\id PHP - Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021) \ide UTF-8 \h फ़िलिप्पॉय \toc1 फ़िलिप्पॉय की कलीसिया के नाम पौलॉस का पत्र \toc2 फ़िलिप्पॉय \toc3 फ़िलि \mt1 फ़िलिप्पॉय की कलीसिया के नाम पौलॉस का पत्र \c 1 \p \v 1 मसीह येशु के दास पौलॉस और तिमोथियॉस की ओर से, \b \p मसीह येशु में उन पवित्र लोगों तथा फ़िलिप्पॉय नगरवासी, कलीसिया अध्यक्ष और सेवकों को. \b \p \v 2 परमेश्वर हमारे पिता और प्रभु येशु मसीह की ओर से अनुग्रह व शांति प्राप्‍त हो. \b \s1 आभार व्यक्ति तथा प्रार्थना \p \v 3 जब-जब मैं तुम्हें याद करता हूं, अपने परमेश्वर का आभार मानता हूं. \v 4 और आनंदपूर्वक अपनी हर एक प्रार्थना में तुम सबके लिए हमेशा परमेश्वर से सहायता की विनती करता हूं, \v 5 क्योंकि तुम प्रारंभ ही से अब तक ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहभागी रहे हो, \v 6 मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूं कि परमेश्वर ने तुममें जो उत्तम काम प्रारंभ किया है, वह उसे मसीह येशु के दिन तक पूरा कर देंगे. \p \v 7 तुम्हारे लिए मेरी यह भावना सही ही है क्योंकि मेरे हृदय में तुम्हारा विशेष स्थान है. यह इसलिये कि मेरी बेड़ियों में तथा ईश्वरीय सुसमाचार की रक्षा और प्रमाण की प्रक्रिया में तुम सब अनुग्रह में मेरे सहभागी रहे हो. \v 8 इस विषय में परमेश्वर मेरे गवाह हैं कि मसीह येशु की सुकुमार करुणा में तुम्हारे लिए मैं कितना लालायित हूं. \p \v 9 मेरी प्रार्थना यह है कि तुम्हारा प्रेम वास्तविक ज्ञान और विवेक में और भी अधिक समृद्ध होता जाए, \v 10 ताकि तुम्हारी सहायता हो वह सब पहचान सकने में, जो सर्वश्रेष्ठ है, जिससे तुम मसीह के दिन तक सच्चे और निष्कलंक रह सको, \v 11 तथा मसीह येशु के द्वारा प्रभावी धार्मिकता से परमेश्वर की महिमा और स्तुति के लिए फल लाओ. \s1 पौलॉस की अपनी परिस्थितियां \p \v 12 प्रिय भाई बहनो, अब मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि मुझसे संबंधित हर एक परिस्थिति के कारण ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में प्रगति ही हुई है. \v 13 परिणामस्वरूप कारागार के पहरेदार और अन्य सभी यह जान गए हैं कि मैं मसीह के लिए बंदी हूं. \v 14 मेरे बंदी होने के कारण प्रभु में अधिकांश साथी भाई बहन परमेश्वर का वचन साहस, तत्परता तथा निडरतापूर्वक सुनाने के लिए पहले से कहीं अधिक उत्साही हो गए हैं. \p \v 15 यह सच है कि कुछ लोग तो मसीह का प्रचार जलन और होड़ के कारण करते हैं, किंतु कुछ अन्य भलाई के कारण. \v 16 ये वे हैं, जो यह प्रेम के लिए करते हैं क्योंकि ये जानते हैं कि मेरा चुनाव ईश्वरीय सुसमाचार की रक्षा के लिए हुआ है. \v 17 अन्य वे हैं, जो मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार