर से यरूशलम के लिए रवाना हुए। अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, और उसने हमें रास्ते में दुश्मनों और डाकुओं से महफ़ूज़ रखा। \v 32 हम यरूशलम पहुँचे तो पहले तीन दिन आराम किया। \v 33 चौथे दिन हमने अपने ख़ुदा के घर में सोना-चाँदी और बाक़ी मख़सूस सामान तोलकर इमाम मरीमोत बिन ऊरियाह के हवाले कर दिया। उस वक़्त इलियज़र बिन फ़ीनहास और दो लावी बनाम यूज़बद बिन यशुअ और नौअदियाह बिन बिन्नूई उसके साथ थे। \v 34 हर चीज़ गिनी और तोली गई, फिर उसका पूरा वज़न फ़हरिस्त में दर्ज किया गया। \p \v 35 इसके बाद जिलावतनी से वापस आए हुए तमाम लोगों ने इसराईल के ख़ुदा को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश कीं। इस नाते से उन्होंने पूरे इसराईल के लिए 12 बैल, 96 मेंढे, भेड़ के 77 बच्चे और गुनाह की क़ुरबानी के 12 बकरे क़ुरबान किए। \p \v 36 मुसाफ़िरों ने दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नरों और हाकिमों को शहनशाह की हिदायात पहुँचाईं। इनको पढ़कर उन्होंने इसराईली क़ौम और अल्लाह के घर की हिमायत की। \c 9 \s1 ग़ैरयहूदी बीवियों पर अफ़सोस \p \v 1-2 कुछ देर बाद क़ौम के राहनुमा मेरे पास आए और कहने लगे, “क़ौम के आम लोगों, इमामों और लावियों ने अपने आपको मुल्क की दीगर क़ौमों से अलग नहीं रखा, गो यह घिनौने रस्मो-रिवाज के पैरोकार हैं। उनकी औरतों से शादी करके उन्होंने अपने बेटों की भी शादी उनकी बेटियों से कराई है। यों अल्लाह की मुक़द्दस क़ौम कनानियों, हित्तियों, फ़रिज़्ज़ियों, यबूसियों, अम्मोनियों, मोआबियों, मिसरियों और अमोरियों से आलूदा हो गई है। और बुज़ुर्गों और अफ़सरों ने इस बेवफ़ाई में पहल की है!” \p \v 3 यह सुनकर मैंने रंजीदा होकर अपने कपड़ों को फाड़ लिया और सर और दाढ़ी के बाल नोच नोचकर नंगे फ़र्श पर बैठ गया। \v 4 वहाँ मैं शाम की क़ुरबानी तक बेहिसो-हरकत बैठा रहा। इतने में बहुत-से लोग मेरे इर्दगिर्द जमा हो गए। वह जिलावतनी से वापस आए हुए लोगों की बेवफ़ाई के बाइस थरथरा रहे थे, क्योंकि वह इसराईल के ख़ुदा के जवाब से निहायत ख़ौफ़ज़दा थे। \v 5 शाम की क़ुरबानी के वक़्त मैं वहाँ से उठ खड़ा हुआ जहाँ मैं तौबा की हालत में बैठा हुआ था। वही फटे हुए कपड़े पहने हुए मैं घुटने टेककर झुक गया और अपने हाथों को आसमान की तरफ़ उठाए हुए रब अपने ख़ुदा से दुआ करने लगा, \p \v 6 “ऐ मेरे ख़ुदा, मैं निहायत शरमिंदा हूँ। अपना मुँह तेरी तरफ़ उठाने की मुझमें जुर्रत नहीं रही। क्योंकि हमारे गुनाहों का इतना बड़ा ढेर लग गया है कि वह हमसे ऊँचा है, बल्कि हमारा क़ुसूर आसमान तक पहुँच गया है। \v 7 हमारे बापदादा के ज़माने से लेकर आज तक हमारा क़ुसूर संजीदा रहा है। इसी वजह से हम बार बार परदेसी हुक्मरानों के क़ब्ज़े में आए हैं जिन्होंने हमें और हमारे बादशाहों और