\id REV - Biblica® Open Chhattisgarhi Contemporary Version \usfm 3.0 \ide UTF-8 \h दरसन \toc1 दरसन के किताब \toc2 दरसन \toc3 दर \mt1 दरसन \mt2 के किताब \c 1 \s1 भूमिका \p \v 1 ये किताब ह यीसू मसीह के दिब्य परकासन के बारे म अय, जऊन ला परमेसर ह ओला दीस कि ओह अपन सेवकमन ला निकट भविस्य म होवइया घटनामन ला देखावय। मसीह ह अपन स्वरगदूत ला पठोके ये दिब्य परकासन के बात ला अपन सेवक यूहन्ना ला बताईस। \v 2 यूहन्ना ओ जम्मो बात के गवाही देवत हवय, जऊन ला ओह देखिस—कि येह परमेसर के संदेस अऊ यीसू मसीह के गवाही ए। \v 3 ओ मनखे ह आसीस पाही, जऊन ह ये अगमबानी के बचन ला पढ़थे अऊ ओमन आसीस पाहीं, जऊन मन येला सुनथें अऊ येमा लिखे बात ला मानथें, काबरकि ये बातमन के पूरा होय के समय ह लकठा आ गे हवय। \b \s1 सात कलीसियामन बर संदेस \po \v 4 में यूहन्ना, \po एसिया प्रदेस के सात कलीसिया के मनखेमन ला ये बात लिखत हंव: \po परमेसर जऊन ह हवय, जऊन ह रिहिस, अऊ जऊन ह अवइया हवय, ओकर कोति ले; अऊ ओकर सिंघासन के आघू म हाजिर सात आतमामन कोति ले, \v 5 अऊ यीसू मसीह, जऊन ह बिसवासयोग्य गवाह ए, अऊ मरे म ले जी उठे म पहिलांत ए अऊ धरती के राजामन ऊपर सासन करइया ए, ओकर कोति ले तुमन ला अनुग्रह अऊ सांति मिलय। \b \p यीसू, जऊन ह हमन ला मया करथे अऊ हमन ला अपन लहू के दुवारा हमर पाप ले छुटकारा दे हवय, \v 6 अऊ हमन ला एक देस अऊ पुरोहित बनाय हवय, ताकि हमन ओकर परमेसर अऊ ददा के सेवा करन—ओ यीसू के महिमा अऊ सामर्थ जुग-जुग होवय! आमीन। \q1 \v 7 “देखव, ओह बादर म आवत हवय,”\f + \fr 1:7 \fr*\ft \+xt दानि 7:13\+xt*\ft*\f* \q2 अऊ “जम्मो झन ओला देखहीं, \q1 अऊ त अऊ जऊन मन ओला छेदे-बेधे रिहिन, ओमन घलो ओला देखहीं”; \q2 अऊ धरती के जम्मो मनखेमन “ओकर बर सोक मनाहीं।”\f + \fr 1:7 \fr*\ft \+xt जकर 12:10\+xt*\ft*\f* \qc अइसने ही होही! आमीन। \p \v 8 परभू परमेसर ह कहिथे, “मेंह अलफा\f + \fr 1:8 \fr*\ft या \ft*\fqa सुरू\fqa*\f* अऊ ओमेगा\f + \fr 1:8 \fr*\ft या \ft*\fqa अन्त\fqa*\f* अंव। मेंह ओ सर्वसक्तिमान अंव, जऊन ह हवय, अऊ जऊन ह रिहिस, अऊ जऊन ह अवइया हवय।” \b \s1 मसीह के बारे म यूहन्ना के दरसन \p \v 9 मेंह तुम्हर भाई यूहन्ना अंव अऊ यीसू के दुख, परमेसर के राज अऊ धीरज सहित सहन करे म तुम्हर संग भागीदार अंव। परमेसर के बचन अऊ यीसू के बारे म गवाही देय के कारन मेंह पतमुस नांव के टापू म बंदी रहेंव। \v 10 परभू के दिन, मेंह पबितर आतमा ले भर गेंव अऊ मेंह अपन पाछू कोति तुरही के सहीं एक ऊंचहा अवाज सुनेंव, \v 11 जऊन ह ये कहिस: “जऊन कुछू तेंह देखत हवस, ओला एक ठन किताब म लिख अऊ ओला सात कलीसिया—इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलाडेलफिया अऊ लौदीकिया ला पठो दे।” \p \v 12 जऊन ह मोर ले गोठियावत रहय, ओला देखे बर जब मेंह पाछू कोति किंजरेंव, त मोला दीया ला मढ़ाय के सात ठन सोन के दीवटमन दिखिन, \v 13 अऊ दीवटमन के मांझा म मनखे के बेटा सहीं एक झन मनखे ला देखेंव, जऊन ह गोड़ तक लम्बा पोसाक पहिरे रहय अऊ ओकर छाती ऊपर चौरस सुनहरा पट्टा रहय। \v 14 ओकर मुड़ अऊ चुंदी ह ऊन अऊ बरफ सहीं एकदम पंर्रा रहय अऊ ओकर आंखीमन धधकत आगी सहीं रिहिन। \v 15 ओकर गोड़मन भट्ठी म तिपोय कांसा सहीं चमकत रहंय अऊ ओकर अवाज ह गरजत पानी सहीं रहय। \v 16 ओह अपन जेवनी हांथ म सात ठन तारामन ला धरे रहय अऊ ओकर मुहूं ले एक ठन चोखा, दूधारी तलवार ह निकलत रहय। ओकर चेहरा ह अइसने चमकत रहय, जइसने सूरज ह भरे मंझनियां के बखत चमकथे। \p \v 17 जब मेंह ओला देखेंव, त मरे मनखे सहीं ओकर गोड़ करा गिर पड़ेंव। तब ओह अपन जेवनी हांथ ला मोर ऊपर रखके कहिस: “झन डर। मेंहीच ह पहिली अऊ आखिरी अंव। \v 18 मेंह जीयत हवंव। मेंह मर गे रहेंव, पर देख, अब मेंह सदाकाल बर जीयत हवंव! अऊ मोर करा मिरतू अऊ पाताल-लोक ऊपर अधिकार हवय। \p \v 19 “एकरसेति, जऊन कुछू तेंह देखे हवस, जऊन ह अभी होवत हवय, अऊ जऊन ह एकर बाद होवइया हवय, ओ जम्मो बात ला लिख ले। \v 20 जऊन सात ठन तारा, तेंह मोर जेवनी हांथ म देखे, ओ सातों तारा अऊ सोन के सात दीवटमन के मतलब ये अय: ओ सात तारामन सात ठन कलीसिया के दूत\f + \fr 1:20 \fr*\ft या \ft*\fqa संदेसिया\fqa*\f* अंय, अऊ ओ सात दीवटमन सात ठन कलीसिया अंय। \c 2 \s1 इफिसुस के कलीसिया ला संदेस \p \v 1 “इफिसुस के कलीसिया के दूत\f + \cat dup\cat*\fr 2:1 \fr*\ft या \ft*\fqa संदेसिया\fqa*\f* ला ये लिख: \b \pi1 जऊन ह जेवनी हांथ म सात ठन तारा धरे हवय अऊ सोन के सात ठन दीवट के बीच म चलते-फिरथे, ओकर ये बचन अय: \b \pi1 \v 2 मेंह तुम्हर काम, तुम्हर कठोर मेहनत अऊ तुम्हर धीरज ला जानत हंव। मेंह जानत हंव कि तुमन दुस्ट मनखेमन ला सहे नइं सकव। जऊन मन अपनआप ला प्रेरित कहिथें, पर अंय नइं, तुमन ओमन ला परखे हवव अऊ ओमन ला लबरा पाय हवव। \v 3 तुमन धीरज धरे हवव अऊ मोर नांव खातिर तुमन दुख सहे हवव अऊ हिम्मत नइं हारे हवव। \pi1 \v 4 तभो ले मेंह तुम्हर बिरोध म, ये कहत हंव: तुमन अब मोला वइसने मया नइं करव, जइसने पहिली-पहिली करत रहेव। \v 5 सोचव कि तुमन कतेक गिर गे हवव। पछताप करव अऊ ओ काम करव, जऊन ला तुमन पहिली करत रहेव। यदि तुमन पछताप नइं करहू, त मेंह तुम्हर करा आके तुम्हर दीवट ला ओकर जगह ले टार दूहूं। \v 6 पर तुमन म एक बने बात ये हवय कि मोर सहीं, तुमन घलो नीकुलईमन के काम ले घिन करथव।\f + \fr 2:6 \fr*\ft नीकुलईमन ये कहंय कि मनखे के जीव अऊ जिनगी ला कोनो नुकसान नइं होवय, यदि ओह कोनो घलो कुकरम करथे तभो ले।\ft*\f* \pi1 \v 7 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। जऊन ह बिजयी होही, ओला मेंह जिनगी के रूख के फर खाय बर अधिकार दूहूं, जऊन ह परमेसर के स्वरग-लोक के बगीचा म हवय। \s1 स्मुरना के कलीसिया ला संदेस \p \v 8 “स्मुरना के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 जऊन ह पहिली अऊ आखिरी ए, जऊन ह मर गे रिहिस अऊ फेर जी उठिस, ओकर ये बचन अय: \b \pi1 \v 9 मेंह तुम्हर दुख-तकलीफ अऊ तुम्हर गरीबी ला जानथंव—तभो ले तुमन धनवान अव! मेंह जानथंव कि ओमन तुम्हर बदनामी करथें, जऊन मन अपनआप ला यहूदी कहिथें, पर अंय नइं। ओमन सैतान के सभा-घर अंय। \v 10 तुम्हर ऊपर जऊन दुख-तकलीफ अवइया हवय, ओकर ले झन डरव। मेंह तुमन ला बतावत हंव, सैतान ह तुमन ला परखे बर, तुमन ले कतको झन ला जेल म डारही, अऊ तुमन दस दिन तक दुख भोगहू। मरते दम तक मोर बिसवासी रहव अऊ मेंह तुमन ला जिनगी के मुकुट दूहूं। \pi1 \v 11 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। जऊन ह बिजयी होही, ओला दूसरा मिरतू ले कोनो नुकसान नइं होवय।\f + \fr 2:11 \fr*\fq दूसरा मिरतू \fq*\ft के मतलब \ft*\fqa आगी के झील म सदाकाल के दंड अय\fqa*\f* \s1 पिरगमुन के कलीसिया ला संदेस \p \v 12 “पिरगमुन के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 जेकर करा तेज दूधारी तलवार हवय, ओकर ये बचन अय। \b \pi1 \v 13 मेंह जानथंव कि तेंह कहां रहिथस—तेंह उहां रहिथस, जिहां सैतान के सिंघासन हवय। तभो ले तेंह मोर ऊपर अपन बिसवास म स्थिर हवस। तेंह ओ दिन म घलो मोर ऊपर अपन बिसवास ला नइं तियागे, जब मोर बिसवासयोग्य गवाह अंतिपास ह तुम्हर सहर म मारे गीस—जिहां सैतान रहिथे। \pi1 \v 14 तभो ले, मोर करा तुम्हर बिरोध म कहे बर कुछू हवय: तुम्हर बीच म कुछू मनखेमन हवंय, जऊन मन बिलाम के सिकछा ला मानथें। बिलाम ह बालाक ला सिखोय रिहिस कि ओह इसरायलीमन ला ठोकर के रसता म ले जावय, ताकि ओमन मूरती ला चघाय खाना ला खावंय अऊ छिनारी करंय। \v 15 तुम्हर बीच म कुछू अइसने मनखेमन घलो हवंय, जऊन मन नीकुलईमन के सिकछा ला मानथें। \v 16 एकरसेति, पछताप करव! नइं त मेंह तुम्हर करा जल्दी आहूं अऊ अपन मुहूं के तलवार ले ओमन के बिरूध लड़हूं। \pi1 \v 17 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। जऊन ह बिजयी होही, ओला मेंह लुकाय मन्ना म ले कुछू दूहूं। मेंह ओला एक ठन सफेद पथरा घलो दूहूं, जऊन म एक नवां नांव लिखाय होही, जेला सिरिप ओहीच जानही, जऊन ह ओला पाही। \s1 थुआतीरा के कलीसिया ला संदेस \p \v 18 “थुआतीरा के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 येह परमेसर के बेटा के बचन ए, जेकर आंखी ह धधकत आगी सहीं हवय अऊ जेकर गोड़मन पालीस करे कांसा सहीं चमकत हवंय। \b \pi1 \v 19 मेंह तुम्हर काम, तुम्हर मया, तुम्हर बिसवास, तुम्हर सेवा अऊ तुम्हर धीरज ला जानत हंव। मेंह ये घलो जानत हंव कि तुम्हर अभी के काम ह पहिली के काम ले बढ़के हवय। \pi1 \v 20 तभो ले मोला तुम्हर बिरोध म ये कहना हवय: तुमन ओ माईलोगन ईजेबेल ला कुछू नइं कहव, जऊन ह अपनआप ला अगमजानी कहिथे अऊ अपन सिकछा के दुवारा मोर सेवकमन ला छिनारी करे बर अऊ मूरती ला चघाय खाना ला खाय बर बहकाथे। \v 21 मेंह ओला अपन पाप ले पछताप करे के मऊका देय हवंव, पर ओह बेभिचार ले पछताप नइं करे चाहथे। \v 22 एकरसेति, मेंह ओला तकलीफ के खटिया म डालहूं अऊ जऊन मन ओकर संग छिनारी करथें, कहूं ओमन अपन पाप ला छोंड़के पछताप नइं करहीं, त मेंह ओमन ऊपर घोर दुख-तकलीफ डालहूं। \v 23 मेंह ओ माईलोगन के लइकामन ला मार डालहूं। तब जम्मो कलीसियामन जान लीहीं कि मेंह ओ अंव, जऊन ह मनखे के हिरदय अऊ मन ला जांचथे, अऊ मेंह तुमन ले हर एक ला तुम्हर काम के मुताबिक परतिफल दूहूं। \pi1 \v 24 अब थुआतीरा के ओ बांचे मनखेमन, जऊन मन ओ माईलोगन के सिकछा ला नइं मानव अऊ ओ बात ला नइं सीखेव, जऊन ला कुछू मनखेमन सैतान के गहिरा भेद कहिथें, मेंह तुमन ला कहत हंव कि मेंह तुम्हर ऊपर अऊ कोनो आने बोझ नइं डालंव। \v 25 पर जऊन सिकछा तुम्हर करा हवय, मोर आवत तक सिरिप ओहीच म बने रहव। \pi1 \v 26 जऊन ह बिजयी होही, अऊ मोर ईछा मुताबिक आखिरी तक चलते रहिही, मेंह ओला जम्मो जाति के मनखे ऊपर अधिकार दूहूं। \v 27 ओह ओमन ऊपर लोहा के राजदंड ले राज करही, अऊ ओह ओमन ला माटी के बरतन सहीं टोर-फोर दीही\f + \fr 2:27 \fr*\ft \+xt भजन 2:9\+xt*\ft*\f*—जइसने