\id 1CH उर्दू जियो वर्झ़न \ide UTF-8 \h 1 तवारीख़ \toc1 1 तवारीख़ \toc2 1 तवारीख़ \toc3 1 तवा \mt1 1 तवारीख़ \c 1 \s1 आदम से इब्राहीम तक का नसबनामा \p \v 1 नूह तक आदम की औलाद सेत, अनूस, \v 2 क़ीनान, महललेल, यारिद, \v 3 हनूक, मतूसिलह, लमक, \v 4 और नूह थी। \p नूह के तीन बेटे सिम, हाम और याफ़त थे। \p \v 5 याफ़त के बेटे जुमर, माजूज, मादी, यावान, तूबल, मसक और तीरास थे। \v 6 जुमर के बेटे अश्कनाज़, रीफ़त और तुजरमा थे। \v 7 यावान के बेटे इलीसा और तरसीस थे। कित्ती और रोदानी भी उस की औलाद हैं। \p \v 8 हाम के बेटे कूश, मिसर, फ़ूत और कनान थे। \v 9 कूश के बेटे सिबा, हवीला, सबता, रामा और सब्तका थे। रामा के बेटे सबा और ददान थे। \v 10 नमरूद भी कूश का बेटा था। वह ज़मीन पर पहला सूरमा था। \v 11 मिसर ज़ैल की क़ौमों का बाप था : लूदी, अनामी, लिहाबी, नफ़तूही, \v 12 फ़तरूसी, कसलूही (जिनसे फ़िलिस्ती निकले) और कफ़तूरी। \v 13 कनान का पहलौठा सैदा था। कनान इन क़ौमों का बाप भी था : हित्ती \v 14 यबूसी, अमोरी, जिरजासी, \v 15 हिव्वी, अरक़ी, सीनी, \v 16 अरवादी, समारी और हमाती। \p \v 17 सिम के बेटे ऐलाम, असूर, अरफ़क्सद, लूद और अराम थे। अराम के बेटे ऊज़, हूल, जतर और मसक थे। \v 18 अरफ़क्सद का बेटा सिलह और सिलह का बेटा इबर था। \v 19 इबर के दो बेटे पैदा हुए। एक का नाम फ़लज यानी तक़सीम था, क्योंकि उन ऐयाम में दुनिया तक़सीम हुई। फ़लज के भाई का नाम युक़तान था। \v 20 युक़तान के बेटे अलमूदाद, सलफ़, हसरमावत, इराख़, \v 21 हदूराम, ऊज़ाल, दिक़ला, \v 22 ऊबाल, अबीमाएल, सबा, \v 23 ओफ़ीर, हवीला और यूबाब थे। यह सब उसके बेटे थे। \p \v 24 सिम का यह नसबनामा है : सिम, अरफ़क्सद, सिलह, \v 25 इबर, फ़लज, रऊ, \v 26 सरूज, नहूर, तारह \v 27 और अब्राम यानी इब्राहीम। \s1 इब्राहीम का नसबनामा \p \v 28 इब्राहीम के बेटे इसहाक़ और इसमाईल थे। \v 29 उनकी दर्जे-ज़ैल औलाद थी : \p इसमाईल का पहलौठा नबायोत था। उसके बाक़ी बेटे क़ीदार, अदबियेल, मिबसाम, \v 30 मिशमा, दूमा, मस्सा, हदद, तैमा, \v 31 यतूर, नफ़ीस और क़िदमा थे। सब इसमाईल के हाँ पैदा हुए। \p \v 32 इब्राहीम की दाश्ता क़तूरा के बेटे ज़िमरान, युक़सान, मिदान, मिदियान, इसबाक़ और सूख़ थे। युक़सान के दो बेटे सबा और ददान पैदा हुए \v 33 जबकि मिदियान के बेटे ऐफ़ा, इफ़र, हनूक, अबीदा और इल्दआ थे। सब क़तूरा की औलाद थे। \p \v 34 इब्राहीम के बेटे इसहाक़ के दो बेटे पैदा हुए, एसौ और इसराईल। \v 35 एसौ के बेटे इलीफ़ज़, रऊएल, यऊस, यालाम और क़ोरह थे। \v 36 इलीफ़ज़ के बेटे तेमान, ओमर, सफ़ी, जाताम, क़नज़ और अमालीक़ थे। अमालीक़ की माँ तिमना थी। \v 37 रऊएल के बेटे नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा थे। \s1 सईर यानी अदोम का नसबनामा \p \v 38 सईर के बेटे लोतान, सोबल, सिबोन, अना, दीसोन, एसर और दीसान थे। \v 39 लोतान के दो बेटे होरी और होमाम थे। (तिमना लोतान की बहन थी।) \v 40 सोबल के बेटे अलियान, मानहत, ऐबाल, सफ़ी और ओनाम थे। सिबोन के बेटे ऐयाह और अना थे। \v 41 अना के एक बेटा दीसोन पैदा हुआ। दीसोन के चार बेटे हमरान, इशबान, यितरान और किरान थे। \v 42 एसर के तीन बेटे बिलहान, ज़ावान और अक़ान थे। दीसान के दो बेटे ऊज़ और अरान थे। \s1 अदोम के बादशाह \p \v 43 इससे पहले कि इसराईलियों का कोई बादशाह था ज़ैल के बादशाह यके बाद दीगरे मुल्के-अदोम में हुकूमत करते थे : \p बाला बिन बओर जो दिनहाबा शहर का था। \p \v 44 उस की मौत पर यूबाब बिन ज़ारह जो बुसरा शहर का था। \p \v 45 उस की मौत पर हुशाम जो तेमानियों के मुल्क का था। \p \v 46 उस की मौत पर हदद बिन बिदद जिसने मुल्के-मोआब में मिदियानियों को शिकस्त दी। वह अवीत शहर का था। \p \v 47 उस की मौत पर समला जो मसरिक़ा शहर का था। \p \v 48 उस की मौत पर साऊल जो दरियाए-फ़ुरात पर रहोबोत शहर का था। \p \v 49 उस की मौत पर बाल-हनान बिन अकबोर। \p \v 50 उस की मौत पर हदद जो फ़ाऊ शहर का था। (बीवी का नाम महेतबेल बिंत मतरिद बिंत मेज़ाहाब था।) \v 51 फिर हदद मर गया। \p अदोमी क़बीलों के सरदार तिमना, अलिया, यतेत, \v 52 उहलीबामा, ऐला, फ़ीनोन, \v 53 क़नज़, तेमान, मिबसार, \v 54 मज्दियेल और इराम थे। यही अदोम के सरदार थे। \c 2 \s1 याक़ूब यानी इसराईल के बेटे \p \v 1 इसराईल के बारह बेटे रूबिन, शमौन, लावी, यहूदाह, इशकार, ज़बूलून, \v 2 दान, यूसुफ़, बिनयमीन, नफ़ताली, जद और आशर थे। \s1 यहूदाह का नसबनामा \p \v 3 यहूदाह की शादी कनानी औरत से हुई जो सुअ की बेटी थी। उनके तीन बेटे एर, ओनान और सेला पैदा हुए। यहूदाह का पहलौठा एर रब के नज़दीक शरीर था, इसलिए उसने उसे मरने दिया। \v 4 यहूदाह के मज़ीद दो बेटे उस की बहू तमर से पैदा हुए। उनके नाम फ़ारस और ज़ारह थे। यों यहूदाह के कुल पाँच बेटे थे। \p \v 5 फ़ारस के दो बेटे हसरोन और हमूल थे। \p \v 6 ज़ारह के पाँच बेटे ज़िमरी, ऐतान, हैमान, कलकूल और दारा थे। \v 7 करमी बिन ज़िमरी का बेटा वही अकर यानी अकन था जिसने उस लूटे हुए माल में से कुछ लिया जो रब के लिए मख़सूस था। \v 8 ऐतान के बेटे का नाम अज़रियाह था। \p \v 9 हसरोन के तीन बेटे यरहमियेल, राम और कलूबी यानी कालिब थे। \s1 राम की औलाद \p \v 10 राम के हाँ अम्मीनदाब और अम्मीनदाब के हाँ यहूदाह के क़बीले का सरदार नहसोन पैदा हुआ। \v 11 नहसोन सलमोन का और सलमोन बोअज़ का बाप था। \v 12 बोअज़ ओबेद का और ओबेद यस्सी का बाप था। \v 13 बड़े से लेकर छोटे तक यस्सी के बेटे इलियाब, अबीनदाब, सिमआ, \v 14 नतनियेल, रद्दी, \v 15 ओज़म और दाऊद थे। कुल सात भाई थे। \v 16 उनकी दो बहनें ज़रूयाह और अबीजेल थीं। ज़रूयाह के तीन बेटे अबीशै, योआब और असाहेल थे। \v 17 अबीजेल के एक बेटा अमासा पैदा हुआ। बाप यतर इसमाईली था। \s1 कालिब की औलाद \p \v 18 कालिब बिन हसरोन की बीवी अज़ूबा के हाँ बेटी बनाम यरीओत पैदा हुई। यरीओत के बेटे यशर, सोबाब और अरदून थे। \v 19 अज़ूबा के वफ़ात पाने पर कालिब ने इफ़रात से शादी की। उनके बेटा हूर पैदा हुआ। \v 20 हूर ऊरी का और ऊरी बज़लियेल का बाप था। \p \v 21 60 साल की उम्र में कालिब के बाप हसरोन ने दुबारा शादी की। बीवी जिलियाद के बाप मकीर की बेटी थी। इस रिश्ते से बेटा सजूब पैदा हुआ। \v 22-23 सजूब का बेटा वह याईर था जिसकी जिलियाद के इलाक़े में 23 बस्तियाँ बनाम ‘याईर की बस्तियाँ’ थीं। लेकिन बाद में जसूर और शाम के फ़ौजियों ने उन पर क़ब्ज़ा कर लिया। उस वक़्त उन्हें क़नात भी गिर्दो-नवाह के इलाक़े समेत हासिल हुआ। उन दिनों में कुल 60 आबादियाँ उनके हाथ में आ गईं। इनके तमाम बाशिंदे जिलियाद के बाप मकीर की औलाद थे। \v 24 हसरोन जिसकी बीवी अबियाह थी फ़ौत हुआ तो कालिब और इफ़राता के हाँ बेटा अशहूर पैदा हुआ। बाद में अशहूर तक़ुअ शहर का बानी बन गया। \s1 यरहमियेल की औलाद \p \v 25 हसरोन के पहलौठे यरहमियेल के बेटे बड़े से लेकर छोटे तक राम, बूना, ओरन, ओज़म और अख़ियाह थे। \v 26 यरहमियेल की दूसरी बीवी अतारा का एक बेटा ओनाम था। \p \v 27 यरहमियेल के पहलौठे राम के बेटे माज़, यमीन और एक़र थे। \v 28 ओनाम के दो बेटे सम्मी और यदा थे। सम्मी के दो बेटे नदब और अबीसूर थे। \v 29 अबीसूर की बीवी अबीख़ैल के दो बेटे अख़बान और मोलिद पैदा हुए। \v 30 नदब के दो बेटे सिलद और अफ़्फ़ायम थे। सिलद बेऔलाद मर गया, \v 31 लेकिन अफ़्फ़ायम के हाँ बेटा यिसई पैदा हुआ। यिसई सीसान का और सीसान अख़ली का बाप था। \v 32 सम्मी के भाई यदा के दो बेटे यतर और यूनतन थे। यतर बेऔलाद मर गया, \v 33 लेकिन यूनतन के दो बेटे फ़लत और ज़ाज़ा पैदा हुए। सब यरहमियेल की औलाद थे। \v 34-35 सीसान के बेटे नहीं थे बल्कि बेटियाँ। एक बेटी की शादी उसने अपने मिसरी ग़ुलाम यरख़ा से करवाई। उनके बेटा अत्ती पैदा हुआ। \v 36 अत्ती के हाँ नातन पैदा हुआ और नातन के ज़बद, \v 37 ज़बद के इफ़लाल, इफ़लाल के ओबेद, \v 38 ओबेद के याहू, याहू के अज़रियाह, \v 39 अज़रियाह के ख़लिस, ख़लिस के इलियासा, \v 40 इलियासा के सिसमी, सिसमी के सल्लूम, \v 41 सल्लूम के यक़मियाह और यक़मियाह के इलीसमा। \s1 कालिब की औलाद का एक और नसबनामा \p \v 42 ज़ैल में यरहमियेल के भाई कालिब की औलाद है : उसका पहलौठा मेसा ज़ीफ़ का बाप था और दूसरा बेटा मरेसा हबरून का बाप। \v 43 हबरून के चार बेटे क़ोरह, तफ़्फ़ुअह, रक़म और समा थे। \v 44 समा के बेटे रख़म के हाँ युरक़ियाम पैदा हुआ। रक़म सम्मी का बाप था, \v 45 सम्मी मऊन का और मऊन बैत-सूर का। \p \v 46 कालिब की दाश्ता ऐफ़ा के बेटे हारान, मौज़ा और जाज़िज़ पैदा हुए। हारान के बेटे का नाम जाज़िज़ था। \v 47 यहदी के बेटे रजम, यूताम, जेसान, फ़लत, ऐफ़ा और शाफ़ थे। \p \v 48 कालिब की दूसरी दाश्ता माका के बेटे शिबर, तिर्हना, \v 49 शाफ़ (मदमन्ना का बाप) और सिवा (मकबेना और जिबिया का बाप) पैदा हुए। कालिब की एक बेटी भी थी जिसका नाम अकसा था। \v 50 सब कालिब की औलाद थे। \p इफ़राता के पहलौठे हूर के बेटे क़िरियत-यारीम का बाप सोबल, \v 51 बैत-लहम का बाप सलमा और बैत-जादिर का बाप ख़ारिफ़ थे। \v 52 क़िरियत-यारीम के बाप सोबल से यह घराने निकले : हराई, मानहत का आधा हिस्सा \v 53 और क़िरियत-यारीम के ख़ानदान उत्तरी, फ़ूती, सुमाती और मिसराई। इनसे सुरआती और इस्ताली निकले हैं। \p \v 54 सलमा से ज़ैल के घराने निकले : बैत-लहम के बाशिंदे, नतूफ़ाती, अतरात-बैत-योआब, मानहत का आधा हिस्सा, सुरई \v 55 और याबीज़ में आबाद मुन्शियों के ख़ानदान तिरआती, सिमआती और सूकाती। यह सब क़ीनी थे जो रैकाबियों के बाप हम्मत से निकले थे। \c 3 \s1 दाऊद बादशाह की औलाद \p \v 1 हबरून में दाऊद बादशाह के दर्जे-ज़ैल बेटे पैदा हुए : \p पहलौठा अमनोन था जिसकी माँ अख़ीनुअम यज़्रएली थी। दूसरा दानियाल था जिसकी माँ अबीजेल करमिली थी। \v 2 तीसरा अबीसलूम था। उस की माँ माका थी जो जसूर के बादशाह तलमी की बेटी थी। चौथा अदूनियाह था जिसकी माँ हज्जीत थी। \v 3 पाँचवाँ सफ़तियाह था जिसकी माँ अबीताल थी। छटा इतरियाम था जिसकी माँ इजला थी। \v 4 दाऊद के यह छः बेटे उन साढ़े सात सालों के दौरान पैदा हुए जब हबरून उसका दारुल-हुकूमत था। \p इसके बाद वह यरूशलम में मुंतक़िल हुआ और वहाँ मज़ीद 33 साल हुकूमत करता रहा। \v 5 उस दौरान उस की बीवी बत-सबा बिंत अम्मियेल के चार बेटे सिमआ, सोबाब, नातन और सुलेमान पैदा हुए। \v 6 मज़ीद बेटे भी पैदा हुए, इबहार, इलीसुअ, इलीफ़लत, \v 7 नौजा, नफ़ज, यफ़ीअ, \v 8 इलीसमा, इलियदा और इलीफ़लत। कुल नौ बेटे थे। \v 9 तमर उनकी बहन थी। इनके अलावा दाऊद की दाश्ताओं के बेटे भी थे। \p \v 10 सुलेमान के हाँ रहुबियाम पैदा हुआ, रहुबियाम के अबियाह, अबियाह के आसा, आसा के यहूसफ़त, \v 11 यहूसफ़त के यहूराम, यहूराम के अख़ज़ियाह, अख़ज़ियाह के युआस, \v 12 युआस के अमसियाह, अमसियाह के अज़रियाह यानी उज़्ज़ियाह, उज़्ज़ियाह के यूताम, \v 13 यूताम के आख़ज़, आख़ज़ के हिज़क़ियाह, हिज़क़ियाह के मनस्सी, \v 14 मनस्सी के अमून और अमून के यूसियाह। \p \v 15 यूसियाह के चार बेटे बड़े से लेकर छोटे तक यूहनान, यहूयक़ीम, सिदक़ियाह और सल्लूम थे। \p \v 16 यहूयक़ीम यहूयाकीन \f + \fr 3:16 \ft इबरानी में यहूयाकीन का मुतरादिफ़ यकूनियाह मुस्तामल है। \f* का और यहूयाकीन सिदक़ियाह का बाप था। \v 17 यहूयाकीन \f + \fr 3:17 \ft इबरानी में यहूयाकीन का मुतरादिफ़ यकूनियाह मुस्तामल है। \f* को बाबल में जिलावतन कर दिया गया। उसके सात बेटे सियालतियेल, \v 18 मलकिराम, फ़िदायाह, शेनाज़्ज़र, यक़मियाह, हूसमा और नदबियाह थे। \v 19 फ़िदायाह के दो बेटे ज़रुब्बाबल और सिमई थे। \p ज़रुब्बाबल के दो बेटे मसुल्लाम और हननियाह थे। एक बेटी बनाम सलूमीत भी पैदा हुई। \v 20 बाक़ी पाँच बेटों के नाम हसूबा, ओहल, बरकियाह, हसदियाह और यूसब-हसद थे। \p \v 21 हननियाह के दो बेटे फ़लतियाह और यसायाह थे। यसायाह रिफ़ायाह का बाप था, रिफ़ायाह अरनान का, अरनान अबदियाह का और अबदियाह सकनियाह का। \p \v 22 सकनियाह के बेटे का नाम समायाह था। समायाह के छः बेटे हत्तूश, इजाल, बरीह, नअरियाह और साफ़त थे। \v 23 नअरियाह के तीन बेटे इलियूऐनी, हिज़क़ियाह और अज़रीक़ाम पैदा हुए। \p \v 24 इलियूऐनी के सात बेटे हूदावियाह, इलियासिब, फ़िलायाह, अक़्क़ूब, यूहनान, दिलायाह और अनानी थे। \c 4 \s1 यहूदाह की औलाद \p \v 1 फ़ारस, हसरोन, करमी, हूर और सोबल यहूदाह की औलाद थे। \p \v 2 रियायाह बिन सोबल के हाँ यहत, यहत के अख़ूमी और अख़ूमी के लाहद पैदा हुआ। यह सुरआती ख़ानदानों के बापदादा थे। \p \v 3 ऐताम के तीन बेटे यज़्रएल, इसमा और इदबास थे। उनकी बहन का नाम हज़लिलफ़ोनी था। \p \v 4 इफ़राता का पहलौठा हूर बैत-लहम का बाप था। उसके दो बेटे जदूर का बाप फ़नुएल और हूसा का बाप अज़र थे। \p \v 5 तक़ुअ के बाप अशहूर की दो बीवियाँ हीलाह और नारा थीं। \p \v 6 नारा के बेटे अख़ूज़्ज़ाम, हिफ़र, तेमनी और हख़सतरी थे। \p \v 7 हीलाह के बेटे ज़रत, सुहर और इतनान थे। \p \v 8 कूज़ के बेटे अनूब और हज़्ज़ोबीबा थे। उससे अख़रख़ैल बिन हरूम के ख़ानदान भी निकले। \p \v 9 याबीज़ की अपने भाइयों की निसबत ज़्यादा इज़्ज़त थी। उस की माँ ने उसका नाम याबीज़ यानी ‘वह तकलीफ़ देता है’ रखा, क्योंकि उसने कहा, “पैदा होते वक़्त मुझे बड़ी तकलीफ़ हुई।” \v 10 याबीज़ ने बुलंद आवाज़ से इसराईल के ख़ुदा से इलतमास की, “काश तू मुझे बरकत देकर मेरा इलाक़ा वसी कर दे। तेरा हाथ मेरे साथ हो, और मुझे नुक़सान से बचा ताकि मुझे तकलीफ़ न पहुँचे।” और अल्लाह ने उस की सुनी। \p \v 11 सूख़ा के भाई कलूब महीर का और महीर इस्तून का बाप था। \p \v 12 इस्तून के बेटे बैत-रफ़ा, फ़ासह और तख़िन्ना थे। \p तख़िन्ना नाहस शहर का बाप था जिसकी औलाद रैका में आबाद है। \v 13 क़नज़ के बेटे ग़ुतनियेल और सिरायाह थे। ग़ुतनियेल के बेटों के नाम हतत और मऊनाती थे। \p \v 14 मऊनाती उफ़रा का बाप था। \p सिरायाह योआब का बाप था जो ‘वादीए-कारीगर’ का बानी था। आबादी का यह नाम इसलिए पड़ गया कि उसके बाशिंदे कारीगर थे। \p \v 15 कालिब बिन यफ़ुन्ना के बेटे ईरू, ऐला और नाम थे। ऐला का बेटा क़नज़ था। \p \v 16 यहल्ललेल के चार बेटे ज़ीफ़, ज़ीफ़ा, तीरियाह और असरेल थे। \p \v 17-18 अज़रा के चार बेटे यतर, मरद, इफ़र और यलून थे। मरद की शादी मिसरी बादशाह फ़िरौन की बेटी बितियाह से हुई। उसके तीन बच्चे मरियम, सम्मी और इसबाह पैदा हुए। इसबाह इस्तिमुअ का बाप था। मरद की दूसरी बीवी यहूदाह की थी, और उसके तीन बेटे जदूर का बाप यरद, सोका का बाप हिबर और ज़नूह का बाप यक़ूतियेल थे। \p \v 19 हूदियाह की बीवी नहम की बहन थी। उसका एक बेटा क़ईला जरमी का बाप और दूसरा इस्तिमुअ माकाती था। \p \v 20 सीमून के बेटे अमनोन, रिन्ना, बिन-हनान और तीलोन थे। यिसई के बेटे ज़ोहित और बिन-ज़ोहित थे। \p \v 21 सेला बिन यहूदाह की दर्जे-ज़ैल औलाद थी : लेका का बाप एर, मरेसा का बाप लादा, बैत-अशबीअ में आबाद बारीक कतान का काम करनेवालों के ख़ानदान, \v 22 योक़ीम, कोज़ीबा के बाशिंदे, और युआस और साराफ़ जो क़दीम रिवायत के मुताबिक़ मोआब पर हुक्मरानी करते थे लेकिन बाद में बैत-लहम वापस आए। \v 23 वह नताईम और जदीरा में रहकर कुम्हार और बादशाह के मुलाज़िम थे। \s1 शमौन की औलाद \p \v 24 शमौन के बेटे यमुएल, यमीन, यरीब, ज़ारह और साऊल थे। \v 25 साऊल के हाँ सल्लूम पैदा हुआ, सल्लूम के मिबसाम, मिबसाम के मिशमा, \v 26 मिशमा के हम्मुएल, हम्मुएल के ज़क्कूर और ज़क्कूर के सिमई। \v 27 सिमई के 16 बेटे और छः बेटियाँ थीं, लेकिन उसके भाइयों के कम बच्चे पैदा हुए। नतीजे में शमौन का क़बीला यहूदाह के क़बीले की निसबत छोटा रहा। \p \v 28 ज़ैल के शहर उनके गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत शमौन का क़बायली इलाक़ा था : बैर-सबा, मोलादा, हसार-सुआल, \v 29 बिलहाह, अज़म, तोलद, \v 30 बतुएल, हुरमा, सिक़लाज, \v 31 बैत-मर्कबोत, हसार-सूसीम, बैत-बिरी और शारैम। दाऊद की हुकूमत तक यह क़बीला इन जगहों में आबाद था, \v 32 नीज़ ऐताम, ऐन, रिम्मोन, तोकन और असन में भी। \v 33 इन पाँच आबादियों के गिर्दो-नवाह के देहात भी बाल तक शामिल थे। हर मक़ाम के अपने अपने