\id JOS - Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021) \ide UTF-8 \h यहोशू \toc1 यहोशू \toc2 यहोशू \toc3 यहो \mt1 यहोशू \c 1 \s1 यहोशू के लिए याहवेह का आयोग \p \v 1 याहवेह के सेवक मोशेह के मरने के बाद याहवेह ने नून के पुत्र यहोशू से कहा, \v 2 “मोशेह, मेरे सेवक की मृत्यु हो चुकी है; अब तुम उठो और इन सभी लोगों के साथ यरदन नदी के उस पार जाओ, जिसे मैं इस्राएलियों को दे रहा हूं. \v 3 और, जहां-जहां तुम पांव रखोगे, वह जगह मैं तुम्हें दूंगा, ठीक जैसा मैंने मोशेह से कहा था. \v 4 लबानोन के निर्जन प्रदेश से महानद फरात तक, और हित्तियों के देश से लेकर महासागर\f + \fr 1:4 \fr*\fq महासागर \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa भूमध्य-सागर\fqa*\f* तक, सब देश तुम्हारा होगा. और \v 5 कभी भी कोई तुम्हारा विरोध न कर सकेगा. ठीक जिस प्रकार मैं मोशेह के साथ रहा हूं, उसी प्रकार तुम्हारे साथ भी रहूंगा. मैं न तो तुम्हें छोडूंगा और न त्‍यागूंगा. \v 6 इसलिये दृढ़ हो जाओ, क्योंकि तुम ही इन लोगों को उस देश पर अधिकारी ठहराओगे, जिसको देने का वादा मैंने पहले किया था. \p \v 7 “तुम केवल हिम्मत और संकल्प के साथ बढ़ते जाओ और मेरे सेवक मोशेह द्वारा दिए गये नियम सावधानी से मानना; उससे न तो दाईं ओर मुड़ना न बाईं ओर, ताकि तुम हमेशा सफल रहो. \v 8 तुम्हारे मन से व्यवस्था की ये बातें कभी दूर न होने पाए, लेकिन दिन-रात इसका ध्यान करते रहना, कि तुम उन बातों का पालन कर सको, जो इसमें लिखी गयी है; तब तुम्हारे सब काम अच्छे और सफल होंगे. \v 9 मेरी बात याद रखो: दृढ़ होकर हिम्मत के साथ आगे बढ़ो; न घबराना, न उदास होना. क्योंकि याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ हैं; चाहे तुम कहीं भी जाओ, याहवेह तुम्हारे साथ हैं.” \p \v 10 फिर यहोशू ने अधिकारियों को यह आदेश दिया: \v 11 “छावनी में जाकर लोगों को यह आज्ञा दो, ‘तीन दिन के भीतर तुम्हें यरदन नदी को पार करके उस देश में जाना है, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें देनेवाले हैं, तब अपने लिए भोजन वस्तुएं तैयार कर रखो.’ ” \p \v 12 यहोशू ने रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र से कहा, \v 13 “याहवेह के सेवक मोशेह के आदेश को मत भूलना, जो उन्होंने कहा था, ‘याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें आराम के लिए एक स्थान देंगे.’ \v 14 तुम्हारी पत्नियां, तुम्हारे बालक तथा तुम्हारे पशु उस भूमि पर रहेंगे, जो मोशेह द्वारा यरदन के उस पार दी गई है, किंतु तुम्हारे सब योद्धाओं को अपने भाई-बंधुओं के आगे जाना होगा, ताकि वे उनकी सहायता कर सकें. \v 15 जब तक याहवेह तुम्हारे भाई-बंधुओं को आराम न दें, तथा वे भी उस भूमि को अपने अधिकार में न कर लें, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उन्हें देंगे. फिर तुम अपने देश को लौट सकोगे और उस भूमि पर अधिकार कर सकोगे, जो याहवेह के सेवक मोशेह ने तुम्हें यरदन के उस पार दी है.” \p \v 16 उन्होंने यहोशू को उत्तर दिया, “आपने जो कहा है, हम उसको