\id PRO - Biblica® Open Chhattisgarhi Contemporary Version \ide UTF-8 \h नीतिबचन \toc1 नीतिबचन के किताब \toc2 नीतिबचन \toc3 नीति \mt1 नीतिबचन \mt2 के किताब \c 1 \ms1 उदेस्य अऊ बिसय \p \v 1 दाऊद के बेटा इसरायल के राजा सुलेमान के नीतिबचन: \q1 \v 2 येमन ला पढ़नेवाला ह बुद्धि अऊ सिकछा पावय; \q2 अऊ अंतस के बात ला समझय, \q1 \v 3 अऊ बुद्धि के काम, धरमीपन, नियाय, \q2 अऊ जम्मो झन ला एके नजर ले देखे के सिकछा पावय; \q1 \v 4 येमन ला पढ़नेवाला भोला-भाला मनखे ला बुद्धि, \q2 अऊ जवान मनखेमन ला गियान अऊ बिबेक मिलय— \q1 \v 5 बुद्धिमान मनखे ह येला सुनके अपन सिकछा ला बढ़ाय, \q2 अऊ समझदार मनखे अगुवई पावय— \q1 \v 6 ताकि ओमन नीतिबचन अऊ पटंतर ला, \q2 अऊ बुद्धिमान मनखे के बात अऊ पहेली ला समझंय। \b \q1 \v 7 यहोवा के भय मनई गियान के सुरूआत ए, \q2 पर मुरूखमन बुद्धि अऊ सिकछा के बात ला तुछ समझथें। \ms1 प्रस्तावना: बुद्धि ला पोटारे बर प्रोत्साहन \s1 पापी मनखेमन ला नेवता देय के बिरूध चेतउनी \q1 \v 8 हे मोर बेटा, अपन ददा के सिकछा ला सुन, \q2 अऊ अपन दाई के सिकछा ला झन छोंड़, \q1 \v 9 काबरकि ओमन तोर मुड़ म सोभा देवइया मुकुट \q2 अऊ तोर गला म कन्ठमाला सहीं अंय। \b \q1 \v 10 हे मोर बेटा, यदि पापी मनखेमन तोला बहकाथें, \q2 त ओमन के बात झन मानबे। \q1 \v 11 यदि ओमन ये कहंय, “हमर संग आ \q2 कि हमन खून करे के ताक म रहन; \q2 आ, निरदोसमन ऊपर छुपके घात लगावन; \q1 \v 12 आ, हमन ओमन ला अइसन जीयत अऊ सइघो लील लेवन, \q2 जइसन कि कबर ह मनखेमन ला लीलथे; \q1 \v 13 हमन ला जम्मो किसम के कीमती चीज मिलही \q2 अऊ हमन अपन घर ला लूट के सामान ले भर लेबो; \q1 \v 14 हमर संग चिट्ठी डाल; \q2 हमन जम्मो झन लूट के सामान ला बांटबो”— \q1 \v 15 हे मोर बेटा, ओमन के संग झन जा, \q2 ओमन के रसता म चले बर अपन गोड़ ला रोक; \q1 \v 16 काबरकि ओमन खराप काम करे बर दऊड़थें, \q2 अऊ हतिया करे बर उतावला रहिथें। \q1 \v 17 जब जम्मो चिरईमन देखत रहिथें, \q2 तब ओमन ला फंसाय बर जाल डालना बेकार ए! \q1 \v 18 ये मनखेमन अपनेच हतिया करे के ताक म रहिथें; \q2 ओमन अपनेच परान के घात म रहिथें! \q1 \v 19 जम्मो लालची मनखेमन के चाल ह अइसनेच होथे; \q2 ओमन के जिनगी ह लालच के कारन ही खतम हो जाथे। \s1 बुद्धि के डांट \q1 \v 20 बुद्धि ह बाहिर म जोर से पुकारत हे, \q2 ओह सड़क के चौराहा म जोर से कहिथे; \q1 \v 21 दीवार के ऊपर ले ओह चिचियाथे, \q2 सहर के दुवार\f + \fr 1:21 \fr*\fq सहर के दुवार \fq*\ft याने कि \ft*\fqa येह सहर के भाग रिहिस जिहां सहर के मामलामन ला निपटाय जावय\fqa*\f* म ओह ये कहिथे: \b \q1 \v 22 “हे भोला-भाला मनखेमन, तुमन कब तक अपन भोलापन ले मया करहू? \q2 ठट्ठा करइयामन ठट्ठा करई म कब तक खुस रहिहीं \q2 अऊ मुरूखमन कब तक गियान ले घिन करहीं? \q1 \v 23 यदि तुमन मोर दबकार ला सुनके मन फिराहू, \q2 त मेंह अपन आतमा तुमन ला बहुंतायत से दूहूं; \q2 मेंह तुमन ला अपन गियान बताहूं। \q1 \v 24 पर जब में तुमन ला बलाएंव, त तुमन नइं सुने चाहेव, \q2 अऊ जब मेंह अपन हांथ तुम्हर कोति पसारेंव, त कोनो धियान नइं दीन, \q1 \v 25 काबरकि तुमन मोर जम्मो सलाह ला अनसुना करेव \q2 अऊ मोर डांट ले घलो तुमन ला कुछू फरक नइं पड़िस; \q1 \v 26 एकरसेति, जब तुम्हर ऊपर बिपत्ति पड़ही, त मेंह हंसहूं, \q2 अऊ जब तुमन संकट म होहू, त मेंह हंसी उड़ाहूं— \q1 \v 27 जब संकट ह गरेर के सहीं तुम्हर ऊपर आही, \q2 अऊ बिपत्ति ह बवंडर के सहीं आही, \q2 अऊ दुख अऊ समस्या म तुमन पड़े होहू, त मेंह ठट्ठा करहूं। \b \q1 \v 28 “तब ओमन मोला बलाहीं, पर में ओमन ला जबाब नइं दूहूं; \q2 ओमन मोला खोजहीं, पर मोला नइं पाहीं। \q1 \v 29 काबरकि ओमन गियान के बात ले घिन करिन \q2 अऊ यहोवा के भय माने बर नइं चाहिन। \q1 \v 30 ओमन मोर सलाह ला अनसुना करिन \q2 अऊ मोर डांट ला तुछ समझिन; \q1 \v 31 एकरसेति, ओमन अपन करनी के फर भोगहीं \q2 अऊ अपन गोस्टी के कारन दुख ले भर जाहीं। \q1 \v 32 काबरकि सीधा-साधा मनखेमन के मनमानी ले ओहीचमन के नुकसान होही, \q2 अऊ मुरूखमन के आत्म-संतोस होवई ह ओहीचमन ला नास करही; \q1 \v 33 पर जऊन ह मोर बात ला सुनही, ओह सुरकछित रहिही \q2 अऊ अराम से रहिही अऊ ओला हानि होय के कोनो डर नइं रहिही।” \c 2 \s1 बुद्धि के नीतिगत लाभ \q1 \v 1 हे मोर बेटा, यदि तेंह मोर बचन ला गरहन करथस \q2 अऊ मोर हुकूममन ला अपन हिरदय म रखथस, \q1 \v 2 अऊ बुद्धि के बात ला धियान से सुनथस \q2 अऊ समझदारी के बात म मन लगाथस— \q1 \v 3 वास्तव म, यदि तेंह अंतर-गियान मांगथस \q2 अऊ समझदारी बर ऊंच अवाज म पुकारथस, \q1 \v 4 अऊ तेंह येला अइसने खोजथस, जइसने कोनो चांदी ला खोजथे \q2 अऊ तेंह येला अइसने खोजथस, जइसने कोनो छुपे खजाना ला खोजथे, \q1 \v 5 त तेंह यहोवा के भय ला समझबे \q2 अऊ परमेसर के गियान ला पाबे। \q1 \v 6 काबरकि यहोवा ह बुद्धि देथे; \q2 ओह गियान अऊ समझ के बात कहिथे। \q1 \v 7 ओह ईमानदार मनखे ला सफल बनाथे, \q2 अऊ निरदोस मनखेमन बर ओह ढाल सहीं अय। \q1 \v 8 काबरकि ओह नियाय के रसता म चलइया के पहरेदारी करथे \q2 अऊ अपन बिसवासयोग्य मनखे के रकछा करथे। \b \q1 \v 9 तब तेंह समझबे कि कते बात ह सही अऊ नियाय \q2 अऊ उचित ए—याने कि जम्मो बने बात ला समझबे। \q1 \v 10 काबरकि बुद्धि ह तोर हिरदय म आही, \q2 अऊ गियान के बात ले तोला सुख मिलही। \q1 \v 11 तोर बिबेक के बात ह तोर रकछा करही, \q2 अऊ समझदारी के बात ह तोर पहरेदारी करही। \b \q1 \v 12 बुद्धि ह तोला ओ दुस्ट मनखेमन के चाल ले, \q2 अऊ दोगला मनखेमन ले बचाही, \q1 \v 13 जऊन मन सही रसता ला छोंड़ दे हवंय \q2 ताकि अंधियार के रसता म चलंय, \q1 \v 14 जऊन मन गलत काम म खुस होथें \q2 अऊ बुरई के काम म आनंद मनाथें, \q1 \v 15 जऊन मन टेढ़ा चाल चलथें \q2 अऊ जऊन मन अपन रसता ले भटक गे हवंय। \b \q1 \v 16 बुद्धि ह तुमन ला ओ छिनारी माईलोगन, \q2 अऊ जिद्दी माईलोगन के गुरतूर बोली ले घलो बचाही, \q1 \v 17 जऊन ह अपन जवानी के संगी ला छोंड़ दे हवय \q2 अऊ परमेसर के आघू म करे गे करार ऊपर धियान नइं दे हवय। \q1 \v 18 खचित ओकर घर ह खाल्हे मिरतू कोति ले जाथे \q2 अऊ ओकर रसता ह मुरदामन के आतमामन करा जाथे। \q1 \v 19 जऊन मन ओकर करा जाथें, ओमा के कोनो लहुंटके नइं आवंय \q2 या ओमा के कोनो जिनगी के रसता ला नइं पावंय। \b \q1 \v 20 ये किसम ले, तेंह भलई के डहार म चलबे \q2 अऊ धरमीमन के रसता ला पकड़े रहिबे। \q1 \v 21 काबरकि धरमी मनखेमन धरती म बसे रहिहीं, \q2 अऊ सच्चई के रसता म चलइयामन येमा बने रहिहीं; \q1 \v 22 पर दुस्ट मनखेमन ला धरती ले निकाल दिये जाही, \q2 अऊ बिसवासघातीमन ला येमा ले उखान दिये जाही। \c 3 \s1 बुद्धि के दुवारा आसीस मिलथे \q1 \v 1 हे मोर बेटा, मोर सिकछा ला झन भुलाबे, \q2 पर मोर हुकूममन ला अपन हिरदय म रखे रह, \q1 \v 2 काबरकि अइसने करे ले तोर उमर ह बढ़ही \q2 अऊ तोर जिनगी म सांति आही अऊ तोर उन्नति होही। \b \q1 \v 3 मया अऊ ईमानदारी तोला कभू झन छोंड़ंय; \q2 ओमन ला अपन घेंच म बांध ले, \q2 अऊ ओमन ला अपन हिरदय रूपी पटिया म लिख ले। \q1 \v 4 तब तोर ऊपर परमेसर अऊ मनखे दूनों के अनुग्रह होही \q2 अऊ दूनों के नजर म बने नांव कमाबे। \b \q1 \v 5 तें अपन समझ के ऊपर भरोसा झन कर, \q2 पर अपन जम्मो हिरदय ले यहोवा ऊपर भरोसा रख; \q1 \v 6 अपन जम्मो काम ओकर ईछा के मुताबिक कर, \q2 तब ओह तोर बर सीधा रसता निकालही। \b \q1 \v 7 अपन नजर म बुद्धिमान झन बन; \q2 यहोवा के भय मान अऊ बुरई ले दूरिहा रह। \q1 \v 8 अइसने करे ले तोर देहें ह भला-चंगा \q2 अऊ हाड़ामन मजबूत बने रहिहीं। \b \q1 \v 9 अपन संपत्ति के दुवारा अऊ अपन भुइयां के \q2 जम्मो पहिली-फसल देय के दुवारा यहोवा के आदरमान कर; \q1 \v 10 तब तोर कोठार ह फसल ले भरे रहिही, \q2 अऊ तोर टंकीमन नवां अंगूर के मंद ले छलकत रहिहीं। \b \q1 \v 11 हे मोर बेटा, यहोवा के ताड़ना ला तुछ झन जान, \q2 अऊ जब ओह तोला डांटय, त ओकर बुरा झन मान, \q1 \v 12 काबरकि यहोवा ह ओमन के ताड़ना करथे, जेमन ले ओह मया करथे, \q2 जइसने कि ददा ह ओ बेटा ला डांटथे, जेकर ले ओह खुस रहिथे। \b \q1 \v 13 धइन अंय ओ मनखेमन, जऊन मन बुद्धि पाथें, \q2 अऊ धइन अंय ओ मनखेमन, जऊन मन समझ पाथें, \q1 \v 14 काबरकि बुद्धि पाना चांदी के पाय ले जादा बने अय \q2 अऊ ओकर लाभ सोन के लाभ ले घलो जादा होथे। \q1 \v 15 बुद्धि ह मनि ले जादा कीमती अय; \q2 जेकर तेंह लालसा करथस, ओमा के कोनो चीज के तुलना ओकर संग नइं करे जा सकय। \q1 \v 16 लम्बा उमर ओकर जेवनी हांथ म हवय; \q2 अऊ ओकर डेरी हांथ म धन अऊ आदरमान हवय। \q1 \v 17 ओकर रसतामन खुसी के रसता अंय, \q2 अऊ ओकर जम्मो डहारमन सांति के डहार अंय। \q1 \v 18 जऊन मन बुद्धि ला धरे रहिथें, ओमन बर ओह जिनगी के एक रूख अय; \q2 अऊ जऊन मन ओला मजबूती से धरे रहिथें, ओमन आसीस पाहीं। \b \q1 \v 19 बुद्धि के दुवारा यहोवा ह धरती ला बनाईस, \q2 अऊ समझ के दुवारा ओह स्वरगमन ला ओमन के जगह म रखिस; \q1 \v 20 ओकर गियान के दुवारा गहिरा समुंदरमन बंट गीन, \q2 अऊ बादर ले ओस टपकथे। \b \q1 \v 21 हे मोर बेटा, बुद्धि अऊ समझ तोर नजर ले झन हटंय, \q2 सही नियाय अऊ समझदारी ला धरे रह; \q1 \v 22 येमन तोर बर जिनगी होहीं, \q2 अऊ तोर घेंच के हार बनहीं। \q1 \v 23 तब तेंह अपन डहार म निडर होके चलबे, \q2 अऊ तोर गोड़ म ठोकर नइं लगही। \q1 \v 24 जब तेंह लेटबे, त तोला डर नइं होही; \q2 जब तेंह सुतबे, त तोला सुख के नींद आही। \q1 \v 25 अचानक अवइया बिपत्ति ले झन डरबे \q2 या जब दुस्ट मनखे के नास होथे, त झन डरबे, \q1 \v 26 काबरकि यहोवा ह तोर सहारा होही \q2 अऊ तोर गोड़ ला फांदा म फंसे ले बचाही। \b \q1 \v 27 जेमन के भलई करना हे, अऊ यदि तोला ओकर मऊका मिलथे, \q2 त ओमन के भलई करे ले अपन ला झन रोक। \q1 \v 28 यदि तोर करा देय बर हवय, \q2 त अपन परोसी ले झन कह कि अभी जा, \q2 कल फेर आबे, त तोला दूहूं। \q1 \v 29 जब तोर परोसी ह तोर लकठा म भरोसा सहित रहिथे, \q2 त ओला नुकसान पहुंचाय के युक्ति झन कर। \q1 \v 30 जब कोनो मनखे ह तोर कुछू नुकसान नइं करे हवय, \q2 त ओकर ऊपर बिगर कोनो कारन के दोस झन लगा। \b \q1 \v 31 उपदरवी मनखे ले जलन झन रखबे \q2 अऊ न ही ओकर सहीं चाल चलबे। \b \q1 \v 32 काबरकि कुटिल मनखे ले यहोवा ह बहुंत घिन करथे, \q2 पर ईमानदार मनखे ऊपर ओह भरोसा करथे। \q1 \v 33 दुस्ट मनखे के घर म यहोवा के सराप, \q2 पर धरमीमन के घर म ओकर आसीस होथे। \q1 \v 34 घमंडी हंसी उड़इयामन के ओह हंसी उड़ाथे, \q2 पर नम्र अऊ दुखी मनखेमन ऊपर अनुग्रह करथे। \q1 \v 35 बुद्धिमान मनखेमन आदरमान पाथें, \q2 पर मुरूखमन के सिरिप अपमान होथे। \c 4 \s1 कोनो भी कीमत म बुद्धि ला ले \q1 \v 1 हे मोर बेटामन, अपन ददा के सिकछा ला सुनव, \q2 अऊ समझ के बात ला जाने बर मन लगावव। \q1 \v 2 मेंह तुमन ला उत्तम सिकछा देथंव, \q2 एकरसेति मोर सिकछा ला झन छोंड़व। \q1 \v 3 जब मेंह घलो अपन ददा के बेटा रहेंव, \q2 सुकुमार, अऊ अपन दाई के दुलारा रहेंव; \q1 \v 4 त मोर ददा ह ये कहिके मोला सिखावय, \q2 “तोर पूरा मन मोर बचन म लगे रहय; \q2 मोर हुकूममन ला मान अऊ जीयत रह। \q1 \v 5 तोला बुद्धि मिलय अऊ समझ घलो मिलय; \q2 मोर बातमन ला झन भुलाबे या ओमन ला झन छोंड़बे। \q1 \v 6 बुद्धि ला झन छोंड़बे, अऊ ओह तोर रकछा करही; \q2 ओकर ले मया कर, अऊ ओह तोर रखवारी करही। \q1 \v 7 बुद्धि ह सबले उत्तम ए, एकरसेति येला पाय के कोसिस कर, \q2 अऊ समझ ला पाय बर जम्मो कुछू कर। \q1 \v 8 ओकर बात मान, त ओह तोला ऊपर उठाही; \q2 ओला धरे रह, अऊ ओह तोर आदर करही। \q1 \v 9 ओह तोर मुड़ ला सोभा देवइया एक माला पहिराही \q2 अऊ तोला सुघर मुकुट दीही।” \b \q1 \v 10 हे मोर बेटा, मोर बात ला सुन अऊ ओला मान, \q2 तब तेंह बहुंत बछर जीयबे। \q1 \v 11 मेंह तोला बुद्धि के रसता बतात हंव, \q2 अऊ सीधई के डहार म ले जावत हंव। \q1 \v 12 जब तेंह रेंगबे, त कोनो बाधा नइं होही, \q2 अऊ जब तेंह दऊड़बे, त तोला ठोकर नइं लगही। \q1 \v 13 सिकछा ला मान, ओला झन छोंड़; \q2 येकर रखवारी कर, काबरकि येह तोर जिनगी अय। \q1 \v 14 दुस्टमन के डहार म झन जाबे, \q2 अऊ न ही खराप मनखेमन के रसता म चलबे। \q1 \v 15 ओ रसता ले अलग रह, ओमा झन जा; \q2 ओमा ले हटके अपन रसता म जा। \q1 \v 16 काबरकि दुस्ट मनखेमन जब तक बुरई नइं कर लीहीं, तब तक ओमन ला चैन नइं मिलय; \q2 जब तक ओमन काकरो ठोकर खाय के कारन नइं बनंय, तब तक ओमन ला नींद नइं आवय। \q1 \v 17 ओमन दुस्टता ले कमाय रोटी ला खाथें \q2 अऊ लड़ई-झगरा करके लाने अंगूर के मंद ला पीथें। \b \q1 \v 18 धरमीमन के चाल ह बिहनियां निकलत सूरज सहीं अय, \q2 जेकर अंजोर ह मंझन होवत तक बढ़त ही रहिथे। \q1 \v 19 पर दुस्टमन के रसता ह भयंकर अंधियार सहीं अय; \q2 ओमन नइं जानंय कि ओमन का चीज ले ठोकर खाथें। \b \q1 \v 20 हे मोर बेटा, जऊन बात मेंह कहत हंव, ओकर ऊपर धियान दे, \q2 अऊ मोर बात ला सुन। \q1 \v 21 ये बातमन ला हर समय सुरता रख; \q2 येमन ला अपन हिरदय म रख। \q1 \v 22 काबरकि जऊन मन येमन ला पाथें, ओमन ला येमन जिनगी, \q2 अऊ ओमन के जम्मो सरीर ला चंगई देथें। \q1 \v 23 सबले जादा अपन मन के रखवारी कर, \q2 काबरकि तोर हर काम तोर मन ले ही निकलके आथे। \q1 \v 24 बेईमानी के बात तोर मुहूं ले झन निकलय, \q2 अऊ चालबाजी के बात ले दूरिहा रह। \q1 \v 25 तेंह सीधा आघू ला देख, \q2 अऊ अपन सामने के बात म सीधा धियान लगा। \q1 \v 26 अपन पांव धरे बर डहार ला समतल कर, \q2 अऊ अपन जम्मो रसता म अटल बने रह। \q1 \v 27 न तो जेवनी, अऊ न ही डेरी अंग मुड़, \q2 अऊ न ही बुरई के रसता म रेंग। \c 5 \s1 बेभिचार के बिरोध म चेतउनी \q1 \v 1 हे मोर बेटा, मोर बुद्धि के बात ऊपर धियान लगा, \q2 अऊ मोर समझ के बात ला सुन, \q1 \v 2 ताकि तोर बिबेक ह सही रहय \q2 अऊ तोर मुहूं ले गियान के बात निकलय। \q1 \v 3 काबरकि छिनारी माईलोगन के मुहूं ले गुरतूर बात निकलथे, \q2 अऊ ओकर बात ह