तहरीरी नसबनामे थे। \p \v 34 शमौन के ख़ानदानों के दर्जे-ज़ैल सरपरस्त थे : मिसोबाब, यमलीक, यूशा बिन अमसियाह, \v 35 योएल, याहू बिन यूसिबियाह बिन सिरायाह बिन असियेल, \v 36 इलियूऐनी, याक़ूबा, यशूख़ाया, असायाह, अदियेल, यसीमियेल, बिनायाह, \v 37 ज़ीज़ा बिन शिफ़ई बिन अल्लोन बिन यदायाह बिन सिमरी बिन समायाह। \p \v 38 दर्जे-बाला आदमी अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। उनके ख़ानदान बहुत बढ़ गए, \v 39 इसलिए वह अपने रेवड़ों को चराने की जगहें ढूँडते ढूँडते वादी के मशरिक़ में जदूर तक फैल गए। \v 40 वहाँ उन्हें अच्छी और शादाब चरागाहें मिल गईं। इलाक़ा खुला, पुरसुकून और आरामदेह भी था। पहले हाम की कुछ औलाद वहाँ आबाद थी, \v 41 लेकिन हिज़क़ियाह बादशाह के ऐयाम में शमौन के मज़कूरा सरपरस्तों ने वहाँ के रहनेवाले हामियों और मऊनियों पर हमला किया और उनके तंबुओं को तबाह करके सबको मार दिया। एक भी न बचा। फिर वह ख़ुद वहाँ आबाद हुए। अब उनके रेवड़ों के लिए काफ़ी चरागाहें थीं। आज तक वह इसी इलाक़े में रहते हैं। \p \v 42 एक दिन शमौन के 500 आदमी यिसई के चार बेटों फ़लतियाह, नअरियाह, रिफ़ायाह और उज़्ज़ियेल की राहनुमाई में सईर के पहाड़ी इलाक़े में घुस गए। \v 43 वहाँ उन्होंने उन अमालीक़ियों को हलाक कर दिया जिन्होंने बचकर वहाँ पनाह ली थी। फिर वह ख़ुद वहाँ रहने लगे। आज तक वह वहीं आबाद हैं। \c 5 \s1 रूबिन की औलाद \p \v 1 इसराईल का पहलौठा रूबिन था। लेकिन चूँकि उसने अपने बाप की दाश्ता से हमबिसतर होने से बाप की बेहुरमती की थी इसलिए पहलौठे का मौरूसी हक़ उसके भाई यूसुफ़ के बेटों को दिया गया। इसी वजह से नसबनामे में रूबिन को पहलौठे की हैसियत से बयान नहीं किया गया। \v 2 यहूदाह दीगर भाइयों की निसबत ज़्यादा ताक़तवर था, और उससे क़ौम का बादशाह निकला। तो भी यूसुफ़ को पहलौठे का मौरूसी हक़ हासिल था। \p \v 3 इसराईल के पहलौठे रूबिन के चार बेटे हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे। \p \v 4 योएल के हाँ समायाह पैदा हुआ, समायाह के जूज, जूज के सिमई, \v 5 सिमई के मीकाह, मीकाह के रियायाह, रियायाह के बाल और \v 6 बाल के बईरा। बईरा को असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर ने जिलावतन कर दिया। बईरा रूबिन के क़बीले का सरपरस्त था। \v 7 उनके नसबनामे में उसके भाई उनके ख़ानदानों के मुताबिक़ दर्ज किए गए हैं, सरे-फ़हरिस्त यइयेल, फिर ज़करियाह \v 8 और बाला बिन अज़ज़ बिन समा बिन योएल। \p रूबिन का क़बीला अरोईर से लेकर नबू और बाल-मऊन तक के इलाक़े में आबाद हुआ। \v 9 मशरिक़ की तरफ़ वह उस रेगिस्तान के किनारे तक फैल गए जो दरियाए-फ़ुरात से शुरू होता है। क्योंकि जिलियाद में उनके रेवड़ों की तादाद बहुत बढ़ गई थी। \p \v 10 साऊल के ऐयाम में उन्होंने हाजिरियों से लड़कर उन्हें हलाक कर दिया और ख़ुद उनकी आबादियों में रहने लगे। यों जिलियाद के मशरिक़ का पूरा इलाक़ा रूबिन के क़बीले की मिलकियत में आ गया। \s1 जद की औलाद \p \v 11 जद का क़बीला रूबिन के क़बीले के पड़ोसी मुल्क बसन में सलका तक आबाद था। \v 12 उसका सरबराह योएल था, फिर साफ़म, यानी और साफ़त। वह सब बसन में आबाद थे। \v 13 उनके भाई उनके ख़ानदानों समेत मीकाएल, मसुल्लाम, सबा, यूरी, याकान, ज़ीअ और इबर थे। \v 14 यह सात आदमी अबीख़ैल बिन हूरी बिन यारूह बिन जिलियाद बिन मीकाएल बिन यसीसी बिन यहदू बिन बूज़ के बेटे थे। \v 15 अख़ी बिन अबदियेल बिन जूनी इन ख़ानदानों का सरपरस्त था। \p \v 16 जद का क़बीला जिलियाद और बसन के इलाक़ों की आबादियों में आबाद था। शारून से लेकर सरहद तक की पूरी चरागाहें भी उनके क़ब्ज़े में थीं। \v 17 यह तमाम ख़ानदान यहूदाह के बादशाह यूताम और इसराईल के बादशाह यरुबियाम के ज़माने में नसबनामे में दर्ज किए गए। \s1 दरियाए-यरदन के मशरिक़ में क़बीलों की जंग \p \v 18 रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले के 44,760 फ़ौजी थे। सब लड़ने के क़ाबिल और तजरबाकार आदमी थे, ऐसे लोग जो तीर चला सकते और ढाल और तलवार से लैस थे। \v 19 उन्होंने हाजिरियों, यतूर, नफ़ीस और नोदब से जंग की। \v 20 लड़ते वक़्त उन्होंने अल्लाह से मदद के लिए फ़रियाद की, तो उसने उनकी सुनकर हाजिरियों को उनके इत्तहादियों समेत उनके हवाले कर दिया। \v 21 उन्होंने उनसे बहुत कुछ लूट लिया : 50,000 ऊँट, 2,50,000 भेड़-बकरियाँ और 2,000 गधे। साथ साथ उन्होंने 1,00,000 लोगों को क़ैद भी कर लिया। \v 22 मैदाने-जंग में बेशुमार दुश्मन मारे गए, क्योंकि जंग अल्लाह की थी। जब तक इसराईलियों को असूर में जिलावतन न कर दिया गया वह इस इलाक़े में आबाद रहे। \s1 मनस्सी का आधा क़बीला \p \v 23 मनस्सी का आधा क़बीला बहुत बड़ा था। उसके लोग बसन से लेकर बाल-हरमून और सनीर यानी हरमून के पहाड़ी सिलसिले तक फैल गए। \v 24 उनके ख़ानदानी सरपरस्त इफ़र, यिसई, इलियेल, अज़रियेल, यरमियाह, हूदावियाह और यहदियेल थे। सब माहिर फ़ौजी, मशहूर आदमी और ख़ानदानी सरबराह थे। \s1 मशरिक़ी क़बीलों की जिलावतनी \p \v 25 लेकिन यह मशरिक़ी क़बीले अपने बापदादा के ख़ुदा से बेवफ़ा हो गए। वह ज़िना करके मुल्क के उन अक़वाम के देवताओं के पीछे लग गए जिनको अल्लाह ने उनके आगे से मिटा दिया था। \v 26 यह देखकर इसराईल के ख़ुदा ने असूर के बादशाह तिग्लत-पिलेसर को उनके ख़िलाफ़ बरपा किया जिसने रूबिन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले को जिलावतन कर दिया। वह उन्हें ख़लह, दरियाए-ख़ाबूर, हारा और दरियाए-जौज़ान को ले गया जहाँ वह आज तक आबाद हैं। \c 6 \s1 इमामे-आज़म की नसल (लावी का क़बीला) \p \v 1 लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे। \v 2 क़िहात के बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे। \p \v 3 अमराम के बेटे हारून और मूसा थे। बेटी का नाम मरियम था। हारून के बेटे नदब, अबीहू, इलियज़र और इतमर थे। \p \v 4 इलियज़र के हाँ फ़ीनहास पैदा हुआ, फ़ीनहास के अबीसुअ, \v 5 अबीसुअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, \v 6 उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, ज़रख़ियाह के मिरायोत, \v 7 मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, \v 8 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़, \v 9 अख़ीमाज़ के अज़रियाह, अज़रियाह के यूहनान \v 10 और यूहनान के अज़रियाह। यही अज़रियाह रब के उस घर का पहला इमामे-आज़म था जो सुलेमान ने यरूशलम में बनवाया था। \v 11 उसके हाँ अमरियाह पैदा हुआ, अमरियाह के अख़ीतूब, \v 12 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के सल्लूम, \v 13 सल्लूम के ख़िलक़ियाह, ख़िलक़ियाह के अज़रियाह, \v 14 अज़रियाह के सिरायाह और सिरायाह के यहूसदक़। \v 15 जब रब ने नबूकदनज़्ज़र के हाथ से यरूशलम और पूरे यहूदाह के बाशिंदों को जिलावतन कर दिया तो यहूसदक़ भी उनमें शामिल था। \s1 लावी की औलाद \p \v 16 लावी के तीन बेटे जैरसोम, क़िहात और मिरारी थे। \v 17 जैरसोम के दो बेटे लिबनी और सिमई थे। \v 18 क़िहात के चार बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे। \v 19 मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे। \p ज़ैल में लावी के ख़ानदानों की फ़हरिस्त उनके बानियों के मुताबिक़ दर्ज है। \p \v 20 जैरसोम के हाँ लिबनी पैदा हुआ, लिबनी के यहत, यहत के ज़िम्मा, \v 21 ज़िम्मा के युआख़, युआख़ के इद्दू, इद्दू के ज़ारह और ज़ारह के यतरी। \p \v 22 क़िहात के हाँ अम्मीनदाब पैदा हुआ, अम्मीनदाब के क़ोरह, क़ोरह के अस्सीर, \v 23 अस्सीर के इलक़ाना, इलक़ाना के अबियासफ़, अबियासफ़ के अस्सीर, \v 24 अस्सीर के तहत, तहत के ऊरियेल, ऊरियेल के उज़्ज़ियाह और उज़्ज़ियाह के साऊल। \v 25 इलक़ाना के बेटे अमासी, अख़ीमोत \v 26 और इलक़ाना थे। इलक़ाना के हाँ ज़ूफ़ी पैदा हुआ, ज़ूफ़ी के नहत, \v 27 नहत के इलियाब, इलियाब के यरोहाम, यरोहाम के इलक़ाना और इलक़ाना के समुएल। \v 28 समुएल का पहला बेटा योएल और दूसरा अबियाह था। \p \v 29 मिरारी के हाँ महली पैदा हुआ, महली के लिबनी, लिबनी के सिमई, सिमई के उज़्ज़ा, \v 30 उज़्ज़ा के सिमआ, सिमआ के हज्जियाह और हजयाह के असायाह। \s1 लावी की ज़िम्मादारियाँ \p \v 31 जब अहद का संदूक़ यरूशलम में लाया गया ताकि आइंदा वहाँ रहे तो दाऊद बादशाह ने कुछ लावियों को रब के घर में गीत गाने की ज़िम्मादारी दी। \v 32 इससे पहले कि सुलेमान ने रब का घर बनवाया यह लोग अपनी ख़िदमत मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने सरंजाम देते थे। वह सब कुछ मुक़र्ररा हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे। \v 33 ज़ैल में उनके नाम उनके बेटों के नामों समेत दर्ज हैं। \p क़िहात के ख़ानदान का हैमान पहला गुलूकार था। उसका पूरा नाम यह था : हैमान बिन योएल बिन समुएल \v 34 बिन इलक़ाना बिन यरोहाम बिन इलियेल बिन तूख़ \v 35 बिन सूफ़ बिन इलक़ाना बिन महत बिन अमासी \v 36 बिन इलक़ाना बिन योएल बिन अज़रियाह बिन सफ़नियाह \v 37 बिन तहत बिन अस्सीर बिन अबियासफ़ बिन क़ोरह \v 38 बिन इज़हार बिन क़िहात बिन लावी बिन इसराईल। \p \v 39 हैमान के दहने हाथ आसफ़ खड़ा होता था। उसका पूरा नाम यह था : आसफ़ बिन बरकियाह बिन सिमआ \v 40 बिन मीकाएल बिन बासियाह बिन मलकियाह \v 41 बिन अत्नी बिन ज़ारह बिन अदायाह \v 42 बिन ऐतान बिन ज़िम्मा बिन सिमई \v 43 बिन यहत बिन जैरसोम बिन लावी। \p \v 44 हैमान के बाएँ हाथ ऐतान खड़ा होता था। वह मिरारी के ख़ानदान का फ़रद था। उसका पूरा नाम यह था : ऐतान बिन क़ीसी बिन अबदी बिन मल्लूक \v 45 बिन हसबियाह बिन अमसियाह बिन ख़िलक़ियाह \v 46 बिन अमसी बिन बानी बिन समर \v 47 बिन महली बिन मूशी बिन मिरारी बिन लावी। \p \v 48 दूसरे लावियों को अल्लाह की सुकूनतगाह में बाक़ीमाँदा ज़िम्मादारियाँ दी गई थीं। \p \v 49 लेकिन सिर्फ़ हारून और उस की औलाद भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करते और बख़ूर की क़ुरबानगाह पर बख़ूर जलाते थे। वही मुक़द्दसतरीन कमरे में हर ख़िदमत सरंजाम देते थे। इसराईल का कफ़्फ़ारा देना उन्हीं की ज़िम्मादारी थी। वह सब कुछ ऐन उन हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे जो अल्लाह के ख़ादिम मूसा ने उन्हें दी थीं। \p \v 50 हारून के हाँ इलियज़र पैदा हुआ, इलियज़र के फ़ीनहास, फ़ीनहास के अबीसुअ, \v 51 अबीसुअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, \v 52 ज़रख़ियाह के मिरायोत, मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, \v 53 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़। \s1 लावियों की आबादियाँ \p \v 54 ज़ैल में वह आबादियाँ और चरागाहें दर्ज हैं जो लावियों को क़ुरा डालकर दी गईं। \p क़ुरा डालते वक़्त पहले हारून के बेटे क़िहात की औलाद को जगहें मिल गईं। \v 55 उसे यहूदाह के क़बीले से हबरून शहर उस की चरागाहों समेत मिल गया। \v 56 लेकिन गिर्दो-नवाह के खेत और देहात कालिब बिन यफ़ुन्ना को दिए गए। \v 57 हबरून उन शहरों में शामिल था जिनमें हर वह पनाह ले सकता था जिसके हाथों ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो। हबरून के अलावा हारून की औलाद को ज़ैल के मक़ाम उनकी चरागाहों समेत दिए गए : लिबना, यत्तीर, इस्तिमुअ, \v 58 हौलून, दबीर, \v 59 असन, और बैत-शम्स। \v 60 बिनयमीन के क़बीले से उन्हें जिबऊन, जिबा, अलमत और अनतोत उनकी चरागाहों समेत दिए गए। इस तरह हारून के ख़ानदान को 13 शहर मिल गए। \p \v 61 क़िहात के बाक़ी ख़ानदानों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दस शहर मिल गए। \p \v 62 जैरसोम की औलाद को इशकार, आशर, नफ़ताली और मनस्सी के क़बीलों के 13 शहर दिए गए। यह मनस्सी का वह इलाक़ा था जो दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मुल्के-बसन में था। \p \v 63 मिरारी की औलाद को रूबिन, जद और ज़बूलून के क़बीलों के 12 शहर मिल गए। \p \v 64-65 यों इसराईलियों ने क़ुरा डालकर लावियों को मज़कूरा शहर दे दिए। सब यहूदाह, शमौन और बिनयमीन के क़बायली इलाक़ों में थे। \p \v 66 क़िहात के चंद एक ख़ानदानों को इफ़राईम के क़बीले से शहर उनकी चरागाहों समेत मिल गए। \v 67 इनमें इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े का शहर सिकम शामिल था जिसमें हर वह पनाह ले सकता था जिससे कोई ग़ैरइरादी तौर पर हलाक हुआ होता था, फिर जज़र, \v 68 युक़मियाम, बैत-हौरून, \v 69 ऐयालोन और जात-रिम्मोन। \v 70 क़िहात के बाक़ी कुंबों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दो शहर आनेर और बिलाम उनकी चरागाहों समेत मिल गए। \p \v 71 जैरसोम की औलाद को ज़ैल के शहर भी उनकी चरागाहों समेत मिल गए : मनस्सी के मशरिक़ी हिस्से से जौलान जो बसन में है और अस्तारात। \v 72 इशकार के क़बीले से क़ादिस, दाबरत, \v 73 रामात और आनीम। \v 74 आशर के क़बीले से मिसाल, अब्दोन, \v 75 हुक़ूक़ और रहोब। \v 76 और नफ़ताली के क़बीले से गलील का क़ादिस, हम्मून और क़िरियतायम। \p \v 77 मिरारी के बाक़ी ख़ानदानों को ज़ैल के शहर उनकी चरागाहों समेत मिल गए : ज़बूलून के क़बीले से रिम्मोन और तबूर। \v 78-79 रूबिन के क़बीले से रेगिस्तान का बसर, यहज़, क़दीमात और मिफ़ात (यह शहर दरियाए-यरदन के मशरिक़ में यरीहू के मुक़ाबिल वाक़े हैं)। \v 80 जद के क़बीले से जिलियाद का रामात, महनायम, \v 81 हसबोन और याज़ेर। \c 7 \s1 इशकार की औलाद \p \v 1 इशकार के चार बेटे तोला, फ़ुव्वा, यसूब और सिमरोन थे। \p \v 2 तोला के पाँच बेटे उज़्ज़ी, रिफ़ायाह, यरियेल, यहमी, इबसाम और समुएल थे। सब अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। नसबनामे के मुताबिक़ दाऊद के ज़माने में तोला के ख़ानदान के 22,600 अफ़राद जंग करने के क़ाबिल थे। \p \v 3 उज़्ज़ी का बेटा इज़्रख़ियाह था जो अपने चार भाइयों मीकाएल, अबदियाह, योएल और यिस्सियाह के साथ ख़ानदानी सरपरस्त था। \v 4 नसबनामे के मुताबिक़ उनके 36,000 अफ़राद जंग करने के क़ाबिल थे। इनकी तादाद इसलिए ज़्यादा थी कि उज़्ज़ी की औलाद के बहुत बाल-बच्चे थे। \v 5 इशकार के क़बीले के ख़ानदानों के कुल 87,000 आदमी जंग करने के क़ाबिल थे। सब नसबनामे में दर्ज थे। \s1 बिनयमीन और नफ़ताली की औलाद \p \v 6 बिनयमीन के तीन बेटे बाला, बकर और यदियएल थे। \v 7 बाला के पाँच बेटे इसबून, उज़्ज़ी, उज़्ज़ियेल, यरीमोत और ईरी थे। सब अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। उनके नसबनामे के मुताबिक़ उनके 22,034 मर्द जंग करने के क़ाबिल थे। \p \v 8 बकर के 9 बेटे ज़मीरा, युआस, इलियज़र, इलियूऐनी, उमरी, यरीमोत, अबियाह, अनतोत और अलमत थे। \v 9 उनके नसबनामे में उनके सरपरस्त और 20,200 जंग करने के क़ाबिल मर्द बयान किए गए हैं। \p \v 10 बिलहान बिन यदियएल के सात बेटे यऊस, बिनयमीन, अहूद, कनाना, ज़ैतान, तरसीस और अख़ी-सहर थे। \v 11 सब अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। उनके 17,200 जंग करने के क़ाबिल मर्द थे। \p \v 12 सुफ़्फ़ी और हुफ़्फ़ी ईर की और हुशी अख़ीर की औलाद थे। \p \v 13 नफ़ताली के चार बेटे यहसियेल, जूनी, यिसर और सल्लूम थे। सब बिलहाह की औलाद थे। \s1 मनस्सी की औलाद \p \v 14 मनस्सी की अरामी दाश्ता के दो बेटे असरियेल और जिलियाद का बाप मकीर पैदा हुए। \v 15 मकीर ने हुफ़्फ़ियों और सुफ़्फ़ियों की एक औरत से शादी की। बहन का नाम माका था। मकीर के दूसरे बेटे का नाम सिलाफ़िहाद था जिसके हाँ सिर्फ़ बेटियाँ पैदा हुईं। \p \v 16 मकीर की बीवी माका के मज़ीद दो बेटे फ़रस और शरस पैदा हुए। शरस के दो बेटे औलाम और रक़म थे। \v 17 औलाम के बेटे का नाम बिदान था। यही जिलियाद बिन मकीर बिन मनस्सी की औलाद थे। \p \v 18 जिलियाद की बहन मूलिकत के तीन बेटे इशहूद, अबियज़र और महलाह थे। \v 19 समीदा के चार बेटे अख़ियान, सिकम, लिक़ही और अनियाम थे। \s1 इफ़राईम की औलाद \p \v 20 इफ़राईम के हाँ सूतलह पैदा हुआ, सूतलह के बरद, बरद के तहत, तहत के इलियदा, इलियदा के तहत, \v 21 तहत के ज़बद और ज़बद के सूतलह। \p इफ़राईम के मज़ीद दो बेटे अज़र और