कि मोर ददा ह ओमन ऊपर राज करे बर मोला अधिकार दे हवय। \v 28 मेंह ओला बिहनियां के तारा घलो दूहूं। \v 29 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। \c 3 \s1 सरदीस के कलीसिया ला संदेस \p \v 1 “सरदीस के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 जऊन ह परमेसर के सात आतमा अऊ सात तारामन ला धरे हवय, ओकर ये बचन अय: \b \pi1 मेंह तुम्हर काममन ला जानत हंव; तुमन जीयत कलीसिया कहिलाथव, पर असल म तुमन मर गे हवव। \v 2 जागव! ओ चीज जऊन ह बांचे हवय अऊ मरइयाच हवय, ओला मजबूत करव, काबरकि मेंह तुम्हर काम ला अपन परमेसर के नजर म सही नइं पाय हवंव। \v 3 जऊन सिकछा तुमन पाय हवव अऊ सुने हवव, ओला सुरता रखव; ओकर पालन करव अऊ पाप ले पछताप करव। पर कहूं तुमन नइं जागहू, त मेंह चोर के सहीं आ जाहूं, अऊ तुमन ला पता नइं चलही कि कते बेरा मेंह तुम्हर करा आ जाहूं। \pi1 \v 4 तभो ले सरदीस सहर म, तुम्हर इहां कुछू मनखे हवंय, जऊन मन अपन जिनगी ला असुध नइं करे हवंय। ओमन सफेद कपड़ा पहिरके मोर संग चलहीं, काबरकि ओमन एकर काबिल हवंय। \v 5 जऊन ह बिजयी होही, ओला येमन के सहीं सफेद कपड़ा पहिराय जाही। मेंह ओकर नांव ला जिनगी के किताब ले कभू नइं मिटावंव, पर अपन ददा अऊ ओकर स्वरगदूतमन के आघू म ओला गरहन करहूं। \v 6 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। \s1 फिलाडेलफिया के कलीसिया ला संदेस \p \v 7 “फिलाडेलफिया के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 जऊन ह पबितर अऊ सत ए अऊ जेकर करा दाऊद राजा के कुची हवय। जऊन ला ओह खोलथे, ओला कोनो बंद नइं कर सकंय, अऊ जऊन ला ओह बंद करथे, ओला कोनो खोल नइं सकंय, ओकर ये बचन अय। \b \pi1 \v 8 मेंह तुम्हर काममन ला जानथंव। देखव, मेंह तुम्हर आघू म एक कपाट खोलके रखे हवंव, जऊन ला कोनो बंद नइं कर सकंय। मेंह जानथंव कि तुम्हर ताकत थोरकन हवय, तभो ले तुमन मोर बचन माने हवव अऊ मोर बिसवास म बने हवव। \v 9 जऊन मन सैतान के सभा-घर के अंय अऊ अपनआप ला यहूदी कहिथें, पर अंय नइं, ओमन लबारी मारथें। मेंह अइसने करहूं कि ओमन तुम्हर करा आके तुम्हर गोड़ खाल्हे गिरहीं अऊ मान लीहीं कि मेंह तुमन ले मया करथंव। \v 10 काबरकि तुमन मोर हुकूम ला धीरज धरके माने हवव, त मेंह घलो तुमन ला ओ परिछा के घड़ी ले बंचाके रखहूं, जऊन ह जम्मो संसार ऊपर अवइया हवय। एकर दुवारा ये धरती म रहइया मनखेमन परखे जाहीं। \pi1 \v 11 मेंह जल्दी अवइया हवंव। जऊन सिकछा तुम्हर करा हवय, ओहीच म बने रहव, ताकि तुम्हर मुकुट ला कोनो झन ले सकय। \v 12 जऊन ह बिजयी होही, मेंह ओला अपन परमेसर के मंदिर म खंभा बनाहूं। ओह एकर ले कभू बाहिर नइं जाही। मेंह अपन परमेसर के नांव, अपन परमेसर के सहर के नांव—नवां यरूसलेम, जऊन ह मोर परमेसर करा ले स्वरग ले उतरही ओकर ऊपर लिखहूं; अऊ मेंह अपन नवां नांव ला घलो ओकर ऊपर लिखहूं। \v 13 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। \s1 लौदीकिया के कलीसिया ला संदेस \p \v 14 “लौदीकिया के कलीसिया के दूत ला ये लिख: \b \pi1 येह आमीन के बचन अय, जऊन ह बिसवासयोग्य अऊ सच्चा गवाह अऊ परमेसर के सिरिस्टी के अधिकारी ए। \b \pi1 \v 15 मेंह तुम्हर काममन ला जानत हंव। तुमन न तो ठंडा हवव अऊ न तात। बने होतिस कि तुमन या तो ठंडा रहितेव या फेर तात। \v 16 काबरकि तुमन कुनकुना हवव, न ठंडा अऊ न तात; एकरसेति मेंह तुमन ला अपन मुहूं ले उछर दूहूं। \v 17 तुमन कहिथव कि तुमन धनवान अव; तुम्हर करा संपत्ति हवय, अऊ तुमन ला कोनो चीज के जरूरत नइं ए। पर तुमन ये नइं जानत हव कि तुमन अभागा, दयनीय, गरीब, अंधरा अऊ नंगरा अव। \v 18 मेंह तुमन ला सलाह देवत हंव कि आगी म सुध करे गेय सोन मोर करा ले बिसोवव अऊ धनवान हो जावव। तुमन मोर करा ले सफेद कपड़ा पहिरे बर बिसावव कि अपन नंगरई के लाज ला ढांक सकव अऊ अपन आंखी म लगाय बर मरहम बिसावव कि तुमन देख सकव। \pi1 \v 19 जऊन मन ला मेंह मया करथंव, ओमन ला मेंह दबकारथंव अऊ दंड देथंव। एकरसेति ईमानदार बनव अऊ अपन पाप ले पछताप करव। \v 20 देखव! मेंह कपाट के आघू म ठाढ़ होके खटखटावत हंव। कहूं कोनो मोर अवाज ला सुनके कपाट ला खोलही, त मेंह ओकर करा भीतर आके ओकर संग खाना खाहूं अऊ ओह मोर संग खाही। \pi1 \v 21 जऊन ह बिजयी होही, ओला मेंह मोर संग सिंघासन म बईठे के अधिकार दूहूं, जइसने कि मेंह जय पाके अपन ददा के संग ओकर सिंघासन म बईठे हवंव। \v 22 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे।” \c 4 \s1 स्वरग म सिंघासन \p \v 1 एकर बाद, मेंह स्वरग म एक उघरे कपाट ला देखेंव। अऊ ओ तुरही के सहीं अवाज, जऊन ला मेंह पहिली अपन ले गोठियावत सुने रहेंव, मोला कहिस, “इहां ऊपर आ, अऊ मेंह तोला देखाहूं कि एकर बाद का होवइया हवय।” \v 2 मेंह तुरते पबितर आतमा ले भर गेंव अऊ देखेंव कि स्वरग म एक सिंघासन रखे हवय अऊ ओमा एक झन बईठे रहय। \v 3 अऊ जऊन ह ओमा बईठे रहय, ओकर रूप ह मानिक्य अऊ यसब सहीं रहय अऊ सिंघासन के चारों कोति एक मेघ-धनुस रहय, जऊन ह पन्ना सहीं दिखय। \v 4 ओ सिंघासन के चारों कोति अऊ चौबीस ठन सिंघासन रहंय, जेमा चौबीस झन धरम अगुवामन बईठे रहंय। ओमन सफेद कपड़ा पहिरे रहंय अऊ ओमन के मुड़ म सोन के मुकुट रहय। \v 5 ओ सिंघासन म ले बिजली, गड़गड़ाहट के अवाज अऊ बादर के गरजन निकलत रहय। अऊ ओ सिंघासन के आघू म सात ठन मसाल बरत रहंय, जऊन मन परमेसर के सात आतमा अंय। \v 6 ओ सिंघासन के आघू म कांच के समुंदर सहीं घलो कुछू रहय, जेकर आर-पार जम्मो चीज साफ-साफ दिखय। \p सिंघासन के चारों कोति, एकर चारों किनारा म चार जीयत परानी रहंय, जेमन के आघू अऊ पाछू म आंखीच आंखी रहय। \v 7 पहिली जीयत परानी ह सिंह के सहीं रहय; दूसरा परानी ह बईला सहीं; तीसरा परानी के चेहरा ह मनखे सहीं रहय अऊ चौथा परानी ह उड़त गिधवा सहीं रहय। \v 8 चारों जीयत परानीमन ले हर एक के छै-छै ठन डेना रहय अऊ ओमन जम्मो अंग, डेना के भीतर घलो आंखीमन ले भरे रहंय। रात अऊ दिन, ओमन लगातार ये कहत रहंय: \qc “ ‘सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ह \qc पबितर, पबितर, पबितर ए,’\f + \fr 4:8 \fr*\ft \+xt यसा 6:3\+xt*\ft*\f* \qc जऊन ह रिहिस, जऊन ह हवय अऊ जऊन ह अवइया हवय।” \m \v 9 जब-जब ओ जीयत परानीमन ओकर महिमा, आदर अऊ धनबाद करंय, जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय अऊ जुग-जुग ले जीयत हवय, \v 10 तब-तब ओ चौबीस धरम अगुवामन ओकर आघू म माड़ी टेकंय, जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय, अऊ ओकर अराधना करंय, जऊन ह जुग-जुग ले जीयत हवय। ओमन अपन-अपन मुकुट ला सिंघासन के आघू म मढ़ाके ये कहंय: \q1 \v 11 “हमर परभू अऊ परमेसर! \q2 तेंह महिमा, आदर अऊ सामर्थ पाय के काबिल अस, \q1 काबरकि तेंह जम्मो चीज ला बनाय हवस, \q2 अऊ तोर ईछा के दुवारा ओमन बनाय गीन \q2 अऊ ओमन के असतित्व हवय।” \c 5 \s1 जिनगी के किताब अऊ मेढ़ा-पीला \p \v 1 तब मेंह देखेंव कि जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय, ओकर जेवनी हांथ म एक ठन किताब रहय, जेकर दूनों कोति लिखाय रहय अऊ ओला सात ठन मुहर लगाके बंद करे गे रहय। \v 2 अऊ मेंह देखेंव कि एक सक्तिसाली स्वरगदूत ह ऊंचहा अवाज म ये घोसना करत रहय, “मुहर ला टोरके किताब ला खोले के काबिल कोन ए?” \v 3 पर स्वरग म या धरती ऊपर या धरती के खाल्हे म कोनो घलो ओ किताब ला खोले के या ओला देखे के काबिल नइं रिहिस। \v 4 मेंह अब्बड़ रोवंय काबरकि अइसने कोनो नइं मिलिस, जऊन ह किताब ला खोले या ओला देखे के काबिल होवय। \v 5 तब ओ अगुवामन ले एक झन ह मोला कहिस, “झन रो! देख, जऊन ह यहूदा गोत्र के सिंह ए, अऊ दाऊद राजा के बंसज ए, ओह जय पाय हवय अऊ ओह सातों मुहर ला टोरे अऊ किताब ला खोले के काबिल हवय।\f + \fr 5:5 \fr*\fq यहूदा गोत्र के सिंह \fq*\ft अऊ \ft*\fq दाऊद राजा के बंसज \fq*\ft ये दूनों के मतलब \ft*\fqa यीसू मसीह \fqa*\ft अय\ft*\f*” \p \v 6 तब मेंह एक ठन मेढ़ा-पीला ला देखेंव, जऊन ह अइसने दिखत रहय, मानो ओकर बध करे गे हवय। ओ मेढ़ा-पीला ह सिंघासन के आघू म चारों जीयत परानी अऊ अगुवामन के बीच म ठाढ़े रहय। ओकर सात ठन सींग अऊ सात ठन आंखी रिहिस, जऊन मन परमेसर के सात आतमा अंय अऊ येमन ला जम्मो धरती म पठोय गे हवय। \v 7 तब मेढ़ा-पीला ह आईस अऊ जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय, ओकर जेवनी हांथ ले ओह किताब ला ले लीस। \v 8 अऊ जब मेढ़ा-पीला ह किताब ला ले लीस, त ओ चारों जीयत परानी अऊ ओ चौबीस अगुवामन मेढ़ा-पीला के आघू म गिर पड़िन। हर एक के हांथ म बीना अऊ धूप ले भरे सोन के कटोरा रहय, जऊन ह पबितर मनखेमन के पराथना अय। \v 9 अऊ ओमन एक नवां गीत गाईन: \q1 “तेंह किताब ला लेय के \q2 अऊ ओकर मुहरमन ला खोले के काबिल अस, \q1 काबरकि तोर बध करे गीस, \q2 अऊ अपन लहू के दुवारा तेंह जम्मो जाति, \q2 भासा, देस अऊ गोत्र के मनखेमन ला परमेसर बर बिसाय हवस। \q1 \v 10 तेंह ओमन ला एक ठन देस अऊ पुरोहित बना दे हवस कि ओमन हमर परमेसर के सेवा करंय, \q2 अऊ ओमन धरती ऊपर राज करहीं।” \p \v 11 तब मेंह लाखों-करोड़ों स्वरगदूतमन ला देखेंव अऊ ओमन के अवाज सुनेंव। ओमन सिंघासन, जीयत परानी अऊ अगुवामन के चारों कोति रहंय। \v 12 ओमन ऊंचहा अवाज म गावत रहंय: \q1 “जऊन मेढ़ा-पीला के बध करे गीस, \q2 ओह सामर्थ, धन, बुद्धि, बल, आदर, \q2 महिमा अऊ परसंसा पाय के काबिल अय!” \p \v 13 तब मेंह अकास, धरती अऊ धरती के खाल्हे अऊ समुंदर के जम्मो परानीमन ला अइसने गावत सुनेंव: \q1 “जऊन ह सिंघासन म बईठथे, \q2 ओकर अऊ ओ मेढ़ा-पीला के परसंसा, आदर, महिमा अऊ सामर्थ \qc जुग-जुग होवय!” \m \v 14 चारों जीयत परानीमन कहिन, “आमीन,” अऊ अगुवामन माड़ी के भार गिरके अराधना करिन। \c 6 \s1 सात ठन मुहर \p \v 1 मेंह देखेंव कि मेढ़ा-पीला ह जब ओ सात ठन मुहर ले पहिली मुहर ला टोरिस, त मेंह ओ चार जीयत परानीमन ले एक झन ला बादर के गरजन सहीं अवाज म, ये कहत सुनेंव, “आ!” \v 2 अऊ मेंह देखेंव कि उहां एक