निश्छल भाव की बजाय अपने स्वार्थ में इस उद्देश्य से करते हैं कि इससे वे कारागार में मेरे दुःखों को बढ़ा सकें. \v 18 तो क्या हुआ? हर तरह मसीह ही का प्रचार किया जाता है, चाहे दिखावे से या सच्चाई के भाव से. इससे तो मैं आनंदित ही होता हूं. \p हां, और मैं आनंदित होता रहूंगा, \v 19 क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारी प्रार्थनाओं और मसीह येशु के आत्मा की सहायता से मैं मुक्त हो जाऊंगा. \v 20 मेरी हार्दिक इच्छा और आशा यह है कि मैं किसी भी परिस्थिति में लज्जित न होऊं, परंतु हमेशा की तरह अब भी निडरता में मेरे शरीर से, चाहे जीवित अवस्था में या मृत अवस्था में, मसीह की महिमा होती रहें. \v 21 इसलिये कि मेरे लिए जीवित रहना मसीह है और मृत्यु लाभ है. \v 22 किंतु यदि मुझे शरीर में जीना ही है तो यह मेरे लिये फलपूर्ण सार्थक परिश्रम होगा. मैं क्या चुनूं मैं नहीं जानता! \v 23 मैं उधेड़-बुन में हूं. मेरी इच्छा तो यह है कि मैं शरीर त्याग कर मसीह के साथ जाता रहूं, यही मेरे लिए कहीं अधिक उत्तम है; \v 24 फिर भी तुम्हारे लिए मेरा शरीर में जीवित रहना अधिक आवश्यक है. \v 25 मेरा दृढ़ विश्वास है कि मैं जीवित रहूंगा और तुम्हारे विकास और विश्वास में आनंद के कारण तुम्हारे बीच बना रहूंगा, \v 26 कि तुमसे भेंट करने मेरा दोबारा आना मसीह येशु में मेरे प्रति तुम्हारे गौरव को और भी अधिक बढ़ा दे. \s1 विश्वास के लिए संघर्ष \p \v 27 ध्यान रखो कि तुम्हारा स्वभाव केवल मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार हो. चाहे मैं आकर तुमसे भेंट करूं या नहीं, मैं तुम्हारे विषय में यही सुनूं कि तुम एक भाव में स्थिर तथा एक मन होकर ईश्वरीय सुसमाचार के विश्वास के लिए एक साथ मेहनत करते हो. \v 28 विरोधियों से किसी भी प्रकार भयभीत न हो—यह उनके विनाश का, किंतु तुम्हारे उद्धार का सबूत है और वह भी परमेश्वर की ओर से. \v 29 तुम्हारे लिए मसीह के कारण यह वरदान दिया गया है कि तुम न केवल उनमें विश्वास करो, परंतु उनके लिए दुःख भी भोगो; \v 30 उसी जलन का अनुभव करते हुए, जिसे तुमने मुझमें देखा तथा जिसके मुझमें होने के विषय में तुम अब सुन रहे हो. \c 2 \s1 मसीह की विनम्रता का अनुकरण \p \v 1 इसलिये यदि मसीह में ज़रा सा भी प्रोत्साहन, प्रेम से उत्पन्‍न धीरज, आत्मा की सहभागिता तथा करुणा और कृपा है, \v 2 तो एक मन, एक सा प्रेम, एक ही चित्त तथा एक लक्ष्य के लिए ठान कर मेरा आनंद पूरा कर दो. \v 3 स्वार्थ और झूठी बड़ाई से कुछ भी न करो, परंतु विनम्रता के साथ तुममें से प्रत्येक अपनी बजाय दूसरे को श्रेष्ठ समझे. \v 4 तुममें से हर एक सिर्फ अपनी ही भलाई का नहीं परंतु दूसरों की भलाई का भी ध्यान रखे. \p \v 5 तुम्हारा स्वभाव