इलियद थे। यह दो मर्द एक दिन जात गए ताकि वहाँ के रेवड़ लूट लें। लेकिन मक़ामी लोगों ने उन्हें पकड़कर मार डाला। \v 22 उनका बाप इफ़राईम काफ़ी अरसे तक उनका मातम करता रहा, और उसके रिश्तेदार उससे मिलने आए ताकि उसे तसल्ली दें। \v 23 जब इसके बाद उस की बीवी के बेटा पैदा हुआ तो उसने उसका नाम बरिया यानी मुसीबत रखा, क्योंकि उस वक़्त ख़ानदान मुसीबत में आ गया था। \v 24 इफ़राईम की बेटी सैरा ने बालाई और नशेबी बैत-हौरून और उज़्ज़न-सैरा को बनवाया। \p \v 25 इफ़राईम के मज़ीद दो बेटे रफ़ह और रसफ़ थे। रसफ़ के हाँ तिलह पैदा हुआ, तिलह के तहन, \v 26 तहन के लादान, लादान के अम्मीहूद, अम्मीहूद के इलीसमा, \v 27 इलीसमा के नून, नून के यशुअ। \p \v 28 इफ़राईम की औलाद के इलाक़े में ज़ैल के मक़ाम शामिल थे : बैतेल गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत, मशरिक़ में नारान तक, मग़रिब में जज़र तक गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत, शिमाल में सिकम और ऐयाह तक गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत। \v 29 बैत-शान, तानक, मजिद्दो और दोर गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत मनस्सी की औलाद की मिलकियत बन गए। इन तमाम मक़ामों में यूसुफ़ बिन इसराईल की औलाद रहती थी। \s1 आशर की औलाद \p \v 30 आशर के चार बेटे यिमना, इसवाह, इसवी और बरिया थे। उनकी बहन सिरह थी। \p \v 31 बरिया के बेटे हिबर और बिरज़ायत का बाप मलकियेल थे। \p \v 32 हिबर के तीन बेटे यफ़लीत, शूमीर और ख़ूताम थे। उनकी बहन सुअ थी। \p \v 33 यफ़लीत के तीन बेटे फ़ासक, बिमहाल और असवात थे। \v 34 शूमीर के चार बेटे अख़ी, रूहजा, हुब्बा और अराम थे। \v 35 उसके भाई हीलम के चार बेटे सूफ़ह, इमना, सलस और अमल थे। \p \v 36 सूफ़ह के 11 बेटे सूह, हर्नफ़र, सुआल, बैरी, इमराह, \p \v 37 बसर, हूद, सम्मा, सिलसा, यितरान और बईरा थे। \p \v 38 यतर के तीन बेटे यफ़ुन्ना, फ़िसफ़ाह और अरा थे। \p \v 39 उल्ला के तीन बेटे अरख़, हन्नियेल और रिज़ियाह थे। \p \v 40 आशर के दर्जे-बाला तमाम अफ़राद अपने अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। सब चीदा मर्द, माहिर फ़ौजी और सरदारों के सरबराह थे। नसबनामे में 26,000 जंग करने के क़ाबिल मर्द दर्ज हैं। \c 8 \s1 बिनयमीन की औलाद \p \v 1 बिनयमीन के पाँच बेटे बड़े से लेकर छोटे तक बाला, अशबेल, अख़्रख़, \v 2 नूहा और रफ़ा थे। \p \v 3 बाला के बेटे अद्दार, जीरा, अबीहूद, \v 4 अबीसुअ, नामान, अख़ूह, \v 5 जीरा, सफ़ूफ़ान और हूराम थे। \p \v 6-7 अहूद के तीन बेटे नामान, अख़ियाह और जीरा थे। यह उन ख़ानदानों के सरपरस्त थे जो पहले जिबा में रहते थे लेकिन जिन्हें बाद में जिलावतन करके मानहत में बसाया गया। उज़्ज़ा और अख़ीहूद का बाप जीरा उन्हें वहाँ लेकर गया था। \p \v 8-9 सहरैम अपनी दो बीवियों हुशीम और बारा को तलाक़ देकर मोआब चला गया। वहाँ उस की बीवी हूदस के सात बेटे यूबाब, ज़िबिया, मेसा, मलकाम, \v 10 यऊज़, सकियाह और मिरमा पैदा हुए। सब बाद में अपने ख़ानदानों के सरपरस्त बन गए। \v 11 पहली बीवी हुशीम के दो बेटे अबीतूब और इलफ़ाल पैदा हुए। \p \v 12-14 इलफ़ाल के आठ बेटे इबर, मिशआम, समद, बरिया, समा, अख़ियो, शाशक़ और यरीमोत थे। समद ओनू, लूद और गिर्दो-नवाह की आबादियों का बानी था। बरिया और समा ऐयालोन के बाशिंदों के सरबराह थे। उन्हीं ने जात के बाशिंदों को निकाल दिया। \p \v 15-16 बरिया के बेटे ज़बदियाह, अराद, इदर, मीकाएल, इसफ़ाह और यूख़ा थे। \p \v 17 इलफ़ाल के मज़ीद बेटे ज़बदियाह, मसुल्लाम, हिज़क़ी, हिबर, \v 18 यिस्मरी, यिज़लियाह और यूबाब थे। \p \v 19-21 सिमई के बेटे यक़ीम, ज़िकरी, ज़बदी, इलियैनी, ज़िल्लती, इलियेल, अदायाह, बिरायाह और सिमरात थे। \p \v 22-25 शाशक़ के बेटे इसफ़ान, इबर, इलियेल, अब्दोन, ज़िकरी, हनान, हननियाह, ऐलाम, अनतोतियाह, यफ़दियाह और फ़नुएल थे। \p \v 26-27 यरोहाम के बेटे सम्सरी, शहारियाह, अतलियाह, यारसियाह, इलियास और ज़िकरी थे। \v 28 यह तमाम ख़ानदानी सरपरस्त नसबनामे में दर्ज थे और यरूशलम में रहते थे। \s1 जिबऊन में साऊल का ख़ानदान \p \v 29 जिबऊन का बाप यइयेल जिबऊन में रहता था। उस की बीवी का नाम माका था। \v 30 बड़े से लेकर छोटे तक उनके बेटे अब्दोन, सूर, क़ीस, बाल, नदब, \v 31 जदूर, अख़ियो, ज़कर \v 32 और मिक़लोत थे। मिक़लोत का बेटा सिमाह था। वह भी अपने रिश्तेदारों के साथ यरूशलम में रहते थे। \p \v 33 नैर क़ीस का बाप था और क़ीस साऊल का। साऊल के चार बेटे यूनतन, मलकीशुअ, अबीनदाब और इशबाल थे। \p \v 34 यूनतन मरीब्बाल का बाप था और मरीब्बाल मीकाह का। \p \v 35 मीकाह के चार बेटे फ़ीतून, मलिक, तारीअ और आख़ज़ थे। \p \v 36 आख़ज़ का बेटा यहुअद्दा था जिसके तीन बेटे अलमत, अज़मावत और ज़िमरी थे। ज़िमरी के हाँ मौज़ा पैदा हुआ, \v 37 मौज़ा के बिनआ, बिनआ के राफ़ा, राफ़ा के इलियासा और इलियासा के असील। \p \v 38 असील के छः बेटे अज़रीक़ाम, बोकिरू, इसमाईल, सअरियाह, अबदियाह और हनान थे। \v 39 असील के भाई ईशक़ के तीन बेटे बड़े से लेकर छोटे तक औलाम, यऊस और इलीफ़लत थे। \p \v 40 औलाम के बेटे तजरबाकार फ़ौजी थे जो महारत से तीर चला सकते थे। उनके बहुत-से बेटे और पोते थे, कुल 150 अफ़राद। तमाम मज़कूरा आदमी उनके ख़ानदानों समेत बिनयमीन की औलाद थे। \c 9 \s1 जिलावतनी के बाद यरूशलम के बाशिंदे \p \v 1 तमाम इसराईल शाहाने-इसराईल की किताब के नसबनामों में दर्ज है। \p फिर यहूदाह के बाशिंदों को बेवफ़ाई के बाइस बाबल में जिलावतन कर दिया गया। \v 2 जो लोग पहले वापस आकर दुबारा शहरों में अपनी मौरूसी ज़मीन पर रहने लगे वह इमाम, लावी, रब के घर के ख़िदमतगार और बाक़ी चंद एक इसराईली थे। \v 3 यहूदाह, बिनयमीन, इफ़राईम और मनस्सी के क़बीलों के कुछ लोग यरूशलम में जा बसे। \p \v 4 यहूदाह के क़बीले के दर्जे-ज़ैल ख़ानदानी सरपरस्त वहाँ आबाद हुए : \p ऊती बिन अम्मीहूद बिन उमरी बिन इमरी बिन बानी। बानी फ़ारस बिन यहूदाह की औलाद में से था। \p \v 5 सैला के ख़ानदान का पहलौठा असायाह और उसके बेटे। \p \v 6 ज़ारह के ख़ानदान का यऊएल। यहूदाह के इन ख़ानदानों की कुल तादाद 690 थी। \p \v 7-8 बिनयमीन के क़बीले के दर्जे-ज़ैल ख़ानदानी सरपरस्त यरूशलम में आबाद हुए : \p सल्लू बिन मसुल्लाम बिन हूदावियाह बिन सनुआह। \p इबनियाह बिन यरोहाम। \p ऐला बिन उज़्ज़ी बिन मिक़री। \p मसुल्लाम बिन सफ़तियाह बिन रऊएल बिन इबनियाह। \p \v 9 नसबनामे के मुताबिक़ बिनयमीन के इन ख़ानदानों की कुल तादाद 956 थी। \p \v 10 जो इमाम जिलावतनी से वापस आकर यरूशलम में आबाद हुए वह ज़ैल में दर्ज हैं : \p यदायाह, यहूयरीब, यकीन, \v 11 अल्लाह के घर का इंचार्ज अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह बिन मसुल्लाम बिन सदोक़ बिन मिरायोत बिन अख़ीतूब, \v 12 अदायाह बिन यरोहाम बिन फ़शहूर बिन मलकियाह और मासी बिन अदियेल बिन यहज़ीराह बिन मसुल्लाम बिन मसिल्लिमित बिन इम्मेर। \v 13 इमामों के इन ख़ानदानों की कुल तादाद 1,760 थी। उनके मर्द रब के घर में ख़िदमत सरंजाम देने के क़ाबिल थे। \p \v 14 जो लावी जिलावतनी से वापस आकर यरूशलम में आबाद हुए वह दर्जे-ज़ैल हैं : \p मिरारी के ख़ानदान का समायाह बिन हस्सूब बिन अज़रीक़ाम बिन हसबियाह, \v 15 बक़बक़्क़र, हरस, जलाल, मत्तनियाह बिन मीका बिन ज़िकरी बिन आसफ़, \v 16 अबदियाह बिन समायाह बिन जलाल बिन यदूतून और बरकियाह बिन आसा बिन इलक़ाना। बरकियाह नतूफ़ातियों की आबादियों का रहनेवाला था। \p \v 17 ज़ैल के दरबान भी वापस आए : सल्लूम, अक़्क़ूब, तलमून, अख़ीमान और उनके भाई। सल्लूम उनका इंचार्ज था। \v 18 आज तक उसका ख़ानदान रब के घर के मशरिक़ में शाही दरवाज़े की पहरादारी करता है। यह दरबान लावियों के ख़ैमों के अफ़राद थे। \v 19 सल्लूम बिन क़ोरे बिन अबियासफ़ बिन क़ोरह अपने भाइयों के साथ क़ोरह के ख़ानदान का था। जिस तरह उनके बापदादा की ज़िम्मादारी रब की ख़ैमागाह में मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े की पहरादारी करनी थी उसी तरह उनकी ज़िम्मादारी मक़दिस के दरवाज़े की पहरादारी करनी थी। \v 20 क़दीम ज़माने में फ़ीनहास बिन इलियज़र उन पर मुक़र्रर था, और रब उसके साथ था। \v 21 बाद में ज़करियाह बिन मसलमियाह मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े का दरबान था। \p \v 22 कुल 212 मर्दों को दरबान की ज़िम्मादारी दी गई थी। उनके नाम उनकी मक़ामी जगहों के नसबनामे में दर्ज थे। दाऊद और समुएल ग़ैबबीन ने उनके बापदादा को यह ज़िम्मादारी दी थी। \v 23 वह और उनकी औलाद पहले रब के घर यानी मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़ों पर पहरादारी करते थे। \v 24 यह दरबान रब के घर के चारों तरफ़ के दरवाज़ों की पहरादारी करते थे। \p \v 25 लावी के अकसर लोग यरूशलम में नहीं रहते थे बल्कि बारी बारी एक हफ़ते के लिए देहात से यरूशलम आते थे ताकि वहाँ अपनी ख़िदमत सरंजाम दें। \v 26 सिर्फ़ दरबानों के चार इंचार्ज मुसलसल यरूशलम में रहते थे। यह चार लावी अल्लाह के घर के कमरों और ख़ज़ानों को भी सँभालते \v 27 और रात को भी अल्लाह के घर के इर्दगिर्द गुज़ारते थे, क्योंकि उन्हीं को उस की हिफ़ाज़त करना और सुबह के वक़्त उसके दरवाज़ों को खोलना था। \p \v 28 बाज़ दरबान इबादत का सामान सँभालते थे। जब भी उसे इस्तेमाल के लिए अंदर और बाद में दुबारा बाहर लाया जाता तो वह हर चीज़ को गिनकर चैक करते थे। \v 29 बाज़ बाक़ी सामान और मक़दिस में मौजूद चीज़ों को सँभालते थे। रब के घर में मुस्तामल बारीक मैदा, मै, ज़ैतून का तेल, बख़ूर और बलसान के मुख़्तलिफ़ तेल भी इनमें शामिल थे। \v 30 लेकिन बलसान के तेलों को तैयार करना इमामों की ज़िम्मादारी थी। \v 31 क़ोरह के ख़ानदान का लावी मत्तितियाह जो सल्लूम का पहलौठा था क़ुरबानी के लिए मुस्तामल रोटी बनाने का इंतज़ाम चलाता था। \v 32 क़िहात के ख़ानदान के बाज़ लावियों के हाथ में वह रोटियाँ बनाने का इंतज़ाम था जो हर हफ़ते के दिन को रब के लिए मख़सूस करके रब के घर के मुक़द्दस कमरे की मेज़ पर रखी जाती थीं। \p \v 33 मौसीक़ार भी लावी थे। उनके सरबराह बाक़ी तमाम ख़िदमत में हिस्सा नहीं लेते थे, क्योंकि उन्हें हर वक़्त अपनी ही ख़िदमत सरंजाम देने के लिए तैयार रहना पड़ता था। इसलिए वह रब के घर के कमरों में रहते थे। \p \v 34 लावियों के यह तमाम ख़ानदानी सरपरस्त नसबनामे में दर्ज थे और यरूशलम में रहते थे। \s1 जिबऊन में साऊल के ख़ानदान \p \v 35 जिबऊन का बाप यइयेल जिबऊन में रहता था। उस की बीवी का नाम माका था। \v 36 बड़े से लेकर छोटे तक उनके बेटे अब्दोन, सूर, क़ीस, बाल, नैर, नदब, \v 37 जदूर, अख़ियो, ज़करियाह और मिक़लोत थे। \v 38 मिक़लोत का बेटा सिमाह था। वह भी अपने भाइयों के मुक़ाबिल यरूशलम में रहते थे। \p \v 39 नैर क़ीस का बाप था और क़ीस साऊल का। साऊल के चार बेटे यूनतन, मलकीशुअ, अबीनदाब और इशबाल थे। \p \v 40 यूनतन मरीब्बाल का बाप था और मरीब्बाल मीकाह का। \v 41 मीकाह के चार बेटे फ़ीतून, मलिक, तहरेअ और आख़ज़ थे। \v 42 आख़ज़ का बेटा यारा था। यारा के तीन बेटे अलमत, अज़मावत और ज़िमरी थे। ज़िमरी के हाँ मौज़ा पैदा हुआ, \v 43 मौज़ा के बिनआ, बना के रिफ़ायाह, रिफ़ायाह के इलियासा और इलियासा के असील। \p \v 44 असील के छः बेटे अज़रीक़ाम, बोकिरू, इसमाईल, सअरियाह, अबदियाह और हनान थे। \c 10 \s1 साऊल और उसके बेटों की मौत \p \v 1 जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर फ़िलिस्तियों और इसराईलियों के दरमियान जंग छिड़ गई। लड़ते लड़ते इसराईली फ़रार होने लगे, लेकिन बहुत लोग वहीं शहीद हो गए। \p \v 2 फिर फ़िलिस्ती साऊल और उसके बेटों यूनतन, अबीनदाब और मलकीशुअ के पास जा पहुँचे। तीनों बेटे हलाक हो गए, \v 3 जबकि लड़ाई साऊल के इर्दगिर्द उरूज तक पहुँच गई। फिर वह तीरअंदाज़ों का निशाना बनकर ज़ख़मी हो गया। \v 4 उसने अपने सिलाहबरदार को हुक्म दिया, “अपनी तलवार मियान से खींचकर मुझे मार डाल! वरना यह नामख़तून मुझे बेइज़्ज़त करेंगे।” लेकिन सिलाहबरदार ने इनकार किया, क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था। आख़िर में साऊल अपनी तलवार लेकर ख़ुद उस पर गिर गया। \p \v 5 जब सिलाहबरदार ने देखा कि मेरा मालिक मर गया है तो वह भी अपनी तलवार पर गिरकर मर गया। \v 6 यों उस दिन साऊल, उसके तीन बेटे और उसका तमाम घराना हलाक हो गए। \v 7 जब मैदाने-यज़्रएल के इसराईलियों को ख़बर मिली कि इसराईली फ़ौज भाग गई और साऊल अपने बेटों समेत मारा गया है तो वह अपने शहरों को छोड़कर भाग निकले, और फ़िलिस्ती छोड़े हुए शहरों पर क़ब्ज़ा करके उनमें बसने लगे। \p \v 8 अगले दिन फ़िलिस्ती लाशों को लूटने के लिए दुबारा मैदाने-जंग में आ गए। जब उन्हें जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर साऊल और उसके तीनों बेटे मुरदा मिले \v 9 तो उन्होंने साऊल का सर काटकर उसका ज़िरा-बकतर उतार लिया और क़ासिदों को अपने पूरे मुल्क में भेजकर अपने बुतों और अपनी क़ौम को फ़तह की इत्तला दी। \v 10 साऊल का ज़िरा-बकतर उन्होंने अपने देवताओं के मंदिर में महफ़ूज़ कर लिया और उसके सर को दजून देवता के मंदिर में लटका दिया। \p \v 11 जब यबीस-जिलियाद के बाशिंदों को ख़बर मिली कि फ़िलिस्तियों ने साऊल की लाश के साथ क्या कुछ किया है \v 12 तो शहर के तमाम लड़ने के क़ाबिल आदमी बैत-शान के लिए रवाना हुए। वहाँ पहुँचकर वह साऊल और उसके बेटों की लाशों को उतारकर यबीस ले गए जहाँ उन्होंने उनकी हड्डियों को यबीस के बड़े दरख़्त के साये में दफ़नाया। उन्होंने रोज़ा रखकर पूरे हफ़ते तक उनका मातम किया। \p \v 13 साऊल को इसलिए मारा गया कि वह रब का वफ़ादार न रहा। उसने उस की हिदायात पर अमल न किया, यहाँ तक कि उसने मुरदों की रूह से राबिता करनेवाली जादूगरनी से मशवरा किया, \v 14 हालाँकि उसे रब से दरियाफ़्त करना चाहिए था। यही वजह है कि रब ने उसे सज़ाए-मौत देकर सलतनत को दाऊद बिन यस्सी के हवाले कर दिया। \c 11 \s1 दाऊद पूरे इसराईल का बादशाह बन जाता है \p \v 1 उस वक़्त तमाम इसराईल हबरून में दाऊद के पास आया और कहा, “हम आप ही की क़ौम और आप ही के रिश्तेदार हैं। \v 2 माज़ी में भी जब साऊल बादशाह था तो आप ही फ़ौजी मुहिमों में इसराईल की क़ियादत करते रहे। और रब आपके ख़ुदा ने आपसे वादा भी किया है कि तू मेरी क़ौम इसराईल का चरवाहा बनकर उस पर हुकूमत करेगा।” \p \v 3 जब इसराईल के तमाम बुज़ुर्ग हबरून पहुँचे तो दाऊद बादशाह ने रब के हुज़ूर उनके साथ अहद बाँधा, और उन्होंने उसे मसह करके इसराईल का बादशाह बना दिया। यों रब का समुएल की मारिफ़त किया हुआ वादा पूरा हुआ। \s1 दाऊद यरूशलम पर क़ब्ज़ा करता है \p \v 4 बादशाह बनने के बाद दाऊद तमाम इसराईलियों के साथ यरूशलम गया ताकि उस पर हमला करे। उस ज़माने में उसका नाम यबूस था, और यबूसी उसमें बसते थे। \v 5 दाऊद को देखकर यबूसियों ने उससे कहा, “आप हमारे शहर में कभी दाख़िल नहीं हो पाएँगे!” \p तो भी दाऊद ने सिय्यून के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया जो आजकल ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। \v 6 यबूस पर हमला करने से पहले दाऊद ने कहा था, “जो भी यबूसियों पर हमला करने में राहनुमाई करे वह फ़ौज का कमाँडर बनेगा।” तब योआब बिन ज़रूयाह ने पहले शहर पर चढ़ाई की। चुनाँचे उसे कमाँडर मुक़र्रर किया गया। \p \v 7 यरूशलम पर फ़तह पाने के बाद दाऊद क़िले में रहने लगा। उसने उसे ‘दाऊद का शहर’ क़रार दिया \v 8 और उसके इर्दगिर्द शहर को बढ़ाने लगा। दाऊद का यह तामीरी काम इर्दगिर्द के चबूतरों से शुरू हुआ और चारों तरफ़ फैलता गया जबकि योआब ने शहर का बाक़ी हिस्सा बहाल कर दिया। \v 9 यों दाऊद ज़ोर पकड़ता गया, क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज उसके साथ था। \s1 दाऊद के मशहूर फ़ौजी \p \v 10 दर्जे-ज़ैल दाऊद के सूरमाओं की फ़हरिस्त है। पूरे इसराईल के साथ उन्होंने मज़बूती से उस की बादशाही की हिमायत करके दाऊद को रब के फ़रमान के मुताबिक़ अपना बादशाह बना दिया। \p \v 11 जो तीन अफ़सर योआब के भाई