सफेद घोड़ा रहय। ओ घोड़ा के सवार ह एक ठन धनुस धरे रहय! ओला एक ठन मुकुट दिये गीस अऊ ओह एक बिजयी योद्धा सहीं जय पाय बर निकल गीस। \p \v 3 जब मेढ़ा-पीला ह दूसरा मुहर ला टोरिस, त मेंह दूसरा जीयत परानी ला ये कहत सुनेंव, “आ!” \v 4 तब एक आने घोड़ा निकलिस। ओकर लाल रंग रहय। ओकर सवार ला ये सामर्थ दिये गीस कि ओह धरती के सांति ला लेय ले, ताकि मनखेमन एक-दूसर ला मार डारंय। ओला एक बड़े तलवार दिये गीस। \p \v 5 जब मेढ़ा-पीला ह तीसरा मुहर ला टोरिस, त मेंह तीसरा जीयत परानी ला ये कहत सुनेंव, “आ!” मेंह देखेंव कि उहां एक ठन करिया घोड़ा रहय! ओकर सवार के हांथ म एक तराजू रहय। \v 6 तब मेंह ओ चारों जीयत परानी के बीच म ले, ये अवाज आवत सुनेंव, “एक दिन के बनी के एक किलो गहूं अऊ एक दिन के बनी के तीन किलो जवांर। पर तेल अऊ अंगूर के मंद ला नुकसान झन करव!” \p \v 7 जब मेढ़ा-पीला ह चौथा मुहर ला टोरिस, त मेंह चौथा जीयत परानी ला ये कहत सुनेंव, “आ!” \v 8 अऊ मेंह देखेंव कि उहां एक ठन पिंवरा रंग के घोड़ा रहय! ओकर सवार के नांव मिरतू रहय, अऊ ओकर पाछू-पाछू पाताल-लोक ह आवत रहय। ओमन ला धरती के एक चौथाई भाग ऊपर अधिकार दिये गे रिहिस कि ओमन तलवार, अकाल, महामारी अऊ धरती के जंगली पसुमन के दुवारा मनखेमन ला मार डारंय। \p \v 9 जब मेढ़ा-पीला ह पांचवां मुहर ला टोरिस, त मेंह बेदी के खाल्हे म ओमन के जीव ला देखेंव, जऊन मन परमेसर के बचन अऊ मसीह के गवाही देय के कारन मार डारे गे रिहिन। \v 10 ओमन ऊंचहा अवाज म कहत रहंय, “हे परमपरधान परभू! तेंह पबितर अऊ सत अस। तेंह धरती ऊपर रहइयामन ला कब सजा देबे अऊ ओमन ले हमर लहू के बदला लेबे?” \v 11 ओमन ले हर एक ला एक सफेद ओनहा दिये गीस अऊ ओमन ला अऊ थोरकन इंतजार करे बर कहे गीस, जब तक कि ओमन के संगी सेवक अऊ भाईमन के गनती ह पूरा नइं हो लेवय, जऊन मन ओकरेच मन सहीं मार डारे जवइया रिहिन। \p \v 12 जब मेढ़ा-पीला ह छठवां मुहर ला टोरिस, त मेंह देखेंव कि उहां एक भारी भुइंडोल होईस। सूरज ह बोकरा के रूआं ले बने बोरा सहीं करिया हो गीस अऊ चंदा ह पूरा लहू सहीं लाल हो गीस, \v 13 अऊ अकास के तारामन धरती ऊपर अइसने गिर पड़िन, जइसने गरेर म अंजीर के रूख के डोले ले अंजीरमन गिरथें। \v 14 अकास ह अइसने लोप हो गीस, जइसने कागज के पुलिंदा ला कोनो लपेट लेथे, अऊ जम्मो पहाड़ अऊ टापू मन ला ओमन के जगह ले हटा दिये गीस। \p \v 15 तब धरती के राजा, अऊ बड़े मनखे, सेनापति, धनवान, सक्तिसाली अऊ गुलाम अऊ सुतंतर मनखेमन गुफा अऊ पहाड़मन के चट्टानमन के बीच म लुका गीन। \v 16 ओमन पहाड़ अऊ चट्टानमन ले कहे लगिन, “हमर ऊपर गिर पड़व अऊ ओकर नजर ले हमन ला छिपा लेवव,\f + \fr 6:16 \fr*\ft \+xt होसे 10:8\+xt*\ft*\f* जऊन ह सिंघासन म बिराजे हवय अऊ मेढ़ा-पीला के कोरोध ले हमन ला बचा लेवव। \v 17 काबरकि ओमन\f + \fr 6:17 \fr*\ft कुछू हस्तलिपि म \ft*\fqa ओकर\fqa*\f* के कोरोध के भयानक दिन ह आ गे हवय, अऊ कोन ह येमन के सामना कर सकथे?” \c 7 \s1 इसरायल के 1,44,000 मनखेमन ऊपर मुहर \p \v 1 एकर बाद मेंह धरती के चारों कोना म चार स्वरगदूतमन ला ठाढ़े देखेंव। ओमन धरती के चारों दिग के हवा ला थामे रिहिन, ताकि धरती या समुंदर या रूख ऊपर हवा झन चलय। \v 2 तब मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला पूरब दिग ले आवत देखेंव। ओह जीयत परमेसर के मुहर ला धरे रहय। ओह ओ चारों स्वरगदूत ले, जऊन मन ला धरती अऊ समुंदर के नुकसान करे के अधिकार दिये गे रिहिस, पुकारके कहिस, \v 3 “जब तक हमन अपन परमेसर के सेवकमन के माथा म मुहर नइं लगा लेवन, तब तक धरती या समुंदर या रूखमन के नुकसान झन करव।” \v 4 तब मेंह मुहर लगे मनखेमन के गनती ला सुनेंव। येमन इसरायल के जम्मो गोत्र म ले 1,44,000 रिहिन। \b \li1 \v 5 यहूदा के गोत्र के 12,000; \li1 रूबेन के गोत्र के 12,000; \li1 गाद के गोत्र के 12,000; \li1 \v 6 आसेर के गोत्र के 12,000; \li1 नपताली के गोत्र के 12,000; \li1 मनस्से के गोत्र के 12,000; \li1 \v 7 सिमोन के गोत्र के 12,000; \li1 लेवी के गोत्र के 12,000; \li1 इस्साकार के गोत्र के 12,000; \li1 \v 8 जबूलून के गोत्र के 12,000; \li1 यूसुफ के गोत्र के 12,000; \li1 अऊ बिनयामीन के गोत्र के 12,000 मनखेमन म मुहर लगिस। \s1 सफेद कपड़ा पहिरे मनखेमन के बड़े भीड़ \p \v 9 एकर बाद मेंह जम्मो देस, गोत्र, जाति अऊ भासा के मनखेमन के एक बड़े भीड़ ला देखेंव, जेकर गनती कोनो नइं कर सकत रिहिन। ओमन सफेद ओनहा पहिरे अऊ हांथ म खजूर के डालीमन ला धरके सिंघासन अऊ मेढ़ा-पीला के आघू म ठाढ़े रिहिन। \v 10 अऊ ओमन ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहत रिहिन: \q1 “सिंघासन म बिराजे \q1 हमर परमेसर \q1 अऊ मेढ़ा-पीला के दुवारा उद्धार होथे।” \m \v 11 सिंघासन, अगुवा अऊ चारों जीयत परानी के चारों कोति जम्मो स्वरगदूतमन ठाढ़े रहंय। ओमन सिंघासन के आघू म मुहूं के भार गिरिन अऊ ये कहत परमेसर के अराधना करिन: \q1 \v 12 “आमीन! \q1 हमर परमेसर के इस्तुति, महिमा \q1 बुद्धि, धनबाद, आदर \q1 सामर्थ अऊ बल \q1 जुग-जुग तक होवय। \q1 आमीन!” \p \v 13 तब अगुवामन ले एक झन मोर ले पुछिस, “जऊन मन सफेद ओनहा पहिरे हवंय, ओमन कोन अंय, अऊ ओमन कहां ले आय हवंय?” \p \v 14 मेंह कहेंव, “हे महाराज, तेंह जानथस।” \p अऊ ओह कहिस, “येमन ओ मनखे अंय, जऊन मन भारी सतावा म ले होके आय हवंय। येमन मेढ़ा-पीला के लहू म अपन ओनहा ला धोके सफेद कर ले हवंय। \v 15 एकरसेति, \q1 “येमन परमेसर के सिंघासन के आघू म ठाढ़े हवंय \q2 अऊ रात-दिन परमेसर के सेवा ओकर मंदिर म करथें; \q1 अऊ जऊन ह सिंघासन म बिराजे हवय, \q2 ओह ओमन के संग रहिके ओमन के रकछा करही। \q1 \v 16 ‘येमन ला न तो कभू भूख लगही, \q2 अऊ न कभू पीयास। \q1 सूरज के घाम ह येमन के कुछू नइं कर सकय,’\f + \fr 7:16 \fr*\ft \+xt यसा 49:10\+xt*\ft*\f* \q2 अऊ तीपत गरमी के कुछू असर येमन ऊपर नइं होवय। \q1 \v 17 काबरकि जऊन मेढ़ा-पीला ह सिंघासन के मांझा म हवय, \q2 ओह ओमन के चरवाहा होही; \q1 ‘ओह ओमन ला जिनगी के पानी के सोतामन करा ले जाही।’ \q2 ‘अऊ परमेसर ह ओमन के आंखी के जम्मो आंसू ला पोंछही।’\f + \fr 7:17 \fr*\ft \+xt यसा 25:8\+xt*\ft*\f*” \c 8 \s1 सातवां मुहर अऊ सोन के धूपदान \p \v 1 जब मेढ़ा-पीला ह सातवां मुहर ला टोरिस, त करीब आधा घंटा तक स्वरग म सन्नाटा छा गीस। \p \v 2 तब मेंह ओ सात स्वरगदूतमन ला देखेंव जऊन मन परमेसर के आघू म ठाढ़े रहिथें। ओमन ला सात ठन तुरही दिये गीस। \p \v 3 तब एक आने स्वरगदूत, जऊन ह सोन के धूपदान धरे रहय, आईस अऊ बेदी करा ठाढ़ हो गीस। ओला अब्बड़ अकन धूप दिये गीस कि ओह ओला जम्मो पबितर मनखेमन के पराथना के संग सिंघासन के आघू म सोन के बेदी ऊपर चघावय। \v 4 अऊ स्वरगदूत के हांथ ले धूप के धुआं ह पबितर मनखेमन के पराथना के संग ऊपर उठिस अऊ परमेसर के आघू म हबरिस। \v 5 तब स्वरगदूत ह धूपदान ला लीस अऊ ओला बेदी के आगी ले भरिस अऊ ओला धरती ऊपर फटिक दीस, त बादर के गरजन, गड़गड़ाहट, बिजली के कड़क अऊ भुइंडोल होईस। \s1 तुरहीमन \p \v 6 तब ओ सात स्वरगदूत, जेमन करा सात ठन तुरही रिहिस, अपन-अपन तुरही ला फूंके के तियारी करिन। \p \v 7 पहिली स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त लहू म मिले करा अऊ आगी आईस अऊ येला धरती ऊपर डारे गीस। येमा एक तिहाई धरती ह जर गीस, एक तिहाई रूखमन जर गीन, अऊ जम्मो हरियर कांदी घलो जर गीस। \p \v 8 दूसरा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त आगी म जरत एक बड़े पहाड़ सहीं चीज ला समुंदर म फटिके गीस; अऊ एक तिहाई पानी ह लहू हो गीस, \v 9 समुंदर के एक तिहाई जीयत परानीमन मर गीन, अऊ एक तिहाई पानी जहाजमन नास हो गीन। \p \v 10 तब तीसरा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त मसाल के सहीं बरत एक बड़े तारा ह अकास ले एक तिहाई नदीमन ऊपर अऊ पानी के सोतामन ऊपर गिरिस। \v 11 ओ तारा के नांव नागदऊना\f + \fr 8:11 \fr*\fq नागदऊना \fq*\ft एक पऊधा ए। एकर पान के रस ह करू रहिथे।\ft*\f* ए। अऊ धरती के एक तिहाई पानी ह करू हो गीस, अऊ ओ करू पानी ला पीके कतको मनखेमन मर गीन। \p \v 12 तब चौथा स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त एक तिहाई सूरज अऊ एक तिहाई चंदा अऊ एक तिहाई तारामन ऊपर बिपत पड़िस, जेकर ले ओमन के एक तिहाई भाग ह अंधियार हो गीस अऊ दिन के एक तिहाई भाग म अंजोर नइं होईस, अऊ रात के एक तिहाई भाग म घलो अंजोर नइं होईस। \p \v 13 तब मेंह देखेंव अऊ सुनेंव कि ऊंच अकास म उड़त एक गिधवा ह ऊंचहा अवाज म ये कहत रहय: “बाकि बचे तीन स्वरगदूतमन जऊन तुरही फूंकइया हवंय, ओकर कारन धरती के रहइयामन ऊपर हाय! हाय! हाय!” \c 9 \p \v 1 तब पांचवां स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, अऊ मेंह एक तारा ला देखेंव, जऊन ह अकास ले धरती ऊपर गिरे रिहिस। ओ तारा ला अथाह कुन्ड के कुची दिये गीस। \v 2 जब ओह अथाह कुन्ड ला खोलिस, त उहां ले अइसने धुआं निकलिस, जइसने कि एक बड़े भट्ठी ले निकलथे। ओ कुन्ड के धुआं ले सूरज अऊ अकास अंधियार हो गीन। \v 3 अऊ ओ धुआं म ले धरती ऊपर फांफामन आईन अऊ ओमन ला धरती के बिच्छूमन सहीं सक्ति दिये गीस। \v 4 ओमन ला ये कहे गीस कि धरती के कांदी, या कोनो पऊधा या रूख ला हानि झन पहुंचावंय, पर सिरिप ओ मनखेमन ला नुकसान पहुंचावंय, जेमन के माथा म परमेसर के मुहर नइं लगे हवय। \v 5 फांफामन ला ये सक्ति नइं दिये गीस कि ओमन मनखेमन ला मार डारें, पर ओमन ला ये सक्ति दिये गीस कि ओमन पांच महिना तक मनखेमन ला पीरा देवंय। ओ पीरा ह अइसने रिहिस, जइसने बिच्छू के डंक मारे ले मनखे ला पीरा होथे। \v 6 ओ दिनमन म मनखेमन मिरतू ला खोजहीं, पर ओमन ला ओह नइं मिलही। ओमन मरे के ईछा करहीं, पर मिरतू ह ओमन ले दूर भागही। \p \v 7 ओ फांफामन लड़ई बर तियार घोड़ामन सहीं दिखत रहंय। अपन मुड़ म, ओमन सोन के मुकुट सहीं कुछू पहिरे रहंय अऊ ओमन के मुहूं मनखेमन के मुहूं सहीं रहय। \v 8 ओमन के चुंदी ह माईलोगन के चुंदी सहीं रहय अऊ ओमन के दांतमन सिंह के दांत सहीं रिहिस। \v 9 ओमन के छाती ह लोहा के कवच सहीं चीज ले ढंकाय रिहिस अऊ ओमन के डेना के अवाज ह लड़ई म दऊड़त बहुंते घोड़ा अऊ रथमन के अवाज सहीं रिहिस। \v 10 ओमन के पुंछी अऊ डंक ह बिच्छूमन के पुंछी अऊ डंक सहीं रहय अऊ ओमन के पुंछी म मनखेमन ला पांच महिना तक पीरा देय के सक्ति रहय। \v 11 अथाह कुन्ड के दूत ह ओमन के राजा रिहिस। ओकर नांव इबरानी म “अबद्दोन” अऊ यूनानी भासा म “अपुल्‍लयोन” ए।