\id JOB - Biblica® Open Chhattisgarhi Contemporary Version \ide UTF-8 \h अयूब \toc1 अयूब के किताब \toc2 अयूब \toc3 अयू \mt1 अयूब \mt2 के किताब \c 1 \s1 भूमिका \p \v 1 ऊज नांव के देस म अयूब नांव के एक झन मनखे रिहिस। ओह निरदोस अऊ ईमानदार रिहिस; ओह परमेसर के भय मानय अऊ बुरई ले दूरिहा रहय। \v 2 ओकर सात झन बेटा अऊ तीन झन बेटी रिहिन, \v 3 अऊ ओकर करा सात हजार भेड़, तीन हजार ऊंट, पांच सौ जोड़ी बईला, पांच सौ गदही, अऊ बहुंत अकन नौकर-चाकर रिहिन। पूरब देस के मनखेमन के बीच म, ओह सबले धनवान मनखे रिहिस। \p \v 4 ओकर बेटामन अपन जनम दिन म अपन घर म एक-दूसर ला बलाके भोज के आयोजन करंय, अऊ ओमन अपन तीनों बहिनीमन ला घलो अपन संग खाय-पीये बर नेवता देवंय। \v 5 जब भी भोज खाय के दिन ह बीत जावय, त अयूब ह ओमन ला सुध करे के परबंध करय। बड़े बिहनियां, ओह ओमन के हर एक झन बर ये सोचके होम-बलिदान करय, “सायद मोर लइकामन पाप करे होहीं अऊ अपन मन म परमेसर के बिरोध म काम करे होहीं।” अयूब ह हमेसा अइसने करय। \p \v 6 एक दिन स्वरगदूतमन\f + \fr 1:6 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fqa परमेसर के बेटामन\fqa*\f* यहोवा करा आईन, अऊ सैतान\f + \fr 1:6 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fq सैतान \fq*\ft के मतलब होथे \ft*\fqa बईरी \fqa*\ft या \ft*\fqa बिरोधी\fqa*\f* ह घलो ओमन के संग म आईस। \v 7 यहोवा ह सैतान ले पुछिस, “तें कहां ले आवत हस?” \p सैतान ह यहोवा ला जबाब दीस, “जम्मो धरती म एती-ओती घुमत-फिरत आय हवंव।” \p \v 8 तब यहोवा ह सैतान ला कहिस, “का तेंह मोर सेवक, अयूब कोति धियान देय हवस? धरती म ओकर सहीं कोनो नइं ए; ओह बिगर दोस के अऊ ईमानदार मनखे अय; ओह परमेसर के भय मानथे अऊ बुरई ले दूरिहा रहिथे।” \p \v 9 सैतान ह यहोवा ला जबाब दीस, “का अयूब ह बिगर कोनो कारन के परमेसर के भय मानथे? \v 10 का तेंह ओकर अऊ ओकर घर-परिवार अऊ ओकर जम्मो जिनिस के चारों कोति अपन सुरकछा के बाड़ा बांधके नइं रखे हस? तेंह ओकर काम म आसीस देय हवस, जेकर ले ओकर पसुमन के संखिया जम्मो देस म बढ़ गे हवय। \v 11 पर अब अपन हांथ ला बढ़ाके ओकर जम्मो जिनिस ला मार, अऊ ओह तोर मुहूं म तोर निन्दा करही।” \p \v 12 यहोवा ह सैतान ला कहिस, “ठीक हे! जऊन कुछू ओकर करा हवय, ओ जम्मो के अधिकार ला मेंह तोर हांथ म देवत हंव, पर अयूब के ऊपर तें अपन हांथ झन लगाबे।” \p तब सैतान ह यहोवा के आघू ले चल दीस। \p \v 13 एक दिन जब अयूब के बेटा-बेटीमन अपन बड़े भईया के घर म खावत रिहिन अऊ अंगूर के मंद पीयत रिहिन, \v 14 तब एक संदेसिया ह अयूब करा आके कहिस, “हमर बईलामन खेत जोतत रिहिन अऊ गदहीमन लकठा म चरत रिहिन \v 15 कि सबा के मनखेमन हमर ऊपर चढ़ई कर दीन अऊ पसुमन ला ले गीन। ओमन सेवकमन ला तलवार ले मार डारिन अऊ मेंह एके झन बांचके तोला बताय बर आय हवंव!” \p \v 16 अभी ओह अइसने कहितेच रिहिस कि दूसरा संदेसिया ह आके कहिस, “परमेसर के आगी अकास ले गिरिस अऊ ओकर ले भेड़मन अऊ चरवाहामन जरके भसम हो गीन अऊ मेंह एके झन बांचके तोला बताय बर आय हवंव!” \p \v 17 ओह अभी अइसने कहितेच रिहिस कि एक झन अऊ संदेसिया आके कहे लगिस, “कसदी के मनखेमन तीन दल बनाके आईन अऊ ऊंटमन ऊपर चढ़ई करके ओमन ला ले गीन अऊ ओमन सेवकमन ला तलवार ले मार डारिन। मेंह एके झन बांचके तोला बताय बर आय हवंव!” \p \v 18 ओह अभी अइसने कहितेच रिहिस कि एक आने संदेसिया आके कहिस, “तोर बेटा-बेटीमन अपन बड़े भईया के घर म खावत रिहिन अऊ अंगूर के मंद पीयत रिहिन \v 19 कि अचानक सुनसान जगह ले एक भयंकर आंधी आईस अऊ घर के चारों कोनटा ला अइसन मारिस कि घर ह ओमन ऊपर गिर पड़िस अऊ ओमन मर गीन। मेंहीच ह एके झन बांचके तोला बताय बर आय हवंव!” \p \v 20 ये सुनके अयूब ह ठाढ़ होईस अऊ दुख म अपन ओनहा ला चीरिस अऊ मुड़ ला मुड़ाईस। तब ओह परमेसर के भक्ति म भुइयां म गिरके दंडवत करिस \v 21 अऊ कहिस: \q1 “नंगरा मेंह अपन दाई के कोख ले आय रहेंव, \q2 अऊ नंगरा मेंह वापिस चले जाहूं। \q1 यहोवा ह दीस अऊ यहोवा ह ले लीस; \q2 यहोवा के नांव के परसंसा होवय।” \p \v 22 ये जम्मो बात म, अयूब ह न तो पाप करिस अऊ न ही परमेसर ऊपर अनियाय करे के दोस लगाईस। \b \c 2 \p \v 1 फेर एक आने दिन स्वरगदूतमन\f + \fr 2:1 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fqa परमेसर के बेटामन\fqa*\f* यहोवा करा आईन, अऊ सैतान घलो ओमन के संग म यहोवा करा आईस। \v 2 तब यहोवा ह सैतान ला पुछिस, “तें कहां ले आवत हस?” \p सैतान ह यहोवा ला जबाब दीस, “जम्मो धरती म एती-ओती घुमत-फिरत आय हवंव।” \p \v 3 तब यहोवा ह सैतान ला कहिस, “का तेंह मोर दास अयूब के ऊपर धियान देय हवस? धरती म ओकर सहीं कोनो नइं ए; ओह बिगर दोस के अऊ ईमानदार मनखे अय अऊ ओह परमेसर के भय आदर के साथ मानथे अऊ बुरई ले दूरिहा रहिथे। हालाकि तेंह ओला बिगर कोनो कारन के नास करे बर मोला ओकर बिरोध म उकसाय हस, तभो ले ओह अब तक ईमानदार बने हवय।” \p \v 4 सैतान ह जबाब दीस, “खाल के बलदा म खाल! परान के बलदा म मनखे ह अपन जम्मो कुछू ला दे देथे। \v 5 पर अब तेंह अपन हांथ बढ़ाके ओकर मांस अऊ हाड़ामन ला मार, अऊ ओह खचित तोर मुहूं म तोर निन्दा करही।” \p \v 6 यहोवा ह सैतान ला कहिस, “ठीक हे, अब ओह तोर अधिकार म हवय, पर तें ओकर परान ला सुरकछित रहन देबे।” \p \v 7 तब सैतान ह यहोवा करा ले चल दीस अऊ ओह अयूब के पांव के तरी ले लेके मुड़ के टीप तक पीरा देवइया फोड़ा निकालके दुख दीस। \v 8 तब अयूब ह माटी के घघरी के एक ठन टुकड़ा लीस अऊ राख म बईठके ओ टुकड़ा ले अपनआप ला खुजीयाय लगिस। \p \v 9 तब ओकर घरवाली ह ओला कहिस, “का तेंह अभी घलो अपन ईमानदारी ला धरे हस? परमेसर के निन्दा कर अऊ मर जा!” \p \v 10 अयूब ह ओला जबाब दीस, “तेंह मुरूख माईलोगन सहीं गोठियावत हस। का हमन परमेसर ले सिरिप बने चीजमन ला लेवन, अऊ समस्या ला नइं लेवन?” \p ये जम्मो बात म, अयूब ह अपन गोठ के दुवारा कोनो पाप नइं करिस। \b \p \v 11 जब अयूब के तीन झन संगी तेमानी के रहइया एलीपज, सूही के रहइया बिलदद अऊ नामाती के रहइया सोपर, अयूब के ऊपर आय ओ जम्मो समस्या के बारे म सुनिन, त ओमन अपन-अपन घर ले निकलिन अऊ एक संग मिलके ये निरनय करिन कि हमन ओकर करा जाके ओला सहानुभूति अऊ सांतवना देबो। \v 12 जब ओमन थोरकन दूरिहा ले ओला देखिन, त ओला नइं चिन सकिन; ओमन चिचिया-चिचियाके रोय लगिन, अऊ अपन दुख परगट करके ओनहा ला चीरिन अऊ ऊपर कोति धुर्रा उड़ियाके अपन-अपन मुड़ म डारे लगिन। \v 13 तब ओमन सात दिन अऊ सात रात ले ओकर संग भुइयां म बईठिन। कोनो अयूब ला एक सबद घलो नइं कहिन, काबरकि ओमन देखिन कि ओह अब्बड़ पीरा म रहय। \c 3 \s1 अयूब ह गोठियाथे \p \v 1 एकर बाद, अयूब ह अपन मुहूं खोलके अपन जनम दिन ला धिक्कारे लगिस। \v 2 ओह कहिस: \q1 \v 3 “नास हो जावय ओ दिन, जऊन दिन मोर जनम होईस, \q2 अऊ ओ रात घलो जेह कहिस, ‘पेट म बाबू हवय!’ \q1 \v 4 ओ दिन ह अंधियार हो जावय; \q2 परमेसर ह ऊपर ले ओकर सुधि झन लेवय; \q2 ओकर ऊपर अंजोर झन होवय। \q1 \v 5 दुख अऊ मिरतू के छइहां ह ओ दिन के ऊपर अधिकार करय; \q2 बादर ह ओकर ऊपर छाय रहय; \q2 दिन के अंधियार ह ओला डरावय। \q1 \v 6 ओ रथिया ला घोर अंधियार ह जकड़ डारय, \q2 बछर के दिनमन म ओ दिन ला सामिल झन करे जावय \q2 अऊ कोनो महिना म ओ दिन के गनती झन होवय। \q1 \v 7 ओ रथिया ह ठड़गी हो जावय; \q2 ओमा कोनो आनंद के धुन झन सुनई देवय। \q1 \v 8 जऊन मन दिनमन ला धिक्कारथें, ओमन ओ दिन ला धिक्कारंय, \q2 जऊन मन लिबयातान\f + \fr 3:8 \fr*\fq लिबयातान \fq*\ft इहां येकर मतलब होथे एक पौरानिक पसु जऊन ह समुंदर म रहिथे अऊ जेकर उपयोग बिनास लाय बर करे जाथे; येह एक \ft*\fqa “बिसाल समुंदर के सांप” \fqa*\ft एक \ft*\fqa “बिसाल अऊ बिलछन जन्तु” \fqa*\ft या \ft*\fqa “एक ठन ड्रैगन” \fqa*\ft ए\ft*\f* ला उत्तेजित करे बर तियार हवंय। \q1 \v 9 ओकर बिहनियां के तारामन अंधियार हो जावंय; \q2 ओह दिन के अंजोर बर तरसय अऊ ओ अंजोर ह झन आवय \q2 अऊ ओह बिहनियां के पहिली किरन ला झन देखे पावय, \q1 \v 10 काबरकि ओ दिन ह मोर दाई के कोख ला मोर बर बंद नइं करिस \q2 कि मोर आंखीमन समस्या ला झन देखंय। \b \q1 \v 11 “जनम के बेरा ही मेंह काबर नास नइं हो गेंव, \q2 अऊ गरभ ले निकलते ही मेंह काबर नइं मर गेंव? \q1 \v 12 मोला थामे बर उहां माड़ीमन काबर रिहिन \q2 अऊ मोला दूध पीयाय बर ओ थनमन काबर रिहिन? \q1 \v 13 कहूं अइसने नइं होतिस, त मेंह सांति म चुपेचाप पड़े रहितेंव; \q2 अऊ गहरी नींद म सुते अराम करतेंव, \q1 \v 14 मेंह धरती के ओ राजामन अऊ सासन करइयामन संग होतेंव \q2 जऊन मन अपन बर ओ जगहमन ला बनाईन, जऊन मन अब खंडहर हो गे हवंय, \q1 \v 15 या ओ राजकुमारमन संग होतेंव, जेमन करा सोन रिहिस, \q2 अऊ जऊन मन अपन घरमन ला चांदी ले भर ले रिहिन। \q1 \v 16 या बिगर समय के गिरे गरभ के लइका सहीं मोला भुइयां म काबर तोपे नइं गीस, \q2 याने ओ लइका जऊन ह कभू दिन के अंजोर ला नइं देखिस? \q1 \v 17 उहां दुस्ट मनखे के दुख देवई ह खतम हो जाथे, \q2 अऊ उहां थके-मांदे मनखेमन बिसराम पाथें। \q1 \v 18 उहां बंधक बनाय गे मनखेमन घलो अपन सुख के आनंद उठाथें; \q2 ओमन ला बेगारी करवइयामन के ललकार ह सुनई नइं देवय। \q1 \v 19 उहां छोटे-बड़े जम्मो झन रहिथें, \q2 अऊ गुलाममन अपन मालिक ले सुतंतर रहिथें। \b \q1 \v 20 “ओमन ला अंजोर काबर दिये जाथे, जऊन मन दुख म हवंय, \q2 अऊ ओमन ला जिनगी काबर दिये जाथे, जऊन मन उदास हवंय? \q1 \v 21 जऊन मन मऊत के कामना करथें, पर मऊत ओमन ला आवय नइं, \q2 जऊन मन गड़े खजाना ले घलो जादा मऊत के खोज करथें, \q1 \v 22 जऊन मन कि खुसी अऊ आनंद ले भरे रहिथें, \q2 जब ओमन कबर म हबरथें? \q1 \v 23 ओ मनखे ला जिनगी काबर दिये जाथे \q2 जेकर अगम के रद्दा ह लुकाय हवय, \q2 जेकर चारों कोति परमेसर ह घेरा बांधे हवय? \q1 \v 24 काबरकि आह भरई ह हर दिन के मोर जेवन हो गे हवय; \q2 मोर रोवई ह पानी के धारा कस बोहावत रहिथे। \q1 \v 25 जऊन बात ले मेंह डरावत रहेंव, ओही ह मोर ऊपर आ गे हवय; \q2 जऊन बात के मोला भय रिहिस, ओही ह मोर संग घटे हवय। \q1 \v 26 मोला न तो सुख, न ही सांति हवय; \q2 न ही मोला अराम मिलत हवय, पर सिरिप दुख ही दुख मोर ऊपर आ गे हवय।” \c 4 \s1 एलीपज के कहई \p \v 1 तब तेमान के रहइया एलीपज ह कहिस: \q1 \v 2 “कहूं कोनो तोर ले दू सबद कहय, त का तेंह तमक जाबे? \q2 पर कहे बिना कोन रह सकत हे? \q1 \v 3 सोच, तेंह कतेक झन ला सिकछा दे हवस, \q2 अऊ तेंह कइसने दुरबलमन ला बलवान करे हवस। \q1 \v 4 तोर बचन ह ओमन ला सहारा देय हवय, जऊन मन लड़खड़ावत रिहिन; \q2 तेंह लड़खड़ावत माड़ीमन ला बलवान करे हस। \q1 \v 5 फेर अब दुख ह तोर ऊपर आवत हे, अऊ तेंह निरास होवत हस; \q2 ओह तोर ऊपर आईस अऊ तेंह डरा गे। \q1 \v 6 का परमेसर के भक्ति ही तोर भरोसा \q2 अऊ तोर निरदोस जिनगी ह तोर आसा नइं होना चाही? \b \q1 \v 7 “बिचार कर: कोन ह निरदोस होके कभू नास होय हवय? \q2 कोनो मेर कोनो धरमी मनखे ह नास होय हवय? \q1 \v 8 जइसने कि मेंह देखे हंव, जऊन मन बुरई ला जोतथें \q2 अऊ दुख ला बोथें, ओमन उही ला लूहीं। \q1 \v 9 परमेसर के सांस ले ही ओमन नास हो जाथें; \q2 अऊ ओकर रिस के झोंका ले ओमन खतम हो जाथें। \q1 \v 10 सेरमन गरजथें अऊ गुर्राथें, \q2 तभो ले जवान सेरमन के दांत टोरे जाथे। \q1 \v 11 सिकार के कमी के कारन सेर ह मर जाथे, \q2 अऊ सेरनी के पीलामन एती-ओती बगर जाथें। \b \q1 \v 12 “एक ठन गोठ मोला गुपत म बताय गीस, \q2 मेंह येकर कानाफूसी ला सुनेंव। \q1 \v 13 रथिया बियाकुल करइया सपनामन के बीच म, \q2 जब मनखेमन गहिरा नींद म रहिथें, \q1 \v 14 तभे डर अऊ कंपकपी ह मोर म हमा गीस \q2 अऊ मोर जम्मो हाड़ामन कांपे लगिन। \q1 \v 15 एक आतमा ह मोर चेहरा के सामने ले होके गीस, \q2 अऊ मोर देहें के रूआंमन ठाढ़ हो गीन। \q1 \v 16 ओह रूक गीस, \q2 पर मेंह नइं बता सकेंव कि ओह का रिहिस। \q1 मोर आंखी के आघू म एक ठन रूप ठाढ़े रिहिस, \q2 अऊ मेंह एक सांत अवाज सुनेंव: \q1 \v 17 ‘का नासमान मनखे ह परमेसर ले जादा धरमी हो सकथे? \q2 का एक बलवान मनखे अपन सिरजनहार ले जादा सुध हो सकथे? \q1 \v 18 कहूं परमेसर ह अपन सेवकमन ऊपर भरोसा नइं करय, \q2 अऊ ओह अपन स्वरगदूतमन ला दोसी ठहिराथे, \q1 \v 19 त फेर ओमन के का होही, जऊन मन माटी के घरमन म रहिथें, \q2 जेमन के नीवमन धुर्रा म हवंय, \q2 जऊन मन पतंगा के सहीं पीस जाथें! \q1 \v 20 बिहान अऊ संझा के बीच म ओमन ला कुटा-कुटा करे जाथे; \q2 बिगर काकरो जाने, ओमन सदाकाल बर नास हो जाथें। \q1 \v 21 का ओमन के जिनगी के डेरा के डोरीमन ला नइं खींच दिये जावय, \q2 जेकर ले ओमन बिगर बुद्धि के मर जाथें?’ \b \c 5 \q1 \v 1 “यदि तोर ईछा हवय, त पुकार, पर तोला कोन जबाब दीही? \q2 पबितर जन म ले तेंह काकर कोति सहायता बर लहुंटबे? \q1 \v 2 तमकई ह तो मुरूख मनखे ला मार डारथे, \q2 अऊ जलन ह सीधवा मनखे ला मार डारथे। \q1 \v 3 मेंह खुद मुरूख मनखे ला बढ़त देखे हंव, \q2 पर अचानक ओकर घर ह सरापित हो गीस। \q1 \v 4 ओकर लइकामन सुरकछित नइं एं, \q2 ओमन अदालत म कुचरे जाथें, अऊ ओमन के बचाव करइया कोनो नइं ए। \q1 \v 5 भूखहा मनखेमन ओकर फसल ला खा जाथें, \q2 इहां तक कि ओमन कांटा-खूंटी के बीच ले घलो फसल ला ले लेथें, \q2 अऊ पीयासा मनखेमन ओकर धन ला हड़प लेथें। \q1 \v 6 काबरकि बिपत्ति ह माटी ले नइं उपजय, \q2 अऊ न ही समस्या ह भुइयां म ले उगय। \q1 \v 7 जइसे चिंगारीमन ऊपर कोति ही उड़थें, \q2 वइसे ही मनखे ह दुख भोगे बर जनमे हवय। \b \q1 \v 8 “पर यदि मेंह तोर स्थिति म होतेंव, त में परमेसर ले पराथना करतेंव; \q2 में अपन बात ओकर आघू म रखतेंव। \q1 \v 9 ओह अद्भूत काम करथे, जेला समझे नइं जा सकय \q2 अऊ ओह चमतकार करथे, जेला गने नइं जा सकय। \q1 \v 10 ओह धरती म बारिस करथे; \q2 ओह खेतमन म पानी पठोथे। \q1 \v 11 छोटे मनखेमन ला ओह ऊंचहा जगह म बईठारथे, \q2 अऊ सोक करइया मनखेमन ला ओह सुरकछा देथे। \q1 \v 12 ओह चतुरामन के योजना ला बिफल कर देथे, \q2 जेकर ले ओमन ला सफलता नइं मिलय। \q1 \v 13 ओह बुद्धिमानमन ला ओहीचमन के चतुरई म फंसो देथे, \q2 अऊ चलाकमन के योजना ह बिफल हो जाथे। \q1 \v 14 दिन म ही ओमन के ऊपर अंधियार छा जाथे; \q2 मंझन के बेरा ओमन रथिया कस टमड़े लगथें। \q1 \v 15 ओह जरूरतमंद मनखेमन ला ओमन के बोली के चोखा तलवार ले बचाथे; \q2 ओह ओमन ला बलवानमन के हांथ ले बचाथे। \q1 \v 16 एकरसेति गरीबमन ला आसा होथे, \q2 अऊ अनियायीमन अपन मुहूं बंद रखथें। \b \q1 \v 17 “धइन अय ओ मनखे, जऊन ला परमेसर ह सुधारथे; \q2 एकरसेति सर्वसक्तिमान के ताड़ना ला तुछ झन जान। \q1 \v 18 काबरकि ओह चोट पहुंचाथे, पर ओहीच ह पट्टी घलो बांधथे; \q2 ओह घायल करथे, पर ओकर हांथमन घायल ला बने घलो करथें। \q1 \v 19 छै बिपत्तिमन ले ओह तोला छोंड़ाही; \q2 सातवां म घलो तोर कुछू हानि नइं होही। \q1 \v 20 दुकाल म ओह तोला मिरतू ले, \q2 अऊ लड़ई म तलवार के वार ले बचाही। \q1 \v 21 तेंह जीभ ले निकले बचन के मार ले बचाय जाबे, \q2 अऊ जब बिनास ह तोर ऊपर आवय, त तोला डरे के जरूरत नइं ए। \q1 \v 22 तेंह बिनास अऊ दुकाल के बेरा म हंसबे, \q2 अऊ जंगली पसुमन ले तोला डर नइं होही। \q1 \v 23 काबरकि मैदान के पथरामन संग तोर एक करार होही, \q2 अऊ जंगली पसुमन तोर मितान सहीं होहीं। \q1 \v 24 तेंह जानबे कि तोर डेरा ह कुसल हवय; \q2 तेंह अपन संपत्ति के जांच करबे अऊ तोर कुछू चीज गंवाय नइं रहिही। \q1 \v 25 तेंह ये घलो जानबे कि तोर लइकामन अब्बड़ होहीं, \q2 अऊ तोर संतानमन भुइयां के कांदी सहीं बहुंत होहीं। \q1 \v 26 जइसे कि समय म बीड़ा ला खरही गांजे जाथे, \q2 वइसे ही तेंह तोर पूरा उमर होय के बाद ही मरबे। \b \q1 \v 27 “हमन येला परखके देख डारे हन, अऊ येह सच अय। \q2 एकरसेति येला सुन, अऊ येला अपन जिनगी म लागू कर।” \c 6 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह कहिस: \q1 \v 2 “यदि मोर पीरा ला तऊले जातिस \q2 अऊ मोर दुरगति ला तराजू म मढ़ाय जातिस! \q1 \v 3 त खचित येह समुंदर के बालू ले जादा भारी होतिस— \q2 कोनो अचम्भो के बात नो हय कि मेंह अपन गोठ म उतावला हो गे हंव। \q1 \v 4 सर्वसक्तिमान परमेसर के बानमन मोला बेधे हवंय, \q2 मोर आतमा ह ओमन के जहर ला पीयथे; \q2 परमेसर के आतंक ह मोर बिरोध म ठाढ़े हवय। \q1 \v 5 का जंगली गदहा ह रेंकथे, जब ओकर करा खाय बर कांदी रहिथे, \q2 या का बईला ह नरियाथे, जब ओकर करा चारा रहिथे? \q1 \v 6 का बिगर सुवादवाले जेवन ला बिगर नून के खाय जाथे, \q2 या दवाई के पऊधा के रस म कोनो सुवाद होथे? \q1 \v 7 मेंह येला छुये बर घलो नइं चाहंव; \q2 अइसने जेवन ह मोला बिमरहा कस घिन लगथे। \b \q1 \v 8 “बने होतिस, कि मोर बिनती ह सुने जातिस, \q2 अऊ जऊन बात के मेंह आसा करथंव, परमेसर ह ओला पूरा करतिस, \q1 \v 9 कि परमेसर ह मोला कुचर डारे के ईछा करतिस, \q2 अऊ ओह अपन हांथ ला बढ़ाके मोर परान ला ले लेतिस! \q1 \v 10 तब मोला ये बात म ढाढ़स होतिस— \q2 अब्बड़ पीरा म मोला आनंद होतिस— \q2 कि मेंह ओ पबितर परमेसर के बचन ला इनकार नइं करेंव। \b \q1 \v 11 “मोर म बल ही कहां हवय कि में अब भी आसा करंव? \q2 मोर सोच-बिचार ही का अय कि में धीरज धरंव? \q1 \v 12 का मोर बल पथरा कस हवय? \q2 का मोर देहें ह कांसा कस हवय? \q1 \v 13 का मोर करा अपनआप के मदद करे बर कोनो सक्ति हवय? \q2 का सफलता ह मोर ले दूरिहा नइं हो गे हवय? \b \q1 \v 14 “जऊन ह अपन संगी ऊपर दया नइं करय, \q2 ओह सर्वसक्तिमान के भय मानना छोंड़ देथे। \q1 \v 15 पर मोर भाईमन समय-समय म बोहावत ओ नरवामन कस दगाबाज अंय, \q2 जऊन मन छलकत बहथें \q1 \v 16 जब पिघलत बरफ के दुवारा मतलहा हो जाथें \q2 अऊ टघले बरफ ह ओमा मिल जाथे। \q1 \v 17 पर सूखा समय म ओमन के बहना बंद हो जाथे, \q2 अऊ गरमी म ओमन अपन जगह ले गायब हो जाथें। \q1 \v 18 यातरा करइया दलमन अपन रसता ले भटक जाथें; \q2 ओमन भटकके सुनसान जगह म चल देथें अऊ नास हो जाथें। \q1 \v 19 तेमा\f + \fr 6:19 \fr*\ft संभवतः अकाबा के खाड़ी के दक्खिन-पूरब म एक मरू-उदयान; देखव \+xt यसा 21:14\+xt* अऊ \+xt यर 25:23\+xt*\ft*\f* के यातरा करइया दलमन पानी खोजथें, \q2 सेबा नांव के जगह के यातरा करइया बेपारीमन ओकर आसा करत रहिथें। \q1 \v 20 ओमन ला निरासा होथे, काबरकि ओमन भरोसा रखे रिहिन; \q2 ओमन उहां हबरिन, त ओमन ला निरासा होईस। \q1 \v 21 वइसने तुमन घलो साबित कर दे हव कि तुमन मोर कोनो मदद नइं कर सकव; \q2 तुमन मोर बिपत्ति ला देखके डरा गे हवव। \q1 \v 22 का मेंह कभू कहेंव, ‘मोर कोति ले कुछू देवव, \q2 अपन संपत्ति म ले मोर बर एक छुड़ौती दव, \q1 \v 23 बईरी के हांथ ले मोला बचा लेवव, \q2 निरदयी के पकड़ ले मोला छोंड़ावव?’ \b \q1 \v 24 “मोला सिखावव अऊ मेंह चुपेचाप रहिहूं; \q2 मोला बतावव कि मेंह का गलती करे हंव। \q1 \v 25 खर्रा बोली ह कतेक पीरा देवइया होथे! \q2 पर तुमन के बहस ह का साबित करथे? \q1 \v 26 का तुमन मोर कहे गोठ ला सुधारे चाहत हव, \q2 अऊ मोर निरासा के गोठमन ला हवा के सहीं समझत हव? \q1 \v 27 तुमन तो अनाथमन ला गुलाम बनाय बर परची निकालहू, \q2 अऊ अपन संगी ला घलो दाम लेके बदल डारहू। \b \q1 \v 28 “पर अब किरपा करके मोर कोति देखव। \q2 का मेंह तुम्हर आघू म लबारी मारहूं? \q1 \v 29 नरम बनव, अनियायी झन होवव; \q2 फेर बिचार करव, काबरकि मोर ईमानदारी ह संकट म हवय। \q1 \v 30 का मोर गोठ म कोनो बुरई के बात हवय? \q2 का मेंह खराप भावना ला नइं चिन सकंव? \b \c 7 \q1 \v 1 “का मनखेमन ला धरती म कठिन मेहनत नइं करे बर परय? \q2 का ओमन के दिन ह बनी करइया बनिहार कस नइं होवय? \q1 \v 2 जइसने एक गुलाम ह संझा के छइहां के ईछा करथे, \q2 या एक बनिहार ह अपन बनी के आसा म रहिथे, \q1 \v 3 वइसने ही मोला बेकार के महिनामन ला देय गे हवय, \q2 अऊ मोर बर दुख भरे रथियामन ला ठहिराय गे हवय। \q1 \v 4 जब मेंह ढलंगथंव, त मेंह सोचथंव, ‘मेंह कब उठहूं?’ \q2 रथिया ह लाम होथे, अऊ मेंह बिहनियां होवत ले छटपटावत रहिथंव। \q1 \v 5 मोर देहें म कीरा अऊ घाव ह माटी के परत ले ढंकाय हवय, \q2 मोर चमड़ी ह फट गे हवय अऊ घाव ह पाक गे हवय। \b \q1 \v 6 “मोर दिनमन कोसटा के ढरकी ले घलो जादा तेज चलत हवंय, \q2 अऊ येमन बिगर कोनो आसा के बीत जाथें। \q1 \v 7 सुरता कर, हे परमेसर, मोर जिनगी ह सिरिप एक सांस अय; \q2 मोर आंखीमन फेर कभू खुसी नइं देखहीं। \q1 \v 8 जऊन ह अभी मोला देखत हवय, ओकर आंखी ह मोला फेर नइं देखही; \q2 तेंह मोला खोजबे, पर मेंह नइं मिलहूं। \q1 \v 9 जइसने बादर ह छरियाके गायब हो जाथे, \q2 वइसने ही जऊन ला कबर म माटी दे दिये जाथे, ओह लहुंटके नइं आवय। \q1 \v 10 ओह अपन घर म फेर कभू नइं आही; \q2 ओकर जगह ह ओला फेर कभू नइं चिनही। \b \q1 \v 11 “एकरसेति मेंह चुप नइं रहंव; \q2 मेंह अपन आतमा के दुख म होके गोठियाहूं, \q2 मेंह अपन जिनगी के करूवाहट म होके सिकायत करहूं। \q1 \v 12 का मेंह समुंदर अंव, या गहिरा पानी के बिकराल जन्तु, \q2 कि तें मोला पहरेदारी म रखबे? \q1 \v 13 जब मेंह सोचथंव, मोर खटिया म मोला सांति मिलही \q2 अऊ बिछौना म मोला मोर पीरा ले हरू लगही, \q1 \v 14 तब घलो तें मोला सपना म डरवाथस \q2 अऊ दरसन देखाके मोला भयभीत करथस, \q1 \v 15 एकरसेति मोर गला घोंटे जावय अऊ मोला मिरतू मिलय, \q2 एकर बदले कि मेंह ये देहें म बने रहंव। \q1 \v 16 मोला अपन जिनगी ले घिन आवथे; मेंह हमेसा जीयत नइं रहंव। \q2 मोला अकेला छोंड़ दे; मोर जिनगी के दिनमन के कोनो मतलब नइं ए। \b \q1 \v 17 “मनखे ह का ए कि तेंह ओला बहुंत महत्व देथस, \q2 अऊ तेंह ओकर ऊपर बहुंत धियान देथस, \q1 \v 18 अऊ तेंह रोज बिहनियां ओकर जांच करथस \q2 अऊ छिन-छिन म ओला परखत रहिथस? \q1 \v 19 का तेंह कभू मोर देखभाल करई नइं छोंड़स, \q2 या छिन भर के लागि घलो मोला अकेला नइं छोंड़स? \q1 \v 20 तेंह ओ अस, जऊन ह हमर हर एक काम ला देखत रहिथे, \q2 अगर मेंह पाप करे हंव, त मेंह तोर का बिगाड़े हंव? \q1 तेंह काबर मोला अपन निसाना बनाय हस? \q2 का मेंह तोर बर बोझ बन गे हवंव? \q1 \v 21 तेंह काबर मोर अपराध \q2 अऊ मोर पाप ला छेमा नइं करस? \q1 काबरकि अब तो मेंह माटी म मिल जाहूं; \q2 तेंह मोला खोजबे, फेर मोला नइं पाबे।” \c 8 \s1 बिलदद \p \v 1 तब सूही के रहइया बिलदद ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “तेंह कब तक अइसने बातमन ला कहत रहिबे? \q2 तोर गोठमन गरजत गरेर सहीं अंय? \q1 \v 3 का परमेसर ह नियाय ला बिगाड़थे? \q2 का सर्वसक्तिमान ह सही बात ला गलत कर देथे? \q1 \v 4 जब तोर लइकामन परमेसर के बिरूध पाप करिन, \q2 त ओह ओमन ला ओमन के पाप के सजा दीस। \q1 \v 5 पर यदि तेंह ईमानदारी ले परमेसर ला सहायता बर खोजबे, \q2 अऊ सर्वसक्तिमान ले बिनती करबे, \q1 \v 6 कहूं तेंह सुध अऊ धरमी अस, \q2 त अभी घलो ओह तोर कोति ले ठाढ़ होही \q2 अऊ तोला तोर पहिले के सम्पन्न दसा म ला दीही। \q1 \v 7 तोर सुरूआत ह छोटे जान पड़ही, \q2 पर तोर भविस्य म बहुंत बढ़ती होही। \b \q1 \v 8 “पिछला पीढ़ी के मनखेमन ले पुछ \q2 अऊ पता लगा कि ओमन के पुरखामन का सीखे रिहिन, \q1 \v 9 काबरकि हमन तो कल जनमे हन अऊ कुछू नइं जानन, \q2 अऊ धरती म हमर दिन ह छइहां कस अय। \q1 \v 10 जऊन मन हमर ले पहिले आईन, का ओमन तोला नइं सिखाहीं अऊ नइं बताहीं? \q2 का ओमन अपन समझ ले बात नइं करहीं? \q1 \v 11 जिहां दलदली भुइयां नइं ए, का उहां पपीरस पऊधा ह लम्बा बढ़ सकथे? \q2 का पानी बिगर कछार के कांदी ह बढ़ सकथे? \q1 \v 12 ओमन बढ़ सकथें अऊ काटे घलो नइं गे रहंय, \q2 पर ओमन कांदी ले घलो जल्दी सूख जाथें। \q1 \v 13 जऊन मन परमेसर ला बिसरा देथें, ओ जम्मो के हाल अइसने होथे; \q2 अऊ अइसने भक्तिहीन मनखेमन के आसा ह टूट जाथे। \q1 \v 14 जेकर ऊपर ओमन भरोसा करथें, ओह कमजोर होथे; \q2 अऊ जेला ओमन पतियाथें, ओह मेकरा के जाला सहीं अय। \q1 \v 15 ओमन जाला के ऊपर आसरा करथें, पर ओह टूट जाथे; \q2 ओमन ओला थामथें, पर ओह थामे नइं रहय। \q1 \v 16 ओमन घाम म पानी पलोय गे पऊधा सहीं अंय, \q2 जेकर डारामन बारी म चारों कोति बगरथें; \q1 \v 17 येह अपन जरीमन ला पथरा के कुढ़ा के चारों कोति लपेटथे \q2 अऊ पथरामन के बीच म जगह खोजथे। \q1 \v 18 कहूं येला अपन जगह ले उखान दिये जाथे, \q2 त ओ जगह ह ओकर इनकार करथे अऊ कहिथे, ‘मेंह तोला कभू देखे घलो नइं अंव।’ \q1 \v 19 खचित, इही ह येकर जिनगी के अन्त अय, \q2 अऊ ओ माटी म ले आने पऊधामन जामथें। \b \q1 \v 20 “खचित, परमेसर ह निरदोस मनखे ला अस्वीकार नइं करय \q2 या दुस्ट काम करइया मनखेमन के हांथ ला मजबूत नइं करय। \q1 \v 21 ओह अब भी तोर मुहूं ला हंसी ले \q2 अऊ तोर ओंठमन ला आनंद के जयकार ले भर दीही। \q1 \v 22 तोर बईरीमन ला लज्जित करे जाही, \q2 अऊ दुस्टमन के डेरा कहूं मेर नइं रहिही।” \c 9 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “सही म मेंह जानथंव कि येह सच अय। \q2 पर परमेसर के आघू म मनखेमन कइसे अपन निरदोस होय के बात ला साबित कर सकथें? \q1 \v 3 हालाकि ओमन ओकर ले बाद-बिबाद करे बर चाहिन, \q2 पर हजार म ले ओकर एको ठन गोठ के घलो जबाब नइं दे सकिन। \q1 \v 4 परमेसर ह अति बुद्धिमान ए अऊ अति बलवान ए। \q2 कोन ह ओकर बिरोध करके बिगर हानि के बांचे हवय? \q1 \v 5 ओह पहाड़मन ला बिगर ओमन के जानकारी के टार देथे \q2 अऊ ओह अपन रिस म ओमन ला उलट-पलट देथे। \q1 \v 6 ओह धरती ला अपन जगह ले हला देथे \q2 अऊ ओकर खंभामन ला कंपा देथे। \q1 \v 7 ओकर कहे ले सूरज ह घलो अंजोर नइं देवय; \q2 ओह तारामन के अंजोर ला बंद कर देथे। \q1 \v 8 ओह एके झन अकास-मंडल ला तानथे \q2 अऊ समुंदर के लहरामन ऊपर चलथे। \q1 \v 9 ओह सपतरसी अऊ सिकारी तारापुंज \q2 किरतिका अऊ दक्खिन के नछत्रमन के रचइता अय।\f + \fr 9:9 \fr*\ft या \ft*\fqa ओह उत्तरी अकास म तारामन के समूह, मांझा के अकास म तारामन के समूह ला बनाईस\fqa*\f* \q1 \v 10 परमेसर ह अइसने अद्भूत काम करथे, जेला समझे नइं जा सकय, \q2 अऊ ओह अतेक चमतकार करथे, जेला गने नइं जा सकय। \q1 \v 11 जब ओह मोर लकठा ले होके निकलथे, त मेंह ओला देख नइं सकंव; \q2 जब ओह चलथे, त मेंह समझ नइं सकंव। \q1 \v 12 कहूं ओह कुछू झटकके ले जाथे, त कोन ह ओला रोक सकथे? \q2 कोन ह ओला पुछ सकत हे, ‘तें का करत हस?’ \q1 \v 13 परमेसर ह अपन रिस ला नइं रोकय; \q2 इहां तक कि राहाब\f + \fr 9:13 \fr*\fq राहाब \fq*\ft पुराना जमाना के काल्पनिक समुंदर के \ft*\fqa अस्सूर\fqa*\f* के मदद करइयामन ओकर पांव खाल्हे झुकिन। \b \q1 \v 14 “त मेंह ओकर संग कइसे झगरा कर सकत हंव? \q2 ओकर संग बहस करे बर मेंह बचन कइसे पा सकथंव? \q1 \v 15 हालाकि मेंह निरदोस रहेंव, तभो ले ओला जबाब नइं दे सकेंव; \q2 मेंह अपन नियाय करइया करा दया करे बर सिरिप बिनती कर सकहूं। \q1 \v 16 अऊ त अऊ कहूं मेंह ओकर ले गोहार पारतेंव अऊ ओह जबाब घलो देतिस, \q2 पर मेंह बिसवास नइं करंव कि ओह मोर बात ला सुनही। \q1 \v 17 ओह आंधी चलाके मोला कुचर डारही \q2 अऊ बिगर कोनो कारन के ओह मोला घाव के ऊपर घाव दीही। \q1 \v 18 ओह मोला सांस लेवन घलो नइं दीही \q2 पर मोला दुख ले बियाकुल कर दीही। \q1 \v 19 कहूं येह बल के बात अय, त ओह बलसाली अय! \q2 अऊ कहूं येह नियाय के बात अय, त कोन ह ओला ललकार सकथे? \q1 \v 20 चाहे मेंह बिना दोस के होवंव, पर मोर बात ह मोला गलत ठहिराही; \q2 कहूं मेंह निरदोस होवंव, पर ओह मोला दोसी ठहिराही। \b \q1 \v 21 “हालाकि में निरदोस अंव, \q2 मोला अपन बर चिंता नइं ए; \q2 में अपन खुद के जिनगी ला तुछ समझथंव। \q1 \v 22 जम्मो बात ह एकेच अय; एकरसेति मेंह कहिथंव, \q2 ‘ओह निरदोस अऊ दुस्ट दूनों ला नास करथे।’ \q1 \v 23 जब कोनो बिपत्ति ह अचानक मिरतू लानथे, \q2 त ओह निरदोस मनखे के निरासा के हंसी उड़ाथे। \q1 \v 24 जब कोनो भुइयां ला दुस्ट मनखे के हांथ म दिये जाथे, \q2 त परमेसर ह येकर नियाय करइयामन के आंखी ला मुंद देथे। \q2 अइसने करइया ओह नो हय, त कोन अय? \b \q1 \v 25 “मोर जिनगी के दिनमन दऊड़नेवाला ले घलो जादा तेजी ले बीतत हवंय; \q2 येमन बिगर कोनो आनंद के बीतत जावत हंय। \q1 \v 26 येमन पपीरस पऊधा के डोंगीमन कस निकल जावत हंय, \q2 येमन अइसने बीतत हवंय, जइसने गिधवामन अपन सिकार ऊपर झपटथें। \q1 \v 27 कहूं मेंह कहंव, ‘मेंह अपन सिकायत ला भुला जाहूं \q3 मेंह अपन पीरा ला छोंड़के मुस्कराहूं,’ \q1 \v 28 तभो ले मेंह अपन जम्मो पीरा ले डरथंव, \q2 काबरकि मेंह जानत हंव कि तेंह मोला निरदोस नइं ठहिराबे। \q1 \v 29 जब मेंह पहिले ले ही दोसी पाय गे हंव, \q2 त फेर मेंह बेकार म काबर मेहनत करंव? \q1 \v 30 चाहे मेंह अपनआप ला साबुन ले \q2 अऊ अपन हांथमन ला सफई करइया पावडर ले धोवंव, \q1 \v 31 तभो ले तेंह मोला चीखला के खंचवा म डार देबे, \q2 अऊ मोर ओनहामन घलो मोर ले घिन करे लगहीं। \b \q1 \v 32 “परमेसर ह मोर सहीं कोनो मरनहार मनखे नो हय कि मेंह ओला जबाब दे सकंव, \q2 अऊ हमन अदालत म एक-दूसर के सामना करन। \q1 \v 33 यदि हमर बीच म कोनो समझौता करोइया होतिस, \q2 जऊन ह हमन ला एक संग लानतिस, \q1 \v 34 जऊन ह मोर ऊपर ले परमेसर के छड़ी ला टारतिस, \q2 ताकि मेंह ओकर आतंक ले कभू नइं डरतंय। \q1 \v 35 तब मेंह ओकर बिगर भय के गोठियातेंव, \q2 पर मेंह अपनआप म वइसने नो हंव। \b \c 10 \q1 \v 1 “मेंह अपन जिनगी ले घिन करथंव; \q2 एकरसेति मेंह खुलके सिकायत करहूं \q2 अऊ अपन मन के करूवाहट ले गोठियाहूं। \q1 \v 2 मेंह परमेसर ला कहिथंव: मोला दोसी झन ठहिरा, \q2 पर मोला बता कि मेंह तोर बिरोध म का अपराध करे हंव। \q1 \v 3 का मोला सताना, \q2 अपन हांथ के काम ला तुछ जानना तोला बने लगथे, \q2 जबकि दुस्टमन के बनाय योजना ऊपर तेंह हांसथस? \q1 \v 4 का तोर आंखीमन मनखे के आंखी कस हवंय? \q2 का तेंह वइसने देखथस, जइसने मनखेमन देखथें? \q1 \v 5 का तोर उमर के दिन ह मनखे के दिन कस छोटे अय \q2 या का तोर बछर ह मनखे के बछर सहीं अय, \q1 \v 6 कि तेंह मोर गलतीमन ला खोजबे \q2 अऊ मोर पाप के जांच-पड़ताल करबे— \q1 \v 7 हालाकि तेंह जानत हस कि मेंह दोसी नो हंव \q2 अऊ ये घलो कि तोर हांथ ले मोला कोनो बचाय नइं सकय? \b \q1 \v 8 “तोर हांथमन मोला रूप देय हवंय अऊ मोला बनाय हवंय। \q2 तभो ले का तेंह मोला नास कर देबे? \q1 \v 9 सुरता कर कि तेंह मोला माटी ले बनाय हवस। \q2 का तेंह मोला फेर धुर्रा म मिला देबे? \q1 \v 10 का तेंह मोला दूध के सहीं नइं रितोय \q2 अऊ दही के सहीं नइं जमाय? \q1 \v 11 का तेंह मोर ऊपर मांस अऊ चमड़ी नइं चघाय \q2 अऊ हाड़ा अऊ नसमन ला एक संग बुनके मोला नइं बनाय? \q1 \v 12 तेंह मोला जिनगी देय अऊ मोर ऊपर दया करय, \q2 अऊ तोर किरपा के कारन मोर आतमा के देखरेख होय हवय। \b \q1 \v 13 “पर तेंह अपन हिरदय म ये बातमन ला लुकाके राखे हवस, \q2 अऊ मेंह जानथंव कि येह तोर मन म रिहिस: \q1 \v 14 कहूं मेंह कोनो पाप करेंव, त तेंह ओला देखत होबे \q2 अऊ मोला बिगर सजा दिये नइं छोंड़बे। \q1 \v 15 कहूं मेंह दोसी अंव, त दुख-तकलीफ मोर ऊपर आवय, \q2 अऊ कहूं मेंह निरदोस घलो होवंव, तभो ले मेंह अपन मुड़ उठा नइं सकंव, \q1 काबरकि मेंह बहुंत लज्जित हंव \q2 अऊ अपन पीरा म मरत हंव। \q1 \v 16 यदि मेंह अपन मुड़ ला उठावंव, त तेंह सेर के सिकार करे सहीं लुकाके मोर पीछा करथस \q2 अऊ फेर तेंह मोर बिरोध म अपन अद्भूत बल देखाथस। \q1 \v 17 तेंह मोर बिरोध म नवां गवाहमन ले आथस \q2 अऊ मोर ऊपर अपन रिस ला बढ़ाथस \q2 अऊ बाधा के ऊपर बाधा मोर बिरोध म ले आथस। \b \q1 \v 18 “फेर तेंह मोला गरभ ले निकाले काबर? \q2 बने होतिस, काकरो देखे के पहिली, मेंह मर गे रहितेंव, \q1 \v 19 मोर रचना नइं होय रहितिस, \q2 या सीधा गरभ ले कबर म अमराय गे रहितेंव! \q1 \v 20 का मोर बांचे जिनगी के दिनमन थोरकून नइं ए? \q2 मोला छोंड़ दे कि मेंह आनंद के कुछू समय बीता सकंव \q1 \v 21 येकर पहिली कि मेंह ओ जगह म जावंव, जिहां ले कोनो नइं लहुंटंय, \q2 ओ जगह, जिहां अंधियार अऊ भारी अंधियार हवय, \q1 \v 22 याने ओ जगह, जिहां घोर रथिया, \q2 भारी अंधियार अऊ गड़बड़ हवय, \q2 अऊ त अऊ जिहां अंजोर ह घलो अंधियार सहीं अय।” \c 11 \s1 सोपर \p \v 1 तब नामात के रहइया सोपर ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “का ये जम्मो गोठ के जबाब नइं देना चाही? \q2 का ये गोठ कहइया के समरथन करे जावय? \q1 \v 3 का तोर बड़े बोल ले आने मन चुप रहंय? \q2 का तोला कोनो झन डांटय, जब तेंह हंसी उड़ाथस? \q1 \v 4 तेंह परमेसर ले कहिथस, ‘मोर बिसवास म कोनो कमी नइं ए \q2 अऊ मेंह तोर नजर म सुध हवंव।’ \q1 \v 5 बने होतिस, परमेसर ह खुद गोठियातिस, \q2 अऊ तोर बिरोध म अपन मुहूं ला खोलतिस \q1 \v 6 अऊ तोर ऊपर बुद्धि के गुपत गोठमन ला परगट करतिस, \q2 काबरकि सत-बुद्धि के दू ठन पहलू हवय। \q2 येला जान ले: परमेसर ह तोर कुछू पापमन ला भुला गे हवय। \b \q1 \v 7 “का तेंह परमेसर के भेद के बातमन ला समझ सकथस? \q2 का तेंह सर्वसक्तिमान के सीमना के पता पा सकत हस? \q1 \v 8 ओमन स्वरगमन ले घलो ऊंच हवंय—तेंह का कर सकत हस? \q2 ओह तो पाताल-लोक ले जादा गहिरा हवय—तेंह का जान सकत हस? \q1 \v 9 ओमन के नाप ह धरती ले लम्बा \q2 अऊ समुंदर ले घलो जादा चाकर हवय। \b \q1 \v 10 “कहूं ओह आवय अऊ तोला जेल म डाल देवय \q2 अऊ अदालत लगावय, त कोन ह ओला रोक सकथे? \q1 \v 11 खचित ओह धोखा देवइयामन ला चिन लेथे; \q2 अऊ जब ओह बुरई देखथे, त का ओह ओला धियान नइं देवय? \q1 \v 12 पर मुरूख मनखे ह बुद्धिमान नइं बन सकय, \q2 जइसे कि जंगली गदहा के पीला ह मनखे के रूप म नइं जनम सकय। \b \q1 \v 13 “तभो ले कहूं तेंह अपन मन ला ओकर कोति लगाथस \q2 अऊ अपन हांथमन ला ओकर कोति पसारथस, \q1 \v 14 यदि तेंह अपन पापमन ला छोंड़ देथस \q2 अऊ अपन डेरा म बुरई ला रहे बर नइं देवस, \q1 \v 15 तब, तेंह निरदोस होके अपन चेहरा ऊपर उठा सकबे; \q2 अऊ तेंह बिगर भय के मजबूत ठाढ़े रहिबे। \q1 \v 16 तेंह खचित अपन दुख ला भुला जाबे, \q2 ओह तोला सिरिप बहा दिये गय पानी कस सुरता रहिही। \q1 \v 17 तोर जिनगी ह मंझनियां ले घलो जादा चमकदार होही, \q2 अऊ अंधियार ह बिहनियां कस हो जाही। \q1 \v 18 तेंह सुरकछित रहिबे, काबरकि तोला आसा होही; \q2 तेंह अपनआप ला देखबे अऊ निरभय होके अराम करबे। \q1 \v 19 जब तेंह लेटबे, त तोला कोनो नइं डराहीं, \q2 अऊ बहुंते झन तोर बर मया देखाहीं। \q1 \v 20 पर दुस्ट मनखेमन के आंखीमन अंधरा हो जाहीं, \q2 अऊ ओमन ला बचके निकले के कोनो रसता नइं दिखही; \q2 ओमन ये आसा करहीं कि ओमन मर जावंय।” \c 12 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “तुमन सोचथव कि सिरिप तुमन ही महत्व के मनखे अव \q2 अऊ तुम्हर मरे ले तुम्हर संग बुद्धि ह घलो खतम हो जाही! \q1 \v 3 पर मोर म घलो तुम्हर सहीं समझ हवय; \q2 मेंह तुमन ले कम नो हंव, \q2 कोन ह ये जम्मो बातमन ला नइं जानय? \b \q1 \v 4 “मेंह अपन संगीमन बर ठिठोली के बिसय बन गे हवंव, \q2 हालाकि मेंह परमेसर ले गोहारेंव अऊ ओह जबाब दीस— \q2 हालाकि में धरमी अऊ निरदोस अंव, तभो ले एक ठिठोली के बिसय बन गे हवंव! \q1 \v 5 जऊन मन अराम के जिनगी जीयथें, ओमन दुखी मनखे ले घिन करथें \q2 अऊ जेमन के गोड़ ह फिसलथे ओमन ला ढकेल देथें। \q1 \v 6 लुटेरामन के डेरा म कोनो समस्या नइं आवय, \q2 अऊ जऊन मन परमेसर ला रिस देवाथें, ओमन सुरकछित हवंय— \q2 ओमन के ईस्वर ह ओमन के मुठा म हवय। \b \q1 \v 7 “पर पसुमन ले पुछ, अऊ ओमन तोला सिखोहीं, \q2 या अकास के चिरईमन ले पुछ, अऊ ओमन तोला बताहीं; \q1 \v 8 या धरती ले गोठिया, अऊ येह तोला सिखोही, \q2 या समुंदर के मछरीमन तोला बतावंय। \q1 \v 9 ये जम्मो म ले कोन ह नइं जानय \q2 कि यहोवा ह अपन हांथ ले येला करे हवय? \q1 \v 10 ओकर हांथ म जम्मो जीवमन के जिनगी \q2 अऊ जम्मो मनखेमन के सांस हवय। \q1 \v 11 का कान ह सबदमन ला नइं परखय, \q2 जइसे जीभ ह जेवन के सुवाद ला चखथे? \q1 \v 12 का सियान मनखेमन के बीच म बुद्धि नइं पाय जावय? \q2 का जादा उमरवालामन म समझदारी नइं रहय? \b \q1 \v 13 “बुद्धि अऊ बल परमेसर के अय; \q2 सलाह अऊ समझ ओकर करा हवय। \q1 \v 14 जऊन ला ओह टोर-फोर देथे, ओला फेर नइं बनाय जा सकय; \q2 जऊन ला ओह बंदी बनाथे, ओला छोंड़ाय नइं जा सकय। \q1 \v 15 यदि ओह पानी ला रोक देथे, त उहां सूखा पड़थे; \q2 यदि ओह पानी ला छोंड़ देथे, त भुइयां ह बरबाद हो जाथे। \q1 \v 16 बल अऊ बुद्धि परमेसर के अंय; \q2 धोखा-खवइया अऊ धोखा देवइया दूनों ह ओकरेच अंय। \q1 \v 17 ओह सासन करइयामन ला ओमन के अधिकार ले अलग कर देथे \q2 अऊ नियाय करइयामन ला मुरूख बना देथे। \q1 \v 18 ओह राजामन के दुवारा डारे गे बेड़ी ला निकाल देथे \q2 अऊ ओमन के कनिहां ला कमरपट्टा ले जकड़ देथे। \q1 \v 19 ओह पुरोहितमन ला ओमन के अधिकार ले अलग कर देथे \q2 अऊ जमे-जमाय अधिकारीमन ला उखान फेंकथे। \q1 \v 20 ओह भरोसावाले सलाहकारमन के बोलती बंद कर देथे \q2 अऊ सियानमन के समझ ला छीन लेथे। \q1 \v 21 ओह उच्च घराना के मनखेमन के अपमान करथे \q2 अऊ बलवानमन ला बलहीन कर देथे। \q1 \v 22 ओह अंधियार के गहिरा बातमन ला परगट कर देथे \q2 अऊ घिटके अंधियार ला अंजोर म ले आथे। \q1 \v 23 ओह देसमन ला महान करथे, अऊ ओमन ला नास घलो करथे; \q2 ओह देसमन के बिस्तार करथे, अऊ ओमन ला छितिर-बितिर घलो कर देथे। \q1 \v 24 ओह धरती के अगुवामन के बिबेक ला छीन लेथे; \q2 अऊ ओमन ला बिगर रसतावाले बीरान जगह म भटकाथे। \q1 \v 25 ओमन अंजोर के बिगर अंधियार म टमड़त रहिथें; \q2 ओह ओमन ला अइसे बना देथे कि ओमन मतवार सहीं लड़खड़ावत रेंगथें। \b \c 13 \q1 \v 1 “मेंह ये जम्मो ला अपन आंखी ले देखे हवंव, \q2 मेंह येला अपन कान ले सुने अऊ समझ गे हवंव। \q1 \v 2 जऊन कुछू तुमन जानत हव, ओला मेंह घलो जानत हंव; \q2 मेंह तुमन ले कम नो हंव। \q1 \v 3 पर मेंह तो सर्वसक्तिमान परमेसर ले बात करे चाहत हंव \q2 अऊ मोर हालत के बारे म परमेसर ले बहस करे चाहत हंव। \q1 \v 4 तुमन तो मोर ऊपर लबारी गोठ के धब्बा लगावत हव; \q2 तुमन जम्मो झन बेकार के बईद अव। \q1 \v 5 कास! तुमन एकदम चुप रहितेव! \q2 तुम्हर बर ओह बुद्धिमानी होतिस। \q1 \v 6 अब मोर बहस ला सुनव; \q2 मोर तर्क के बात ला धियान देके सुनव। \q1 \v 7 का तुमन परमेसर बर खराप बात कहिहू? \q2 का तुमन ओकर बर कपट ले भरे गोठ गोठियाहू? \q1 \v 8 का तुमन ओकर संग पखियपात करहू? \q2 का तुमन परमेसर बर बहस करहू? \q1 \v 9 कहूं ओह तुमन ला जांचय, त का येह बने होही? \q2 का तुमन ओला कोनो मनखे ला धोखा देय सहीं धोखा दे सकत हव? \q1 \v 10 कहूं तुमन गुपत म पखियपात करहू, \q2 त ओह खचित तुम्हर ले लेखा लीही। \q1 \v 11 का ओकर सोभा तुमन ला भयभीत नइं करही? \q2 का ओकर डर तुमन म नइं समाही? \q1 \v 12 तुम्हर कहावतमन राख के नीतिबचन अंय; \q2 तुम्हर सुरकछा के गढ़मन माटी के गढ़ अंय। \b \q1 \v 13 “चुप रहव अऊ मोला गोठियावन दव; \q2 फेर चाहे जऊन कुछू मोर ऊपर आवय, त आवय। \q1 \v 14 काबर मेंह अपनआप ला जोखिम म डारंव \q2 अऊ अपन परान ला अपन हथेली म ले लंव? \q1 \v 15 चाहे परमेसर ह मोला मार घलो डारय, तभो ले मेंह ओकर ऊपर आसा रखहूं; \q2 मेंह खचित ओकर आघू म अपन बात के बचाव करहूं। \q1 \v 16 वास्तव म, इही ह मोर छुटकारा के कारन होही, \q2 काबरकि भक्तिहीन मनखे ह ओकर आघू म आय के हिम्मत नइं कर सकय! \q1 \v 17 मोर बात ला धियान देके सुनव; \q2 मोर बचन ह तुम्हर कान म एकदम पड़य। \q1 \v 18 अब मेंह अपन मामला तियार कर लेय हंव, \q2 मेंह जानत हंव कि मोला नियाय मिलही। \q1 \v 19 का कोनो मोर ऊपर दोस लगा सकथे? \q2 कहूं कोनो मोला दोसी ठहिरा देवय, त मेंह चुप हो जाहूं अऊ मर जाहूं। \b \q1 \v 20 “हे परमेसर! सिरिप मोर दू ठन मांग ला पूरा कर दे, \q2 अऊ तब मेंह तोर ले नइं लुकावंव: \q1 \v 21 तोर ताड़ना के हांथ ला मोर ऊपर ले हटा ले, \q2 अऊ अपन आतंक ले मोला डराना बंद कर दे। \q1 \v 22 तब मोला बला अऊ मेंह जबाब दूहूं, \q2 या फेर मोला गोठियावन दे, अऊ तें मोला ओकर जबाब दे। \q1 \v 23 मेंह कतेक गलती अऊ पाप करे हवंव? \q2 मोला मोर अपराध अऊ मोर पाप ला बता। \q1 \v 24 तेंह अपन चेहरा ला काबर लुकावत हस \q2 अऊ मोला अपन बईरी समझत हस? \q1 \v 25 का तेंह हवा म उड़ियावत रूख के पान ला दुख देबे? \q2 या का तेंह सूखाय भूंसा के पाछू पड़बे? \q1 \v 26 तेंह मोर बिरोध म करू गोठमन ला लिखत हवस, \q2 अऊ मोर जवानी के पाप के फल मोला भुगतात हवस। \q1 \v 27 तेंह मोर गोड़ म बेड़ी पहिरा दे हवस; \q2 तेंह मोर गोड़ के तरवा म चिनहां देके \q2 मोर जम्मो चालचलन ला धियान ले देखत रहिथस। \b \q1 \v 28 “अइसने मनखे ह तो सरे-गले चीज सहीं बेकार हो जाथे, \q2 जइसने कि कोनो ओनहा ला कीरामन खा डारे हवंय। \b \c 14 \q1 \v 1 “मनखेमन माईलोगन ले जनमथें, \q2 ओमन थोरकन दिन के अंय अऊ ओमन के जिनगी ह दुख ले भरे रहिथे। \q1 \v 2 ओमन फूल कस फूलथें, अऊ फेर मुरझा जाथें; \q2 ओमन तेजी ले ढरत छइहां कस अंय, अऊ टिके नइं रहंय। \q1 \v 3 का तेंह ओमन ऊपर अपन नजर डारबे? \q2 का तेंह ओमन ला नियाय बर अपन आघू म लानबे? \q1 \v 4 कोन ह असुध चीज म ले सुध चीज ला निकाल सकत हे? \q2 कोनो नइं! \q1 \v 5 मनखे के उमर के दिनमन ला निस्चित करे गे हवय; \q2 तेंह ओकर महिनामन के संखिया के फैसला कर डारे हस \q2 अऊ ओकर सिवाना ठहिराय हस जेकर आगे ओह नइं जा सकय। \q1 \v 6 एकरसेति जब तक ओह बनिहार कस अपन समय ला पूरा नइं कर लेवय, \q2 ओकर ऊपर ले अपन नजर ला हटा ले अऊ ओला अकेला रहन दे। \b \q1 \v 7 “एक रूख बर कम से कम ये आसा रहिथे: \q2 यदि येह काटे जावय, त येह फेर उलहोही, \q2 अऊ येकर नवां पीका निकलई बंद नइं होही। \q1 \v 8 चाहे येकर जरीमन भुइयां म जुन्ना हो जावंय \q2 अऊ येकर ठुड़गा ह माटी म सूखा जावय, \q1 \v 9 तभो ले पानी के गंध पाके येह उलहोही \q2 अऊ एक पऊधा कस पीका निकालही। \q1 \v 10 पर मनखे ह मर जाथे अऊ खाल्हे म परे रहिथे; \q2 ओकर परान निकल जाय के बाद ओह इहां नइं रहय। \q1 \v 11 जइसने झील के पानी ह घट जाथे \q2 या नदी ह गरमी म सूखा जाथे, \q1 \v 12 वइसने ही मनखे ह लेटथे अऊ फेर नइं उठय; \q2 जब तक अकासमन खतम नइं हो जाहीं, मनखे ह नइं जागही \q2 या ओला नींद ले जगाय नइं जाही। \b \q1 \v 13 “कास! तेंह मोला कबर म लुकाके रखते \q2 अऊ तब तक लुकाय रखते, जब तक कि तोर गुस्सा ह सांत नइं हो जातिस! \q1 कास! तेंह मोर बर एक समय ठहिरा देते \q2 अऊ तब मोला सुरता करते! \q1 \v 14 कहूं कोनो मनखे ह मर जावय, त का ओह फेर जीही? \q2 अपन कठिन सेवा के जम्मो दिन म \q2 जब तक मोर छुटकारा नइं हो जावय, मेंह अगोरत रहिहूं। \q1 \v 15 तेंह मोला बलाबे अऊ मेंह तोला जबाब दूहूं; \q2 तेंह अपन हांथ ले रचे परानीमन के लालसा करबे। \q1 \v 16 खचित तब तेंह मोर कदम ला गनबे \q2 पर मोर पाप के हिसाब नइं रखबे। \q1 \v 17 मोर अपराधमन थैली म मुहरबंद करे जाहीं; \q2 तेंह मोर पाप ला ढांप देबे। \b \q1 \v 18 “पर जइसे पहाड़ ह गिरथे अऊ चूर-चूर हो जाथे \q2 अऊ जइसे चट्टान ह अपन जगह ले हट जाथे, \q1 \v 19 जइसे पानी ह पथरामन ला घीस डारथे \q2 अऊ पानी के धारा ह माटी ला बोहाके ले जाथे, \q2 वइसे तेंह मनखे के आसा ला नास कर देथस। \q1 \v 20 तेंह ओमन ला हमेसा बर हरा देथस, अऊ ओमन चल देथें; \q2 तेंह ओमन के चेहरा ला बदल देथस अऊ ओमन ला निकाल देथस। \q1 \v 21 यदि ओमन के लइकामन के सम्मान करे जाथे, त ओमन येला नइं जानंय; \q2 यदि ओमन के संतानमन के बेजत्ती होथे, त ओमन येला नइं देख पावंय। \q1 \v 22 ओमन पीरा के अनुभव तो करथें पर सिरिप अपन देहें के पीरा, \q2 अऊ ओमन सिरिप अपन बर सोक मनाथें।” \c 15 \s1 एलीपज \p \v 1 तब तेमान के रहइया एलीपज ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “का बुद्धिमान मनखे बिगर सोचे-बिचारे जबाब दीही \q2 या गरम पूरबी पवन ले अपन पेट भरही? \q1 \v 3 का ओमन बेकार के गोठ ले बहस करहीं \q2 या बेमतलब के बात संग बहस करहीं? \q1 \v 4 पर तेंह परमेसर के आदर ला कम करथस \q2 अऊ परमेसर के भक्ति म बाधा डालथस। \q1 \v 5 तोर पाप ह तोर मुहूं ला गोठियाय बर उकसावत हे; \q2 तेंह चतुरामन के भासा म बातचीत करथस। \q1 \v 6 मेंह नइं, पर तोर खुद के मुहूं के गोठ ह तोला दोसी ठहिरात हे; \q2 तोर खुद के जीभ ह तोर बिरोध म गवाही देवत हे। \b \q1 \v 7 “का जम्मो मनखे म सबले पहिली तेंह जनमे? \q2 का परबतमन ले पहिली तोला बनाय गीस? \q1 \v 8 का तें परमेसर के सभा म बईठके सुनथस? \q2 का सिरिप तोरेच करा बुद्धि हवय? \q1 \v 9 तेंह अइसे का जानथस, जऊन ला हमन नइं जानन? \q2 तोर म अइसे कोन समझ के बात हवय, जऊन ह हमन म नइं ए? \q1 \v 10 पाके चुंदीवाला अऊ सियानमन हमर तरफ हवंय, \q2 अऊ त अऊ तोर ददा ले घलो जादा उमर के मनखेमन। \q1 \v 11 का परमेसर के ढाढ़स देवई, \q2 अऊ कहे गे कोमल बचन तोर बर परयाप्त नो हंय? \q1 \v 12 तोर मन ह तोला काबर आने कोति लेगत हे, \q2 अऊ रिस म तोर आंखीमन काबर चमकत हवंय, \q1 \v 13 कि तेंह अपन गुस्सा ला परमेसर के बिरोध म परगट कर \q2 अऊ अपन मुहूं ले अइसने बचन निकलन देय? \b \q1 \v 14 “मरनहार मनखे ह का अय कि ओह सुध हो सकय \q2 या माईलोगन ले जनमे मनखेमन कोन अंय कि ओमन धरमी हो सकंय? \q1 \v 15 यदि परमेसर ह अपन पबितर मनखेमन ऊपर भरोसा नइं करय, \q2 अऊ यदि स्वरगमन घलो ओकर नजर म सुध नइं अंय, \q1 \v 16 त फेर मरनहार मनखेमन के का हिसाब, जऊन मन दुस्ट अऊ भ्रस्ट अंय, \q2 अऊ अधरम के काम करे बर पीयासन रहिथें! \b \q1 \v 17 “मोर बात ला सुन अऊ मेंह तोला समझाहूं; \q2 मेंह तोला बतात हंव कि मेंह का देखे हंव, \q1 \v 18 ओ बात जऊन ला बुद्धिमान मनखेमन अपन पुरखामन ले पाय रिहिन, \q2 ओला बिगर छुपाय बताय हवंय, \q1 \v 19 (सिरिप पुरखामन ला देस दिये गे रिहिस \q2 जब कोनो परदेसी के ओमन के बीच म आना-जाना नइं रिहिस): \q1 \v 20 दुस्ट मनखे ह अपन जिनगी भर पीरा सहथे, \q2 अऊ निरदयी मनखे बर येह ओकर जिनगी भर बने रहिथे। \q1 \v 21 भयभीत करइया अवाज ओकर कान म गूंजत रहिथे; \q2 जब सब सही जान पड़थे, तभे बिनास करइयामन ओकर ऊपर आ जाथें। \q1 \v 22 ओला अंधियार म ले बच निकले के बिसवास नइं रहय; \q2 अऊ तलवार ले ओकर मारे जवई ह खचित ए। \q1 \v 23 ओह गिधवा के सहीं जेवन बर एती-ओती किंदरत रहिथे; \q2 ओह जानथे कि अंधियार के दिन ह तीरेच म हवय। \q1 \v 24 पीरा अऊ बिपत्ति के भय ले ओह भरे रहिथे; \q2 दुख-समस्या ले ओह बियाकुल रहिथे, जइसे कोनो राजा चढ़ई करे बर तियार हवय, \q1 \v 25 काबरकि ओह परमेसर के ऊपर मुक्का तानथे \q2 अऊ सर्वसक्तिमान परमेसर के बिरोध म अपन डींग मारथे, \q1 \v 26 अऊ ओकर बिरोध म उतावला होके \q2 एक मोटा अऊ मजबूत ढाल लेके ओकर ऊपर धावा बोलथे। \b \q1 \v 27 “हालाकि ओकर चेहरा म चरबी बड़ गे हवय \q2 अऊ ओकर कनिहां ह मांस भरे ले मोटा हो गे हवय, \q1 \v 28 पर ओह उजरे नगरमन म अऊ ओ घरमन म रहिही \q2 जिहां कोनो नइं रहंय, \q2 अऊ जिहां घर के दीवारमन कुटा-कुटा होके गिरथें। \q1 \v 29 ओह अऊ धनवान नइं रहिही अऊ ओकर धन बने नइं रहय, \q2 ओकर धन ह देस म नइं फईलही। \q1 \v 30 ओह अंधियार ले नइं बांच पाही; \q2 आगी के जुवाला ले ओकर पीकामन झुलस जाहीं, \q2 अऊ परमेसर के मुहूं के सांस ले ओह दूरिहा छिटक जाही। \q1 \v 31 ओह बेकार के बातमन म भरोसा करके अपनआप ला धोखा झन देवय, \q2 काबरकि ओकर बलदा म ओला कुछू नइं मिलय। \q1 \v 32 अपन समय के पहिली ओह मुरझा जाही, \q2 अऊ ओकर डारामन नइं बड़हीं। \q1 \v 33 ओह ओ अंगूर के नार सहीं होही जेकर कइंचा अंगूरमन झरके गिर जाथें, \q2 या ओह ओ जैतून रूख सहीं होही जेकर फूलमन झरके गिरत हवंय। \q1 \v 34 काबरकि भक्तिहीन के संगति म रहइया बिगर फर के होही, \q2 अऊ घूसखोरमन के डेरामन ला आगी ह भसम कर दीही। \q1 \v 35 ओमन समस्या खड़े करे के योजना बनाथें अऊ दुस्ट काम करथें; \q2 ओमन के मन म धोखाधड़ी के बिचार रहिथे।” \c 16 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “मेंह ये किसम के बहुंत गोठ सुन चुके हंव; \q2 तुमन जम्मो के जम्मो दयनीय तसल्ली देवइया अव। \q1 \v 3 का तुम्हर बेकार के लम्बा भासन कभू खतम नइं होवय? \q2 तुमन ला का तकलीफ हे कि तुमन बहस करतेच हव? \q1 \v 4 मेंह घलो तुम्हर सहीं गोठियातेंव, \q2 कहूं तुमन मोर जगह म होतेव त; \q1 मेंह तुम्हर बिरोध म सुघर भासन देतेंव \q2 अऊ मुड़ डोलातेंव। \q1 \v 5 पर मोर बचन ह तुमन ला उत्साहित करतिस; \q2 अऊ तसल्ली देवइया मोर गोठ ह तुम्हर दुख ला कम करतिस। \b \q1 \v 6 “कहूं मेंह गोठियावंव, तभो ले मोर पीरा ह कम नइं होवय; \q2 अऊ चाहे मेंह चुप रहंव, तभो ले ये पीरा ह मोर ले दूरिहा नइं होवय। \q1 \v 7 सही म, हे परमेसर, तेंह मोला थको दे हस; \q2 तेंह मोर जम्मो परिवार ला उजाड़ दे हस। \q1 \v 8 तेंह मोला सूखा डारे हस—अऊ येह एक गवाह बन गे हवय; \q2 मोर दुबलापन ह बाढ़त हे अऊ मोर बिरोध म उठके गवाही देवत हे। \q1 \v 9 परमेसर ह मोर ऊपर वार करथे अऊ अपन रिस म मोला चीर डारथे \q2 अऊ मोर बर अपन दांत किटकिटाथे; \q2 मोर बईरी ह मोला हीनता के आंखी देखावत हे। \q1 \v 10 मनखेमन मोला ताना मारथें; \q2 ओमन तिरस्कार म मोर गाल म थपरा मारथें \q2 अऊ मोर बिरोध म एक जुट होवथें। \q1 \v 11 परमेसर ह मोला भक्तिहीन मनखेमन के बस म कर दे हवय \q2 अऊ मोला दुस्टमन के हांथ म सऊंप दे हवय। \q1 \v 12 मोर संग सब ठीक रिहिस, पर ओह मोला चकनाचूर कर दीस; \q2 ओह मोर घेंच ला धरके मोला कुचर डारे हवय। \q1 ओह मोला अपन निसाना बनाय हवय; \q2 \v 13 ओकर धनुसधारीमन मोला चारों कोति ले घेरे हवंय। \q1 ओह निरदयी होके मोर गुरदामन ला बेधथे \q2 अऊ मोर पित्त ला भुइयां म बोहा देथे। \q1 \v 14 बार-बार ओकर गुस्सा ह मोर ऊपर फूटथे; \q2 ओह सूरबीर सहीं मोर ऊपर झपटत हवय। \b \q1 \v 15 “मेंह दुख के सेति अपन खाल ऊपर बोरा ला सील ले हवंव \q2 अऊ अपन बल ला धुर्रा म गड़िया दे हवंव। \q1 \v 16 रो-रोके मोर चेहरा ह लाल हो गे हवय, \q2 अऊ मोर आंखी के पलकमन के तरी ह करिया गे हवय; \q1 \v 17 तभो ले मेंह कोनो हिंसा के काम नइं करे हवंव \q2 अऊ मोर पराथना ह पबितर अय। \b \q1 \v 18 “हे धरती! मोर लहू ला झन ढांप; \q2 मोर दुहाई ह कभू झन रूकय। \q1 \v 19 अभी घलो स्वरग म मोर गवाह हवय; \q2 मोर वकील ह ऊपर म हवय। \q1 \v 20 मोर संगीमन मोर निन्दा करइया अंय; \q2 अऊ मोर आंखी ह परमेसर के आघू म आंसू बोहावत हवय; \q1 \v 21 एक मनखे कोति ले ओह परमेसर ले बिनती करथे \q2 जइसे कोनो अपन संगी बर बिनती करथे। \b \q1 \v 22 “सिरिप थोरकून बछर बीते के बाद \q2 मेंह ओ रद्दा म चले जाहूं, जिहां ले कोनो लहुंटके नइं आवंय। \c 17 \q1 \v 1 मोर मन ह टूट गे हवय, \q2 मोर जीये के दिनमन ला कम कर दिये गे हवय, \q2 कबर ह मोला अगोरत हे। \q1 \v 2 खचित ठट्ठा करइयामन मोर चारों कोति हवंय; \q2 मोर आंखीमन ओमन के बईरता ला देखत हवंय। \b \q1 \v 3 “हे परमेसर, मोला छोंड़ाय बर जमानत दे। \q2 अऊ कोन हवय, जऊन ह मोर बर ठाढ़ होही? \q1 \v 4 तेंह ओमन के समझ के सक्ति ला बंद कर दे हवस; \q2 एकरसेति तेंह ओमन ला जीते बर नइं देवस। \q1 \v 5 कहूं कोनो अपन लाभ बर अपन संगीमन के चारी-चुगली करथे, \q2 त ओकर लइकामन के आंखीमन फूट जाहीं। \b \q1 \v 6 “परमेसर ह मोला जम्मो झन बर एक कहावत बना दे हवय, \q2 अऊ मेंह अइसे मनखे हो गे हवंव, जेकर चेहरा म मनखेमन थूकथें। \q1 \v 7 मोर आंखीमन दुख के कारन धुंधला गे हवंय; \q2 मोर जम्मो देहें ह छइहां कस कमजोर हो गे हवय। \q1 \v 8 सीधवा मनखेमन येला देखके अचम्भो करथें; \q2 अऊ निरदोस मनखेमन भक्तिहीन मनखेमन के बिरोध म भड़कथें। \q1 \v 9 तभो ले, धरमीमन अपन रद्दा ला धरे रहिहीं, \q2 अऊ सुध काम करइया मनखेमन मजबूत होवत जाहीं। \b \q1 \v 10 “पर आवव, तुमन जम्मो झन, फेर कोसिस करव! \q2 पर तुम्हर बीच म, मेंह एको झन ला बुद्धिमान नइं पाहूं। \q1 \v 11 मोर जीये के दिनमन तो बीत गीन, मोर योजनामन छितिर-बितिर हो गे हवंय। \q2 मोर हिरदय के ईछामन चले गे हवंय \q1 \v 12 ओमन रथिया ला दिन म बदल देथें;\f + \fr 17:12 \fr*\ft या \ft*\fqa सच ला झूठ म बदल देथें\fqa*\f* \q2 अंजोर ह अंधियार के लकठा म हवय। \q1 \v 13 कहूं मेंह कोनो घर के आसा करंव, त ओह सिरिप कबर अय, \q2 कहूं मेंह अंधियार के जगह म अपन बिस्तर ला बिछावंव, \q1 \v 14 कहूं मेंह भ्रस्ट काम ला कहंव, ‘तें मोर ददा अस,’ \q2 अऊ कीरा ला कहंव, ‘तें मोर दाई अस’ या ‘मोर बहिनी अस,’ \q1 \v 15 त फेर मोर आसा कहां हवय— \q2 कोन ह मोर आसा ला देख सकथे? \q1 \v 16 का मोर आसा ह मिरतू के कपाट करा खाल्हे चल दीही? \q2 का हमन खाल्हे जाके एके संग धुर्रा म मिल जाबो?” \c 18 \s1 बिलदद \p \v 1 तब सूही के रहइया बिलदद ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “तेंह कब ये भासन ला खतम करबे? \q2 समझदार बन, अऊ तभे हमन गोठियाय सकथन। \q1 \v 3 हमन काबर पसु सहीं समझे जावत हन \q2 अऊ तोर नजर म मुरूख ठहिरे हन? \q1 \v 4 तें जऊन ह अपन रिस म अपनआप ला कुटा-कुटा करत हस, \q2 का तोर कारन धरती ला तियाग दिये जावय? \q2 या फेर चट्टानमन अपन जगह ले हट जावंय? \b \q1 \v 5 “दुस्ट मनखे के दीया ह बुता जाथे; \q2 ओकर आगी के जुवाला निकलई ह बंद हो जाथे। \q1 \v 6 दुस्ट मनखे के डेरा म अंजोर ह अंधियार हो जाथे, \q2 ओकर ऊपर म टांगे दीया ह बुता जाथे। \q1 \v 7 ओकर गोड़ के बल ह कमजोर हो जाथे; \q2 ओकर खुद के युक्ति ह ओला ले बुड़थे। \q1 \v 8 ओकर पांव ह ओला जाल म फंसोथे; \q2 ओह जाल म फंसके एती-ओती होथे। \q1 \v 9 फांदा ह ओकर एड़ी ला जकड़ लेथे; \q2 जाल ह ओला कसके पकड़ लेथे। \q1 \v 10 भुइयां म ओकर बर एक फांदा छिपे हवय; \q2 एक जाल ह ओकर रसता म हवय। \q1 \v 11 आतंक ह ओला जम्मो कोति ले चउंकाथे \q2 अऊ ओला पकड़े बर ओकर हर कदम के पीछा करथे। \q1 \v 12 बिपत्ति ह ओकर बर भूखन हवय; \q2 जब ओह गिरथे, त बिपत्ति ह ओकर बर तियार रहिथे। \q1 \v 13 येह ओकर चाम के भागमन ला खा जाथे; \q2 मिरतू के रोग ह ओकर देहें के अंगमन ला खा लेथे। \q1 \v 14 ओह अपन डेरा के सुरकछा ले चीर डाले जाथे \q2 अऊ आतंक के राजा करा लाने जाथे। \q1 \v 15 आगी ह ओकर डेरा म रहिथे; \q2 बरत गंधक ला ओकर निवास म छितराय जाथे। \q1 \v 16 ओकर जरी ह खाल्हे ले सूखा जाथे \q2 अऊ ऊपर म ओकर डारामन मुरझा जाथें। \q1 \v 17 धरती ले ओकर सुरता ह मिट जाथे; \q2 देस म ओकर नांव नइं रहय। \q1 \v 18 ओला अंजोर ले अंधियार के जगह म भगाय जाथे \q2 अऊ ओला संसार ले हटा दिये जाथे। \q1 \v 19 अपन मनखेमन के बीच म, ओकर कोनो संतान नइं रहंय, \q2 जिहां ओह रहत रिहिस, उहां ओकर कोनो नइं बचंय। \q1 \v 20 पछिम के मनखेमन ओकर दुरदसा ला देखके डराथें; \q2 पूरब के मनखेमन ऊपर भयंकर भय छा जाथे। \q1 \v 21 खचित, दुस्ट मनखे के निवास ह अइसने ही होथे; \q2 जऊन ह परमेसर ला नइं जानय, ओकर जगह ह अइसने होथे।” \c 19 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “तुमन मोला कब तक दुख देवत रहिहू \q2 अऊ ये गोठमन ले मोला कुचरत रहिहू? \q1 \v 3 दस बार अब तुमन मोर निन्दा कर चुके हव; \q2 अऊ बिगर लाज-सरम के मोर बुरई करथव। \q1 \v 4 कहूं येह सच अय कि मेंह सही रसता ले भटक गे हवंव, \q2 त फेर येह सिरिप मोर चिंता के बात ए। \q1 \v 5 कहूं तुमन सिरतों अपनआप ला मोर ले ऊपर करहू \q2 अऊ मोर दुख ला मोर बिरोध म उपयोग करहू, \q1 \v 6 त येला जान लेवव कि परमेसर ह मोला गलत ठहिराय हवय \q2 अऊ अपन जाल मोर चारों कोति बिछाय हवय। \b \q1 \v 7 “हालाकि मेंह चिचियाके कहिथंव, ‘उपदरव!’ पर मोला कोनो जबाब नइं मिलय; \q2 हालाकि मेंह सहायता बर गोहार लगाथंव, पर कोनो नियाय नइं होवय। \q1 \v 8 परमेसर ह मोला रोके बर रद्दा ला रूंध देय हवय कि मेंह नाहकके झन जा सकंव; \q2 ओह अंधियार म मोर रद्दा ला छुपा दे हवय। \q1 \v 9 ओह मोर आदरमान ला लेय ले हवय \q2 अऊ मुकुट ला मोर मुड़ म ले हटा ले हवय। \q1 \v 10 ओह मोला चारों कोति ले चीर डारथे, जब तक कि मेंह खतम नइं हो जावंव; \q2 ओह मोर आसा ला रूख के सहीं उखान देथे। \q1 \v 11 ओकर रिस ह मोर बिरोध म भड़कथे; \q2 ओह मोला अपन एक बईरी समझथे। \q1 \v 12 ओकर सेनामन ताकत के संग आघू बढ़थें; \q2 ओमन मोर बिरोध म घेरा बनाथें \q2 अऊ मोर डेरा के चारों कोति डेरा डालथें। \b \q1 \v 13 “ओह मोर भाईमन ला मोर ले दूरिहा कर दे हवय; \q2 मोर चिनहार मनखेमन मोर ले पूरा-पूरा अपन नाता टोर ले हवंय। \q1 \v 14 मोर रिस्तेदारमन मोला छोंड़ दे हवंय; \q2 अऊ मोर सबले बने संगीमन मोला भुला गे हवंय। \q1 \v 15 मोर पहुना अऊ मोर दासीमन मोला परदेसी समझथें; \q2 ओमन मोला एक अजनबी के सहीं देखथें। \q1 \v 16 मेंह अपन सेवक ला बलाथंव, पर ओह जबाब नइं देवय, \q2 हालाकि मेंह ओकर ले बिनती करथंव। \q1 \v 17 मोर सांस ह मोर घरवाली ला बने नइं लगय; \q2 मेंह अपन खुद के भाईमन बर घिनौना हो गे हवंव। \q1 \v 18 अऊ त अऊ नानकून लइकामन घलो मोर हंसी उड़ाथें; \q2 जब मेंह उठके बाहिर निकलथंव, त ओमन मोर ठिठोली करथें। \q1 \v 19 मोर जम्मो नजदीकी संगी-साथीमन मोर ले घिन करथें; \q2 जऊन मन ले मेंह मया करथंव, ओमन मोर बिरोध म हो गे हवंय। \q1 \v 20 मेंह सिरिप चमड़ी अऊ हाड़ा के छोंड़ अऊ कुछू नो हंव; \q2 मेंह मरे ले लटपट बांचे हवंव। \b \q1 \v 21 “मोर ऊपर दया करव, हे मोर संगीमन, दया करव, \q2 काबरकि परमेसर के कोप ह मोर ऊपर भड़के हवय। \q1 \v 22 तुमन परमेसर के सहीं काबर मोर पाछू पड़े हवव? \q2 का मोला तड़फाय म तुमन ला कभू संतोस नइं होवय? \b \q1 \v 23 “कास, मोर गोठमन ला लिखे जातिस, \q2 कास, ओमन ला एक किताब म लिखे जातिस, \q1 \v 24 कास, ओमन सीसा म लोहा के कलम ले लिखे जातिन, \q2 या हमेसा बर चट्टान के ऊपर खने जातिन! \q1 \v 25 मेंह जानत हंव कि मोला कैद ले छुड़इया ह जीयत हवय, \q2 अऊ आखिर म ओह धरती ऊपर ठाढ़ होही। \q1 \v 26 अऊ मोर चमड़ी के नास हो जाय के पाछू घलो, \q2 मेंह अपन मांस म होके परमेसर ला देखहूं; \q1 \v 27 मेंह खुद ओला देखहूं \q2 अपन खुद के आंखी ले—मेंह देखहूं, आने अऊ कोनो नइं। \q2 मोर हिरदय ह भीतरे-भीतर ओकर बहुंत कामना करत हवय। \b \q1 \v 28 “कहूं तुमन कहत हव, ‘हमन ओला कइसे सताबो, \q2 जब समस्या के जरी ओकर ऊपर हवय,’ \q1 \v 29 त तुमन ला खुद तलवार ले डरना चाही; \q2 काबरकि कोरोध ह तलवार के दुवारा दंड लानही, \q2 अऊ तब तुमन जानहू कि नियाय हवय।” \c 20 \s1 सोपर \p \v 1 तब नामात के रहइया सोपर ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “मोर बियाकुल बिचार ह मोला उकसावत हे कि मेंह जबाब दंव \q2 काबरकि मेंह बहुंत असांत हंव। \q1 \v 3 मेंह एक डांट सुनेंव, जेकर ले मोर अपमान होथे, \q2 अऊ मोर समझ ह जबाब देय बर मोला उकसावत हे। \b \q1 \v 4 “खचित तेंह जानत हस कि पुराना जमाना ले येह कइसे हवय, \q2 याने जब ले धरती के ऊपर मनखे\f + \fr 20:4 \fr*\ft या \ft*\fqa आदम\fqa*\f* के सिरिस्टी करे गीस, \q1 \v 5 दुस्टमन के खुसी ह थोरकून समय के अय, \q2 अऊ भक्तिहीन मनखेमन के आनंद छिन भर के होथे। \q1 \v 6 हालाकि भक्तिहीन मनखे के घमंड ह अकास तक हबरथे \q2 अऊ ओकर मुड़ ह बादरमन ला छूथे, \q1 \v 7 पर ओह अपन खुद के संडास सहीं सदाकाल बर नास हो जाही; \q2 जऊन मन ओला देखे रिहिन, ओमन पुछहीं, ‘ओह कहां हवय?’ \q1 \v 8 सपना कस ओह उड़ जाथे, अऊ फेर कभू नइं मिलय, \q2 रात के एक दरसन कस ओह दूरिहा हो जाही। \q1 \v 9 जऊन आंखी ह ओला देखे रिहिस, ओह ओला फेर नइं देखही; \q2 ओह अपन जगह म फेर नइं देखे जाही। \q1 \v 10 ओकर लइकामन गरीबमन ले दया के आसा करहीं; \q2 ओकर खुद के हांथमन ओकर धन वापिस दीहीं। \q1 \v 11 जऊन जवानी के बल ह ओकर हाड़ामन म भरे रहिथे, \q2 ओह ओकर संग धुर्रा म मिल जाही। \b \q1 \v 12 “हालाकि बुरई ह ओकर मुहूं म मीठ लगथे \q2 अऊ ओह ओला अपन जीभ के तरी म लुकाके रखथे, \q1 \v 13 हालाकि ओह ओला छोंड़े बर नइं चाहय \q2 अऊ ओला अपन मुहूं म रखे रहिथे, \q1 \v 14 तभो ले ओकर जेवन ह पेट म करू हो जाही; \q2 येह ओकर भीतर म सांप के जहर हो जाही। \q1 \v 15 जऊन धन ला ओह लील ले रिहिस, ओह ओला निकाल दीही; \q2 परमेसर ह ओला ओकर पेट म ले उल्टी करवा दीही। \q1 \v 16 ओह सांपमन के जहर ला चुहकही; \q2 जहरिला सांप के दांतमन ओला मार डारहीं। \q1 \v 17 ओह ओ झरना अऊ नदियामन के आनंद नइं उठा सकही, \q2 जेमा मंधरस अऊ दही के धार बोहावत हवय। \q1 \v 18 जेकर बर ओह कठोर मेहनत करिस, ओला बिगर खाय ओह वापिस करही; \q2 ओह अपन धंधा ले मिले लाभ के आनंद नइं उठा सकही। \q1 \v 19 काबरकि ओह कंगालमन ऊपर अतियाचार करे हवय अऊ ओमन ला बेसहारा छोंड़ दे हवय; \q2 ओह ओ घरमन ला हड़प ले हवय, जऊन ला ओह नइं बनाय रिहिस। \b \q1 \v 20 “खचित, ओकर लालसा के कभू अन्त नइं होवय; \q2 ओह अपन धन के दुवारा अपनआप ला नइं बंचा सकय। \q1 \v 21 खाय बर ओकर लिये कुछू नइं बांचे हवय; \q2 ओकर अमीरी ह बने नइं रहय। \q1 \v 22 ओकर धन अऊ सफलता के समय म ओला दुख ह घेर लीही; \q2 दुरगति के जम्मो चीज ओकर ऊपर आ पड़ही। \q1 \v 23 जब ओह अपन पेट ला भर चुके होही, \q2 तभे परमेसर ह अपन भारी रिस ला ओकर ऊपर देखाही \q2 अऊ ओकर ऊपर दुख ही दुख लानही। \q1 \v 24 हालाकि ओह लोहा के हथियार ले बच निकलथे, \q2 फेर कांस के बान ह ओला छेद डारथे। \q1 \v 25 ओह ये बान ला तीरके ओकर पीठ ले निकालथे, \q2 चिकचिकावत छोर ह ओकर करेजा ले बाहिर निकलथे। \q1 ओकर ऊपर आतंक छा जाही; \q2 \v 26 ओकर धन-संपत्ति बर घिटके अंधियार ह बाट जोहथे। \q1 बिगर हवा के बरत आगी ह ओला भसम कर दीही \q2 अऊ ओकर डेरा म बांचे चीजमन ला नास कर दीही। \q1 \v 27 अकास ह ओकर अपराध ला परगट करही; \q2 धरती ह ओकर बिरोध म ठाढ़ होही। \q1 \v 28 पानी के बाढ़ ह ओकर घर ला बोहाके ले जाही, \q2 परमेसर के रिस के दिन ओकर पूंजी ह बोहा जाही। \q1 \v 29 परमेसर ह दुस्ट मनखे के हालत अइसने करथे, \q2 परमेसर कोति ले ओमन बर ये किसम के उत्तराधिकार ठहिराय गे हवय।” \c 21 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “मोर गोठ ला धियान देके सुनव; \q2 ये किसम ले तुमन मोला सांतवना दे सकत हव। \q1 \v 3 मोर गोठ के पूरा होवत ले धीरज धरव, \q2 अऊ जब मेंह गोठिया लेवंव, त फेर मोर हंसी उड़ावव। \b \q1 \v 4 “का मोर सिकायत कोनो मनखे ले हवय? \q2 फेर मेंह अधीर काबर नइं होवंव? \q1 \v 5 मोला देखव अऊ अचम्भो करव; \q2 अपन मुहूं ला अपन हांथ ले छबकव। \q1 \v 6 जब में येकर बारे म सोचथंव, त मोर म भय छा जाथे; \q2 मोर देहें ह थर-थर कांपे लगथे। \q1 \v 7 दुस्ट मनखेमन काबर जीयत रहिथें, \q2 जबकि डोकरा होवत ओमन के ताकत ह बढ़त जाथे? \q1 \v 8 ओमन अपन लइकामन ला अपन चारों कोति बसत देखथें, \q2 अऊ ओमन अपन नाती-पोतामन ला अपन आंखी ले बढ़त देखथें। \q1 \v 9 ओमन के घर सुरकछित रहिथे अऊ उहां डर नइं रहय; \q2 परमेसर के सजा के छड़ी ओमन ऊपर नइं परय। \q1 \v 10 ओमन के सांड़मन गाभिन करे म कभू नइं चुकंय; \q2 ओमन के गायमन बछरू जनमथें अऊ गरभ ला नइं गिरावंय। \q1 \v 11 ओमन अपन लइकामन ला बरदी के रूप म भेजथें; \q2 ओमन के छोटे लइकामन नाचथें। \q1 \v 12 ओमन खंजरी अऊ बीना के धुन म गाथें; \q2 ओमन बंसी के धुन म खुसी मनाथें। \q1 \v 13 ओमन अपन जिनगी के दिन सम्पन्नता म बिताथें \q2 अऊ सांति म मरथें। \q1 \v 14 तभो ले ओमन परमेसर ला कहिथें, ‘हमन ला अकेला छोंड़ दे! \q2 हमन तोर रद्दा ला जाने के ईछा नइं रखन। \q1 \v 15 सर्वसक्तिमान कोन ए कि हमन ओकर सेवा करन? \q2 ओकर ले पराथना करके हमन ला का मिलही?’ \q1 \v 16 पर ओमन के सम्पन्नता ओमन के हांथ म नइं ए, \q2 एकरसेति मेंह दुस्टमन के योजना ले दूरिहा रहिथंव। \b \q1 \v 17 “तभो ले दुस्टमन के दीया ह कतेक बार बुताथे? \q2 ओमन ऊपर कतेक बार बिपत्ति पड़थे, \q2 परमेसर ह अपन रिस म ओमन ला दुख देथे? \q1 \v 18 ओमन कतेक बार हवा के आघू म भूंसा कस होथें, \q2 गरेर के दुवारा उड़ियाय भूंसा कस होथें? \q1 \v 19 ये कहे जाथे, ‘परमेसर ह दुस्टमन के सजा ला ओमन के लइकामन बर कुढ़ोके रखथे।’ \q2 ओला दुस्टमन ले बदला लेवन दव, ताकि ओमन खुद अनुभव करंय! \q1 \v 20 ओमन अपनेच आंखी ले अपन बिनास ला देखंय; \q2 ओमन सर्वसक्तिमान के कोरोध ला झेलंय। \q1 \v 21 काबरकि ओमन अपन बाद अपन परिवार के का फिकर करथें \q2 जब ओमन ला दिये गय समय ह खतम हो जाथे? \b \q1 \v 22 “का कोनो मनखे परमेसर ला गियान दे सकथे, \q2 ये जानत कि ओह सबले बड़े पदवाला के घलो नियाय करथे? \q1 \v 23 एक मनखे अपन पूरा बल सहित मरथे, \q2 पूरा सुरकछित अऊ अराम से, \q1 \v 24 अपन देहें ला पुस्ट करके, \q2 अऊ हाड़ामन ला मजबूत करके। \q1 \v 25 आने मनखे ह अपन जीव के करूवाहट म मरथे, \q2 ओह कभू कोनो बने चीज के आनंद नइं उठावय। \q1 \v 26 एक के बाजू म एक, ओमन धुर्रा म लेटे रहिथें,\f + \fr 21:26 \fr*\ft या \ft*\fqa ओमन एक समान मरथें अऊ ओमन ला माटी दिये जाथे\fqa*\f* \q2 अऊ कीरामन ओ दूनों ला ढांक लेथें। \b \q1 \v 27 “मेंह बने करके जानत हंव कि तुमन का सोचत हव, \q2 ओ चलाकी, जेकर दुवारा तुमन मोला गलत ठहिराहू। \q1 \v 28 तुमन पुछथव, ‘अब ओ बड़े मनखे के घर कहां हवय, \q2 ओ डेरामन जिहां दुस्ट मनखेमन निवास करिन?’ \q1 \v 29 का कभू तुमन ओमन ले सवाल करेव, जऊन मन डहार रेंगथें? \q2 का तुमन ओमन के लेखा-जोखा ला धियान नइं दे हवव— \q1 \v 30 कि दुस्टमन बिपत्ति के दिन ले बचाय जावत हें, \q2 कि ओमन परलय के दिन ले छुटकारा पावत हें? \q1 \v 31 कोन ह ओमन के मुहूं के आघू म ओमन के चालचलन के बुरई करही? \q2 ओमन जऊन काम करे हवंय, ओकर बदला कोन लीही? \q1 \v 32 ओमन ला कबर म अमराय जाथे, \q2 अऊ ओमन के कबर के रखवारी करे जाथे। \q1 \v 33 घाटी के माटी ह ओमन ला गुरतूर लगथे; \q2 हर एक जन ओमन के पाछू-पाछू जाथें, \q2 अऊ अनगिनत मनखेमन ओमन के आघू-आघू जाथें। \b \q1 \v 34 “एकरसेति तुमन अपन बेकार के बात ले मोला कइसे सांतवना दे सकत हव? \q2 तुमन के जबाब म लबारी ही लबारी हवय!” \c 22 \s1 एलीपज \p \v 1 तब तेमान के रहइया एलीपज ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “का कोनो मनखे ले परमेसर ला फायदा हो सकथे? \q2 अऊ त अऊ का कोनो बुद्धिमान मनखे ले ओला फायदा हो सकथे? \q1 \v 3 यदि तेंह धरमी होते, त एकर ले सर्वसक्तिमान ला का खुसी मिलतिस? \q2 यदि तोर चालचलन ह निरदोस होतिस, त ओला का फायदा होतिस? \b \q1 \v 4 “का ओह तोर भक्ति के कारन तोला दबकारथे \q2 अऊ तोर बिरोध म दोस लगाथे? \q1 \v 5 का तोर दुस्टता बहुंत नइं हो गे हवय? \q2 का तोर पापमन के कोनो अन्त हवय? \q1 \v 6 तेंह बिगर कोनो कारन के अपन रिस्तेदारमन ले सुरकछा मांगय; \q2 तेंह मनखेमन के ओनहा ला उतारके ओमन ला नंगरा छोंड़ दे हस। \q1 \v 7 तेंह थके-मांदे मनखे ला पानी नइं पीयाय \q2 अऊ भूखा मनखे ला जेवन देय बर इनकार करय, \q1 \v 8 हालाकि तेंह एक सामर्थी मनखे रहय अऊ तोर करा जमीन-बारी रिहिस— \q2 एक सम्मानित मनखे के रूप म येमा रहत रहय। \q1 \v 9 अऊ तेंह बिधवामन ला खाली हांथ लहुंटा देय \q2 अऊ अनाथमन के बल ला टोर देय। \q1 \v 10 एकरसेति तोर चारों कोति फांदामन हवंय, \q2 अऊ बिपत्ति ह अचानक तोला भयभीत करथे, \q1 \v 11 अऊ अइसे अंधियार हवय कि तेंह देख नइं सकस, \q2 अऊ पानी के बाढ़ ह तोला बुड़ो देथे। \b \q1 \v 12 “का परमेसर ह स्वरग के ऊंचई म नइं ए? \q2 अऊ ओह देखथे कि तारामन कतेक ऊंच म हवंय! \q1 \v 13 तभो ले तेंह कहिथस, ‘परमेसर ह का जानथे? \q2 का ओह अइसने अंधियार म ले नियाय करथे? \q1 \v 14 बादरमन ओकर आघू म परदा डार देथें, जेकर ले ओह हमन ला नइं देखय \q2 जब ओह अकास-मंडल म रेंगथे-बुलथे।’ \q1 \v 15 का तेंह ओ जुन्ना डहार ला धरे रहिबे \q2 जऊन म दुस्ट मनखेमन चलिन? \q1 \v 16 ओमन ला ओमन के समय ले पहिली उठा लिये गीस,\f + \fr 22:16 \fr*\ft या \ft*\fqa समय के पहिली मिरतू हो गीस\fqa*\f* \q2 ओमन के नीवमन बाढ़ म बोहा गीन। \q1 \v 17 ओमन परमेसर ला कहिन, ‘हमन ला अकेला छोंड़ दे! \q2 सर्वसक्तिमान हमर का कर सकथे?’ \q1 \v 18 तभो ले ओही ह ओमन के घर ला बढ़िया चीजमन ले भर दीस, \q2 एकरसेति मेंह ओ दुस्टमन के योजना ले दूरिहा रहिथंव। \q1 \v 19 धरमीमन ओमन के बिनास ला देखथें अऊ आनंद मनाथें; \q2 निरदोस मनखेमन ओमन के ये कहिके हंसी उड़ाथें, \q1 \v 20 ‘खचित, हमर बिरोधीमन नास होवथें \q2 अऊ आगी ह ओमन के धन-संपत्ति ला भसम कर देथे।’ \b \q1 \v 21 “अपनआप ला परमेसर ला दे अऊ ओकर संग सांति बनाय रख; \q2 ये किसम ले सम्पन्नता तोर करा आही। \q1 \v 22 ओकर निरदेस ला मान \q2 अऊ ओकर बात ला अपन हिरदय म रख। \q1 \v 23 कहूं तेंह सर्वसक्तिमान करा लहुंटके आबे, त तेंह पहिली के सहीं हो जाबे: \q2 कहूं तेंह अपन डेरा ले दुस्टता के काम ला हटा देबे \q1 \v 24 अऊ अपन सोन, धुर्रा ला, \q2 अऊ ओपीर\f + \fr 22:24 \fr*\fq ओपीर \fq*\ft एक जगह के नांव रिहिस, जिहां बने किसम के सोन मिलत रिहिस\ft*\f* के सोन ला घाटी के पथरामन ला दे देबे, \q1 \v 25 त सर्वसक्तिमान ह तोर बर सोन, \q2 अऊ उत्तम चांदी होही। \q1 \v 26 खचित, तब तें सर्वसक्तिमान म खुसी पाबे \q2 अऊ अपन चेहरा परमेसर कोति उठाबे। \q1 \v 27 तेंह ओकर ले पराथना करबे, अऊ ओह तोर सुनही, \q2 अऊ तेंह अपन मन्नत ला पूरा करबे। \q1 \v 28 जऊन कुछू करे बर तेंह ठान लेबे, ओह तोर बर पूरा हो जाही, \q2 अऊ तोर डहार म अंजोर रहिही। \q1 \v 29 जब मनखेमन के बेजत्ती करे जाथे अऊ तेंह कहिथस, ‘ओमन के आदर करव!’ \q2 तब ओह दीन-हीन मनखेमन ला बचाही। \q1 \v 30 अऊ त अऊ जऊन ह निरदोस नो हय, ओह ओला घलो छोंड़ाही, \q2 ओला ओह तोर हांथ के सुध काम के जरिये छोंड़ाही।” \c 23 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “आज घलो मोर सिकायत ह करू अय; \q2 मोर कलहरई के बावजूद ओकर हांथ ह मोर ऊपर भारी हवय। \q1 \v 3 कहूं मेंह सिरिप ये जानतेंव कि ओह कहां मिलही; \q2 कहूं मेंह सिरिप ओकर निवास करा जा सकतेंव! \q1 \v 4 मेंह अपन मामला ओकर आघू म रखतेंव \q2 अऊ बहुंत बहस करतेंव। \q1 \v 5 मेंह पता लगातेंव कि ओह मोला का जबाब देतिस, \q2 अऊ जऊन कुछू ओह मोर ले कहितिस, ओकर ऊपर बिचार करतेंव। \q1 \v 6 का ओह अपन पूरा बल ले मोर संग बहस करही? \q2 नइं, ओह मोर बिरोध म दोस नइं लगाही। \q1 \v 7 उहां ईमानदार मनखे ह ओकर आघू म अपन निरदोस होय के बात ला साबित कर सकथे, \q2 अऊ उहां मेंह अपन नियाय करइया ले हमेसा बर छुटकारा पा लेतेंव। \b \q1 \v 8 “पर कहूं मेंह पूरब दिग म जावंव, त ओह उहां नइं ए; \q2 कहूं मेंह पछिम दिग म जावंव, त ओह मोला नइं मिलय। \q1 \v 9 जब ओह उत्तर दिग म काम करत रहिथे, त मेंह ओला नइं देखंव; \q2 जब ओह दक्खिन कोति मुड़थे, त मेंह ओकर झलक घलो नइं देख पावंव। \q1 \v 10 पर ओह जानथे कि मेंह कते रद्दा म जावत हंव; \q2 जब ओह मोला परखही, त मेंह सोन कस निकलहूं। \q1 \v 11 मेंह बहुंत नजदीकी ले ओकर पाछू म चले हंव; \q2 मेंह बिगर एती-ओती जाय ओकर रद्दा ला धरे हंव। \q1 \v 12 मेंह ओकर दिये मुहूं के हुकूम ले नइं हटे हंव; \q2 मेंह ओकर मुहूं के गोठमन ला अपन रोज के जेवन ले घलो जादा अनमोल जानत हंव। \b \q1 \v 13 “पर ओह अपन बात म अडिग रहिथे, अऊ कोन ह ओकर बिरोध कर सकथे? \q2 जऊन बात ओला बने लगथे, ओही ला ओह करथे। \q1 \v 14 ओह मोर बिरोध म अपन फैसला लेथे, \q2 अऊ अइसने कतको योजना ओकर करा माढ़े हवय। \q1 \v 15 येकरे कारन मेंह ओकर आघू म भयभीत हंव; \q2 जब में ये जम्मो के बारे म सोचथंव, त मेंह ओकर ले डरथंव। \q1 \v 16 परमेसर ह मोर मन ला हतास कर दे हवय; \q2 सर्वसक्तिमान ह मोला भयभीत कर दे हवय। \q1 \v 17 तभो ले मेंह अंधियार के कारन चुप नइं अंव, \q2 ओ गहिरा अंधियार जऊन ह मोर चेहरा ऊपर छाय हवय। \b \c 24 \q1 \v 1 “सर्वसक्तिमान परमेसर ह नियाय के समय ला काबर नइं ठहिरात हे? \q2 जऊन मन ओला जानथें, ओमन काबर बेकार म अइसने दिन बर अगोरंय? \q1 \v 2 कुछू मनखेमन भुइयां के सिवाना ला बढ़ा देथें; \q2 ओमन चोराय भेड़मन के झुंड ला चराथें। \q1 \v 3 ओमन अनाथमन के गदहा ला खेदके ले जाथें \q2 अऊ बिधवा के बईला ला गिरवी म रखथें। \q1 \v 4 ओमन जरूरतमंद मनखे ला रद्दा ले ढकेल देथें \q2 अऊ देस के जम्मो गरीबमन ला छुपे बर बिबस कर देथें। \q1 \v 5 सुन्ना जगह म जंगली गदहामन कस, \q2 गरीबमन जेवन के खोज म भटकत रहिथें; \q2 सुन्ना जगह ले ओमन के लइकामन ला जेवन मिलथे। \q1 \v 6 ओमन खेत म फसल संकेलथें \q2 अऊ दुस्टमन के अंगूर के बारी म सीला बिनथें। \q1 \v 7 ओमन बिगर ओनहा के नंगरा रथिया बिताथें; \q2 जाड़ म ओढ़े बर ओमन करा कुछू नइं रहय। \q1 \v 8 ओमन परबत के बरसा ले भीग जाथें \q2 अऊ सरन लेय के जगह नइं मिले के कारन ओमन चट्टान म सरन लेथें। \q1 \v 9 अनाथ लइका ला दूध पीयावत दाई के छाती ले छीन लेथें; \q2 गरीब के नानकून लइका ला लागा बर धर लिये जाथे। \q1 \v 10 ओनहा के कमी के कारन, ओमन नंगरा रहिथें; \q2 ओमन अनाज के करपा ला तो ले जाथें, तभो ले भूखन रहिथें। \q1 \v 11 ओमन चबूतरामन\f + \fr 24:11 \fr*\ft इबरानी म ये सबद के मतलब साफ नइं ए\ft*\f* म जैतून तेल पेरथें; \q2 ओमन अंगूर के रसकुंडमन म अंगूर ला खुंदथें, तभो ले पीयासन रहिथें। \q1 \v 12 सहर ले मरइयामन के कलहरई ह सुनई देथे, \q2 अऊ घायलमन के आतमा ह मदद बर पुकारथे। \q2 पर परमेसर ह कोनो ला गलती के दोस नइं देवय। \b \q1 \v 13 “अइसने मनखे हवंय, जऊन मन अंजोर के बिरोध म बिदरोह करथें, \q2 ओमन येकर रद्दा ला नइं जानंय, \q2 या येकर रद्दा म नइं रूकंय। \q1 \v 14 जब दिन के अंजोर ह चले जाथे, त हतियारा ह ठाढ़ होथे, \q2 अऊ गरीब अऊ जरूरतमंद ला मार डारथे, \q2 अऊ रथिया ओह चोर कस चोरी करथे। \q1 \v 15 बेभिचार करइया के आंखी ह संझाती के डहार देखथे; \q2 ओह सोचथे, ‘मोला कोनो नइं देखहीं,’ \q2 अऊ ओह अपन चेहरा ला छुपाके रखथे। \q1 \v 16 अंधियार म चोरमन घर म सेंध लगाथें, \q2 पर दिन म अपनआप ला लुकाय रखथें; \q2 अंजोर म ओमन कुछू करे बर नइं चाहंय। \q1 \v 17 ओ जम्मो बर, आधा रथिया ह ओमन के बिहनियां ए; \q2 ओमन अंधियार के आतंक ला संगी बनाथें। \b \q1 \v 18 “तभो ले ओमन पानी के ऊपर झाग सहीं अंय; \q2 ओमन के बांटा के भुइयां ह सरापित ए, \q2 जेकर ले अंगूर के बारीमन म कोनो नइं जावंय। \q1 \v 19 जइसे कि गरमी अऊ सूखा ह पिघलत बरफ के पानी ला ले जाथे, \q2 वइसनेच ही कबर ह ओमन ला ले जाथे जऊन मन पाप करे हवंय। \q1 \v 20 दाई ह ओमन ला भुला जाथे, \q2 कीरामन ओमन ला मजा लेके खाथें; \q1 दुस्टमन ला कोनो सुरता नइं करंय \q2 पर ओमन ला रूख कस काट डारे जाथे। \q1 \v 21 ओमन ठड़गी अऊ बिगर लइका के माईलोगनमन ला लूटथें, \q2 अऊ बिधवामन ऊपर कुछू दया नइं देखावंय। \q1 \v 22 पर परमेसर ह अपन सामर्थ ले सूरबीरमन ला घिल्लावत ले जाथे; \q2 हालाकि ओमन स्थापित रहिथें, पर ओमन ला जिनगी के भरोसा नइं रहय। \q1 \v 23 परमेसर ह ओमन ला सुरकछा के अनुभव म अराम करा सकथे, \q2 पर ओकर आंखी ह ओमन के रद्दा ऊपर लगे रहिथे। \q1 \v 24 ओमन थोरकून समय बर ऊपर उठाय जाथें, अऊ ओकर बाद ओमन के कुछू महत्व नइं रहय; \q2 ओमन ला गिराय जाथे अऊ जम्मो आने मन कस संकेले जाथे; \q2 ओमन ला अनाज के बालीमन कस काट डारे जाथे। \b \q1 \v 25 “कहूं येह अइसे नो हय, त कोन ह मोला गलत साबित कर सकथे \q2 अऊ मोर गोठ ला बिना मतलब के ठहिरा सकथे?” \c 25 \s1 बिलदद \p \v 1 तब सूही के रहइया बिलदद ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “परभूता अऊ भय के अधिकारी परमेसर ही अय; \q2 ओह ऊंच स्वरग म सांति स्थापित करथे। \q1 \v 3 का ओकर सेनामन के गनती करे जा सकथे? \q2 अइसे कोन हवय, जेकर ऊपर ओकर अंजोर नइं परय? \q1 \v 4 तब एक मरनहार मनखे ह परमेसर के आघू म कइसे धरमी हो सकथे? \q2 माईलोगन ले जनमे मनखे ह कइसे सुध हो सकथे? \q1 \v 5 कहूं ओकर नजर म चंदा ह घलो उजला \q2 अऊ तारामन घलो ओकर नजर म सुध नइं अंय, \q1 \v 6 त फेर मरनहार मनखे के का गनती, जऊन ह सिरिप एक गेंगरूआ अय— \q2 एक मनखे, जऊन ह सिरिप एक कीरा अय!” \c 26 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह जबाब दीस: \q1 \v 2 “तेंह कइसे निरबलमन के मदद करे हवस! \q2 तेंह कइसे ओ मनखे ला संभाले हस, जऊन ह कमजोर हवय! \q1 \v 3 तेंह ओ मनखे ला का सलाह दे हवस, जेकर करा बुद्धि नइं ए! \q2 अऊ तेंह का अंतर-गियान देखाय हवस! \q1 \v 4 कोन ह तोला ये गोठ कहे बर मदद करे हवय? \q2 अऊ काकर आतमा ह तोर मुहूं ले गोठियाईस? \b \q1 \v 5 “मरे मनखेमन बहुंत पीरा म हवंय, \q2 ओमन, जऊन मन पानी के खाल्हे अऊ ओ जम्मो, जऊन मन ओमा रहिथंय। \q1 \v 6 अधोलोक ह परमेसर के आघू म खुला हवय; \q2 बिनास ह नइं तोपाय हवय। \q1 \v 7 ओह उत्तर दिग के अकासमन ला खाली जगह म बगराथे; \q2 ओह धरती ला अधर म लटकाय हवय। \q1 \v 8 ओह बारिस के पानी ला अपन बादर म लपेटे हवय, \q2 तभो ले बादरमन ओमन के बोझ म होके बरसंय नइं। \q1 \v 9 ओह पून्नी के चंदा ला ढांप देथे, \q2 ओकर ऊपर अपन बादरमन ला बगराय के दुवारा। \q1 \v 10 अंजोर अऊ अंधियार के बीच म सिवाना बांधे बर \q2 ओह समुंदर के सतह म छितिज ला ठहिराय हवय। \q1 \v 11 ओकर दबकारे ले \q2 अकास के खंभामन डरके थर-थर कांपथें। \q1 \v 12 अपन सामर्थ ले ओह समुंदर ला सांत कर देथे; \q2 अपन बुद्धि ले ओह राहाब\f + \fr 26:12 \fr*\fq राहाब \fq*\ft के मतलब \ft*\fqa पुराना जमाना के काल्पनिक समुंदर के अस्सूर\fqa*\f* ला कुटा-कुटा कर देथे। \q1 \v 13 ओकर सांस ले अकास-मंडल साफ हो जाथे; \q2 ओकर हांथ ह भागत सांप ला मार देथे। \q1 \v 14 अऊ येमन तो ओकर काम के सिरिप एक झलक अंय; \q2 ओकर फुसफुसाहट हमन ला कतेक कम सुनई देथे! \q2 त फेर ओकर सामर्थ के गरजन ला कोन ह समझ सकथे?” \c 27 \s1 अयूब के अपन संगीमन ला कहे आखिरी गोठ \p \v 1 अऊ अयूब ह अपन बात ला आगे कहिस: \q1 \v 2 “जीयत परमेसर के किरिया, जऊन ह मोला नियाय नइं दे हवय, \q2 ओ सर्वसक्तिमान, जऊन ह मोर जिनगी ला करू कर दे हवय, \q1 \v 3 जब तक मोर म परान हवय, \q2 परमेसर के सांस ह मोर नाक म चलत हवय, \q1 \v 4 तब तक मेंह मोर मुहूं ले कोनो खराप बात नइं गोठियावंव, \q2 अऊ मोर जीभ ले लबारी बात नइं निकलय। \q1 \v 5 मेंह कभू नइं मानंव कि तुमन सही अव; \q2 मेंह अपन मरत ले अपन ईमानदारी नइं छोड़ंव। \q1 \v 6 मेंह अपन धरमीपन ला बनाय रखहूं अऊ एकर ले बाहिर नइं जावंव; \q2 जब तक मेंह जीयत हंव मोर बिबेक ह मोला नइं धिक्कारय। \b \q1 \v 7 “मोर बईरी ह दुस्ट मनखे कस, \q2 अऊ मोर बिरोधी ह अनियायी कस ठहिरय! \q1 \v 8 जब भक्तिहीन मनखेमन मर जाथें, त ओमन करा का आसा रहिथे, \q2 याने कि जब परमेसर ह ओमन के परान ला ले लेथे? \q1 \v 9 जब ओमन ऊपर संकट आथे, \q2 त का परमेसर ह ओमन के गोहार ला सुनथे? \q1 \v 10 का ओमन ला सर्वसक्तिमान म खुसी मिलही? \q2 का ओमन परमेसर ला हर समय गोहारहीं? \b \q1 \v 11 “मेंह तुमन ला परमेसर के सामर्थ के बारे म सिखाहूं; \q2 सर्वसक्तिमान के रद्दा ला मेंह नइं छुपावंव। \q1 \v 12 तुमन जम्मो ये बात ला देख डारे हव। \q2 त फेर ये बेकार के बात काबर करत हव? \b \q1 \v 13 “दुस्ट मनखे के बांटा म परमेसर ह ये चीज देथे, \q2 निरदयी मनखे ला सर्वसक्तिमान ले पुरखा के ये पूंजी मिलथे: \q1 \v 14 चाहे ओकर कतको लइका रहंय, ओमन तलवार ले घात करे जाहीं; \q2 ओकर संतानमन ला कभू पेट भर जेवन नइं मिलय। \q1 \v 15 ओकर जऊन मनखेमन बांच जाहीं, ओमन महामारी ले मर जाहीं, \q2 अऊ ओमन के बिधवामन ओमन बर नइं रोहीं। \q1 \v 16 हालाकि ओह चांदी ला धुर्रा कस कुढ़ोथे \q2 अऊ ओनहा ला माटी कस ढेर लगाथे, \q1 \v 17 पर जऊन ओनहा के ढेर ओह लगाथे, ओला धरमी मनखे ह पहिरही, \q2 अऊ निरदोस मनखेमन ओकर चांदी ला बांट लीहीं। \q1 \v 18 जऊन घर ओह बनाथे, ओह कीरा के घरौंदा कस अय, \q2 या ओह रखवार के बनाय एक झोपड़ी कस अय। \q1 \v 19 ओह धनी होके सुतथे, पर अब अइसने नइं कर सकही; \q2 जब ओह सुतके उठथे, त जम्मो ह खतम हो गे रहिथे। \q1 \v 20 आतंक ह ओला बाढ़ कस घेर लेथे; \q2 गरेर ह ओला रथिया उड़िया ले जाथे। \q1 \v 21 पुरवई हवा ह ओला उड़िया ले जाथे, अऊ ओह नइं रहय; \q2 येह ओला ओकर घर ले झपटके ले जाथे। \q1 \v 22 ओ हवा ह बिगर दया के ओला ओकर बिरूध उठाके फटिकथे; \q2 ओह ओ हवा के सक्ति ले तेजी से भागथे। \q1 \v 23 येह हंसी उड़ाय सहीं ताली बजाथे \q2 अऊ फुफकारके ओला ओकर जगह ले हटा देथे।” \c 28 \s1 बुद्धि ह कहां मिलथे \q1 \v 1 चांदी ह खदान म मिलथे \q2 अऊ सोन ला सुध करे बर एक जगह होथे। \q1 \v 2 माटी म ले लोहा निकाले जाथे, \q2 अऊ तांबा ह धातु ला गलाय ले मिलथे। \q1 \v 3 मरनहार मनखेमन अंधियार के अन्त कर देथें; \q2 ओमन बहुंत दूर तक कोना-कोना म \q2 घोर अंधियार म धातु के खोज करथें। \q1 \v 4 मनखेमन के बसेरा ले बहुंत दूरिहा ओमन खदान खनथें, \q2 जिहां मनखेमन के गोड़ घलो नइं परे रहय; \q2 आने मनखेमन ले बहुंत दूर ओमन ओरमे अऊ झूलत रहिथें। \q1 \v 5 धरती, जिहां ले फसल आथे, \q2 ओकर खाल्हे के रूप ह आगी के दुवारा बदलत हवय। \q1 \v 6 येकर चट्टानमन म ले नीलमनि, \q2 अऊ येकर धुर्रा म सोन के कन पाय जाथे। \q1 \v 7 ओ छुपे रद्दा ला कोनो सिकार करइया चिरई नइं जानय, \q2 येकर ऊपर कोनो बाज चिरई के आंखी नइं परे हवय। \q1 \v 8 येमा जंगली पसुमन अपन गोड़ नइं रखंय, \q2 अऊ कोनो सेर उहां छुपके घलो नइं जावय। \q1 \v 9 मनखेमन कठोर चट्टान ऊपर अपन हांथ ले ठोकर मारथें \q2 अऊ पहाड़मन के नीव ला उखानके हटा देथें। \q1 \v 10 ओमन चट्टान म ले सुरंग\f + \fr 28:10 \fr*\ft या \ft*\fqa पानी के नहर\fqa*\f* निकाल लेथें; \q2 ओमन के आंखी ह येकर खजाना ला देखथे। \q1 \v 11 ओमन नदीमन के सोतमन ला खोजथें \q2 अऊ छुपे चीजमन ला सब के आघू म लानथें। \b \q1 \v 12 पर बुद्धि ह कहां मिल सकथे? \q2 ओ जगह कहां हवय, जिहां समझ ह रहिथे। \q1 \v 13 कोनो मरनहार मनखे येकर कीमत नइं जान सकय; \q2 येह जीयत परानीमन के लोक म नइं मिलय। \q1 \v 14 समुंदर के गहरई ह कहिथे, “बुद्धि ह मोर म नइं ए”; \q2 समुंदर ह कहिथे, “बुद्धि ह मोर करा नइं ए।” \q1 \v 15 चोखा सोन ले येला बिसाय नइं जा सकय, \q2 अऊ न ही येकर कीमत बर चांदी ला तऊले जा सकथे। \q1 \v 16 येला ओपीर के सोन ले बिसाय नइं जा सकय, \q2 येला कीमती गोमेदक या नीलमनि ले घलो बिसाय नइं जा सकय। \q1 \v 17 न सोन, न कांच के तुलना येकर संग करे जा सकथे, \q2 न ही सोन के जेवर के बलदा म येह मिल सकथे। \q1 \v 18 मूंगा अऊ मनि के येकर आघू म चरचा करई ह बेकार अय; \q2 बुद्धि के कीमत ह मानिक ले घलो बढ़के अय। \q1 \v 19 कूस\f + \fr 28:19 \fr*\ft या \ft*\fqa इथोपिया देस\fqa*\f* के पुखराज के तुलना येकर संग करे नइं जा सकय; \q2 येला चोखा सोन ले बिसाय नइं जा सकय। \b \q1 \v 20 त फेर बुद्धि ह कहां ले आथे? \q2 समझ ह कहां रहिथे? \q1 \v 21 येह हर एक जीयत चीज के आंखी ले छुपे हवय, \q2 अऊ त अऊ अकास के चिरईमन के आंखी घलो येला नइं देख सकंय। \q1 \v 22 बिनास अऊ मिरतू कहिथें, \q2 “सिरिप येकर अफवाह ला हमन सुने हवन।” \q1 \v 23 परमेसर ह येकर रद्दा ला समझथे \q2 अऊ सिरिप ओही ह येकर रहे के जगह ला जानथे, \q1 \v 24 काबरकि ओह धरती के छोर तक नजर रखथे \q2 अऊ अकास के खाल्हे के हर एक चीज ला देखथे। \q1 \v 25 जब ओह हवा के ताकत ला स्थापित करिस \q2 अऊ पानी ला नापिस, \q1 \v 26 जब ओह बरसा होय के नियम \q2 अऊ बादर के गरजन के रद्दा ठहिराईस, \q1 \v 27 तब ओह बुद्धि ला देखिस अऊ येकर दाम आंकिस; \q2 ओह येकर पुस्टि करिस अऊ येला