तेल ले घलो जादा चिकना होथे; \q1 \v 4 पर आखिर म, ओह पित्त के सहीं करू, \q2 अऊ दूधारी तलवार सहीं चोख होथे। \q1 \v 5 ओकर गोड़मन मिरतू कोति जाथें; \q2 अऊ ओकर पांवमन सीधा कबर करा ले जाथें। \q1 \v 6 ओह जिनगी के रसता के बारे म बिचार नइं करय; \q2 ओह एती-ओती भटकथे, पर ओह ये बात ला नइं जानय। \b \q1 \v 7 एकरसेति, हे मोर बेटामन, मोर बात ला सुनव, \q2 अऊ जऊन कुछू मेंह कहिथंव, ओला मानव। \q1 \v 8 अइसने छिनारी माईलोगन ले दूरिहा रहव, \q2 अऊ ओकर घर के लकठा म घलो झन जावव, \q1 \v 9 नइं तो तुम्हर मान-सम्मान दूसरमन करा चल दीही \q2 अऊ निरदयी मनखे ह तुम्हर परतिस्ठा\f + \fr 5:9 \fr*\ft या \ft*\fqa जिनगी के बछरमन\fqa*\f* ला ले लीही। \q1 \v 10 या अजनबीमन तुम्हर संपत्ति म मजा उड़ाहीं \q2 अऊ तुम्हर मेहनत ह दूसरमन ला धनवान बनाही; \q1 \v 11 अऊ अपन जिनगी के आखिरी बेरा म, \q2 जब तुम्हर देहें ह कमजोर हो जाही, त तुमन कलहरहू; \q1 \v 12 अऊ ये कहिहू, “मेंह अनुसासन म काबर नइं रहेंव, \q2 अऊ दूसर के डांट ला काबर तुछ जानेंव! \q1 \v 13 मेंह अपन गुरूमन के बात ला नइं मानेंव \q2 अऊ अपन सिखोइयामन के बात ला नइं सुनेंव। \q1 \v 14 मेंह तुरते परमेसर के मनखेमन के सभा म \q2 गंभीर समस्या म रहेंव।” \b \q1 \v 15 तें अपन ही जलासय, \q2 अऊ अपन ही कुआं के सोत के पानी पीये कर। \q1 \v 16 का तोर झरना के पानी गलीमन म, \q2 अऊ पानी के धारा गली के चऊकमन म बहय? \q1 \v 17 ओह सिरिप तोरेच रहय, \q2 अऊ अजनबीमन संग बांटे बर नइं। \q1 \v 18 तोर पानी के सोता आसीसित रहय, \q2 अऊ तें अपन जवानी के घरवाली संग आनंद मना। \q1 \v 19 ओह तोर बर एक मयारू हिरनी, एक सुघर सांबरनी सहीं होवय— \q2 ओकर छाती ह तोला हमेसा खुस रखय, \q2 अऊ तेंह ओकर मया म हमेसा बंधे रह। \q1 \v 20 हे मोर बेटा, आने मनखे के घरवाली के मया म तेंह काबर मोहित होबे? \q2 अऊ एक छिनार ला अपन छाती ले काबर लगाबे? \b \q1 \v 21 काबरकि तोर चालचलन ला यहोवा ह देखत हवय, \q2 अऊ ओह तोर जम्मो चालचलन ला परखथे। \q1 \v 22 दुस्ट मनखेमन अपनेच अधरम के काम म फंसथें; \q2 ओमन अपनेच पाप के बंधन म कसके बंधे रहिथें। \q1 \v 23 ओमन सिकछा के कमी के कारन मर जाहीं, \q2 अऊ अपनेच मुरूखता के कारन भटक जाहीं। \c 6 \s1 मुरूखता के बिरूध चेतउनी \q1 \v 1 हे मोर बेटा, यदि तेंह अपन परोसी बर जमानत ले हस, \q2 या कोनो अजनबी बर अपन चीज गिरवी म दे हस, \q1 \v 2 तेंह अपन ही बात म फंस गे हस, \q2 अऊ अपन ही बात म पकड़े गे हस। \q1 \v 3 त हे मोर बेटा, अपनआप ला बंचाय बर अइसे कर, \q2 जब तेंह अपन परोसी के हांथ म पड़ गे हस: \q1 त, जा, जल्दी कर,\f + \fr 6:3 \fr*\ft या \ft*\fq जा \fq*\fqa अऊ अपनआप ला नम्र कर,\fqa*\f* \q2 अऊ तुरते अपन परोसी ले बिनती कर। \q1 \v 4 जागत रह; \q2 अपन आंखी म झपकी घलो झन आवन दे। \q1 \v 5 अपनआप ला छुड़ा, जइसे हिरन ह सिकारी के हांथ ले, \q2 अऊ चिरई ह चिड़ीमार के जाल ले अपनआप ला छुड़ाथे। \b \q1 \v 6 हे अलाल मनखे, चांटीमन करा जा; \q2 ओमन के काम ला देख, अऊ बुद्धिमान बन। \q1 \v 7 ओमन ला न तो कोनो हुकूम देवइया होथे, \q2 न देखरेख करइया, अऊ न ही ओमन ऊपर सासन करइया, \q1 \v 8 तभो ले ओमन धूपकाला म अपन खाना संकेलथें \q2 अऊ लुवई के बेरा अपन जेवन कुढ़ोथें। \b \q1 \v 9 हे अलाल मनखे, तेंह कब तक सोवत रहिबे? \q2 तोर नींद ह कब टूटही? \q1 \v 10 थोरकन अऊ नींद, थोरकन अऊ ऊंघासी, \q2 हांथ म हांथ धरके अऊ थोरकन देर बईठे रहई— \q1 \v 11 अऊ गरीबी ह चोर सहीं, \q2 अऊ घटी ह हथियार धरे मनखे सहीं तोर ऊपर आ जाही। \b \q1 \v 12 समस्या खड़े करइया अऊ दुस्ट मनखे ह \q2 बेईमानी के बात करथे; \q2 \v 13 ओह खराप इरादा से आंखी मारथे, \q2 अपन पांव ले इसारा करथे \q2 अऊ अपन अंगरी ले घलो इसारा करथे। \q2 \v 14 ये काम ओह अपन खराप मन ले बुरई के बात ला सोचके करथे; \q2 ओह हमेसा झगरा करे म लगे रहिथे। \q1 \v 15 एकरसेति, बिपत्ति ह ओकर ऊपर अचानक आ जाही; \q2 पल भर म, बिगर कोनो बचाव के ओह नास हो जाही। \b \li1 \v 16 छै ठन चीज ला यहोवा ह नापसंद करथे, \li2 अऊ सात ठन चीज ले ओह घिन करथे: \li3 \v 17 घमंड ले भरे आंखी, \li3 लबारी बात कहइया जीभ, \li3 निरदोस मनखे के खून बहानेवाला हांथ, \li3 \v 18 दुस्टता के बात सोचनेवाला हिरदय, \li3 खराप काम करे बर तियार रहइया पांव, \li3 \v 19 लबरा गवाह, जऊन ह लबारी के ऊपर लबारी मारथे \li3 अऊ ओ मनखे जऊन ह मनखेमन के बीच म फूट डारथे। \s1 बेभिचार के बिरोध म चेतउनी \q1 \v 20 हे मोर बेटा, अपन ददा के हुकूम ला मान \q2 अऊ अपन दाई के सिकछा ला झन छोंड़। \q1 \v 21 ये बातमन ला हमेसा अपन हिरदय म रख; \q2 येमन ला अपन घेंच म माला सहीं पहिर ले। \q1 \v 22 जब तेंह रेंगबे, त येमन तोर अगुवई करहीं; \q2 जब तेंह सुतबे, त येमन तोर रखवारी करहीं; \q2 अऊ जब तेंह जागबे, त येमन तोर ले गोठियाहीं। \q1 \v 23 काबरकि ये हुकूम ह एक दीया सहीं अय; \q2 ये सिकछा ह अंजोर सहीं अय, \q1 अऊ सुधार अऊ निरदेस \q2 जिनगी के रसता सहीं अंय; \q1 \v 24 येमन तोला परोसी के घरवाली, \q2 अऊ छिनार माईलोगन के गुरतूर बोली ले बचाथें। \b \q1 \v 25 ओकर सुघरता ला देखके अपन मन म ओकर लालसा झन कर \q2 अऊ ओकर आंखी के जादू तोला झन मोहय। \b \q1 \v 26 काबरकि एक बेस्या के कीमत एक रोटी हो सकथे, \q2 पर आने मनखे के घरवाली ह तोर खुद के जिनगी ला लूट लेथे। \q1 \v 27 का अइसे हो सकथे कि कोनो मनखे आगी ला अपन कोरा म रखे \q2 अऊ ओकर ओनहा ह नइं जरय? \q1 \v 28 या का अइसे हो सकथे कि कोनो मनखे आगी म रेंगे \q2 अऊ ओकर पांव ह नइं झुलसय? \q1 \v 29 अइसे ओ मनखे के दसा होथे, जऊन ह आने के घरवाली संग सुतथे; \q2 जऊन ह अइसे माईलोगन ला छूथे, ओह दंड के भागी होही। \b \q1 \v 30 जऊन चोर ह अपन पेट के भूख ला मिटाय बर चोरी करथे, \q2 ओला मनखेमन तुछ नइं समझंय। \q1 \v 31 तभो ले यदि ओह पकड़े जाथे, त ओला सात गुना भरना पड़ही; \q2 चाहे ओला अपन घर के जम्मो चीज देना पड़य। \q1 \v 32 जऊन ह बेभिचार करथे, ओकर करा बुद्धि नइं ए; \q2 जऊन ह अइसे करथे, ओह अपनआप ला नास करथे। \q1 \v 33 ओह मार खाथे अऊ अपमानित होथे, \q2 अऊ ओकर कलंक ह कभू नइं मिटय। \b \q1 \v 34 काबरकि जलन ह घरवाला ला बहुंत गुस्सा देवाथे, \q2 अऊ बदला लेवत बेरा ओह दया नइं करय। \q1 \v 35 ओह नुकसान के भरपई नइं चाहय; \q2 ओला जतका भी घूस दे दव, ओह नइं मानय। \c 7 \s1 बेभिचारी माईलोगन के बिरूध चेतउनी \q1 \v 1 हे मोर बेटा, मोर बातमन ला मान \q2 अऊ मोर हुकूममन ला अपन मन म रखे रह। \q1 \v 2 मोर हुकूममन ला मान, त तेंह जीयत रहिबे; \q2 मोर सिकछा के मुताबिक अपन जिनगी जी। \q1 \v 3 ओमन ला अपन अंगरीमन म बांध ले, \q2 अऊ ओमन ला अपन हिरदय के पटिया म लिख ले। \q1 \v 4 बुद्धि ले कह, “तेंह मोर बहिनी अस,” \q2 अऊ समझ ले कह, “तेंह मोर रिस्तेदार अस।” \q1 \v 5 येमन तोला छिनार माईलोगन ले दूरिहा रखहीं, \q2 अऊ जिद्दी माईलोगन के गुरतूर बोली ले बचाहीं। \b \q1 \v 6 मेंह अपन घर के खिड़की के \q2 जाली म ले खाल्हे देखेंव। \q1 \v 7 मेंह भोला-भाला मनखेमन ला देखेंव, \q2 अऊ मोर धियान ह जवानमन के बीच म, \q2 एक निरबुद्धि जवान कोति गीस। \q1 \v 8 ओह ओ माईलोगन के घर के कोना के गली ले होवत, \q2 ओकर घर डहार जावत रिहिस। \q1 \v 9 ओ बेरा दिन ढर गे रहय अऊ सांझ हो गे रहय, \q2 अऊ रथिया के अंधियार छा गे रहय। \b \q1 \v 10 तब एक माईलोगन ओकर ले मिले बर घर ले निकलिस; \q2 ओकर भेस ह छिनार माईलोगन सहीं रिहिस अऊ ओकर मन म कपट रिहिस। \q1 \v 11 (ओह उदंड अऊ हुकूम नइं माननेवाली रिहिस; \q2 ओह बहुंत कम अपन घर म रहय; \q1 \v 12 कभू गली म, कभू बजार म, \q2 त कभू गली के कोना म, ओह मनखेमन के बाट जोहय।) \q1 \v 13 तब ओह ओ जवान ला धरके चूमिस, \q2 अऊ बिगर लाज-सरम के ओला कहिस, \b \q1 \v 14 “आज में अपन मन्नत ला पूरा करेंव, \q2 अऊ मोर करा घर म मेल-बलिदान म चघाय खाना हवय। \q1 \v 15 एकरसेति मेंह तोर ले मिले बर आय हवंव; \q2 मेंह तोला खोजेंव अऊ तोला पा गेंव! \q1 \v 16 मेंह अपन पलंग म \q2 मिसर देस म बने सन के रंग-बिरंगी चादर दसाय हंव। \q1 \v 17 मेंह अपन पलंग ला \q2 लोहबान, मुसब्बर अऊ दालचीनी ले सुगंधित करे हवंव। \q1 \v 18 आ, हमन बिहान होवत ले एक-दूसर ले मया करन; \q2 अऊ मया म हमन आनंद मनावन! \q1 \v 19 काबरकि मोर घरवाला ह घर म नइं ए; \q2 ओह दूरिहा देस चले गे हवय। \q1 \v 20 ओह अपन संग रूपिया ले भरे थैली ले गे हवय \q2 अऊ ओह पून्नी के दिन घर लहुंटही।” \b \q1 \v 21 अइसने बात कहिके, ओह ओ जवान ला बहका लीस; \q2 अऊ अपन गुरतूर बोली ले ओला मोह लीस। \q1 \v 22 ओ जवान ह तुरते ओकर पाछू हो लीस \q2 जइसने कि कोनो पसु ह कसाईखाना जाथे, \q1 या जइसने कि कोनो हिरन\f + \fr 7:22 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fqa मुरूख\fqa*\f* फांदा म फंसे बर जाथे \q2 \v 23 अऊ ओकर करेजा ला तीर ले बेधे जाथे; \q1 या ओ जवान ह ओ चिरई सहीं अय, जऊन ह जाल म जाके फंसथे, \q2 अऊ नइं जानय कि ओमा ओकर परान जाही। \b \q1 \v 24 अब, हे मोर बेटामन, मोर बात ला सुनव; \q2 अऊ मोर बात ऊपर धियान दव। \q1 \v 25 तुम्हर मन ह अइसने माईलोगन ऊपर झन लगय, \q2 या ओकर डहार म तुमन झन भटकव। \q1 \v 26 ओकर फांदा म फंसके बहुंते झन नास हो गे हवंय; \q2 ओकर दुवारा मारे गे मनखेमन के संखिया बहुंत बड़े हवय। \q1 \v 27 ओकर घर ह मरघटी के रसता ए, \q2 जऊन ह खाल्हे मिरतू के काल-कोठरी ला जाथे। \c 8 \s1 बुद्धि के बुलावा \q1 \v 1 का बुद्धि ह नइं पुकारय? \q2 का समझ ह ऊंचहा अवाज म नइं बोलय? \q1 \v 2 ओह डहार के तीर, ऊंचहा ठऊर म, \q2 सड़क के चऊक म खड़े होथे; \q1 \v 3 सहर जाय के रसता, दुवार के बाजू म, \q2 प्रवेस दुवार करा, ओह चिचियाके कहिथे: \q1 \v 4 “हे मनखेमन, मेंह तुमन ला पुकारत हंव; \q2 मोर बात ह जम्मो मनखेमन बर अय। \q1 \v 5 तुमन, जऊन मन भोला-भाला अव, बुद्धिमान बनव; \q2 जऊन मन मुरूख अव, ओमन समझदार बनव। \q1 \v 6 सुनव, मोर करा कहे बर उत्तम बात हवय; \q2 मेंह सही बात ला कहिथंव। \q1 \v 7 मोर मुहूं ले सच बात निकलथे, \q2 काबरकि दुस्टता के बात ले मेंह घिन करथंव। \q1 \v 8 मोर मुहूं के जम्मो बात धरमीपन के होथे; \q2 ओमा कोनो उल्टा या खराप बात नइं रहय। \q1 \v 9 समझनेवाला बर येमन सही अंय; \q2 अऊ जऊन मन गियान पा गे हवंय, ओमन बर येमन सीधा अंय। \q1 \v 10 चांदी के बदले मोर सिकछा ला चुनव, \q2 अऊ सुध सोन के बदले मोर गियान ला लव, \q1 \v 11 काबरकि बुद्धि ह मनि ले जादा कीमती अय, \q2 अऊ कोनो भी मनभावन चीज के तुलना येकर ले नइं करे जा सकय। \b \q1 \v 12 “में बुद्धि अंव अऊ समझदारी के संग रहिथंव; \q2 गियान अऊ बिबेक मोर म हवय। \q1 \v 13 यहोवा के भय मनई के मतलब बुरई ले घिन करई अय। \q2 मेंह घमंड अऊ जिद्दीपन, \q2 खराप बरताव अऊ बुरई के बात ले घिन करथंव। \q1 \v 14 उत्तम सलाह अऊ सही नियाय मेंह करथंव; \q2 मोर करा समझ के बात अऊ सामर्थ हवय। \q1 \v 15 मोर दुवारा राजामन राज करथें \q2 अऊ सासन करइयामन सही फैसला करथें। \q1 \v 16 मोर दुवारा ही सासन करइया, \q2 अऊ जम्मो हाकिममन सासन करथें। \q1 \v 17 मेंह ओमन ला मया करथंव, जऊन मन मोला मया करथें, \q2 अऊ जऊन मन मोला खोजथें, ओमन मोला पाथें। \q1 \v 18 धन अऊ आदरमान मोर करा हवय, \q2 ठहरइया धन अऊ उन्नति घलो मोर करा हवय। \q1 \v 19 मोर फर ह चोखा सोन ले घलो जादा बने अय, \q2 अऊ जऊन चीज मेंह उतपन करथंव, ओह उत्तम चांदी ले बढ़के होथे। \q1 \v 20 मेंह धरमीपन, \q2 अऊ नियाय के रसता म चलथंव, \q1 \v 21 ताकि जऊन मन मोर ले मया करथें, ओमन ला उत्तम उत्तराधिकार दंव, \q2 अऊ ओमन के भंडार ला भर दंव। \b \q1 \v 22 “यहोवा ह अपन काम के सुरूआत ले, \q2 अपन पुराना काम के पहिले मोला लानिस; \q1 \v 23 मेंह आदिकाल ले, \q2 सिरिस्टी ला रचे के पहिले ठहिराय गे हवंव। \q1 \v 24 जब न तो गहिरा समुंदर रिहिस, \q2 अऊ न ही उमड़त पानी के झरना रिहिस, तब ले मेंह जनमे हवंव। \q1 \v 25 पहाड़ अऊ पहाड़ीमन ला बनाय के पहिले, \q2 मेंह जनमेंव; \q1 \v 26 येकर पहिले कि परमेसर ह संसार या येकर इलाका, \q2 या धरती के धुर्रा ला बनातिस। \q1 \v 27 जब ओह अकासमन ला स्थापित करिस, त मेंह उहां रहेंव, \q2 जब ओह समुंदर अऊ अकास के बीच म सीमना बांधिस, \q1 \v 28 जब ओह ऊपर म बादर ला ठहिराईस \q2 अऊ गहरई म पानी के सोत बनाईस, \q1 \v 29 जब ओह समुंदर के सीमना ला ठहिराईस, \q2 ताकि पानी ह ओकर हुकूम ला झन टारय, \q1 अऊ जब ओह धरती के नीव रखिस। \q2 \v 30 तब मेंह हमेसा ओकर संग रहेंव। \q1 मेंह हर दिन खुसी म मगन रहेंव, \q2 अऊ हमेसा ओकर आघू म आनंदित रहेंव। \q1 \v 31 मेंह ओकर बसाय जम्मो संसार ले आनंदित रहेंव \q2 अऊ मनखेमन म रहिके खुस होवत रहेंव। \b \q1 \v 32 “एकरसेति, अब हे मोर लइकामन, मोर बात ला सुनव; \q2 धइन अंय ओमन, जऊन मन मोर बताय रसता म चलथें। \q1 \v 33 मोर सिकछा ला सुनव अऊ बुद्धिमान बनव; \q2 येला तुछ झन जानव। \q1 \v 34 धइन अंय ओमन, जऊन मन मोर गोठ ला सुनथें, \q2 अऊ मोर कपाट करा हर दिन रखवारी करथें, \q2 अऊ मोर कपाट के रसता म अगोरत रहिथें। \q1 \v 35 काबरकि जऊन मन मोला पाथें, ओमन जिनगी पाथें \q2 अऊ यहोवा ओमन ऊपर किरपा करथे। \q1 \v 36 पर जऊन मन मोला पाय म असफल होथें, ओमन अपन के हानि करथें; \q2 ओ जम्मो जऊन मन मोर ले घिन करथें, ओमन मिरतू ले मया करथें।” \c 9 \s1 बुद्धि अऊ मुरूखता के नेवता \q1 \v 1 बुद्धि ह अपन घर बनाईस; \q2 ओह येकर सात ठन खंभा बनाय हवय। \q1 \v 2 ओह अपन पसु के मांस रांधे हवय अऊ अंगूर के मंद तियार करे हवय; \q2 अऊ खाना खाय बर अपन मेज म रखे हवय। \q1 \v 3 ओह अपन सेवकमन ला पठोय हवय, \q2 अऊ ओह सहर के सबले ऊंच जगह ले, ये कहिके बलाथे, \q2 \v 4 “जऊन मन सीधा-साधा अंय, ओमन मोर घर म आवंय!” \q1 जऊन मन निरबुद्धि अंय, ओमन ला ओह कहिथे, \q2 \v 5 “आवव, मोर खाना खावव \q2 अऊ मोर तियार करे गे अंगूर के मंद ला पीयव। \q1 \v 6 अपन सीधा-साधा रसता ला छोंड़व, त तुमन जीयत रहिहू; \q2 