\f + \fr 9:11 \fr*\fq अबद्दोन \fq*\ft अऊ \ft*\fq अपुल्‍लयोन \fq*\ft ये दूनों सबद के मतलब \ft*\fqa नास करइया \fqa*\ft होथे।\ft*\f* \p \v 12 पहिली बिपत्ति पड़ चुके हवय; एकर बाद दू अऊ बिपत्ति अवइया हवंय। \p \v 13 तब छठवां स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, त मेंह एक अवाज सुनेंव, जऊन ह परमेसर के आघू म रखाय सोन के बेदी के चारों कोना म ले आवत रहय। \v 14 ओ अवाज छठवां स्वरगदूत ला जेकर करा तुरही रिहिस, ये कहत रहय, “ओ चारों स्वरगदूत ला छोंड़ दे, जऊन मन महान नदी फरात करा बंधाय हवंय।” \v 15 अऊ ओ चारों स्वरगदूतमन ला छोंड़ दिये गीस। ओमन ला एही घरी अऊ दिन अऊ महिना अऊ साल बर तियार रखे गे रिहिस कि ओमन एक तिहाई मनखेमन ला मार डारें। \v 16 घुड़सवार सेनामन के गनती ह बीस करोड़ रिहिस। मेंह ओमन के गनती ला सुनेंव। \p \v 17 मेंह अपन दरसन म देखेंव कि घोड़ामन अऊ ओकर सवारमन अइसने दिखत रहंय: घुड़सवारमन के कवच ह आगी सहीं लाल, गहिरा नीला अऊ गंधक के सहीं पीला रंग के रहय। घोड़ामन के मुड़ ह सिंहमन के मुड़ सहीं रहय अऊ ओमन के मुहूं ले आगी, धुआं अऊ गंधक निकलत रहय। \v 18 एक तिहाई मनखेमन ये तीन महामारी के दुवारा मार डारे गीन—याने कि आगी, धुआं अऊ गंधक के दुवारा, जऊन ह घोड़ामन के मुहूं ले निकलत रहय। \v 19 घोड़ामन के सक्ति ह ओमन के मुहूं अऊ ओमन के पुंछी म रहय; काबरकि ओमन के पुंछीमन सांपमन सहीं रहय, जेमा मुड़ीमन रहंय अऊ मुड़ ले ओमन मनखेमन ला चाबके पीरा देवत रिहिन। \p \v 20 बाकि बचे मनखे, जऊन मन ये महामारी म नइं मारे गीन, ओमन अपन गलत काम ले नइं मन फिराईन। ओमन परेत आतमामन के, अऊ सोन, चांदी, कांसा, पथरा, अऊ कठवा के मूरतीमन के पूजा करे बर नइं छोंड़िन, जऊन मन न तो देख सकंय, न सुन सकंय अऊ न तो रेंग सकंय। \v 21 जऊन हतिया, जादू टोनहा, छिनारीपन अऊ चोरी ओमन करे रिहिन; ओमन ओकर बर घलो पछताप नइं करिन। \c 10 \s1 स्वरगदूत अऊ छोटे किताब \p \v 1 तब मेंह एक अऊ सक्तिसाली स्वरगदूत ला स्वरग ले उतरत देखेंव। ओह चारों कोति ले बादर ले घेराय रहय अऊ ओकर मुड़ ऊपर मेघ-धनुस रहय। ओकर चेहरा ह सूरज सहीं रहय अऊ ओकर गोड़मन आगी के खंभा सहीं रहंय। \v 2 ओह अपन हांथ म एक छोटे किताब धरे रहय, जऊन ह खुला रहय। ओह अपन जेवनी गोड़ समुंदर ऊपर अऊ डेरी गोड़ ला भुइयां ऊपर रखिस, \v 3 अऊ सिंह के गरजन सहीं ओह ऊंचहा अवाज म चिचियाईस। जब ओह चिचियाईस, त सात ठन बादर के गरजन मन गोठियाईन। \v 4 अऊ जब सात ठन बादर के गरजन मन गोठियाईन, त ओला मेंह लिखनेच वाला रहेंव कि मेंह स्वरग ले एक अवाज ला ये कहत सुनेंव, “जऊन बात सात ठन बादर के गरजन मन कहिन, ओला गुपत म रख अऊ ओला झन लिख।” \p \v 5 तब जऊन स्वरगदूत ला मेंह समुंदर अऊ भुइयां ऊपर ठाढ़े देखे रहेंव, ओह अपन जेवनी हांथ ला स्वरग कोति उठाईस। \v 6 अऊ ओह ओकर किरिया खाईस, जऊन ह सदाकाल तक जीयत हवय, जऊन ह स्वरग अऊ ओमा जऊन कुछू हवय, धरती अऊ ओमा जऊन कुछू हवय अऊ समुंदर अऊ ओमा जऊन कुछू हवय, ओ जम्मो ला गढ़िस, अऊ ओ स्वरगदूत ह कहिस, “अब अऊ देरी नइं होवय! \v 7 पर जऊन दिन सातवां स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकही, ओ दिन परमेसर के गुपत योजना ह पूरा हो जाही, जइसने कि ओह अपन अगमजानी सेवकमन ला कहे रिहिस।” \p \v 8 तब स्वरग ले जऊन अवाज ला मेंह गोठियावत सुने रहेंव, ओह फेर एक बार मोर ले कहिस, “जा, अऊ जऊन स्वरगदूत ह समुंदर अऊ भुइयां ऊपर ठाढ़े हवय, ओकर हांथ ले ओ खुला किताब ला लेय ले।” \p \v 9 एकरसेति, ओ स्वरगदूत करा जाके मेंह ओला कहेंव, “मोला ओ छोटे किताब ला देय दे।” ओह मोला कहिस, “येला ले अऊ खा ले। येह तोर पेट ला करू कर दीही, पर तोर मुहूं म येह मंधरस सहीं मीठ लगही।”\f + \fr 10:9 \fr*\ft \+xt यहे 3:3\+xt*\ft*\f* \v 10 स्वरगदूत के हांथ ले मेंह ओ छोटे किताब ला लेके, ओला खा लेंव। ओह मोर मुहूं म मंधरस के सहीं मीठ लगिस, पर जब मेंह ओला खा चुकेंव, त मोर पेट ह करू हो गीस। \v 11 तब मोला ये कहे गीस, “तोला फेर बहुंते मनखे, देस, भासा अऊ राजामन के बारे म अगमबानी करना जरूरी ए।” \c 11 \s1 दू झन गवाह \p \v 1 तब मोला एक झन नापे के एक ठन लउठी दीस अऊ कहिस, “जा अऊ परमेसर के मंदिर अऊ बेदी ला नाप अऊ जऊन मन उहां अराधना करत हवंय, ओमन के गनती कर। \v 2 पर बाहिरी अंगना ला छोंड़ दे; ओला झन नाप, काबरकि ओला आनजातमन ला दिये गे हवय, अऊ ओमन 42 महिना तक पबितर सहर ला रऊंदत रहिहीं। \v 3 अऊ मेंह अपन दू झन गवाह ला सक्ति दूहूं, अऊ ओमन 1,260 दिन तक बोरा के कपड़ा\f + \fr 11:3 \fr*\ft ओ समय म कोनो “बोरा के कपड़ा पहिरे”, त एकर मतलब होवय कि ओह कोनो \ft*\fqa दुख या समस्या म हवय।\fqa*\f* पहिरके अगमबानी करहीं।” \v 4 ये दू गवाहमन दू ठन जैतून के रूख अऊ दू ठन दीवट अंय, जऊन मन धरती के परभू के आघू म ठाढ़े रहिथें।\f + \fr 11:4 \fr*\ft \+xt जकर 4:3, 11, 14\+xt*\ft*\f* \v 5 कहूं कोनो ओमन ला हानि पहुंचाय के कोसिस करथे, त ओमन के मुहूं ले आगी निकलथे अऊ ओमन के बईरीमन ला भसम कर देथे। जऊन कोनो येमन के हानि करे के कोसिस करथे, ओह अइसने मरही। \v 6 ये दूनों झन करा अकास के कपाटमन ला बंद करे के सक्ति हवय, ताकि जब ओमन अगमबानी करंय, त पानी झन गिरय, अऊ येमन करा ये सक्ति घलो हवय कि पानी ला लहू म बदल दें अऊ जब कभू चाहंय, तब धरती ऊपर जम्मो किसम के महामारी लानंय। \p \v 7 जब येमन अपन गवाही दे चुकहीं, त ओ पसु जऊन ह अथाह कुन्ड ले निकलही, येमन ले लड़ही, अऊ ओह येमन ला हराके मार डारही। \v 8 येमन के लासमन ओ महान सहर के गली म पड़े रहिहीं, जिहां ओमन के परभू ला कुरूस ऊपर चघाय गे रिहिस। ये महान सहर ला सांकेतिक रूप म सदोम अऊ मिसर कहे जाथे। \v 9 साढ़े तीन दिन तक जम्मो जाति, भासा, देस अऊ बंस के मनखेमन येमन के लास ला देखहीं, पर ओमा के कोनो घलो ओमन ला माटी नइं दीहीं। \v 10 धरती के मनखेमन येमन के मरे ले आनंद मनाहीं अऊ खुस होवत एक-दूसर करा भेंट पठोहीं, काबरकि ये दूनों अगमजानीमन धरती के रहइयामन ला अब्बड़ दुख देय रिहिन। \p \v 11 पर साढ़े तीन दिन के बाद, परमेसर के जिनगी देवइया सांस, ये दूनों म हमाईस अऊ ओमन अपन गोड़ म ठाढ़ हो गीन, अऊ जऊन मन ओमन ला देखिन, ओमन म बहुंते भय छा गीस। \v 12 तब ओमन स्वरग ले एक ऊंचहा अवाज सुनिन, जऊन ह ओमन ला ये कहत रहय, “इहां ऊपर आ जावव।” अऊ ओमन अपन बईरीमन के देखते-देखत एक बादर म स्वरग चले गीन। \p \v 13 ओहीच बेरा एक भारी भुइंडोल होईस अऊ सहर के दसवां भाग ह भरभरा के गिर गीस। सात हजार मनखेमन ओ भुइंडोल म मारे गीन अऊ जऊन मन बच गीन, ओमन डरा गीन अऊ स्वरग के परमेसर के महिमा करिन। \p \v 14 दूसरा बिपत्ति बीत गीस, पर देखव! तीसरा बिपत्ति ह जल्दी अवइया हवय। \s1 सातवां तुरही \p \v 15 तब सातवां स्वरगदूत ह अपन तुरही ला फूंकिस, अऊ स्वरग म ऊंचहा अवाज सुनई पड़िस, जऊन ह ये कहत रहय: \q1 “संसार के राज ह हमर परभू \q2 अऊ ओकर मसीह के राज बन गे हवय, \q2 अऊ ओह सदाकाल तक राज करही।” \m \v 16 अऊ चौबीस झन अगुवा, जऊन मन परमेसर के आघू म अपन सिंघासन ऊपर बिराजे रिहिन, मुहूं के भार गिरिन अऊ ये कहत परमेसर के अराधना करिन: \q1 \v 17 “हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर, ओ जऊन ह हवय, \q2 अऊ जऊन ह रिहिस; हमन तोला धनबाद देवत हवन, \q1 काबरकि तेंह अपन बड़े सामर्थ ला उपयोग करके \q2 राज करे के सुरू करे हवस। \q1 \v 18 देसमन गुस्सा करत रिहिन \q2 अऊ तोर परकोप ह आ गे हवय। \q1 मरे मनखेमन के नियाय करे के बेरा आ गे हवय, \q2 अऊ ओ बेरा घलो आ गे हवय कि तोर सेवक अगमजानी \q1 अऊ तोर पबितर मनखे, जऊन मन तोर भय मानथें, \q2 छोटे अऊ बड़े दूनों ला ईनाम दिये जावय— \q1 अऊ जऊन मन धरती ला नास करथें, ओमन ला नास करे जावय।” \p \v 19 तब स्वरग म परमेसर के मंदिर ह खुल गीस, अऊ ओकर मंदिर म ओकर करार के सन्दूक ह दिखाई दीस। अऊ उहां बिजली के चमक, अवाज, बादर के गरजन अऊ भुइंडोल होईस अऊ भारी करा गिरिस। \c 12 \s1 माईलोगन अऊ सांप सहीं पसु \p \v 1 अकास म एक बड़े चिनहां परगट होईस: एक झन माईलोगन ह सूरज ला पहिरे रहय। ओकर गोड़ के खाल्हे म चंदा रहय अऊ ओकर मुड़ म बारह ठन तारामन के मुकुट रहय। \v 2 ओह पेट म रिहिस, अऊ लइका जनमे के पीरा ले कलपत रिहिस। \v 3 तब एक अऊ चिनहां अकास म परगट होईस: एक बड़े लाल रंग के सांप सहीं पसु रहय। ओकर सात ठन मुड़ अऊ दस ठन सींग रहंय अऊ सातों मुड़ म सात ठन मुकुट रहंय। \v 4 ओकर पुंछी ह अकास के एक तिहाई तारामन ला खींचके धरती ऊपर फटिक दीस। सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन के आघू म ठाढ़ हो गीस, जेकर लइका होवइया रहय, ताकि ओह लइका के जनमतेच ही ओ लइका ला लील सकय। \v 5 ओ माईलोगन ह एक बेटा ला जनमिस, जऊन ह लोहा के राजदंड ले जम्मो देस ऊपर राज करही।\f + \fr 12:5 \fr*\ft \+xt भजन 2:9\+xt*\ft*\f* अऊ ओ लइका ला झपटके परमेसर अऊ ओकर सिंघासन करा लाने गीस। \v 6 तब ओ माईलोगन ह सुनसान जगह ला भाग गीस, उहां परमेसर ह ओकर बर एक जगह तियार करे रिहिस, जिहां 1,260 दिन तक ओकर देखभाल करे जा सकय। \p \v 7 तब स्वरग म लड़ई होय लगिस। मिकाएल\f + \fr 12:7 \fr*\fq मिकाएल \fq*\ft ह परमेसर के एक मुखिया स्वरगदूत अय।