जांचिस। \q1 \v 28 अऊ परमेसर ह मनखे-जात ला कहिस, \q2 “परभू के भय मनई ह बुद्धि अय, \q2 अऊ बुरई ले दूरिहा रहई ह समझ अय।” \c 29 \s1 अयूब के आखिरी बचाव \p \v 1 अयूब ह अपन बात ला आगे कहिस: \q1 \v 2 “कास मोर स्थिति ह पहिली के महिनामन सहीं हो जातिस, \q2 ओ दिनमन म, जब परमेसर ह मोर देखभाल करत रिहिस, \q1 \v 3 जब ओकर दीया के अंजोर ह मोर मुड़ म परत रिहिस \q2 अऊ ओकर अंजोर के जरिये मेंह अंधियार म रेंगत रहेंव! \q1 \v 4 ओ दिनमन मोर बढ़िया दिन\f + \fr 29:4 \fr*\ft या \ft*\fqa सम्पन्नता के दिन\fqa*\f* रिहिन, \q2 जब परमेसर के संग घनिस्ट संगी के रिस्ता ह मोर घर ला आसीस देवत रिहिस, \q1 \v 5 जब सर्वसक्तिमान ह मोर संग म रिहिस \q2 अऊ मोर लइकामन मोर चारों कोति रिहिन, \q1 \v 6 जब मोर रसता ह मलाई ले गीला होवत रिहिस \q2 अऊ चट्टानमन मोर बर जैतून के तेल के धारा बहात रिहिन। \b \q1 \v 7 “जब मेंह सहर के कपाट करा जावंव \q2 अऊ खुला चऊक\f + \fr 29:7 \fr*\ft सहर के भीतर सहर के कपाट के लकठा म सहर के मनखेमन के बइसका करे के जगह\ft*\f* म अपन आसन म बईठंव, \q1 \v 8 त जवानमन मोला देखके डहार छोंड़ देवंय \q2 अऊ डोकरामन आदर म उठके ठाढ़ हो जावंय; \q1 \v 9 मुखिया मनखेमन अपन गोठियाई बंद कर देवंय \q2 अऊ अपन हांथ ले अपन मुहूं ला ढंक लेवंय; \q1 \v 10 आदरनीय मनखेमन चुप हो जावंय, \q2 अऊ ओमन के जीभ ह ओमन के तालू म चपक जावय। \q1 \v 11 जऊन कोनो मोर बात ला सुनय, ओह मोला बने कहय, \q2 अऊ जऊन मन मोला देखंय, ओमन मोर बड़ई करंय, \q1 \v 12 काबरकि मेंह मदद मंगइया गरीब \q2 अऊ ओ अनाथ लइकामन, जेमन के मदद करइया कोनो नइं रहंय, ओमन ला छोंड़ावंव। \q1 \v 13 मिरतू के खटिया म परे मनखे ह मोला आसीरबाद देवय; \q2 मोर कारन बिधवामन अपन हिरदय ले आनंद के गीत गावंय। \q1 \v 14 मेंह धरमीपन ला कपड़ा सहीं पहिर ले रहेंव; \q2 नियाय ह मोर ओनहा अऊ मोर पागा रिहिस। \q1 \v 15 मेंह अंधरामन बर आंखी \q2 अऊ खोरवामन बर गोड़ रहेंव। \q1 \v 16 में जरूरतमंद बर ददा सहीं रहेंव; \q2 मेंह अनचिनहार मनखे के मामला ला निपटावंव। \q1 \v 17 मेंह दुस्टमन के दांत ला टोरंव \q2 अऊ पीड़ित मनखे ला ओमन के पकड़ ले छोंड़ावंव। \b \q1 \v 18 “मेंह सोचेंव, ‘में अपन घर म ही मरहूं, \q2 मोर जिनगी के दिनमन बालू कस अनगिनत होहीं। \q1 \v 19 मोर जरी ह पानी तक हबरही, \q2 अऊ ओस ह रात भर मोर डारामन म रहिही। \q1 \v 20 मोर महिमा ह नइं मुरझाही; \q2 धनुस ह मोर हांथ म हमेसा नवां बने रहिही।’ \b \q1 \v 21 “मनखेमन मोर बात ला मन लगाके सुनंय, \q2 अऊ चुपेचाप मोर सलाह के इंतजार करंय। \q1 \v 22 मोर गोठियाय के बाद ओमन अऊ नइं गोठियांय; \q2 मोर गोठ ह ओमन के कान म सरलता से उतर जावय। \q1 \v 23 ओमन बारिस के सहीं मोर बाट जोहंय \q2 अऊ बसंतकाल के बरसा सहीं मोर गोठ ला गरहन करंय। \q1 \v 24 जब मेंह ओमन ऊपर मुस्करावंव, त ओमन मुसकुल से येला बिसवास करंय; \q2 मोर चेहरा के अंजोर ह ओमन बर कीमती रिहिस। \q1 \v 25 मेंह ओमन बर रसता चुनेंव अऊ ओमन के मुखिया के रूप म बईठेंव; \q2 मेंह ओकर सेना के बीच म राजा सहीं रहत रहेंव; \q2 मेंह सोक करइयामन ला सांति देवइया सहीं रहेंव। \b \c 30 \q1 \v 1 “पर अब ओमन ही मोर हंसी उड़ाथें, \q2 ओ मनखे जऊन मन उमर म मोर ले छोटे हवंय, \q1 जऊन मन के ददामन ला मेंह अपन भेड़मन के रखवार कुकुरमन संग \q2 रखे के लईक घलो नइं समझत रहेंव। \q1 \v 2 ओमन के भुजा के बल ह मोर का काम के रिहिस, \q2 जब ओमन के ताकत ह खतम हो गे रिहिस? \q1 \v 3 गरीबी अऊ भूख ले दुबर-पातर, \q2 ओमन बीरान अऊ बेकार पड़े भुइयां म \q2 रथिया के बेरा भटकत रिहिन। \q1 \v 4 ओमन झाड़ी के बीच म लोनिया साग\f + \fr 30:4 \fr*\ft या \ft*\fqa नूनचूर भुइयां (ऊसर भुइयां) म उपजे साग-भाजी\fqa*\f* टोरिन, \q2 अऊ ओमन के जेवन,\f + \fr 30:4 \fr*\ft या \ft*\fqa बारे के लकरी\fqa*\f* बहरी बनाय के झाड़ी के जरी रिहिस। \q1 \v 5 ओमन ला समाज ले निकाल देय गे रिहिस, \q2 मनखेमन ओमन ऊपर अइसे चिचियावंय, जइसे चोर ऊपर चिचियाथें। \q1 \v 6 ओमन ला डरावनी घाटीमन म, चट्टानमन के बीच म \q2 अऊ भुइयां के बिलमन म रहे ला परय। \q1 \v 7 ओमन झाड़ीमन के बीच म पसु सहीं चिचियावंय \q2 अऊ रूख के खाल्हे उगे झाड़ीमन म भीड़ लगावंय। \q1 \v 8 ओमन नीच अऊ अनामी संतान रिहिन, \q2 जेमन ला देस ले निकाल देय जावय। \b \q1 \v 9 “अब ओ जवानमन गीत गाके मोर हंसी उड़ाथें; \q2 मेंह ओमन के बीच म एक नारा बन गे हवंव। \q1 \v 10 ओमन मोर ले घिन करथें अऊ मोर ले दूरिहा रहिथें; \q2 ओमन मोर मुहूं ऊपर थूके म संकोच नइं करंय। \q1 \v 11 काबरकि परमेसर ह मोला सक्तिहीन कर दे हवय अऊ मोला पीरा दे हवय, \q2 ओमन मोर आघू म बिगर लगाम के हो जाथंय। \q1 \v 12 मोर जेवनी कोति बरदी के बरदी चढ़ई करथें; \q2 ओमन मोर गोड़ बर फांदा लगाथें, \q2 ओमन मोर बिरोध म अपन घेराबंदी के ढलान बनाथें। \q1 \v 13 ओमन मोर डहार ला काटके बंद कर देथें; \q2 ओमन मोला नास करे म सफल होथें। \q2 ओमन कहिथें, ‘ओकर मदद कोनो झन करंय।’ \q1 \v 14 दरार म ले बुलकके आय सहीं ओमन आघू बढ़थें; \q2 बिनास के बीच म ओमन उंडलत आथें। \q1 \v 15 आतंक ह मोर ऊपर छा गे हवय; \q2 मोर मान-सम्मान ह हवा कस उड़िया गे हवय, \q2 मोर सुरकछा ह बादर कस गायब हो गे हवय। \b \q1 \v 16 “अब मोर जिनगी ह घटत हवय; \q2 दुख के दिनमन मोला जकड़ ले हवंय। \q1 \v 17 रथिया ह मोर हाड़ामन ला भेद देथे; \q2 मोर अब्बड़ पीरा ह कभू बंद नइं होवय। \q1 \v 18 परमेसर ह अपन बड़े सामर्थ म मोर ओनहा ला पकड़थे\f + \fr 30:18 \fr*\ft या \ft*\fqa परमेसर ह गुस्सा म मोर ओनहा ला पकड़थे\fqa*\f*; \q2 ओह मोर कुरता के कालर कस मोला लपेटथे। \q1 \v 19 ओह मोला चीखला म फटिकथे, \q2 अऊ मेंह धुर्रा अऊ राख कस हो गे हंव। \b \q1 \v 20 “हे परमेसर, में तोला पुकारथंव, पर तेंह जबाब नइं देवस; \q2 मेंह ठाढ़ होथंव, पर तेंह सिरिप मोला देखथस। \q1 \v 21 तें मोर बर कठोर हो गे हस; \q2 अपन भुजा के बल ले मोला सताथस। \q1 \v 22 तेंह मोला उठाके हवा म उड़िया देथस; \q2 तेंह मोला आंधी म उछाल देथस। \q1 \v 23 मेंह जानत हंव तेंह मोला मिरतू करा ले आबे, \q2 ओ जगह जऊन ह जम्मो जीयत परानीमन बर ठहिराय गे हवय। \b \q1 \v 24 “खचित कोनो टूटे मनखे कोति हांथ नइं बढ़ावय \q2 जब ओह अपन बिपत्ति के समय मदद बर गोहारथे। \q1 \v 25 का मेंह ओमन बर नइं रोयेंव, जऊन मन समस्या म रिहिन? \q2 का गरीबमन बर मोर आतमा ह दुखी नइं होईस? \q1 \v 26 तभो ले जब मेंह भलई के आसा करेंव, त बुरई ह आईस; \q2 जब मेंह अंजोर के बाट जोहत रहेंव, त अंधियार आईस। \q1 \v 27 मोर भीतर म उथल-पुथल कभू बंद नइं होवय; \q2 दुख के दिनमन मोर ऊपर आ गे हवंय। \q1 \v 28 मेंह करिया होवत हंव, पर सूरज के दुवारा नइं; \q2 मेंह सभा म ठाढ़ होके मदद बर गोहारथंव। \q1 \v 29 मेंह गीदड़मन के भाई, \q2 अऊ उल्लू चिरईमन के संगी बन गे हवंव। \q1 \v 30 मोर चमड़ी ह करिया होके गिरत हवय; \q2 मोर देहें ह जर-बुखार म जरत हवय। \q1 \v 31 मोर बीना ले बिलाप के सुर, \q2 अऊ मोर बंसी ले रोये के अवाज निकलत हवय। \b \c 31 \q1 \v 1 “मेंह अपन आंखीमन के संग करार करे हंव \q2 कि मेंह कोनो जवान माईलोगन ला लालसा ले नइं देखंव। \q1 \v 2 स्वरग ले परमेसर के दुवारा हमन ला का बांटा मिले हे, \q2 या ऊंच म बिराजे सर्वसक्तिमान ले हमन ला मिले संपत्ति का ए? \q1 \v 3 का येह दुस्टमन बर बिनास, \q2 अऊ गलत करइयामन बर बिपत्ति नो हय? \q1 \v 4 का परमेसर ह मोर चालचलन ला नइं देखय \q2 अऊ मोर कदम-कदम ला नइं गनय? \b \q1 \v 5 “कहूं मेंह लबारी आचरन करे हंव \q2 या मोर गोड़ ह धोखा देय बर दऊड़े हे— \q1 \v 6 त परमेसर ह मोला सच के तराजू म तऊल लेवय \q2 अऊ ओह जान लेवय कि मेंह निरदोस अंव— \q1 \v 7 कहूं मोर कदम ह ओकर डहार ले भटक गे हवय, \q2 कहूं मोर मन ह मोर आंखी के मुताबिक चले हवय, \q2 या कहूं मोर हांथमन असुध हो गे हवंय, \q1 \v 8 त जऊन कुछू मेंह बोये हंव, ओला आने मन खावंय, \q2 अऊ मोर फसल ला उखान दिये जावय। \b \q1 \v 9 “कहूं मोर मन ह कोनो माईलोगन के दुवारा बहकाय गे हे, \q2 या कहूं मेंह अपन परोसी के मुंहटा म घात लगाके बईठे हंव, \q1 \v 10 त मोर घरवाली ह आने आदमी के अनाज पीसय, \q2 अऊ आने आदमीमन ओकर संग सुतंय। \q1 \v 11 काबरकि ओह दुस्ट काम होतिस, \q2 अऊ नियायधीस के दुवारा पाप के दंड मिलतिस। \q1 \v 12 येह एक आगी ए, जऊन ह जलाके भसम कर देथे; \q2 येह मोर कटनी के फसल ला जरी ले उखान देतिस। \b \q1 \v 13 “कहूं मेंह अपन कोनो सेवक के संग अनियाय करे हंव, \q2 चाहे दास हो या दासी, \q2 जब ओमन मोर बिरोध म मोर करा सिकायत करिन, \q1 \v 14 तब में का करहूं, जब परमेसर ह मोर ले जबाब मांगही? \q2 मेंह का जबाब दूहूं, जब ओह मोर ले लेखा लीही? \q1 \v 15 जऊन ह मोला दाई के गरभ म बनाईस, का ओहीच ह ओमन ला नइं बनाईस? \q2 का ओही ह हमन दूनों ला हमर दाईमन के गरभ म नइं रचिस? \b \q1 \v 16 “कहूं मेंह गरीबमन के ईछा ला पूरा नइं करे हंव \q2 या मोर कारन बिधवामन म निरासा छा गीस, \q1 \v 17 कहूं मेंह खाना खाय म सुवारथी हो गे हंव, \q2 अऊ खाना ला अनाथमन संग नइं बांटे हंव— \q1 \v 18 पर में तो ओमन ला अपन जवानी ले अइसे पालें-पोसें, जइसे एक ददा ह करथे, \q2 अऊ मेंह अपन लइकापन ले ही बिधवा ला रसता देखावत हंव— \q1 \v 19 कहूं मेंह कोनो ला ओनहा के कमी के कारन नास होवत देखेंव, \q2 या कोनो जरूरतमंद ला बिगर ओनहा के देखेंव, \q1 \v 20 त ओमन ला मेंह अपन भेड़ के ऊन ले गरम रखे के कारन \q2 ओमन मोला हिरदय ले आसीरबाद नइं दे हवंय, \q1 \v 21 कहूं मेंह अनाथमन ऊपर अपन हांथ उठाय हंव, \q2 ये जानके कि अदालत म मोर पहुंच हवय, \q1 \v 22 त मोर बाहां ह कंधा ले उखनके गिर जावय, \q2 येह कोहनी ले टूटके अलग हो जावय। \q1 \v 23 काबरकि मेंह परमेसर कोति ले अवइया बिनास ले डरेंव, \q2 अऊ ओकर सोभा के डर के कारन मेंह अइसे नइं कर सकेंव। \b \q1 \v 24 “कहूं मेंह अपन भरोसा सोन ऊपर रखे हंव \q2 या चोखा सोन ले कहे हंव, ‘तेंह मोर आसरा अस,’ \q1 \v 25 कहूं मेंह अपन बहुंत धन, \q2 या अपन हांथ के बहुंत कमई ऊपर आनंद मनाय हंव, \q1 \v 26 कहूं मेंह सूरज के चमकई, \q2 या चंदा ला सोभा म चलत देखेंव, \q1 \v 27 ताकि मोर मन ह मोहा गीस \q2 अऊ ओमन के भक्ति म मोर हांथ के चूमा लेय हंव, \q1 \v 28 त ये पापमन के घलो दंड मिलतिस, \q2 काबरकि तब मेंह ऊपर म बिराजे परमेसर के इनकार करे रहितेंव। \b \q1 \v 29 “कहूं मेंह अपन बईरी के दुरभाग्य म आनंद मनाय हंव \q2 या ओकर ऊपर आय बिपत्ति ला देखके खुस होय हंव— \q1 \v 30 मेंह ओमन ला मरे के सराप देय के दुवारा \q2 अपन मुहूं ले पाप नइं करे हंव— \q1 \v 31 कहूं मोर घर म रहइया मनखेमन ये कभू नइं कहे हवंय, \q2 ‘कोन ह अयूब के इहां खाके संतोस नइं होईस?’— \q1 \v 32 पर कोनो अजनबी ला गली म रथिया बिताना नइं परिस, \q2 काबरकि मोर घर के मुंहटा ह बटोहीमन बर हमेसा खुला रिहिस— \q1 \v 33 अपन मन म अपन अपराध ला छुपाय के दुवारा \q2 कहूं मेंह आने मनखेमन सहीं अपन पाप ला छुपाय हंव, \q1 \v 34 काबरकि मोला मनखेमन के भीड़ ले डर लगिस \q2 अऊ अपन कुल के अपमान ले अइसे डर गेंव \q2 कि मेंह चुप रहेंव अऊ घर ले बाहिर नइं निकलेंव— \b \q1 \v 35 (“आह, कि कोनो तो मोर बात के सुनइया रिहिस! \q2 मेंह अब अपन बचाव के दसखत करत हंव—सर्वसक्तिमान ह मोला जबाब देवय; \q2 मोर ऊपर दोस लगइया ह मोर दोस ला लिखित म देवय। \q1 \v 36 खचित मेंह येला अपन खांध म उठाहूं, \q2 मेंह येला मुकुट कस पहिरहूं। \q1 \v 37 मेंह ओला अपन हर कदम के हिसाब दूहूं; \q2 जइसे सासन करइया के आघू म मामला रखथें, वइसे मेंह येला ओकर आघू म रखहूं।)— \b \q1 \v 38 “कहूं मोर भुइयां ह मोर बिरोध म पुकारथे \q2 अऊ नांगर ले बने येकर जम्मो घारीमन रोथें, \q1 \v 39 कहूं मेंह बिगर दाम चुकाय येकर ऊपज ला खा गे हंव \q2 या येकर मालिक के मरे के कारन बने हंव,\f + \fr 31:39 \fr*\ft अधरम करके दुख दे हंव\ft*\f* \q1 \v 40 त गहूं के बलदा म कंटिली झाड़ी \q2 अऊ जवांर के बलदा म खरपतवार उगय।” \p अयूब के गोठ ह खतम होईस। \c 32 \s1 एलीहू \p \v 1 तब अयूब के ये तीनों संगी अयूब ला जबाब देना बंद कर दीन, काबरकि अयूब ह खुद के नजर म धरमी रिहिस। \v 2 पर राम के परिवार के बूजवासी बारकेल के बेटा एलीहू ह अयूब के ऊपर बहुंत गुस्सा होईस काबरकि अयूब ह परमेसर के बदले अपनआप ला धरमी ठहिरात रिहिस। \v 3 एलीहू ह ये तीनो संगीमन ऊपर घलो गुस्सा होईस, काबरकि ओमन अयूब ला जबाब नइं दे सकिन, अऊ तभो ले ओमन ओला दोसी ठहिराईन। \v 4 एलीहू ह अयूब के आघू म गोठियाय बर इंतजार करत रिहिस, काबरकि ओह ओमन ले उमर म छोटे रिहिस। \v 5 पर जब ओह देखिस कि ओ तीनों झन करा कहे बर अऊ कुछू नइं ए, त ओकर रिस ह भड़किस। \p \v 6 तब बूजवासी बारकेल के बेटा एलीहू ह जबाब दीस: \q1 “मेंह तो उमर म छोटे अंव, \q2 अऊ तुमन सियान अव; \q1 एकरसेति मेंह डरत रहेंव, \q2 अऊ जऊन कुछू जानथंव, ओला कहे के हिम्मत नइं करत रहेंव। \q1 \v 7 मेंह सोचत रहेंव, ‘उमर म बड़ेमन ला गोठियाना चाही; \q2 उमर म बड़ेमन ला बुद्धि के बात सिखाना चाही।’ \q1 \v 8 पर मनखे म येह आतमा ए, \q2 याने सर्वसक्तिमान के सांस ए, जऊन ह ओमन ला समझ देथे। \q1 \v 9 सिरिप सियान मनखेमन ही बुद्धिमान नइं होवंय, \q2 अऊ सिरिप उमरवालामन ही सही बात के समझ नइं रखंय। \b \q1 \v 10 “एकरसेति मेंह कहत हंव: मोर बात ला सुनव; \q2 मेंह घलो तुमन ला बताहूं, जऊन कुछू मेंह जानथंव। \q1 \v 11 जब तुमन गोठियावत रहेव, त मेंह रूके रहेंव, \q2 मेंह तुम्हर बिचार ला सुनेंव; \q1 जब तुमन बोले बर सबद खोजत रहेव, \q2 \v 12 मेंह पूरा धियान देके तुम्हर बात सुनेंव। \q1 पर तुमन म ले कोनो अयूब ला गलत साबित नइं करेव; \q2 तुमन म ले एको झन घलो ओकर बात के जबाब नइं दे सकेव। \q1 \v 13 ये झन कहव, ‘हमन बुद्धि पा गे हन; \q2 कोनो मनखे नइं, पर परमेसर ह ओला लबरा साबित करय।’ \q1 \v 14 पर अयूब ह मोर बिरोध म कुछू नइं कहिस, \q2 अऊ मेंह ओला तुम्हर तर्क के संग जबाब नइं देवंव। \b \q1 \v 15 “ओमन अबक हो गे हवंय अऊ ओमन करा कहे बर कुछू नइं ए; \q2 ओमन ला सबद ही नइं मिलिस। \q1 \v 16 ओमन चुप हवंय अऊ बिगर कोनो जबाब के ठाढ़े हवंय, \q2 त का मेंह रूके रहंव? \q1 \v 17 मेंह घलो अपन बात कहिहूं; \q2 जऊन कुछू मेंह जानथंव, मेंह घलो बताहूं। \q1 \v 18 काबरकि मेंह गोठमन ले भरे हवंव, \q2 अऊ मोर भीतर के आतमा ह मोला बाध्य करत हवय; \q1 \v 19 भीतर म मेंह अंगूर के मंद के बोतल सहीं अंव, \q2 नवां चाम के बोतल सहीं, जऊन ह फूटे बर तियार हवय। \q1 \v 20 मेंह जरूर बोलहूं अऊ येकर ले मोला अराम मिलही; \q2 मेंह मुहूं खोलके जरूर जबाब दूहूं। \q1 \v 21 मेंह काकरो पखियपात नइं करंव, \q2 अऊ न ही काकरो चापलूसी करहूं; \q1 \v 22 काबरकि कहूं मेंह चापलूसी करे म कुसल होतेंव, \q2 त मोर सिरजनहार ह मोला जल्दी नास कर देतिस। \b \c 33 \q1 \v 1 “पर अब, हे अयूब, मोर गोठ ला सुन; \q2 अऊ मोर ओ जम्मो बात ऊपर धियान दे, जेला मेंह कहत हंव। \q1 \v 2 मेंह अपन मुहूं खोलनेचवाला हंव; \q2 मोर जीभ ह गोठियाय बर चुलबुलावत हवय। \q1 \v 3 मोर गोठ ह सही मन ले आवत हे; \q2 जऊन बात मेंह जानथंव, ओला मेंह ईमानदारी ले गोठियाथंव। \q1 \v 4 परमेसर के आतमा ह मोला बनाय हवय; \q2 सर्वसक्तिमान के सांस ह मोला जिनगी देथे। \q1 \v 5 कहूं जबाब दे सकत हस, त दे; \q2 ठाढ़ हो अऊ मोर आघू म अपन स्थिति बर जबाब दे। \q1 \v 6 परमेसर के नजर म तोरेच कस महूं घलो अंव; \q2 महूं ह घलो माटी ले बनाय गे हंव। \q1 \v 7 मोर ले तोला कोनो किसम के डर झन होवय, \q2 अऊ न ही मोर कोति ले तोर ऊपर कोनो किसम के दबाव होवय। \b \q1 \v 8 “पर तेंह मोर सुनत म कहे हस— \q2 मेंह ओ बातमन ला सुने हंव— \q1 \v 9 ‘मेंह सुध हंव, मेंह कोनो अपराध नइं करे हंव; \q2 मेंह सुध अऊ पाप ले मुक्त हंव। \q1 \v 10 तभो ले परमेसर ह मोर म गलती पाय हे; \q2 ओह मोला अपन बईरी समझथे। \q1 \v 11 ओह मोर गोड़ ला बेड़ी म बांधथे; \q2 ओह मोर जम्मो चालचलन ला धियान से देखथे।’ \b \q1 \v 12 “पर मेंह तोला कहत हंव कि ये बात म तेंह सही नो हस, \q2 काबरकि परमेसर ह कोनो भी मनखे ले बड़े अय। \q1 \v 13 तेंह ओकर करा काबर सिकायत करथस \q2 कि ओह काकरो बात के जबाब नइं देवय? \q1 \v 14 काबरकि परमेसर ह गोठियाथे जरूर—कभू एक रीति ले, त कभू आने रीति ले— \q2 हालाकि येला कोनो मनखे नइं समझंय। \q1 \v 15 कभू सपना म, कभू रथिया दरसन म, \q2 जब मनखेमन बहुंत नींद म परे रहिथें \q2 अपन बिस्तर म आलस के मारे झपकी लेवत रहिथें, \q1 \v 16 त परमेसर ह ओमन के कान म गोठियाथे \q2 अऊ ओमन ला चेतउनी देके डराथे, \q1 \v 17 ताकि ओमन गलत काम झन करंय \q2 अऊ घमंड ले दूरिहा रहंय, \q1 \v 18 ताकि ओमन खंचवा म गिरे ले बचंय, \q2 अऊ ओमन के जिनगी ह तलवार ले नास झन होवय। \b \q1 \v 19 “या कोनो मनखे अपन बिस्तर म पीरा ले पीड़ित हे, \q2 ओकर हाड़ामन म लगातार पीरा ले ओला सजा मिलत हे, \q1 \v 20 जेकर ले जेवन ह ओकर मन ला नइं रूचय \q2 अऊ ओकर मन ह सुवादवाले जेवन ले घिन करे लगथे। \q1 \v 21 ओकर देहें के मांस ह बेकार म नास होथे, \q2 अऊ ओकर नइं दिखइया हाड़ामन दिखे लगथें। \q1 \v 22 ओकर जीव खंचवा के लकठा म जाथे, \q2 अऊ ओकर जिनगी ह मिरतू के दूतमन\f + \fr 33:22 \fr*\ft या \ft*\fqa मिरतू के जगह\fqa*\f* करा जाथे। \q1 \v 23 कहूं एक स्वरगदूत ह ओकर कोति रहय \q2 एक संदेसिया, जऊन ह हजार म ले एक अय \q2 ओकर करा ये कहे बर भेजे जावय कि ईमानदार कइसे बनय, \q1 \v 24 अऊ ओह ओ मनखे ऊपर दयालु बनके परमेसर ले कहय, \q2 ‘ओला कबर म जाय ले बचा; \q2 मोला ओकर छुड़ौती के कीमत मिल गे हवय— \q1 \v 25 ओकर मांस ह लइका के मांस सहीं कोमल हो जावय \q2 ओला ओकर जवानी के दिन सहीं कर दिये जावय’— \q1 \v 26 तब ओ मनखे ह परमेसर ले पराथना करय अऊ परमेसर के अनुग्रह ला पावय, \q2 ओह परमेसर के मुहूं ला देखही अऊ आनंद के मारे चिचियाही; \q2 परमेसर ह ओला फेर पहिले सहीं बने स्थिति म ले आही। \q1 \v 27 अऊ ओह आने मनखेमन करा जाके कहिही, \q2 ‘मेंह पाप करे हंव, मेंह सही काम ला बिगाड़े हंव, \q2 पर मोर गलती के सजा मोला नइं मिलिस। \q1 \v 28 परमेसर ह मोला कबर म जाय ले बचाय हवय, \q2 अऊ मेंह अपन जिनगी के अंजोर के आनंद उठाय बर जीहूं।’ \b \q1 \v 29 “परमेसर ह ये जम्मो चीज मनखे के संग करथे— \q2 दू बार, तीन बार घलो करथे— \q1 \v 30 ताकि ओमन कबर ले लहुंटंय, \q2 अऊ जिनगी के अंजोर ह ओमन ऊपर चमकय। \b \q1 \v 31 “हे अयूब, धियान दे, अऊ मोर बात ला सुन; \q2 चुपे रह, अऊ मेंह गोठियाहूं। \q1 \v 32 कहूं तोला कुछू कहना हे, त मोला जबाब दे; \q2 गोठिया, काबरकि मेंह तोला सही ठहिराय चाहत हंव। \q1 \v 33 पर कहूं नइं, त फेर मोर बात ला सुन; \q2 चुपे रह, अऊ मेंह तोला बुद्धि के बात सिखोहूं।” \c 34 \p \v 1 तब एलीहू ह आगे कहिस: \q1 \v 2 “हे बुद्धिमान मनखेमन, मोर बात ला सुनव; \q2 हे गियानी मनखेमन, मोर बात म कान लगावव। \q1 \v 3 काबरकि जइसे जीभ ले जेवन चखे जाथे, \q2 वइसनेच ही कान ह गोठमन ला परखथे। \q1 \v 4 सही का ए, आवव, हमन ओला समझन; \q2 भलई का ए, आवव हमन ओला एक संग सीखन। \b \q1 \v 5 “काबरकि अयूब ह ये कहिथे, ‘मेंह निरदोस अंव, \q2 पर परमेसर ह मोर संग नियाय नइं करत हे। \q1 \v 6 हालाकि मेंह सही अंव, \q2 पर मेंह लबरा समझे जावत हंव; \q1 हालाकि मेंह अपराधी नो हंव, \q2 पर ओकर तीर ह मोला असाध्य घाव देवत हे।’ \q1 \v 7 का कोनो अयूब कस हवय, \q2 जऊन ह अपमान ला पानी कस पी जाथे? \q1 \v 8 ओह कुकरमीमन के संग म रहिथे; \q2 ओह दुस्ट मनखेमन के संगति करथे। \q1 \v 9 काबरकि ओह कहिथे, ‘परमेसर ला खुस करे के \q2 कोसिस करे म कोनो फायदा नइं ए।’ \b \q1 \v 10 “एकरसेति, हे समझदार मनखेमन, मोर बात सुनव। \q2 येह संभव नो हय कि परमेसर ह बुरई करय, \q2 सर्वसक्तिमान ह गलत करय। \q1 \v 11 ओह हर कोनो ला ओमन के काम के मुताबिक फर देथे; \q2 ओह ओमन के चालचलन के मुताबिक ओमन ले बरताव करथे। \q1 \v 12 ये सोचे घलो नइं जा सकय कि परमेसर ह गलत करही, \q2 ये कि सर्वसक्तिमान ह नियाय ला बिगाड़ही। \q1 \v 13 कोन ह ओला धरती ऊपर नियुक्त करे हवय? \q2 कोन ह ओला जम्मो संसार के जबाबदारी दे हवय। \q1 \v 14 कहूं येह ओकर इरादा होतिस \q2 अऊ ओह अपन आतमा अऊ अपन सांस ला वापिस ले लेतिस, \q1 \v 15 त जम्मो मानव-जाति एक संग नास हो जातिस \q2 अऊ मनखे ह फेर धुर्रा म मिल जातिस। \b \q1 \v 16 “कहूं तोर म समझ हवय, त सुन; \q2 मेंह का कहत हंव, ओला सुन। \q1 \v 17 जऊन ह नियाय के बईरी ए, का ओह सासन कर सकथे? \q2 का तेंह धरमी अऊ बलसाली ला दोसी ठहिराबे? \q1 \v 18 का येह ओ नो हय, जऊन ह राजामन ला कहिथे, ‘तुमन निकम्मा अव,’ \q2 अऊ परधानमन ला कहिथे, ‘तुमन दुस्ट अव,’ \q1 \v 19 परमेसर ह राजकुमारमन के तरफदारी नइं करय \q2 अऊ न ही धनवान ला गरीब ले जादा महत्व देथे, \q2 काबरकि ओ जम्मो झन परमेसर के हांथ के कारीगरी अंय। \q1 \v 20 ओमन छिन भर म, आधा रथिया के मर जाथें; \q2 मनखेमन कांपथें अऊ मर जाथें; \q2 परतापी मनखेमन बिगर हांथ लगाय नास हो जाथें। \b \q1 \v 21 “परमेसर के आंखी ह मनखे के चालचलन के ऊपर लगे रहिथे; \q2 ओह ओमन के पग-पग ला देखत रहिथे। \q1 \v 22 अइसे कोनो घोर अंधियार या घिटके अंधियार नइं ए, \q2 जिहां दुराचारीमन लुका सकंय। \q1 \v 23 परमेसर बर मनखेमन ला अऊ परखना जरूरी नो हय, \q2 कि ओमन नियाय बर ओकर आघू म ठाढ़ होवंय। \q1 \v 24 बिगर छानबीन करे ओह बलवानमन ला चूर-चूर करथे \q2 अऊ ओमन के जगह म आने मनखे ला ठाढ़ कर देथे। \q1 \v 25 काबरकि ओह ओमन के करनी ला जानथे, \q2 ओह ओमन ला रथिया फटिक देथे अऊ ओमन चकनाचूर हो जाथें। \q1 \v 26 ओह ओमन ला ओमन के दुस्टता के सजा उहां देथे \q2 जिहां जम्मो झन ओमन ला देख सकंय, \q1 \v 27 काबरकि ओमन ओकर पाछू रेंगई ला छोंड़ दे हवंय \q2 अऊ ओकर कोनो कानून के आदर नइं करंय। \q1 \v 28 ओमन के कारन गरीबमन के गोहार ह परमेसर करा हबरिस, \q2 अऊ ओह जरूरतमंद मनखे के गोहार ला सुनिस। \q1 \v 29 पर कहूं ओह चुप रहय, त कोन ह ओला दोसी ठहिरा सकत हे? \q2 कहूं ओह अपन चेहरा ला छुपाय, त कोन ह ओला देख सकत हे? \q1 चाहे एक झन मनखे होवय या मनखेमन के जाति, ओह जम्मो के संग एक समान बरताव करथे, \q2 \v 30 ताकि भक्तिहीन मनखे ह राज झन करय \q2 अऊ मनखेमन फांदा म झन फंसय। \b \q1 \v 31 “मान लव, कोनो मनखे परमेसर ला कहिथे, \q2 ‘मेंह दोसी अंव पर अब कभू अपराध नइं करंव। \q1 \v 32 जऊन ला मेंह नइं देख सकंव, तेंह मोला ओ बात सिखा; \q2 कहूं मेंह गलती करे हंव, त मेंह अइसे फेर नइं करंव।’ \q1 \v 33 त का परमेसर ह तोर सर्त के मुताबिक तोला परतिफल दीही, \q2 जबकि तेंह प्रायस्चित करे बर इनकार करथस? \q1 तें फैसला कर, में नइं; \q2 मोला बता कि तेंह का जानथस। \b \q1 \v 34 “समझदार मनखेमन बताथें, \q2 बुद्धिमान मनखे जऊन मन मोर सुनथें, मोला कहिथें, \q1 \v 35 ‘अयूब ह बिगर गियान के गोठियाथे; \q2 ओकर बात म समझ नइं दिखय।’ \q1 \v 36 बने होतिस, कि अयूब ह आखिरी तक परखे जातिस \q2 काबरकि ओह दुस्ट मनखे कस जबाब देथे! \q1 \v 37 ओह अपन पाप के संगे-संग बिदरोह घलो करथे; \q2 तिरस्कार करके, ओह हमर बीच म ताली बजाथे \q2 अऊ परमेसर के बिरोध म बहुंत बात कहिथे।” \c 35 \p \v 1 तब एलीहू ह ये घलो कहिस: \q1 \v 2 “का तेंह येला नियाय-संगत मानथस? \q2 तेंह कहिथस, ‘मेंह सही अंव, परमेसर नइं।’ \q1 \v 3 तभो ले तेंह ओकर ले पुछथस, ‘मोला येकर ले का फायदा, \q2 पाप नइं करे ले मोला का मिलत हे?’ \b \q1 \v 4 “मेंह तोला अऊ तोर संगीमन ला \q2 जबाब देय चाहत हंव। \q1 \v 5 अकासमन कोति निहार अऊ देख; \q2 बादरमन कोति निहार, जऊन मन तोर बहुंत ऊपर हवंय। \q1 \v 6 कहूं तेंह पाप करथस, त परमेसर के का बिगड़थे? \q2 कहूं तोर पापमन बहुंते हवंय, त येकर ले ओला का फरक पड़थे? \q1 \v 7 कहूं तेंह धरमी अस, त तेंह ओला का देथस? \q2 या ओला तोर हांथ ले का मिल जाथे? \q1 \v 8 तोर दुस्टता ह सिरिप तोर सहीं मनखेमन ऊपर, \q2 अऊ तोर धरमीपन ह आने मनखेमन ऊपर असर डालथे। \b \q1 \v 9 “अब्बड़ अतियाचार के कारन मनखेमन कलहरथें; \q2 ओमन बलवान के बाहुबल ले छुटकारा पाय बर बिनती करथें। \q1 \v 10 पर कोनो नइं कहय, ‘मोर सिरजनहार परमेसर कहां हवय, \q2 जऊन ह रथिया गीत गाय बर देथे, \q1 \v 11 जऊन ह हमन ला धरती के जानवरमन ले जादा सिकछा देथे \q2 अऊ हमन ला अकास के चिरईमन ले जादा बुद्धिमान बनाथे।’ \q1 \v 12 दुस्ट मनखेमन के घमंड के कारन \q2 परमेसर जबाब नइं देवय, जब मनखेमन गोहारथें। \q1 \v 13 वास्तव म, परमेसर ह ओमन के खाली निबेदन ला नइं सुनय; \q2 सर्वसक्तिमान ह ओकर कोति धियान नइं देवय। \q1 \v 14 त ओह तोर का सुनही \q2 जब तेंह कहिथस कि मेंह ओला नइं देखत हंव, \q1 जबकि तोर मामला ओकर आघू म हवय, \q2 अऊ तोला ओकर बाट जोहना जरूरी अय। \q1 \v 15 अऊ देख, ओह गुस्सा होके कभू दंड नइं देवय \q2 अऊ ओह दुस्टता कोति कम धियान नइं देवय। \q1 \v 16 एकरसेति अयूब ह बेकार के बात कहे बर अपन मुहूं खोलथे; \q2 बिगर गियान के, ओह बहुंत गोठियाथे।” \c 36 \p \v 1 फेर एलीहू ह ये घलो कहिस: \q1 \v 2 “थोरकून अऊ धीरज धर, त मेंह तोला देखाहूं \q2 कि परमेसर कोति ले अऊ घलो बहुंत अकन कहे जा सकत हे। \q1 \v 3 मेंह अपन गियान बहुंत दूरिहा ले पाथंव; \q2 मेंह अपन सिरजनहार करा नियाय के बात करहूं। \q1 \v 4 खचित मोर गोठ ह लबारी नो हय; \q2 तोर संग म जऊन ह हवय, ओकर करा सिद्ध गियान हवय। \b \q1 \v 5 “परमेसर ह सक्तिमान ए, पर ओह कोनो मनखे ला तुछ नइं जानय; \q2 ओह सक्तिमान ए, अऊ अपन उदेस्य ले नइं डिगय। \q1 \v 6 ओह दुस्ट ला जीयत नइं रहन देवय \q2 पर दुखी मनखेमन ला ओमन के अधिकार देथे। \q1 \v 7 ओह धरमीमन ले अपन नजर नइं हटावय; \q2 ओह ओमन ला राजामन संग सिंघासन म बईठाथे \q2 अऊ ओमन ला सदाकाल बर ऊंचा उठाथे। \q1 \v 8 पर कहूं मनखेमन बेड़ी म बंधाय हवंय, \q2 दुख के डोरी म जोर से जकड़े हवंय, \q1 \v 9 त ओह ओमन ला बताथे कि ओमन का करे हवंय— \q2 कि ओमन घमंडी होके पाप करे हवंय। \q1 \v 10 ओह ओमन ला सुधारे खातिर सुनाथे \q2 अऊ अपन बुरई ले प्रायस्चित करे बर ओमन ला हुकूम देथे। \q1 \v 11 कहूं ओमन हुकूम मानंय अऊ ओकर सेवा करंय, \q2 त ओमन के जिनगी के बाकि दिनमन उन्नति करे म \q2 अऊ ओमन के जिनगी के बछरमन सुख म बीतहीं। \q1 \v 12 पर कहूं ओमन नइं सुनंय, \q2 त ओमन तलवार ले नास हो जाहीं \q2 अऊ बिगर गियान के मर जाहीं। \b \q1 \v 13 “भक्तिहीनमन अपन दिल म कोरोध पालथें; \q2 अऊ त अऊ जब परमेसर ह ओमन ला बेड़ी म बांधथे, तभो ले ओमन मदद बर नइं गोहारंय। \q1 \v 14 ओमन देवालय के पुरूस बेस्यामन\f + \fr 36:14 \fr*\ft धारमिक बेस्या के काम, जेला राजामन के किताब म गलत कहे गे हवय; येह कनानीमन के धारमिक काम रिहिस\ft*\f* के बीच \q2 अपन जवानी के दिन म ही मर जाथें। \q1 \v 15 पर परमेसर ह दुखी मनखेमन ला ओमन के दुख ले छुड़ाथे; \q2 ओह ओमन के दुख के बेरा म ओमन ले गोठियाथे। \b \q1 \v 16 “ओह तोला बिपत्ति के मुहूं ले निकालके \q2 अइसे चाकर जगह म अमरा देवत हे जिहां कोनो बाधा नइं ए, \q2 जिहां सुवादवाला जेवन तोर सुबिधा के मेज म परोसे जाथे। \q1 \v 17 पर अब तोला ओ दंड दिये जावत हे, जऊन ह दुस्टमन बर अय; \q2 निरनय अऊ नियाय तोला पकड़ ले हवय। \q1 \v 18 सचेत रह कि कोनो तोला धन-संपत्ति के दुवारा झन बहकावय; \q2 अऊ बहुंत घूस ह तोला डहार ले झन भटकावय। \q1 \v 19 का तोर जम्मो धन-संपत्ति अऊ तोर जम्मो बल \q2 तोला तोर दुख ले छुटकारा दीही? \q1 \v 20 ओ रथिया के आसा झन कर, \q2 जेमा मनखेमन ला ओमन के घर ले घसीटके निकाले जाथे। \q1 \v 21 सचेत रह अऊ बुरई कोति झन लहुंट, \q2 जेला तेंह सायद दुख ले जादा पसंद करथस। \b \q1 \v 22 “परमेसर ह अपन सामर्थ म अति महान अय। \q2 ओकर सहीं गुरू कोन हवय? \q1 \v 23 कोन ह ओकर बर डहार ठहिराय हवय, \q2 या कोन ह ओला कह सकत हे, ‘तेंह गलती करे हस’? \q1 \v 24 ओकर काम के परसंसा करे बर झन भुला; \q2 जेकर परसंसा मनखेमन गीत म करे हवंय। \q1 \v 25 जम्मो मानव-जाति ह येला देखे हवय; \q2 मरनहार मनखेमन येला दूरिहा ले टकटकी लगाके देखथें। \q1 \v 26 परमेसर ह कतेक महान ए—हमर समझ के बाहिर ए! \q2 ओकर उमर के गनई ह असंभव ए। \b \q1 \v 27 “ओह पानी के बूंदमन ला ऊपर खींच लेथे, \q2 जऊन ह बारिस के बूंद के रूप म नदी म बहथे; \q1 \v 28 बादरमन अपन नमी ला खाल्हे उंडेलथें \q2 अऊ मानव-जाति ऊपर बहुंत बारिस होथे। \q1 \v 29 कोन ह समझ सकथे कि ओह बादरमन ला कइसे बगराथे, \q2 अऊ कइसे ओह अपन जगह ले बादरमन ला गरजाथे? \q1 \v 30 देखव, ओह कइसे चारों कोति अपन बिजली ला चमकाथे, \q2 अऊ समुंदर के गहरई ला ढांप देथे। \q1 \v 31 ये किसम ले ओह देस-देस के मनखेमन ऊपर सासन करथे\f + \fr 36:31 \fr*\ft या \ft*\fqa पालथे-पोसथे\fqa*\f* \q2 अऊ ओमन ला बहुंतायत ले जेवन देथे। \q1 \v 32 ओह बिजली ला अपन हांथ म ले लेथे \q2 अऊ ओला हुकूम देथे कि सही जगह म गिरय। \q1 \v 33 ओकर गरजई ह अवइया आंधी के घोसना करथे; \q2 अऊ त अऊ पसुमन घलो येकर आय के चिनहां बताथें। \b \c 37 \q1 \v 1 “इही बात म मोर हिरदय ह कांपथे \q2 अऊ अपन जगह ले उदकथे। \q1 \v 2 सुन! परमेसर के अवाज के गरजन, \q2 ओकर मुहूं ले निकलत गड़गड़ाहट ला सुन। \q1 \v 3 ओह अपन बिजली ला जम्मो अकास के खाल्हे जावन देथे \q2 अऊ ओला धरती के छोर तक पठोथे। \q1 \v 4 ओकर बाद ओकर गरजन के अवाज आथे; \q2 ओह अपन परतापी अवाज ले गरजथे। \q1 जब ओकर अवाज फेर सुनई देथे, \q2 तब ओह अपन करा कुछू नइं रख छोंड़य। \q1 \v 5 परमेसर के अवाज ह अद्भूत रीति ले गरजथे; \q2 ओह हमर समझ ले बाहिर बड़े-बड़े काम करथे। \q1 \v 6 ओह बरफ ला हुकूम देथे, ‘धरती म गिर,’ \q2 अऊ बारिस के पानी ला हुकूम देथे, ‘जमके बरस,’ \q1 \v 7 ताकि हर एक मनखे, जऊन ला ओह बनाय हे, ओकर काम ला जानय, \q2 ओह जम्मो मनखे ला ओमन के मेहनत करे ले रोक देथे। \q1 \v 8 तब बन के पसुमन अपन गुफा म खुसर जाथें; \q2 ओमन अपन मांद म रहिथें। \q1 \v 9 अपन छेत्र\f + \fr 37:9 \fr*\ft याने कि, दक्खिन दिग\ft*\f* ले आंधी, \q2 अऊ तेज बहत हवा ले जाड़ा आथे। \q1 \v 10 परमेसर के सांस फूंके ले बरफ बनथे, \q2 अऊ बगरे पानी ह जम जाथे। \q1 \v 11 ओह बादरमन ला नमी ले लादथे; \q2 अऊ अपन बिजली ला ओमन के जरिये बगराथे। \q1 \v 12 ओकर आदेस म येमन \q2 धरती के चारों कोति ऊपर एती-ओती किंदरथें \q2 अऊ ओकर हुकूम के मुताबिक काम करथें। \q1 \v 13 ओह मनखेमन ला दंड देय बर बादर लानथे, \q2 या धरती ऊपर पानी लानके ओह अपन मया देखाथे। \b \q1 \v 14 “हे अयूब, येला सुन; \q2 रूक अऊ परमेसर के अद्भूत काम ऊपर बिचार कर। \q1 \v 15 का तें जानथस कि परमेसर ह कइसे बादरमन ला अपन हुकूम ले चलाथे \q2 अऊ अपन बिजली चमकाथे? \q1 \v 16 का तेंह जानथस कि बादरमन अधर म कइसे रहिथें, \q2 ओकर ये अचरज के काम के बारे म कोन ला सिद्ध गियान हवय? \q1 \v 17 जब दक्खिन के हवा के कारन भुइयां ह सांत रहिथे, \q2 अऊ तेंह अपन कपड़ा के गरमी म बियाकुल रहिथस, \q1 \v 18 त का तेंह ओकर संग म अकास-मंडल ला तान सकत हस, \q2 जऊन ह ढरूवा कांसा के दरपन सहीं कठोर होथे? \b \q1 \v 19 “हमन ला बता कि हमन ओला का कहिबो; \q2 हमर अंधियार के कारन, हमन अपन मामला नइं रख सकन। \q1 \v 20 का ओला बताय जावय कि मेंह गोठियाय चाहत हंव? \q2 का कोनो मनखे चाहथे कि ओला लील डारे जावय? \q1 \v 21 अभी तो सूरज कोति कोनो नइं देख सकंय, \q2 काबरकि हवा ह अकास ला साफ कर दे हे, \q2 अऊ सूरज ह तेज चमकत हे। \q1 \v 22 उत्तर कोति ले ओह सोन कस चमकत आथे; \q2 परमेसर ह अद्भूत महिमा म आथे। \q1 \v 23 सर्वसक्तिमान ह हमर पहुंच के बाहिर ए अऊ बहुंत सामर्थी ए; \q2 अपन नियाय अऊ बड़े धरमीपन म, ओह अतियाचार नइं करय। \q1 \v 24 एकरसेति, मनखेमन ओकर आदर करंय, \q2 काबरकि ओह जम्मो बुद्धिमान मनखेमन के आदर करथे।\f + \fr 37:24 \fr*\ft या \ft*\fqa काबरकि ओह ओमन के आदर नइं करय, जऊन मन अपनआप ला बुद्धिमान समझथें।