समझवाले रसता म चलव।” \b \q1 \v 7 जऊन ह ठट्ठा करइया ला सिकछा देथे, ओकर बेजत्ती होथे; \q2 जऊन ह दुस्ट मनखे ला डांटथे, ओह गारी खाथे। \q1 \v 8 ठट्ठा करइयामन ला झन डांट, नइं तो ओमन तोर ले घिन करहीं; \q2 बुद्धिमान मनखेमन ला डांट, त ओमन तोर ले मया करहीं। \q1 \v 9 बुद्धिमान मनखे ला सिकछा दे, त ओमन अऊ बुद्धिमान होहीं; \q2 धरमीमन ला सिखा, त ओमन अपन गियान ला अऊ बढ़ाहीं। \b \q1 \v 10 यहोवा के भय मनई बुद्धि के सुरूआत अय, \q2 पबितर परमेसर ला जानई समझ के बात अय। \q1 \v 11 काबरकि परमेसर के दुवारा तोर उमर बढ़ही, \q2 अऊ तोर जिनगी म अऊ बछर जोड़े जाही। \q1 \v 12 कहूं तेंह बुद्धिमान अस, त तोर बुद्धि के कारन तोला ईनाम मिलही; \q2 यदि तेंह ठट्ठा करइया अस, त सिरिप तेंहीच ह दुख भोगबे। \b \q1 \v 13 मुरूखता ह एक ब्यवस्थाहीन माईलोगन सहीं अय; \q2 ओह सीधी-साधी अय अऊ कुछू नइं जानय। \q1 \v 14 ओह अपन घर के कपाट करा बईठथे; \q2 ओह सहर के सबले ऊंच जगह म आसन जमाथे \q1 \v 15 अऊ जऊन मन उहां ले होवत, अपन रसता म सीधा जावत रहिथें, \q2 ओमन ला ओह चिचियाके कहिथे, \q2 \v 16 “जऊन मन सीधा-साधा अंय, ओमन मोर घर म आवंय!” \q1 जऊन मन निरबुद्धि अंय, ओमन ला ओह कहिथे, \q2 \v 17 “चोराय पानी ह मीठ लगथे; \q2 चोरी-छुपे खाय खाना ह सुवादिस्ट होथे!” \q1 \v 18 पर ओमन नइं जानंय कि उहां मरे मनखेमन हवंय, \q2 अऊ ये घलो कि ओकर पहुनामन गहिरा, मिरतू-लोक म हवंय। \c 10 \ms1 सुलेमान राजा के नीतिबचन \p \v 1 सुलेमान के नीतिबचन: \q1 बुद्धिमान बेटा ले ओकर ददा ह खुस होथे, \q2 पर मुरूख बेटा ह अपन दाई ऊपर दुख लानथे। \b \q1 \v 2 बेईमानी ले कमाय धन ले लाभ नइं होवय, \q2 पर मनखे के धरमीपन ह ओला मिरतू ले बचाथे। \b \q1 \v 3 यहोवा ह धरमी मनखे ला भूखा रहन नइं देवय, \q2 पर ओह दुस्ट मनखे के ईछा ला पूरा होवन नइं देवय। \b \q1 \v 4 काम म ढिलई करइया मनखे गरीब हो जाथे, \q2 पर मेहनती मनखे धनी होथे। \b \q1 \v 5 गरमी के महिना म जऊन ह फसल ला संकेलथे, ओह बुद्धिमान बेटा ए, \q2 पर जऊन ह फसल लुवई के बेरा सुतत रहिथे, ओह कलंकित बेटा ए। \b \q1 \v 6 धरमी मनखे ला बहुंत आसीस मिलथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के मुहूं ले बहुंत हिंसा के बात निकलथे। \b \q1 \v 7 धरमी के नांव ह आसीस देय म उपयोग होथे,\f + \fr 10:7 \fr*\ft देखव \+xt उत 48:20\+xt*\ft*\f* \q2 पर दुस्ट के नांव ह मिट जाथे। \b \q1 \v 8 बुद्धिमान ह हिरदय म हुकूम ला गरहन करथे, \q2 पर बकवास करइया मुरूख ह नास हो जाथे। \b \q1 \v 9 जऊन ह ईमानदारी से चलथे, ओह निडर रहिथे, \q2 पर जऊन ह बेईमानी के रसता म चलथे, ओकर पोल खुल जाथे। \b \q1 \v 10 जऊन ह गलत इरादा से आंखी मारथे, ओकर ले दुख मिलथे, \q2 अऊ बकवास करइया मुरूख ह नास हो जाथे। \b \q1 \v 11 धरमी मनखे के मुहूं ले जिनगी के बात निकलथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के मुहूं ले हिंसा के बात निकलथे। \b \q1 \v 12 काकरो ले घिन करई ह झगरा ला सुरू करथे, \q2 पर मया ह जम्मो गलती ला ढांप देथे। \b \q1 \v 13 समझदार मनखे के बातचीत म बुद्धि पाय जाथे, \q2 पर निरबुद्धि ला लउठी के मार पड़थे। \b \q1 \v 14 बुद्धिमान ह गियान ला इकट्ठा करथे, \q2 पर मुरूख ह अपन बात के जरिये बिनास लानथे। \b \q1 \v 15 धनवानमन के धन ह ओमन के गढ़वाला सहर होथे, \q2 पर गरीब के गरीबी ह ओकर बिनास के कारन ए। \b \q1 \v 16 धरमी मनखे के मजदूरी जिनगी अय, \q2 पर दुस्ट मनखे के कमई पाप अऊ मिरतू अय। \b \q1 \v 17 जऊन ह अनुसासन ला मानथे, ओह जिनगी के रसता ला देखाथे, \q2 पर जऊन ह अनुसासन ला नइं मानय, ओह दूसरमन ला गलत रसता म ले जाथे। \b \q1 \v 18 जऊन ह लबारी मारके बईरता ला छुपाथे \q2 अऊ दूसर के निन्दा करथे, ओह मुरूख ए। \b \q1 \v 19 जिहां जादा बात होथे, उहां पाप घलो होथे, \q2 पर जऊन ह अपन मुहूं म लगाम लगाथे, ओह बुद्धिमान ए। \b \q1 \v 20 धरमी मनखे के बचन ह उत्तम चांदी सहीं अय, \q2 पर दुस्ट मनखे के बात बहुंत हल्का होथे। \b \q1 \v 21 धरमी मनखे के बात ले बहुंते जन के भलई होथे, \q2 पर मुरूखमन बुद्धि के कमी के कारन मर जाथें। \b \q1 \v 22 यहोवा के आसीस ले धन मिलथे, \q2 ओकर संग ओह दुख नइं देवय। \b \q1 \v 23 मुरूख ला खराप काम करई म खुसी मिलथे, \q2 पर समझदार मनखे बुद्धि के बात म खुस होथे। \b \q1 \v 24 जऊन बात ले दुस्ट मनखे ह डरथे, ओहीच बात ओकर संग होही, \q2 पर धरमी जन के ईछा ला पूरा करे जाही। \b \q1 \v 25 जब बिपत्ति चले जाथे, त ओकर संग दुस्टमन के घलो अन्त हो जाथे, \q2 पर धरमीमन सदा इस्थिर बने रहिथें। \b \q1 \v 26 जइसे दांत बर खट्टई अऊ आंखी बर धुआं होथे, \q2 वइसे आलसी मनखेमन ओमन बर होथें, जऊन मन ओमन ला पठोथें। \b \q1 \v 27 यहोवा के भय माने ले मनखे के उमर ह बढ़थे, \q2 पर दुस्ट मनखे जादा साल तक नइं जीयय। \b \q1 \v 28 धरमी जन ला आसा रखई म आनंद मिलथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के आसा टूट जाथे। \b \q1 \v 29 यहोवा के रसता ह निरदोसीमन बर सरन-स्थान ए, \q2 पर जऊन मन दुस्टता करथें, ओमन बर बिनास के जगह ए। \b \q1 \v 30 धरमी जन सदा अटल बने रहिही, \q2 पर दुस्ट मनखे धरती म बने नइं रह सकय। \b \q1 \v 31 धरमी के मुहूं ले बुद्धि के बात निकलथे, \q2 पर बेकार बात करइया के मुहूं ला बंद करे जाही। \b \q1 \v 32 धरमी के मुहूं ले समझदारी के बात निकलथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के मुहूं ले सिरिप बेकार के बात निकलथे। \b \c 11 \q1 \v 1 यहोवा ह बेईमानी के तौल ले बहुंत घिन करथे, \q2 पर सही तौल ले ओह खुस होथे। \b \q1 \v 2 जब घमंड आथे, त अपमान घलो आथे, \q2 पर नमरता के संग बुद्धि आथे। \b \q1 \v 3 ईमानदार मनखेमन ला ओमन के ईमानदारी ह अगुवई करथे, \q2 पर बिसवासघाती मनखेमन अपन छल-कपट म नास हो जाथें। \b \q1 \v 4 कोप के बेरा म धन ले कोनो लाभ नइं होवय, \q2 पर धरमीपन ह मिरतू ले बचाथे। \b \q1 \v 5 निरदोस मनखेमन के धरमीपन ह ओमन के रसता ला सीधा करथे, \q2 पर दुस्ट मनखेमन अपन ही दुस्टता म गिर जाथें। \b \q1 \v 6 ईमानदार मनखेमन के धरमीपन ह ओमन ला बचाथे, \q2 पर बिसवासघाती मनखेमन अपन ही दुस्ट ईछा म फंसथें। \b \q1 \v 7 दुस्ट मनखेमन के संग ओमन के आसा घलो टूट जाथे; \q2 ओमन के सक्ति के जम्मो परतिगियां बेकार हो जाथे। \b \q1 \v 8 धरमी मनखेमन बिपत्ति ले बचाय जाथें, \q2 पर ओहीच बिपत्ति दुस्ट मनखे ऊपर पड़थे। \b \q1 \v 9 भक्तिहीन मनखेमन अपन बात ले अपन परोसी ला नास करथें, \q2 पर गियान के दुवारा धरमी मनखेमन बच जाथें। \b \q1 \v 10 जब धरमी मनखेमन उन्नति करथें, त सहर के मनखेमन आनंद मनाथें; \q2 जब दुस्ट मनखेमन नास होथें, त आनंद के कारन जयकार होथे। \b \q1 \v 11 धरमी मनखेमन के आसीस ले सहर के उन्नति होथे। \q2 पर दुस्ट मनखेमन के गोठ ले येह नास होथे। \b \q1 \v 12 जऊन ह अपन परोसी के हंसी उड़ाथे, ओह निरबुद्धि ए, \q2 पर समझदार मनखे अपन मुहूं म लगाम लगाथे। \b \q1 \v 13 लबारी बात ह बिसवास ला टोरथे, \q2 पर बिसवासयोग्य मनखे ह गुपत के बात ला बनाय रखथे। \b \q1 \v 14 मार्ग-दरसन के अभाव म देस ह बिपत्ति म पड़थे, \q2 पर जीत ह बहुंत सलाहकारमन के जरिये मिलथे। \b \q1 \v 15 जऊन ह अजनबी के जमानत लेथे, ओह दुख उठाथे, \q2 पर जऊन ह जमानत लेय बर मना करथे, ओह सुखी रहिथे। \b \q1 \v 16 दयालु माईलोगन ह आदरमान पाथे, \q2 पर निरदयी आदमी सिरिप धन कमाथे। \b \q1 \v 17 दयालु मनखेमन अपन बर लाभ कमाथें, \q2 पर निरदयीमन अपन ऊपर बिनास लानथें। \b \q1 \v 18 दुस्ट मनखे ह छल-कपट के कमई करथे, \q2 पर जऊन ह धरमीपन देखाथे, ओह सही म ईनाम पाथे। \b \q1 \v 19 धरमीमन सही म जिनगी पाथें, \q2 पर जऊन ह बुरई के पाछू चलथे, ओह मरथे। \b \q1 \v 20 यहोवा ह हठी मनखे ले घिन करथे, \q2 पर ओह निरदोस चालचलनवाला मनखे ले खुस होथे। \b \q1 \v 21 ये बात बर निस्चित रहव: दुस्ट ह जरूर दंड पाही, \q2 पर जऊन मन धरमी अंय, ओमन छोंड़ दिये जाहीं। \b \q1 \v 22 जऊन सुघर माईलोगन ह समझदारी नइं देखाय, \q2 ओह थोथना म सोन के नथ पहिरे सूरा के सहीं अय। \b \q1 \v 23 धरमीमन के ईछा के अन्त सिरिप भलई म होथे, \q2 पर दुस्टमन के आसा के अन्त सिरिप कोरोध म होथे। \b \q1 \v 24 एक मनखे ह दिल खोलके देथे, तभो ले ओकर बढ़ती होथे; \q2 दूसर मनखे ह देय म कंजूसी करथे, पर ओह गरीब हो जाथे। \b \q1 \v 25 उदार मनखे के उन्नति होही, \q2 अऊ जऊन ह दूसर के खियाल रखथे, ओकर खियाल रखे जाही। \b \q1 \v 26 मनखेमन ओ मनखे ला सराप देथें, जऊन ह अनाज ला दबाके रखे रहिथे, \q2 पर जऊन ह बेचे के ईछा रखथे, ओकर बर मनखेमन आसीस मांगथें। \b \q1 \v 27 जऊन ह भलई करे चाहथे, ओकर ऊपर किरपा करे जाथे, \q2 पर जऊन ह बुरई करे के ईछा रखथे, ओकर ऊपर बुरई आ जाथे। \b \q1 \v 28 जऊन मन अपन धन ऊपर भरोसा रखथें, ओमन गिरहीं, \q2 पर धरमी मनखेमन हरियर पान सहीं बढ़हीं। \b \q1 \v 29 जऊन ह अपन परिवार ला दुख देथे, ओला बांटा म कुछू नइं मिलय, \q2 अऊ मुरूख ह बुद्धिमान के दास होही। \b \q1 \v 30 धरमी के परतिफल जिनगी के रूख होथे, \q2 अऊ जऊन ह बुद्धिमान ए, ओह जिनगी बचाथे। \b \q1 \v 31 यदि धरमी मनखे ला ये धरती म ओकर फर मिलथे, \q2 त भक्तिहीन अऊ पापी ला ओकर परतिफल काबर नइं मिलही! \b \c 12 \q1 \v 1 जऊन ह अनुसासन ले मया करथे, ओह गियान ले मया करथे, \q2 पर जऊन ह सुधरे बर नइं चाहय, ओह मुरूख अय। \b \q1 \v 2 बने मनखेमन ऊपर यहोवा के किरपा होथे, \q2 पर दुस्ट उपाय करइयामन ला ओह दोसी ठहिराथे। \b \q1 \v 3 कोनो दुस्ट काम करे के दुवारा इस्थिर नइं रह सकय, \q2 पर धरमी मनखे ला कोनो डिगा नइं सकंय। \b \q1 \v 4 बने चालचलनवाली माईलोगन ह अपन घरवाला के मुकुट ए, \q2 पर कलंकित माईलोगन ह अपन घरवाला के सरे हाड़ा सहीं अय। \b \q1 \v 5 धरमीमन के योजना ह सही होथे, \q2 पर दुस्टमन के सलाह धोखा देवइया होथे। \b \q1 \v 6 दुस्टमन के बातचीत ह हतिया करे बर घात लगाय के बारे म होथे, \q2 पर सीधा-साधा मनखे के बातचीत ह ओमन ला बचाथे। \b \q1 \v 7 दुस्टमन ला नास करे जाथे अऊ ओमन बचे नइं रहंय, \q2 पर धरमी के घर ह मजबूत बने रहिथे। \b \q1 \v 8 मनखे के परसंसा ओकर बुद्धि के अनुसार होथे, \q2 पर बिगड़े बुद्धि के मनखे ह तुछ समझे जाथे। \b \q1 \v 9 जेकर करा खाय बर खाना तक नइं रहय अऊ अपन बड़ई मारथे \q2 ओकर ले सेवक रखइया छोटे मनखे ह बने अय। \b \q1 \v 10 धरमी मनखे अपन पसुमन के घलो चिंता करथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के दया के काम ह घलो निरदयी होथे। \b \q1 \v 11 जऊन मन अपन खेत ला कमाथें, ओमन करा बहुंत जेवन होही, \q2 पर जऊन मन सिरिप कल्पना करत रहिथें, ओमन निरबुद्धि अंय। \b \q1 \v 12 दुस्ट मनखेमन, खराप काम करइया मनखेमन ले सुरकछा के मनसा करथें। \q2 पर धरमीमन के जरी ह बने रहिथे। \b \q1 \v 13 खराप मनखेमन अपन खराप गोठ के कारन फंसथें, \q2 अऊ निरदोस मनखेमन समस्या ले बच जाथें। \b \q1 \v 14 मनखेमन अपन सुघर गोठ के कारन बने चीज ले भर जाथें, \q2 अऊ ओमन के हांथ के मेहनत ह ओमन ला ईनाम देवाथे। \b \q1 \v 15 मुरूखमन ला अपनेच रसता ह सही लगथे, \q2 पर बुद्धिमान मनखेमन दूसरमन के सलाह ला सुनथें। \b \q1 \v 16 मुरूखमन तुरते अपन रिस देखाथें, \q2 पर समझदार मनखेमन अपन बेजत्ती ला धियान नइं देवंय। \b \q1 \v 17 एक ईमानदार गवाह ह सच बोलथे, \q2 पर लबरा गवाह ह लबारी मारथे। \b \q1 \v 18 बिगर सोचे-बिचारे बोलनेवाला के गोठ ह तलवार सहीं चूभथे, \q2 पर बुद्धिमान मनखे के बात ह दवाई के सहीं बने काम करथे। \b \q1 \v 19 सच बात ह हमेसा बने रहिथे, \q2 पर लबरा गोठ सिरिप पल भर के होथे। \b \q1 \v 20 खराप काम करइयामन के मन म छल-कपट होथे, \q2 पर जऊन मन सांति के बात करथें, ओमन ला आनंद मिलथे। \b \q1 \v 21 धरमी ला कोनो हानि नइं होवय, \q2 पर दुस्ट मनखे ह समस्या ले भरे रहिथे। \b \q1 \v 22 लबारी बात ले यहोवा बहुंत घिन करथे, \q2 पर ओह बिसवासयोग्य मनखे ले बहुंत खुस होथे। \b \q1 \v 23 समझदार मनखेमन अपन गियान ला अपन म रखथें, \q2 पर मुरूख मनखे ह बिगर सोचे अपन मुरूखता ला बक देथे। \b \q1 \v 24 मेहनती मनखेमन सासन करथें, \q2 पर आलसी मनखे ह मजदूरी करे बर बाध्य होथे। \b \q1 \v 25 मनखे के उतावलापन ह ओकर मन ला उदास कर देथे, \q2 पर बने बात ले ओह खुस होथे। \b \q1 \v 26 धरमी मनखे ह धियान देके अपन संगवारी चुनथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के चालचलन ह ओला भटका देथे। \b \q1 \v 27 आलसी मनखे कोनो काम करे नइं चाहय, \q2 पर मेहनती मनखे ला अपन मेहनत ले कीमती चीज मिलथे। \b \q1 \v 28 धरमीपन के रसता म जिनगी हवय, \q2 अऊ ओ रसता म मिरतू नइं ए। \b \c 13 \q1 \v 1 बुद्धिमान बेटा ह अपन ददा के सिकछा म धियान लगाथे, \q2 पर ठट्ठा करइया ह डांट ला घलो नइं सुनय। \b \q1 \v 2 मनखेमन अपन बने बात के कारन बने चीजमन के आनंद उठाथें, \q2 पर बिसवासघाती मनखे के भूख हिंसा करे म मिटथे। \b \q1 \v 3 जऊन मन अपन मुहूं म लगाम लगाथें, ओमन अपन परान के रकछा करथें, \q2 पर जऊन मन बिगर सोचे गोठियाथें, ओमन नास हो जाथें। \b \q1 \v 4 आलसी मनखे के भूख कभू नइं मिटय, \q2 पर मेहनती मनखे के ईछा पूरा होथे। \b \q1 \v 5 धरमी मनखे लबरा बात ले घिन करथे, \q2 पर दुस्ट मनखे अपनआप ला एक दुरगंध के चीज सहीं बना लेथे \q2 अऊ अपन ऊपर कलंक लगाथे। \b \q1 \v 6 धरमीपन ह ईमानदार मनखे के रकछा करथे \q2 पर दुस्टता ह पापी मनखे ला नास कर देथे। \b \q1 \v 7 एक मनखे अपन ला धनवान जताथे, पर ओकर करा कुछू नइं रहय; \q2 दूसर ह अपन ला गरीब जताथे, पर ओकर करा बहुंत धन होथे। \b \q1 \v 8 मनखे के धन ह ओकर जिनगी ला छुड़ा सकथे, \q2 पर गरीब मनखे ह धमकी भरे डांट के जबाब घलो नइं दे सकय। \b \q1 \v 9 धरमी मनखे के अंजोर ह बहुंत चमकथे, \q2 पर दुस्ट मनखे के दीया ह बुता जाथे। \b \q1 \v 10 घमंड के कारन झगरा होथे, \q2 पर जऊन मन सलाह लेथें, ओमन म बुद्धि होथे। \b \q1 \v 11 बेईमानी के पईसा