अबीशै के ऐन बाद आते थे उनमें यसूबियाम हकमूनी पहले नंबर पर आता था। एक बार उसने अपने नेज़े से 300 आदमियों को मार दिया। \v 12 इन तीन अफ़सरों में से दूसरी जगह पर इलियज़र बिन दोदो बिन अख़ूही आता था। \v 13 यह फ़स-दम्मीम में दाऊद के साथ था जब फ़िलिस्ती वहाँ लड़ने के लिए जमा हो गए थे। मैदाने-जंग में जौ का खेत था, और लड़ते लड़ते इसराईली फ़िलिस्तियों के सामने भागने लगे। \v 14 लेकिन इलियज़र दाऊद के साथ खेत के बीच में फ़िलिस्तियों का मुक़ाबला करता रहा। फ़िलिस्तियों को मारते मारते उन्होंने खेत का दिफ़ा करके रब की मदद से बड़ी फ़तह पाई। \p \v 15-16 एक और जंग के दौरान दाऊद अदुल्लाम के ग़ार के पहाड़ी क़िले में था जबकि फ़िलिस्ती फ़ौज ने वादीए-रफ़ाईम में अपनी लशकरगाह लगाई थी। उनके दस्तों ने बैत-लहम पर भी क़ब्ज़ा कर लिया था। दाऊद के तीस आला अफ़सरों में से तीन उससे मिलने आए। \v 17 दाऊद को शदीद प्यास लगी, और वह कहने लगा, “कौन मेरे लिए बैत-लहम के दरवाज़े पर के हौज़ से कुछ पानी लाएगा?” \p \v 18 यह सुनकर तीनों अफ़सर फ़िलिस्तियों की लशकरगाह पर हमला करके उसमें घुस गए और लड़ते लड़ते बैत-लहम के हौज़ तक पहुँच गए। उससे कुछ पानी भरकर वह उसे दाऊद के पास ले आए। लेकिन उसने पीने से इनकार कर दिया बल्कि उसे क़ुरबानी के तौर पर उंडेलकर रब को पेश किया \v 19 और बोला, “अल्लाह न करे कि मैं यह पानी पियूँ। अगर ऐसा करता तो उन आदमियों का ख़ून पीता जो अपनी जान पर खेलकर पानी लाए हैं।” इसलिए वह उसे पीना नहीं चाहता था। यह इन तीन सूरमाओं के ज़बरदस्त कामों की एक मिसाल है। \p \v 20-21 योआब का भाई अबीशै मज़कूरा तीन सूरमाओं पर मुक़र्रर था। एक दफ़ा उसने अपने नेज़े से 300 आदमियों को मार डाला। तीनों की निसबत उस की ज़्यादा इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह ख़ुद इनमें गिना नहीं जाता था। \p \v 22 बिनायाह बिन यहोयदा भी ज़बरदस्त फ़ौजी था। वह क़बज़ियेल का रहनेवाला था, और उसने बहुत दफ़ा अपनी मरदानगी दिखाई। मोआब के दो बड़े सूरमा उसके हाथों हलाक हुए। एक बार जब बहुत बर्फ़ पड़ गई तो उसने एक हौज़ में उतरकर एक शेरबबर को मार डाला जो उसमें गिर गया था। \v 23 एक और मौक़े पर उसका वास्ता एक मिसरी से पड़ा जिसका क़द साढ़े सात फ़ुट था। मिसरी के हाथ में खड्डी के शहतीर जैसा बड़ा नेज़ा था जबकि उसके अपने पास सिर्फ़ लाठी थी। लेकिन बिनायाह ने उस पर हमला करके उसके हाथ से नेज़ा छीन लिया और उसे उसके अपने हथियार से मार डाला। \v 24 ऐसी बहादुरी दिखाने की बिना पर बिनायाह बिन यहोयदा मज़कूरा तीन आदमियों के बराबर मशहूर हुआ। \v 25 तीस अफ़सरों के दीगर मर्दों की निसबत उस की ज़्यादा इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह मज़कूरा तीन आदमियों में गिना नहीं जाता था। दाऊद ने उसे अपने मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर किया। \p \v 26 ज़ैल के आदमी बादशाह के सूरमाओं में शामिल थे। \p योआब का भाई असाहेल, बैत-लहम का इल्हनान बिन दोदो, \v 27 सम्मोत हरोरी, ख़लिस फ़लूनी, \v 28 तक़ुअ का ईरा बिन अक़्क़ीस, अनतोत का अबियज़र, \v 29 सिब्बकी हूसाती, ईली अख़ूही, \v 30 महरी नतूफ़ाती, हलिद बिन बाना नतूफ़ाती, \v 31 बिनयमीनी शहर जिबिया का इत्ती बिन रीबी, बिनायाह फ़िरआतोनी \v 32 नहले-जास का हूरी, अबियेल अरबाती, \v 33 अज़मावत बहरूमी, इलियहबा सालबूनी, \v 34 हशीम जिज़ूनी के बेटे, यूनतन बिन शजी हरारी, \v 35 अख़ियाम बिन सकार हरारी, इलीफ़ल बिन ऊर, \v 36 हिफ़र मकीराती, अख़ियाह फ़लूनी, \v 37 हसरो करमिली, नारी बिन अज़बी, \v 38 नातन का भाई योएल, मिबख़ार बिन हाजिरी, \v 39 सिलक़ अम्मोनी, योआब बिन ज़रूयाह का सिलाहबरदार नहरी बैरोती, \v 40 ईरा इतरी, जरीब इतरी, \v 41 ऊरियाह हित्ती, ज़बद बिन अख़ली, \v 42 अदीना बिन सीज़ा (रूबिन के क़बीले का यह सरदार 30 फ़ौजियों पर मुक़र्रर था), \v 43 हनान बिन माका, यूसफ़त मितनी, \v 44 उज़्ज़ियाह अस्तराती, ख़ूताम अरोईरी के बेटे समा और यइयेल, \v 45 यदियएल बिन सिमरी, उसका भाई यूख़ा तीसी, \v 46 इलियेल महावी, इलनाम के बेटे यरीबी और यूसावियाह, यितमा मोआबी, \v 47 इलियेल, ओबेद और यासियेल मज़ोबाई। \c 12 \s1 साऊल के दौरे-हुकूमत में दाऊद के पैरोकार \p \v 1 ज़ैल के आदमी सिक़लाज में दाऊद के साथ मिल गए, उस वक़्त जब वह साऊल बिन क़ीस से छुपा रहता था। यह उन फ़ौजियों में से थे जो जंग में दाऊद के साथ मिलकर लड़ते थे \v 2 और बेहतरीन तीरअंदाज़ थे, क्योंकि यह न सिर्फ़ दहने बल्कि बाएँ हाथ से भी महारत से तीर और फ़लाख़न का पत्थर चला सकते थे। इन आदमियों में से दर्जे-ज़ैल बिनयमीन के क़बीले और साऊल के ख़ानदान से थे। \p \v 3 उनका राहनुमा अख़ियज़र, फिर युआस (दोनों समाआह जिबियाती के बेटे थे), यज़ियेल और फ़लत (दोनों अज़मावत के बेटे थे), बराका, याहू अनतोती, \v 4 इसमायाह जिबऊनी जो दाऊद के 30 अफ़सरों का एक सूरमा और लीडर था, यरमियाह, यहज़ियेल, यूहनान, यूज़बद जदीराती, \v 5 इलिऊज़ी, यरीमोत, बालियाह, समरियाह और सफ़तियाह ख़रूफ़ी। \p \v 6 क़ोरह के ख़ानदान में से इलक़ाना, यिस्सियाह, अज़रेल, युअज़र और यसूबियाम दाऊद के साथ थे। \p \v 7 इनके अलावा यरोहाम जदूरी के बेटे यूईला और ज़बदियाह भी थे। \p \v 8 जद के क़बीले से भी कुछ बहादुर और तजरबाकार फ़ौजी साऊल से अलग होकर दाऊद के साथ मिल गए जब वह रेगिस्तान के क़िले में था। यह मर्द महारत से ढाल और नेज़ा इस्तेमाल कर सकते थे। उनके चेहरे शेरबबर के चेहरों की मानिंद थे, और वह पहाड़ी इलाक़े में ग़ज़ालों की तरह तेज़ चल सकते थे। \p \v 9 उनका लीडर अज़र ज़ैल के दस आदमियों पर मुक़र्रर था : अबदियाह, इलियाब, \v 10 मिस्मन्ना, यरमियाह, \v 11 अत्ती, इलियेल, \v 12 यूहनान, इल्ज़बद, \v 13 यरमियाह और मकबन्नी। \p \v 14 जद के यह मर्द सब आला फ़ौजी अफ़सर बन गए। उनमें से सबसे कमज़ोर आदमी सौ आम फ़ौजियों का मुक़ाबला कर सकता था जबकि सबसे ताक़तवर आदमी हज़ार का मुक़ाबला कर सकता था। \v 15 इन्हीं ने बहार के मौसम में दरियाए-यरदन को पार किया, जब वह किनारों से बाहर आ गया था, और मशरिक़ और मग़रिब की वादियों को बंद कर रखा। \p \v 16 बिनयमीन और यहूदाह के क़बीलों के कुछ मर्द दाऊद के पहाड़ी क़िले में आए। \v 17 दाऊद बाहर निकलकर उनसे मिलने गया और पूछा, “क्या आप सलामती से मेरे पास आए हैं? क्या आप मेरी मदद करना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो मैं आपका अच्छा साथी रहूँगा। लेकिन अगर आप मुझे दुश्मनों के हवाले करने के लिए आए हैं हालाँकि मुझसे कोई भी ज़ुल्म नहीं हुआ है तो हमारे बापदादा का ख़ुदा इसे देखकर आपको सज़ा दे।” \p \v 18 फिर रूहुल-क़ुद्स 30 अफ़सरों के राहनुमा अमासी पर नाज़िल हुआ, और उसने कहा, “ऐ दाऊद, हम तेरे ही लोग हैं। ऐ यस्सी के बेटे, हम तेरे साथ हैं। सलामती, सलामती तुझे हासिल हो, और सलामती उन्हें हासिल हो जो तेरी मदद करते हैं। क्योंकि तेरा ख़ुदा तेरी मदद करेगा।” यह सुनकर दाऊद ने उन्हें क़बूल करके अपने छापामार दस्तों पर मुक़र्रर किया। \p \v 19 मनस्सी के क़बीले के कुछ मर्द भी साऊल से अलग होकर दाऊद के पास आए। उस वक़्त वह फ़िलिस्तियों के साथ मिलकर साऊल से लड़ने जा रहा था, लेकिन बाद में उसे मैदाने-जंग में आने की इजाज़त न मिली। क्योंकि फ़िलिस्ती सरदारों ने आपस में मशवरा करने के बाद उसे यह कहकर वापस भेज दिया कि ख़तरा है कि यह हमें मैदाने-जंग में छोड़कर अपने पुराने मालिक साऊल से दुबारा मिल जाए। फिर हम तबाह हो जाएंगे। \p \v 20 जब दाऊद सिक़लाज वापस जा रहा था तो मनस्सी के क़बीले के दर्जे-ज़ैल अफ़सर साऊल से अलग होकर उसके साथ हो लिए : अदना, यूज़बद, यदियएल, मीकाएल, यूज़बद, इलीहू और ज़िल्लती। मनस्सी में हर एक को हज़ार हज़ार फ़ौजियों पर मुक़र्रर किया गया था। \v 21 उन्होंने लूटनेवाले अमालीक़ी दस्तों को पकड़ने में दाऊद की मदद की, क्योंकि वह सब दिलेर और क़ाबिल फ़ौजी थे। सब उस की फ़ौज में अफ़सर बन गए। \p \v 22 रोज़ बरोज़ लोग दाऊद की मदद करने के लिए आते रहे, और होते होते उस की फ़ौज अल्लाह की फ़ौज जैसी बड़ी हो गई। \s1 हबरून में दाऊद की फ़ौज \p \v 23 दर्जे-ज़ैल उन तमाम फ़ौजियों की फ़हरिस्त है जो हबरून में दाऊद के पास आए ताकि उसे साऊल की जगह बादशाह बनाएँ, जिस तरह रब ने हुक्म दिया था। \p \v 24 यहूदाह के क़बीले के ढाल और नेज़े से लैस 6,800 मर्द थे। \p \v 25 शमौन के क़बीले के 7,100 तजरबाकार फ़ौजी थे। \p \v 26 लावी के क़बीले के 4,600 मर्द थे। \v 27 उनमें हारून के ख़ानदान का सरपरस्त यहोयदा भी शामिल था जिसके साथ 3,700 आदमी थे। \v 28 सदोक़ नामी एक दिलेर और जवान फ़ौजी भी शामिल था। उसके साथ उसके अपने ख़ानदान के 22 अफ़सर थे। \p \v 29 साऊल के क़बीले बिनयमीन के भी 3,000 मर्द थे, लेकिन इस क़बीले के अकसर फ़ौजी अब तक साऊल के ख़ानदान के साथ लिपटे रहे। \p \v 30 इफ़राईम के क़बीले के 20,800 फ़ौजी थे। सब अपने ख़ानदानों में असरो-रसूख़ रखनेवाले थे। \p \v 31 मनस्सी के आधे क़बीले के 18,000 मर्द थे। उन्हें दाऊद को बादशाह बनाने के लिए चुन लिया गया था। \p \v 32 इशकार के क़बीले के 200 अफ़सर अपने दस्तों के साथ थे। यह लोग वक़्त की ज़रूरत समझकर जानते थे कि इसराईल को क्या करना है। \p \v 33 ज़बूलून के क़बीले के 50,000 तजरबाकार फ़ौजी थे। वह हर हथियार से लैस और पूरी वफ़ादारी से दाऊद के लिए लड़ने के लिए तैयार थे। \p \v 34 नफ़ताली के क़बीले के 1,000 अफ़सर थे। उनके तहत ढाल और नेज़े से मुसल्लह 37,000 आदमी थे। \p \v 35 दान के क़बीले के 28,600 मर्द थे जो सब लड़ने के लिए मुस्तैद थे। \p \v 36 आशर के क़बीले के 40,000 मर्द थे जो सब लड़ने के लिए तैयार थे। \p \v 37 दरियाए-यरदन के मशरिक़ में आबाद क़बीलों रूबिन, जद और मनस्सी के आधे हिस्से के 1,20,000 मर्द थे। हर एक हर क़िस्म के हथियार से लैस था। \p \v 38 सब तरतीब से हबरून आए ताकि पूरे अज़म के साथ दाऊद को पूरे इसराईल का बादशाह बनाएँ। बाक़ी तमाम इसराईली भी मुत्तफ़िक़ थे कि दाऊद हमारा बादशाह बन जाए। \v 39 यह फ़ौजी तीन दिन तक दाऊद के पास रहे जिस दौरान उनके क़बायली भाई उन्हें खाने-पीने की चीज़ें मुहैया करते रहे। \v 40 क़रीब के रहनेवालों ने भी इसमें उनकी मदद की। इशकार, ज़बूलून और नफ़ताली तक के लोग अपने गधों, ऊँटों, ख़च्चरों और बैलों पर खाने की चीज़ें लादकर वहाँ पहुँचे। मैदा, अंजीर और किशमिश की टिक्कियाँ, मै, तेल, बैल और भेड़-बकरियाँ बड़ी मिक़दार में हबरून लाई गईं, क्योंकि तमाम इसराईली ख़ुशी मना रहे थे। \c 13 \s1 दाऊद अहद का संदूक़ यरूशलम में लाना चाहता है \p \v 1 दाऊद ने तमाम अफ़सरों से मशवरा किया। उनमें हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सर शामिल थे। \v 2 फिर उसने इसराईल की पूरी जमात से कहा, “अगर आपको मंज़ूर हो और रब हमारे ख़ुदा की मरज़ी हो तो आएँ हम पूरे मुल्क के इसराईली भाइयों को दावत दें कि आकर हमारे साथ जमा हो जाएँ। वह इमाम और लावी भी शरीक हों जो अपने अपने शहरों और चरागाहों में बसते हैं। \v 3 फिर हम अपने ख़ुदा के अहद का संदूक़ दुबारा अपने पास वापस लाएँ, क्योंकि साऊल के दौरे-हुकूमत में हम उस की फ़िकर नहीं करते थे।” \p \v 4 पूरी जमात मुत्तफ़िक़ हुई, क्योंकि यह मनसूबा सबको दुरुस्त लगा। \v 5 चुनाँचे दाऊद ने पूरे इसराईल को जुनूब में मिसर के सैहूर से लेकर शिमाल में लबो-हमात तक बुलाया ताकि सब मिलकर अल्लाह के अहद का संदूक़ क़िरियत-यारीम से यरूशलम ले जाएँ। \v 6 फिर वह उनके साथ यहूदाह के बाला यानी क़िरियत-यारीम गया ताकि रब ख़ुदा का संदूक़ उठाकर यरूशलम ले जाएँ, वही संदूक़ जिस पर रब के नाम का ठप्पा लगा है और जहाँ वह संदूक़ के ऊपर करूबी फ़रिश्तों के दरमियान तख़्तनशीन है। \v 7 क़िरियत-यारीम पहुँचकर लोगों ने अल्लाह के संदूक़ को अबीनदाब के घर से निकालकर एक नई बैलगाड़ी पर रख दिया, और उज़्ज़ा और अख़ियो उसे यरूशलम की तरफ़ ले जाने लगे। \v 8 दाऊद और तमाम इसराईली गाड़ी के पीछे चल पड़े। सब अल्लाह के हुज़ूर पूरे ज़ोर से ख़ुशी मनाने लगे। जूनीपर की लकड़ी के मुख़्तलिफ़ साज़ भी बजाए जा रहे थे। फ़िज़ा सितारों, सरोदों, दफ़ों, झाँझों और तुरमों की आवाज़ों से गूँज उठी। \p \v 9 वह गंदुम गाहने की एक जगह पर पहुँच गए जिसके मालिक का नाम कैदून था। वहाँ बैल अचानक बेकाबू हो गए। उज़्ज़ा ने जल्दी से अहद का संदूक़ पकड़ लिया ताकि वह गिर न जाए। \v 10 उसी लमहे रब का ग़ज़ब उस पर नाज़िल हुआ, क्योंकि उसने अहद के संदूक़ को छूने की जुर्रत की थी। वहीं अल्लाह के हुज़ूर उज़्ज़ा गिरकर हलाक हुआ। \v 11 दाऊद को बड़ा रंज हुआ कि रब का ग़ज़ब उज़्ज़ा पर यों टूट पड़ा है। उस वक़्त से उस जगह का नाम परज़-उज़्ज़ा यानी ‘उज़्ज़ा पर टूट पड़ना’ है। \p \v 12 उस दिन दाऊद को अल्लाह से ख़ौफ़ आया। उसने सोचा, “मैं किस तरह अल्लाह का संदूक़ अपने पास पहुँचा सकूँगा?” \v 13 चुनाँचे उसने फ़ैसला किया कि हम अहद का संदूक़ यरूशलम नहीं ले जाएंगे बल्कि उसे ओबेद-अदोम जाती के घर में महफ़ूज़ रखेंगे। \v 14 वहाँ वह तीन माह तक पड़ा रहा। इन तीन महीनों के दौरान रब ने ओबेद-अदोम के घराने और उस की पूरी मिलकियत को बरकत दी। \c 14 \s1 दाऊद की तरक़्क़ी \p \v 1 एक दिन सूर के बादशाह हीराम ने दाऊद के पास वफ़द भेजा। राज और बढ़ई भी साथ थे। उनके पास देवदार की लकड़ी थी ताकि दाऊद के लिए महल बनाएँ। \v 2 यों दाऊद ने जान लिया कि रब ने मुझे इसराईल का बादशाह बनाकर मेरी बादशाही अपनी क़ौम इसराईल की ख़ातिर बहुत सरफ़राज़ कर दी है। \p \v 3 यरूशलम में जा बसने के बाद दाऊद ने मज़ीद शादियाँ कीं। नतीजे में यरूशलम में उसके कई बेटे-बेटियाँ पैदा हुए। \v 4 जो बेटे वहाँ पैदा हुए वह यह थे : सम्मुअ, सोबाब, नातन, सुलेमान, \v 5 इबहार, इलीसुअ, इल्फ़लत, \v 6 नौजा, नफ़ज, यफ़ीअ, \v 7 इलीसमा, बाल-यदा और इलीफ़लत। \s1 फ़िलिस्तियों पर फ़तह \p \v 8 जब फ़िलिस्तियों को इत्तला मिली कि दाऊद को मसह करके इसराईल का बादशाह बनाया गया है तो उन्होंने अपने फ़ौजियों को इसराईल में भेज दिया ताकि उसे पकड़ लें। जब दाऊद को पता चल गया तो वह उनका मुक़ाबला करने के लिए गया। \v 9 जब फ़िलिस्ती इसराईल में पहुँचकर वादीए-रफ़ाईम में फैल गए \v 10 तो दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं फ़िलिस्तियों पर हमला करूँ? क्या तू मुझे उन पर फ़तह बख़्शेगा?” रब ने जवाब दिया, “हाँ, उन पर हमला कर! मैं उन्हें तेरे क़ब्ज़े में कर दूँगा।” \v 11 चुनाँचे दाऊद अपने फ़ौजियों को लेकर बाल-पराज़ीम गया। वहाँ उसने फ़िलिस्तियों को शिकस्त दी। बाद में उसने गवाही दी, “जितने ज़ोर से बंद के टूट जाने पर पानी उससे फूट निकलता है उतने ज़ोर से आज अल्लाह मेरे वसीले से दुश्मन की सफ़ों में से फूट निकला है।” चुनाँचे उस जगह का नाम बाल-पराज़ीम यानी ‘फूट निकलने का मालिक’ पड़ गया। \v 12 फ़िलिस्ती अपने देवताओं को छोड़कर भाग गए, और दाऊद ने उन्हें जला देने का हुक्म दिया। \p \v 13 एक बार फिर फ़िलिस्ती आकर वादीए-रफ़ाईम में फैल गए। \v 14 इस दफ़ा जब दाऊद ने अल्लाह से दरियाफ़्त किया तो उसने जवाब दिया, “इस मरतबा उनका सामना मत करना बल्कि उनके पीछे जाकर बका के दरख़्तों के सामने उन पर हमला कर। \v 15 जब उन दरख़्तों की चोटियों से क़दमों की चाप सुनाई दे तो ख़बरदार! यह इसका इशारा होगा कि अल्लाह ख़ुद तेरे आगे आगे चलकर फ़िलिस्तियों को मारने के लिए निकल आया है।” \v 16 दाऊद ने ऐसा ही किया और नतीजे में फ़िलिस्तियों को शिकस्त देकर जिबऊन से लेकर जज़र तक उनका ताक़्क़ुब किया। \p \v 17 दाऊद की शोहरत तमाम ममालिक में फैल गई। रब ने तमाम क़ौमों के दिलों में दाऊद का ख़ौफ़ डाल दिया। \c 15 \s1 यरूशलम में अहद के संदूक़ के लिए तैयारियाँ \p \v 1 यरूशलम के उस हिस्से में जिसका नाम ‘दाऊद का शहर’ पड़ गया था दाऊद ने अपने लिए चंद इमारतें बनवाईं। उसने अल्लाह के संदूक़ के लिए भी एक जगह तैयार करके वहाँ ख़ैमा लगा दिया। \v 2 फिर उसने हुक्म दिया, “सिवाए लावियों के किसी को भी अल्लाह का संदूक़ उठाने की इजाज़त नहीं। क्योंकि रब ने इन्हीं को रब का संदूक़ उठाने और हमेशा के लिए