\fqa*\f*” \c 38 \s1 यहोवा ह गोठियाथे \p \v 1 तब यहोवा ह अयूब ला गरेर म ले गोठियाईस। ओह कहिस: \q1 \v 2 “येह कोन ए जऊन ह अगियानता के बात करके \q2 मोर युक्ति ला बिगाड़े चाहत हे? \q1 \v 3 एक आदमी सहीं अपन कनिहां कस ले; \q2 मेंह तोर ले सवाल पुछहूं, \q2 अऊ तेंह मोला जबाब देबे। \b \q1 \v 4 “जब मेंह धरती के नीव डारेंव, त तेंह कहां रहय? \q2 कहूं तेंह समझत हस, त मोला बता। \q1 \v 5 कोन ह येकर बिस्तार करिस? खचित तेंह जानत हस! \q2 कोन ह येकर ऊपर नापे के लाईन धरिस? \q1 \v 6 येकर नीव काकर ऊपर रखे गीस, \q2 या कोन ह येकर कोना के पथरा ला मढ़ाईस— \q1 \v 7 जब बिहनियां के तारामन एक संग गाईन \q2 अऊ जम्मो स्वरगदूतमन आनंद के मारे चिचियाईन? \b \q1 \v 8 “कोन ह कपाटमन के पाछू समुंदर ला रोकिस \q2 जब येह अइसे फूटके निकलिस, मानो ओह गरभ ले फूट निकले हे, \q1 \v 9 जब मेंह बादर ला ओकर ओनहा बनांय \q2 अऊ येला घिटके अंधियार म लपेटें, \q1 \v 10 जब मेंह येकर सीमना ठहिरांय \q2 अऊ येकर कपाट अऊ बाड़ा ठहिरांय, \q1 \v 11 जब मेंह समुंदर ला कहेंव, ‘तेंह इहां तक आ सकत हस अऊ आगे नइं; \q2 येह ओ जगह ए, जिहां तोर उमड़इया लहरामन रूक जावंय’? \b \q1 \v 12 “का तेंह कभू बिहनियां ला हुकूम देय हवस, \q2 या बिहान होय ला अपन जगह देखाय हवस, \q1 \v 13 कि येह धरती के छोर ला अपन बस म करय \q2 अऊ दुस्ट मनखेमन ला येमा ले झर्रा देवय? \q1 \v 14 धरती ह अइसे आकार लेथे जइसे मुहर के खाल्हे के चिक्कन माटी के आकार बदलथे; \q2 येकर रूप ह पोसाक के सहीं दिखे लगथे। \q1 \v 15 दुस्टमन ला ओमन के अंजोर ले रोक लिये जाथे, \q2 अऊ ओमन के उठे बाहां ला टोर दिये जाथे। \b \q1 \v 16 “का तेंह कभू समुंदर के सोतमन करा हबरे हवस \q2 या गहिरा समुंदर के पेंदी म कभू रेंगे-बुले हवस? \q1 \v 17 का मिरतू के कपाट ला तोला देखाय गे हवय? \q2 का तेंह घिटके अंधियार के कपाटमन ला देखे हस? \q1 \v 18 का तेंह धरती के बिस्तार ला समझे हस? \q2 कहूं तेंह ये जम्मो ला जानथस, त मोला बता। \b \q1 \v 19 “अंजोर के निवास के रसता का ए? \q2 अऊ अंधियार ह कहां रहिथे? \q1 \v 20 का तेंह ओमन ला ओमन के जगह म ले जा सकबे? \q2 का तेंह ओमन के निवास के रसता ला जानथस? \q1 \v 21 तेंह तो जरूर जानथस, काबरकि पहिली ही तोर जनम हो गे रिहिस! \q2 तेंह बहुंत साल तक जीये हस! \b \q1 \v 22 “का तेंह बरफ के भंडारघरमन म खुसरे हवस \q2 या ओला के भंडारघरमन ला देखे हवस, \q1 \v 23 जऊन मन ला मेंह संकट के समय बर, \q2 याने युद्ध अऊ लड़ई बर रखे हवंव? \q1 \v 24 ओ जगह के रसता का ए, जिहां ले अंजोर ला बगराय जाथे, \q2 या ओ जगह कहां हवय, जिहां ले धरती ऊपर पुरवई हवा ह बहथे? \q1 \v 25 कोन ह भारी बारिस बर नरवा खनथे, \q2 अऊ कोन ह बादर के गरजन बर रद्दा बनाथे; \q1 \v 26 ताकि निरजन भुइयां म, \q2 मरू-भुइयां म, जिहां कोनो नइं रहंय, उहां पानी जा सकय, \q1 \v 27 जेकर ले उजरे अऊ बंजर भुइयां के पीयास बुझय \q2 अऊ कांदी ह जामय? \q1 \v 28 का बरसा के कोनो ददा हवय? \q2 ओस के बूंदी ला कोन ह पईदा करथे? \q1 \v 29 काकर गरभ ले बरफ ह निकलथे? \q2 कोन ह अकास ले गिरे ओस ला जमाथे \q1 \v 30 जब पानी ह पथरा कस कठोर हो जाथे, \q2 जब गहिरा पानी के सतह ह जम जाथे? \b \q1 \v 31 “का तेंह नछत्र के समूह\f + \fr 38:31 \fr*\ft इबरानी म \ft*\fqa सुघरता\fqa*\f* ला जंजीर म बांध सकथस? \q2 का तेंह मिरगासिरा\f + \fr 38:31 \fr*\ft या \ft*\fqa अकास के मांझा म तारामन के समूह\fqa*\f* के बंधना ला खोल सकथस? \q1 \v 32 का तेंह तारा मंडल ला ओमन के ठहिराय समय\f + \fr 38:32 \fr*\ft या \ft*\fqa बिहनियां के तारा ला ओकर समय म\fqa*\f* म परगट कर सकथस? \q2 या का तेंह सपतरसी ला ओकर लइकामन संग ले जा सकथस? \q1 \v 33 का तेंह अकासमन के कानून ला जानथस? \q2 का तेंह धरती म परमेसर के सासन लागू कर सकथस? \b \q1 \v 34 “का तेंह बादरमन ला हुकूम दे सकथस \q2 कि बहुंत बारिस होवय अऊ तोला छुपा लेवय \q1 \v 35 का तेंह बिजली ला गिरे के हुकूम दे सकथस? \q2 का ओमन तोर करा आके कहिथें, ‘हमन इहां हवन’? \q1 \v 36 कोन ह सारस चिरई ला बुद्धि देथे \q2 या कोन ह कुकरा ला समझे के सक्ति देथे? \q1 \v 37 बादरमन ला गने के बुद्धि काकर करा हवय? \q2 कोन ह अकास के पानी के घघरी ला उलद सकत हे, \q1 \v 38 जब धुर्रा ह कठोर हो जाथे \q2 अऊ धरती के ढेलामन एक संग संट जाथें? \b \q1 \v 39 “का तेंह सिंहनी बर सिकार करके लानथस \q2 अऊ सिंहमन के भूख ला मिटाथस \q1 \v 40 जब ओमन अपन मांद म बईठे रहिथें \q2 या झाड़ीमन के बीच म लेटके घात लगाय रहिथें? \q1 \v 41 कोन ह कऊआ ला भोजन देथे \q2 जब ओकर पीलामन परमेसर ले गोहारथें \q2 अऊ भोजन के खोज म भटकत रहिथें? \b \c 39 \q1 \v 1 “का तेंह जानथस कि पहाड़ के जंगली छेरीमन कब पीला देथें? \q2 का तेंह देखथस कि हिरनी ह कब पीला देथे? \q1 \v 2 का तेंह ओमन के गरभ धारन करे के महिनामन ला गनथस? \q2 का तेंह ओमन के जनम देय के समय ला जानथस? \q1 \v 3 ओमन निहरके अपन पीला ला जनमथें; \q2 अऊ ओमन के लइका जनमे के पीरा ह खतम हो जाथे। \q1 \v 4 ओमन के पीलामन जंगल म बाढ़थें अऊ मजबूत होवत जाथें; \q2 ओमन चल देथें अऊ फेर लहुंटके नइं आवंय। \b \q1 \v 5 “कोन ह जंगली गदहामन ला खुला छोंड़ देथे? \q2 कोन ह ओमन के बंधना ला खोल दीस? \q1 \v 6 ओमन ला मेंह ओमन के घर बर सुन्ना जगह, \q2 अऊ ओमन के निवास बर नूनचूर ऊसर भुइयां देय हवंव। \q1 \v 7 ओमन तो सहर के कोलाहल ऊपर हांसथें; \q2 ओमन गदहा खेदइया के हांका ला नइं सुनंय। \q1 \v 8 ओमन अपन चारा बर पहाड़मन म किंदरथें \q2 अऊ हरियर-हरियर चारा खोजत रहिथें। \b \q1 \v 9 “का जंगली बईला ह तोर सेवा करे बर सहमती दीही? \q2 का ओह तोर कोटना के तीर म रात बिताही? \q1 \v 10 का तेंह जंगली बईला ला डोरी ले बांधके नांगर जोत सकथस? \q2 का ओह तोर पाछू घाटी म पाटा ला खींचही? \q1 \v 11 का तेंह ओकर बड़े बल के सेति ओकर ऊपर भरोसा करबे? \q2 का तेंह अपन मेहनत के काम ला ओकर ऊपर छोंड़ देबे? \q1 \v 12 का तेंह ओकर ऊपर भरोसा करबे कि ओह तोर अनाज ला लानय \q2 अऊ लानके तोर कोठार म रखय? \b \q1 \v 13 “सुतुरमुर्ग ह अपन डेनामन ला आनंद म फड़फड़ाथे, \q2 हालाकि ओमन के तुलना \q2 सारस के डेना अऊ पांखीमन ले नइं करे जा सकय। \q1 \v 14 सुतुरमुर्ग ह तो अपन अंडा भुइयां म देथे \q2 अऊ ओमन ला धुर्रा के गरमी ह सेथे, \q1 \v 15 ओला धियान नइं रहय कि ओमन काकरो गोड़ ले कुचरे जा सकथें, \q2 या कोनो जंगली पसु ओमन ला कुचर सकथे। \q1 \v 16 ओह अपन पीलामन ले कठोर बरताव करथे, मानो कि ओमन ओकर पीला नो हंय; \q2 ओह फिकर नइं करय कि ओकर मेहनत ह बेकार रिहिस, \q1 \v 17 काबरकि परमेसर ह ओला बुद्धि नइं देय हवय \q2 या ओला बने समझ नइं देय हवय। \q1 \v 18 तभो ले जब ओह दऊड़े बर अपन डेना ला बगराथे, \q2 त ओह घोड़ा अऊ ओकर सवारी करइया ऊपर हांसथे। \b \q1 \v 19 “का तेंह घोड़ा ला ओकर बल देथस \q2 या का तेंह ओकर घेंच म उड़त लम्बा बाल पहिराय हस? \q1 \v 20 का तेंह ओला फांफा कस उचके के बल देथस, \q2 जेकर फुंफकारे के अवाज ह आतंक फईला देथे? \q1 \v 21 ओह अपन बल ऊपर आनंद मनात, अपन खुर ले भुइयां ला खुरचथे, \q2 अऊ लड़ई के सामना करथे। \q1 \v 22 ओह बिगर कोनो भय के, डर के ऊपर हंसथे; \q2 ओह तलवार ला देखके पाछू नइं घुंचय। \q1 \v 23 तरकस ह अपन किनारा के बिरूध \q2 चमकत बरछी अऊ भाला के संग खड़खड़ाथे। \q1 \v 24 उत्तेजित होके रिस के मारे, ओह भुइयां ला छेदथे; \q2 अऊ तुरही के अवाज सुनके ओह सीधा ठाढ़ नइं होवय। \q1 \v 25 तुरही के अवाज म ओह हिनहिनाथे, ‘अहा!’ \q2 ओह दूरिहाच ले लड़ई के गंध ला सुंघ लेथे, \q2 अऊ सेनापतिमन के ललकार अऊ लड़ई के गरजन ला सुन लेथे। \b \q1 \v 26 “का बाज चिरई ह तोर बुद्धि के दुवारा उड़थे \q2 अऊ दक्खिन कोति उड़े बर अपन डेनामन ला बगराथे? \q1 \v 27 का गिधवा ह तोर हुकूम ले बहुंत ऊपर म उड़थे \q2 अऊ अपन खोंधरा ला ऊंच जगह म बनाथे? \q1 \v 28 ओह निकले चट्टान के चोटी म रहिथे अऊ उहां रात बिताथे; \q2 खड़े चट्टान ह ओकर घर अय। \q1 \v 29 उहां ले ओह अपन जेवन के ताक म रहिथे; \q2 ओकर आंखी ह दूरिहा ले ही ओला देख लेथे। \q1 \v 30 ओकर पीलामन खून ला मजा लेके पीथें, \q2 अऊ जिहां लास रहिथे, उहां ओह घलो होथे।” \c 40 \p \v 1 यहोवा ह अयूब ला कहिस: \q1 \v 2 “जऊन ह सर्वसक्तिमान ऊपर दोस लगाथे, का ओह ओकर संग बहस करही? \q2 जऊन ह परमेसर ऊपर दोस लगाथे, ओह ओला जबाब देवय!” \p \v 3 तब अयूब ह यहोवा ला जबाब दीस: \q1 \v 4 “मेंह तो तुछ मनखे अंव—मेंह तोला कइसे जबाब दे सकत हंव? \q2 मेंह अपन मुहूं ऊपर अपन हांथ रख लेथंव। \q1 \v 5 एक बार मेंह गोठिया डारेंव, पर मोर करा जबाब नइं ए— \q2 हव, दू बार घलो, पर अब मेंह नइं कहंव।” \p \v 6 तब यहोवा ह अयूब ला गरेर म ले गोठियाईस: \q1 \v 7 “एक आदमी कस अपन कनिहां कस ले; \q2 मेंह तोर ले सवाल पुछहूं, \q2 अऊ तेंह मोला जबाब देबे। \b \q1 \v 8 “का तेंह मोर नियाय ला बेकार ठहिराबे? \q2 का तेंह अपनआप ला सही ठहिराय बर मोला दोस देबे? \q1 \v 9 का तोर करा परमेसर के सहीं भुजबल हवय, \q2 अऊ का तेंह ओकर कस अवाज म गरज सकथस? \q1 \v 10 तब तेंह अपनआप ला महिमा अऊ परताप ले संवार ले, \q2 अऊ अपनआप ला आदर अऊ गौरव के ओनहा पहिरा ले। \q1 \v 11 अपन उफनत रिस ला छोंड़ दे, \q2 अऊ जऊन मन घमंडी अंय, ओमन ला देख अऊ ओमन ला झुकवा दे, \q1 \v 12 जऊन मन घमंडी अंय, ओमन ला देख अऊ ओमन ला नम्र बना, \q2 दुस्टमन जिहां ठाढ़ होथें, उहां ओमन ला कुचर दे। \q1 \v 13 ओ जम्मो झन ला एके संग माटी म गाड़ दे; \q2 अऊ कबर म ओमन के मुहूं ऊपर कफन ओढ़ा दे। \q1 \v 14 तब मेंह खुद मान लूहूं \q2 कि तोरेच जेवनी हांथ ह तोला बचा सकत हे। \b \q1 \v 15 “जलहाथी\f + \fr 40:15 \fr*\fq जलहाथी \fq*\ft के मतलब एक \ft*\fqa बड़े जन्तु \fqa*\ft जऊन ह पानी के लकठा म रहिथे, जइसे कि दरियाई घोड़ा\ft*\f* ला देख, \q2 जेला मेंह तोर संग बनाय हवंव \q2 अऊ जऊन ह बईला के सहीं कांदी खाथे। \q1 \v 16 ओकर कनिहां म कतेक बल होथे, \q2 अऊ ओकर पेट के मांस-पेसी म कतेक सक्ति होथे! \q1 \v 17 ओकर पुंछी ह देवदार रूख कस झुमथे; \q2 ओकर जांघ के नसमन एक-दूसर ले गुंथाय रहिथें। \q1 \v 18 ओकर हाड़ामन कांस के नलीमन कस अंय, \q2 अऊ ओकर अंगमन लोहा के छड़ कस अंय। \q1 \v 19 परमेसर के रचना म ओह पहिला जगह पाथे, \q2 तभो ले ओकर सिरजनहार ह ओकर करा तलवार लेके आ सकत हे। \q1 \v 20 पठारमन ले ओकर बर चारा मिलथे, \q2 अऊ बन के जम्मो पसु ओकर लकठा म खेलथें। \q1 \v 21 ओह कमल फूल के नार के तरी म लेटथे, \q2 चीखला म कांदी के बीच ओह छुपे रहिथे। \q1 \v 22 कमल फूल के नारमन ओला अपन छइहां म छुपाथें, \q2 अऊ चिनार रूखमन नरवा के तीर म ओला घेरे रहिथें। \q1 \v 23 नदी म घुमड़त बाढ़ आय ले घलो ओह नइं घबरावय; \q2 चाहे यरदन नदी के पानी ह ओकर मुहूं तक चघ जावय, तभो ले ओह सुरकछित रहिथे। \q1 \v 24 का कोनो ओला पकड़ सकथे जब ओह जागत रहिथे, \q2 या फांदा म फंसाके ओकर नाक ला छेद सकथे? \b \c 41 \q1 \v 1 “का तेंह लिबयातान\f + \fr 41:1 \fr*\ft देखव \+xt 3:8\+xt* ला\ft*\f* ला मछरी धरे के गरी ले तीरके निकाल सकथस \q2 या डोरी ले ओकर जीभ ला बांध सकत हस। \q1 \v 2 का तेंह ओकर नाक म नत्थी लगा सकथस \q2 या ओकर जबड़ा ला लोहा के कांटा ले छेद सकथस? \q1 \v 3 का ओह तोर ले दया के भीख मांगही? \q2 का ओह तोर ले गुरतूर बोली बोलही? \q1 \v 4 का ओह तोर ले करार करही \q2 कि तेंह ओला जिनगी भर अपन गुलाम बना ले? \q1 \v 5 का तेंह ओला कोनो चिरई के सहीं पालतू बना सकथस \q2 या अपन घर म जवान माईलोगनमन के खेले बर ओमा पट्टा बांधके रख सकबे? \q1 \v 6 का बेपारीमन ओकर बर मोलभाव करहीं? \q2 का ओमन ओला बेपारीमन के बीच म बांट दीहीं? \q1 \v 7 का तेंह ओकर खाल ला भाला ले, \q2 या ओकर मुड़ ला मछरी मारे के बरछी ले भर सकथस? \q1 \v 8 यदि तेंह ओकर ऊपर अपन हांथ रखथस, \q2 त तोला ओकर संग लड़े के सुरता आही अऊ तेंह अइसने फेर कभू नइं करबे! \q1 \v 9 ये बेकार के आसा ए कि तेंह ओला अपन अधिकार म रखबे; \q2 तेंह ओकर आघू म आवत ही हार जाबे। \q1 \v 10 काकरो हिम्मत नइं ए कि ओला भड़कावंय। \q2 त फेर कोन ह मोर सामना कर सकथे? \q1 \v 11 कोन ह मोला देय हवय कि मेंह ओला लहुंटावंव? \q2 स्वरग के खाल्हे के जम्मो चीज मोर अय। \b \q1 \v 12 “मेंह लिबयातान के अंग, ओकर बल \q2 अऊ ओकर सोभायमान रूप के बारे म बताय बर चुप नइं रहंव। \q1 \v 13 कोन ह ओकर बाहिर के आवरन ला उतार सकत हे? \q2 कोन ह ओकर दोहरा कवच ला भेद सकथे? \q1 \v 14 कोन ह ओकर मुहूं ला खोले के हिम्मत कर सकथे? \q2 जेकर भयानक दांतमन एक-दूसर ले जुड़े रहिथें। \q1 \v 15 ओकर पीठ म तह के तह ढालमन हवंय, \q2 जऊन म मजबूती से एक संग मुहर लगे हवय; \q1 \v 16 ओमन एक-दूसर ले अइसे संटे हवंय \q2 कि ओमन के बीच म ले हवा घलो नइं निकल सकय। \q1 \v 17 ओमन एक-दूसर ले मजबूती ले जुड़े हवंय; \q2 ओमन एक-दूसर ले लिपटे हवंय अऊ ओमन ला अलग नइं करे जा सकय। \q1 \v 18 ओकर छींक ले अंजोर चमकथे; \q2 ओकर आंखीमन बिहनियां के किरन कस अंय। \q1 \v 19 ओकर मुहूं ले बरत जुवाला निकलथे; \q2 अऊ आगी के चिनगारी निकलथे। \q1 \v 20 ओकर नाक के छेदा ले धुआं निकलथे \q2 जइसे बरत सरकंडामन ऊपर रखे उबलत बरतन ले निकलथे। \q1 \v 21 ओकर सांस ले कोइला ह बरथे, \q2 अऊ ओकर मुहूं ले आगी के जुवाला निकलथे। \q1 \v 22 ओकर घेंच म ताकत रहिथे; \q2 अऊ डर ह ओकर आघू-आघू जाथे। \q1 \v 23 ओकर मांस-पेसी के परतमन कसके जूरे हवंय; \q2 ओमन मजबूत हवंय अऊ डोलंय नइं। \q1 \v 24 ओकर छाती ह पथरा कस कठोर हवय, \q2 जांता के तरी के कुटा कस कठोर हवय। \q1 \v 25 जब ओह ठाढ़ होथे, त बलवालामन घलो डरा जाथें; \q2 येकर मारे-कुटे के पहिले, ओमन पाछू हट जाथें। \q1 \v 26 ओकर ऊपर तलवार चलाय ले घलो ओला कुछू नइं होवय, \q2 अऊ न ही भाला या बान या बरछी के परभाव पड़य। \q1 \v 27 ओह लोहा ला पैंरा सहीं \q2 अऊ कांसा ला सरे लकरी सहीं जानथे। \q1 \v 28 बान ह ओला भगाय नइं सकय; \q2 गुलेल के पथरा ह ओकर बर भूंसा सहीं अय। \q1 \v 29 लउठी घलो ओला पैंरा सहीं लगथे; \q2 ओह बरछी के अवाज ऊपर हांसथे। \q1 \v 30 ओकर खाल्हे के भाग ह माटी के फटे बरतन के धार सहीं अय, \q2 जऊन ह चीखला म अनाज कुटे के पट्टा सहीं चिनहां छोंड़थे। \q1 \v 31 ओह समुंदर के पानी ला खउलत हांड़ी के सहीं मथथे \q2 अऊ समुंदर ला मलहम के बरतन सहीं हलाथे। \q1 \v 32 ओह अपन पाछू म एक चमकीला धारी छोंड़त जाथे; \q2 मानो गहिरा पानी के सफेद बाल हवय। \q1 \v 33 धरती म ओकर बरोबर कोनो चीज नइं ए— \q2 एक जीव जेला काकरो डर नइं ए। \q1 \v 34 ओह हर एक अभिमानी ला नीचा देखथे; \q2 जम्मो घमंड करइयामन ऊपर ओह राजा अय।” \c 42 \s1 अयूब \p \v 1 तब अयूब ह यहोवा ला जबाब दीस: \q1 \v 2 “में जानत हंव कि तेंह जम्मो कुछू कर सकथस; \q2 तोर कोनो योजना म बाधा नइं डाले जा सकय। \q1 \v 3 तेंह पुछय, ‘ये कोन ए, जऊन ह बिगर गियान के मोर योजना म परदा डालत हवय?’ \q2 सही म मेंह ओ चीजमन के बारे म गोठियांय, जेला मेंह नइं समझत रहेंव, \q2 मोर जाने बर ओमन बहुंत अद्भूत चीजमन रिहिन। \b \q1 \v 4 “तेंह कहय, ‘अब सुन, मेंह गोठियाहूं; \q2 मेंह तोर ले सवाल करहूं, \q2 अऊ तेंह मोला जबाब देबे।’ \q1 \v 5 मोर कानमन तोर बात ला सुने हवंय \q2 पर अब मोर आंखीमन तोला देख डारिन। \q1 \v 6 एकरसेति मेंह अपनआप ला तुछ समझत हंव \q2 अऊ धुर्रा अऊ राख म प्रायस्चित करत हंव।”\f + \fr 42:6 \fr*\ft अपन दुख ला बताय बर मनखेमन अपन मुड़ ऊपर धुर्रा अऊ राख छिंचंय\ft*\f* \s1 उपसंहार \p \v 7 यहोवा ह अयूब ला अपन बात कहे के बाद, ओह तेमान के एलीपज ला कहिस, “मेंह तोर अऊ तोर दूनों संगीमन ऊपर गुस्सा हवंव, काबरकि तुमन मोर बिसय म सच बात नइं कहे हवव, जइसे कि मोर सेवक अयूब ह कहिस। \v 8 एकरसेति, अब तुमन सात ठन बईला अऊ सात ठन मेढ़ा ला लेके मोर सेवक अयूब करा जावव अऊ अपन बर होम-बलिदान करव। मोर सेवक अयूब ह तुम्हर बर पराथना करही, अऊ मेंह ओकर पराथना ला गरहन करहूं अऊ मेंह तुम्हर संग तुम्हर मुरूखता के मुताबिक बेवहार नइं करहूं। तुमन मोर बारे म सच बात नइं कहे हवव, जइसे कि मोर सेवक अयूब ह कहिस।” \v 9 एकरसेति तेमान के एलीपज, सूही के बिलदद अऊ नामात के सोपर वइसनेच करिन जइसने यहोवा ह ओमन ला कहे रिहिस; अऊ यहोवा ह अयूब के पराथना ला गरहन करिस। \p \v 10 जब अयूब ह अपन संगीमन बर पराथना कर डारिस, तब यहोवा ह ओकर जम्मो दुख ला दूर करिस अऊ जतेक संपत्ति अयूब करा पहिली रिहिस, ओकर दू गुना यहोवा ह ओला दीस। \v 11 तब ओकर जम्मो भाई-बहिनी अऊ जतेक झन पहिली ओला जानत रिहिन, ओ जम्मो झन आईन अऊ अयूब के संग ओकर घर म जेवन करिन। अऊ जतेक बिपत्ति यहोवा ह अयूब ऊपर डाले रिहिस, ओ जम्मो के बारे म ओमन ओला सहानुभूति देखाके सांतवना दीन, अऊ हर एक झन ओला एक-एक ठन चांदी के टुकड़ा\f + \fr 42:11 \fr*\ft सिक्का बने के पहिले येकर उपयोग खरिदी-बिकरी म करे जावय\ft*\f* अऊ सोन के बाली\f + \fr 42:11 \fr*\ft माईलोगनमन नाक म पहिरंय (\+xt उत 24:47\+xt*) अऊ आदमी अऊ माईलोगनमन कान म पहिरंय (\+xt निर 32:2‑3\+xt*)\ft*\f* दीन। \p \v 12 यहोवा ह अयूब के एकर बाद के जिनगी ला एकर पहिली के जिनगी ले जादा आसीस दीस। ओकर करा चौदह हजार भेड़, छै हजार ऊंट, एक हजार जोड़ी बईला अऊ एक हजार गदहीमन रिहिन। \v 13 ओकर सात बेटा अऊ तीन बेटी रिहिन। \v 14 ओह बड़े बेटी के नांव यमीमा, मंझली के नांव कसीआ, अऊ छोटे बेटी के नांव केरेन-हपूक धरिस। \v 15 ओ जम्मो देस भर म अयूब के बेटीमन कस सुघर अऊ कोनो माईलोगन नइं रिहिन, अऊ ओमन के ददा अयूब ह ओमन ला ओमन के भाईमन के संग म संपत्ति के एक बांटा दीस। \p \v 16 एकर बाद, अयूब ह एक सौ चालीस बछर तक जीयत रिहिस; ओह अपन लइका अऊ ओमन के लइकामन के चार पीढ़ी तक देखे बर पाईस। \v 17 अऊ अयूब ह अपन पूरा उमर म डोकरा होके मर गीस।