ह खतम हो जाथे, \q2 पर जऊन ह थोर-थोर करके पईसा जमा करथे, ओ पईसा ह बढ़थे। \b \q1 \v 12 जब आसा के पूरा होय म देरी होथे, त मन ह बिचलित होथे, \q2 पर मनसा के पूरा होवई ह जिनगी के रूख सहीं अय। \b \q1 \v 13 जऊन ह हुकूम ला तुछ समझथे, ओह येकर दाम चुकाही, \q2 पर जऊन ह हुकूम ला मानथे, ओला ईनाम मिलथे। \b \q1 \v 14 बुद्धिमान मनखे के सिकछा ह जिनगी के झरना ए, \q2 जऊन ह मनखे ला मिरतू के फांदा ले बचाथे। \b \q1 \v 15 सुबुद्धि ले अनुग्रह मिलथे, \q2 पर बिसवासघातीमन के रसता ह ओमन के बिनास कोति जाथे। \b \q1 \v 16 जम्मो समझदार मनखे गियान के संग काम करथें। \q2 पर मुरूखमन अपन मुरूखता देखाथें। \b \q1 \v 17 दुस्ट संदेसिया ह समस्या म पड़थे, \q2 पर बिसवासयोग्य संदेसिया ह बने संदेस लेके आथे। \b \q1 \v 18 जऊन ह अनुसासन ला तुछ समझथे, ओह गरीबी अऊ लज्जा म पड़थे, \q2 पर जऊन ह डांट ऊपर धियान देथे, ओह आदर पाथे। \b \q1 \v 19 ईछा के पूरा होवई ह मन ला गुरतूर लगथे, \q2 पर मुरूख मनखे ह दुस्ट काम ला बिलकुल ही छोंड़े नइं चाहय। \b \q1 \v 20 बुद्धिमान के संगति कर, त तें घलो बुद्धिमान हो जाबे, \q2 काबरकि मुरूख के संगी ला हानि उठाना पड़थे। \b \q1 \v 21 समस्या ह पापीमन के पाछू लगे रहिथे, \q2 पर धरमीमन ला बने चीज के ईनाम मिलथे। \b \q1 \v 22 बने मनखे ह अपन नाती-पोतामन बर धन-संपत्ति छोंड़ जाथे, \q2 पर पापी के संपत्ति धरमी बर रखे जाथे। \b \q1 \v 23 बंजर भुइयां ह गरीब बर फसल पईदा करथे, \q2 पर अनियाय ह येला छीन लेथे। \b \q1 \v 24 जऊन ह अपन लइकामन ला छड़ी ले अनुसासित नइं करय, ओह ओकर बईरी अय। \q2 पर जऊन ह अपन लइकामन ले मया करथे, ओह ओमन ला अनुसासित घलो करथे। \b \q1 \v 25 धरमी ह पेट भर खाय ला पाथे, \q2 पर दुस्ट मनखे ह भूखन ही रहिथे। \b \c 14 \q1 \v 1 बुद्धिमान माईलोगन ह अपन घर ला बनाथे, \q2 पर मुरूख माईलोगन ह अपन खुद के हांथ ले ओला गिरा देथे। \b \q1 \v 2 जऊन ह यहोवा के भय मानथे, ओह ईमानदारी से चलथे, \q2 पर जऊन मन ओला तुछ जानथें, ओमन अपन डहार ले भटक गे हवंय। \b \q1 \v 3 मुरूख ला ओकर घमंड के बात के कारन दंड मिलथे, \q2 पर बुद्धिमान मनखेमन के बात ह ओमन ला बचाथे। \b \q1 \v 4 जिहां बईलामन नइं रहंय, त उहां कोटना ह खाली रहिथे, \q2 पर बईला के ताकत ले बहुंत फसल होथे। \b \q1 \v 5 ईमानदार गवाह ह धोखा नइं देवय, \q2 पर लबरा गवाह ह अब्बड़ लबारी मारथे। \b \q1 \v 6 ठट्ठा करइया ह बुद्धि ला खोजथे, पर नइं पावय, \q2 पर समझदार मनखे ला आसानी से गियान मिलथे। \b \q1 \v 7 मुरूख मनखे ले दूरिहा रहव, \q2 काबरकि तुमन ला ओकर ले गियान के बात नइं मिलय। \b \q1 \v 8 बुद्धिमान के बुद्धि ह ओला समझ देथे, \q2 पर मुरूख के मुरूखता ह धोखा ए। \b \q1 \v 9 मुरूख मनखेमन पाप स्वीकार करई ला ठट्ठा के बात समझथें \q2 पर समझदार मनखेमन के बीच म सही बिचार पाय जाथे। \b \q1 \v 10 मन ह अपन खुद के दुख ला जानथे, \q2 अऊ कोनो आने ह येकर आनंद ला बांट नइं सकय। \b \q1 \v 11 दुस्ट के घर ह नास करे जाही, \q2 पर धरमी के घर ह बढ़ही। \b \q1 \v 12 एक डहार हवय, जऊन ह मनखे ला सही जान पड़थे, \q2 पर आखिर म येह मिरतू करा ले जाथे। \b \q1 \v 13 अइसे हो सकथे कि हंसी के बेरा घलो मन उदास होवय, \q2 अऊ आनंद मनई के अन्त दुख म होवय। \b \q1 \v 14 बिसवासहीन मनखे ह अपन काम के पूरा फल भोगही, \q2 अऊ बने मनखे ह अपन बने काम के ईनाम पाही। \b \q1 \v 15 सीधवा मनखे ह कोनो भी बात के बिसवास करथे, \q2 पर समझदार मनखे ह सोच-समझके चलथे। \b \q1 \v 16 बुद्धिमान मनखे ह यहोवा ले डरथे अऊ बुरई ले दूरिहा रहिथे, \q2 पर मुरूख ह कोरोधी सुभाव के होथे अऊ तभो ले निडर रहिथे। \b \q1 \v 17 जऊन ह तुरते गुस्सा होथे, ओह मुरूखता के काम करथे, \q2 अऊ जऊन ह खराप चाल चलथे, ओकर ले मनखेमन घिन करथें। \b \q1 \v 18 सीधा-साधा मनखे के भाग म मुरूखता होथे, \q2 पर समझदार मनखे ला गियान के मुकुट पहिराय जाथे। \b \q1 \v 19 खराप मनखेमन, बने मनखे के आघू म, \q2 अऊ दुस्ट मनखेमन धरमी के कपाट म झुकथें। \b \q1 \v 20 गरीब मनखे ला ओकर परोसीमन घलो छोंड़ देथें, \q2 पर धनी मनखे के बहुंत संगवारी होथें। \b \q1 \v 21 जऊन ह अपन परोसी ला तुछ समझथे, ओह पाप करथे, \q2 पर जऊन ह गरीब ऊपर दया करथे, ओह धइन ए। \b \q1 \v 22 का जऊन मन दुस्ट युक्ति करथें, ओमन अपन रसता ले नइं भटकंय? \q2 पर जऊन मन भलई के युक्ति करथें, ओमन ला मया मिलथे अऊ ओमन बिसवासयोग्य होथें। \b \q1 \v 23 कठिन मेहनत करे ले लाभ होथे, \q2 पर सिरिप बात करइया ह गरीब हो जाथे। \b \q1 \v 24 बुद्धिमान के धन ह ओकर मुकुट ए, \q2 पर मुरूख के मुरूखता ह मुरूखता ही लानथे। \b \q1 \v 25 एक सच्चा गवाह ह जिनगी बचाथे, \q2 पर एक लबरा गवाह ह धोखेबाज होथे। \b \q1 \v 26 जऊन ह यहोवा के भय मानथे, ओकर भरोसा ह मजबूत होथे, \q2 अऊ ओमन के लइकामन बर येह एक आसरय होही। \b \q1 \v 27 यहोवा के डर ह जिनगी के झरना ए, \q2 जऊन ह मनखे ला मिरतू के फांदा ले बचाथे। \b \q1 \v 28 मनखेमन के बहुंत संखिया ह राजा के महिमा अय, \q2 पर अधीन म रहइया मनखेमन के बिगर एक राजकुमार ह नास हो जाथे। \b \q1 \v 29 जऊन ह धीरज धरथे, ओह समझदार अय, \q2 पर जऊन ह तुरते गुस्सा होथे, ओह मुरूखता करथे। \b \q1 \v 30 मन म सांति ह देहें ला जिनगी देथे, \q2 पर मन म जलन रखई ह हाड़ा ला सढ़ा देथे। \b \q1 \v 31 जऊन ह गरीब ला सताथे, ओह ओकर बनानेवाला\f + \fr 14:31 \fr*\ft याने कि \ft*\fqa परमेसर सिरिस्टीकर्ता\fqa*\f* के अनादर करथे, \q2 पर जऊन ह गरीब ऊपर दया करथे, ओह परमेसर के आदर करथे। \b \q1 \v 32 जब बिपत्ति आथे, त दुस्टमन नास हो जाथें, \q2 पर मिरतू के बेरा घलो धरमी ला परमेसर म सरन मिलथे। \b \q1 \v 33 समझदार मनखे के मन म बुद्धि ह निवास करथे \q2 अऊ त अऊ मुरूखमन के बीच म घलो ओह अपनआप ला परगट करथे। \b \q1 \v 34 धरमीपन ले मनखे के जाति\f + \fr 14:34 \fr*\ft याने कि \ft*\fqa जाति के सम्मान\fqa*\f* के बढ़ती होथे, \q2 पर पाप ले कोनो भी मनखे\f + \fr 14:34 \fr*\ft या \ft*\fqa समाज\fqa*\f* के अपमान होथे। \b \q1 \v 35 राजा ह बुद्धिमान सेवक ले खुस होथे, \q2 पर लज्जा के काम करइया सेवक ह राजा के कोरोध ला बढ़ाथे। \b \c 15 \q1 \v 1 कोमल जबाब ह गुस्सा ला दूर करथे, \q2 पर करू बात ह गुस्सा ला बढ़ाथे। \b \q1 \v 2 बुद्धिमान के बात ह गियान ला बढ़ाथे, \q2 पर मुरूख के मुहूं ले मुरूखता के ही बात निकलथे। \b \q1 \v 3 यहोवा ह जम्मो कोति देखथे, \q2 दुस्ट अऊ बने दूनों मनखे ऊपर ओकर नजर लगे रहिथे। \b \q1 \v 4 सांति देवइया बात ह जिनगी के रूख ए, \q2 पर उल्टा-सीधा बात ले आतमा ह दुखी होथे। \b \q1 \v 5 मुरूख ह दाई-ददा के अनुसासन के तिरस्कार करथे, \q2 पर जऊन ह अनुसासन ला मानथे, ओह समझदारी देखाथे। \b \q1 \v 6 धरमी के घर म बड़े धन रहिथे, \q2 पर दुस्ट के कमई ह बिनास लाथे। \b \q1 \v 7 बुद्धिमान के मुहूं ले गियान बगरथे, \q2 पर मुरूखमन के मन ह सही नइं रहय। \b \q1 \v 8 यहोवा ह दुस्ट के बलिदान ले घिन करथे, \q2 पर ईमानदार मनखे के पराथना ले परमेसर ह खुस होथे। \b \q1 \v 9 यहोवा दुस्ट के काम ले घिन करथे, \q2 पर ओह ओमन ले मया करथे, जऊन मन धरमीपन के काम करथें। \b \q1 \v 10 जऊन ह सही रसता ला छोंड़ देथे, ओह कठोर अनुसासन के सामना करथे; \q2 जऊन ह अनुसासन ले घिन करथे, ओह मरही। \b \q1 \v 11 मिरतू अऊ बिनास यहोवा के आघू म खुले रहिथें— \q2 त मनखेमन के मन ला कोन पुछय! \b \q1 \v 12 ठट्ठा करइयामन डांट खाय ले खुस नइं होवंय, \q2 एकरसेति ओमन बुद्धिमान मनखे ले अलग रहिथें। \b \q1 \v 13 मन ह खुस रहे ले चेहरा ह घलो खुस दिखथे, \q2 पर दुखित मन ह आतमा ला निरास करथे। \b \q1 \v 14 समझदार मनखे ह गियान के खोज म रहिथे, \q2 पर मुरूख मनखे ह मुरूखता के बात करथे। \b \q1 \v 15 दुखी मनखे के जम्मो दिनमन दुख ले भरे रहिथें, \q2 पर जेकर मन ह खुस रहिथे, ओकर बर जम्मो दिन भोज खाय सहीं अय। \b \q1 \v 16 यहोवा के भय के संग थोरकन धन होवई ह \q2 समस्या के संग बहुंत धन होवई ले बने अय। \b \q1 \v 17 मया के घर म थोरकन साग-भाजी के जेवन करई \q2 बईरता वाले घर म मोटा-ताजा पसु के मांस खवई ले बने अय। \b \q1 \v 18 तुरते गुस्सा होवइया मनखे ह झगरा करथे, \q2 पर धीरज वाले मनखे ह झगरा ला सांत करथे। \b \q1 \v 19 आलसी मनखे के रसता ह कांटा ले रूंधे रहिथे, \q2 पर सीधा मनखे के रसता ह सुघर सड़क सहीं होथे। \b \q1 \v 20 बुद्धिमान बेटा ले ददा ह आनंदित होथे, \q2 पर मुरूख मनखे ह अपन दाई ला तुछ समझथे। \b \q1 \v 21 मुरूख ला मुरूखता के बात ले आनंद होथे, \q2 पर समझदार मनखे ह सीधा चाल चलथे। \b \q1 \v 22 बिगर सलाह के योजना ह सफल नइं होवय, \q2 पर बहुंत सलाहकारमन के मदद ले ओमन सफल होथें। \b \q1 \v 23 सही उत्तर देय म मनखे ला आनंद मिलथे— \q2 अऊ सही समय म कहे गे बात ह बने होथे। \b \q1 \v 24 बुद्धिमान बर जिनगी के रसता ह ऊपर कोति जाथे, \q2 अऊ ओला खाल्हे मिरतू के राज म जाय ले बचाथे। \b \q1 \v 25 यहोवा ह घमंडी के घर ला गिरा देथे, \q2 पर ओह बिधवा के सीमना ला सही-सलामत रखथे। \b \q1 \v 26 यहोवा ह दुस्ट के सोच-बिचार ले घिन करथे, \q2 पर ओकर नजर म अनुग्रह के बचनमन सुखद होथें। \b \q1 \v 27 लालची मनखेमन अपन परिवार के नास करथें, \q2 पर जऊन ह घूसखोरी ले घिन करथे, ओह जीयत रहिही। \b \q1 \v 28 धरमी ह अपन मन म सोच-बिचार करके जबाब देथे, \q2 पर दुस्ट के मुहूं ले बुरई के बात ही निकलथे। \b \q1 \v 29 यहोवा ह दुस्ट मनखे ले दूरिहा रहिथे, \q2 पर ओह धरमी के पराथना ला सुनथे। \b \q1 \v 30 संदेसिया के आंखी म चमक ह मन ला आनंदित करथे, \q2 अऊ सुघर संदेस ले हाड़ामन मजबूत होथें। \b \q1 \v 31 जऊन ह जिनगी देवइया ताड़ना ऊपर धियान देथे, \q2 ओह बुद्धिमानमन के बीच म निवास करथे। \b \q1 \v 32 जऊन मन अनुसासन ला नइं मानंय, ओमन अपनआप ला तुछ समझथें, \q2 पर जऊन ह अनुसासन ऊपर धियान देथे, ओह समझ के बात ला पाथे। \b \q1 \v 33 बुद्धि के निरदेस ह यहोवा के भय मानना ए, \q2 अऊ आदर के पहिली नमरता आथे। \b \c 16 \q1 \v 1 मनखे ह अपन मन के योजना के बस म रहिथे, \q2 पर मुहूं के सही जबाब यहोवा करा ले आथे। \b \q1 \v 2 मनखे के जम्मो चालचलन ओकर नजर म सही जान पड़थे, \q2 पर मन के उदेस्य ला यहोवा ह जांचथे। \b \q1 \v 3 अपन जम्मो काम ला यहोवा ला सऊंप दव, \q2 अऊ ओह तुम्हर योजना ला स्थापित करही। \b \q1 \v 4 यहोवा ह जम्मो काम एक उदेस्य के संग करथे— \q2 इहां तक कि दुस्ट ला बिपत्ति के दिन बर रखथे। \b \q1 \v 5 यहोवा ह मन के जम्मो घमंड के बात ले घिन करथे। \q2 ये बात निस्चित ए: ओमन दंड पाय बिगर नइं बचंय। \b \q1 \v 6 मया अऊ बिसवासयोग्यता के दुवारा पाप के पछताप होथे; \q2 यहोवा के भय माने के दुवारा बुरई ले बचे जाथे। \b \q1 \v 7 जब यहोवा ह काकरो काम ले खुस होथे, \q2 त ओह ओकर बईरीमन के घलो ओकर ले मेल-मिलाप कराथे। \b \q1 \v 8 अनियाय करके बहुंत कमाय ले \q2 धरमीपन के दुवारा थोरकन कमई ह बने अय। \b \q1 \v 9 मनखेमन अपन मन म अपन जिनगी जीये के योजना बनाथें, \q2 पर यहोवा ह ओमन के जिनगी के कदम ला इस्थिर करथे। \b \q1 \v 10 राजा के मुहूं ले गियान के बात निकलथे, \q2 अऊ ओह अनियाय के बात नइं करय। \b \q1 \v 11 ईमानदारी के नाप अऊ तराजू यहोवा के अय; \q2 थैली के जम्मो वजन ओकर दुवारा बनाय गे हवंय। \b \q1 \v 12 राजामन गलत काम ले घिन करथें, \q2 काबरकि सिंघासन ह धरमीपन के जरिये इस्थिर रहिथे। \b \q1 \v 13 राजामन ईमानदारी के बात म खुस होथें; \q2 ओमन ओकर बात ऊपर धियान देथें, जऊन ह सही बात गोठियाथे। \b \q1 \v 14 राजा के गुस्सा ह मिरतू के दूत के सहीं अय, \q2 पर बुद्धिमान मनखे ह ओला मना लेथे। \b \q1 \v 15 जब राजा के चेहरा ह खुस दिखथे, येकर मतलब जिनगी अय; \q2 ओकर किरपा बसन्त समय के बारिस के बादर सहीं अय। \b \q1 \v 16 बुद्धि ला पाना सोन के पाय ले जादा बने अय, \q2 अऊ समझ के बात ला जानना, चांदी के पाय ले जादा बने अय। \b \q1 \v 17 ईमानदार मनखे के रसता ह बुरई ले दूरिहा रहिथे; \q2 जऊन मन अपन चालचलन ऊपर धियान देथें, ओमन अपन परान ला बचाथें। \b \q1 \v 18 बिनास के पहिली घमंड, \q2 अऊ ठोकर खाय के पहिली जिद्दी सुभाव आथे। \b \q1 \v 19 घमंडी मनखेमन संग लूट के बांटा लेय के बदले \q2 दुखी मनखेमन के संग नरम सुभाव से रहई बने अय। \b \q1 \v 20 जऊन ह निरदेस ऊपर धियान देथे, ओह बढ़थे,\f + \fr 16:20 \fr*\ft या \ft*\fqa जऊन ह समझदारी के बात करथे, ओला बने चीज मिलथे\fqa*\f* \q2 अऊ जऊन ह यहोवा ऊपर भरोसा रखथे, ओह आसीसित होथे। \b \q1 \v 21 जेकर हिरदय म बुद्धि हवय, ओला समझदार मनखे कहे जाथे, \q2 अऊ मधुर बचन ह मनखेमन ले बात मनवाथे। \b \q1 \v 22 समझदार मनखे बर समझदारी ह जिनगी के झरना ए, \q2 पर मुरूखता ह मुरूख मनखेमन बर दंड लाथे। \b \q1 \v 23 बुद्धिमान के मन ह ओकर बात ला समझदार बनाथे, \q2 अऊ ओमन के बात ला मनखेमन मानथें। \b \q1 \v 24 गुरतूर बोली ह मधुमक्खी के छत्ता सहीं अय, \q2 जऊन ह मन ला सांति अऊ देहें के हाड़ामन ला मजबूत करथे। \b \q1 \v 25 एक डहार हवय, जऊन ह मनखे ला सही जान पड़थे, \q2 पर आखिर म येह मिरतू करा ले जाथे। \b \q1 \v 26 मेहनती मनखेमन के लालसा ओमन बर काम करथे; \q2 ओमन के भूख ह ओमन ला उभारथे। \b \q1 \v 27 दुस्ट मनखे ह बुरई करे के बात सोचथे, \q2 अऊ ओकर बात ह झुलसा देवई आगी सहीं होथे। \b \q1 \v 28 जिद्दी मनखे ह झगरा ला बढ़ाथे, \q2 अऊ कानाफूसी करई या अफवाह फईलई ह नजदीकी संगीमन के बीच फूट डाल देथे। \b \q1 \v 29 हिंसक मनखे ह अपन परोसी ला बहकाथे \q2 अऊ ओला बुरई के रसता म ले चलथे। \b \q1 \v 30 जऊन ह बार-बार आंखी के पलक झपकाथे, ओह सडयंत्र रचथे; \q2 जऊन ह ओंठ दबाथे, ओह बुरई करथे। \b \q1 \v 31 पाके चुंदी ह सोभा देवइया मुकुट सहीं अय; \q2 येह धरमीपन के रसता म चले के दुवारा मिलथे। \b \q1 \v 32 धीरजवाला मनखे ह एक योद्धा ले बने होथे, \q2 अऊ मन ला बस म रखई ह सहर ला जीत लेवई ले