मानेंगे, आप हमें जहां भेजेंगे, हम वहां जाएंगे. \v 17 जिस प्रकार हम मोशेह की सब बातों को मानते थे, उसी प्रकार आपकी भी सब बातो को मानेंगे. बस इतना हो, कि याहवेह, परमेश्वर आपके साथ वैसे ही बने रहें, जैसे वह मोशेह के साथ थे. \v 18 यदि कोई भी, आपकी बातों का विरोध करेगा या, आपके द्वारा दिए गए समस्त आदेशों का पालन न करेगा, उसको मार दिया जाएगा!” \c 2 \s1 राहाब द्वारा गुप्‍तचरों को आश्रय दिया जाना \p \v 1 नून के पुत्र यहोशू ने शित्तीम नामक स्थान से दो व्यक्तियों को चुपके से येरीख़ो में यह कहकर भेजा कि, “जाओ, उस देश का भेद लो.” वे गये और एक नगरवधू के घर में जाकर ठहरे, जिसका नाम राहाब था. \p \v 2 किसी ने येरीख़ो के राजा को बताया, “आज रात इस्राएल वंशज हमारे देश की जानकारी लेने यहां आ रहे हैं.” \v 3 येरीख़ो के राजा ने राहाब को संदेश भेजा, “जो पुरुष तुम्हारे यहां आए हुए हैं, उन्हें बाहर लाओ. वे हमारे देश का भेद लेने आए हैं.” \p \v 4 किंतु वह उन दोनों को छिपा चुकी थी. उसने राजा के सेवकों को उत्तर दिया, “जी हां, यह सच है कि यहां दो व्यक्ति आए थे, किंतु मुझे मालूम नहीं कि वे कहां से आए थे. \v 5 और रात को, जब फाटक बंद हो रहा था तब, वे दोनों चले गए. मुझे मालूम नहीं कि वे किस ओर गए हैं. जल्दी उनका पीछा करेंगे तो आप उन्हें पकड़ लेंगे.” \v 6 राहाब ने उन्हें छत पर ले जाकर उन्हें सनई की लकड़ियों के नीचे छिपा दिया, जो उसने छत पर इकट्ठा कर रखी थी. \v 7 तब वे उनका पीछा करने के उद्देश्य से यरदन के घाट के मार्ग पर चल पड़े. जैसे ही ये व्यक्ति पीछा करने के लिए नगर के बाहर निकले, नगर का द्वार बंद कर दिया गया. \p \v 8 इससे पहले कि वे सोने के लिए जाते, राहाब ने छत पर उनके पास आकर उनसे कहा, \v 9 “मैं समझ गई हूं कि याहवेह ने यह देश आपके अधीन कर दिया है. समस्त देशवासियों पर आप लोगों का डर छा चुका है, वे आपके कारण घबरा गए हैं. \v 10 हमने सुना हैं कि कैसे याहवेह ने लाल सागर का जल सुखा दिया था, जब आप लोग मिस्र देश से निकल रहे थे, तथा यह भी कि यरदन के पार अमोरियों के दो राजाओं, सीहोन तथा ओग के राज्यों को आप लोगों ने पूरा नष्ट कर दिया. \v 11 यह सुनकर हमारे हृदय कांप गए थे. आप लोगों के कारण हममें से किसी भी व्यक्ति में साहस न रह गया, क्योंकि ऊपर स्वर्ग में और नीचे पृथ्वी पर परमेश्वर ही हैं याहवेह, आपके परमेश्वर. \p \v 12 “आप मुझे अब, याहवेह के सामने वचन दीजिए कि, जैसे मैंने आपको बचाया है, वैसे ही आप भी मेरे पिता के कुल के साथ दयावान रहेंगे. \v 13 आप मेरे माता-पिता तथा भाई बहनों और उनके समस्त संबंधियों को मृत्यु से बचायेंगे.” \p \v 14 तब गुप्‍तचरों ने राहाब को आश्वासन दिया, “यदि आप लोगों के प्राण ले लिए जाएंगे, तो हमारे भी प्राण ले लिए जाएंगे. यदि आप हमारे यहां आने के उद्देश्य को गुप्‍त रखेंगी, तो उस समय, जब याहवेह हमें यह देश दे देंगे, आप लोगों के प्रति हमारा व्यवहार दयावान एवं सच्चा होगा.” \p \v 15 राहाब का घर शहरपनाह पर था. उसने खिड़की में से रस्सी के द्वारा उन दोनों को बाहर उतार दिया. \v 16 राहाब ने