\id JOL - Biblica® Open Chhattisgarhi Contemporary Version \ide UTF-8 \h योएल \toc1 योएल के किताब \toc2 योएल \toc3 योए \mt1 योएल \mt2 के किताब \c 1 \p \v 1 यहोवा के ओ बचन जऊन ह पतूएल के बेटा योएल मेर आईस। \b \s1 टिड्डीमन के धावा \q1 \v 2 हे अगुवामन, ये बात ला सुनव; \q2 हे यहूदा देस म रहइया जम्मो मनखेमन, सुनव। \q1 का तुम्हर समय म \q2 या तुम्हर पुरखामन के समय म अइसन कोनो बात कभू होईस? \q1 \v 3 अपन लइकामन ला ये बात बतावव, \q2 अऊ तुम्हर लइकामन ये बात ला अपन लइकामन ला बतावंय, \q2 अऊ ओ लइकामन ओमन के आघू के पीढ़ी ला बतावंय। \q1 \v 4 टिड्डीमन के दल ह जऊन ला छोंड़ दे रिहिन \q2 ओला बड़े टिड्डीमन खा ले हवंय; \q1 जऊन ला बड़े टिड्डीमन छोंड़ दे रिहिन \q2 ओला छोटे टिड्डीमन खा ले हवंय; \q1 जऊन ला छोटे टिड्डीमन छोंड़ दे रिहिन \q2 ओला आने टिड्डीमन खा ले हवंय। \b \q1 \v 5 हे मतवारमन जागव, अऊ रोवव! \q2 हे जम्मो मंद पीनेवालामन, बिलाप करव; \q1 नवां मंद के कारन बिलाप करव, \q2 काबरकि येला तुम्हर मुहूं ले छीन ले गे हवय। \q1 \v 6 मोर देस ऊपर एक जाति ह चढ़ई कर दे हवय, \q2 ओह एक सक्तिसाली सेना ए अऊ ओमन के संखिया अनगिनत हे, \q1 ओकर दांत सिंह के दांत सहीं, \q2 ओकर जबड़ा सिंहनी के जबड़ा सहीं हवय। \q1 \v 7 ओह मोर अंगूर के नारमन ला उजाड़ दे हवय \q2 अऊ मोर अंजीर के रूखमन ला नास कर दे हवय। \q1 ओह ओमन के छाली ला निकाल दे हवय \q2 अऊ ओमन के साखामन ला सफेद छोंड़के \q2 ओमन के छाली ला फटिक दे हवय। \b \q1 \v 8 अइसन बिलाप करव, जइसन एक कुंवारी ह बोरा के कपड़ा पहिरे \q2 अपन जवानी म मंगेतर बर सोक करथे। \q1 \v 9 यहोवा के घर म \q2 न तो अन्न-बलिदान अऊ न ही पेय-बलिदान चघाय जाथे। \q1 यहोवा के सेवा करइया पुरोहितमन \q2 बिलाप करत हवंय। \q1 \v 10 खेतमन नास हो गे हवंय, \q2 भुइयां ह सूखा गे हवय; \q1 अनाज ह नास हो गे हवय, \q2 नवां अंगूर के मंद ह सूखा गे हवय, \q2 जैतून के तेल खतम होवथे। \b \q1 \v 11 हे किसानमन, निरास होवव, \q2 हे अंगूर के नार लगानेवालामन, बिलाप करव; \q1 गहूं अऊ जौ के अनाज बर दुखी होवव, \q2 काबरकि खेत के फसल ह नास हो गे हवय। \q1 \v 12 अंगूर के नार ह सूखा गे हवय \q2 अऊ अंजीर के रूख ह मुरझा गे हवय; \q1 अनार, खजूर अऊ सेव के रूख— \q2 मैदान के जम्मो रूख—सूखा गे हवंय। \q1 सही म मनखे के आनंद ह \q2 खतम हो गे हवय। \s1 बिलाप बर बुलावा \q1 \v 13 हे पुरोहितमन, बोरा के कपड़ा पहिरके बिलाप करव; \q2 तुमन