उत्तम अय। \b \q1 \v 33 परची ह कोरा म डाले जाथे, \q2 पर येकर हर एक निरनय ह यहोवा कोति ले होथे। \b \c 17 \q1 \v 1 सुख अऊ सांति के संग रोटी के एक कुटा खवई ह \q2 ओ घर ले बने अय, जिहां जेवनार के संग झगरा होथे। \b \q1 \v 2 बुद्धिमान सेवक ह कलंक लानेवाला बेटा ऊपर राज करही \q2 अऊ परिवार के एक झन सहीं पुरखामन के संपत्ति म बांटा पाही। \b \q1 \v 3 चांदी ला परखे बर कुठाली अऊ सोन ला परखे बर भट्ठी होथे, \q2 पर मन ला यहोवा परखथे। \b \q1 \v 4 दुस्ट मनखे ह धोखा देवइया के बात ला सुनथे; \q2 लबरा मनखे ह नुकसान करइया मनखे के बात ऊपर धियान देथे। \b \q1 \v 5 जऊन ह गरीब के हंसी उड़ाथे, ओह ओकर बनानेवाला के अपमान करथे; \q2 जऊन ह काकरो बिपत्ति ऊपर हंसथे, ओह सजा पाही। \b \q1 \v 6 डोकरा-डोकरीमन के सोभा ओमन के नाती-पोता अंय, \q2 अऊ लइकामन के घमंड ओमन के दाई-ददा अंय। \b \q1 \v 7 भक्तिहीन मुरूख के मुहूं ले उत्तम बात ह नइं फबे— \q2 येकर ले घलो खराप बात ये अय कि सासन करइया ला लबरा बात नइं फबे। \b \q1 \v 8 घूस देवई ह देवइया के नजर म कोनो ला मोहित करे सहीं अय; \q2 ओह सोचथे कि ओला हर जगह सफलता मिलही। \b \q1 \v 9 जऊन ह मया ला बढ़ाथे, ओह अपराध ला भुलाथे, \q2 पर जऊन ह बात ला दोहराथे, ओह नजदीकी संगीमन के बीच फूट डाल देथे। \b \q1 \v 10 एक डांट ह समझदार मनखे ऊपर जतेक परभाव डालथे \q2 एक मुरूख ला सौ कोड़ा मारना घलो ओतेक परभाव नइं डालय। \b \q1 \v 11 दुस्ट मनखेमन परमेसर के बिरोध म बिदरोह ला बढ़ाथें; \q2 एकरसेति मिरतू के दूत ला ओमन के बिरूध पठोय जाही। \b \q1 \v 12 लइका ले बिछड़े कोनो माई भालू ले भेंट होवई ह जादा बने अय, \q2 येकर बदले कि मुरूखता ले भरे कोनो मुरूख ले मिलई। \b \q1 \v 13 जऊन ह भलई के बदले बुरई करथे, \q2 ओकर घर ले बुरई ह कभू नइं जावय। \b \q1 \v 14 झगरा सुरू करई ह पानी के बांध म छेद करे सहीं अय; \q2 एकरसेति झगरा बढ़े के पहिली ओ बात ला छोंड़ दव। \b \q1 \v 15 दोसी ला छोंड़ देवई अऊ निरदोस ला दोसी ठहिरई— \q2 ये दूनों बात ले यहोवा ह बहुंत घिन करथे। \b \q1 \v 16 बुद्धि बिसाय बर मुरूखमन के हांथ म काबर पईसा होवय, \q2 जब ओमन येला नइं समझंय? \b \q1 \v 17 संगवारी ह हर समय मया करथे, \q2 अऊ एक भाई ह बिपत्ति के बेरा म काम आथे। \b \q1 \v 18 जेकर करा बुद्धि नइं ए, ओह सामान ला गिरवी रख देथे \q2 अऊ परोसी के जमानत लेथे। \b \q1 \v 19 जऊन ह झगरा ले मया करथे, ओह पाप ले मया करथे; \q2 जऊन ह ऊंचहा कपाट बनाथे, ओह बिनास ला नेवता देथे। \b \q1 \v 20 जेकर मन ह टेढ़ा हे, ओह उन्नति नइं करय; \q2 अऊ गलत बात करइया ह समस्या म पड़थे। \b \q1 \v 21 मुरूख लइका के होवई ह दुख के कारन होथे; \q2 भक्तिहीन मुरूख के दाई या ददा ला आनंद नइं मिलय। \b \q1 \v 22 खुसी ले भरे मन ह बढ़िया दवाई ए, \q2 पर टूटे मन ह हाड़ा ला सूखा देथे। \b \q1 \v 23 दुस्ट मनखे ह नियाय ला बिगाड़े बर \q2 गुपत म घूस लेथे। \b \q1 \v 24 समझदार मनखे ह बुद्धि ला धियान म रखथे, \q2 पर मुरूख मनखे के आंखी ह धरती के छोर तक भटकत रहिथे। \b \q1 \v 25 मुरूख बेटा ले ओकर ददा ह दुखी होथे \q2 अऊ ओकर जनम देवइया दाई ला तकलीफ होथे। \b \q1 \v 26 निरदोस ऊपर जुरबाना लगई बने नो हय, \q2 अऊ खचित ईमानदार करमचारी ला कोर्रा म पीटवाना सही नो हय। \b \q1 \v 27 जेकर करा गियान होथे, ओह संभलके गोठियाथे, \q2 अऊ जेकर करा समझ होथे, ओह सांत सुभाव के होथे। \b \q1 \v 28 अऊ त अऊ यदि मुरूखमन सांत रहंय, त ओमन बुद्धिमान समझे जाथें, \q2 अऊ यदि ओमन चुप रहंय, त समझदार समझे जाथें। \b \c 18 \q1 \v 1 जऊन ह अपनआप ला आने मन ले अलग कर लेथे, ओह अपन खुद के ईछा पूरा करे बर अइसने करथे \q2 अऊ जम्मो सही नियाय के बिरूध झगरा सुरू करथे। \b \q1 \v 2 मुरूख के मन ह समझ के बात म नइं लगय \q2 पर ओला अपन खुद के बात कहे म खुसी मिलथे। \b \q1 \v 3 जब दुस्टता आथे, त अपमान घलो आथे, \q2 अऊ लज्जा के संग कलंक आथे। \b \q1 \v 4 मुहूं के बचन ह गहिरा पानी सहीं अय, \q2 पर बुद्धि के झरना ह तेज बहत नरवा के सहीं अय। \b \q1 \v 5 दुस्ट ला बचई \q2 अऊ निरदोस के नियाय बिगड़ई बने नो हय। \b \q1 \v 6 मुरूखमन के गोठ ह ओमन ला झगरा म डालथे, \q2 अऊ ओमन के बात ह ओमन ला मार खाय के लईक बनाथे। \b \q1 \v 7 मुरूखमन के बिनास ओमन के बात ले होथे, \q2 अऊ ओमन के गोठ ह ओमन के खुद के जिनगी के फांदा बन जाथे। \b \q1 \v 8 बकवास करई ह सुवादवाले जेवन सहीं होथे; \q2 येमन मनखे के भीतर तक चले जाथें। \b \q1 \v 9 जऊन ह अपन काम म ढीला होथे, \q2 ओह नास करइया के भाई होथे। \b \q1 \v 10 यहोवा के नांव ह गढ़वाला महल ए; \q2 धरमी जन उहां भागके जाथें अऊ सुरकछित रहिथें। \b \q1 \v 11 धनवानमन के धन ह ओमन के गढ़वाला सहर होथे; \q2 ओमन के कल्पना म येह नाप के बाहिर बहुंत ऊंच दीवार ए। \b \q1 \v 12 नास होय के पहिली मनखे के मन ह घमंडी हो जाथे, \q2 पर आदर पाय के पहिली ओमा नमरता आथे। \b \q1 \v 13 जऊन ह बात ला सुने के पहिली जबाब देथे, \q2 ओह मुरूख होथे अऊ ओकर बेजत्ती होथे। \b \q1 \v 14 मनखे के आतमा ह बेमारी ला सह सकथे, \q2 पर टूटे मन ला कोन सह सकथे? \b \q1 \v 15 समझदार मनखे के मन ह गियान पाथे, \q2 काबरकि बुद्धिमान ह गियान के बात ला खोज लेथे। \b \q1 \v 16 उपहार ह मनखे बर रसता खोलथे \q2 अऊ देवइया ला बड़े मनखेमन करा पहुंचाथे। \b \q1 \v 17 अदालत के मामला म जऊन ह पहिली बोलथे, ओह सही जान पड़थे, \q2 जब तक कि दूसर ह आके ओकर बात ला जांच नइं लेथे। \b \q1 \v 18 परची डारे ले झगरा के निपटारा होथे \q2 अऊ बलवाले बिरोधीमन ला अलग रखथे। \b \q1 \v 19 गलती करे भाई ला मनाई ह एक गढ़वाले सहर ला जीत लेवई ले कठिन ए; \q2 झगरा ह महल के छड़ लगे दुवार के सहीं अय। \b \q1 \v 20 मनखे के पेट ह ओकर मुहूं के बात ले भरथे; \q2 अपन मुहूं के बने बात के दुवारा ओकर मन ला संतोस मिलथे। \b \q1 \v 21 मनखे के गोठ म जिनगी अऊ मिरतू के ताकत होथे, \q2 अऊ जऊन मन येकर ले मया करथें, ओमन येकर फर खाहीं। \b \q1 \v 22 जऊन ह माईलोगन ले बिहाव करथे, ओह बने चीज पाथे \q2 अऊ यहोवा के अनुग्रह ओकर ऊपर होथे। \b \q1 \v 23 गरीब ह दया पाय बर बिनती करथे, \q2 पर धनी मनखे कठोरता से जबाब देथे। \b \q1 \v 24 जेकर संगीमन भरोसा के लईक नो हंय, ओह जल्दी नास हो जाथे, \q2 पर अइसे घलो संगी होथे, जऊन ह भाई ले घलो जादा नजदीक होथे। \b \c 19 \q1 \v 1 जऊन गरीब के चालचलन ह सही रहिथे \q2 ओह ओ मुरूख ले बने अय, जऊन ह उल्टा-सीधा बात कहिथे। \b \q1 \v 2 बिगर गियान के ईछा करई ह बने नो हय— \q2 जऊन ह उतावली करथे, ओह रसता ले भटक जाथे। \b \q1 \v 3 मनखे ला ओकर मुरूखता ह बिनास कोति ले जाथे, \q2 तभो ले ओकर मन ह यहोवा ऊपर गुस्सा करथे। \b \q1 \v 4 धनी मनखे के बहुंत संगी बन जाथें, \q2 पर गरीब मनखे के खास संगी घलो ओला छोंड़ देथे। \b \q1 \v 5 लबरा गवाह ह दंड पाही, \q2 अऊ जऊन ह लबारी ऊपर लबारी मारथे, ओह बच नइं सकय। \b \q1 \v 6 नाना किसम के भोजन ले सासन करइया ह खुस होथे, \q2 अऊ जऊन ह उपहार देथे, ओकर हर मनखे ह संगी बन जाथे। \b \q1 \v 7 गरीब मनखे ला ओकर जम्मो रिस्तेदार नापसंद करथें, \q2 अऊ ओकर संगीमन घलो ओला छोंड़ देथें। \q1 हालाकि गरीब ह बिनती करत ओमन के पीछा करथे, \q2 पर ओमन कहीं नइं मिलंय। \b \q1 \v 8 जऊन ह बुद्धि पाथे, ओह जिनगी ले मया करथे; \q2 जऊन ह समझ के बात करथे, ओह जल्दी बढ़थे। \b \q1 \v 9 लबरा गवाह ह दंड पाही, \q2 अऊ जऊन ह लबारी ऊपर लबारी मारथे, ओह नास होही। \b \q1 \v 10 मुरूख मनखे ला सुबिधा के जिनगी जीना नइं फबे— \q2 वइसे ही एक गुलाम के हाकिममन ऊपर राज करई ह अऊ भी नइं फबे। \b \q1 \v 11 मनखे के बुद्धि ले धीरज आथे; \q2 अऊ दूसर के गलती ला धियान नइं देवई ओकर सोभा होथे। \b \q1 \v 12 राजा के गुस्सा ह सिंह के गरजन सहीं होथे, \q2 पर ओकर किरपा ह कांदी ऊपर ओस के सहीं होथे। \b \q1 \v 13 मुरूख लइका ह अपन ददा के बिनास के कारन होथे, \q2 अऊ झगरा करइया घरवाली ह \q2 लगातार छानी ले चूहत पानी सहीं अय। \b \q1 \v 14 घर अऊ संपत्ति दाई-ददा ले उत्तराधिकार म मिलथे, \q2 पर एक बुद्धिमान घरवाली यहोवा करा ले मिलथे। \b \q1 \v 15 आलसीपन ले भारी नींद आथे, \q2 अऊ साधनहीन मनखे ह भूखा रहिथे। \b \q1 \v 16 जऊन ह हुकूम ला मानथे, ओह अपन जिनगी ला बचाथे, \q2 पर जऊन ह अपन चालचलन के अपमान करथे, ओह मरही। \b \q1 \v 17 जऊन ह गरीब ऊपर दया करथे, ओह यहोवा ला उधार देथे, \q2 अऊ यहोवा ह ओला ओकर काम के ईनाम दीही। \b \q1 \v 18 अपन लइकामन के ताड़ना कर, काबरकि येमा आसा हवय; \q2 अपन मन म ओमन ला मार डारे के निरनय झन कर। \b \q1 \v 19 जऊन ह बहुंत गुस्सावाला ए, ओह जरूर दंड पावय; \q2 काबरकि यदि तेंह ओला बचाथस, त ओला फेर बचाना पड़ही। \b \q1 \v 20 सलाह ला मान अऊ ताड़ना ला गरहन कर, \q2 अऊ आखिरी म तोर गनती बुद्धिमानमन के संग होही। \b \q1 \v 21 मनखे ह अपन मन म बहुंत योजना बनाथे, \q2 पर येह सिरिप यहोवा के ही उदेस्य अय, जऊन ह पूरा होथे। \b \q1 \v 22 मनखे ह जेकर ईछा करथे, ओह अटूट मया ए; \q2 गरीब मनखे ह एक लबरा मनखे ले जादा बने अय। \b \q1 \v 23 यहोवा के भय मनई ह जिनगी के तरफ ले जाथे; \q2 तब ओकर भय माननेवाला सुखी रहिथे अऊ ओकर ऊपर समस्या नइं आवय। \b \q1 \v 24 आलसी मनखे ह अपन हांथ जेवन के थाली म तो डालथे; \q2 पर ओह हांथ के कऊंरा ला मुहूं तक नइं लानय। \b \q1 \v 25 ठट्ठा करइया ला कोर्रा म मार, अऊ सीधा मनखे ह समझदारी के बात सीखही; \q2 समझदार मनखे ला डांट, अऊ ओह गियान पाही। \b \q1 \v 26 जऊन ह अपन ददा ला लूटथे अऊ अपन दाई ला निकाल देथे, \q2 ओह ओ लइका अय, जऊन ह लज्जा अऊ कलंक लानथे। \b \q1 \v 27 हे मोर बेटा, यदि तें सिकछा के बात सुने बर बंद कर देबे, \q2 त तेंह गियान के बात ले भटक जाबे। \b \q1 \v 28 भ्रस्ट गवाह ह नियाय ला ठट्ठा म उड़ाथे, \q2 अऊ दुस्ट के मुहूं ह बुरई के समरथन करथे। \b \q1 \v 29 ठट्ठा करइयामन ला दंड मिलथे, \q2 अऊ मुरूखमन के पीठ म मार पड़थे। \b \c 20 \q1 \v 1 अंगूर के मंद ह ठट्ठा करवाथे अऊ आने मंद ह झगरा करवाथे; \q2 जऊन ह येमन ला पीके बहकथे, ओह बुद्धिमान नो हय। \b \q1 \v 2 एक राजा के गुस्सा ह सेर के गरजन सहीं भय पईदा करथे; \q2 जऊन मन राजा ऊपर गुस्सा करथें, ओमन अपन परान गंवाथें। \b \q1 \v 3 जऊन ह झगरा करे ले बचथे, येह ओकर बर आदर के बात अय, \q2 पर जम्मो मुरूख मनखेमन तुरते झगरा करथें। \b \q1 \v 4 आलसी मनखेमन समय म खेत नइं जोतंय; \q2 एकरसेति कटनी के बेरा म ओमन खोजथें, पर ओमन ला कुछू नइं मिलय। \b \q1 \v 5 मनखे के मन के उदेस्य ह गहिरा पानी के सहीं अय, \q2 पर समझदार मनखे ओला बाहिर निकाल लेथे। \b \q1 \v 6 बहुंते जन सही मया करे के दावा करथें, \q2 पर एक बिसवासयोग्य मनखे कोन पा सकथे? \b \q1 \v 7 धरमी जन निरदोस जिनगी जीथें; \q2 ओमन के पाछू ओमन के लइकामन आसीसित होथें। \b \q1 \v 8 जब राजा ह नियाय करे बर अपन सिंघासन म बईठथे, \q2 त ओह अपन नजर ले पछरके जम्मो बुरई ला तुरते जान लेथे। \b \q1 \v 9 कोन ह कह सकथे, “मेंह अपन हिरदय ला सुध करे हंव; \q2 मेंह साफ अऊ बिगर पाप के हंव?” \b \q1 \v 10 गलत वजन अऊ गलत नाप— \q2 ये दूनों ले यहोवा घिन करथे। \b \q1 \v 11 छोटे लइकामन घलो अपन काम के दुवारा जाने जाथें, \q2 कि ओमन के चालचलन ह सुध अऊ ठीक हवय कि नइं? \b \q1 \v 12 सुने बर कान अऊ देखे बर आंखी— \q2 ये दूनों ला यहोवा ह बनाय हवय। \b \q1 \v 13 नींद ले मया झन कर, नइं तो गरीब हो जाबे; \q2 जागत रह, त तोर करा खाय बर बहुंत जेवन होही। \b \q1 \v 14 बिसात बेरा बिसइया ह कहिथे, “येह बने नो हय, येह बने नो हय!” \q2 पर जब ओह चले जाथे, तब ओह ओ सामान के बड़ई करे लगथे। \b \q1 \v 15 सोन अऊ बहुंत मंहगी रत्न तो हवंय \q2 पर गियान के बात कहइया मुहूं ह दुरलभ गहना होथे। \b \q1 \v 16 ओ मनखे के कपड़ा ला लेय ले, जऊन ह कोनो अजनबी के जिम्मेदारी लेथे; \q2 यदि ये काम कोनो बाहिरी मनखे बर करे जाथे, त ओ कपड़ा ला गिरवी के रूप म रख। \b \q1 \v 17 बेईमानी करके कमाय जेवन ह मनखे ला मीठ लगथे, \q2 पर आखिरी म, ओकर मुहूं ह गोटी ले भर जाथे। \b \q1 \v 18 सलाह लेय के दुवारा योजना ह सफल होथे; \q2 एकरसेति यदि तें लड़ई म जाथस, त सलाह लेय कर। \b \q1 \v 19 बकवास करे ले भरोसा ह टूटथे; \q2 एकरसेति ओकर ले बचके रह, जऊन ह बहुंत जादा गोठियाथे। \b \q1 \v 20 यदि कोनो अपन दाई या ददा ला सराप देथे, \q2 त घोर अंधियार म ओकर दीया ह बुता जाही। \b \q1 \v 21 जऊन ह अपन उत्तराधिकार ला जल्दबाजी म ले लेथे \q2 ओह आखिरी म आसीस नइं पावय। \b \q1 \v 22 अइसे झन कह, “मेंह तोर ये बुरई के बदला लूहूं!” \q2 यहोवा के बाट जोह, अऊ ओह तोर बर बदला लीही। \b \q1 \v 23 यहोवा ह गलत वजन ले घिन करथे, \q2 अऊ बेईमानी के नाप ले ओह खुस नइं होवय। \b \q1 \v 24 मनखे के पांव ला यहोवा ह रसता देखाथे। \q2 तब कोनो मनखे अपन रसता ला कइसे समझ सकथे? \b \q1 \v 25 जऊन ह बिगर सोचे-बिचारे कोनो चीज ला समरपित करथे \q2 अऊ पाछू अपन मन्नत के बारे म बिचार करथे, ओह फांदा म फंसथे। \b \q1 \v 26 बुद्धिमान राजा ह दुस्टमन ला पछरके निकालथे, \q2 अऊ ओमन ऊपर दंवरी के चक्का चलाथे। \b \q1 \v 27 मनखे के आतमा ह\f + \fr 20:27 \fr*\ft या \ft*\fqa मनखे के बचन ह\fqa*\f* यहोवा के दीया ए \q2 जऊन ह मनखे के अंतस के बात ला देखाथे। \b \q1 \v 28 मया अऊ सच्चई राजा ला बनाय रखथे; \q2 मया के जरिये ओकर सिंघासन ह सुरकछित रहिथे। \b \q1 \v 29 जवानमन के गौरव ओमन के ताकत ए, \q2 पर सियानमन के सोभा ओमन के पाके चुंदी ए। \b \q1 \v 30 मुक्का अऊ चोट खाय ले बुरई ह दूर होथे, \q2 अऊ मार खाय ले अंतस ह सुध होथे। \b \c 21 \q1 \v 1 यहोवा के हांथ म राजा के मन ह पानी के नरवा सहीं अय \q2 जऊन ला ओह ओ जम्मो मनखे कोति मोड़ देथे, जेमन ले ओह खुस होथे। \b \q1 \v 2 मनखे ह सोचथे कि ओकर खुद के चालचलन ह सही अय, \q2 पर यहोवा ह मनखे के मन ला जांचथे। \b \q1 \v 3 सही अऊ नियाय के काम