\id 2JN - Lodhi \ide UTF-8 \h २ यूहन्ना \toc3 २ यूहन्ना \toc2 २ यूहन्ना \toc1 यूहन्ना की दूसरी चिट्ठी \mt2 यूहन्ना की दूसरी पत्री \mt1 यूहन्ना की दूसरी चिट्ठी \imt परिचय \ip यूहन्ना की दूसरी चिट्ठी प्रेरित यूहन्ना द्वारा मसीह को जनम को ५० सी १०० साल को बीच लिख्यो गयो होतो यूहन्ना खुद लेखक को रूप म नहीं जान्यो जावय हय। बल्की ऊ खुद ख बुजूर्ग कह्य हय। यूहन्ना को अनुसार सुसमाचार म मिली विषय चिज की तुलना म २ यूहन्ना की विषय चिज उन्को सी मिलती झूलती हय यो विशेष रूप सी साफ हय कि जो तरह सी ऊ एक दूसरों सी प्रेम करन लायी यीशु को आदेश पर जोर देवय हय, अऊर जो तरह सी ऊ अपनो आदेशों को पालन को संग यीशु सी प्रेम करय हय \xt १:५-६\xt*, \xt यूहन्ना १५:९-१०।\xt* असो मान्यो जावय हय कि यूहन्ना न यूहन्ना को अनुसार सुसमाचार लिख्यो होतो अऊर इफिसियों म रहतो हुयो तीन चिट्ठी १ यूहन्ना, २ यूहन्ना, ३ यूहन्ना, लिख्यो। \ip यूहन्ना न या चिट्ठी सी कुछ चुनी हुयी बाई अऊर उन्को बच्चा ख सम्बोधित करयो। ऊ शायद कोयी एक मण्डली को जिक्र करत होतो। या चिट्ठी ख लिखन म यूहन्ना को उद्देश मण्डली ख प्रोत्साहित करनो होतो अऊर झूठो शिक्षकों ख चेतावनी देनो होतो। \iot रूप-रेखा \io1 १. यूहन्ना प्रस्तुत करत होतो की या चिट्ठी कोन्को लायी आय अऊर प्राप्त करन वालो ख अभिवादन करनो। \ior १:१-३\ior* \io1 २. मण्डली ख प्रोत्साहित करनो अऊर महान आदेश को याद दिलानो हय। \ior १:४-६\ior* \io1 ३. हर समय झूठो शिक्षकों की चेतावनी देवय हय। \ior १:७-११\ior* \io1 ४. यूहन्ना मण्डली म विश्वासियों सी बधायी दे क अपनी चिट्ठी पूरी करय हय जित ऊ रह्य हय। \ior १:१२-१३\ior* \c 1 \p \v 1 मय बुजूर्ग को तरफ सी वा चुनी हुयी, बाई अऊर ओको बच्चां को नाम, जिन्कोसी मय सच्चो प्रेम रखू हय, अऊर केवल मयच नहीं बल्की हि सब भी प्रेम रखय हंय जो सच ख जानय हंय। \v 2 ऊ सच जो हम म स्थिर रह्य हय, अऊर हमेशा हमरो संग रहेंन। \p \v 3 परमेश्वर पिता, अऊर बाप को बेटा यीशु मसीह को तरफ सी अनुग्रह अऊर दया अऊर शान्ति, सत्य अऊर प्रेम सहित हमरो संग रहेंन। \s सच अऊर प्रेम \p \v 4 मय बहुत खुश भयो कि मय न तोरो कुछ बच्चां ख ऊ आज्ञा को अनुसार, जो हम्ख बाप को तरफ सी मिली होती, सच पर चलतो हुयो पायो। \v 5 \x + \xo १:५ \xo*\xt यूहन्ना १३:३४; १५:१२,१७\xt*\x*अब हे प्रिय बाई, मय तोख कोयी नयी आज्ञा नहीं, पर वाच जो सुरूवात सी मिली हय तुम्ख लिख रह्यो हय, अऊर तोरो सी बिनती करू हय कि हम एक दूसरों सी प्रेम रखे। \v 6 अऊर प्रेम यो हय कि हम परमेश्वर की आज्ञावों को अनुसार चले; यो वाच आज्ञा आय जो तुम न सुरूवात सी सुनी हय, अऊर तुम्ख येकोलायी प्रेम पुर्वक जीवन जीनो चाहिये। \p \v 7 कहालीकि बहुत सो असो भरमावन वालो जगत म निकल आयो हंय, कि हि यो नहीं मानय कि यीशु मसीह शरीर म होय क आयो। भरमावन वालो लोग अऊर मसीह को विरोधी हिच आय। \v 8 अपनो बारे म चौकस रहो, कि जो मेहनत हम न करयो हय ओख तुम गवा मत देवो, बल्की ओको पूरो प्रतिफल पावों। \p \v 9 जो कोयी मसीह कि शिक्षा सी आगु बड़ जावय हय अऊर ओको म बन्यो नहीं रह्य, ओको जवर परमेश्वर नहाय; जो कोयी ओकी शिक्षा म स्थिर रह्य हय, ओको जवर बाप भी हय अऊर बेटा भी। \v 10 यदि कोयी तुम्हरो जवर आये अऊर शिक्षा नहीं दे, ओख नहीं त घर म आवन देवो अऊर नहीं नमस्कार करो। \v 11 कहालीकि जो कोयी असो लोग ख अभिवादन करय हय, ऊ ओको बुरो कामों म सहभागी होवय हय। \s आखरी शब्द \p \v 12 मोख बहुत सी बाते तुम्ख लिखनो हंय, पर कागज अऊर स्याही सी लिखनो नहीं चाहऊ, पर आशा हय कि मय तुम्हरो जवर आऊं अऊर आमने-सामने बातचीत करू, जेकोसी तुम पूरो तरह सी खुशी रहो। \p \v 13 तोरी बहिन\f + \fr १:१३ \fr*\ft ओकी मण्डली को विश्वासियों\ft*\f* को बच्चा को तरफ सी तोख नमस्कार करजे हंय।