\ft*\f* अऊ ओकर दूतमन सांप सहीं पसु के संग लड़िन, अऊ सांप सहीं पसु अऊ ओकर दूतमन येमन के संग लड़िन। \v 8 पर सांप सहीं पसु ह हार गीस, अऊ ओला अऊ ओकर दूतमन ला स्वरग म अपन जगह ला छोड़ना पड़िस। \v 9 ओ सांप सहीं पसु ला फटिक दिये गीस। ये सांप सहीं पसु ह ओ पुराना सांप ए, जऊन ला इबलीस या सैतान कहे जाथे अऊ जऊन ह संसार के जम्मो मनखेमन ला धोखा देथे। ओला अऊ ओकर दूतमन ला धरती म फटिक दिये गीस। \p \v 10 तब मेंह स्वरग ले एक ऊंचहा अवाज आवत सुनेंव, जऊन ह ये कहत रहय: \q1 “अब हमर परमेसर के उद्धार अऊ सामर्थ \q2 अऊ परमेसर के राज, \q2 अऊ ओकर मसीह के अधिकार आ गे हवय। \q1 काबरकि हमर भाईमन ऊपर ओ दोस लगइया ला \q2 स्वरग ले फटिक दे गे हवय, \q2 जऊन ह दिन-रात हमर परमेसर के आघू म ओमन ऊपर दोस लगावत रिहिस। \q1 \v 11 हमर भाईमन मेढ़ा-पीला के लहू \q2 अऊ अपन गवाही के बचन के दुवारा \q2 ओ सैतान ऊपर जय पाईन; \q1 ओमन अपन जिनगी ले मया नइं करिन \q2 अऊ मरे बर तियार रिहिन। \q1 \v 12 एकरसेति, हे स्वरग \q2 अऊ ओमा रहइयामन, आनंद मनावव! \q1 पर हे धरती अऊ समुंदर, तुमन ला धिक्कार ए, \q2 काबरकि सैतान ह उतरके तुम्हर करा आय हवय! \q1 ओह बड़े कोरोध ले भरे हवय, \q2 काबरकि ओह जानथे कि ओकर करा थोरकन समय बचे हवय।” \p \v 13 जब ओ सांप सहीं पसु ह देखिस कि ओला धरती ऊपर फटिक दिये गे हवय, त ओह ओ माईलोगन के पाछू पड़ गीस, जऊन ह एक बेटा ला जनमे रिहिस। \v 14 ओ माईलोगन ला एक बड़े गिधवा के दू ठन डेना दिये गीस, ताकि ओह सुनसान जगह म ओ ठऊर ला उड़के जा सकय, जिहां सांप के पहुंच ले बाहिर, ओकर साढ़े तीन साल तक देखभाल करे जावय। \v 15 तब सांप ह अपन मुहूं ले ओ माईलोगन कोति नदी सहीं पानी के धार छोंड़िस, ताकि माईलोगन ह पानी के धार म बोहा जावय। \v 16 पर धरती ह ओ माईलोगन के मदद करिस। धरती ह अपन मुहूं ला खोलके ओ पानी ला पी गीस, जऊन ह ओ सांप सहीं पसु के मुहूं ले निकलत रिहिस। \v 17 तब ओ सांप सहीं पसु ह ओ माईलोगन ऊपर गुस्सा करिस अऊ ओह माईलोगन के बांचे संतानमन ले लड़ई करे बर निकलिस—याने कि ओ मनखेमन ले, जऊन मन परमेसर के हुकूम ला मानथें अऊ यीसू के गवाह अऊ ओकर ऊपर बिसवास म अटल रहिथें। \c 13 \s1 समुंदर ले निकले पसु \p \v 1 ओ सांप सहीं पसु ह समुंदर तीर म ठाढ़ हो गीस। अऊ मेंह एक ठन पसु ला समुंदर ले निकलत देखेंव। ओकर दस ठन सींग अऊ सात ठन मुड़ रिहिस। ओकर दस ठन सींग म दस ठन मुकुट रहंय अऊ ओकर हर एक मुड़ म एक-एक निन्दा करइया नांव लिखाय रहय। \v 2 जऊन पसु ला मेंह देखेंव, ओह चीतवा के सहीं रहय, पर ओकर गोड़मन भालू के गोड़ सहीं रहंय अऊ ओकर मुहूं ह सिंह के मुहूं सहीं रहय। सांप सहीं पसु ह ये पसु ला अपन सक्ति, अपन सिंघासन अऊ बहुंते अधिकार दीस। \v 3 अइसने लगत रहय कि ओ पसु के एक ठन मुड़ म एक बड़े घाव होय रिहिस, पर ओ बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। जम्मो संसार के मनखेमन अचरज करिन अऊ ओ पसु के पाछू हो लीन। \v 4 मनखेमन सांप सहीं पसु के पूजा करिन, काबरकि ओह पसु ला अधिकार दे रिहिस, अऊ ओमन ये कहत पसु के घलो पूजा करिन, “ये पसु के सहीं कोन हवय? एकर संग कोन लड़ई कर सकथे?” \p \v 5 ओ पसु ला डींग मारे के अऊ निन्दा करे के अनुमति दिये गीस। ओला बियालीस महिना तक अपन अधिकार के उपयोग करे के अनुमति घलो दिये गीस। \v 6 ओह परमेसर के निन्दा करिस। ओह परमेसर के नांव अऊ ओकर निवास के अऊ ओ मनखेमन के निन्दा करिस, जऊन मन स्वरग म रहिथें। \v 7 ओला अनुमति दिये गीस कि ओह पबितर मनखेमन संग लड़ई करय अऊ ओमन ऊपर जय पावय। अऊ ओला हर एक जाति, मनखे, भासा अऊ देस ऊपर अधिकार दिये गीस। \v 8 धरती के रहइया जम्मो मनखेमन ओ पसु के पूजा करहीं—याने कि ओ जम्मो मनखे, जेमन के नांव ह ओ मेढ़ा-पीला के जिनगी के किताब म नइं लिखाय हवय, जऊन ह संसार के रचे के समय ले मार डारे गीस। \p \v 9 जेकर कान हवय, ओह सुन ले! \q1 \v 10 “कहूं कोनो ला कैद म जाना हवय, \q2 त ओह कैद म जाही। \q1 कहूं कोनो ला तलवार ले मरना हवय, \q2 त ओह तलवार ले मारे जाही।”\f + \fr 13:10 \fr*\ft \+xt यर 15:2\+xt*\ft*\f* \m एकर खातिर पबितर मनखेमन ला धीरज अऊ बिसवासयोग्यता के जरूरत हवय। \s1 धरती म ले निकले पसु \p \v 11 तब मेंह एक ठन अऊ पसु ला देखेंव, जऊन ह धरती म ले निकलत रहय। ओकर, मेढ़ा-पीला के सींग सहीं दू ठन सींग रहय, पर ओह सांप सहीं पसु जइसने गोठियावय। \v 12 ओह पहिली पसु कोति ले ओकर जम्मो अधिकार के उपयोग करथे। ओह धरती अऊ ओकर रहइयामन ला बाध्य करथे कि ओमन ओ पहिली पसु के पूजा करंय, जेकर एक बड़े घाव ह बने हो गे रिहिस। \v 13 ये दूसरा पसु ह बड़े-बड़े चमतकार देखाईस, अऊ त अऊ ओह मनखेमन के देखत म अकास ले धरती ऊपर आगी बरसा देवत रिहिस। \v 14 पहिली पसु कोति ले, ओला जऊन चमतकार देखाय के अधिकार मिले रिहिस, ओ चमतकार के दुवारा ओह धरती के मनखेमन ला भरमा दीस। ओह मनखेमन ला हुकूम दीस कि ओमन ओ पसु के आदर म एक मूरती बनावंय, जऊन ह तलवार ले घात करे के बाद घलो जीयत रिहिस। \v 15 ओला पहिली पसु के मूरती ला जियाय के सक्ति दिये गीस, ताकि ओ मूरती ह गोठियावय, अऊ ओ जम्मो झन ला मरवा देवय, जऊन मन ओ मूरती के पूजा नइं करिन। \v 16 ओह छोटे या बड़े, धनी या गरीब, सुतंतर या गुलाम, जम्मो मनखेमन ला बाध्य करथे कि ओमन जेवनी हांथ या अपन माथा म एक छाप लगावंय। \v 17 बिगर ओ छाप के, कोनो घलो मनखे लेन-देन नइं कर सकंय। ओ छाप म पसु के नांव या ओकर नांव के संखिया लिखाय रहय। \p \v 18 एकर खातिर बुद्धि के जरूरत हवय। ओ मनखे, जेकर करा बुद्धि हवय, त ओह ये पसु के संखिया के हिसाब कर ले, काबरकि येह एक मनखे के संखिया ए। एकर संखिया 666 ए। \c 14 \s1 मेढ़ा-पीला अऊ 1,44,000 मनखे \p \v 1 तब मेंह देखेंव कि मेढ़ा-पीला ह सियोन पहाड़ ऊपर ठाढ़े हवय अऊ ओकर संग 1,44,000 ओ मनखेमन रहंय, जेमन के माथा म ओकर नांव अऊ ओकर ददा के नांव लिखाय रहय। \v 2 तब मेंह स्वरग ले एक अवाज सुनेंव, जऊन ह तेजी से बोहावत पानी के अवाज अऊ बादर के भयंकर गरजन सहीं रहय। जऊन अवाज ला मेंह सुनेंव, ओह अइसने रिहिस, मानो बीना बजइयामन बीना बजावत हवंय। \v 3 ओ मनखेमन सिंघासन अऊ चार जीयत परानी अऊ अगुवामन के आघू म एक नवां गीत गावत रहंय। ओ 1,44,000 मनखे, जऊन मन ला धरती म ले दाम देके छोंड़ाय गे रिहिस, ओमन के छोंड़, अऊ कोनो ओ गीत ला सीख नइं सकिन। \v 4 येमन ओ मनखे रिहिन, जेमन के सारीरिक संबंध माईलोगनमन संग नइं रिहिस अऊ ओमन अपनआप ला असुध नइं करे रिहिन। अऊ जिहां कहूं मेढ़ा-पीला ह जाथे; येमन ओकर पाछू-पाछू चलथें। येमन ला मनखेमन ले बिसाय गे रिहिस अऊ येमन ला परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला करा पहिली फर के रूप म चघाय गे रिहिस। \v 5 येमन कभू लबारी नइं मारिन; येमन म कोनो किसम के दोस नइं ए। \s1 तीन स्वरगदूत \p \v 6 तब मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला अकास म उड़त देखेंव। ओकर करा धरती के जम्मो देस, जाति अऊ भासा के मनखेमन ला सुनाय बर एक सदाकाल के सुघर संदेस रहय। \v 7 ओह ऊंचहा अवाज म कहिस, “परमेसर के भय मानव अऊ ओकर महिमा करव, काबरकि ओकर नियाय करे के बेरा ह आ गे हवय। जऊन ह स्वरग, धरती, समुंदर अऊ पानी के सोतमन ला बनाईस, ओकर अराधना करव।” \p \v 8 एकर बाद एक दूसरा स्वरगदूत ह पाछू हो लीस अऊ कहिस, “सतियानास हो गीस। बड़े सहर बेबिलोन के सतियानास हो गीस,\f + \fr 14:8 \fr*\ft \+xt यसा 21:9\+xt*\ft*\f* जऊन ह अपन छिनारीपन के पागल करइया मंद जम्मो जाति के मनखेमन ला पीयाय रिहिस।” \p \v 9 एकर बाद, एक तीसरा स्वरगदूत ह पाछू हो लीस अऊ ऊंचहा अवाज म कहिस, “कहूं कोनो ओ पसु या ओकर मूरती के पूजा करथे अऊ अपन माथा म या अपन हांथ म ओ पसु के छाप ला लेथे, \v 10 त ओला घलो परमेसर के कोरोध रूपी मंद ला पीये पड़ही, जऊन ला ओकर कोरोध रूपी कटोरा म पूरा बल सहित ढारे गे हवय। ओह पबितर स्वरगदूतमन के अऊ मेढ़ा-पीला के आघू म आगी अऊ गंधक के पीरा ला भोगही। \v 11 जऊन मन ओ पसु अऊ ओकर मूरती के पूजा करथें या ओकर नांव के छाप ला लेथें, ओमन के पीरा के धुआं ह जुग-जुग तक उठते रहिही; अऊ ओमन ला रात अऊ दिन कभू चैन नइं मिलही।” \v 12 एकर खातिर, ओ पबितर मनखेमन ला धीरज के जरूरत हवय, जऊन मन परमेसर के हुकूम ला मानथें अऊ यीसू म अपन बिसवास ला बनाय रखथें। \p \v 13 तब मेंह स्वरग ले एक अवाज सुनेंव, जऊन ह मोला ये कहत रहय, “लिख! धइन एं ओ मनखेमन, जऊन मन अब ले परभू म बिसवास करत मरथें।” \p पबितर आतमा ह कहिथे, “हव, ओमन धइन अंय। ओमन अपन मेहनत के बाद अराम पाहीं, काबरकि ओमन के भलई के काममन ओमन के संग जाही।” \s1 धरती के फसल \p \v 14 तब मोला उहां एक सफेद बादर दिखिस अऊ ओ बादर ऊपर मनखे के बेटा\f + \fr 14:14 \fr*\ft देखव \+xt दानि 7:13\+xt*\ft*\f* सहीं कोनो बईठे रहय। ओकर मुड़ म सोन के मुकुट अऊ ओकर हांथ म तेज धारदार हंसिया रहय। \v 15 तब एक आने स्वरगदूत मंदिर म ले निकलिस अऊ ऊंचहा अवाज म बादर ऊपर बईठे मनखे ला कहिस, “अपन हंसिया ला ले अऊ लुवई कर, काबरकि लुवई के बेरा आ गे हवय, अऊ धरती के फसल ह पक चुके हवय।” \v 16 तब जऊन ह बादर ऊपर बईठे रिहिस, ओह अपन हंसिया ला धरती ऊपर चलाईस, अऊ धरती के फसल ह लुवा गे। \p \v 17 तब एक अऊ स्वरगदूत स्वरग के मंदिर म ले निकलिस, अऊ ओकर करा घलो एक तेज धारदार हंसिया रहय। \v 18 तब एक अऊ स्वरगदूत, जऊन ला आगी ऊपर अधिकार दिये गे रिहिस, बेदी म ले आईस अऊ ऊंचहा अवाज म ओ स्वरगदूत ला कहिस, जेकर करा तेज धारदार हंसिया रहय, “अपन हंसिया ला ले अऊ धरती के अंगूर के नार के गुच्छामन ला काट अऊ अंगूर ला संकेल ले, काबरकि ओकर अंगूरमन पाक गे हवंय।” \v 19 तब ओ स्वरगदूत ह अपन हंसिया ला धरती के अंगूर के नारमन म चलाईस अऊ अंगूर ला संकेलिस अऊ ओला परमेसर के कोरोध रूपी अंगूर के बड़े कुन्ड\f + \fr 14:19 \fr*\fq अंगूर के बड़े कुन्ड \fq*\ft ह एक खंचवा होथे, जिहां अंगूर ला कुचरके ओकर रस निकालथें अऊ तब मंद बनाथें।