करई ह \q2 यहोवा ला बलिदान ले जादा बने लगथे। \b \q1 \v 4 घमंड ले चढ़े आंखी अऊ घमंडीमन— \q2 अऊ दुस्ट मनखे के बिगर जोते खेत—ये तीनों ले पाप होथे। \b \q1 \v 5 मेहनती मनखे के योजना ले लाभ होथे \q2 पर जल्दबाजी करइया ह गरीब हो जाथे। \b \q1 \v 6 लबारी मारके कमाय गे धन ह \q2 तुरते उड़ जानेवाला भाप अऊ मिरतू के फांदा सहीं अय। \b \q1 \v 7 दुस्टमन के हिंसक काम ह ओमन ला नास कर दीही, \q2 काबरकि ओमन सही काम करे बर नइं चाहंय। \b \q1 \v 8 दोसी मनखे के काम ह टेढ़ा होथे, \q2 पर निरदोस मनखे के आचरन ह सीधा होथे। \b \q1 \v 9 झगड़ालू घरवाली के संग घर म रहई के बदले \q2 छानी के कोनटा म रहई ह बने अय। \b \q1 \v 10 दुस्ट मनखेमन बुरई करे के लालसा करथें; \q2 ओमन अपन परोसी ऊपर कोनो दया नइं करंय। \b \q1 \v 11 जब ठट्ठा करइया ला दंड मिलथे, त सधारन मनखे ह बुद्धि पाथे; \q2 बुद्धिमान मनखे के बात ला सुनके ओमन गियान पाथें। \b \q1 \v 12 धरमी जन ह दुस्ट मनखे के घर ऊपर नजर रखथे \q2 अऊ ओला बिनास म पहुंचा देथे। \b \q1 \v 13 जऊन ह गरीब के गोहार ला नइं सुनय, \q2 ओह खुद घलो गोहार पारही, पर ओकर कोनो जबाब नइं मिलही। \b \q1 \v 14 गुपत म दिये गे भेंट ले गुस्सा ह सांत होथे, \q2 अऊ छुपाके दिये गे घूस ह भयंकर गुस्सा ला घलो सांत करथे। \b \q1 \v 15 जब नियाय मिलथे, त येकर से धरमी ह आनंदित होथे \q2 पर दुस्टमन ऊपर आतंक छा जाथे। \b \q1 \v 16 जऊन ह समझदारी के रसता ले भटक जाथे, \q2 ओह मरे मनखेमन के संग ठिकाना पाथे। \b \q1 \v 17 जऊन ह मऊज-मस्ती ले मया करथे, ओह गरीब हो जाही; \q2 जऊन ह अंगूर के मंद अऊ जैतून तेल ले मया करथे, ओह कभू धनी नइं होवय। \b \q1 \v 18 दुस्ट मनखे ह धरमी जन बर छुड़ौती ठहिरथे, \q2 अऊ बिसवासघाती ह ईमानदार मनखे बर छुड़ौती होथे। \b \q1 \v 19 झगरा करइया अऊ चिढ़ देवइया घरवाली के संग रहे के बदले \q2 सुनसान जगह म रहई ह बने ए। \b \q1 \v 20 बुद्धिमान मनखे ह मनभावन जेवन अऊ जैतून तेल जमा करथे, \q2 पर मुरूख मनखे ह ओमन ला गटागट खा जाथे। \b \q1 \v 21 जऊन ह धरमीपन अऊ मया करे म लगे रहिथे, \q2 ओह जिनगी, धन\f + \fr 21:21 \fr*\ft या \ft*\fqa धरमीपन\fqa*\f* अऊ आदर पाथे। \b \q1 \v 22 बुद्धिमान मनखे ह सूरबीरमन के सहर म चढ़ई करके \q2 ओमन के गढ़ ला गिरा सकथे, जेमा ओमन भरोसा करथें। \b \q1 \v 23 जऊन मन अपन मुहूं अऊ जीभ ला बस म रखथें, \q2 ओमन अपनआप ला बिपत्ति ले बचाथें। \b \q1 \v 24 घमंडी अऊ जिद्दी मनखे ला “ठट्ठा करइया” कहिथें— \q2 ओकर बरताव ह घमंड अऊ गुस्सा ले भरे रहिथे। \b \q1 \v 25 आलसी मनखे के ईछा ह ओला मार डालथे, \q2 काबरकि ओकर हांथमन काम करे बर नइं चाहंय। \q1 \v 26 दिन भर ओह ईछा करते रहिथे, \q2 पर धरमी मनखे ह अपन बर बिगर रखे दे देथे। \b \q1 \v 27 दुस्ट के बलिदान ह घिन के चीज होथे— \q2 त ओह अऊ कतेक घिन के लईक होही, जब ओह बुरई करे के ईछा से लाथे! \b \q1 \v 28 लबरा गवाह ह नास होही, \q2 पर धियान से सुनइया ह सही गवाही दीही। \b \q1 \v 29 दुस्ट मनखे के मुहूं ह कठोर होथे, \q2 पर सीधवा मनखे ह अपन चालचलन ऊपर बिचार करथे। \b \q1 \v 30 अइसे कोनो बुद्धि, समझ या योजना नइं ए, \q2 जऊन ह यहोवा के बिरोध म सफल होवय। \b \q1 \v 31 लड़ई के दिन बर घोड़ा ला तो तियार करे जाथे, \q2 पर जीत यहोवा के दुवारा ही मिलथे। \b \c 22 \q1 \v 1 बहुंत संपत्ति होवई ले बने नांव होवई ह उत्तम ए; \q2 अऊ सोन-चांदी ले आदरमान पाना जादा बने ए। \b \q1 \v 2 धनी अऊ गरीब म समान्य बात ये अय: \q2 यहोवा ह दूनों ला बनाय हवय। \b \q1 \v 3 समझदार मनखे खतरा ला देखके सरन ले लेथे, \q2 पर सीधा-साधा मनखे ह चलते रहिथे अऊ हानि उठाथे। \b \q1 \v 4 नमरता ह यहोवा के भय ए; \q2 येकर मजदूरी धन, आदर अऊ जिनगी होथे। \b \q1 \v 5 दुस्टमन के रसता म फांदा अऊ संकट होथे, \q2 पर जऊन मन अपन परान के रकछा करथें, ओमन येमन ले दूरिहा रहिथें। \b \q1 \v 6 लइकामन ला ओ बात के सिकछा दव, जेमा ओमन ला चलना चाही, \q2 त बुढ़त काल म घलो ओ रसता ले नइं हटहीं। \b \q1 \v 7 धनी मनखे ह गरीब मनखे ऊपर राज करथे, \q2 अऊ उधार लेवइया ह उधार देवइया के गुलाम होथे। \b \q1 \v 8 जऊन ह अनियाय करथे, ओकर ऊपर बिपत्ति आथे, \q2 अऊ जऊन लउठी के उपयोग ओह कोरोध म करथे, ओह टोरे जाही। \b \q1 \v 9 उदार मनखे ह आसीस पाही, \q2 काबरकि ओह गरीबमन ला अपन जेवन म ले देथे। \b \q1 \v 10 ठट्ठा करइया ला निकाल दे, त झगरा ह खतम हो जाही; \q2 बाद-बिबाद अऊ बेजत्ती होवई घलो खतम हो जाही। \b \q1 \v 11 जऊन ह मन के सुधता ले मया रखथे अऊ जऊन ह अनुग्रह ले भरे बचन कहिथे \q2 ओकर संगी राजा होथे। \b \q1 \v 12 यहोवा ह गियानी ऊपर नजर रखके ओकर रकछा करथे, \q2 पर ओह बिसवासघाती के गोठ ला बिफल कर देथे। \b \q1 \v 13 आलसी मनखे ह कहिथे, “उहां बाहिर म एक सेर हवय! \q2 मेंह चऊक म मारे जाहूं!” \b \q1 \v 14 छिनारी माईलोगन के मुहूं ह एक गहिरा खंचवा सहीं अय; \q2 ओ मनखे जेकर ले यहोवा ह गुस्सा करथे, ओही ह ओमा गिरथे। \b \q1 \v 15 मुरूखता ह लइका के मन म गांठ सहीं बंधे रहिथे, \q2 पर अनुसासन के छड़ी ह येला दूरिहा कर देथे। \b \q1 \v 16 जऊन ह अपन धन-संपत्ति बढ़ाय बर गरीब ऊपर अतियाचार करथे \q2 अऊ जऊन ह धनी मनखे ला ईनाम देथे—ओ दूनों गरीब हो जाथें। \ms1 बुद्धिमान मनखे के तीस कहावत \s2 कहावत 1 \q1 \v 17 बुद्धिमान मनखे के बात ऊपर धियान दे अऊ ओमा कान लगा; \q2 जऊन बात मेंह सिखावत हंव ओला अपन मन म रख, \q1 \v 18 काबरकि जब तेंह येमन ला अपन मन म रखथस \q2 अऊ ये जम्मो तोर मुहूं ले निकलथें, त येकर ले खुसी होथे। \q1 \v 19 मेंह आज ये बातमन एकरसेति तोला सिखावत हंव, \q2 ताकि तोर भरोसा यहोवा ऊपर होवय। \q1 \v 20 का मेंह तोर बर तीस कहावतमन ला नइं लिखे हंव, \q2 सलाह अऊ गियान के कहावत, \q1 \v 21 ये सिखावत कि तें ईमानदार बन अऊ सच बात गोठिया, \q2 ताकि तेंह वापिस आके ओमन ला सही बात बता सकस, \q2 जेमन के तेंह सेवा करथस? \s2 कहावत 2 \q1 \v 22 गरीब ऊपर ये कारन से अंधेर झन करव कि ओह गरीब अय \q2 अऊ जरूरतमंद ला कचहरी म झन घसीटव, \q1 \v 23 काबरकि यहोवा ह ओमन के मुकदमा लड़ही \q2 अऊ जिनगी के बलदा जिनगी लीही। \s2 कहावत 3 \q1 \v 24 गुस्सैल मनखे ला संगी झन बनाबे, \q2 अऊ जल्दी गुस्सा होवइया के संग संगति झन करबे, \q1 \v 25 नइं तो तेंह ओमन के चालचलन ला सीख जाबे \q2 अऊ अपनआप ला फांदा म फंसा लेबे। \s2 कहावत 4 \q1 \v 26 अइसने मनखे झन बनबे, जऊन मन गिरवी रखे बर हांथ मिलाथें \q2 या करजा पटाय बर जमानत लेथें; \q1 \v 27 यदि पटाय बर तोर करा कुछू नइं होही, \q2 त तोर खाल्हे ले तोर बिस्तर ला छीन लिये जाही। \s2 कहावत 5 \q1 \v 28 जऊन सीमना ला तोर पुरखामन बांधे हवंय \q2 ओ पुराना सीमना के पथरा ला झन हटाबे। \s2 कहावत 6 \q1 \v 29 का तेंह अइसने मनखे ला देखथस, जऊन ह अपन काम म कुसल हवय? \q2 ओह राजा के आघू म सेवा करही; \q2 ओह छोटे पदवाले के आघू म सेवा नइं करय। \c 23 \s2 कहावत 7 \q1 \v 1 जब तेंह कोनो हाकिम के संग खाय बर बईठबे, \q2 त ये बात के धियान रखबे कि तोर आघू म का\f + \fr 23:1 \fr*\ft या \ft*\fqa कोन\fqa*\f* हवय, \q1 \v 2 यदि तेंह पेटू अस, \q2 त थोरकन खाके उठ जाबे। \q1 \v 3 ओकर सुवादवाले जेवन के लालसा झन करबे, \q2 काबरकि ओह धोखा के जेवन अय। \s2 कहावत 8 \q1 \v 4 धनी होय बर मेहनत झन करबे; \q2 अपन होसियारी के ऊपर भरोसा झन करबे। \q1 \v 5 एक नजर उठाके धन ला देख, ओह तुरते गायब हो जाथे, \q2 काबरकि ओमा पंख निकल आथे \q2 अऊ ओह गिधवा के सहीं अकास म उड़ जाथे। \s2 कहावत 9 \q1 \v 6 कंजूस मनखे के जेवन झन करबे, \q2 ओकर सुवादवाले जेवन के लालसा झन करबे \q1 \v 7 काबरकि ओह अइसने मनखे अय \q2 जऊन ह हमेसा खरचा के बारे म सोचत रहिथे। \q1 ओह तोला तो कहिथे, “खा अऊ पी,” \q2 पर ओकर मन तोर म लगे नइं रहय। \q1 \v 8 जऊन थोरकन तेंह खाय हवस, ओला उछर देबे \q2 अऊ तोर कहे परसंसा के बात ह बेकार होही। \s2 कहावत 10 \q1 \v 9 मुरूखमन के आघू म झन गोठिया, \q2 नइं तो ओमन तोर बुद्धि के बात ला तुछ समझहीं। \s2 कहावत 11 \q1 \v 10 पुराना सीमना के पथरा ला झन हटाबे \q2 या अनाथ मनखे के खेत ला झन चपलबे, \q1 \v 11 काबरकि ओमन के बचाव करइया\f + \fr 23:11 \fr*\ft या \ft*\fqa यहोवा\fqa*\f* ह सामर्थी ए; \q2 ओह तोर बिरूध म ओकर मुकदमा लड़ही। \s2 कहावत 12 \q1 \v 12 अपन मन ला हुकूम माने बर \q2 अऊ अपन कान ला गियान के बात सुने म लगा। \s2 कहावत 13 \q1 \v 13 लइका के ताड़ना करे बर झन छोंड़; \q2 यदि तेंह ओला छड़ी ले मारबे, त ओह नइं मरय। \q1 \v 14 ओला छड़ी ले मार \q2 अऊ तेंह ओकर आतमा ला अधोलोक जाय ले बचाबे। \s2 कहावत 14 \q1 \v 15 हे मोर बेटा, यदि तेंह बुद्धिमान अस, \q2 त मोर मन ला सही म खुसी होही; \q1 \v 16 जब तेंह सही बात गोठियाबे, \q2 त मोर अंतर-आतमा ह आनंदित होही। \s2 कहावत 15 \q1 \v 17 पापी मनखेमन के बारे म जलन झन रखबे, \q2 पर हमेसा यहोवा के भय मानत रहिबे। \q1 \v 18 खचित तोर बर भविस्य के एक आसा हवय, \q2 अऊ तोर आसा ह नइं टूटही। \s2 कहावत 16 \q1 \v 19 हे मोर बेटा, सुन, अऊ बुद्धिमान बन, \q2 अऊ अपन मन ला सही रसता म लगा: \q1 \v 20 जऊन मन बहुंत जादा मंद पीथें \q2 या जऊन मन ठूंस-ठूंसके मांस खाथें, ओमन के संग झन जा, \q1 \v 21 काबरकि मतवार अऊ भुक्खड़मन गरीब हो जाथें, \q2 अऊ नसा म रहे या उंघत रहे के कारन ओमन फटहा-चीरहा कपड़ा म आ जाथें। \s2 कहावत 17 \q1 \v 22 अपन जनम देवइया ददा के बात ला सुने कर, \q2 अऊ जब तोर दाई ह डोकरी हो जाथे, त ओला तुछ झन समझबे। \q1 \v 23 सच्चई ला बिसा अऊ येला बेचबे झन— \q2 बुद्धि, सिकछा अऊ अंतर-गियान ला घलो बिसा ले। \q1 \v 24 धरमी लइका के ददा ह बहुंत आनंदित होथे; \q2 बुद्धिमान बेटा ला जनम देवइया ददा ह अपन बेटा के कारन आनंदित होथे। \q1 \v 25 तोर ददा अऊ दाई आनंदित होवंय; \q2 जऊन दाई ह तोला जनम दीस, ओह आनंदित होवय! \s2 कहावत 18 \q1 \v 26 हे मोर बेटा, अपन हिरदय मोला दे \q2 अऊ तोर आंखी ह मोर बताय रसता म लगे रहय, \q1 \v 27 काबरकि छिनार माईलोगन ह एक गहिरा खंचवा सहीं अय, \q2 अऊ जिद्दी घरवाली ह एक संकरा कुआं सहीं अय। \q1 \v 28 ओह एक डाकू के सहीं घात लगाय रहिथे \q2 अऊ बहुंत मनखेमन ला बिसवासघाती कर देथे। \s2 कहावत 19 \q1 \v 29 कोन ला हाय लगथे? कोन ह दुख म होथे? \q2 कोन ह झगरा म फंसे होथे? कोन ह सिकायत करथे? \q2 कोन ला बिगर कारन के घाव होथे? काकर लाल-लाल आंखी होथे? \q1 \v 30 ओमन, जऊन मन बहुंत देर तक मंद पीयत रहिथें, \q2 जऊन मन मसाला मिले मंद के सुवाद लेथें। \q1 \v 31 जब मंद ह लाल होथे, \q2 जब येह कटोरा म चमकथे, \q2 जब येला ढारे जाथे, त येला टकटकी लगाके झन देखबे! \q1 \v 32 आखिरी म येह सांप के सहीं चाबथे \q2 अऊ येकर जहर ह करैत सांप के सहीं होथे। \q1 \v 33 तेंह अजीब चीजमन ला देखबे, \q2 अऊ तोर मन ह उल्टा-सीधा बातमन के कल्पना करही। \q1 \v 34 तेंह समुंदर म उठत लहरामन ऊपर सोवइया, \q2 या पानी जहाज के रस्सी के टीप म लेटनेवाला सहीं होबे। \q1 \v 35 तेंह कहिबे, “ओमन मोला मारथें-पीटथें, पर मोला चोट नइं लगय! \q2 ओमन मोला मारथें, पर मोला येकर पता नइं चलय! \q1 मेंह कब जागहूं \q2 कि में फेर मंद पी सकंव?” \c 24 \s2 कहावत 20 \q1 \v 1 दुस्ट मनखे के बारे म जलन झन रखबे, \q2 ओमन के संगति के ईछा झन करबे; \q1 \v 2 काबरकि ओमन हिंसा के बात सोचथें, \q2 अऊ ओमन समस्या खड़े करे के बात करथें। \s2 कहावत 21 \q1 \v 3 बुद्धि के दुवारा घर ह बनथे, \q2 अऊ समझ के जरिये येह इस्थिर होथे; \q1 \v 4 गियान के जरिये येकर कमरामन \q2 दुरलभ अऊ सुघर खजाना ले भर जाथें। \s2 कहावत 22 \q1 \v 5 बुद्धिमान ह अपन बड़े सक्ति के जरिये जय पाथे, \q2 अऊ जेकर करा गियान होथे, ओह अपन ताकत बढ़ाथे। \q1 \v 6 खचित, लड़ई बर तोला सही युक्ति के जरूरत हवय, \q2 अऊ बिजय बहुंत सलाहकारमन के जरिये मिलथे। \s2 कहावत 23 \q1 \v 7 बुद्धि ह अतेक ऊपर म हवय कि मुरूख ह ओला पा नइं सकय; \q2 ओह सभा के दुवार\f + \fr 24:7 \fr*\ft या \ft*\fqa सहर के दुवार जिहां मनखेमन सभा करंय\fqa*\f* म कुछू गोठिया नइं सकय। \s2 कहावत 24 \q1 \v 8 जऊन ह दुस्टता के सडयंत्र रचथे, \q2 ओह सडयंत्र रचइया के रूप म जाने जाथे। \q1 \v 9 मुरूखता के योजना बनई ह पाप ए, \q2 अऊ मनखेमन ठट्ठा करइया ले घिन करथें। \s2 कहावत 25 \q1 \v 10 यदि बिपत्ति के बेरा तेंह लड़खड़ाथस, \q2 त तोर सक्ति बहुंत कम हवय! \q1 \v 11 जऊन मन ला मार डाले बर ले जावथें, ओमन ला छुड़ा; \q2 जऊन मन मरे बर लड़खड़ावत जावथें, ओमन ला रोक ले। \q1 \v 12 यदि तेंह कहिथस, “पर हमन येकर बारे म कुछू नइं जानत रहेंन,” \q2 त का मन के जांचनेवाला\f + \fr 24:12 \fr*\ft या \ft*\fqa परमेसर\fqa*\f* ह येला नइं समझय? \q1 जऊन ह तोर जिनगी के रखवारी करथे, ओह का येला नइं जानय? \q2 का ओह हर एक मनखे ला ओकर काम के मुताबिक ओकर परतिफल नइं दीही? \s2 कहावत 26 \q1 \v 13 हे मोर बेटा, मंधरस ला खा, काबरकि येह बने अय; \q2 मधु-छत्ता के मंधरस ह सुवाद म मीठ लगथे। \q1 \v 14 ये बात ला घलो जान ले कि बुद्धि ह तोर बर मंधरस के सहीं अय: \q2 यदि येह तोला मिलथे, त भविस्य म तोर बर एक आसा हवय, \q2 अऊ तोर आसा ह नइं टूटही। \s2 कहावत 27 \q1 \v 15 धरमी मनखे के घर के लकठा म एक चोर के सहीं घात झन लगा, \q2 ओकर निवास ला झन लूट; \q1 \v 16 काबरकि धरमी जन चाहे सात बार ले गिरे, पर ओह फेर उठही, \q2 पर दुस्ट मनखेमन बिपत्ति आय ले लड़खड़ाथें। \s2 कहावत 28 \q1 \v 17 जब तोर बईरी ह गिरथे, त खुस झन होबे; \q2 जब ओह लड़खड़ाथे, त अपन मन म आनंदित झन हो, \q1 \v 18 नइं तो यहोवा ह येला देखही अऊ खुस नइं होही \q2 अऊ ओह तोर बईरी ऊपर ले अपन कोप ला हटा लीही। \s2 कहावत 29 \q1 \v 19 कुकरमीमन के कारन झन कुढ़ \q2 या दुस्ट मनखे ले जलन झन रख, \q1 \v 20 काबरकि कुकरमी के कोनो भविस्य नइं ए, \q2 अऊ दुस्ट मनखे के दीया ह बुता जाही। \s2 कहावत 30 \q1 \v 21 हे मोर बेटा, यहोवा अऊ राजा के भय मान, \q2 अऊ बिदरोही करमचारीमन के संग झन जा, \q1 \v 22 काबरकि ओ दूनों ओमन के अचानक बिनास कर दीहीं, \q2 अऊ कोन जानथे कि ओमन अऊ का बिपत्ति ला सकथें? \ms1 बुद्धिमान मनखे के कुछू अऊ कहावत \p \v 23 बुद्धिमान मनखे के कहावत ये घलो अंय: \q1 नियाय म पखियपात करई ह बने नो हय: \q1 \v 24 जऊन ह दोसी मनखे ला कहिथे, “तेंह निरदोस अस,” \q2 ओला मनखेमन सराप देथें अऊ जाति-जाति के मनखेमन ओकर ले घिन करथें। \q1 \v 25 पर जऊन मन दोसी ला दोसी ठहिराथें, ओमन के भलई होही, \q2 अऊ ओमन ऊपर बहुंत आसीस होही। \b \q1 \v 26 एक ईमानदार जबाब ह \q2 ओंठ ला चूमा देय सहीं अय। \b \q1 \v 27 अपन बाहिर के काम ला ठीक कर ले \q2 अऊ अपन खेत ला तियार रख; \q2 ओकर बाद, अपन घर ला बना। \b \q1 \v 28 बिगर कारन के, अपन परोसी के बिरूध गवाही झन देबे, \q2 अऊ अपन बात के दुवारा ओला झन बहकाबे। \q1 \v 29 ये झन कहिबे, “जइसने ओमन मोर संग करे हवंय, वइसने मेंह ओमन के संग करहूं; \q2 जइसने ओमन करे हवंय, मेंह ओमन ले ओकर बदला लूहूं।” \b \q1 \v 30 मेंह एक आलसी के खेत ले \q2 अऊ एक अगियानी के अंगूर के बारी ले होवत गेंव; \q1 \v 31 त देखेंव कि उहां हर जगह कंटिला पऊधामन भर गे हवंय, \q2 भुइयां ह कांदी ले भर गे हवय, \q2 अऊ पथरा के बाड़ा ह टूट गे हवय। \q1 \v 32 ओमन ला धियान से देखके, मन म बिचार करेंव \q2 अऊ जऊन कुछू मेंह देखेंव, ओकर ले एक बात सीखेंव: \q1 \v 33 थोरकन अऊ नींद, थोरकन अऊ ऊंघासी, \q2 हांथ म हांथ धरके अऊ थोरकन देर बईठे रहई— \q1 \v 34 अऊ गरीबी ह चोर सहीं \q2 अऊ घटी ह हथियार धरे मनखे सहीं तोर ऊपर आ जाही। \c 25 \ms1 सुलेमान के अऊ नीतिबचन \p \v 1 येमन सुलेमान के अऊ नीतिबचन अंय, जऊन ला यहूदा के राजा हिजकियाह के मनखेमन संकेलके रखे हवंय: \q1 \v 2 परमेसर के महिमा कोनो बात ला छुपाके रखे म होथे; \q2 राजामन के महिमा कोनो बात के पता लगाय म होथे। \q1 \v 3 जइसने अकासमन ऊंच अऊ धरती ह गहिरा हवय, \q2 वइसने राजा के मन के थाह ला नइं पाय जा सकय। \b \q1 \v 4 चांदी ले मईल ला हटावव, \q2 अऊ सुनार ह ओकर ले बने चीज बना सकथे; \q1 \v 5 राजा के आघू ले दुस्ट करमचारीमन ला निकाल दव, \q2 अऊ ओकर सिंघासन ह धरमीपन के दुवारा बने रहिही। \b \q1 \v 6 राजा के आघू म अपन बड़ई झन करबे, \q2 अऊ ओकर बड़े मनखेमन के बीच म अपन जगह के दावा झन करबे; \q1 \v 7 येह जादा बने बात होही कि ओह तोला कहय, “इहां ऊपर आ,” \q2 येकर बदले कि ओह अपन बड़े मनखेमन के आघू म तोर अपमान करय। \b \q1 जऊन कुछू तेंह अपन आंखी ले देखे हस \q2 \v 8 ओला जल्दबाजी म अदालत झन ले जाबे, \q1 नइं तो आखिरी म, तेंह का करबे \q2 जब तोर परोसी ह तोर बेजत्ती करही? \b \q1 \v 9 यदि तेंह अपन परोसी ला अदालत म ले जाथस, \q2 त दूसर के भरोसा ला झन टोरबे, \q1 \v 10 नइं तो जऊन ह येला सुनही, ओह तोर निन्दा करही \q2 अऊ तेंह दोसी गने जाबे। \b \q1 \v 11 सही बात ला कहई ह \q2 चांदी के टुकनी म सोन के सेव फर सहीं अय। \q1 \v 12 जइसने कि सोन के कनफूली या सुध सोन के जेवर होथे \q2 वइसने ही बुद्धिमान नियायधीस के डांट ह सुनइया ला बने लगथे। \b \q1 \v 13 जइसने फसल लुवई के बेरा बरफ के ठंडा पानी होथे \q2 वइसने ही बिसवासयोग्य दूत ह अपन भेजइया बर होथे; \q2 ओह अपन मालिक के आतमा ला ताजा करथे। \q1 \v 14 जइसने बिगर बारिस के बादर अऊ हवा होथे \q2 वइसने ओह होथे, जऊन ह ओ ईनाम के बड़ई करथे, जेला ओह कभू नइं दीस। \b \q1 \v 15 धीरज के जरिये एक सासन करइया ला मनाय जा सकथे, \q2 अऊ नरम बचन ह कठोर मनखे ला घलो नरम कर सकथे। \b \q1 \v 16 यदि तोला मंधरस मिलथे, त जतेक जरूरत हे, ओतेक खाबे— \q2 जादा खाबे, त तोला उछरना पड़ही। \q1 \v 17 अपन परोसी के घर म कभू-कभू जाबे— \q2 ओकर इहां बहुंत जादा जाबे, त ओमन तोर ले घिन करहीं। \b \q1 \v 18 जऊन ह अपन परोसी के बिरूध म लबरा गवाही देथे, \q2 ओह गदा या तलवार या नुकीला तीर सहीं अय। \q1 \v 19 बिपत्ति के बेरा बिसवासघाती ऊपर भरोसा करई ह \q2 टूटहा दांत या खोरवा गोड़ सहीं अय। \q1 \v 20 जइसने जाड़ा के दिन म काकरो कपड़ा ला ले लेवई, \q2 या काकरो घाव म सिरका रितोई, \q2 वइसने ही कोनो दुखी मनखे के आघू म गीत गवई होथे। \b \q1 \v 21 यदि तोर बईरी ह भूखा हवय, त ओला खाय बर जेवन दे; \q2 यदि ओह पीयासन हवय, त ओला पीये बर पानी दे। \q1 \v 22 अइसने करे ले, ओह लज्जित होही\f + \fr 25:22 \fr*\ft या \ft*\fqa अइसने करके तेंह ओकर मुड़ ऊपर लज्जा के बरत कोइला के ढेर लगाबे\fqa*\f* \q2 अऊ यहोवा ह तोला ईनाम दीही। \b \q1 \v 23 जइसने कि उत्तरी हवा ह बिगर आसा के बारिस लानथे, \q2 वइसने ही चुगली करई ह मनखे के गुस्सा ला बढ़ाथे। \b \q1 \v 24 झगरा करइया घरवाली के संग घर म रहई के बदले \q2 छानी के कोनटा म रहई ह बने अय। \b \q1 \v 25 जइसने कि थके-हारे मनखे बर ठंडा पानी होथे, \q2 वइसने ही दूरिहा देस ले आय सुघर संदेस होथे। \q1 \v 26 जइसने कि चीखलावाले झरना या गंदा कुआं होथे, \q2 वइसने ही ओ धरमी होथे, जऊन ह दुस्ट मनखे के बात मानथे। \b \q1 \v 27 जादा मंधरस खवई ह बने नो हय, \q2 जादा गहिरा बात के खोज करई घलो आदर के बात नो हय। \b \q1 \v 28 जऊन मनखे म संयम के कमी होथे, \q2 ओह ओ सहर के सहीं होथे, जेकर सुरकछा के दीवारमन ला टोर दिये गे हवय। \c 26 \q1 \v 1 जइसने कि गरमी के महिना म बरफ गिरई अऊ फसल लुवई के बेरा बारिस होवई ह बने नो हय \q2 वइसने ही मुरूख मनखे के आदर करई ह बने नो हय। \q1 \v 2 जइसने कि डेना फड़फड़ावत गौरइया या उड़त अबाबील चिरई नइं बईठ सकय, \q2 वइसने ही बेकार के दिये गे सराप ह नइं लगय। \q1 \v 3 घोड़ा बर चाबुक, गदहा बर लगाम, \q2 अऊ मुरूखमन के पीठ बर छड़ी अय! \q1 \v 4 कोनो मुरूख ला ओकर मुरूखता के मुताबिक जबाब झन देबे, \q2 नइं तो तें खुद घलो ओकर सहीं ठहिरबे। \q1 \v 5 मुरूख ला ओकर मुढ़ता के मुताबिक जबाब देबे, \q2 नइं तो ओह अपन खुद के नजर म बुद्धिमान ठहिरही। \q1 \v 6 कोनो मुरूख के हांथ ले खबर पठोई ह \q2 अपन गोड़ म टांगा मारई या जहर पीयई सहीं अय। \q1 \v 7 जइसने कि कोनो लंगड़ा के बेकार गोड़ ह होथे \q2 वइसने ही कोनो मुरूख के मुहूं ले कहावत निकलई होथे। \q1 \v 8 जइसने कि कोनो पट्टा म बंधई पथरा होथे \q2 वइसने ही कोनो मुरूख ला आदर देवई होथे। \q1 \v 9 जइसने कि कोनो मतवार के हांथ म कंटिली झाड़ी होथे \q2 वइसने ही कोनो मुरूख के मुहूं ले कहावत निकलई होथे। \q1 \v 10 जइसने कि कोनो धनुसधारी ह बिगर सोचे-समझे चोट पहुंचाथे \q2 वइसने ही ओह अय, जऊन ह कोनो मुरूख या डहार-रेंगइया ला काम म रखथे। \q1 \v 11 जइसने कि कुकुर ह अपन उछरे चीज ला खाय बर फेर लहुंटके आथे, \q2 वइसने ही मुरूखमन अपन मुरूखता ला दोहराथें। \q1 \v 12 का तेंह अइसे मनखे ला देखथस, जऊन ह अपन खुद के नजर म बुद्धिमान ए? \q2 त फेर ओकर ले जादा आसा मुरूख ऊपर रख। \b \q1 \v 13 आलसी मनखे ह कहिथे, “डहार म सेर हवय, \q2 एक भयंकर सेर गली म घुमत हवय!” \q1 \v 14 जइसने कि कपाट ह अपन कब्जा म घुमथे, \q2 वइसने ही आलसी मनखे ह अपन खटिया म करवट लेथे। \q1 \v 15 आलसी मनखे ह अपन हांथ जेवन के थाली म तो डालथे; \q2 पर आलस के मारे, ओह कऊंरा ला मुहूं तक नइं लानय। \q1 \v 16 आलसी मनखे ह अपनआप ला ओ सात मनखे ले घलो बुद्धिमान समझथे, \q2 जऊन मन समझदारी से जबाब देथें। \b \q1 \v 17 जइसने कि कोनो मनखे ह भटकत कुकुर ला कान ले धरथे \q2 वइसने ही ओह अय, जऊन ह आने के झगरा म झंपई होथे। \b \q1 \v 18 जइसने कि पागल मनखे ह \q2 मिरतू के बरत तीरमन ला छोंड़थे \q1 \v 19 वइसने ही ओह अय, जऊन ह अपन परोसी ला धोखा देथे \q2 अऊ कहिथे, “मेंह तो मजाक करत रहेंव!” \b \q1 \v 20 जइसने कि बिगर लकरी के आगी ह बुता जाथे; \q2 वइसने ही बक-बक नइं करे ले झगरा ह खतम हो जाथे। \q1 \v 21 जइसने कि कोइला ह आगी ला बनाय रखथे अऊ लकरी ले आगी बरथे \q2 वइसने ही झगड़ालू मनखे ह समस्या खड़े करथे। \q1 \v 22 बकवास करई ह सुवादवाले जेवन सहीं होथे; \q2 येमन मनखे के भीतर तक चले जाथें। \b \q1 \v 23 जइसने कि चांदी के परत चढ़ाय माटी के बरतन होथे \q2 वइसने ही बुरई ले भरे मनखे के मयारू बचन होथे। \q1 \v 24 बईरीमन अपन बात के दुवारा सीधवा बनथें, \q2 पर अपन मन म छल-कपट के बात छुपाके रखथें। \q1 \v 25 हालाकि ओमन खुसी देवइया बात कहिथें, पर ओमन ऊपर बिसवास झन करबे, \q2 काबरकि ओमन के मन ह सात ठन घिनौना चीज ले भरे रहिथे। \q1 \v 26 ओमन के बईरता ह छल-कपट के कारन छुप जाथे, \q2 पर ओमन के दुस्टता ह भरे सभा म परगट हो जाही। \q1 \v 27 जऊन ह आने बर खंचवा कोड़थे, ओह खुद ओमा गिरही; \q2 जऊन ह आने ऊपर पथरा ला ढलंगाथे, ओ पथरा ह वापिस ओकरेच ऊपर ढलंगही। \q1 \v 28 जऊन ह लबारी मारके आने मन ला चोट पहुंचाथे, ओह ओमन ले घिन करथे, \q2 अऊ चापलूसी करइया ह बिनास के काम करथे। \b \c 27 \q1 \v 1 कल के दिन बर घमंड झन कर, \q2 काबरकि तें नइं जानस कि कल का होही। \b \q1 \v 2 आने मन तोर बड़ई करंय तो करंय, पर तें अपन बड़ई झन करबे; \q2 बाहिरी मनखेमन तोर बड़ई करंय, पर तें खुद झन करबे। \b \q1 \v 3 पथरा ह भारी अऊ बालू ह एक बोझ होथे, \q2 पर मुरूख के उकसई ह ये दूनों ले भारी होथे। \b \q1 \v 4 गुस्सा ह निरदयी ए अऊ उत्तेजना ह बियाकुल कर देथे, \q2 पर ईरसा के आघू म कोन ठहर सकथे? \b \q1 \v 5 खुला डांट ह \q2 छुपे मया ले बने अय। \b \q1 \v 6 कोनो संगी के चोट पहुंचई के भरोसा करे जा सकथे, \q2 पर कोनो बईरी के बहुंत चूमा ला घलो भरोसा नइं करे जा सकय। \b \q1 \v 7 जेकर पेट भरे होथे, ओला मधु-छत्ता के मंधरस घलो बने नइं लगय, \q2 पर भूखा मनखे ला करू चीज घलो मीठ लगथे। \b \q1 \v 8 अपन घर ला छोंड़के भागनेवाला ह \q2 ओ चिरई सहीं होथे, जऊन ह अपन खोंधरा छोंड़के भाग जाथे। \b \q1 \v 9 इतर अऊ खुसबूदार धूप ह मन ला आनंदित करथे, \q2 अऊ कोनो संगी के हिरदय ले निकले सलाह ह \q2 ओकर खुसी ला देखाथे। \b \q1 \v 10 अपन संगी या अपन परिवारिक संगी ला झन छोंड़बे, \q2 अऊ अपन बिपत्ति के बेरा अपन रिस्तेदार के घर झन जाबे— \q2 लकठा म रहइया परोसी ह दूरिहा म रहइया रिस्तेदार ले बने अय। \b \q1 \v 11 हे मोर बेटा, बुद्धिमान बन अऊ मोर मन ला आनंदित कर; \q2 तब मेंह ओला जबाब दे सकहूं, जऊन ह मोर अपमान करथे। \b \q1 \v 12 समझदार मनखे ह खतरा ला देखके सरन ले लेथे, \q2 पर सीधवा मनखे ह चलते रहिथे अऊ हानि उठाथे। \b \q1 \v 13 ओ मनखे के कपड़ा ला लेय ले, जऊन ह कोनो अजनबी मनखे के जिम्मेदारी लेथे; \q2 यदि ये काम कोनो बाहिरी मनखे बर करे जाथे, त ओ कपड़ा ला गिरवी के रूप म रख। \b \q1 \v 14 यदि कोनो मनखे ह बड़े बिहनियां अपन परोसी ला ऊंचहा अवाज म आसीस देथे, \q2 त येला एक सराप समझे जाही। \b \q1 \v 15 झगरा करइया घरवाली ह बारिस के दिन म \q2 छानी ले लगातार चूहत पानी सहीं अय; \q1 \v 16 ओला रोकई, हवा ला रोकई सहीं \q2 या हांथ म तेल ला पकड़ई सहीं अय। \b \q1 \v 17 जइसने कि लोहा ह लोहा ला तेज करथे, \q2 वइसने ही एक मनखे ह दूसर मनखे ला तेज बनाथे। \b \q1 \v 18 जऊन ह अंजीर रूख के रखवारी करथे, ओह ओकर फर खाही, \q2 अऊ जऊन ह अपन मालिक के रकछा करथे, ओकर आदर होही। \b \q1 \v 19 जइसने कि पानी ह चेहरा के परछाई ला देखाथे, \q2 वइसने ही मनखे के मन ह ओकर जिनगी ला परगट करथे। \b \q1 \v 20 मिरतू अऊ बिनास कभू संतोस नइं होवंय, \q2 अऊ न ही मनखे के आंखी ह संतोस होवय। \b \q1 \v 21 चांदी ला परखे बर कुठाली अऊ सोन ला परखे बर भट्ठी होथे, \q2 पर मनखे के परख ओकर परसंसा के दुवारा होथे। \b \q1 \v 22 चाहे तेंह मुरूख ला ओखली म पीस, \q2 या ओला लोढ़ा म अनाज सहीं पीस, \q2 तभो ले तेंह ओकर मुरूखता ला ओकर ले अलग नइं कर सकस। \b \q1 \v 23 अपन भेड़-बकरी के झुंड के दसा ला बने करके जान ले, \q2 अपन पसु के झुंड के बने करके धियान रख; \q1 \v 24 काबरकि धन ह हमेसा बर नइं रहय, \q2 अऊ राज-मुकुट ह पीढ़ी-पीढ़ी तक बने नइं रहय। \q1 \v 25 जब कांदी ला काटके हटाय जाथे, त नवां कांदी निकलथे \q2 अऊ पहाड़ ले कांदी ला संकेले जाथे, \q1 \v 26 भेड़ के पीलामन तोर बर कपड़ा दीहीं, \q2 अऊ बोकरामन खेत बिसाय बर कीमत दीहीं। \q1 \v 27 तोर करा अपन परिवार के मनखेमन ला पीयाय बर बकरी के बहुंत दूध होही \q2 अऊ येकर ले तोर सेविकामन के घलो पालन-पोसन होही। \b \c 28 \q1 \v 1 दुस्ट मनखेमन तब भी भागथें जब ओमन के पीछा कोनो नइं करत रहय, \q2 पर धरमी मनखेमन सेर के सहीं साहसी होथें। \b \q1 \v 2 जब कोनो देस ह बिदरोह करथे, त ओकर ऊपर सासन करइया बहुंत होथें, \q2 पर समझदार अऊ गियानी सासन करइया ह कानून-ब्यवस्था बनाय रखथे। \b \q1 \v 3 जऊन सासन करइया ह गरीबमन ऊपर अतियाचार करथे, \q2 ओह ओ भारी बारिस सहीं अय, जऊन ह फसल ला नास कर देथे। \b \q1 \v 4 जऊन मन सिकछा ला नइं मानंय, ओमन दुस्ट मनखे के परसंसा करथें, \q2 पर जऊन मन सिकछा ला मानथें, ओमन दुस्ट मनखे के बिरोध करथें। \b \q1 \v 5 दुस्ट मनखेमन सही बात ला नइं समझंय, \q2 पर जऊन मन यहोवा ला खोजथें, ओमन येला पूरा समझथें। \b \q1 \v 6 उल्टा-सीधा काम करइया धनी मनखे ले \q2 निरदोस रहइया गरीब मनखे ह बने अय। \b \q1 \v 7 समझदार बेटा ह सिकछा ऊपर धियान देथे, \q2 पर पेटू के संगी ह अपन ददा ऊपर कलंक लगाथे। \b \q1 \v 8 जऊन ह गरीबमन ले लाभ लेके या बियाज लेके अपन धन ला बढ़ाथे \q2 ओह ओमन बर धन जमा करथे, जऊन मन गरीबमन ऊपर दया करथें। \b \q1 \v 9 यदि कोनो मनखे ह मोर सिकछा ला अनसुनी करथे, \q2 त ओकर पराथना घलो घिन समझे जाथे। \b \q1 \v 10 जऊन ह ईमानदार मनखे ला बुरई के रसता म ले जाथे, \q2 ओह खुद अपन फांदा म फंसही, \q2 पर निरदोस मनखे ला बने उत्तराधिकार मिलही। \b \q1 \v 11 धनी मनखेमन अपन खुद के आंखी म बुद्धिमान होथें; \q2 पर गरीब अऊ समझदार मनखे ह देखथे कि धनी मनखेमन कतेक बहक गे हवंय। \b \q1 \v 12 जब धरमी मनखेमन बिजयी होथें, त बहुंत खुसी होथे; \q2 पर जब दुस्ट मनखेमन सक्तिसाली होय लगथें, त मनखेमन छुप जाथें। \b \q1 \v 13 जऊन ह अपन पाप ला छुपाथे, ओह नइं बढ़य, \q2 पर