जऊन मन बेदी करा सेवा करथव, बिलाप करव। \q1 तुमन जऊन मन मोर परमेसर के आघू म सेवा करथव \q2 आवव, अऊ बोरा के कपड़ा पहिरके रथिया बितावव; \q1 काबरकि तुम्हर परमेसर के घर म \q2 अन्न-बलिदान अऊ पेय-बलिदान चघाय बर बंद कर दिये गे हवय। \q1 \v 14 एक पबितर उपास के घोसना करव; \q2 एक पबितर सभा के आयोजन करव। \q1 अगुवामन ला अऊ ओ जम्मो \q2 जऊन मन देस म रहिथें ओमन ला \q1 यहोवा तुम्हर परमेसर के घर म बलावव, \q2 अऊ यहोवा के आघू म गिड़गिड़ाके बिनती करव। \b \q1 \v 15 ओ दिन बर हाय! \q2 काबरकि यहोवा के दिन ह लकठा म हवय; \q2 येह सर्वसक्तिमान\f + \fr 1:15 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fqa सद्दै\fqa*\f* कोति ले बिनास के दिन बनके आही। \b \q1 \v 16 का हमर देखत म \q2 दाना-पानी बंद नइं हो गीस— \q1 अऊ एही किसम ले हमर परमेसर के घर ले \q2 आनंद अऊ खुसी खतम नइं हो गीस? \q1 \v 17 माटी के ढेलामन के खाल्हे \q2 बीजामन झुलस गे हवंय। \q1 गोदाममन खंडहर होवत हें, \q2 अन्न-भंडारमन ला गिरा दिये गे हवय, \q2 काबरकि फसल नइं होईस। \q1 \v 18 पसुमन कइसे कराहत हवंय! \q2 पसुमन के झुंडमन बियाकुल होके भटकत हवंय \q1 काबरकि ओमन बर चरागन नइं ए; \q2 इहां तक कि भेड़मन के झुंड घलो तकलीफ म हवंय। \b \q1 \v 19 हे यहोवा, मेंह तोला पुकारत हंव, \q2 काबरकि सुनसान जगह के चरागनमन ला आगी ह नास कर दे हवय \q2 अऊ आगी के लपटा ले मैदान के जम्मो रूखमन जर गे हवंय। \q1 \v 20 अऊ त अऊ जंगली पसुमन तोर कामना करथें; \q2 पानी के सोतमन सूखा गे हवंय \q2 अऊ सुन्ना जगह के चरागनमन ला आगी ह नास कर दे हवय। \c 2 \s1 फांफामन के दल \q1 \v 1 सियोन म तुरही फूंकव; \q2 मोर पबितर पहाड़ी म खतरा के घंटी बजावव। \b \q1 देस म रहइया जम्मो झन कांपंय, \q2 काबरकि यहोवा के दिन आवत हे। \q1 ओह लकठा म आ गे हवय— \q2 \v 2 ओ दिन ह अंधियार अऊ धुंधलापन के दिन अय, \q2 ओह बादर ले भरे अंधियार के दिन अय। \q1 जइसने पहाड़ ऊपर बिहनियां के अंजोर बगरथे \q2 वइसने ही एक बड़े अऊ सक्तिसाली सेना आथे, \q1 अइसने बात जऊन ह कि पुराना जमाना म कभू नइं होईस \q2 अऊ न ही अवइया समय म कभू अइसने होही। \b \q1 \v 3 ओमन के आघू म आगी ह बिनास के काम करथे, \q2 ओमन के पाछू कोति आगी के लपटा उठथे। \q1 ओमन के आघू म देस ह अदन के बगीचा सहीं हवय, \q2 अऊ ओमन के पाछू, एक उजाड़ मरू-भुइयां— \q2 कोनो चीज ओमन ले नइं बचय। \q1 \v 4 ओमन घोड़ामन सहीं दिखथें; \q2 ओमन घुड़सवार सेना सहीं सरपट