वैसा ही हो, जैसा मसीह येशु का था: \q1 \v 6 जिन्होंने परमेश्वर के स्वरूप में होते हुए भी, \q2 परमेश्वर से अपनी तुलना पर अपना अधिकार बनाए रखना सही न समझा; \q1 \v 7 परंतु अपने आपको शून्य कर, \q2 दास का स्वरूप धारण करते हुए, \q2 और मनुष्य की समानता में हो गया. \q1 \v 8 और मनुष्य के शरीर में प्रकट होकर, \q2 अपने आपको दीन करके मृत्यु— \q2 क्रूस की मृत्यु तक, \q3 आज्ञाकारी रहकर स्वयं को शून्य बनाया. \b \q1 \v 9 इसलिये परमेश्वर ने उन्हें सबसे ऊंचे पद पर आसीन किया, \q2 तथा उनके नाम को महिमा दी कि वह हर एक नाम से ऊंचा हो, \q1 \v 10 कि हर एक घुटना येशु नाम की वंदना में झुक जाए, \q2 स्वर्ग में, पृथ्वी में और पृथ्वी के नीचे, \q1 \v 11 और हर एक जीभ पिता परमेश्वर के प्रताप के लिए स्वीकार करे, \q2 कि मसीह येशु ही प्रभु हैं. \s1 मसीह के लिए चमकना \p \v 12 इसलिये, मेरे प्रिय भाई बहनो, जिस प्रकार तुम हमेशा आज्ञाकारी रहे हो—न केवल मेरी उपस्थिति में परंतु उससे भी अधिक मेरी अनुपस्थिति में—अपने उद्धार के कार्य को पूरा करने की ओर डरते और कांपते हुए बढ़ते जाओ, \v 13 क्योंकि परमेश्वर ही हैं, जिन्होंने अपनी सुइच्छा के लिए तुममें अभिलाषा और कार्य करने दोनो बातों के लिये प्रभाव डाला है. \p \v 14 सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना वाद-विवाद के किया करो, \v 15 कि तुम इस बुरी और भ्रष्‍ट पीढ़ी में, “परमेश्वर की निष्कलंक संतान के रूप में स्वयं को निष्कपट तथा निष्पाप साबित कर सको.”\f + \fr 2:15 \fr*\ft \+xt व्यव 32:5\+xt*\ft*\f* कि तुम इस पीढ़ी के बीच जलते हुए दीपों के समान चमको \v 16 तुमने जीवन का वचन मजबूती से थामा हुआ है. तब यह मसीह के दिन में मेरे गर्व का कारण होगा, कि न तो मेरी दौड़-धूप व्यर्थ गई और न ही मेरा परिश्रम. \v 17 यदि तुम्हारे विश्वास की सेवा और बलि पर मैं अर्घ (लहू) के समान उंडेला भी जा रहा हूं, तौभी तुम सबके साथ यह मेरा आनंद है. \v 18 मेरी विनती है कि तुम भी इसी प्रकार आनंदित रहो तथा मेरे आनंद में शामिल हो जाओ. \s1 तिमोथियॉस तथा इपाफ़्रोदितॉस का लक्ष्य \p \v 19 प्रभु येशु मसीह में मुझे आशा है कि मैं शीघ्र ही तिमोथियॉस को तुम्हारे पास भेजूंगा कि तुम्हारा समाचार जानकर मेरे उत्साह में भी बढ़ोतरी हो. \v 20 मेरी नज़र में उसके समान ऐसा दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे मेरे जैसे वास्तव में तुम्हारी चिंता हो. \v 21 अन्य सभी येशु मसीह की आशाओं की नहीं परंतु अपनी ही भलाई करने में लीन हैं. \v 22 तुम तिमोथियॉस की योग्यता से परिचित हो कि ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में उसने मेरा साथ इस प्रकार दिया, जिस प्रकार एक पुत्र अपने पिता का साथ देता है. \v 23 इसलिये