उस की ख़िदमत करने के लिए चुन लिया है।” \p \v 3 इसके बाद दाऊद ने तमाम इसराईल को यरूशलम बुलाया ताकि वह मिलकर रब का संदूक़ उस जगह ले जाएँ जो उसने उसके लिए तैयार कर रखी थी। \v 4 बादशाह ने हारून और बाक़ी लावियों की औलाद को भी बुलाया। \v 5 दर्जे-ज़ैल उन लावी सरपरस्तों की फ़हरिस्त है जो अपने रिश्तेदारों को लेकर आए। \p क़िहात के ख़ानदान से ऊरियेल 120 मर्दों समेत, \p \v 6 मिरारी के ख़ानदान से असायाह 220 मर्दों समेत, \p \v 7 जैरसोम के ख़ानदान से योएल 130 मर्दों समेत, \p \v 8 इलीसफ़न के ख़ानदान से समायाह 200 मर्दों समेत, \p \v 9 हबरून के ख़ानदान से इलियेल 80 मर्दों समेत, \p \v 10 उज़्ज़ियेल के ख़ानदान से अम्मीनदाब 112 मर्दों समेत। \p \v 11 दाऊद ने दोनों इमामों सदोक़ और अबियातर को मज़कूरा छः लावी सरपरस्तों समेत अपने पास बुलाकर \v 12 उनसे कहा, “आप लावियों के सरबराह हैं। लाज़िम है कि आप अपने क़बायली भाइयों के साथ अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस करके रब इसराईल के ख़ुदा के संदूक़ को उस जगह ले जाएँ जो मैंने उसके लिए तैयार कर रखी है। \v 13 पहली मरतबा जब हमने उसे यहाँ लाने की कोशिश की तो यह आप लावियों के ज़रीए न हुआ, इसलिए रब हमारे ख़ुदा का क़हर हम पर टूट पड़ा। उस वक़्त हमने उससे दरियाफ़्त नहीं किया था कि उसे उठाकर ले जाने का क्या मुनासिब तरीक़ा है।” \v 14 तब इमामों और लावियों ने अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस करके रब इसराईल के ख़ुदा के संदूक़ को यरूशलम लाने के लिए तैयार किया। \v 15 फिर लावी अल्लाह के संदूक़ को उठाने की लकड़ियों से अपने कंधों पर यों ही रखकर चल पड़े जिस तरह मूसा ने रब के कलाम के मुताबिक़ फ़रमाया था। \p \v 16 दाऊद ने लावी सरबराहों को यह हुक्म भी दिया, “अपने क़बीले में से ऐसे आदमियों को चुन लें जो साज़, सितार, सरोद और झाँझ बजाते हुए ख़ुशी के गीत गाएँ।” \v 17 इस ज़िम्मादारी के लिए लावियों ने ज़ैल के आदमियों को मुक़र्रर किया : हैमान बिन योएल, उसका भाई आसफ़ बिन बरकियाह और मिरारी के ख़ानदान का ऐतान बिन कौसायाह। \v 18 दूसरे मक़ाम पर उनके यह भाई आए : ज़करियाह, याज़ियेल, समीरामोत, यहियेल, उन्नी, इलियाब, बिनायाह, मासियाह, मत्तितियाह, इलीफ़लेहू, मिक़नियाह, ओबेद-अदोम और यइयेल। यह दरबान थे। \v 19 हैमान, आसफ़ और ऐतान गुलूकार थे, और उन्हें पीतल के झाँझ बजाने की ज़िम्मादारी दी गई। \v 20 ज़करियाह, अज़ियेल, समीरामोत, यहियेल, उन्नी, इलियाब, मासियाह और बिनायाह को अलामूत के तर्ज़ पर सितार बजाना था। \v 21 मत्तितियाह, इलीफ़लेहू, मिक़नियाह, ओबेद-अदोम, यइयेल और अज़ज़ियाह को शमीनीत के तर्ज़ पर सरोद बजाने के लिए चुना गया। \p \v 22 कननियाह ने लावियों की कवाइर की राहनुमाई की, क्योंकि वह इसमें माहिर था। \p \v 23-24 बरकियाह, इलक़ाना, ओबेद-अदोम और यहियाह अहद के संदूक़ के दरबान थे। सबनियाह, यूसफ़त, नतनियेल, अमासी, ज़करियाह, बिनायाह और इलियज़र को तुरम बजाकर अल्लाह के संदूक़ के आगे आगे चलने की ज़िम्मादारी दी गई। सातों इमाम थे। \s1 दाऊद अहद का संदूक़ यरूशलम में ले आता है \p \v 25 फिर दाऊद, इसराईल के बुज़ुर्ग और हज़ार हज़ार फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सर ख़ुशी मनाते हुए निकलकर ओबेद-अदोम के घर गए ताकि रब के अहद का संदूक़ वहाँ से लेकर यरूशलम पहुँचाएँ। \v 26 जब ज़ाहिर हुआ कि अल्लाह अहद के संदूक़ को उठानेवाले लावियों की मदद कर रहा है तो सात जवान साँडों और सात मेंढों को क़ुरबान किया गया। \v 27 दाऊद बारीक कतान का लिबास पहने हुए था, और इस तरह अहद का संदूक़ उठानेवाले लावी, गुलूकार और कवाइर का लीडर कननियाह भी। इसके अलावा दाऊद कतान का बालापोश पहने हुए था। \v 28 तमाम इसराईली ख़ुशी के नारे लगा लगाकर, नरसिंगे और तुरम फूँक फूँककर और झाँझ, सितार और सरोद बजा बजाकर रब के अहद का संदूक़ यरूशलम लाए। \p \v 29 रब का अहद का संदूक़ दाऊद के शहर में दाख़िल हुआ तो दाऊद की बीवी मीकल बिंत साऊल खिड़की में से जुलूस को देख रही थी। जब बादशाह कूदता और नाचता हुआ नज़र आया तो मीकल ने उसे हक़ीर जाना। \c 16 \p \v 1 अल्लाह का संदूक़ उस तंबू के दरमियान में रखा गया जो दाऊद ने उसके लिए लगवाया था। फिर उन्होंने अल्लाह के हुज़ूर भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ पेश कीं। \v 2 इसके बाद दाऊद ने क़ौम को रब के नाम से बरकत देकर \v 3 हर इसराईली मर्द और औरत को एक रोटी, खजूर की एक टिक्की और किशमिश की एक टिक्की दे दी। \v 4 उसने कुछ लावियों को रब के संदूक़ के सामने ख़िदमत करने की ज़िम्मादारी दी। उन्हें रब इसराईल के ख़ुदा की तमजीद और हम्दो-सना करनी थी। \v 5 उनका सरबराह आसफ़ झाँझ बजाता था। उसका नायब ज़करियाह था। फिर यइयेल, समीरामोत, यहियेल, मत्तितियाह, इलियाब, बिनायाह, ओबेद-अदोम और यइयेल थे जो सितार और सरोद बजाते थे। \v 6 बिनायाह और यहज़ियेल इमामों की ज़िम्मादारी अल्लाह के अहद के संदूक़ के सामने तुरम बजाना थी। \s1 शुक्र का गीत \p \v 7 उस दिन दाऊद ने पहली दफ़ा आसफ़ और उसके साथी लावियों के हवाले ज़ैल का गीत करके उन्हें रब की सताइश करने की ज़िम्मादारी दी। \b \p \v 8 “रब का शुक्र करो और उसका नाम पुकारो! अक़वाम में उसके कामों का एलान करो। \p \v 9 साज़ बजाकर उस की मद्हसराई करो। उसके तमाम अजायब के बारे में लोगों को बताओ। \p \v 10 उसके मुक़द्दस नाम पर फ़ख़र करो। रब के तालिब दिल से ख़ुश हों। \p \v 11 रब और उस की क़ुदरत की दरियाफ़्त करो, हर वक़्त उसके चेहरे के तालिब रहो। \p \v 12 जो मोजिज़े उसने किए उन्हें याद करो। उसके इलाही निशान और उसके मुँह के फ़ैसले दोहराते रहो। \p \v 13 तुम जो उसके ख़ादिम इसराईल की औलाद और याक़ूब के फ़रज़ंद हो, जो उसके बरगुज़ीदा लोग हो, तुम्हें सब कुछ याद रहे! \b \p \v 14 वही रब हमारा ख़ुदा है, वही पूरी दुनिया की अदालत करता है। \p \v 15 वह हमेशा अपने अहद का ख़याल रखता है, उस कलाम का जो उसने हज़ार पुश्तों के लिए फ़रमाया था। \p \v 16 यह वह अहद है जो उसने इब्राहीम से बाँधा, वह वादा जो उसने क़सम खाकर इसहाक़ से किया था। \p \v 17 उसने उसे याक़ूब के लिए क़ायम किया ताकि वह उसके मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारे, उसने तसदीक़ की कि यह मेरा इसराईल से अबदी अहद है। \p \v 18 साथ साथ उसने फ़रमाया, ‘मैं तुझे मुल्के-कनान दूँगा। यह तेरी मीरास का हिस्सा होगा।’ \p \v 19 उस वक़्त वह तादाद में कम और थोड़े ही थे बल्कि मुल्क में अजनबी ही थे। \b \p \v 20 अब तक वह मुख़्तलिफ़ क़ौमों और सलतनतों में घुमते-फिरते थे। \p \v 21 लेकिन अल्लाह ने उन पर किसी को ज़ुल्म करने न दिया, और उनकी ख़ातिर उसने बादशाहों को डाँटा, \p \v 22 ‘मेरे मसह किए हुए ख़ादिमों को मत छेड़ना, मेरे नबियों को नुक़सान मत पहुँचाना।’ \b \p \v 23 ऐ पूरी दुनिया, रब की तमजीद में गीत गा! रोज़ बरोज़ उस की नजात की ख़ुशख़बरी सुना। \p \v 24 क़ौमों में उसका जलाल और तमाम उम्मतों में उसके अजायब बयान करो। \p \v 25 क्योंकि रब अज़ीम और सताइश के बहुत लायक़ है। वह तमाम माबूदों से महीब है। \p \v 26 क्योंकि दीगर क़ौमों के तमाम माबूद बुत ही हैं जबकि रब ने आसमान को बनाया। \p \v 27 उसके हुज़ूर शानो-शौकत, उस की सुकूनतगाह में क़ुदरत और जलाल है। \p \v 28 ऐ क़ौमों के क़बीलो, रब की तमजीद करो, रब के जलाल और क़ुदरत की सताइश करो। \p \v 29 रब के नाम को जलाल दो। क़ुरबानी लेकर उसके हुज़ूर आओ। मुक़द्दस लिबास से आरास्ता होकर रब को सिजदा करो। \p \v 30 पूरी दुनिया उसके सामने लरज़ उठे। यक़ीनन दुनिया मज़बूती से क़ायम है और नहीं डगमगाएगी। \p \v 31 आसमान शादमान हो, और ज़मीन जशन मनाए। क़ौमों में कहा जाए कि रब बादशाह है। \p \v 32 समुंदर और जो कुछ उसमें है ख़ुशी से गरज उठे, मैदान और जो कुछ उसमें है बाग़ बाग़ हो। \p \v 33 फिर जंगल के दरख़्त रब के सामने शादियाना बजाएंगे, क्योंकि वह आ रहा है, वह ज़मीन की अदालत करने आ रहा है। \b \p \v 34 रब का शुक्र करो, क्योंकि वह भला है, और उस की शफ़क़त अबदी है। \p \v 35 उससे इलतमास करो, ‘ऐ हमारी नजात के ख़ुदा, हमें बचा! हमें जमा करके दीगर क़ौमों के हाथ से छुड़ा। तब ही हम तेरे मुक़द्दस नाम की सताइश करेंगे और तेरे क़ाबिले-तारीफ़ कामों पर फ़ख़र करेंगे।’ \p \v 36 अज़ल से अबद तक रब, इसराईल के ख़ुदा की हम्द हो!” \p तब पूरी क़ौम ने “आमीन” और “रब की हम्द हो” कहा। \s1 लावियों की ज़िम्मादारियाँ \p \v 37 दाऊद ने आसफ़ और उसके साथी लावियों को रब के अहद के संदूक़ के सामने छोड़कर कहा, “आइंदा यहाँ बाक़ायदगी से रोज़ाना की ज़रूरी ख़िदमत करते जाएँ।” \p \v 38 इस गुरोह में ओबेद-अदोम और मज़ीद 68 लावी शामिल थे। ओबेद-अदोम बिन यदूतून और हूसा दरबान बन गए। \p \v 39 लेकिन सदोक़ इमाम और उसके साथी इमामों को दाऊद ने रब की उस सुकूनतगाह के पास छोड़ दिया जो जिबऊन की पहाड़ी पर थी। \v 40 क्योंकि लाज़िम था कि वह वहाँ हर सुबह और शाम को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करें और बाक़ी तमाम हिदायात पर अमल करें जो रब की तरफ़ से इसराईल के लिए शरीअत में बयान की गई हैं। \v 41 दाऊद ने हैमान, यदूतून और मज़ीद कुछ चीदा लावियों को भी जिबऊन में उनके पास छोड़ दिया। वहाँ उनकी ख़ास ज़िम्मादारी रब की हम्दो-सना करना थी, क्योंकि उस की शफ़क़त अबदी है। \v 42 उनके पास तुरम, झाँझ और बाक़ी ऐसे साज़ थे जो अल्लाह की तारीफ़ में गाए जानेवाले गीतों के साथ बजाए जाते थे। यदूतून के बेटों को दरबान बनाया गया। \p \v 43 जशन के बाद सब लोग अपने अपने घर चले गए। दाऊद भी अपने घर लौटा ताकि अपने ख़ानदान को बरकत देकर सलाम करे। \c 17 \s1 रब दाऊद के लिए अबदी बादशाही का वादा करता है \p \v 1 दाऊद बादशाह सलामती से अपने महल में रहने लगा। एक दिन उसने नातन नबी से बात की, “देखें, मैं यहाँ देवदार के महल में रहता हूँ जबकि रब के अहद का संदूक़ अब तक तंबू में पड़ा है। यह मुनासिब नहीं!” \v 2 नातन ने बादशाह की हौसलाअफ़्ज़ाई की, “जो कुछ भी आप करना चाहते हैं वह करें। अल्लाह आपके साथ है।” \p \v 3 लेकिन उसी रात अल्लाह नातन से हमकलाम हुआ, \v 4 “मेरे ख़ादिम दाऊद के पास जाकर उसे बता दे कि रब फ़रमाता है, ‘तू मेरी रिहाइश के लिए मकान तामीर नहीं करेगा। \v 5 आज तक मैं किसी मकान में नहीं रहा। जब से मैं इसराईलियों को मिसर से निकाल लाया उस वक़्त से मैं ख़ैमे में रहकर जगह बजगह फिरता रहा हूँ। \v 6 जिस दौरान मैं तमाम इसराईलियों के साथ इधर-उधर फिरता रहा क्या मैंने इसराईल के उन राहनुमाओं से कभी इस नाते से शिकायत की जिन्हें मैंने अपनी क़ौम की गल्लाबानी करने का हुक्म दिया था? क्या मैंने उनमें से किसी से कहा कि तुमने मेरे लिए देवदार का घर क्यों नहीं बनाया?’ \p \v 7 चुनाँचे मेरे ख़ादिम दाऊद को बता दे, ‘रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि मैं ही ने तुझे चरागाह में भेड़ों की गल्लाबानी करने से फ़ारिग़ करके अपनी क़ौम इसराईल का बादशाह बना दिया है। \v 8 जहाँ भी तूने क़दम रखा वहाँ मैं तेरे साथ रहा हूँ। तेरे देखते देखते मैंने तेरे तमाम दुश्मनों को हलाक कर दिया है। अब मैं तेरा नाम सरफ़राज़ कर दूँगा, वह दुनिया के सबसे अज़ीम आदमियों के नामों के बराबर ही होगा। \v 9 और मैं अपनी क़ौम इसराईल के लिए एक वतन मुहैया करूँगा, पौदे की तरह उन्हें यों लगा दूँगा कि वह जड़ पकड़कर महफ़ूज़ रहेंगे और कभी बेचैन नहीं होंगे। बेदीन क़ौमें उन्हें उस तरह नहीं दबाएँगी जिस तरह माज़ी में किया करती थीं, \v 10 उस वक़्त से जब मैं क़ौम पर क़ाज़ी मुक़र्रर करता था। मैं तेरे दुश्मनों को ख़ाक में मिला दूँगा। आज मैं फ़रमाता हूँ कि रब ही तेरे लिए घर बनाएगा। \v 11 जब तू बूढ़ा होकर कूच कर जाएगा और अपने बापदादा से जा मिलेगा तो मैं तेरी जगह तेरे बेटों में से एक को तख़्त पर बिठा दूँगा। उस की बादशाही को मैं मज़बूत बना दूँगा। \v 12 वही मेरे लिए घर तामीर करेगा, और मैं उसका तख़्त अबद तक क़ायम रखूँगा। \v 13 मैं उसका बाप हूँगा और वह मेरा बेटा होगा। मेरी नज़रे-करम साऊल पर न रही, लेकिन मैं उसे तेरे बेटे से कभी नहीं हटाऊँगा। \v 14 मैं उसे अपने घराने और अपनी बादशाही पर हमेशा क़ायम रखूँगा, उसका तख़्त हमेशा मज़बूत रहेगा’।” \s1 दाऊद की शुक्रगुज़ारी \p \v 15 नातन ने दाऊद के पास जाकर उसे सब कुछ सुनाया जो रब ने उसे रोया में बताया था। \v 16 तब दाऊद अहद के संदूक़ के पास गया और रब के हुज़ूर बैठकर दुआ करने लगा, \p “ऐ रब ख़ुदा, मैं कौन हूँ और मेरा ख़ानदान क्या हैसियत रखता है कि तूने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है? \v 17 और अब ऐ अल्लाह, तू मुझे और भी ज़्यादा अता करने को है, क्योंकि तूने अपने ख़ादिम के घराने के मुस्तक़बिल के बारे में भी वादा किया है। ऐ रब ख़ुदा, तूने यों मुझ पर निगाह डाली है गोया कि मैं कोई बहुत अहम बंदा हूँ। \v 18-19 लेकिन मैं मज़ीद क्या कहूँ जब तूने यों अपने ख़ादिम की इज़्ज़त की है? ऐ रब, तू तो अपने ख़ादिम को जानता है। तूने अपने ख़ादिम की ख़ातिर और अपनी मरज़ी के मुताबिक़ यह अज़ीम काम करके इन अज़ीम वादों की इत्तला दी है। \p \v 20 ऐ रब, तुझ जैसा कोई नहीं है। हमने अपने कानों से सुन लिया है कि तेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। \v 21 दुनिया में कौन-सी क़ौम तेरी उम्मत इसराईल की मानिंद है? तूने इसी एक क़ौम का फ़िद्या देकर उसे ग़ुलामी से छुड़ाया और अपनी क़ौम बना लिया। तूने इसराईल के वास्ते बड़े और हैबतनाक काम करके अपने नाम की शोहरत फैला दी। हमें मिसर से रिहा करके तूने क़ौमों को हमारे आगे से निकाल दिया। \v 22 ऐ रब, तू इसराईल को हमेशा के लिए अपनी क़ौम बनाकर उनका ख़ुदा बन गया है। \p \v 23 चुनाँचे ऐ रब, जो बात तूने अपने ख़ादिम और उसके घराने के बारे में की है उसे अबद तक क़ायम रख और अपना वादा पूरा कर। \v 24 तब वह मज़बूत रहेगा और तेरा नाम अबद तक मशहूर रहेगा। फिर लोग तसलीम करेंगे कि इसराईल का ख़ुदा रब्बुल-अफ़वाज वाक़ई इसराईल का ख़ुदा है, और तेरे ख़ादिम दाऊद का घराना भी अबद तक तेरे हुज़ूर क़ायम रहेगा। \v 25 ऐ मेरे ख़ुदा, तूने अपने ख़ादिम के कान को इस बात के लिए खोल दिया है। तू ही ने फ़रमाया, ‘मैं तेरे लिए घर तामीर करूँगा।’ सिर्फ़ इसी लिए तेरे ख़ादिम ने यों तुझसे दुआ करने की जुर्रत की है। \v 26 ऐ रब, तू ही ख़ुदा है। तूने अपने ख़ादिम से इन अच्छी चीज़ों का वादा किया है। \v 27 अब तू अपने ख़ादिम के घराने को बरकत देने पर राज़ी हो गया है ताकि वह हमेशा तक तेरे सामने क़ायम रहे। क्योंकि तू ही ने उसे बरकत दी है, इसलिए वह अबद तक मुबारक रहेगा।” \c 18 \s1 दाऊद की जंगें \p \v 1 फिर ऐसा वक़्त आया कि दाऊद ने फ़िलिस्तियों को शिकस्त देकर उन्हें अपने ताबे कर लिया और जात शहर पर गिर्दो-नवाह की आबादियों समेत क़ब्ज़ा कर लिया। \p \v 2 उसने मोआबियों पर भी फ़तह पाई, और वह उसके ताबे होकर उसे ख़राज देने लगे। \p \v 3 दाऊद ने शिमाली शाम के शहर ज़ोबाह के बादशाह हददअज़र को भी हमात के क़रीब हरा दिया जब हददअज़र दरियाए-फ़ुरात पर क़ाबू पाने के लिए निकल आया था। \v 4 दाऊद ने 1,000 रथों, 7,000 घुड़सवारों और 20,000 प्यादा सिपाहियों को गिरिफ़्तार कर लिया। रथों के 100 घोड़ों को उसने अपने लिए महफ़ूज़ रखा जबकि बाक़ियों की उसने कोंचें काट दीं ताकि वह आइंदा जंग के लिए इस्तेमाल न हो सकें। \p \v 5 जब दमिश्क़ के अरामी बाशिंदे ज़ोबाह के बादशाह हददअज़र की मदद करने आए तो दाऊद ने उनके 22,000 अफ़राद हलाक कर दिए। \v 6 फिर उसने दमिश्क़ के इलाक़े में अपनी फ़ौजी चौकियाँ क़ायम कीं। अरामी उसके ताबे हो गए और उसे ख़राज देते रहे। जहाँ भी दाऊद गया वहाँ रब ने उसे कामयाबी बख़्शी। \v 7 सोने की जो ढालें हददअज़र के अफ़सरों के पास थीं उन्हें दाऊद यरूशलम ले गया। \v 8 हददअज़र के दो शहरों कून और तिबख़त से उसने कसरत का पीतल छीन लिया। बाद में सुलेमान ने यह पीतल रब के घर में ‘समुंदर’ नामी पीतल का हौज़, सतून और पीतल का मुख़्तलिफ़ सामान बनाने के लिए इस्तेमाल किया। \p \v 9 जब हमात के बादशाह तूई को इत्तला मिली कि दाऊद ने ज़ोबाह के बादशाह हददअज़र की पूरी फ़ौज पर फ़तह पाई है \v 10 तो उसने अपने बेटे हदूराम को दाऊद के पास भेजा ताकि उसे सलाम कहे। हदूराम ने दाऊद को हददअज़र पर फ़तह के लिए मुबारकबाद दी, क्योंकि हददअज़र तूई का दुश्मन था, और उनके दरमियान जंग रही थी। हदूराम ने दाऊद को सोने, चाँदी और पीतल के बहुत-से तोह्फ़े भी पेश किए। \v 11 दाऊद ने यह चीज़ें रब के लिए मख़सूस कर दीं। जहाँ भी वह दूसरी क़ौमों पर ग़ालिब आया वहाँ की सोना-चाँदी उसने रब के लिए मख़सूस कर दी। यों अदोम, मोआब, अम्मोन, फिलिस्तिया और अमालीक़ की सोना-चाँदी रब को पेश की गई। \p \v 12 अबीशै बिन ज़रूयाह ने नमक की वादी में अदोमियों पर फ़तह पाकर 18,000 अफ़राद हलाक कर दिए। \v 13 उसने अदोम के पूरे मुल्क में अपनी फ़ौजी चौकियाँ क़ायम कीं, और तमाम अदोमी दाऊद के ताबे हो गए। दाऊद जहाँ भी जाता रब उस की मदद करके उसे फ़तह बख़्शता। \s1 दाऊद के आला अफ़सर \p \v 14 जितनी देर दाऊद पूरे इसराईल पर हुकूमत करता रहा उतनी देर तक उसने ध्यान दिया कि क़ौम के हर एक शख़्स को इनसाफ़ मिल जाए। \v 15 योआब बिन ज़रूयाह फ़ौज पर मुक़र्रर था। यहूसफ़त बिन अख़ीलूद बादशाह का मुशीरे-ख़ास था। \v 16 सदोक़ बिन अख़ीतूब और अबीमलिक बिन अबियातर इमाम थे। शौशा मीरमुंशी था। \v 17 बिनायाह बिन यहोयदा दाऊद के ख़ास दस्ते बनाम करेती और फ़लेती का कप्तान मुक़र्रर था। दाऊद के बेटे आला अफ़सर थे। \c 19 \s1 अम्मोनी दाऊद की बेइज़्ज़ती करते हैं \p \v 1 कुछ देर के बाद अम्मोनियों का बादशाह नाहस फ़ौत हुआ, और उसका बेटा तख़्तनशीन हुआ। \v 2 दाऊद ने सोचा, “नाहस ने हमेशा मुझ पर मेहरबानी की थी, इसलिए अब मैं भी उसके बेटे हनून पर मेहरबानी करूँगा।” उसने बाप की वफ़ात का अफ़सोस करने के लिए हनून के पास वफ़द भेजा। \p लेकिन जब दाऊद के सफ़ीर अम्मोनियों के दरबार में पहुँच गए ताकि हनून के सामने अफ़सोस का इज़हार करें \v 3 तो उस मुल्क के बुज़ुर्ग हनून बादशाह के कान में मनफ़ी बातें भरने लगे, “क्या दाऊद ने इन आदमियों को वाक़ई सिर्फ़ इसलिए भेजा है कि वह अफ़सोस करके आपके बाप का एहतराम करें? हरगिज़ नहीं! यह सिर्फ़ बहाना है। असल में यह जासूस हैं जो हमारे मुल्क के बारे में मालूमात हासिल करना चाहते हैं ताकि उस पर क़ब्ज़ा कर सकें।” \v 4 चुनाँचे हनून ने दाऊद के आदमियों को पकड़वाकर उनकी दाढ़ियाँ मुँडवा दीं और उनके लिबास को कमर से लेकर पाँव तक काटकर उतरवाया। इसी हालत में बादशाह ने उन्हें फ़ारिग़ कर दिया। \p \v 5 जब दाऊद को इसकी ख़बर मिली तो उसने अपने क़ासिदों को उनसे मिलने के लिए भेजा ताकि उन्हें बताएँ, “यरीहू में उस वक़्त तक ठहरे रहें जब तक आपकी दाढ़ियाँ दुबारा बहाल न हो जाएँ।” क्योंकि वह अपनी दाढ़ियों की वजह से बड़ी शरमिंदगी महसूस कर रहे थे। \s1 अम्मोनियों से जंग \p \v 6 अम्मोनियों को ख़ूब मालूम था कि इस हरकत से हम दाऊद के दुश्मन बन गए हैं। इसलिए हनून और अम्मोनियों ने मसोपुतामिया, अराम-माका और ज़ोबाह को चाँदी के 34,000 किलोग्राम भेजकर किराए पर रथ और रथसवार मँगवाए। \v 7 यों उन्हें 32,000 रथ उनके सवारों समेत मिल गए। माका का बादशाह भी अपने दस्तों के साथ उनसे मुत्तहिद हुआ। मीदबा के क़रीब उन्होंने अपनी लशकरगाह लगाई। अम्मोनी भी अपने शहरों से निकलकर जंग के लिए जमा हुए। \v 8 जब दाऊद को इसका इल्म हुआ तो उसने योआब को पूरी फ़ौज के साथ उनका मुक़ाबला करने के लिए भेज दिया। \v 9 अम्मोनी अपने दारुल-हुकूमत रब्बा से निकलकर शहर के दरवाज़े के सामने ही सफ़आरा हुए जबकि दूसरे ममालिक से आए हुए बादशाह कुछ फ़ासले पर खुले मैदान में खड़े हो गए। \p \v 10 जब योआब ने जान लिया कि सामने और पीछे दोनों तरफ़ से हमले का ख़तरा है तो उसने अपनी फ़ौज को दो हिस्सों में तक़सीम कर दिया। सबसे अच्छे फ़ौजियों के साथ वह ख़ुद शाम के सिपाहियों से लड़ने के लिए तैयार हुआ। \v 11 बाक़ी आदमियों को उसने अपने भाई अबीशै के हवाले कर दिया ताकि वह अम्मोनियों से लड़ें। \v 12 एक दूसरे से अलग होने से पहले योआब ने अबीशै से कहा, “अगर शाम के फ़ौजी मुझ पर ग़ालिब आने लगें तो मेरे पास आकर मेरी मदद करना। लेकिन अगर आप अम्मोनियों पर क़ाबू न पा सकें तो मैं आकर आपकी मदद करूँगा। \v 13 हौसला रखें! हम दिलेरी से अपनी क़ौम और अपने ख़ुदा के शहरों के लिए लड़ें। और रब वह कुछ होने दे जो उस की नज़र में ठीक है।” \p \v 14 योआब ने अपनी फ़ौज के साथ शाम के फ़ौजियों पर हमला किया तो वह उसके सामने से भागने लगे। \v 15 यह देखकर अम्मोनी भी उसके भाई अबीशै से फ़रार होकर शहर में दाख़िल हुए। तब योआब यरूशलम वापस चला गया। \s1 शाम के ख़िलाफ़ जंग \p \v 16 जब शाम के फ़ौजियों को शिकस्त की बेइज़्ज़ती का एहसास हुआ तो उन्होंने दरियाए-फ़ुरात के पार मसोपुतामिया में आबाद अरामियों के पास क़ासिद भेजे ताकि वह भी लड़ने में मदद करें। हददअज़र का कमाँडर सोफ़क उन पर मुक़र्रर हुआ। \v 17 जब दाऊद को ख़बर मिली तो उसने इसराईल के तमाम लड़ने के क़ाबिल आदमियों को जमा किया और दरियाए-यरदन को पार करके उनके मुक़ाबिल सफ़आरा हुआ। जब वह यों उनसे लड़ने के लिए तैयार हुआ तो अरामी उसका मुक़ाबला करने लगे। \v 18 लेकिन उन्हें दुबारा शिकस्त मानकर फ़रार होना पड़ा। इस दफ़ा उनके 7,000 रथबानों के अलावा 40,000 प्यादा सिपाही हलाक हुए। दाऊद ने फ़ौज के कमाँडर सोफ़क को भी मार डाला। \p \v 19 जो अरामी पहले हददअज़र के ताबे थे उन्होंने अब हार मानकर इसराईलियों से सुलह कर ली और उनके ताबे हो गए। उस वक़्त से अरामियों ने अम्मोनियों की मदद करने की फिर जुर्रत न की। \c 20 \s1 रब्बा शहर पर फ़तह \p \v 1 बहार का मौसम आ गया, वह वक़्त जब बादशाह जंग के लिए निकलते हैं। तब योआब ने फ़ौज लेकर अम्मोनियों का मुल्क तबाह कर दिया। लड़ते लड़ते वह रब्बा तक पहुँच गया और उसका मुहासरा करने लगा। लेकिन दाऊद ख़ुद यरूशलम में रहा। फिर योआब ने रब्बा को भी शिकस्त देकर ख़ाक में मिला दिया। \v 2 दाऊद ने हनून बादशाह का ताज उसके सर से उतारकर अपने सर पर रख लिया। सोने के इस ताज का वज़न 34 किलोग्राम था, और उसमें एक बेशक़ीमत जौहर जड़ा हुआ था। दाऊद ने शहर से बहुत-सा लूटा हुआ माल लेकर \v 3 उसके बाशिंदों को ग़ुलाम बना लिया। उन्हें पत्थर काटने की आरियाँ, लोहे की कुदालें और कुल्हाड़ियाँ दी गईं ताकि वह मज़दूरी करें। यही सुलूक बाक़ी अम्मोनी शहरों के बाशिंदों के साथ भी किया गया। जंग के इख़्तिताम पर दाऊद पूरी फ़ौज के साथ यरूशलम लौट आया। \s1 फ़िलिस्तियों से जंग \p \v 4 इसके बाद इसराईलियों को जज़र के क़रीब फ़िलिस्तियों से लड़ना पड़ा। वहाँ सिब्बकी हूसाती ने देवक़ामत मर्द रफ़ा की औलाद में से एक आदमी को मार डाला जिसका नाम सफ़्फ़ी था। यों फ़िलिस्तियों को ताबे कर लिया गया। \v 5 उनसे एक और लड़ाई के दौरान इल्हनान बिन याईर ने जाती जालूत के भाई लहमी को मौत के घाट उतार दिया। उसका नेज़ा खड्डी के शहतीर जैसा बड़ा था। \v 6 एक और दफ़ा जात के पास लड़ाई हुई। फ़िलिस्तियों का एक फ़ौजी जो रफ़ा की नसल का था बहुत लंबा था। उसके हाथों और पैरों की छः छः उँगलियाँ यानी मिलकर 24 उँगलियाँ थीं। \v 7 जब वह इसराईलियों का मज़ाक़ उड़ाने लगा तो दाऊद के भाई सिमआ के बेटे यूनतन ने उसे मार डाला। \v 8 जात के यह देवक़ामत मर्द रफ़ा की औलाद थे, और वह दाऊद और उसके फ़ौजियों के हाथों हलाक हुए। \c 21 \s1 दाऊद की मर्दुमशुमारी \p \v 1 एक दिन इबलीस इसराईल के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ और दाऊद को इसराईल की मर्दुमशुमारी करने पर उकसाया। \v 2 दाऊद ने योआब और क़ौम के बुज़ुर्गों को हुक्म दिया, “दान से लेकर बैर-सबा तक इसराईल के तमाम क़बीलों में से गुज़रते हुए जंग करने के क़ाबिल मर्दों को गिन लें। फिर वापस आकर मुझे इत्तला दें ताकि मालूम हो जाए कि उनकी कुल तादाद क्या है।” \p \v 3 लेकिन योआब ने एतराज़ किया, “ऐ बादशाह मेरे आक़ा, काश रब अपने फ़ौजियों की तादाद सौ गुना बढ़ा दे। क्योंकि यह तो सब आपके ख़ादिम हैं। लेकिन मेरे आक़ा उनकी मर्दुमशुमारी क्यों करना चाहते हैं? इसराईल आपके सबब से क्यों क़ुसूरवार ठहरे?” \p \v 4 लेकिन बादशाह योआब के एतराज़ात के बावुजूद अपनी बात पर डटा रहा। चुनाँचे योआब दरबार से रवाना हुआ और पूरे इसराईल में से गुज़रकर उस की मर्दुमशुमारी की। इसके बाद वह यरूशलम वापस आ गया। \v 5 वहाँ उसने दाऊद को मर्दुमशुमारी की पूरी रिपोर्ट पेश की। इसराईल में 11,00,000 तलवार चलाने के क़ाबिल अफ़राद थे जबकि यहूदाह के 4,70,000 मर्द थे। \v 6 हालाँकि योआब ने लावी और बिनयमीन के क़बीलों को मर्दुमशुमारी में शामिल नहीं किया था, क्योंकि उसे यह काम करने से घिन आती थी। \p \v 7 अल्लाह को दाऊद की यह हरकत बुरी लगी, इसलिए उसने इसराईल को सज़ा दी। \v 8 तब दाऊद ने अल्लाह से दुआ की, “मुझसे संगीन गुनाह सरज़द हुआ है। अब अपने ख़ादिम का क़ुसूर मुआफ़ कर। मुझसे बड़ी हमाक़त हुई है।” \v 9 तब रब दाऊद के ग़ैबबीन जाद नबी से हमकलाम हुआ, \v 10 “दाऊद के पास जाकर उसे बता देना, ‘रब तुझे तीन सज़ाएँ पेश करता है। इनमें से एक चुन ले’।” \p \v 11 जाद दाऊद के पास गया और उसे रब का पैग़ाम सुना दिया। उसने सवाल किया, “आप किस सज़ा को तरजीह देते हैं? \v 12 सात साल के दौरान काल? या यह कि आपके दुश्मन तीन माह तक आपको तलवार से मार मारकर आपका ताक़्क़ुब करते रहें? या यह कि रब की तलवार इसराईल में से गुज़रे? इस सूरत में रब का फ़रिश्ता मुल्क में वबा फैलाकर पूरे इसराईल का सत्यानास कर देगा।” \p \v 13 दाऊद ने जवाब दिया, “हाय मैं क्या कहूँ? मैं बहुत परेशान हूँ। लेकिन आदमियों के हाथों में पड़ जाने की निसबत बेहतर है कि हम रब ही के हाथों में पड़ जाएँ, क्योंकि उसका रहम निहायत अज़ीम है।” \p \v 14 तब रब ने इसराईल में वबा फैलने दी। मुल्क में 70,000 अफ़राद हलाक हुए। \v 15 अल्लाह ने अपने फ़रिश्ते को यरूशलम को तबाह करने के लिए भी भेजा। लेकिन फ़रिश्ता अभी इसके लिए तैयार हो रहा था कि रब ने लोगों की मुसीबत को देखकर तरस खाया और तबाह करनेवाले फ़रिश्ते को हुक्म दिया, “बस कर! अब बाज़ आ।” उस वक़्त रब का फ़रिश्ता वहाँ खड़ा था जहाँ उरनान यानी अरौनाह यबूसी अपना अनाज गाहता था। \v 16 दाऊद ने अपनी निगाह उठाकर रब के फ़रिश्ते को आसमानो-ज़मीन के दरमियान खड़े देखा। अपनी तलवार मियान से खींचकर उसने उसे यरूशलम की तरफ़ बढ़ाया था कि दाऊद बुज़ुर्गों समेत मुँह के बल गिर गया। सब टाट का लिबास ओढ़े हुए थे। \v 17 दाऊद ने अल्लाह से इलतमास की, “मैं ही ने हुक्म दिया कि लड़ने के क़ाबिल मर्दों को गिना जाए। मैं ही ने गुनाह किया है, यह मेरा ही क़ुसूर है। इन भेड़ों से क्या ग़लती हुई है? ऐ रब मेरे ख़ुदा, बराहे-करम इनको छोड़कर मुझे और मेरे ख़ानदान को सज़ा दे। अपनी क़ौम से वबा दूर कर!” \p \v 18 फिर रब के फ़रिश्ते ने जाद की मारिफ़त दाऊद को पैग़ाम भेजा, “अरौनाह यबूसी की गाहने की जगह के पास जाकर उस पर रब की क़ुरबानगाह बना ले।” \p \v 19 चुनाँचे दाऊद चढ़कर गाहने की जगह के पास आया जिस तरह रब ने जाद की मारिफ़त फ़रमाया था। \v 20 उस वक़्त अरौनाह अपने चार बेटों के साथ गंदुम गाह रहा था। जब उसने पीछे देखा तो फ़रिश्ता नज़र आया। अरौनाह के बेटे भागकर छुप गए। \v 21 इतने में दाऊद आ पहुँचा। उसे देखते ही अरौनाह गाहने की जगह को छोड़कर उससे मिलने गया और उसके सामने औंधे मुँह झुक गया। \v 22 दाऊद ने उससे कहा, “मुझे अपनी गाहने की जगह दे दें ताकि मैं यहाँ रब के लिए क़ुरबानगाह तामीर करूँ। क्योंकि यह करने से वबा रुक जाएगी। मुझे इसकी पूरी क़ीमत बताएँ।” \p \v 23 अरौनाह ने दाऊद से कहा, “मेरे आक़ा और बादशाह, इसे लेकर वह कुछ करें जो आपको अच्छा लगे। देखें, मैं आपको अपने बैलों को भस्म होनेवाली क़ुरबानियों के लिए दे देता हूँ। अनाज को गाहने का सामान क़ुरबानगाह पर रखकर जला दें। मेरा अनाज ग़ल्ला की नज़र के लिए हाज़िर है। मैं ख़ुशी से आपको यह सब कुछ दे देता हूँ।” \v 24 लेकिन दाऊद बादशाह ने इनकार किया, “नहीं, मैं ज़रूर हर चीज़ की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। जो आपकी है उसे मैं लेकर रब को पेश नहीं करूँगा, न मैं ऐसी कोई भस्म होनेवाली क़ुरबानी चढ़ाऊँगा जो मुझे मुफ़्त में मिल जाए।” \p \v 25 चुनाँचे दाऊद ने अरौनाह को उस जगह के लिए सोने के 600 सिक्के दे दिए। \v 26 उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह तामीर करके उस पर भस्म होनेवाली और सलामती की क़ुरबानियाँ चढ़ाईं। जब उसने रब से इलतमास की तो रब ने उस की सुनी और जवाब में आसमान से भस्म होनेवाली क़ुरबानी पर आग भेज दी। \v 27 फिर रब ने मौत के फ़रिश्ते को हुक्म दिया, और उसने अपनी तलवार को दुबारा मियान में डाल दिया। \p \v 28 यों दाऊद ने जान लिया कि रब ने अरौनाह यबूसी की गहने की जगह पर मेरी सुनी जब मैंने यहाँ क़ुरबानियाँ चढ़ाईं। \v 29 उस वक़्त रब का वह मुक़द्दस ख़ैमा जो मूसा ने रेगिस्तान में बनवाया था जिबऊन की पहाड़ी पर था। क़ुरबानियों को जलाने की क़ुरबानगाह भी वहीं थी। \v 30 लेकिन अब दाऊद में वहाँ जाकर रब के हुज़ूर उस की मरज़ी दरियाफ़्त करने की जुर्रत न रही, क्योंकि रब के फ़रिश्ते की तलवार को देखकर उस पर इतनी शदीद दहशत तारी हुई कि वह जा ही नहीं सकता था। \c 22 \p \v 1 इसलिए दाऊद ने फ़ैसला किया, “रब हमारे ख़ुदा का घर गाहने की इस जगह पर होगा, और यहाँ वह क़ुरबानगाह भी होगी जिस पर इसराईल के लिए भस्म होनेवाली क़ुरबानी जलाई जाती है।” \s1 दाऊद रब का घर बनाने की तैयारियाँ करता है \p \v 2 चुनाँचे उसने इसराईल में रहनेवाले परदेसियों को बुलाकर उन्हें अल्लाह के घर के लिए दरकार तराशे हुए पत्थर तैयार करने की ज़िम्मादारी दी। \v 3 इसके अलावा दाऊद ने दरवाज़ों के किवाड़ों की कीलों और कड़ों के लिए लोहे के बड़े ढेर लगाए। साथ साथ इतना पीतल इकट्ठा किया गया कि आख़िरकार उसे तोला न जा सका। \v 4 इसी तरह देवदार की बहुत ज़्यादा लकड़ी यरूशलम लाई गई। सैदा और सूर के बाशिंदों ने उसे दाऊद तक पहुँचाया। \v 5 यह सामान जमा करने के पीछे दाऊद का यह ख़याल था, “मेरा बेटा सुलेमान जवान है, और उसका अभी इतना तजरबा नहीं है, हालाँकि जो घर रब के लिए बनवाना है उसे इतना बड़ा और शानदार होने की ज़रूरत है कि तमाम दुनिया हक्का-बक्का रहकर उस की तारीफ़ करे। इसलिए मैं ख़ुद जहाँ तक हो सके उसे बनवाने की तैयारियाँ करूँगा।” यही वजह थी कि दाऊद ने अपनी मौत से पहले इतना सामान जमा कराया। \s1 दाऊद सुलेमान को रब का घर बनवाने की ज़िम्मादारी देता है \p \v 6 फिर दाऊद ने अपने बेटे सुलेमान को बुलाकर उसे रब इसराईल के ख़ुदा के लिए सुकूनतगाह बनवाने की ज़िम्मादारी देकर \v 7 कहा, “मेरे बेटे, मैं ख़ुद रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए घर बनाना चाहता था। \v 8 लेकिन मुझे इजाज़त नहीं मिली, क्योंकि रब मुझसे हमकलाम हुआ, ‘तूने शदीद क़िस्म की जंगें लड़कर बेशुमार लोगों को मार दिया है। नहीं, तू मेरे नाम के लिए घर तामीर नहीं करेगा, क्योंकि मेरे देखते देखते तू बहुत ख़ूनरेज़ी का सबब बना है। \v 9 लेकिन तेरे एक बेटा पैदा होगा जो अमनपसंद होगा। उसे मैं अमनो-अमान मुहैया करूँगा, उसे चारों तरफ़ के दुश्मनों से लड़ना नहीं पड़ेगा। उसका नाम सुलेमान होगा, और उस की हुकूमत के दौरान मैं इसराईल को अमनो-अमान अता करूँगा। \v 10 वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा। वह मेरा बेटा होगा और मैं उसका बाप हूँगा। और मैं इसराईल पर उस की बादशाही का तख़्त हमेशा तक क़ायम रखूँगा’।” \p \v 11 दाऊद ने बात जारी रखकर कहा, “मेरे बेटे, रब आपके साथ हो ताकि आपको कामयाबी हासिल हो और आप रब अपने ख़ुदा का घर उसके वादे के मुताबिक़ तामीर कर सकें। \v 12 आपको इसराईल पर मुक़र्रर करते वक़्त रब आपको हिकमत और समझ अता करे ताकि आप रब अपने ख़ुदा की शरीअत पर अमल कर सकें। \v 13 अगर आप एहतियात से उन हिदायात और अहकाम पर अमल करें जो रब ने मूसा की मारिफ़त इसराईल को दे दिए तो आपको ज़रूर कामयाबी हासिल होगी। मज़बूत और दिलेर हों। डरें मत और हिम्मत न हारें। \v 14 देखें, मैंने बड़ी जिद्दो-जहद के साथ रब के घर के लिए सोने के 34,00,000 किलोग्राम और चाँदी के 3,40,00,000 किलोग्राम तैयार कर रखे हैं। इसके अलावा मैंने इतना पीतल और लोहा इकट्ठा किया कि उसे तोला नहीं जा सकता, नीज़ लकड़ी और पत्थर का ढेर लगाया, अगरचे आप और भी जमा करेंगे। \v 15 आपकी मदद करनेवाले कारीगर बहुत हैं। उनमें पत्थर को तराशनेवाले, राज, बढ़ई और ऐसे कारीगर शामिल हैं जो महारत से हर क़िस्म की चीज़ बना सकते हैं, \v 16 ख़ाह वह सोने, चाँदी, पीतल या लोहे की क्यों न हो। बेशुमार ऐसे लोग तैयार खड़े हैं। अब काम शुरू करें, और रब आपके साथ हो!” \p \v 17 फिर दाऊद ने इसराईल के तमाम राहनुमाओं को अपने बेटे सुलेमान की मदद करने का हुक्म दिया। \v 18 उसने उनसे कहा, “रब आपका ख़ुदा आपके साथ है। उसने आपको पड़ोसी क़ौमों से महफ़ूज़ रखकर अमनो-अमान अता किया है। मुल्क के बाशिंदों को उसने मेरे हवाले कर दिया, और अब यह मुल्क रब और उस की क़ौम के ताबे हो गया है। \v 19 अब दिलो-जान से रब अपने ख़ुदा के तालिब रहें। रब अपने ख़ुदा के मक़दिस की तामीर शुरू करें ताकि आप जल्दी से अहद का संदूक़ और मुक़द्दस ख़ैमे के सामान को उस घर में ला सकें जो रब के नाम की ताज़ीम में तामीर होगा।” \c 23 \p \v 1 जब दाऊद उम्ररसीदा था तो उसने अपने बेटे सुलेमान को इसराईल का बादशाह बना दिया। \s1 ख़िदमत के लिए लावियों के गुरोह \p \v 2 दाऊद ने इसराईल के तमाम राहनुमाओं को इमामों और लावियों समेत अपने पास बुला लिया। \v 3 तमाम उन लावियों को गिना गया जिनकी उम्र तीस साल या इससे ज़ायद थी। उनकी कुल तादाद 38,000 थी। \v 4 इन्हें दाऊद ने मुख़्तलिफ़ ज़िम्मादारियाँ सौंपीं। 