इमामों को क़त्ल किया, गिरिफ़्तार किया, लूट लिया और हमारी बेहुरमती की। बल्कि आज तक हमारी हालत यही रही है। \p \v 8 लेकिन इस वक़्त रब हमारे ख़ुदा ने थोड़ी देर के लिए हम पर मेहरबानी की है। हमारी क़ौम के बचे-खुचे हिस्से को उसने रिहाई देकर अपने मुक़द्दस मक़ाम पर महफ़ूज़ रखा है। यों हमारे ख़ुदा ने हमारी आँखों में दुबारा चमक पैदा की और हमें कुछ सुकून मुहैया किया है, गो हम अब तक ग़ुलामी में हैं। \v 9 बेशक हम ग़ुलाम हैं, तो भी अल्लाह ने हमें तर्क नहीं किया बल्कि फ़ारस के बादशाह को हम पर मेहरबानी करने की तहरीक दी है। उसने हमें अज़ सरे-नौ ज़िंदगी अता की है ताकि हम अपने ख़ुदा का घर दुबारा तामीर और उसके खंडरात बहाल कर सकें। अल्लाह ने हमें यहूदाह और यरूशलम में एक महफ़ूज़ चारदीवारी से घेर रखा है। \p \v 10 लेकिन ऐ हमारे ख़ुदा, अब हम क्या कहें? अपनी इन हरकतों के बाद हम क्या जवाब दें? हमने तेरे उन अहकाम को नज़रंदाज़ किया है \v 11 जो तूने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त दिए थे। \p तूने फ़रमाया, ‘जिस मुल्क में तुम दाख़िल हो रहे हो ताकि उस पर क़ब्ज़ा करो वह उसमें रहनेवाली क़ौमों के घिनौने रस्मो-रिवाज के सबब से नापाक है। मुल्क एक सिरे से दूसरे सिरे तक उनकी नापाकी से भर गया है। \v 12 लिहाज़ा अपनी बेटियों की उनके बेटों के साथ शादी मत करवाना, न अपने बेटों का उनकी बेटियों के साथ रिश्ता बाँधना। कुछ न करो जिससे उनकी सलामती और कामयाबी बढ़ती जाए। तब ही तुम ताक़तवर होकर मुल्क की अच्छी पैदावार खाओगे, और तुम्हारी औलाद हमेशा तक मुल्क की अच्छी चीज़ें विरासत में पाती रहेगी।’ \p \v 13 अब हम अपनी शरीर हरकतों और बड़े क़ुसूर की सज़ा भुगत रहे हैं, गो ऐ अल्लाह, तूने हमें इतनी सख़्त सज़ा नहीं दी जितनी हमें मिलनी चाहिए थी। तूने हमारा यह बचा-खुचा हिस्सा ज़िंदा छोड़ा है। \v 14 तो क्या यह ठीक है कि हम तेरे अहकाम की ख़िलाफ़वरज़ी करके ऐसी क़ौमों से रिश्ता बाँधें जो इस क़िस्म की घिनौनी हरकतें करती हैं? हरगिज़ नहीं! क्या इसका यह नतीजा नहीं निकलेगा कि तेरा ग़ज़ब हम पर नाज़िल होकर सब कुछ तबाह कर देगा और यह बचा-खुचा हिस्सा भी ख़त्म हो जाएगा? \v 15 ऐ रब इसराईल के ख़ुदा, तू ही आदिल है। आज हम बचे हुए हिस्से की हैसियत से तेरे हुज़ूर खड़े हैं। हम क़ुसूरवार हैं और तेरे सामने क़ायम नहीं रह सकते।” \c 10 \s1 बुतपरस्त बीवियों को तलाक़ \p \v 1 जब अज़रा इस तरह दुआ कर रहा और अल्लाह के घर के सामने पड़े हुए और रोते हुए क़ौम के क़ुसूर का इक़रार कर रहा था तो उसके इर्दगिर्द इसराईली मर्दों, औरतों और बच्चों का बड़ा हुजूम जमा हो गया। वह भी फूट फूटकर रोने लगे। \p \v 2 फिर ऐलाम के ख़ानदान के सकनियाह बिन यहियेल ने अज़रा से कहा, \p “वाक़ई हमने पड़ोसी क़ौमों की औरतों से शादी करके अपने