उन दोनों से यह कहा, “आप पहाड़ की तरफ चले जाइए, कि जो आपका पीछा कर रहे हैं, आपको न देख सकें. वहां आप तीन दिन तक छिपे रहना, जब तक वे लौट न आएं. फिर आप अपने मार्ग की ओर चले जाना.” \p \v 17 उन पुरुषों ने राहाब से कहा, “हम उस वायदे को पूर्ण कर पाएंगे, जो हमने आपसे किया है, \v 18 जब इस देश पर हमला करते समय हमें इस खिड़की में यह लाल रस्सी बंधी हुई मिले, जिससे आपने हमें नीचे उतारा है. और आप इस घर में अपने माता-पिता, भाई-बंधुओं तथा अपने पिता के परिवार के सब लोगों को एक साथ रखिए. \v 19 जो कोई घर से बाहर निकलेगा, उसकी मृत्यु का दोष उसी पर होगा, हम पर नहीं; किंतु जो कोई आपके साथ घर में होगा और यदि उसे मार दें तो, उसकी मृत्यु का दोष हम पर होगा. \v 20 इसके अलावा, यदि आप हमारे यहां आने के विषय में किसी को भी बताएंगे, तो हम आपको नहीं बचा पाएंगे.” \p \v 21 राहाब ने उत्तर दिया, “जैसा आपने कहा है, वैसा ही होगा.” \p यह कहकर उसने उन्हें विदा कर दिया. वे अपने मार्ग पर चले गए. राहाब ने वह लाल रस्सी खिड़की में बंधी रहने दी. \p \v 22 वहां से वे पर्वतीय क्षेत्र में निकल गए और वहां तीन दिन तक उनसे छिपे रहे, जब तक वे लोग जो उनका पीछा कर रहे थे, लौट न गए, जिन्हें उनकी खोज करने के लिए कहा गया था, इन भेदियों को सारे मार्ग पर ढूंढ़ते रहे और उन्हें नहीं पाया. \v 23 तब वे दोनों पर्वतीय क्षेत्र से नीचे उतरकर लौट गए. नदी पार कर वे नून के पुत्र यहोशू के पास पहुंचे और उन्हें सब बात बताई. \v 24 उन्होंने यहोशू से कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि याहवेह ने यह देश हमें दे दिया है. इस कारण सारे लोग हमसे डर गए हैं.” \c 3 \s1 इस्राएलियों द्वारा यरदन पार करना \p \v 1 दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर यहोशू एवं इस्राएल वंशज शित्तीम से चलकर यरदन गए और उसे पार करने के पहले उन्होंने वहां पड़ाव डाला. \v 2 तीन दिन बाद नायक शिविर के बीच से होते हुए गए, \v 3 और उन्होंने लोगों को कहा, “जब याहवेह परमेश्वर की वाचा के संदूक को लेवीय पुरोहित उठाए हुए देखो, तब अपने-अपने स्थान से उठकर उसके पीछे-पीछे चलना. \v 4 किंतु तुम्हारे तथा संदूक के बीच लगभग एक किलोमीटर की दूरी रहे. इसके पास न जाना, तुम ध्यान रखना कि तुम्हें किस दिशा में आगे बढ़ना है, क्योंकि इस मार्ग पर तुम पहले कभी नहीं गए हो.” \p \v 5 लोगों से यहोशू ने कहा, “अपने आपको पवित्र करो, क्योंकि कल याहवेह तुम्हारे बीच आश्चर्य के काम करेंगे.” \p \v 6 पुरोहितों से यहोशू ने कहा, “आप वाचा का संदूक लेकर लोगों के आगे-आगे चलें.” तब उन्होंने वाचा का संदूक उठाया और लोगों के आगे-आगे चलने लगे. \p \v 7 याहवेह ने यहोशू से कहा, “आज वह दिन है, जब मैं तुम्हें इस्राएल की दृष्टि में आदर का पात्र बनाऊंगा, और उन्हें यह मालूम हो जाएगा कि जिस प्रकार मैं मोशेह के साथ था, ठीक वैसे ही तुम्हारे साथ भी रहूंगा. \v 8 तुम्हें वाचा का संदूक उठानेवाले को बताना होगा: ‘जब तुम यरदन नदी में पहुंचो तब, तुम जल में सीधे खड़े रहना.’ ” \p \v 9 तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, “यहां आकर याहवेह, अपने परमेश्वर का संदेश सुनो. \v 10 तब तुम समझ पाओगे कि जीवित परमेश्वर तुम्हारे बीच में हैं; और वही तुम्हारे सामने से कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्ज़ियों, गिर्गाशियों, अमोरियों तथा यबूसियों को भगा देंगे. \v 11 ध्यान रखना, कि प्रभु की वाचा का संदूक तुम्हारे आगे यरदन में पहुंच रहा है. \v 12 तब इस्राएल के हर एक गोत्र से बारह व्यक्ति अलग करो जो हर गोत्र से एक-एक पुरुष हो. \v 13 जैसे ही याहवेह की वाचा का संदूक उठानेवाले पुरोहितों के पांव यरदन में पड़ेंगे, यरदन का जल बहना रुक जाएगा तथा एक जगह इकट्ठा हो जाएगा.” \p \v 14-15 यह फसल काटने का समय था. इस समय यरदन नदी में बाढ़ की स्थिति हुआ करती है. जब इस्राएल वंशज यरदन पार करने के लिए निकले, तब पुरोहित वाचा का संदूक लेकर लोगों के आगे जा रहे थे. पुरोहितों के पांव जैसे ही जल में पड़े, \v 16 ऊपर से आ रहा जल बहना रुक गया, और दीवार सा ऊंचा उठ गया. यह आदम नामक नगर था, जो ज़ारेथान के पास है. इससे अराबाह सागर, जो लवण-सागर की ओर जाता है, वहां का जल पूरा सूख गया. और इस्राएली येरीख़ो की ओर पार हो गए. \v 17 याहवेह की वाचा का संदूक लेकर पुरोहित यरदन नदी के बीच में सूखी भूमि पर तब तक खड़े रहे जब तक सब इस्राएलियों ने यरदन नदी को पार न किया. \c 4 \p \v 1 जब सब इस्राएली वंशज यरदन के पार हो गए, तब याहवेह ने यहोशू से कहा, \v 2 “हर गोत्र से एक-एक व्यक्ति करके बारह व्यक्ति अलग करो, \v 3 और उनसे कहो, ‘यरदन से बारह पत्थर, उस स्थान से उठाओ जहां पुरोहित खड़े थे. इन पत्थरों को अपने साथ ले जाओ और उन्हें उस स्थान पर रख देना, जहां तुम आज रात ठहरोगे.’ ” \p \v 4 तब यहोशू ने इस्राएल के हर गोत्र से एक-एक व्यक्ति चुने और ऐसे बारह व्यक्तियों को अलग किया \v 5 और उनसे कहा, “तुम्हारे परमेश्वर याहवेह की वाचा के संदूक के आगे यरदन के बीच में जाकर इस्राएल के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक-एक पत्थर अपने कंधे पर रखे. \v 6 यह तुम्हारे लिए यादगार होगा. जब तुम्हारे बच्‍चे इन पत्थरों के बारे में पूछें, \v 7 तब तुम उन्हें बताना, ‘याहवेह की वाचा के संदूक के सामने यरदन का जल बहना रुक गया था; और जब इसे यरदन के पार ले जाया जा रहा था तब यरदन का जल दो भाग हो गया था.’ तो ये पत्थर हमेशा के लिए यादगार बन जाएंगे.” \p \v 8 इस्राएल वंशजों ने वही किया, जैसा यहोशू ने उनसे कहा था. उन्होंने यरदन के बीच से बारह पत्थर उठा लिए; इस्राएल के गोत्रों की गिनती के अनुसार. उन्होंने वे पत्थर ले जाकर तंबू में रख दिए. \v 9 यहोशू ने भी बारह पत्थर यरदन के बीच उस जगह पर रखे, जहां पुरोहित वाचा का संदूक लिए खड़े थे, जो आज तक वहीं हैं. \p \v 10 याहवेह द्वारा यहोशू को कहे अनुसार, संदूक लिए हुए पुरोहित यरदन के मध्य में तब तक खड़े रहे, जब तक सब लोगों ने नदी को पार न कर लिया. यह उस आदेश के अनुसार था, जो मोशेह द्वारा यहोशू को दिया गया था. \v 11 जब सभी पार हो गए, तब याहवेह की वाचा के संदूक को लिए हुए पुरोहित