भागथें। \q1 \v 5 रथमन सहीं अवाज के संग \q2 ओमन पहाड़ के चोटीमन ऊपर कूद जाथें, \q1 धधकत आगी सहीं ओमन ठूंठमन ला भसम करत जाथें, \q2 ओमन लड़ई बर तियार सक्तिसाली सेना सहीं अंय। \b \q1 \v 6 ओमन के नजर पड़त ही जाति-जाति के मनखेमन पीरा म पड़ जाथें; \q2 हर एक के चेहरा ह डर ले पिंवरा पड़ जाथे। \q1 \v 7 ओमन योद्धा सहीं हमला करथें; \q2 ओमन सैनिकमन सहीं सहर के दीवारमन ऊपर चढ़ जाथें। \q1 ओमन जम्मो कतार म होके आघू बढ़थें, \q2 ओमन अपन क्रम ले नइं हटंय। \q1 \v 8 ओमन एक-दूसर ला नइं ढकेलंय; \q2 हर एक ह सीधा आघू बढ़थे। \q1 ओमन अपन क्रम ला बिगर टोरे \q2 समस्या ले होके निकल जाथें। \q1 \v 9 ओमन तेजी ले सहर म घुसरथें; \q2 ओमन दीवारमन के तीरे-तीर दऊड़थें। \q1 ओमन घरमन म चघ जाथें; \q2 ओमन चोरमन सहीं खिड़कीमन ले भीतर घुसरथें। \b \q1 \v 10 ओमन के आघू म धरती ह डोल जाथे, \q2 अकास ह कांपथे, \q1 सूरज अऊ चंदा धुंधला हो जाथें, \q2 अऊ तारामन फेर नइं चमकंय। \q1 \v 11 यहोवा ह अपन सेना के आघू म होके \q2 ऊंचहा अवाज म आदेस करथे; \q1 ओकर सेना के संखिया अनगिनत हे, \q2 अऊ ओ सेना ह सक्तिसाली ए, जऊन ह ओकर आदेस ला मानथे। \q1 यहोवा के दिन ह महान ए; \q2 येह भयानक ए। \q2 येला कोन ह सह सकथे? \s1 अपन मन ला चीरव \q1 \v 12 “तभो ले अब,” यहोवा ह घोसना करत हे, \q2 “तुमन अपन पूरा मन से उपास करत \q2 अऊ रोवत अऊ बिलाप करत मोर करा लहुंट आवव।” \b \q1 \v 13 अपन कपड़ामन ला नइं, \q2 पर अपन मन ला चीरव। \q1 यहोवा अपन परमेसर करा लहुंट आवव, \q2 काबरकि ओह अनुग्रहकारी अऊ करूनामय, \q1 गुस्सा करे म धीमा अऊ बहुंत मया करइया ए, \q2 अऊ बिपत्ति भेजे म नमरता देखाथे। \q1 \v 14 कोन जाने? ओह अपन बिचार ला बदलके नमरता देखाय \q2 अऊ अपन पाछू एक आसीस छोंड़ जाय— \q1 यहोवा तुम्हर परमेसर बर \q2 अन्न-बलिदान अऊ पेय-बलिदान। \b \q1 \v 15 सियोन म तुरही फूंकव, \q2 एक पबितर उपास के घोसना करव, \q2 एक पबितर सभा करव। \q1 \v 16 मनखेमन ला इकट्ठा करव, \q2 सभा ला पबितर करव; \q1 अगुवामन ला एक संग लानव, \q2 लइकामन ला, दूध पीयइया छोटे लइकामन ला \q2 इकट्ठा करव। \q1 दूल्हा अपन कमरा ला \q2 अऊ दुलहिन अपन कोठरी ला छोंड़के बाहिर आवंय। \q1 \v 17 पुरोहित, जेमन यहोवा के आघू म सेवा करथें, \q2 मंडप अऊ बेदी के बीच म रोवंय। \q1 ओमन कहंय, “हे यहोवा, अपन मनखेमन ला बचा। \q2 अपन खुद के मनखेमन ला जाति-जाति के मनखेमन के बीच म \q2 ठट्ठा के बिसय, एक कहावत झन बना। \q1 ओमन मनखेमन के बीच म काबर कहंय, \q2 ‘कहां हवय ओमन के परमेसर?’ ” \s1 यहोवा के जबाब \q1 \v 18 तब यहोवा ला अपन देस बर जलन होईस \q2 अऊ ओह अपन मनखेमन ऊपर तरस खाईस। \p \v 19 यहोवा ह ओमन ला जबाब दीस: \q1 “मेंह तुम्हर बर अनाज, नवां अंगूर के मंद \q2 अऊ जैतून के तेल भरपूर मात्रा म पठोवत हवंव, \q2 ताकि तुमन पूरा संतुस्ट हो जावव; \q1 मेंह तुमन ला आनजातमन बर \q2 फेर कभू हंसी के पात्र नइं बनावंव। \b \q1 \v 20 “मेंह उत्तर के उपदरवी दल ला तुम्हर ले दूरिहा भगा दूहूं, \q2 अऊ ओला एक सूखा अऊ बंजर देस कर दूहूं; \q1 ओकर पूरब के भाग मिरतू सागर \q2 अऊ पछिमी भाग भूमध्य सागर म डूब जाही। \q1 अऊ येकर दुरगंध ह ऊपर जाही; \q2 येकर गंध ह उठते रहिही।” \b \q1 सही म ओह बड़े-बड़े काम करे हवय! \q2 \v 21 हे यहूदा देस, झन डर; \q2 खुस अऊ आनंदित हो। \q1 सही म यहोवा ह बड़े-बड़े काम करे हवय! \q2 \v 22 हे जंगली पसुमन, झन डरव, \q2 काबरकि निरजन जगह के चरागनमन हरा-भरा होवत हें। \q1 रूखमन म फर लगत हवंय; \q2 अंजीर के रूख अऊ अंगूर के नार भरपूर फसल देवत हें। \q1 \v 23 हे सियोन के मनखेमन, खुस रहव, \q2 यहोवा अपन परमेसर म आनंदित रहव, \q1 काबरकि ओह तुमन ला सरद महिना के बारिस दे हवय \q2 काबरकि ओह बिसवासयोग्य अय। \q1 ओह तुमन ला बहुंत बारिस दे हवय, \q2 पहिले सहीं सरद अऊ बसन्त महिना के बारिस दे हवय। \q1 \v 24 कोठार ह अनाज ले भर जाही; \q2 कुंडमन नवां अंगूर के मंद अऊ तेल के बहुंतायत के कारन छलके लगहीं। \b \q1 \v 25 “मेंह तुमन ला ओ जम्मो बछर के फसल के भरपई कर दूहूं, जऊन ला फांफामन खा ले हवंय— \q2 बड़े फांफा अऊ छोटे फांफा, \q2 आने फांफा अऊ फांफामन के दल— \q1 मोर बड़े सेना जऊन ला मेंह तुम्हर बीच म पठोय रहेंव। \q1 \v 26 तुम्हर करा खाय बर बहुंत जेवन होही अऊ तुमन पेट भर खाहू, \q2 अऊ तुमन यहोवा अपन परमेसर के नांव के इस्तुति करहू, \q2 जऊन ह तुम्हर बर अद्भूत काम करे हवय; \q1 मोर मनखेमन फेर कभू लज्जा म नइं पड़हीं। \q1 \v 27 तब तुमन जानहू कि मेंह इसरायल म हवंव, \q2 अऊ ये कि मेंह यहोवा तुम्हर परमेसर अंव, \q2 अऊ ये कि मोर अलावा अऊ कोनो परमेसर नइं ए; \q1 मोर मनखेमन फेर कभू लज्जा म नइं पड़हीं। \s1 यहोवा के दिन \q1 \v 28 “अऊ ओकर बाद, \q2 मेंह अपन आतमा ला जम्मो मनखेमन ऊपर उंडेलहूं। \q1 तुम्हर बेटा अऊ बेटीमन अगमबानी करहीं, \q2 अऊ तुम्हर सियानमन सपना देखहीं, \q2 तुम्हर जवानमन दरसन देखहीं। \q1 \v 29 मेंह अपन दास अऊ अपन दासीमन