ख़ुदा से बेवफ़ाई की है। तो भी अब तक इसराईल के लिए उम्मीद की किरण बाक़ी है। \v 3 आएँ, हम अपने ख़ुदा से अहद बाँधकर वादा करें कि हम उन तमाम औरतों को उनके बच्चों समेत वापस भेज देंगे। जो भी मशवरा आप और अल्लाह के अहकाम का ख़ौफ़ माननेवाले दीगर लोग हमें देंगे वह हम करेंगे। सब कुछ शरीअत के मुताबिक़ किया जाए। \v 4 अब उठें! क्योंकि यह मामला दुरुस्त करना आप ही का फ़र्ज़ है। हम आपके साथ हैं, इसलिए हौसला रखें और वह कुछ करें जो ज़रूरी है।” \p \v 5 तब अज़रा उठा और राहनुमा इमामों, लावियों और तमाम क़ौम को क़सम खिलाई कि हम सकनियाह के मशवरे पर अमल करेंगे। \v 6 फिर अज़रा अल्लाह के घर के सामने से चला गया और यूहनान बिन इलियासिब के कमरे में दाख़िल हुआ। वहाँ उसने पूरी रात कुछ खाए पिए बग़ैर गुज़ारी। अब तक वह जिलावतनी से वापस आए हुए लोगों की बेवफ़ाई पर मातम कर रहा था। \p \v 7-8 सरकारी अफ़सरों और बुज़ुर्गों ने फ़ैसला किया कि यरूशलम और पूरे यहूदाह में एलान किया जाए, “लाज़िम है कि जितने भी इसराईली जिलावतनी से वापस आए हैं वह सब तीन दिन के अंदर अंदर यरूशलम में जमा हो जाएँ। जो भी इस दौरान हाज़िर न हो उसे जिलावतनों की जमात से ख़ारिज कर दिया जाएगा और उस की तमाम मिलकियत ज़ब्त हो जाएगी।” \v 9 तब यहूदाह और बिनयमीन के क़बीलों के तमाम आदमी तीन दिन के अंदर अंदर यरूशलम पहुँचे। नवें महीने के बीसवें दिन \f + \fr 10:9 \ft 19 सितंबर। \f* सब लोग अल्लाह के घर के सहन में जमा हुए। सब मामले की संजीदगी और मौसम के सबब से काँप रहे थे, क्योंकि बारिश हो रही थी। \p \v 10 अज़रा इमाम खड़े होकर कहने लगा, “आप अल्लाह से बेवफ़ा हो गए हैं। ग़ैरयहूदी औरतों से रिश्ता बाँधने से आपने इसराईल के क़ुसूर में इज़ाफ़ा कर दिया है। \v 11 अब रब अपने बापदादा के ख़ुदा के हुज़ूर अपने गुनाहों का इक़रार करके उस की मरज़ी पूरी करें। पड़ोसी क़ौमों और अपनी परदेसी बीवियों से अलग हो जाएँ।” \p \v 12 पूरी जमात ने बुलंद आवाज़ से जवाब दिया, “आप ठीक कहते हैं! लाज़िम है कि हम आपकी हिदायत पर अमल करें। \v 13 लेकिन यह कोई ऐसा मामला नहीं है जो एक या दो दिन में दुरुस्त किया जा सके। क्योंकि हम बहुत लोग हैं और हमसे संजीदा गुनाह सरज़द हुआ है। नीज़, इस वक़्त बरसात का मौसम है, और हम ज़्यादा देर तक बाहर नहीं ठहर सकते। \v 14 बेहतर है कि हमारे बुज़ुर्ग पूरी जमात की नुमाइंदगी करें। फिर जितने भी आदमियों की ग़ैरयहूदी बीवियाँ हैं वह एक मुक़र्ररा दिन मक़ामी बुज़ुर्गों और क़ाज़ियों को साथ लेकर यहाँ आएँ और मामला दुरुस्त करें। और लाज़िम है कि यह सिलसिला उस वक़्त तक जारी रहे जब तक रब का ग़ज़ब ठंडा न हो जाए।” \p \v 15 तमाम लोग मुत्तफ़िक़ हुए, सिर्फ़ यूनतन बिन असाहेल और यहज़ियाह बिन तिक़वा ने फ़ैसले की मुख़ालफ़त की जबकि मसुल्लाम और सब्बती लावी