सब लोगों के आगे चले. \v 12 मोशेह के कहे अनुसार रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह का आधा गोत्र युद्ध के लिए हथियार लेकर इस्राएल वंशजों के आगे चला. \v 13 इनकी संख्या लगभग चालीस हजार थी, जो युद्ध के लिए पूरे तैयार थे. याहवेह की उपस्थिति में ये युद्ध के लिए आगे बढ़े और येरीख़ो के पास मैदान में पहुंचे. \p \v 14 यह वह दिन था, जब याहवेह ने यहोशू को इस्राएलियों के बीच आदर के साथ ऊपर उठाया. जिस प्रकार अपने जीवनकाल में मोशेह आदर के योग्य थे. \p \v 15 याहवेह ने यहोशू से कहा, \v 16 “वाचा का संदूक उठानेवाले पुरोहितों से कहो कि वे यरदन नदी से बाहर आ जाएं.” \p \v 17 तब यहोशू ने पुरोहितों से कहा, “यरदन से बाहर आ जायें.” \p \v 18 उस समय ऐसा हुआ, कि जैसे ही याहवेह की वाचा का संदूक लिए पुरोहित यरदन से बाहर आए तथा उनके पांव सूखी भूमि पर पड़े, यरदन नदी फिर से पहले जैसी बहने लगी. \p \v 19 यह पहले महीने का दसवां दिन था, जब लोग यरदन नदी पार कर निकल आए, और गिलगाल में येरीख़ो के पूर्व में अपने पड़ाव डाल दिया. \v 20 यरदन में से उठाए गए वे बारह पत्थर यहोशू ने गिलगाल में खड़े कर दिए. \v 21 इस्राएल वंशजों से यहोशू ने कहा, “जब भविष्य में तुम्हारे बच्‍चे अपने पिता से यह पूछे, ‘क्या अर्थ है इन पत्थरों का?’ \v 22 तब तुम अपने बच्‍चे को यह बताना, ‘इस्राएल ने यरदन नदी को सूखी भूमि पर चलते हुए पार किया था.’ \v 23 क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने नदी पार करने तक यरदन के जल को सुखाए रखा था; ठीक जिस प्रकार याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने लाल सागर को सूखा दिया था, जब तक हम पार न हो गए थे; \v 24 पृथ्वी के सभी मनुष्यों को यह मालूम हो जाए कि याहवेह का हाथ कितना महान है, ताकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति तुम्हारें मन में आदर और भय हो.” \c 5 \p \v 1 जब यरदन के पश्चिम में अमोरियों के सभी राजाओं तथा सभी कनानी राजाओं ने यह सुना कि किस प्रकार याहवेह ने इस्राएल वंशजों के लिए उनके यरदन नदी से पार हो जाने तक यरदन का जल सुखाए रखा था, उनका हृदय घबरा गया, और उनसे बिलकुल भी सामना करने का साहस न था. \s1 नई पीढ़ी का ख़तना \p \v 2 फिर याहवेह ने यहोशू से कहा, “चकमक पत्थर की छुरियां बनाओ और इस्राएलियों का ख़तना करना फिर से शुरू करो.” \v 3 तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनाई और गिबियाथ-हारालोथ\f + \fr 5:3 \fr*\fq गिबियाथ-हारालोथ \fq*\ft यानी \ft*\fqa अग्रचर्म की पहाड़ी\fqa*\f* नामक स्थान पर इस्राएलियों का ख़तना किया. \p \v 4 यहोशू द्वारा उनका ख़तना करने के पीछे कारण यह था: वे सभी, जो मिस्र से निकले हुए थे, सभी पुरुषों और सभी योद्धाओं की मृत्यु, मिस्र से आने के बाद, निर्जन प्रदेश में, रास्ते में ही हो चुकी थी. \v 5 मिस्र से निकले सभी व्यक्तियों का ख़तना बाद में हुआ, किंतु वे सभी जिनका जन्म मिस्र से निकलने के बाद मार्ग में निर्जन प्रदेश में हुआ था, उनका ख़तना नहीं हुआ था. \v 6 इस्राएल वंशज चालीस वर्ष तक