ऊपर घलो \q2 ओ दिन म अपन आतमा उंडेलहूं। \q1 \v 30 मेंह ऊपर अकास म \q2 अऊ खाल्हे धरती म अद्भूत काम, \q2 याने कि लहू, आगी अऊ धुआं के बादर देखाहूं। \q1 \v 31 यहोवा के महान अऊ भयानक दिन के आय के पहिली \q2 सूरज ह अंधियार \q2 अऊ चंदा ह लहू सहीं हो जाही। \q1 \v 32 अऊ हर एक, जऊन ह यहोवा के नांव लीही, \q2 ओह उद्धार पाही; \q1 काबरकि छुटकारा सियोन पहाड़ \q2 अऊ यरूसलेम म होही, \q2 जइसने कि यहोवा ह कहे हवय, \q1 अऊ त अऊ बचनेवालामन म ओ मनखेमन घलो होहीं \q2 जेमन ला यहोवा ह बलाही। \c 3 \s1 जाति-जाति के मनखेमन के नियाय करई \q1 \f + \fr 3 \fr*\ft इबरानी म \+xt 3:1‑21\+xt* ला 4:1‑21 गने गे हवय\ft*\f* \v 1 “ओ दिनमन म अऊ ओ समय म, \q2 जब में यहूदा अऊ यरूसलेम के मनखेमन के जिनगी ला फेर ठीक कर दूहूं, \q1 \v 2 त में जम्मो जाति के मनखेमन ला इकट्ठा करहूं \q2 अऊ ओमन ला खाल्हे यहोसापात\f + \fr 3:2 \fr*\fq यहोसापात \fq*\ft के मतलब होथे \ft*\fqa यहोवा नियाय करथे\fqa*\f* के घाटी म ले आहूं। \q1 उहां मेंह ओमन के ओ काम बर परिछा करहूं \q2 जऊन काम ओमन मोर निज भाग, मोर मनखे इसरायलीमन संग करे हवंय, \q1 काबरकि ओमन मोर मनखेमन ला जाति-जाति के मनखेमन के बीच म तितिर-बितिर कर दे हवंय \q2 अऊ मोर देस के बंटवारा कर दे हवंय। \q1 \v 3 ओमन मोर मनखेमन बर चिट्ठी निकालथें \q2 अऊ बेस्यामन के बदला म लड़कामन ला देय दे हवंय; \q2 ओमन मंद पीये बर नोनीमन ला बेच दे हवंय। \p \v 4 “हे सूर अऊ सीदोन अऊ पलिस्ती के जम्मो इलाका के मनखेमन, अब तुम्हर करा मोर बिरूध म का हवय? जऊन काम मेंह करे हवंव, का तुमन ओकर बदला चुकावत हव? यदि तुमन मोला वापिस बदला चुकावत हव, त में तुरते, जल्दी करत, तुम्हर दुवारा करे गे काममन ला वापिस तुम्हरेच मुड़ म डार दूहूं। \v 5 काबरकि तुमन मोर सोन अऊ मोर चांदी ला लेय ले हव अऊ मोर कीमती खजानामन ला अपन मंदिर\f + \fr 3:5 \fr*\ft या \ft*\fqa महल\fqa*\f* म ले गेय हव। \v 6 तुमन यहूदा अऊ यरूसलेम के मनखेमन ला यूनानीमन के हांथ म बेच दे हवव, ताकि तुमन ओमन ला ओमन के देस ले दूरिहा पठो सकव। \p \v 7 “देखव, मेंह ओमन ला ओ जगहमन ले लहुंटाके लानेवाला हंव, जिहां तुमन ओमन ला बेच दे रहेव, अऊ तुम्हर करे गे काममन ला वापिस तुम्हरेच मुड़ ऊपर डाल दूहूं। \v 8 मेंह तुम्हर बेटा अऊ बेटीमन ला यहूदा के मनखेमन के हांथ म बेच दूहूं, अऊ यहूदा के मनखेमन ओमन ला बहुंत दूर रहइया एक जाति सबायीमन के हांथ म बेच दीहीं।” यहोवा ह कहे हवय। \q1 \v 9 जाति-जाति के मनखेमन के बीच म ये घोसना करव: \q2 लड़ई के तियारी करव! \q1 योद्धामन ला उत्तेजित करव! \q2 लड़इया जम्मो मनखेमन लकठा म आवंय अऊ हमला करंय। \q1 \v 10 अपन नांगर के फाल ला पीटके तलवार बना लव \q2 अऊ अपन हंसियामन ला पीटके ओमन के बरछी बना लव। \q1 जऊन ह दुरबल हवय, ओह कहय, \q2 “मेंह बलवान अंव!” \q1 \v 11 हे चारों कोति के जाति-जाति के जम्मो मनखेमन, जल्दी आवव, \q2 अऊ उहां तुमन जूरव। \b \q1 हे यहोवा, अपन योद्धामन ला खाल्हे ले आ! \b \q1 \v 12 “जाति-जाति के मनखेमन उत्तेजित होवंय; \q2 अऊ ओमन यहोसापात के घाटी म जावंय, \q1 काबरकि मेंह उहां चारों कोति के जाति-जाति के \q2 जम्मो मनखेमन के नियाय करे बर बईठहूं। \q1 \v 13 हंसिया चलाय के सुरू करव, \q2 काबरकि फसल ह पाक गे हवय। \q1 आवव, अंगूर ला रऊंदव, \q2 काबरकि अंगूर-रस के कुंड ह भर गे हवय \q2 अऊ कुंडमन छलकत हवंय— \q1 ओमन के दुस्टता बहुंत जादा हो गे हवय!” \b \q1 \v 14 निरनय के घाटी म \q2 मनखेमन के भीड़ ही भीड़ हवय! \q1 काबरकि निरनय के घाटी म \q2 यहोवा के दिन ह लकठा म हवय। \q1 \v 15 सूरज अऊ चंदा म अंधियार छा जाही, \q2 अऊ तारामन के चमकई ह बंद हो जाही। \q1 \v 16 यहोवा ह सियोन ले गरजही \q2 अऊ यरूसलेम ले गरजन सुनई दीही; \q2 अकास अऊ धरती कांप उठहीं। \q1 पर यहोवा ह अपन मनखेमन बर एक सरन-स्थान, \q2 अऊ इसरायल के मनखेमन बर एक सुरकछा गढ़ होही। \s1 परमेसर के मनखेमन बर आसीस \q1 \v 17 “तब तुमन जानहू कि में, यहोवा ही तुम्हर परमेसर अंव, \q2 अऊ अपन पबितर पहाड़ी, सियोन म निवास करथंव। \q1 यरूसलेम ह एक पबितर सहर होही; \q2 परदेसीमन फेर कभू ओकर ऊपर हमला नइं करहीं। \b \q1 \v 18 “ओ दिन पहाड़मन ले नवां अंगूर के मंद टपकही, \q2 अऊ पहाड़ीमन ले दूध के धारा बोहाही; \q2 यहूदा के जम्मो टीलामन म पानी बोहाही। \q1 यहोवा के घर ले पानी के एक सोता फूट निकलही \q2 अऊ सित्तीम घाटी\f + \fr 3:18 \fr*\ft या \ft*\fqa बंबरी के घाटी\fqa*\f* के सिंचई करही। \q1 \v 19 पर मिसर देस उजाड़ हो जाही, \q2 अऊ एदोम ह एक बेकार निरजन देस हो जाही, \q1 काबरकि येमन यहूदा के मनखेमन ऊपर अतियाचार करिन, \q2 अऊ येमन ओमन के देस म निरदोस मनखेमन के खून बोहाईन। \q1 \v 20 यहूदा म मनखेमन हमेसा निवास करत रहिहीं \q2 अऊ यरूसलेम म मनखेमन पीढ़ी-पीढ़ी तक रहिहीं। \q1 \v 21 का में ओ निरदोस मनखेमन के खून के बदला लिये बिगर छोंड़ दंव? \q2 नइं, बिलकुल नइं।” \b \qc यहोवा ह सियोन म निवास करथे!