24,000 अफ़राद रब के घर की तामीर के निगरान, 6,000 अफ़सर और क़ाज़ी, \v 5 4,000 दरबान और 4,000 ऐसे मौसीक़ार बन गए जिन्हें दाऊद के बनवाए हुए साज़ों को बजाकर रब की हम्दो-सना करनी थी। \p \v 6 दाऊद ने लावियों को लावी के तीन बेटों जैरसोन, क़िहात और मिरारी के मुताबिक़ तीन गुरोहों में तक़सीम किया। \p \v 7 जैरसोन के दो बेटे लादान और सिमई थे। \v 8 लादान के तीन बेटे यहियेल, ज़ैताम और योएल थे। \v 9 सिमई के तीन बेटे सलूमीत, हज़ियेल और हारान थे। यह लादान के घरानों के सरबराह थे। \v 10-11 सिमई के चार बेटे बड़े से लेकर छोटे तक यहत, ज़ीज़ा, यऊस और बरिया थे। चूँकि यऊस और बरिया के कम बेटे थे इसलिए उनकी औलाद मिलकर ख़िदमत के लिहाज़ से एक ही ख़ानदान और गुरोह की हैसियत रखती थी। \p \v 12 क़िहात के चार बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे। \v 13 अमराम के दो बेटे हारून और मूसा थे। हारून और उस की औलाद को अलग किया गया ताकि वह हमेशा तक मुक़द्दसतरीन चीज़ों को मख़सूसो-मुक़द्दस रखें, रब के हुज़ूर क़ुरबानियाँ पेश करें, उस की ख़िदमत करें और उसके नाम से लोगों को बरकत दें। \v 14 मर्दे-ख़ुदा मूसा के बेटों को बाक़ी लावियों में शुमार किया जाता था। \v 15 मूसा के दो बेटे जैरसोम और इलियज़र थे। \v 16 जैरसोम के पहलौठे का नाम सबुएल था। \v 17 इलियज़र का सिर्फ़ एक बेटा रहबियाह था। लेकिन रहबियाह की बेशुमार औलाद थी। \v 18 इज़हार के पहलौठे का नाम सलूमीत था। \v 19 हबरून के चार बेटे बड़े से लेकर छोटे तक यरियाह, अमरियाह, यहज़ियेल और यक़मियाम थे। \v 20 उज़्ज़ियेल का पहलौठा मीकाह था। दूसरे का नाम यिस्सियाह था। \p \v 21 मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे। महली के दो बेटे इलियज़र और क़ीस थे। \v 22 जब इलियज़र फ़ौत हुआ तो उस की सिर्फ़ बेटियाँ थीं। इन बेटियों की शादी क़ीस के बेटों यानी चचाज़ाद भाइयों से हुई। \v 23 मूशी के तीन बेटे महली, इदर और यरीमोत थे। \p \v 24 ग़रज़ यह लावी के क़बीले के ख़ानदान और सरपरस्त थे। हर एक को ख़ानदानी रजिस्टर में दर्ज किया गया था। इनमें से जो रब के घर में ख़िदमत करते थे हर एक की उम्र कम अज़ कम 20 साल थी। \p \v 25-27 क्योंकि दाऊद ने मरने से पहले पहले हुक्म दिया था कि जितने लावियों की उम्र कम अज़ कम 20 साल है, वह ख़िदमत के लिए रजिस्टर में दर्ज किए जाएँ। इस नाते से उसने कहा था, \p “रब इसराईल के ख़ुदा ने अपनी क़ौम को अमनो-अमान अता किया है, और अब वह हमेशा के लिए यरूशलम में सुकूनत करेगा। अब से लावियों को मुलाक़ात का ख़ैमा और उसका सामान उठाकर जगह बजगह ले जाने की ज़रूरत नहीं रही। \v 28 अब से वह इमामों की मदद करें जब यह रब के घर में ख़िदमत करते हैं। वह सहनों और छोटे कमरों को सँभालें और ध्यान दें कि रब के घर के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस की गई चीज़ें पाक-साफ़ रहें। उन्हें अल्लाह के घर में कई और ज़िम्मादारियाँ भी सौंपी जाएँ। \v 29 ज़ैल की चीज़ें सँभालना सिर्फ़ उन्हीं की ज़िम्मादारी है : मख़सूसो-मुक़द्दस की गई रोटियाँ, ग़ल्ला की नज़रों के लिए मुस्तामल मैदा, बेख़मीरी रोटियाँ पकाने और गूँधने का इंतज़ाम। लाज़िम है कि वही तमाम लवाज़िमात को अच्छी तरह तोलें और नापें। \v 30 हर सुबह और शाम को उनके गुलूकार रब की हम्दो-सना करें। \v 31 जब भी रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश की जाएँ तो लावी मदद करें, ख़ाह सबत को, ख़ाह नए चाँद की ईद या किसी और ईद के मौक़े पर हो। लाज़िम है कि वह रोज़ाना मुक़र्ररा तादाद के मुताबिक़ ख़िदमत के लिए हाज़िर हो जाएँ।” \p \v 32 इस तरह लावी पहले मुलाक़ात के ख़ैमे में और बाद में रब के घर में अपनी ख़िदमत सरंजाम देते रहे। वह रब के घर की ख़िदमत में अपने क़बायली भाइयों यानी इमामों की मदद करते थे। \c 24 \s1 ख़िदमत के लिए इमामों के गुरोह \p \v 1 हारून की औलाद को भी मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया गया। हारून के चार बेटे नदब, अबीहू, इलियज़र और इतमर थे। \v 2 नदब और अबीहू अपने बाप से पहले मर गए, और उनके बेटे नहीं थे। इलियज़र और इतमर इमाम बन गए। \v 3 दाऊद ने इमामों को ख़िदमत के मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया। सदोक़ और अख़ीमलिक ने इसमें दाऊद की मदद की (सदोक़ इलियज़र की औलाद में से और अख़ीमलिक इतमर की औलाद में से था)। \v 4 इलियज़र की औलाद को 16 गुरोहों में और इतमर की औलाद को 8 गुरोहों में तक़सीम किया गया, क्योंकि इलियज़र की औलाद के इतने ही ज़्यादा ख़ानदानी सरपरस्त थे। \v 5 तमाम ज़िम्मादारियाँ क़ुरा डालकर इन मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम की गईं, क्योंकि इलियज़र और इतमर दोनों ख़ानदानों के बहुत सारे ऐसे अफ़सर थे जो पहले से मक़दिस में रब की ख़िदमत करते थे। \p \v 6 यह ज़िम्मादारियाँ तक़सीम करने के लिए इलियज़र और इतमर की औलाद बारी बारी क़ुरा डालते रहे। क़ुरा डालते वक़्त बादशाह, इसराईल के बुज़ुर्ग, सदोक़ इमाम, अख़ीमलिक बिन अबियातर और इमामों और लावियों के ख़ानदानी सरपरस्त हाज़िर थे। मीरमुंशी समायाह बिन नतनियेल ने जो ख़ुद लावी था ख़िदमत के इन गुरोहों की फ़हरिस्त ज़ैल की तरतीब से लिख ली जिस तरह वह क़ुरा डालने से मुक़र्रर किए गए, \p \v 7 1. यहूयरीब, \p 2. यदायाह, \p \v 8 3. हारिम, \p 4. सऊरीम, \p \v 9 5. मलकियाह, \p 6. मियामीन, \p \v 10 7. हक़्क़ूज़, \p 8. अबियाह, \p \v 11 9. यशुअ, \p 10. सकनियाह, \p \v 12 11. इलियासिब, \p 12. यक़ीम, \p \v 13 13. ख़ुफ़्फ़ाह, \p 14. यसबियाब, \p \v 14 15. बिलजा, \p 16. इम्मेर, \p \v 15 17. ख़ज़ीर, \p 18. फ़िज़्ज़ीज़, \p \v 16 19. फ़तहियाह, \p 20. यहिज़केल, \p \v 17 21. यकीन, \p 22. जमूल, \p \v 18 23. दिलायाह, \p 24. माज़ियाह। \p \v 19 इमामों को इसी तरतीब के मुताबिक़ रब के घर में आकर अपनी ख़िदमत सरंजाम देनी थी, उन हिदायात के मुताबिक़ जो रब इसराईल के ख़ुदा ने उन्हें उनके बाप हारून की मारिफ़त दी थीं। \s1 ख़िदमत के लिए लावियों के मज़ीद गुरोह \p \v 20 ज़ैल के लावियों के मज़ीद ख़ानदानी सरपरस्त हैं : \p अमराम की औलाद में से सूबाएल, \p सूबाएल की औलाद में से यहदियाह \p \v 21 रहबियाह की औलाद में से यिस्सियाह सरपरस्त था, \p \v 22 इज़हार की औलाद में से सलूमीत, \p सलूमीत की औलाद में से यहत, \p \v 23 हबरून की औलाद में से बड़े से लेकर छोटे तक यरियाह, अमरियाह, यहज़ियेल और यक़मियाम, \p \v 24 उज़्ज़ियेल की औलाद में से मीकाह, \p मीकाह की औलाद में से समीर, \p \v 25 मीकाह का भाई यिस्सियाह, \p यिस्सियाह की औलाद में से ज़करियाह, \p \v 26 मिरारी की औलाद में से महली और मूशी, \p उसके बेटे याज़ियाह की औलाद, \p \v 27 मिरारी के बेटे याज़ियाह की औलाद में से सूहम, ज़क्कूर और इबरी, \p \v 28-29 महली की औलाद में से इलियज़र और क़ीस। इलियज़र बेऔलाद था जबकि क़ीस के हाँ यरहमियेल पैदा हुआ। \p \v 30 मूशी की औलाद में से महली, इदर और यरीमोत भी लावियों के इन मज़ीद ख़ानदानी सरपरस्तों में शामिल थे। \p \v 31 इमामों की तरह उनकी ज़िम्मादारियाँ भी क़ुरा-अंदाज़ी से मुक़र्रर की गईं। इस सिलसिले में सबसे छोटे भाई के ख़ानदान के साथ और सबसे बड़े भाई के ख़ानदान के साथ सुलूक बराबर था। इस काररवाई के लिए भी दाऊद बादशाह, सदोक़, अख़ीमलिक और इमामों और लावियों के ख़ानदानी सरपरस्त हाज़िर थे। \c 25 \s1 रब के घर में मौसीक़ारों के गुरोह \p \v 1 दाऊद ने फ़ौज के आला अफ़सरों के साथ आसफ़, हैमान और यदूतून की औलाद को एक ख़ास ख़िदमत के लिए अलग कर दिया। उन्हें नबुव्वत की रूह में सरोद, सितार और झाँझ बजाना था। ज़ैल के आदमियों को मुक़र्रर किया गया : \p \v 2 आसफ़ के ख़ानदान से आसफ़ के बेटे ज़क्कूर, यूसुफ़, नतनियाह और असरेलाह। उनका बाप गुरोह का राहनुमा था, और वह बादशाह की हिदायात के मुताबिक़ नबुव्वत की रूह में साज़ बजाता था। \p \v 3 यदूतून के ख़ानदान से यदूतून के बेटे जिदलियाह, ज़री, यसायाह, सिमई, हसबियाह, और मत्तितियाह। उनका बाप गुरोह का राहनुमा था, और वह नबुव्वत की रूह में रब की हम्दो-सना करते हुए सितार बजाता था। \p \v 4 हैमान के ख़ानदान से हैमान के बेटे बुक़्क़ियाह, मत्तनियाह, उज़्ज़ियेल, सबुएल, यरीमोत, हननियाह, हनानी, इलियाता, जिद्दालती, रूममतियज़र, यसबिक़ाशा, मल्लूती, हौतीर और महाज़ियोत। \v 5 इन सबका बाप हैमान दाऊद बादशाह का ग़ैबबीन था। अल्लाह ने हैमान से वादा किया था कि मैं तेरी ताक़त बढ़ा दूँगा, इसलिए उसने उसे 14 बेटे और तीन बेटियाँ अता की थीं। \p \v 6 यह सब अपने अपने बाप यानी आसफ़, यदूतून और हैमान की राहनुमाई में साज़ बजाते थे। जब कभी रब के घर में गीत गाए जाते थे तो यह मौसीक़ार साथ साथ झाँझ, सितार और सरोद बजाते थे। वह अपनी ख़िदमत बादशाह की हिदायात के मुताबिक़ सरंजाम देते थे। \v 7 अपने भाइयों समेत जो रब की ताज़ीम में गीत गाते थे उनकी कुल तादाद 288 थी। सबके सब माहिर थे। \v 8 उनकी मुख़्तलिफ़ ज़िम्मादारियाँ भी क़ुरा के ज़रीए मुक़र्रर की गईं। इसमें सबके साथ सुलूक एक जैसा था, ख़ाह जवान थे या बूढ़े, ख़ाह उस्ताद थे या शागिर्द। \p \v 9 क़ुरा डालकर 24 गुरोहों को मुक़र्रर किया गया। हर गुरोह के बारह बारह आदमी थे। यों ज़ैल के आदमियों के गुरोहों ने तश्कील पाई : \p 1. आसफ़ के ख़ानदान का यूसुफ़, \p 2. जिदलियाह, \p \v 10 3. ज़क्कूर, \p \v 11 4. ज़री, \p \v 12 5. नतनियाह, \p \v 13 6. बुक़्क़ियाह, \p \v 14 7. यसरेलाह, \p \v 15 8. यसायाह, \p \v 16 9. मत्तनियाह, \p \v 17 10. सिमई, \p \v 18 11. अज़रेल, \p \v 19 12. हसबियाह, \p \v 20 13. सूबाएल, \p \v 21 14. मत्तितियाह, \p \v 22 15. यरीमोत, \p \v 23 16. हननियाह, \p \v 24 17. यसबिक़ाशा, \p \v 25 18. हनानी, \p \v 26 19. मल्लूती, \p \v 27 20. इलियाता, \p \v 28 21. हौतीर, \p \v 29 22. जिद्दालती, \p \v 30 23. महाज़ियोत, \p \v 31 24. रूममतियज़र। \p हर गुरोह में राहनुमा के बेटे और कुछ रिश्तेदार शामिल थे। \c 26 \s1 रब के घर के दरबान \p \v 1 रब के घर के सहन के दरवाज़ों पर पहरादारी करने के गुरोह भी मुक़र्रर किए गए। उनमें ज़ैल के आदमी शामिल थे : \p क़ोरह के ख़ानदान का फ़रद मसलमियाह बिन क़ोरे जो आसफ़ की औलाद में से था। \v 2 मसलमियाह के सात बेटे बड़े से लेकर छोटे तक ज़करियाह, यदियएल, ज़बदियाह, यत्नियेल, \v 3 ऐलाम, यूहनान और इलीहूऐनी थे। \p \v 4-5 ओबेद-अदोम भी दरबान था। अल्लाह ने उसे बरकत देकर आठ बेटे दिए थे। बड़े से लेकर छोटे तक उनके नाम समायाह, यहूज़बद, युआख़, सकार, नतनियेल, अम्मियेल, इशकार और फ़ऊल्लती थे। \v 6 समायाह बिन ओबेद-अदोम के बेटे ख़ानदानी सरबराह थे, क्योंकि वह काफ़ी असरो-रसूख़ रखते थे। \v 7 उनके नाम उतनी, रफ़ाएल, ओबेद और इल्ज़बद थे। समायाह के रिश्तेदार इलीहू और समकियाह भी गुरोह में शामिल थे, क्योंकि वह भी ख़ास हैसियत रखते थे। \v 8 ओबेद-अदोम से निकले यह तमाम आदमी लायक़ थे। वह अपने बेटों और रिश्तेदारों समेत कुल 62 अफ़राद थे और सब महारत से अपनी ख़िदमत सरंजाम देते थे। \p \v 9 मसलमियाह के बेटे और रिश्तेदार कुल 18 आदमी थे। सब लायक़ थे। \p \v 10 मिरारी के ख़ानदान का फ़रद हूसा के चार बेटे सिमरी, ख़िलक़ियाह, तबलियाह और ज़करियाह थे। हूसा ने सिमरी को ख़िदमत के गुरोह का सरबराह बना दिया था अगरचे वह पहलौठा नहीं था। \v 11 दूसरे बेटे बड़े से लेकर छोटे तक ख़िलक़ियाह, तबलियाह और ज़करियाह थे। हूसा के कुल 13 बेटे और रिश्तेदार थे। \p \v 12 दरबानों के इन गुरोहों में ख़ानदानी सरपरस्त और तमाम आदमी शामिल थे। बाक़ी लावियों की तरह यह भी रब के घर में अपनी ख़िदमत सरंजाम देते थे। \v 13 क़ुरा-अंदाज़ी से मुक़र्रर किया गया कि कौन-सा गुरोह सहन के किस दरवाज़े की पहरादारी करे। इस सिलसिले में बड़े और छोटे ख़ानदानों में इम्तियाज़ न किया गया। \v 14 यों जब क़ुरा डाला गया तो मसलमियाह के ख़ानदान का नाम मशरिक़ी दरवाज़े की पहरादारी करने के लिए निकला। ज़करियाह बिन मसलमियाह के ख़ानदान का नाम शिमाली दरवाज़े की पहरादारी करने के लिए निकला। ज़करियाह अपने दाना मशवरों के लिए मशहूर था। \v 15 जब क़ुरा जुनूबी दरवाज़े की पहरादारी के लिए डाला गया तो ओबेद-अदोम का नाम निकला। उसके बेटों को गोदाम की पहरादारी करने की ज़िम्मादारी दी गई। \v 16 जब मग़रिबी दरवाज़े और सल्कत दरवाज़े के लिए क़ुरा डाला गया तो सुफ़्फ़ीम और हूसा के नाम निकले। सल्कत दरवाज़ा चढ़नेवाले रास्ते पर है। \p पहरादारी की ख़िदमत यों बाँटी गई : \p \v 17 रोज़ाना मशरिक़ी दरवाज़े पर छः लावी पहरा देते थे, शिमाली और जुनूबी दरवाज़ों पर चार चार अफ़राद और गोदाम पर दो। \v 18 रब के घर के सहन के मग़रिबी दरवाज़े पर छः लावी पहरा देते थे, चार रास्ते पर और दो सहन में। \p \v 19 यह सब दरबानों के गुरोह थे। सब क़ोरह और मिरारी के ख़ानदानों की औलाद थे। \s1 ख़िदमत के लिए लावियों के मज़ीद गुरोह \p \v 20 दूसरे कुछ लावी अल्लाह के घर के ख़ज़ानों और रब के लिए मख़सूस की गई चीज़ें सँभालते थे। \p \v 21-22 दो भाई ज़ैताम और योएल रब के घर के ख़ज़ानों की पहरादारी करते थे। वह यहियेल के ख़ानदान के सरपरस्त थे और यों लादान जैरसोनी की औलाद थे। \v 23 अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल के ख़ानदानों की यह ज़िम्मादारियाँ थीं : \p \v 24 सबुएल बिन जैरसोम बिन मूसा ख़ज़ानों का निगरान था। \v 25 जैरसोम के भाई इलियज़र का बेटा रहबियाह था। रहबियाह का बेटा यसायाह, यसायाह का बेटा यूराम, यूराम का बेटा ज़िकरी और ज़िकरी का बेटा सलूमीत था। \v 26 सलूमीत अपने भाइयों के साथ उन मुक़द्दस चीज़ों को सँभालता था जो दाऊद बादशाह, ख़ानदानी सरपरस्तों, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों और दूसरे आला अफ़सरों ने रब के लिए मख़सूस की थीं। \v 27 यह चीज़ें जंगों में लूटे हुए माल में से लेकर रब के घर को मज़बूत करने के लिए मख़सूस की गई थीं। \v 28 इनमें वह सामान भी शामिल था जो समुएल ग़ैबबीन, साऊल बिन क़ीस, अबिनैर बिन नैर और योआब बिन ज़रूयाह ने मक़दिस के लिए मख़सूस किया था। सलूमीत और उसके भाई इन तमाम चीज़ों को सँभालते थे। \p \v 29 इज़हार के ख़ानदान के अफ़राद यानी कननियाह और उसके बेटों को रब के घर से बाहर की ज़िम्मादारियाँ दी गईं। उन्हें निगरानों और क़ाज़ियों की हैसियत से इसराईल पर मुक़र्रर किया गया। \v 30 हबरून के ख़ानदान