मैं आशा करता हूं कि अपनी स्थिति स्पष्ट होते ही मैं उसे तुम्हारे पास भेज सकूंगा. \v 24 मुझे प्रभु में पूरा भरोसा है कि मैं स्वयं भी जल्द वहां आऊंगा. \p \v 25 इस समय मुझे आवश्यक यह लगा कि मैं इपाफ़्रोदितॉस को तुम्हारे पास भेजूं, जो मेरा भाई, सहकर्मी तथा सहयोद्धा है, जो मेरी ज़रूरतों में सहायता के लिए तुम्हारी ओर से भेजा गया दूत है. \v 26 वह तुम सबसे मिलने के लिए लालायित है और व्याकुल भी. तुमने उसकी बीमारी के विषय में सुना था. \v 27 बीमारी! वह तो मरने पर था, किंतु उस पर परमेश्वर की दया हुई, न केवल उस पर परंतु मुझ पर भी, कि मुझे और अधिक दुःखी न होना पड़े. \v 28 इस कारण उसे भेजने के लिए मैं और भी अधिक उत्सुक हूं कि उसे दोबारा देखकर तुम आनंदित हो जाओ और तुम्हारे विषय में मेरी चिंता भी कम हो जाए. \v 29 प्रभु में आनंदपूर्वक उसका स्वागत-सत्कार करना, उसके जैसे व्यक्तियों का आदर किया करो, \v 30 क्योंकि मसीह के काम के लिए उसने अपने प्राण जोखिम में डाल दिए थे कि तुम्हारे द्वारा मेरे प्रति की गई शेष सेवा वह पूरी कर सके. \c 3 \s1 मसीह में विश्वास की धार्मिकता \p \v 1 इसलिये, प्रिय भाई बहनो, प्रभु में आनंदित रहो. इस विषय पर तुम्हें दोबारा लिखने से मुझे कष्ट नहीं होता परंतु यह तुम्हारी सुरक्षा की योजना है. \v 2 कुत्तों, बुरे काम करनेवालों तथा अंगों के काट-कूट करनेवालों से सावधान रहो. \v 3 क्योंकि वास्तविक ख़तना वाले हम ही हैं, जो परमेश्वर के आत्मा में आराधना करते, मसीह येशु पर गर्व करते तथा शरीर संबंधी कामों पर निर्भर नहीं रहते \v 4 यद्यपि स्वयं मेरे पास शरीर पर भी निर्भर रहने का कारण हो सकता था. \p यदि किसी की यह धारणा है कि उसके लिए शरीर पर भरोसा करने का कारण है तो मेरे पास तो कहीं अधिक है: \v 5 आठवें दिन ख़तना, इस्राएली राष्ट्रीयता, बिन्यामिन का गोत्र, इब्रियों में से इब्री, व्यवस्था के अनुसार फ़रीसी; \v 6 उन्माद\f + \fr 3:6 \fr*\fq उन्माद \fq*\fqa अत्यधिक अनुराग, उत्साहपूर्ण लगन.\fqa*\f* में कलीसिया का सतानेवाला और व्यवस्था में बताई गई धार्मिकता के मापदंडों के अनुसार, निष्कलंक. \p \v 7 जो कुछ मेरे लिए लाभदायक था, मैंने उसे मसीह के लिए अपनी हानि मान लिया है. \v 8 इससे कहीं अधिक बढ़कर मसीह येशु मेरे प्रभु को जानने के उत्तम महत्व के सामने मैंने सभी वस्तुओं को हानि मान लिया है—वास्तव में मैंने इन्हें कूड़ा मान लिया है कि मैं मसीह को प्राप्‍त कर सकूं और मैं उनमें स्थिर हो जाऊं, जिनके लिए मैंने सभी वस्तुएं खो दीं हैं. \v 9 अब मेरी अपनी धार्मिकता वह नहीं जो व्यवस्था के पालन से प्राप्‍त होती है परंतु वह है, जो मसीह में विश्वास द्वारा प्राप्‍त होती है—परमेश्वर की ओर से विश्वास की धार्मिकता. \v 10 ताकि मैं उनकी