\ft*\f* म झोंक दीस। \v 20 ओमन ला सहर के बाहिर अंगूर के कुन्ड म कुचरे गीस अऊ ओ कुन्ड ले जऊन लहू निकलिस, ओह घोड़ा के लगाम के करीब पांच फीट ऊंच होके तीन सौ किलोमीटर तक बोहाईस। \c 15 \s1 सात स्वरगदूत अऊ सात महामारी \p \v 1 तब मेंह अकास म एक ठन अऊ महान अऊ अद्भूत चिनहां देखेंव: सात स्वरगदूत सात ठन महामारी ला धरे रहंय। येमन आखिरी बिपत्ति अंय, काबरकि एकर बाद परमेसर के कोरोध ह पूरा हो जाही। \v 2 अऊ मेंह अइसने चीज देखेंव, जऊन ह आगी म मिले कांच के एक समुंदर सहीं दिखत रहय अऊ ओ कांच के समुंदर के तीर म ओ मनखेमन ठाढ़े रिहिन, जऊन मन ओ पसु अऊ ओकर मूरती अऊ ओकर नांव के संखिया ऊपर जय पाय रिहिन। ओमन परमेसर के दुवारा दिये गय बीनामन ला धरे रहंय \v 3 अऊ ओमन परमेसर के सेवक मूसा के गीत अऊ मेढ़ा-पीला के ये गीत गावत रहंय: \q1 “हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर! \q2 तोर काम महान अऊ अद्भूत ए। \q1 हे जाति-जाति के राजा! \q2 तोर रसता ह सही अऊ सच्चा ए। \q1 \v 4 हे परभू! जम्मो झन तोर भय मानहीं, \q2 अऊ तोर नांव के महिमा करहीं। \q1 काबरकि तेंहीच ह पबितर अस। \q1 जम्मो देस के मनखेमन आहीं \q2 अऊ तोर अराधना करहीं, \q1 काबरकि तोर धरमी काममन परगट हो गे हवंय।”\f + \fr 15:4 \fr*\ft \+xt भजन 111:2, 3; ब्यव 32:4; यर 10:7; भजन 86:9; 98:2\+xt*\ft*\f* \p \v 5 एकर बाद मेंह स्वरग म मंदिर ला याने कि करार कानून के पबितर-तम्बू ला देखेंव, जऊन ला खोले गीस। \v 6 अऊ ओ मंदिर म ले सात स्वरगदूत निकलिन, जेमन करा सात ठन महामारी रहय। ओ स्वरगदूतमन साफ अऊ चमकत सन के कपड़ा पहिरे रहंय अऊ ओमन के छाती म सुनहरा पट्टा बंधाय रहय। \v 7 तब ओ चार जीयत परानी म ले एक झन ओ सातों स्वरगदूतमन ला सात ठन सोन के कटोरा दीस, जऊन म जुग-जुग तक जीयत रहइया परमेसर के कोरोध भराय रहय। \v 8 अऊ परमेसर के महिमा अऊ ओकर सामर्थ के कारन मंदिर ह धुआं ले भर गीस अऊ कोनो ओ मंदिर भीतर नइं जा सकिन, जब तक कि ओ सात स्वरगदूतमन के सात महामारीमन पूरा नइं हो गीन। \c 16 \s1 परमेसर के कोरोध के सात ठन कटोरा \p \v 1 तब मंदिर म ले मोला एक ऊंचहा अवाज सुनई पड़िस, जऊन ह सातों स्वरगदूतमन ले ये कहत रहय, “जावव, अऊ परमेसर के कोरोध के सातों कटोरा ला धरती ऊपर उंड़ेर दव।” \p \v 2 पहिला स्वरगदूत ह गीस अऊ धरती ऊपर अपन कटोरा ला उंड़ेर दीस। जऊन मनखेमन ऊपर पसु के छाप लगे रिहिस अऊ जऊन मन ओकर मूरती के पूजा करे रिहिन, ओमन के ऊपर घिनौना अऊ पीरा देवइया फोड़ा निकल आईस। \p \v 3 दूसरा स्वरगदूत ह समुंदर ऊपर अपन कटोरा ला ढारिस अऊ समुंदर के पानी ह मरे मनखे के लहू सहीं हो गीस अऊ समुंदर के जम्मो जीव मर गीन। \p \v 4 तीसरा स्वरगदूत ह अपन कटोरा ला नदी अऊ पानी के सोतामन ऊपर ढारिस अऊ ओमन के पानी ह लहू बन गीस। \v 5 तब मेंह ओ स्वरगदूत, जेकर करा पानी के ऊपर अधिकार रिहिस, ये कहत सुनेंव: \q1 “हे परम पबितर! तेंह जीयत हवस अऊ तेंह हमेसा जीयत रहय; \q2 तेंह नियाय करे म धरमी अस, \q2 काबरकि तेंह अइसने नियाय करे हवस। \q1 \v 6 मनखेमन तोर पबितर मनखे अऊ अगमजानीमन के लहू बहाय हवंय, \q2 अऊ तेंह ओमन ला पीये बर लहू दे हवस, काबरकि ओमन एकरे लईक अंय।” \m \v 7 अऊ बेदी ला मेंह ये कहत सुनेंव: \q1 “हव, हे सर्वसक्तिमान परभू परमेसर, \q2 तोर नियाय ह सच्चा अऊ सही अय।” \p \v 8 तब चौथा स्वरगदूत ह अपन कटोरा ला सूरज ऊपर ढारिस, अऊ सूरज ला मनखेमन ला आगी ले लेसे के अनुमति दिये गीस। \v 9 मनखेमन भारी गरमी ले लेसा गीन अऊ ओमन परमेसर के नांव ला सराप दीन, जऊन ह कि ये महामारी ऊपर अधिकार रखथे, पर ओमन पछताप नइं करिन अऊ परमेसर के महिमा करे नइं चाहिन। \p \v 10 तब पांचवां स्वरगदूत ह अपन कटोरा ला पसु के सिंघासन ऊपर ढारिस, अऊ पसु के राज म अंधियार छा गीस। मनखेमन पीरा के मारे अपन जीभ चबाय लगिन, \v 11 अऊ अपन पीरा अऊ फोड़ामन के कारन स्वरग के परमेसर ला सराप देय लगिन, पर ओमन अपन कुकरम खातिर पछताप नइं करिन। \p \v 12 तब छठवां स्वरगदूत ह अपन कटोरा ला महान नदी फरात ऊपर ढारिस, नदी के पानी ह सूखा गीस, ताकि पूरब दिग ले अवइया राजामन बर रसता बन जावय। \v 13 तब मेंह सांप सहीं पसु के मुहूं ले, अऊ ओ पसु के मुहूं ले अऊ लबरा अगमजानी के मुहूं ले तीन असुध आतमामन ला निकलत देखेंव। ये असुध आतमामन मेचका के रूप म रहंय। \v 14 येमन परेत आतमा अंय, जऊन मन चमतकार देखाथें। येमन जम्मो संसार के राजामन करा जाथें अऊ ओमन ला ओ लड़ई बर संकेलथें, जऊन ह सर्वसक्तिमान परमेसर के महान दिन म होही। \b \mi \v 15 “देख! मेंह एक चोर के सहीं आवत हंव! धइन ए ओह, जऊन ह जागत रहिथे, अऊ अपन कपड़ा ला पहिरे रहिथे, ताकि ओह नंगरा होके झन जावय, अऊ मनखेमन के आघू म ओकर बेजत्ती झन होवय।” \b \m \v 16 तब आतमामन राजामन ला ओ ठऊर म संकेलिन, जऊन ला इबरानी म हरमगिदोन कहे जाथे। \p \v 17 तब सातवां स्वरगदूत ह हवा म अपन कटोरा ला ढारिस, अऊ मंदिर के सिंघासन म ले एक ऊंचहा अवाज आईस, जऊन ह ये कहत रिहिस, “पूरा हो गीस!” \v 18 तब बिजली के चमक, अवाज, बादर के गरजन अऊ भारी भुइंडोल होईस। अइसने भारी भुइंडोल मनखे के गढ़े जाय के समय ले अब तक कभू नइं होय रिहिस। \v 19 बड़े सहर के तीन भाग हो गीस अऊ देसमन के सहरमन नास हो गीन। परमेसर ह बड़े सहर बेबिलोन ला सुरता करिस अऊ ओला अपन भयंकर कोरोध ले भरे मंद के कटोरा ला पीये बर दीस। \v 20 जम्मो टापू अऊ पहाड़मन गायब हो गीन। \v 21 अकास ले करीब पैंतालीस-पैंतालीस किलो के बड़े-बड़े करा मनखेमन ऊपर गिरिस, अऊ ये करा के महामारी के कारन मनखेमन परमेसर ला सराप दीन, काबरकि ये महामारी ह बहुंत भयंकर रिहिस। \c 17 \s1 बहुंत खराप बेस्या \p \v 1 तब जऊन सात स्वरगदूतमन सात ठन कटोरा धरे रिहिन, ओमा के एक झन मोर करा आईस अऊ कहिस, “आ, मेंह तोला ओ बड़े बेस्या के दंड ला देखाहूं, जऊन ह कतको पानीमन ऊपर बईठे हवय। \v 2 ओकर संग धरती के राजामन छिनारी करे हवंय अऊ धरती के मनखेमन ओकर छिनारीपन के मंद ला पीके मतवाला हो गे हवंय।” \p \v 3 तब ओ स्वरगदूत ह मोला आतमा म एक ठन सुनसान जगह म ले गीस। उहां मेंह एक झन माईलोगन ला सिन्दूरी लाल रंग के एक पसु ऊपर बईठे देखेंव। पसु के जम्मो देहें म खराप नांवमन लिखाय रहंय, अऊ ओकर सात ठन मुड़ अऊ दस ठन सींग रहय। \v 4 ओ माईलोगन ह बैंगनी अऊ सिन्दूरी लाल रंग के कपड़ा पहिरे रहय अऊ सोन, कीमती पथरा अऊ मोतीमन ले सजे रहय। ओह अपन हांथ म एक ठन सोन के कटोरा धरे रहय। ओ कटोरा ह घिन-घिन चीज अऊ ओकर छिनारीपन के गंदगी ले भरे रहय। \v 5 अऊ ओकर माथा म एक भेद के नांव लिखाय रहय: \pc महान बेबिलोन, \pc धरती के बेस्यामन के \pc अऊ घिन-घिन चीजमन के दाई। \m \v 6 मेंह देखेंव कि ओ माईलोगन ह पबितर मनखेमन के लहू अऊ यीसू के बिसवासयोग्य गवाहमन के लहू ला पीके माते हवय। \p जब मेंह ओला देखेंव, त बहुंत अचरज म पड़ गेंव। \v 7 तब स्वरगदूत ह मोला कहिस: “तेंह काबर अचम्भो करत हवस? मेंह तोला ओ माईलोगन के भेद ला बताहूं अऊ ओ पसु के भेद ला घलो बताहूं, जेकर ऊपर ओ माईलोगन ह सवारी करे हवय अऊ जेकर सात ठन मुड़ अऊ दस ठन सींग हवय। \v 8 जऊन पसु ला तेंह देखे, ओह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए; ओह अथाह कुन्ड ले निकलके आही अऊ ओह नास हो जाही। धरती के ओ मनखेमन, जेमन के नांव संसार के रचे के समय ले जिनगी के किताब म नइं लिखे हवय, ओमन पसु ला देखके अचम्भो करहीं, काबरकि ओह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए, पर ओह फेर आही। \p \v 9 “येला समझे बर बुद्धि के जरूरत हवय। ओ सात ठन मुड़ीमन सात ठन पहाड़ अंय, जेकर ऊपर ओ माईलोगन ह बईठे हवय। \v 10 ओमन सात झन राजा घलो अंय। ओमा ले पांच झन गिर गे हवंय; एक झन अभी राज करत हवय, अऊ दूसर ह अभी तक नइं आय हवय; पर जब ओह आही, त थोरकन समय तक राज करही। \v 11 ओ पसु जऊन ह पहिली रिहिस, पर अब नइं ए, ओह आठवां राजा ए। असल म, ओह ओ सातों म ले अय अऊ ओह नास हो जाही। \p \v 12 “जऊन दस ठन सींग तेंह देखे, ओमन दस राजा अंय। ओमन ला अभी तक राज नइं मिले हवय, पर ओमन ला एक घंटा बर पसु के संग म राजामन सहीं अधिकार मिलही। \v 13 ओमन के एकेच उदेस्य हवय अऊ ओमन अपन सक्ति अऊ अधिकार पसु ला दे दीहीं। \v 14 ओमन मेढ़ा-पीला के बिरोध म लड़ई करहीं, पर मेढ़ा-पीला ह ओमन ऊपर जय पाही, काबरकि ओह परभूमन के परभू अऊ राजामन के राजा अय, अऊ जऊन मन ओकर संग रहिहीं, ओमन बलाय गे हवंय अऊ चुने गे हवंय अऊ ओमन बिसवासयोग्य अंय।” \p \v 15 तब स्वरगदूत ह मोला कहिस, “जऊन पानी ला तेंह देखे, जिहां ओ बेस्या ह बईठे हवय, ओ पानी ह मनखेमन के भीड़, देस अऊ भासामन अंय। \v 16 जऊन पसु अऊ दस सींगमन ला तेंह देखे, ओमन ओ बेस्या ले घिन करहीं। ओमन ओला नंगरी करके अकेला छोंड़ दीहीं। ओमन ओकर मांस ला खाहीं अऊ ओला आगी म जला दीहीं। \v 17 काबरकि परमेसर ह ओमन के मन म ये बात ला डाले हवय कि ओमन ओकर उदेस्य ला पूरा करंय अऊ जब तक परमेसर के बचन ह पूरा नइं हो जावय, तब तक ओमन एक मत होके अपन राज करे के अधिकार ला ओ पसु ला दे देवंय। \v 18 जऊन माईलोगन ला तेंह देखे, ओह ओ महान सहर ए, जऊन ह धरती के राजामन ऊपर राज करथे।” \c 18 \s1 बेबिलोन सहर के बिनास \p \v 1 एकर बाद मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला स्वरग ले उतरत देखेंव। ओकर करा बड़े अधिकार रिहिस अऊ धरती ह ओकर सोभा ले जगमगा गीस। \v 2 ओह ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहिस: \q1 “ ‘गिर परिस! बड़े सहर बेबिलोन ह गिर परिस!’\f + \fr 18:2 \fr*\ft \+xt यसा 21:9\+xt*\ft*\f* \q2 ओह परेत आतमामन के, जम्मो असुध आतमामन के, \q1 जम्मो असुध चिरईमन के, \q2 जम्मो असुध अऊ घिनौना पसुमन के \q2 डेरा हो गे हवय। \q1 \v 3 काबरकि जम्मो देस के मनखेमन \q2 ओकर छिनारीपन के पागल करइया मंद ला पीये हवंय। \q1 धरती के राजामन ओकर संग छिनारी करिन, \q2 अऊ धरती के बेपारीमन ओकर बिलासिता के धन ले धनवान हो गे हवंय।” \s1 बेबिलोन के सजा ले बचे के चेतउनी \p \v 4 तब मेंह स्वरग ले एक अऊ अवाज सुनेंव, जऊन ह ये कहत रहय: \q1 “ ‘हे मोर मनखेमन, ओ सहर म ले निकल आवव,’\f + \fr 18:4 \fr*\ft \+xt यर 51:45\+xt*\ft*\f* \q2 ताकि तुमन ओकर पाप के भागी झन होवव, \q2 अऊ ओकर कोनो बिपत्ति तुम्हर ऊपर झन पड़य; \q1 \v 5 काबरकि ओकर पाप के घघरी ह भर गे हवय, \q2 अऊ परमेसर ह ओकर अपराधमन ला सुरता करे हवय। \q1 \v 6 ओकर संग वइसने करव, जइसने ओह तुम्हर संग करे हवय; \q2 ओकर कुकरम के दू गुना बदला चुकावव। \q2 जऊन कटोरा म ओह भरे हवय, ओ कटोरा म ओकर बर दू गुना भर देवव। \q1 \v 7 ओह जतेक डींग मारे हवय अऊ जतेक भोग-बिलास करे हवय, \q2 ओला ओतेक दुख अऊ तकलीफ देवव। \q1 ओह अपन मन म घमंड करके कहिथे, \q2 ‘मेंह रानी सहीं बईठथंव। \q1 मेंह बिधवा नो हंव;\f + \fr 18:7 \fr*\ft देखव \+xt यसा 47:7, 8\+xt*\ft*\f* \q2 अऊ मेंह कभू दुख नइं मनाहूं।’ \q1 \v 8 एकरसेति एकेच दिन म ओकर ऊपर मिरतू, \q2 सोक अऊ दुकाल के बिपत्ति आ पड़ही। \q1 ओह आगी म भसम हो जाही, \q2 काबरकि जऊन ह ओकर नियाय करथे, ओह सक्तिमान परभू परमेसर ए। \p \v 9 “धरती के जऊन राजामन ओकर संग छिनारी अऊ भोग-बिलास करिन, ओमन जब ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन रोहीं अऊ ओकर बर सोक मनाहीं। \v 10 ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं अऊ ये कहिहीं, \q1 “ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय! \q2 हे बेबिलोन, सक्तिसाली सहर! \q1 एकेच घंटा म तोला तोर दंड मिल गीस!’ \p \v 11 “धरती के बेपारीमन ओकर बर रोहीं अऊ कलपहीं, काबरकि अब कोनो ओमन के ये मालमन ला नइं बिसाही— \v 12 पानी जहाज म लदे सोन, चांदी, कीमती पथरा, मोती; सुघर मलमल, बैंगनी, रेसमी अऊ सिन्दूरी लाल कपड़ा; जम्मो किसम के महकत कठवा, अऊ हाथी-दांत, कीमती कठवा, कांसा, लोहा अऊ संगमरमर के बने जम्मो किसम के चीज; \v 13 पानी जहाज म लदे दालचीनी, मसाला, धूप, इतर, लोबान, अंगूर के मंद, जैतून के तेल, सुघर पीसान अऊ गहूं; पसु-धन अऊ भेड़; घोड़ा अऊ रथ; अऊ गुलाम के रूप म बेचे गय मनखेमन। \p \v 14 “बेपारीमन कहिहीं, ‘जऊन फर के लालसा तेंह करत रहय, ओह तोर ले दूरिहा हो गे हवय। तोर जम्मो धन-संपत्ति अऊ तड़क-भड़क खतम हो गीस, अऊ ओह तोला फेर कभू नइं मिलय।’ \v 15 जऊन बेपारीमन ये चीजमन ला बेचके बेबिलोन सहर ले धन कमाय रिहिन, ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं। ओमन रोहीं अऊ सोक मनाहीं \v 16 अऊ कलपत ये कहिहीं: \q1 “ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय! \q2 तेंह सुघर मलमल, बैंगनी अऊ सिन्दूरी लाल कपड़ा पहिरे रहय, \q2 अऊ सोन, कीमती पथरा अऊ मोती ले सजे रहय! \q1 \v 17 एकेच घंटा म ये जम्मो धन ह नास हो गीस!’ \p “पानी जहाज के हर कप्तान, पानी जहाज म हर यातरा करइया, हर डोंगा खेवइया अऊ हर ओ मनखे, जऊन ह समुंदर ले अपन जिनगी चलाथे, ये जम्मो के जम्मो दूरिहा म ठाढ़े रहिहीं। \v 18 जब ओमन ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन चिचियाके कहिहीं, ‘का ये महान सहर सहीं कभू कोनो सहर रिहिस?’ \v 19 ओमन अपन मुड़ ऊपर धुर्रा ला डारहीं, अऊ रोवत अऊ कलपत ओमन चिचिया-चिचियाके कहिहीं: \q1 “ ‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय! \q2 येह ओ सहर ए, \q2 जेकर धन के जरिये समुंदर के जम्मो जहाज के मालिकमन धनी हो गीन! \q1 एकेच घंटा म, ओह नास हो गीस!’ \b \q1 \v 20 “हे स्वरग म रहइयामन, ओकर ऊपर आनंद मनावव! \q2 हे पबितर मनखेमन आनंद मनावव! \q2 हे प्रेरित अऊ अगमजानीमन, आनंद मनावव! \q1 काबरकि ओह तुम्हर संग जइसने बरताव करे रिहिस, \q1 परमेसर ह ओला ओकर सजा दे हवय।” \s1 बेबिलोन के दंड के आखिरी स्थिति \p \v 21 तब एक सक्तिसाली स्वरगदूत ह चक्की के एक बड़े पाट सहीं पथरा ला उठाईस अऊ ये कहत ओला समुंदर म फटिक दीस: \q1 “महान सहर बेबिलोन ह \q2 अइसने बेरहमी ले फटिक दिये जाही, \q2 अऊ ओकर फेर कभू पता नइं चलही। \q1 \v 22 बीना बजइया अऊ संगीतकार, बांसुरी बजइया अऊ तुरही बजइयामन के संगीत के अवाज, \q2 ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही। \q1 कोनो काम के कोनो घलो कारीगर, \q2 ये सहर म फेर कभू नइं मिलही। \q1 जांता चले के अवाज, \q2 ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही। \q1 \v 23 दीया के अंजोर, \q2 ये सहर म फेर कभू नइं चमकही। \q1 दूल्हा अऊ दुलहिन के अवाज, \q2 ये सहर म फेर कभू सुनई नइं पड़ही। \q1 ये सहर के बेपारीमन संसार के खास मनखे रिहिन। \q2 ये सहर ह अपन जादू के दुवारा जम्मो देस के मनखेमन ला बहकाय रिहिस। \q1 \v 24 ये सहर म अगमजानी अऊ परमेसर के पबितर मनखेमन के लहू पाय गीस, \q2 अऊ धरती ऊपर जऊन मनखेमन मार डारे गीन, ओ जम्मो के लहू ये सहर म पाय गीस।” \c 19 \s1 स्वरग म इस्तुति के गीत \p \v 1 एकर बाद मेंह स्वरग म, एक बड़े भीड़ के गरजन सहीं अवाज सुनेंव, जऊन ह चिचियाके ये कहत रहय: \q1 “हलिलूयाह! \q1 उद्धार, महिमा अऊ सामर्थ हमर परमेसर के अय, \q2 \v 2 काबरकि ओकर नियाय सच्चा अऊ सही अय। \q1 ओह ओ बड़े बेस्या ला दंड दे हवय, \q2 जऊन ह अपन छिनारीपन ले धरती के मनखेमन ला खराप करत रिहिस। \q1 परमेसर ह ओकर ले अपन सेवकमन के लहू के बदला ले हवय।” \p \v 3 ओमन फेर चिचियाके कहिन: \q1 “हलिलूयाह! \q1 ओ बड़े सहर के जरे के धुआं जुग-जुग तक उठत रहिथे।” \p \v 4 चौबीस अगुवा अऊ चारों जीयत परानीमन माड़ी के भार गिरिन अऊ ओमन सिंघासन ऊपर बिराजे परमेसर के अराधना करिन। अऊ ओमन ऊंचहा अवाज म कहिन: \q1 “आमीन, हलिलूयाह!” \p \v 5 तब सिंघासन ले ये कहत एक अवाज आईस: \q1 “तुमन जम्मो परमेसर के सेवकमन, \q2 का छोटे का बड़े तुमन, \q1 जऊन मन ओकर भय मानथव, \q2 हमर परमेसर के परसंसा करव!” \p \v 6 तब मेंह एक बड़े भीड़ के अवाज ला सुनेंव, जऊन ह पानी के लहरामन सहीं अऊ बादर के बड़े गरजन सहीं रहय; भीड़ ह चिचियाके ये कहत रहय: \q1 “हलिलूयाह! \q1 काबरकि हमर सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ह राज करत हवय। \q1 \v 7 आवव! हमन आनंद अऊ खुसी मनावन, \q2 अऊ परमेसर के महिमा करन! \q1 काबरकि मेढ़ा-पीला के बिहाव के बेरा ह आ गे हवय, \q2 अऊ ओकर दुलहिन ह अपनआप ला तियार कर ले हवय। \q1 \v 8 सुघर, चमकत अऊ साफ मलमल के कपड़ा, \q1 ओला पहिरे बर दिये गे हवय।” \m (सुघर मलमल कपड़ा ह पबितर मनखेमन के धरमी काम के चिनहां ए।) \b \p \v 9 तब स्वरगदूत ह मोला कहिस, “येला लिख: धइन अंय ओमन, जऊन मन मेढ़ा-पीला के बिहाव भोज के नेवता पाथें।” अऊ स्वरगदूत ह ये घलो कहिस, “येमन परमेसर के सत बचन अंय।” \p \v 10 तब मेंह ओकर अराधना करे बर ओकर गोड़ खाल्हे गिरेंव। पर ओह मोला कहिस, “अइसने झन कर! मेंह घलो तोर अऊ तोर ओ भाईमन संग एक संगी सेवक अंव, जऊन मन यीसू के गवाही रखथें। परमेसर के अराधना कर! काबरकि यीसू के गवाही ह अगमबानी के आतमा ए।” \s1 सफेद घोड़ा ऊपर सवार मनखे \p \v 11 तब मेंह स्वरग ला खुले हुए देखेंव अऊ उहां एक सफेद घोड़ा रहय, अऊ जऊन ह ओ घोड़ा ऊपर सवारी करे रहय, ओला बिसवासयोग्य अऊ सच कहे जाथे। ओह धरमीपन के संग नियाय करथे अऊ लड़ई करथे। \v 12 ओकर आंखीमन आगी सहीं धधकत रहंय, अऊ ओकर मुड़ म कतको मुकुटमन रहंय। ओकर देहें म एक नांव लिखाय रहय, जऊन ला ओकर छोंड़ अऊ कोनो नइं जानंय। \v 13 ओह लहू म डुबोय कपड़ा पहिरे रहय, अऊ ओकर नांव परमेसर के बचन ए। \v 14 स्वरग के सेनामन सुघर, सफेद अऊ साफ मलमल के कपड़ा पहिरे अऊ सफेद घोड़ामन म सवार होके ओकर पाछू-पाछू आवत रहंय। \v 15 ओकर मुहूं ले एक तेज धारदार तलवार निकलत रहय, जेकर दुवारा ओह देस-देस के मनखेमन ला मारही। ओह लोहा के राजदंड ले ओमन ऊपर राज करही।\f + \fr 19:15 \fr*\ft \+xt भजन 2:9\+xt*\ft*\f* ओह सर्वसक्तिमान परमेसर के भयानक कोरोध रूपी मंद के कुन्ड ला रऊंदही। \v 16 ओकर कपड़ा अऊ ओकर जांघ म ये नांव लिखाय रहय: \pc राजामन के राजा अऊ परभूमन के परभू। \p \v 17 तब मेंह एक स्वरगदूत ला सूरज ऊपर ठाढ़े देखेंव। ओह ऊंचहा अवाज म अकास म उड़त जम्मो चिरईमन ला पुकारके कहिस, “आवव! परमेसर के बड़े भोज म सामिल होय बर जूरव, \v 18 ताकि तुमन राजा, सेनापति, सक्तिसाली मनखे, घोड़ा अऊ ओकर सवारमन के मांस, अऊ सुतंतर अऊ गुलाम, छोटे अऊ बड़े जम्मो झन के मांस खा सकव।” \p \v 19 तब मेंह देखेंव कि ओ पसु अऊ धरती के राजामन अपन सेनामन संग, घोड़ा म बईठे ओ घुड़सवार अऊ ओकर सेना ले लड़े बर जूरे रहंय। \v 20 पर ओ पसु ह पकड़े गीस अऊ ओकर संग ओ लबरा अगमजानी घलो पकड़े गीस, जऊन ह पसु के आघू म अचरज के चिनहां देखाके, ओ मनखेमन ला बहकाय रिहिस, जऊन मन ओ पसु के छाप लेय रिहिन अऊ ओकर मूरती के पूजा करे रिहिन। ओ दूनों जीयते-जीयत धधकत गंधक के आगी के कुन्ड म झोंक दिये गीन। \v 21 ओमा के बांचे मनखेमन घोड़ा म बईठे घुड़सवार के मुहूं ले निकले तलवार ले मारे गीन, अऊ जम्मो चिरईमन ओमन के मांस खाके अघा गीन। \c 20 \s1 एक हजार साल \p \v 1 तब मेंह एक स्वरगदूत ला स्वरग ले उतरत देखेंव। ओह अपन हांथ म अथाह कुन्ड के कुची अऊ एक बड़े सांकर धरे रहय। \v 2 ओह ओ सांप सहीं पसु याने कि पुराना सांप ला पकड़िस, जऊन ह इबलीस या सैतान ए, अऊ ओला एक हजार साल बर सांकर म बांध दीस। \v 3 स्वरगदूत ह ओला अथाह कुन्ड म डार दीस अऊ ओमा ताला लगाके ओकर ऊपर मुहर लगा दीस, ताकि ओ पुराना सांप ह एक हजार साल के पूरा होवत तक, देसमन के मनखेमन ला बहकाय झन सकय। ओकर बाद, ये जरूरी अय कि ओला थोरकन समय बर छोंड़े जावय। \p \v 4 तब मेंह सिंघासनमन ला देखेंव, जऊन म ओ मनखेमन बईठे रहंय, जऊन मन ला नियाय करे के अधिकार देय गे रिहिस। मेंह ओ मनखेमन के आतमामन ला घलो देखेंव, जेमन के मुड़ ला यीसू के गवाही देय के कारन अऊ परमेसर के बचन म बने रहे के कारन काट डारे गे रिहिस। ओमन पसु या ओकर मूरती के अराधना नइं करे रिहिन अऊ ओमन अपन माथा या अपन हांथ म ओकर छाप नइं लेय रिहिन। ओमन जी उठिन अऊ मसीह के संग म एक हजार साल तक राज करिन। \v 5 बाकि मरे मनखेमन एक हजार साल के पूरा होवत तक जी नइं उठिन। येह मरे मनखेमन के पहिली जी उठई अय। \v 6 धइन अऊ पबितर अंय ओ मनखेमन, जऊन मन ये पहिली जी उठई म भागीदार होथें। येमन ऊपर दूसरा मिरतू के कोनो अधिकार नइं रहय। येमन परमेसर अऊ मसीह के पुरोहित