के अफ़राद यानी हसबियाह और उसके भाइयों को दरियाए-यरदन के मग़रिब के इलाक़े को सँभालने की ज़िम्मादारी दी गई। वहाँ वह रब के घर से मुताल्लिक़ कामों के अलावा बादशाह की ख़िदमत भी सरंजाम देते थे। इन लायक़ आदमियों की कुल तादाद 1,700 थी। \p \v 31 दाऊद बादशाह की हुकूमत के 40वें साल में नसबनामे की तहक़ीक़ की गई ताकि हबरून के ख़ानदान के बारे में मालूमात हासिल हो जाएँ। पता चला कि उसके कई लायक़ रुकन जिलियाद के इलाक़े के शहर याज़ेर में आबाद हैं। यरियाह उनका सरपरस्त था। \v 32 दाऊद बादशाह ने उसे रूबिन, जद और मनस्सी के मशरिक़ी इलाक़े को सँभालने की ज़िम्मादारी दी। यरियाह की इस ख़िदमत में उसके ख़ानदान के मज़ीद 2,700 अफ़राद भी शामिल थे। सब लायक़ और अपने अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे। उस इलाक़े में वह रब के घर से मुताल्लिक़ कामों के अलावा बादशाह की ख़िदमत भी सरंजाम देते थे। \c 27 \s1 फ़ौज के गुरोह \p \v 1 दर्जे-ज़ैल उन ख़ानदानी सरपरस्तों, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों और सरकारी अफ़सरों की फ़हरिस्त है जो बादशाह के मुलाज़िम थे। \p फ़ौज 12 गुरोहों पर मुश्तमिल थी, और हर गुरोह के 24,000 अफ़राद थे। हर गुरोह की ड्यूटी साल में एक माह के लिए लगती थी। \v 2 जो अफ़सर इन गुरोहों पर मुक़र्रर थे वह यह थे : \p पहला माह : यसूबियाम बिन ज़बदियेल। \v 3 वह फ़ारस के ख़ानदान का था और उस गुरोह पर मुक़र्रर था जिसकी ड्यूटी पहले महीने में होती थी। \p \v 4 दूसरा माह : दोदी अख़ूही। उसके गुरोह के आला अफ़सर का नाम मिक़लोत था। \p \v 5 तीसरा माह : यहोयदा इमाम का बेटा बिनायाह। \v 6 यह दाऊद के बेहतरीन दस्ते बनाम ‘तीस’ पर मुक़र्रर था और ख़ुद ज़बरदस्त फ़ौजी था। उसके गुरोह का आला अफ़सर उसका बेटा अम्मीज़बद था। \p \v 7 चौथा माह : योआब का भाई असाहेल। उस की मौत के बाद असाहेल का बेटा ज़बदियाह उस की जगह मुक़र्रर हुआ। \p \v 8 पाँचवाँ माह : समहूत इज़राख़ी। \p \v 9 छटा माह : ईरा बिन अक़्क़ीस तक़ूई। \p \v 10 सातवाँ माह : ख़लिस फ़लूनी इफ़राईमी। \p \v 11 आठवाँ माह : ज़ारह के ख़ानदान का सिब्बकी हूसाती। \p \v 12 नवाँ माह : बिनयमीन के क़बीले का अबियज़र अनतोती। \p \v 13 दसवाँ माह : ज़ारह के ख़ानदान का महरी नतूफ़ाती। \p \v 14 ग्यारहवाँ माह : इफ़राईम के क़बीले का बिनायाह फ़िरआतोनी। \p \v 15 बारहवाँ माह : ग़ुतनियेल के ख़ानदान का ख़लदी नतूफ़ाती। \s1 क़बीलों के सरपरस्त \p \v 16 ज़ैल के आदमी इसराईली क़बीलों के सरपरस्त थे : \p रूबिन का क़बीला : इलियज़र बिन ज़िकरी। \p शमौन का क़बीला : सफ़तियाह बिन माका। \p \v 17 लावी का क़बीला : हसबियाह बिन क़मुएल। हारून के ख़ानदान का सरपरस्त सदोक़ था। \p \v 18 यहूदाह का क़बीला : दाऊद का भाई इलीहू। \p इशकार का क़बीला : उमरी बिन मीकाएल। \p \v 19 ज़बूलून का क़बीला : इसमायाह बिन अबदियाह। \p नफ़ताली का क़बीला : यरीमोत बिन अज़रियेल। \p \v 20 इफ़राईम का क़बीला : होसेअ बिन अज़ज़ियाह। \p मग़रिबी मनस्सी का क़बीला : योएल बिन फ़िदायाह। \p \v 21 मशरिक़ी मनस्सी का क़बीला जो जिलियाद में था : यिद्दू बिन ज़करियाह। \p बिनयमीन का क़बीला : यासियेल बिन अबिनैर। \p \v 22 दान का क़बीला : अज़रेल बिन यरोहाम। \p यह बारह लोग इसराईली क़बीलों के सरबराह थे। \p \v 23 जितने इसराईली मर्दों की उम्र 20 साल या इससे कम थी उन्हें दाऊद ने शुमार नहीं किया, क्योंकि रब ने उससे वादा किया था कि मैं इसराईलियों को आसमान पर के सितारों जैसा बेशुमार बना दूँगा। \v 24 नीज़, योआब बिन ज़रूयाह ने मर्दुमशुमारी को शुरू तो किया लेकिन उसे इख़्तिताम तक नहीं पहुँचाया था, क्योंकि अल्लाह का ग़ज़ब मर्दुमशुमारी के बाइस इसराईल पर नाज़िल हुआ था। नतीजे में दाऊद बादशाह की तारीख़ी किताब में इसराईलियों की कुल तादाद कभी नहीं दर्ज हुई। \s1 शाही मिलकियत के इंचार्ज \p \v 25 अज़मावत बिन अदियेल यरूशलम के शाही गोदामों का इंचार्ज था। \p जो गोदाम देही इलाक़े, बाक़ी शहरों, गाँवों और क़िलों में थे उनको यूनतन बिन उज़्ज़ियाह सँभालता था। \p \v 26 अज़री बिन कलूब शाही ज़मीनों की काश्तकारी करनेवालों पर मुक़र्रर था। \p \v 27 सिमई रामाती अंगूर के बाग़ों की निगरानी करता जबकि ज़बदी शिफ़मी इन बाग़ों की मै के गोदामों का इंचार्ज था। \p \v 28 बाल-हनान जदीरी ज़ैतून और अंजीर-तूत के उन बाग़ों पर मुक़र्रर था जो मग़रिब के नशेबी पहाड़ी इलाक़े में थे। युआस ज़ैतून के तेल के गोदामों की निगरानी करता था। \p \v 29 शारून के मैदान में चरनेवाले गाय-बैल सितरी शारूनी के ज़ेरे-निगरानी थे जबकि साफ़त बिन अदली वादियों में चरनेवाले गाय-बैलों को सँभालता था। \v 30 ओबिल इसमाईली ऊँटों पर मुक़र्रर था, यहदियाह मरूनोती गधियों पर \v 31 और याज़ीज़ हाजिरी भेड़-बकरियों पर। \p यह सब शाही मिलकियत के निगरान थे। \s1 बादशाह के क़रीबी मुशीर \p \v 32 दाऊद का समझदार और आलिम चचा यूनतन बादशाह का मुशीर था। यहियेल बिन हकमूनी बादशाह के बेटों की तरबियत के लिए ज़िम्मादार था। \v 33 अख़ीतुफ़ल दाऊद का मुशीर जबकि हूसी अरकी दाऊद का दोस्त था। \v 34 अख़ीतुफ़ल के बाद यहोयदा बिन बिनायाह और अबियातर बादशाह के मुशीर बन गए। योआब शाही फ़ौज का कमाँडर था। \c 28 \s1 इसराईल के बुज़ुर्गों के सामने दाऊद की तक़रीर \p \v 1 दाऊद ने इसराईल के तमाम बुज़ुर्गों को यरूशलम बुलाया। इनमें क़बीलों के सरपरस्त, फ़ौजी डिवीझ़नों पर मुक़र्रर अफ़सर, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सर, शाही मिलकियत और रेवड़ों के इंचार्ज, बादशाह के बेटों की तरबियत करनेवाले अफ़सर, दरबारी, मुल्क के सूरमा और बाक़ी तमाम साहबे-हैसियत शामिल थे। \p \v 2 दाऊद बादशाह उनके सामने खड़े होकर उनसे मुख़ातिब हुआ, \p “मेरे भाइयो और मेरी क़ौम, मेरी बात पर ध्यान दें! काफ़ी देर से मैं एक ऐसा मकान तामीर करना चाहता था जिसमें रब के अहद का संदूक़ मुस्तक़िल तौर पर रखा जा सके। आख़िर यह तो हमारे ख़ुदा की चौकी है। इस मक़सद से मैं तैयारियाँ करने लगा। \v 3 लेकिन फिर अल्लाह मुझसे हमकलाम हुआ, ‘मेरे नाम के लिए मकान बनाना तेरा काम नहीं है, क्योंकि तूने जंगजू होते हुए बहुत ख़ून बहाया है।’ \p \v 4 रब इसराईल के ख़ुदा ने मेरे पूरे ख़ानदान में से मुझे चुनकर हमेशा के लिए इसराईल का बादशाह बना दिया, क्योंकि उस की मरज़ी थी कि यहूदाह का क़बीला हुकूमत करे। यहूदाह के ख़ानदानों में से उसने मेरे बाप के ख़ानदान को चुन लिया, और इसी ख़ानदान में से उसने मुझे पसंद करके पूरे इसराईल का बादशाह बना दिया। \v 5 रब ने मुझे बहुत बेटे अता किए हैं। उनमें से उसने मुक़र्रर किया कि सुलेमान मेरे बाद तख़्त पर बैठकर रब की उम्मत पर हुकूमत करे। \v 6 रब ने मुझे बताया, ‘तेरा बेटा सुलेमान ही मेरा घर और उसके सहन तामीर करेगा। क्योंकि मैंने उसे चुनकर फ़रमाया है कि वह मेरा बेटा होगा और मैं उसका बाप हूँगा। \v 7 अगर वह आज की तरह आइंदा भी मेरे अहकाम और हिदायात पर अमल करता रहे तो मैं उस की बादशाही अबद तक क़ायम रखूँगा।’ \p \v 8 अब मेरी हिदायत पर ध्यान दें, पूरा इसराईल यानी रब की जमात और हमारा ख़ुदा इसके गवाह हैं। रब अपने ख़ुदा के तमाम अहकाम के ताबे रहें! फिर आइंदा भी यह अच्छा मुल्क आपकी मिलकियत और हमेशा तक आपकी औलाद की मौरूसी ज़मीन रहेगा। \v 9 ऐ सुलेमान मेरे बेटे, अपने बाप के ख़ुदा को तसलीम करके पूरे दिलो-जान और ख़ुशी से उस की ख़िदमत करें। क्योंकि रब तमाम दिलों की तहक़ीक़ कर लेता है, और वह हमारे ख़यालों के तमाम मनसूबों से वाक़िफ़ है। उसके तालिब रहें तो आप उसे पा लेंगे। लेकिन अगर आप उसे तर्क करें तो वह आपको हमेशा के लिए रद्द कर देगा। \v 10 याद रहे, रब ने आपको इसलिए चुन लिया है कि आप उसके लिए मुक़द्दस घर तामीर करें। मज़बूत रहकर इस काम में लगे रहें!” \s1 रब के घर का नक़्शा \p \v 11 फिर दाऊद ने अपने बेटे सुलेमान को रब के घर का नक़्शा दे दिया जिसमें तमाम तफ़सीलात दर्ज थीं यानी उसके बरामदे, ख़ज़ानों के कमरे, बालाख़ाने, अंदरूनी कमरे, वह मुक़द्दसतरीन कमरा जिसमें अहद के संदूक़ को उसके कफ़्फ़ारे के ढकने समेत रखना था, \v 12 रब के घर के सहन, उसके इर्दगिर्द के कमरे और वह कमरे जिनमें रब के लिए मख़सूस किए गए सामान को महफ़ूज़ रखना था। \p दाऊद ने रूह की हिदायत से यह पूरा नक़्शा तैयार किया था। \v 13 उसने रब के घर की ख़िदमत के लिए दरकार इमामों और लावियों के गुरोहों को भी मुक़र्रर किया, और साथ साथ रब के घर में बाक़ी तमाम ज़िम्मादारियाँ भी। इसके अलावा उसने रब के घर की ख़िदमत के लिए दरकार तमाम सामान की फ़हरिस्त भी तैयार की थी। \v 14 उसने मुक़र्रर किया कि मुख़्तलिफ़ चीज़ों के लिए कितना सोना और कितनी चाँदी इस्तेमाल करनी है। इनमें ज़ैल की चीज़ें शामिल थीं : \v 15 सोने और चाँदी के चराग़दान और उनके चराग़ (मुख़्तलिफ़ चराग़दानों के वज़न फ़रक़ थे, क्योंकि हर एक का वज़न उसके मक़सद पर मुनहसिर था), \v 16 सोने की वह मेज़ें जिन पर रब के लिए मख़सूस रोटियाँ रखनी थीं, चाँदी की मेज़ें, \v 17 ख़ालिस सोने के काँटे, छिड़काव के कटोरे और सुराही, सोने-चाँदी के प्याले \v 18 और बख़ूर जलाने की क़ुरबानगाह पर मँढा हुआ ख़ालिस सोना। दाऊद ने रब के रथ का नक़्शा भी सुलेमान के हवाले कर दिया, यानी उन करूबी फ़रिश्तों का नक़्शा जो अपने परों को फैलाकर रब के अहद के संदूक़ को ढाँप देते हैं। \p \v 19 दाऊद ने कहा, “मैंने यह तमाम तफ़सीलात वैसे ही क़लमबंद कर दी हैं जैसे रब ने मुझे हिकमत और समझ अता की है।” \p \v 20 फिर वह अपने बेटे सुलेमान से मुख़ातिब हुआ, “मज़बूत और दिलेर हों! डरें मत और हिम्मत मत हारना, क्योंकि रब ख़ुदा मेरा ख़ुदा आपके साथ है। न वह आपको छोड़ेगा, न तर्क करेगा बल्कि रब के घर की तकमील तक आपकी मदद करता रहेगा। \v 21 ख़िदमत के लिए मुक़र्रर इमामों और लावियों के गुरोह भी आपका सहारा बनकर रब के घर में अपनी ख़िदमत सरंजाम देंगे। तामीर के लिए जितने भी माहिर कारीगरों की ज़रूरत है वह ख़िदमत के लिए तैयार खड़े हैं। बुज़ुर्गों से लेकर आम लोगों तक सब आपकी हर हिदायत की तामील करने के लिए मुस्तैद हैं।” \c 29 \s1 रब के घर की तामीर के लिए नज़राने \p \v 1 फिर दाऊद दुबारा पूरी जमात से मुख़ातिब हुआ, “अल्लाह ने मेरे बेटे सुलेमान को चुनकर मुक़र्रर किया है कि वह अगला बादशाह बने। लेकिन वह अभी जवान और नातजरबाकार है, और यह तामीरी काम बहुत वसी है। उसे तो यह महल इनसान के लिए नहीं बनाना है बल्कि रब हमारे ख़ुदा के लिए। \v 2 मैं पूरी जाँफ़िशानी से अपने ख़ुदा के घर की तामीर के लिए सामान जमा कर चुका हूँ। इसमें सोना-चाँदी, पीतल, लोहा, लकड़ी, अक़ीक़े-अहमर, \f + \fr 29:2 \ft carnelian \f* मुख़्तलिफ़ जड़े हुए जवाहर और पच्चीकारी के मुख़्तलिफ़ पत्थर बड़ी मिक़दार में शामिल हैं। \v 3 और चूँकि मुझमें अपने ख़ुदा का घर बनाने के लिए बोझ है इसलिए मैंने इन चीज़ों के अलावा अपने ज़ाती ख़ज़ानों से भी सोना और चाँदी दी है \v 4 यानी तक़रीबन 1,00,000 किलोग्राम ख़ालिस सोना और 2,35,000 किलोग्राम ख़ालिस चाँदी। मैं चाहता हूँ कि यह कमरों की दीवारों पर चढ़ाई जाए। \v 5 कुछ कारीगरों के बाक़ी कामों के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है। अब मैं आपसे पूछता हूँ, आज कौन मेरी तरह ख़ुशी से रब के काम के लिए कुछ देने को तैयार है?” \p \v 6 यह सुनकर वहाँ हाज़िर ख़ानदानी सरपरस्तों, क़बीलों के बुज़ुर्गों, हज़ार हज़ार और सौ सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सरों और बादशाह के आला सरकारी अफ़सरों ने ख़ुशी से काम के लिए हदिये दिए। \v 7 उस दिन रब के घर के लिए तक़रीबन 1,70,000 किलोग्राम सोना, सोने के 10,000 सिक्के, 3,40,000 किलोग्राम चाँदी, 6,10,000 किलोग्राम पीतल और 34,00,000 किलोग्राम लोहा जमा हुआ। \v 8 जिसके पास जवाहर थे उसने उन्हें यहियेल जैरसोनी के हवाले कर दिया जो ख़ज़ानची था और जिसने उन्हें रब के घर के ख़ज़ाने में महफ़ूज़ कर लिया। \v 9 पूरी क़ौम इस फ़राख़दिली को देखकर ख़ुश हुई, क्योंकि सबने दिली ख़ुशी और फ़ैयाज़ी से अपने हदिये रब को पेश किए। दाऊद बादशाह भी निहायत ख़ुश हुआ। \s1 दाऊद की दुआ \p \v 10 इसके बाद दाऊद ने पूरी जमात के सामने रब की तमजीद करके कहा, \p “ऐ रब हमारे बाप इसराईल के ख़ुदा, अज़ल से अबद तक तेरी हम्द हो। \v 11 ऐ रब, अज़मत, क़ुदरत, जलाल और शानो-शौकत तेरे ही हैं, क्योंकि जो कुछ भी आसमान और ज़मीन में है वह तेरा ही है। ऐ रब, सलतनत तेरे हाथ में है, और तू तमाम चीज़ों पर सरफ़राज़ है। \v 12 दौलत और इज़्ज़त तुझसे मिलती है, और तू सब पर हुक्मरान है। तेरे हाथ में ताक़त और क़ुदरत है, और हर इनसान को तू ही ताक़तवर और मज़बूत बना सकता है। \v 13 ऐ हमारे ख़ुदा, यह देखकर हम तेरी सताइश और तेरे जलाली नाम की तारीफ़ करते हैं। \p \v 14 मेरी और मेरी क़ौम की क्या हैसियत है कि हम इतनी फ़ैयाज़ी से यह चीज़ें दे सके? आख़िर हमारी तमाम मिलकियत तेरी तरफ़ से है। जो कुछ भी हमने तुझे दे दिया वह हमें तेरे हाथ से मिला है। \v 15 अपने बापदादा की तरह हम भी तेरे नज़दीक परदेसी और ग़ैरशहरी हैं। दुनिया में हमारी ज़िंदगी साये की तरह आरिज़ी है, और मौत से बचने की कोई उम्मीद नहीं। \v 16 ऐ रब हमारे ख़ुदा, हमने यह सारा तामीरी सामान इसलिए इकट्ठा किया है कि तेरे मुक़द्दस नाम के लिए घर बनाया जाए। लेकिन हक़ीक़त में यह सब कुछ पहले से तेरे हाथ से हासिल हुआ है। यह पहले से तेरा ही है। \v 17 ऐ मेरे ख़ुदा, मैं जानता हूँ कि तू इनसान का दिल जाँच लेता है, कि दियानतदारी तुझे पसंद है। जो कुछ भी मैंने दिया है वह मैंने ख़ुशी से और अच्छी नीयत से दिया है। अब मुझे यह देखकर ख़ुशी है कि यहाँ हाज़िर तेरी क़ौम ने भी इतनी फ़ैयाज़ी से तुझे हदिये दिए हैं। \p \v 18 ऐ रब हमारे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और इसराईल के ख़ुदा, गुज़ारिश है कि तू हमेशा तक अपनी क़ौम के दिलों में ऐसी ही तड़प क़ायम रख। अता कर कि उनके दिल तेरे साथ लिपटे रहें। \v 19 मेरे बेटे सुलेमान की भी मदद कर ताकि वह पूरे दिलो-जान से तेरे अहकाम और हिदायात पर अमल करे और उस महल को तकमील तक पहुँचा सके जिसके लिए मैंने तैयारियाँ की हैं।” \p \v 20 फिर दाऊद ने पूरी जमात से कहा, “आएँ, रब अपने ख़ुदा की सताइश करें!” चुनाँचे सब रब अपने बापदादा के ख़ुदा की तमजीद करके रब और बादशाह के सामने मुँह के बल झुक गए। \p \v 21 अगले दिन तमाम इसराईल के लिए भस्म होनेवाली बहुत-सी क़ुरबानियाँ उनकी मै की नज़रों समेत रब को पेश की गईं। इसके लिए 1,000 जवान बैलों, 1,000 मेंढों और 1,000 भेड़ के बच्चों को चढ़ाया गया। साथ साथ ज़बह की बेशुमार क़ुरबानियाँ भी पेश की गईं। \v 22 उस दिन उन्होंने रब के हुज़ूर खाते-पीते हुए बड़ी ख़ुशी मनाई। फिर उन्होंने दुबारा इसकी तसदीक़ की कि दाऊद का बेटा सुलेमान हमारा बादशाह है। तेल से उसे मसह करके उन्होंने उसे रब के हुज़ूर बादशाह और सदोक़ को इमाम क़रार दिया। \s1 सुलेमान की ज़बरदस्त हुकूमत \p \v 23 यों सुलेमान अपने बाप दाऊद की जगह रब के तख़्त पर बैठ गया। उसे कामयाबी हासिल हुई, और तमाम इसराईल उसके ताबे रहा। \v 24 तमाम आला अफ़सर, बड़े बड़े फ़ौजी और दाऊद के बाक़ी बेटों ने भी अपनी ताबेदारी का इज़हार किया। \v 25 इसराईल के देखते देखते रब ने सुलेमान को बहुत सरफ़राज़ किया। उसने उस की सलतनत को ऐसी शानो-शौकत से नवाज़ा जो माज़ी में इसराईल के किसी भी बादशाह को हासिल नहीं हुई थी। \s1 दाऊद की वफ़ात \p \v 26-27 दाऊद बिन यस्सी कुल 40 साल तक इसराईल का बादशाह रहा, 7 साल हबरून में और 33 साल यरूशलम में। \v 28 वह बहुत उम्ररसीदा और उम्र, दौलत और इज़्ज़त से आसूदा होकर इंतक़ाल कर गया। फिर सुलेमान तख़्तनशीन हुआ। \p \v 29 बाक़ी जो कुछ दाऊद की हुकूमत के दौरान हुआ वह तीनों किताबों ‘समुएल ग़ैबबीन की तारीख़,’ ‘नातन नबी की तारीख़’ और ‘जाद ग़ैबबीन की तारीख़’ में दर्ज है। \v 30 इनमें उस की हुकूमत और असरो-रसूख़ की तफ़सीलात बयान की गई हैं, नीज़ वह कुछ जो उसके साथ, इसराईल के साथ और गिर्दो-नवाह के ममालिक के साथ हुआ।