उनके हक़ में थे। \v 16-17 तो भी इसराईलियों ने मनसूबे पर अमल किया। अज़रा इमाम ने चंद एक ख़ानदानी सरपरस्तों के नाम लेकर उन्हें यह ज़िम्मादारी दी कि जहाँ भी किसी यहूदी मर्द की ग़ैरयहूदी औरत से शादी हुई है वहाँ वह पूरे मामले की तहक़ीक़ करें। उनका काम दसवें महीने के पहले दिन \f + \fr 10:16-17 \ft 29 दिसंबर। \f* शुरू हुआ और पहले महीने के पहले दिन \f + \fr 10:16-17 \ft 27 मार्च। \f* तकमील तक पहुँचा। \p \v 18-19 दर्जे-ज़ैल उन आदमियों की फ़हरिस्त है जिन्होंने ग़ैरयहूदी औरतों से शादी की थी। उन्होंने क़सम खाकर वादा किया कि हम अपनी बीवियों से अलग हो जाएंगे। साथ साथ हर एक ने क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर मेंढा क़ुरबान किया। \p इमामों में से क़ुसूरवार : \p यशुअ बिन यूसदक़ और उसके भाई मासियाह, इलियज़र, यरीब और जिदलियाह, \p \v 20 इम्मेर के ख़ानदान का हनानी और ज़बदियाह, \p \v 21 हारिम के ख़ानदान का मासियाह, इलियास, समायाह, यहियेल और उज़्ज़ियाह, \p \v 22 फ़शहूर के ख़ानदान का इलियूऐनी, मासियाह, इसमाईल, नतनियेल, यूज़बद और इलियासा। \p \v 23 लावियों में से क़ुसूरवार : \p यूज़बद, सिमई, क़िलायाह यानी क़लीता, फ़तहियाह, यहूदाह और इलियज़र। \p \v 24 गुलूकारों में से क़ुसूरवार : \p इलियासिब। \p रब के घर के दरबानों में से क़ुसूरवार : \p सल्लूम, तलम और ऊरी। \p \v 25 बाक़ी क़ुसूरवार इसराईली : \p परऊस के ख़ानदान का रमियाह, यज़्ज़ियाह, मलकियाह, मियामीन, इलियज़र, मलकियाह और बिनायाह। \p \v 26 ऐलाम के ख़ानदान का मत्तनियाह, ज़करियाह, यहियेल, अबदी, यरीमोत और इलियास, \p \v 27 ज़त्तू के ख़ानदान का इलियूऐनी, इलियासिब, मत्तनियाह, यरीमोत, ज़बद और अज़ीज़ा। \p \v 28 बबी के ख़ानदान का यूहनान, हननियाह, ज़ब्बी और अतली। \p \v 29 बानी के ख़ानदान का मसुल्लाम, मल्लूक, अदायाह, यसूब, सियाल और यरीमोत। \p \v 30 पख़त-मोआब के ख़ानदान का अदना, किलाल, बिनायाह, मासियाह, मत्तनियाह, बज़लियेल, बिन्नूई और मनस्सी। \p \v 31 हारिम के ख़ानदान का इलियज़र, यिस्सियाह, मलकियाह, समायाह, शमौन, \v 32 बिनयमीन, मल्लूक और समरियाह। \p \v 33 हाशूम के ख़ानदान का मत्तनी, मत्तत्ताह, ज़बद, इलीफ़लत, यरेमी, मनस्सी और सिमई। \p \v 34 बानी के ख़ानदान का मादी, अमराम, ऊएल, \v 35 बिनायाह, बदियाह, कलूही, \v 36 वनियाह, मरीमोत, इलियासिब, \v 37 मत्तनियाह, मत्तनी और यासी। \p \v 38 बिन्नूई के ख़ानदान का सिमई, \v 39 सलमियाह, नातन, अदायाह, \v 40 मक्नदबी, सासी, सारी, \v 41 अज़रेल, सलमियाह, समरियाह, \v 42 सल्लूम, अमरियाह और यूसुफ़। \p \v 43 नबू के ख़ानदान का यइयेल, मत्तितियाह, ज़बद, ज़बीना, यद्दी, योएल और बिनायाह। \p \v 44 इन तमाम आदमियों की ग़ैरयहूदी औरतों से शादी हुई थी, और उनके हाँ बच्चे पैदा हुए थे।