होहीं अऊ ओकर संग एक हजार साल तक राज करहीं। \s1 सैतान के बिनास \p \v 7 जब एक हजार साल पूरा हो जाही, त सैतान ला कैद ले छोंड़ दिये जाही \v 8 अऊ ओह धरती के जम्मो देस के मनखेमन ला बहकाय बर निकलही; ये देसमन याजूज अऊ माजूज अंय। सैतान ह ओमन ला लड़ई बर संकेलही। ओमन समुंदर तीर के बालू सहीं अनगिनत होहीं। \v 9 ओमन जम्मो धरती ऊपर बगर गीन। ओमन पबितर मनखेमन के डेरा अऊ परमेसर के मयारू सहर ला घेर लीन, पर स्वरग ले आगी उतरिस अऊ ओमन ला भसम कर दीस। \v 10 तब ओमन ला बहकवइया सैतान ला आगी अऊ गंधक के कुन्ड म डार दिये गीस, जिहां ओ पसु अऊ लबरा अगमजानी ला डारे गे रिहिस। ओमन सदाकाल तक दिन-रात पीरा भोगहीं। \s1 मरे मनखेमन के नियाय \p \v 11 तब मेंह एक बड़े सफेद सिंघासन अऊ ओकर ऊपर बिराजे एक मनखे ला देखेंव। धरती अऊ अकास ओकर आघू ले भाग गीन, अऊ ओमन बर कोनो जगह नइं बांचिस। \v 12 अऊ मेंह छोटे-बड़े जम्मो मरे मनखेमन ला सिंघासन के आघू म ठाढ़े देखेंव, अऊ किताबमन खोले गीन। तब एक आने किताब खोले गीस, जऊन ह जिनगी के किताब ए। किताबमन म लिखाय मरे मनखेमन के काम के मुताबिक ओमन के नियाय करे गीस। \v 13 तब समुंदर ह अपन मरे मनखेमन ला दे दीस। मिरतू अऊ पाताल-लोक अपन मरे मनखेमन ला दे दीन, अऊ हर एक के नियाय ओकर काम के मुताबिक करे गीस। \v 14 तब मिरतू अऊ पाताल-लोक ला आगी के झील म डार दिये गीस। आगी के झील ह दूसरा मिरतू ए। \v 15 जेमन के नांव जिनगी के किताब म लिखाय नइं मिलिस, ओमन आगी के झील म डार दिये गीन। \c 21 \s1 नवां यरूसलेम \p \v 1 तब मेंह एक नवां अकास अऊ एक नवां धरती देखेंव।\f + \fr 21:1 \fr*\ft \+xt यसा 65:17\+xt*\ft*\f* पहिली अकास अऊ पहिली धरती दूनों लोप हो गे रिहिन, अऊ कोनो समुंदर घलो नइं रिहिस। \v 2 अऊ मेंह पबितर सहर नवां यरूसलेम ला परमेसर के इहां ले स्वरग ले उतरत देखेंव। ओह अपन घरवाला खातिर दुलहिन के सहीं सुघर सजे रहय। \v 3 अऊ मेंह सिंघासन ले ऊंचहा अवाज म, ये कहत सुनेंव, “देखव! अब परमेसर के निवास मनखेमन के बीच हवय, अऊ ओह ओमन के संग रहिही। ओमन ओकर मनखे होहीं, अऊ परमेसर ह खुद ओमन के संग रहिही। \v 4 ओह ओमन के आंखी के जम्मो आंसू ला पोंछही। उहां न मिरतू होही,\f + \fr 21:4 \fr*\ft \+xt यसा 25:8\+xt*\ft*\f* न कोनो सोक मनाही या रोही, अऊ न ही कोनो ला कोनो किसम के पीरा होही, काबरकि पुराना बातमन खतम हो गे हवंय।” \p \v 5 जऊन ह सिंघासन म बिराजे रिहिस ओह कहिस, “मेंह हर एक चीज ला नवां बनावत हवंव।” तब ओह कहिस, “येला लिख ले, काबरकि ये बात ह बिसवास लईक अऊ सत ए।” \p \v 6 ओह मोला कहिस, “येह पूरा होईस। मेंह अलफा अऊ ओमेगा, आदि अऊ अन्त अंव। जऊन ह पीयासा हवय, ओला मेंह जिनगी के पानी के सोता म ले मुफत म पीये बर दूहूं। \v 7 जऊन ह जय पाही, ओला ये जम्मो चीज मिलही, अऊ मेंह ओकर परमेसर होहूं, अऊ ओह मोर बेटा होही। \v 8 पर डरपोक, अबिसवासी, दुस्ट, हतियारा, छिनारी करइया, जादू-टोना करइया, मूरती-पूजा करइया अऊ जम्मो लबरामन ओ झील म जगह पाहीं, जऊन ह आगी अऊ गंधक ले धधकत हवय। येह दूसरा मिरतू ए।” \p \v 9 तब ओ सात स्वरगदूतमन, जेमन करा सात ठन आखिरी महामारी ले भरे सात ठन कटोरा रहंय, ओमा ले एक झन मोर करा आईस अऊ कहिस, “आ, मेंह तोला दुलहिन याने कि मेढ़ा-पीला के घरवाली ला देखाहूं।” \v 10 ओ स्वरगदूत ह आतमा के सामर्थ ले मोला एक बड़े अऊ ऊंच पहाड़ ऊपर ले गीस, अऊ ओ पबितर सहर—यरूसलेम ला देखाईस, जऊन ह स्वरग ले परमेसर के इहां ले उतरत रहय। \v 11 ओह परमेसर के महिमा ले चमकत रहय अऊ ओकर चमक ह एक बहुंत मंहगा पथरा—मनि सहीं एकदम साफ रहय। \v 12 ओकर चारों कोति एक बड़े अऊ ऊंच दीवार रहय। दीवार म बारह ठन कपाट रहंय अऊ ये कपाटमन म बारह झन स्वरगदूत ठाढ़े रहंय। ये कपाटमन म इसरायल के बारह गोत्र के नांव लिखाय रहय—हर कपाट म एक नांव। \v 13 पूरब म तीन, उत्तर म तीन, दक्खिन म तीन अऊ पछिम म तीन कपाट रिहिन। \v 14 सहर के दीवार के बारह ठन नीव के पथरामन रहंय अऊ ओमन म मेढ़ा-पीला के बारह प्रेरितमन के नांव लिखाय रहय—हर पथरा म एक नांव। \p \v 15 जऊन स्वरगदूत ह मोर ले गोठियावत रिहिस, ओकर करा सहर, ओकर कपाट अऊ दीवार ला नापे बर नापे के सोन के एक छड़ रहय। \v 16 ओ सहर ह चौखट्टा आकार म बसे रिहिस। ओकर लम्बई ह ओकर चौड़ई के बरोबर रहय। स्वरगदूत ह सहर ला छड़ म नापिस, त ओह करीब 12,000 सटेडिया\f + \fr 21:16 \fr*\ft या 2,200 किलोमीटर\ft*\f* निकलिस। ओकर लम्बई, चौड़ई अऊ ऊंचई बरोबर रिहिस। \v 17 ओह सहर के दीवार ला घलो नापिस। स्वरगदूत ह मनखे के नाप के हिसाब म नापिस, अऊ सहर के दीवार के ऊंचई ह करीब 65 मीटर निकलिस। \v 18 सहर के दीवार ह मनि के बने रिहिस अऊ सहर ह चोखा सोन के बने रिहिस, जऊन ह कांच सहीं सुध रिहिस। \v 19 सहर के दीवार के नीव ह जम्मो किसम के कीमती पथरा ले सजे रहय। पहिली नीव ह मनि के रिहिस, दूसरा ह नीलम, तीसरा ह सुलेमानी, चौथा ह पन्ना, \v 20 पांचवां ह गोमेदक, छठवां ह मानिक्य, सातवां ह पीतमनी, आठवां ह फिरोजा, नौवां ह पुखराज, दसवां ह लहसनिये, गियारहवां ह नगीना अऊ बारहवां ह नीलमनि के बने रिहिस।\f + \fr 21:20 \fr*\ft येमा के कुछू कीमती चीजमन के सही जानकारी नइं ए\ft*\f* \v 21 बारह कपाटमन बारह मोतीमन ले बने रिहिन। एक-एक कपाट ह एक-एक मोती के बने रिहिस। सहर के गली ह आर-पार दिखइया साफ कांच सहीं चोखा सोन के बने रिहिस। \p \v 22 मेंह सहर म कोनो मंदिर नइं देखेंव, काबरकि सर्वसक्तिमान परभू परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला एकर मंदिर अंय। \v 23 अऊ सहर ला सूरज या चंदा के अंजोर के जरूरत नइं रिहिस, काबरकि परमेसर के महिमा ओला अंजोर देवत रिहिस अऊ मेढ़ा-पीला ओकर दीया रिहिस। \v 24 संसार के मनखेमन ओकर अंजोर म रेंगही अऊ संसार के राजामन ओमा अपन सोभा लानहीं। \v 25 ओ सहर के कपाटमन कभू बंद नइं होहीं, अऊ उहां कभू रात नइं होही। \v 26 जम्मो देस के महिमा अऊ आदर ओमा लाने जाही। \v 27 कोनो असुध चीज कभू ओ सहर म घुसरे नइं पाही अऊ न ही ओ मनखे, जऊन ह लज्जा के काम करथे या धोखा देवइया काम करथे, पर सिरिप ओमन घुसरे पाहीं, जेमन के नांव मेढ़ा-पीला के जिनगी के किताब म लिखाय हवय। \c 22 \s1 जिनगी देवइया पानी के नदी \p \v 1 तब स्वरगदूत ह मोला जिनगी देवइया पानी के नदी ला देखाईस, जेकर पानी ह इसफटिक के सहीं साफ रिहिस। ओ नदी ह परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला के सिंघासन ले निकलके \v 2 सहर के बड़े गली के बीचों-बीच बोहावत रिहिस। नदी के दूनों तीर म जिनगी के रूख रिहिस, जऊन म एक साल म बारह किसम के फर धरय—याने कि हर एक महिना ओमा फर धरय अऊ ओ रूख के पान ले देस-देस के मनखेमन ला चंगई मिलत रिहिस। \v 3 अब ले उहां कोनो किसम के सराप नइं होही। ओ सहर म परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला के सिंघासन होही, अऊ ओकर सेवकमन ओकर अराधना करहीं। \v 4 ओमन ओकर चेहरा ला देखहीं अऊ ओकर नांव ह ओमन के माथा म लिखाय होही। \v 5 उहां अब कभू रात नइं होही। ओमन ला दीया या सूरज के अंजोर के जरूरत नइं पड़ही, काबरकि परभू परमेसर ह ओमन ला अंजोर दीही, अऊ ओमन सदाकाल तक राज करहीं। \p \v 6 तब स्वरगदूत ह मोला कहिस, “ये बातमन बिसवास के लईक अऊ सच अंय। परभू, परमेसर जऊन ह अगमजानीमन के आतमा ला उभारथे, ओह अपन स्वरगदूत ला अपन सेवकमन करा ओ बातमन ला देखाय बर पठोय हवय, जऊन ह निकट भविस्य म होवइया हवय।” \s1 यीसू के अवई \p \v 7 यीसू ह कहिस, “देखव! मेंह जल्दी आवत हंव। धइन ए ओ, जऊन ह ये किताब म लिखे अगम के बातमन ला मानथे।” \b \p \v 8 में, यूहन्ना ये बातमन ला सुने अऊ देखे हवंव। अऊ जब मेंह येमन ला सुन अऊ देख चुकेंव, त जऊन स्वरगदूत ह मोला ये बातमन ला देखाईस, ओकर गोड़ खाल्हे मेंह ओकर अराधना करे बर गिरेंव। \v 9 पर ओह मोला कहिस, “अइसने झन कर। मेंह घलो तोर सहीं अऊ तोर भाई अगमजानीमन सहीं अऊ ओ जम्मो झन जऊन मन ये किताब के बात ला मानथें, ओमन सहीं एक संगी सेवक अंव। परमेसर के अराधना कर!” \p \v 10 अऊ ओह मोला फेर कहिस, “तेंह ये किताब के अगम के बातमन ला मुहर लगाके बंद झन कर, काबरकि समय ह लकठा आ गे हवय। \v 11 जऊन ह अधरम करथे, ओह अधरम करते रहय। जऊन ह दुस्ट मनखे ए, ओह दुस्ट मनखे बने रहय। जऊन ह धरमी ए, ओह भलई करते रहय; अऊ जऊन ह पबितर ए, ओह पबितर बने रहय।” \b \s1 उपसंहार: नेवता अऊ चेतउनी \p \v 12 यीसू ह कहिस, “देखव! मेंह जल्दी आवत हंव। मेंह अपन ईनाम ला अपन संग लेके आहूं अऊ हर एक मनखे ला ओकर काम के मुताबिक ईनाम दूहूं। \v 13 मेंह अलफा अऊ ओमेगा, पहिली अऊ आखिरी, आदि अऊ अन्त अंव। \b \p \v 14 “धइन अंय ओमन, जऊन मन अपन ओनहा ला धोथें ताकि ओमन ला जिनगी के रूख म ले फर खाय के अधिकार अऊ कपाट म ले होके सहर के भीतर जाय के अधिकार मिलय। \v 15 पर कुकुर, जादू-टोना करइया, छिनारी करइया, हतियारा, मूरती-पूजा करइया अऊ हर ओ मनखे, जऊन ला लबरा बात अऊ लबरा काम करई बने लगथे, ये जम्मो के जम्मो सहर ले बाहिर रहिहीं। \b \p \v 16 “में यीसू ह, अपन स्वरगदूत ला तुम्हर करा पठोय हवंव कि ओह कलीसियामन ला ये बात बतावय। मेंह दाऊद राजा के मूल अऊ बंसज अंव, अऊ मेंह बिहनियां के चमकत तारा अंव।” \b \p \v 17 पबितर आतमा अऊ दुलहिन कहिथें, “आवव!” अऊ जऊन ह सुनथे, ओह कहय, “आवव!” जऊन ह पीयासा हवय, ओह आवय; अऊ जऊन ह चाहथे, ओह जिनगी के पानी ला बिगर कोनो दाम के ले लेवय। \b \p \v 18 में यूहन्ना ओ जम्मो मनखे ला चेतावत हंव, जऊन मन ये किताब के अगम के बात ला सुनथें: कहूं कोनो येमा कुछू जोड़ही, त परमेसर ह ये किताब म लिखाय महामारीमन ला ओकर ऊपर लानही। \v 19 अऊ कहूं कोनो अगमबानी के ये किताब म ले कुछू बात ला निकालही, त परमेसर ह ये किताब म लिखाय जिनगी के रूख अऊ पबितर सहर म ले ओकर बांटा ला निकाल दीही। \b \p \v 20 जऊन ह ये बातमन के गवाही देथे, ओह कहिथे, “हव, मेंह जल्दी आवत हंव।” \p आमीन! हे परभू यीसू, आ। \b \p \v 21 परभू यीसू के अनुग्रह परमेसर के मनखेमन ऊपर होवय। आमीन।