मृत्यु की समानता में होकर उन्हें, उनके पुनरुत्थान का सामर्थ्य तथा उनकी पीड़ा की सहभागिता को जानूं, \v 11 कि मैं, किसी रीति से, मरे हुओं के पुनरुत्थान का भागी बन जाऊं. \p \v 12 इसका अर्थ यह नहीं कि मुझे यह सब उपलब्ध हो चुका है या मैंने सिद्धता प्राप्‍त कर ली है, परंतु मैं कोशिश के साथ आगे बढ़ता चला जा रहा हूं कि मुझे वह प्राप्‍त हो जाए, जिसके लिए मसीह येशु ने मुझे पकड़ लिया है. \v 13 मेरे भाइयों और बहनों, मेरे विचार से मैं इसे अब तक पा नहीं सका हूं किंतु हां, मैं यह अवश्य कर रहा हूं: बीती बातों को भुलाते हुए, आगे की ओर बढ़ते हुए, \v 14 मसीह येशु में परमेश्वर की स्वर्गीय बुलावे के ईनाम को प्राप्‍त करने के लिए निशाने की ओर बढ़ता जाता हूं. \s1 स्वर्ग की नागरिकता \p \v 15 इसलिये हममें से जितने भी आत्मिक क्षेत्र में सिद्ध कहलाते हैं, उनका भी यही विचार हो; किंतु यदि किसी विषय में तुम्हारा मानना अलग है, परमेश्वर उसे तुम पर प्रकट कर देंगे. \v 16 फिर भी हमारा स्वभाव उसी नमूने के अनुसार हो, जहां तक हम पहुंच चुके हैं. \p \v 17 प्रिय भाई बहनो, अन्यों के साथ मिलकर मेरी सी चाल चलो और उनको पहचानो जिनका स्वभाव उस आदर्श के अनुसार है, जो तुम हममें देखते हो. \v 18 बहुत हैं जिनके विषय में मैंने पहले भी स्पष्ट किया है और अब आंसू बहाते हुए प्रकट कर रहा हूं कि वे मसीह के क्रूस के शत्रु होकर जीते हैं. \v 19 नाश होना ही उनका अंत है, उनका पेट ही उनका ईश्वर है, वे अपनी निर्लज्जता पर गौरव करते हैं, उन्होंने अपना मन पृथ्वी की वस्तुओं में लगा रखा है. \v 20 इसके विपरीत हमारी नागरिकता स्वर्ग में है, जहां से उद्धारकर्ता प्रभु येशु मसीह के आने का हम उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं. \v 21 मसीह येशु अपने उसी सामर्थ्य के प्रयोग के द्वारा, जिससे उन्होंने हर एक वस्तु को अपने अधीन किया है, हमारे कमजोर नश्वर शरीर का रूप बदलकर अपने महिमा के शरीर के समान कर देंगे. \c 4 \s1 अंतिम सलाह \p \v 1 इसलिये प्रिय भाई बहनो, तुम, जिनसे भेंट करने के लिए मैं लालायित हूं; तुम, जो मेरा आनंद और मुकुट हो, प्रभु में स्थिर बने रहो! \p \v 2 मैं युओदिया से विनती कर रहा हूं और मैं सुन्तुखे से भी विनती कर रहा हूं कि प्रभु में वे आपस में एक मन रहें. \v 3 मेरे वास्तविक सहकर्मी, तुमसे भी मेरी विनती है कि तुम इन स्त्रियों की सहायता करो, जिन्होंने ईश्वरीय सुसमाचार के लिए क्लेमेन्त, मेरे अन्य सहकर्मियों तथा मेरे साथ मिलकर परिश्रम किया है. इनके नाम जीवन के पुस्तक में लिखे हैं. \s1 अंतिम प्रबोधन \p \v 4 प्रभु में हमेशा आनंदित रहो, मैं दोबारा कहूंगा: आनंदित रहो. \v 5 तुम्हारी शालीनता सब पर प्रकट हो जाने दो. प्रभु निकट हैं. \v 6 किसी भी प्रकार