जऊन ह अपन पाप ला मान लेथे अऊ ओमन ला छोंड़ देथे, ओकर ऊपर दया करे जाथे। \b \q1 \v 14 धइन ए ओ मनखे, जऊन ह हमेसा परमेसर के भय मानथे, \q2 पर जऊन ह अपन मन ला कठोर कर लेथे, ओह बिपत्ति म पड़थे। \b \q1 \v 15 जइसने कि गरजत सेर या हमला करइया भालू होथे \q2 वइसने ही असहाय मनखेमन ऊपर दुस्ट सासन करइया होथे। \b \q1 \v 16 अतियाचारी सासन करइया ह बलपूर्वक छीन लेथे, \q2 पर जऊन ह बुरई से कमाय लाभ ले घिन करथे, ओह लम्बा समय तक राज करे के आनंद लीही। \b \q1 \v 17 जऊन ह हतिया के दोस के पीरा म रहिथे \q2 ओह कबर म सरन पाही; \q2 कोनो ओला झन रोकय। \b \q1 \v 18 जेकर चालचलन ह निरदोस रहिथे, ओह बचाय जाथे, \q2 पर उल्टा-सीधा काम करइया ह खंचवा म गिरही। \b \q1 \v 19 जऊन मन अपन खेत ला कमाथें, ओमन करा बहुंत जेवन होही, \q2 पर जऊन मन सिरिप कल्पना करत रहिथें, ओमन बहुंत गरीब हो जाहीं। \b \q1 \v 20 बिसवासयोग्य मनखे ला बहुंत आसीस मिलही, \q2 पर जऊन ह धनी बने बर उतावली करथे, ओह दंड ले नइं बचय। \b \q1 \v 21 पखियपात करई ह बने नो हय— \q2 तभो ले रोटी के एक कुटा बर मनखे ह गलती करही। \b \q1 \v 22 कंजूस मनखे ह धनी बने बर उतावली करथे \q2 अऊ नइं जानय कि गरीबी ह ओकर बाट जोहत हे। \b \q1 \v 23 जऊन ह कोनो मनखे ला डांटथे, ओह आखिरी म \q2 चापलूसी करइया ले जादा मयारू होथे। \b \q1 \v 24 जऊन ह अपन दाई या ददा ला लूटथे \q2 अऊ कहिथे, “मेंह गलत नइं करत हंव,” \q2 ओह नास करइया के सहभागी होथे। \b \q1 \v 25 लालची मनखे ह झगरा ला बढ़ाथे, \q2 पर जऊन मन यहोवा ऊपर भरोसा रखथें, ओमन उन्नति करहीं। \b \q1 \v 26 जऊन मन अपन ऊपर भरोसा रखथें, ओमन मुरूख होथें, \q2 पर जऊन मन बुद्धि से चलथें, ओमन सुरकछित रहिथें। \b \q1 \v 27 जऊन मन गरीबमन ला देथें, ओमन ला कुछू चीज के कमी नइं होवय, \q2 पर जऊन मन गरीबमन ले नजर फेर लेथें, ओमन ला बहुंत सराप मिलथे। \b \q1 \v 28 जब दुस्ट मनखेमन सक्तिसाली हो जाथें, त मनखेमन छुपे लगथें; \q2 पर जब दुस्ट मनखेमन नास होथें, त धरमी मनखेमन उन्नति करथें। \b \c 29 \q1 \v 1 जऊन ह बार-बार डांटे ले घलो हठी बने रहिथे \q2 ओह बिगर कोनो उपाय के अचानक नास हो जाही। \b \q1 \v 2 जब धरमीमन उन्नति करथें, त मनखेमन आनंदित होथें; \q2 जब दुस्टमन राज करथें, त मनखेमन कलहरथें। \b \q1 \v 3 जऊन मनखे ह बुद्धि ले मया करथे, ओह अपन ददा ला आनंदित करथे, \q2 पर बेस्यामन के संगति करइया ह अपन संपत्ति ला उड़ा देथे। \b \q1 \v 4 नियाय के दुवारा राजा ह देस ला इस्थिर करथे, \q2 पर जऊन मन घूसखोरी करते रहिथें, ओमन देस ला टोर देथें। \b \q1 \v 5 जऊन मन अपन परोसीमन के चापलूसी करथें \q2 ओमन अपन परोसी के गोड़ बर फांदा लगाथें। \b \q1 \v 6 दुस्ट मनखेमन अपन खुद के पाप म फंसथें, \q2 पर धरमी मनखेमन आनंद के जय-जयकार करके खुसी मनाथें। \b \q1 \v 7 धरमी मनखे ह गरीब मनखे के नियाय ऊपर धियान देथे, \q2 पर दुस्ट मनखे ह ये किसम के चिंता नइं करय। \b \q1 \v 8 ठट्ठा करइयामन सहर ला उत्तेजित करथें, \q2 पर बुद्धिमान मनखेमन गुस्सा ला दूर करथें। \b \q1 \v 9 यदि कोनो बुद्धिमान मनखे ह कोनो मुरूख मनखे के संग अदालत जाथे, \q2 त मुरूख मनखे ह गुस्सा करथे अऊ मजाक उड़ाथे, अऊ उहां सांति नइं रहय। \b \q1 \v 10 खून करइया मनखेमन ईमानदार मनखे ले घिन करथें \q2 अऊ ओमन सीधवा मनखे के परान के खोज म रहिथें। \b \q1 \v 11 मुरूख मनखेमन अपन गुस्सा ला पूरा परगट करथें, \q2 पर बुद्धिमान मनखेमन आखिरी म सांति लाथें। \b \q1 \v 12 यदि कोनो सासन करइया ह लबारी बात ऊपर कान लगाथे, \q2 त ओकर जम्मो करमचारीमन दुस्ट हो जाथें। \b \q1 \v 13 गरीब अऊ अतियाचारी मनखे म एक बात समान्य हवय: \q2 यहोवा ह दूनों के आंखी म रोसनी देथे। \b \q1 \v 14 यदि कोनो राजा ह गरीब के सही नियाय करथे, \q2 त ओकर सिंघासन ह सदा बने रहिही। \b \q1 \v 15 छड़ी अऊ डांट खाय ले बुद्धि मिलथे, \q2 पर जऊन लइका ला अनुसासित नइं करे जावय, ओह अपन दाई के बेजत्ती के कारन होथे। \b \q1 \v 16 जब दुस्टमन बढ़थें, त पाप ह घलो बढ़थे, \q2 पर धरमीमन ओमन के गिरे दसा ला देखहीं। \b \q1 \v 17 अपन लइकामन ला अनुसासित करव, अऊ ओमन तुमन ला सांति दीहीं; \q2 ओमन तुम्हर ईछा मुताबिक तुमन ला खुसी दीहीं। \b \q1 \v 18 जिहां अगम के बारे म दरसन के बात नइं होवय, उहां मनखेमन निरंकुस हो जाथें; \q2 पर धइन ए ओ, जऊन ह बुद्धि के बात\f + \fr 29:18 \fr*\ft या \ft*\fqa कानून\fqa*\f* ऊपर धियान देथे। \b \q1 \v 19 सेवकमन ला सिरिप बात के दुवारा सुधारे नइं जा सकय; \q2 हालाकि ओमन समझथें, पर ओमन जबाब नइं देवंय। \b \q1 \v 20 का तेंह अइसने मनखे ला देखथस, जऊन ह उतावली म गोठियाथे? \q2 ओकर ले जादा कोनो मुरूख ले आसा करे जा सकथे। \b \q1 \v 21 जऊन सेवक ला ओकर लइकापन ले बहुंत खवाय-पीयाय जाथे, \q2 ओह आखिरी म ढीठ हो जाथे। \b \q1 \v 22 गुस्सा करइया मनखे ह झगरा ला बढ़ाथे, \q2 अऊ तुरते गुस्सा होवइया मनखे ह बहुंत पाप करथे। \b \q1 \v 23 घमंड ह मनखे ला नीचा देखाथे, \q2 पर नम्र आतमावाला ह आदर पाथे। \b \q1 \v 24 चोरमन के सहभागीमन अपन खुद के बईरी होथें; \q2 ओमन किरिया खाके घलो गवाही नइं देवंय। \b \q1 \v 25 मनखे के भय ह एक फांदा साबित होथे, \q2 पर जऊन ह यहोवा ऊपर भरोसा रखथे, ओह सुरकछित रहिथे। \b \q1 \v 26 बहुंत जन सासन करइया ले भेंट करे बर चाहथें, \q2 पर मनखे ला नियाय यहोवा ले ही मिलथे। \b \q1 \v 27 धरमी मनखे ह बेईमान मनखे ले घिन करथे; \q2 अऊ दुस्ट मनखे ह ईमानदार मनखे ले घिन करथे। \c 30 \ms1 आगूर के कहावत \p \v 1 याके के बेटा आगूर के कहावत—एक परभावसाली बचन। \q1 ये मनखे के बचन ईतीएल अऊ उकाल ला: \b \q1 हे परमेसर, मेंह थक गे हंव, \q2 पर मेंह जय पा सकत हंव। \q1 \v 2 खचित मेंह मनखे नइं, सिरिप एक पसु के सहीं अंव; \q2 मोर करा मनखे के समझ नइं ए। \q1 \v 3 मेंह बुद्धि के बात नइं सीखे हंव, \q2 अऊ न ही पबितर परमेसर के गियान ला मेंह पाय हंव। \q1 \v 4 कोन ह स्वरग ऊपर जाके खाल्हे उतरिस? \q2 कोन ह अपन हांथ म हवा ला संकेले हवय? \q1 कोन ह पानी ला कपड़ा म लपेटे हवय? \q2 कोन ह धरती के जम्मो छोरमन ला कायम करे हवय? \q1 ओकर का नांव ए, अऊ ओकर बेटा के का नांव ए? \q2 खचित तेंह जानत हस! \b \b \q1 \v 5 “परमेसर के हर एक बचन बिगर गलती के हवय; \q2 ओह ओमन बर एक ढाल सहीं अय, जऊन मन ओकर करा सरन लेथें। \q1 \v 6 ओकर बचन म कुछू झन जोड़व, \q2 नइं तो ओह तोला डांटही अऊ तोला लबरा ठहिराही। \b \q1 \v 7 “हे यहोवा, मेंह तोर ले दू ठन चीज मांगत हंव; \q2 मोर मरे के पहिली मोला मना झन कर: \q1 \v 8 लबरापन अऊ लबरा गोठ ला मोर ले दूरिहा रख; \q2 मोला न तो गरीब बना अऊ न ही धनी, \q2 पर मोला सिरिप हर दिन के जेवन दे। \q1 \v 9 अइसने झन होवय कि मोर करा जादा हो जावय अऊ मेंह तोर अनादर करंव \q2 अऊ कहंव, ‘यहोवा ह कोन ए?’ \q1 या मेंह गरीब हो जावंव अऊ चोरी करंव, \q2 अऊ ये किसम ले अपन परमेसर के नांव के अनादर करंव। \b \q1 \v 10 “कोनो सेवक के निन्दा ओकर मालिक के आघू म झन करबे, \q2 नइं तो ओह तोला सराप दीही, अऊ तोला येकर कीमत चुकाना पड़ही। \b \q1 \v 11 “अइसने मनखे हवंय, जऊन मन अपन ददा ला सराप देथें \q2 अऊ अपन दाई ला आसीस नइं देवंय; \q1 \v 12 अइसने मनखे हवंय, जऊन मन अपन ही नजर म सुध अंय \q2 पर ओमन के गंदगी साफ नइं होय हवय; \q1 \v 13 अइसने मनखे हवंय, जऊन मन के आंखी ह घमंड ले भरे हवय, \q2 जऊन मन आने मन ला तुछ नजर ले देखथें; \q1 \v 14 अइसने मनखे हवंय, जऊन मन के दांतमन तलवार सहीं \q2 अऊ जबड़ामन छुरी सहीं हवंय \q1 ताकि ओमन गरीबमन ला धरती ले \q2 अऊ जरूरतमंद मनखेमन ला मानव-जाति ले नास कर देवंय। \b \q1 \v 15 “जोंक के दू झन बेटी हवंय। \q2 ओमन चिचियाके कहिथें, ‘दे! दे!’ \b \li1 “तीन ठन चीज हवंय, जऊन मन कभू संतोस नइं होवंय, \li2 अऊ चार ठन चीज हवंय, जऊन मन कभू नइं कहंय, ‘बस कर!’: \li3 \v 16 कबर, \li3 ठड़गी के कोख, \li3 भुइयां, जऊन ह पानी ले कभू संतोस नइं होवय, \li3 अऊ आगी, जऊन ह कभू नइं कहय, ‘परयाप्त!’ \b \q1 \v 17 “ओ आंखी जऊन ह अपन ददा के मजाक उड़ाथे, \q2 अऊ अपन डोकरी दाई के तिरस्कार करथे, \q1 ओ आंखी ला घाटी के कऊआमन फोरके निकाल दीहीं, \q2 अऊ गिधवामन ओला खा लीहीं। \b \li1 \v 18 “तीन चीज हवंय, जेमन मोला बहुंत अद्भूत लगथें, \li2 अऊ चार चीज हवंय, जेमन ला मेंह नइं समझंव: \li3 \v 19 अकास म गिधवा के रसता, \li3 पथरा म सांप के रसता, \li3 समुंदर म पानी जहाज के रसता, \li3 अऊ एक जवान माईलोगन के संग एक मनखे के रसता। \b \q1 \v 20 “एक छिनार माईलोगन के रसता ये अय: \q2 ओह खाथे अऊ अपन मुहूं ला पोंछथे \q2 अऊ कहिथे, ‘मेंह कुछू गलत नइं करे हंव।’ \b \li1 \v 21 “तीन चीज के कारन धरती ह कांपथे, \li2 पर चार चीज हवंय, जेला सहन नइं करे जा सकय: \li3 \v 22 एक सेवक, जऊन ह राजा बन जाथे, \li3 एक भक्तिहीन मुरूख, जऊन ह बहुंत खाय बर पाथे, \li3 \v 23 एक तुछ माईलोगन, जऊन ह बिहाव करथे, \li3 अऊ एक सेविका, जऊन ह अपन मालकिन के जगह ले लेथे। \b \li1 \v 24 “धरती म चार चीज छोटे हवंय, \li2 तभो ले ओमन बहुंत जादा बुद्धिमान होथें: \li2 \v 25 चांटीमन कम ताकतवाले जीव होथें, \li3 तभो ले ओमन अपन जेवन गरमी के महिना म कुढ़ोथें; \li2 \v 26 बिज्जूमन कम सक्तिवाले जन्तु होथें, \li3 तभो ले ओमन पथरा के चट्टान म अपन घर बनाथें; \li2 \v 27 फांफामन के राजा नइं होवय, \li3 तभो ले ओमन सेना के सहीं कतार बनाके एक संग आघू बढ़थें; \li2 \v 28 एक छिपकली ला हांथ ले धरे जा सकथे, \li3 तभो ले येह राजा के महल म पाय जाथे। \b \li1 \v 29 “तीन चीज हवंय, जेमन के चाल ह परभावसाली होथे, \li2 पर चार चीज हवंय, जेमन के बरताव ह परभावसाली होथे: \li3 \v 30 एक सेर, जऊन ह पसुमन म बलवान होथे, ओह काकरो आघू ले डरके नइं हटय; \li3 \v 31 एक अकड़के चलइया मुरगा, \li3 एक बोकरा, \li3 अऊ एक राजा, जऊन ह बिदरोह ले सुरकछित रहिथे। \b \q1 \v 32 “यदि तेंह मुरूखता करके अपन बड़ई करथस, \q2 या यदि तेंह दुस्ट काम करे के योजना बनाय हस, \q2 त अपन मुहूं ऊपर हांथ रख! \q1 \v 33 काबरकि जइसने दूध ला मथे ले मक्खन बनथे, \q2 अऊ जइसने नाक ला मरोड़े ले खून निकलथे, \q2 वइसने ही गुस्सा के भड़के ले झगरा होथे।” \c 31 \ms1 लेमूएल राजा के कहावत \p \v 1 लेमूएल राजा के कहावत—एक परभावसाली बचन, जऊन ला ओकर दाई ह ओला सिखोईस। \q1 \v 2 सुन, हे मोर बेटा! सुन, हे मोर कोख के बेटा! \q2 सुन, हे मोर बेटा, तेंह मोर पराथना के जबाब अस! \q1 \v 3 अपन ताकत\f + \fr 31:3 \fr*\ft या \ft*\fqa धन\fqa*\f* ला माईलोगन ऊपर झन लगा, \q2 अऊ न ही अपन बल के उपयोग ओमन बर करबे, जऊन मन राजामन ला नास करथें। \b \q1 \v 4 हे लेमूएल, येह राजामन बर नो हय, \q2 अंगूर के मंद पीयई राजामन बर ठीक नो हय, \q2 अऊ न ही सासन करइयामन बर मंद के लालसा करना बने अय, \q1 \v 5 नइं तो ओमन पीके कानून ला भुला जाहीं, \q2 अऊ जम्मो दुखी मनखेमन के हक ला मारहीं। \q1 \v 6 मंद ह ओमन बर होवय, जऊन मन नास होवथें, \q2 अऊ अंगूर के मंद ओमन बर अय, जेमन के मन ह उदास हवय! \q1 \v 7 ओमन पीयंय अऊ अपन गरीबी ला भुला जावंय \q2 अऊ अपन दुख ला सुरता झन करंय। \b \q1 \v 8 जऊन मन अपन बर नइं गोठिया सकंय, ओमन बर गोठिया, \q2 ओमन के अधिकार बर, जऊन मन गरीब-अनाथ अंय। \q1 \v 9 गोठिया अऊ सही नियाय कर; \q2 गरीब अऊ जरूरतमंद मनखेमन के अधिकार के बचाव कर। \ms1 उपसंहार: उत्तम चालचलनवाली घरवाली \q1 \v 10 उत्तम चालचलन के घरवाली कोन पा सकथे? \q2 ओकर कीमत मनि ले घलो बहुंत जादा होथे। \q1 \v 11 ओकर घरवाला ला ओकर ऊपर पूरा भरोसा रहिथे \q2 अऊ ओला कोनो बने चीज के घटी नइं होवय। \q1 \v 12 ओह अपन जिनगी भर अपन घरवाला बर \q2 भलई के काम करथे, बुरई के नइं। \q1 \v 13 ओह ऊन अऊ सन छांटथे \q2 अऊ खुस होके अपन हांथ ले काम करथे। \q1 \v 14 ओह बेपारी जहाज के सहीं \q2 अपन जेवन दूरिहा ले लानथे। \q1 \v 15 ओह रथिया के रहत उठ जाथे; \q2 ओह अपन परिवार के जेवन के परबंध करथे \q2 अऊ अपन सेविकामन ला घलो ओमन के हिस्सा देथे। \q1 \v 16 ओह कोनो खेत ला सोच-बिचार करके बिसाथे; \q2 ओह अपन कमई ले अंगूर के बारी लगाथे। \q1 \v 17 ओह मेहनत से अपन काम ला जमाथे; \q2 ओकर हांथमन ओकर काम बर मजबूत होथें। \q1 \v 18 ओह ये बात के धियान रखथे कि ओला ओकर काम-धंधा म लाभ मिलय, \q2 अऊ रथिया ओकर दीया ह झन बुतावय। \q1 \v 19 ओह अटेरन ला अपन हांथ म धरथे \q2 अऊ चरखा के धुरा ला अपन अंगरी म पकड़थे। \q1 \v 20 ओह गरीबमन के मदद करे बर अपन हांथ खोलथे \q2 अऊ जरूरतमंद मनखे बर अपन हांथ बढ़ाथे। \q1 \v 21 जब बरफ गिरथे, त ओला अपन परिवार के चिंता करे के जरूरत नइं रहय; \q2 काबरकि परिवार के जम्मो झन गरम कपड़ा पहिरे रहिथें। \q1 \v 22 ओह अपन बिस्तर बर चादर बनाथे; \q2 ओह सुघर सन के बने अऊ बैंगनी कपड़ा पहिरथे। \q1 \v 23 सहर के दुवार\f + \fr 31:23 \fr*\ft या \ft*\fqa मनखेमन के इकट्ठा होय के जगह\fqa*\f* म ओकर घरवाला के आदर होथे, \q2 जिहां ओह देस\f + \fr 31:23 \fr*\ft या \ft*\fqa सहर या इलाका\fqa*\f* के अगुवामन के बीच म बईठथे। \q1 \v 24 ओह सन के कपड़ा बनाके बेचथे, \q2 अऊ बेपारीमन ला बेचे बर दुपट्टा देथे। \q1 \v 25 ओह बल अऊ सम्मान के पहिरावा पहिरे रहिथे; \q2 ओह अवइया समय ऊपर हंस सकथे। \q1 \v 26 ओह बुद्धि के संग गोठियाथे, \q2 अऊ ओकर मुहूं ले सच्चई के सिकछा निकलथे। \q1 \v 27 ओह अपन घर के कामकाज ऊपर नजर रखथे \q2 अऊ बिगर मेहनत के रोटी नइं खावय। \q1 \v 28 ओकर लइकामन उठके ओला धइन कहिथें; \q2 ओकर घरवाला घलो ओला आसीसित कहिथे, अऊ ये कहिके ओकर परसंसा करथे: \q1 \v 29 “कतको माईलोगनमन उत्तम काम करथें, \q2 पर तेंह ओ जम्मो ले बढ़के करथस।” \q1 \v 30 आकरसन ह धोखा देवइया ए अऊ सुन्दरता ह गायब हो जाथे; \q2 पर जऊन माईलोगन ह यहोवा के भय मानथे, ओकर परसंसा होथे। \q1 \v 31 ओह जऊन काम करे हवय, ओ जम्मो बर ओकर आदर करव, \q2 अऊ ओकर काम के कारन सहर के दुवार म ओकर परसंसा होवय।