की चिंता न करो, परंतु हर एक परिस्थिति में तुम्हारे निवेदन धन्यवाद के साथ प्रार्थना और विनती के द्वारा परमेश्वर के सामने प्रस्तुत की जाएं. \v 7 तब परमेश्वर की शांति, जो मनुष्य की समझ से बाहर है, मसीह येशु में तुम्हारे मन और विचारों की रक्षा करेगी. \p \v 8 अंत में प्रिय भाई बहनो, जो सच है, जो निर्दोष है, जो धर्मी है, जो निर्मल है, जो सुंदर है, जो प्रशंसनीय है अर्थात् जो उत्तम और सराहनीय गुण हैं, उन्हीं पर तुम्हारा मन लगा रहे. \v 9 इन्हीं विषयों को तुमने मुझसे सीखा; प्राप्‍त किया और मुझसे सुना व मुझमें देखा है; इन्हीं का स्वभाव किया करो और शांति के स्रोत परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे. \s1 सहायता के लिए आभार व्यक्ति \p \v 10 अब मैं प्रभु में अत्यधिक आनंदित हूं कि अब अंततः तुममें मेरे प्रति सद्भाव दोबारा जागृत हो गया हैं. निःसंदेह तुम्हें मेरी हितचिंता पहले भी थी किंतु उसे प्रकट करने का सुअवसर तुम्हें नहीं मिला. \v 11 यह मैं अभाव के कारण नहीं कह रहा हूं क्योंकि मैंने हर एक परिस्थिति में संतुष्ट रहना सीख लिया है. \v 12 मैंने कंगाली और भरपूरी दोनों में रहना सीख लिया है. हर एक परिस्थिति और हर एक विषय में मैंने तृप्‍त होने और भूखा रहने का भेद और घटना व बढ़ना दोनों सीख लिया है. \v 13 जो मुझे सामर्थ्य प्रदान करते हैं, उनमें मैं सब कुछ करने में सक्षम हूं. \p \v 14 तुमने मेरी विषम परिस्थितियों में मेरा साथ देकर सराहनीय काम किया है. \v 15 फ़िलिप्पॉयवासियो, ईश्वरीय सुसमाचार प्रचार के प्रारंभ में मकेदोनिया से यात्रा प्रारंभ करते समय तुम्हारे अतिरिक्त किसी भी कलीसिया से मुझे आर्थिक सहायता प्राप्‍त नहीं हुई; \v 16 इसी प्रकार थेस्सलोनिकेयुस में भी तुमने मेरी ज़रूरत में अनेक बार सहायता की. \v 17 यह नहीं कि मैं आर्थिक सहायता पाने की इच्छा रखता हूं, परंतु मैं ऐसे प्रतिफल की कामना करता हूं, जिससे तुम्हारा लाभ बढ़ता जाए. \v 18 इपाफ़्रोदितॉस के द्वारा जो सहायता तुमने भेजी है, उससे मैंने सब कुछ प्राप्‍त किया है और अधिकाई में प्राप्‍त कर लिया है. यह मेरे लिए काफ़ी है. वह परमेश्वर के लिए मनमोहक सुगंध, ग्रहण योग्य बलि व आनंदजनक है. \v 19 हमारे पिता परमेश्वर, अपने अपार धन के अनुरूप मसीह येशु में तुम्हारी हर एक ज़रूरत पूरा करेंगे. \p \v 20 परमेश्वर हमारे पिता की महिमा युगानुयुग बनी रहे, आमेन. \b \s1 शुभकामना व आशीर्वचन \p \v 21 मसीह येशु में सभी पवित्र लोगों को मेरी शुभकामनाएं. \p मेरे साथी भाई बहनों की ओर से तुम्हें शुभकामनाएं. \p \v 22 तथा सभी पवित्र लोगों की ओर से अभिनंदन, विशेषकर कयसर के घराने की ओर से. \b \p \v 23 तुम पर प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ बना रहे. आमेन!