निर्जन प्रदेश में फिरते रहे, जब तक पूरा राष्ट्र, अर्थात् वे योद्धा, जो मिस्र से निकले थे, नष्ट न हो गए, क्योंकि उन्होंने याहवेह के आदेश को नहीं माना. याहवेह ने शपथ ली थी, कि वह उन्हें वह देश देखने तक न देंगे, जहां दूध और मधु बहती है, जिसे देने का वायदा याहवेह ने पूर्वजों से किया था. \v 7 उनकी जगह पर याहवेह ने उनकी संतान को बढ़ाया, जिनका ख़तना यहोशू ने किया; क्योंकि मार्ग में उनका ख़तना नहीं किया गया था. \v 8 जब सबका ख़तना हो चुका, और वे ठीक होने तक अपने तंबू में ही रहे. \p \v 9 तब याहवेह ने यहोशू से कहा, “आज मैंने तुम पर मिस्र का जो कलंक लगा था, उसे दूर कर दिया है.” तभी से आज तक यह स्थान गिलगाल\f + \fr 5:9 \fr*\fq गिलगाल \fq*\ft यानी \ft*\fqa लुढ़कना\fqa*\f* नाम से जाना जाता है. \p \v 10 जब इस्राएल वंशज गिलगाल में पड़ाव डाले हुए थे, उन्होंने माह के चौदहवें दिन येरीख़ो के मरुभूमि में फ़सह उत्सव मनाया. \v 11 फ़सह उत्सव के अगले ही दिन उन्होंने उस देश की भूमि की कुछ उपज, खमीर रहित रोटी तथा सुखाए हुए अन्‍न खाए. \v 12 जिस दिन उन्होंने उस भूमि की उपज का आहार किया, उसके दूसरे ही दिन से मन्‍ना गिरना बंद हो गया. इस्राएल वंशजों को मन्‍ना फिर कभी न मिला. और कनान देश की उपज ही उनका आहार हो चुकी थी. \s1 येरीख़ो पर विजय \p \v 13 जब यहोशू येरीख़ो के निकट थे, उन्होंने जब दृष्टि ऊपर उठाई, उन्हें अपने सामने हाथ में नंगी तलवार लिए हुए एक व्यक्ति खड़ा हुआ दिखा. यहोशू उनके पास गए और उनसे पूछा, “आप हमारी तरफ के हैं या हमारे शत्रु के?” \p \v 14 उन्होंने उत्तर दिया, “मैं किसी भी पक्ष का नहीं हूं; मैं याहवेह की सेना का अधिपति, और अब यहां आया हूं.” यहोशू ने भूमि पर गिरकर दंडवत किया और कहा, “महोदय, मेरे प्रभु का उनके सेवक के लिए क्या आदेश है?” \p \v 15 याहवेह के दूत ने यहोशू को उत्तर दिया, “पांव से अपनी जूती उतार दो, क्योंकि तुम जिस जगह पर खड़े हो, वह पवित्र स्थान है.” यहोशू ने वैसा ही किया. \c 6 \p \v 1 इस्राएलियों के कारण येरीख़ो नगर के फाटक बंद कर लिये गये थे. न तो कोई बाहर जा सकता था, न कोई अंदर आ सकता था. \p \v 2 यहोशू से याहवेह ने कहा, “देखो, मैंने उसके राजा और उसकी सेनाओं के साथ, येरीख़ो को तुम्हारे अधीन कर दिया है. \v 3 तुम्हें सब योद्धाओं के साथ एक बार नगर को पूरा घूमना होगा. यह तुम्हें छः दिन तक करना होगा. \v 4 संदूक के आगे-आगे सात पुरोहित नरसिंगे लिए हुए होंगे. सातवें दिन तुम्हें नगर के चारों ओर सात बार घूमना होगा. पुरोहित तुरही फूकंते रहेंगे. \v 5 जब वे नरसिंगा देर तक फूकेंगे, और तुम्हें तुरही का शब्द सुनाई देगा, तब सभी लोग ऊंची आवाज से जय जयकार करेंगे. तब येरीख़ो की दीवार गिर जाएगी, और सभी व्यक्ति नगर में सीधे प्रवेश कर पाएंगे.” \p \v 6 नून के पुत्र यहोशू ने पुरोहितों को बुलाकर उनसे कहा, “याहवेह के वाचा के संदूक को उठा लो और आप में से सात पुरोहित नरसिंगे लिए हुए उसके आगे-आगे चलें.” \v 7 लोगों से यहोशू ने कहा “चलो, आगे बढ़ो. तुम्हें नगर के चारों ओर घूमना है. सैनिक याहवेह के संदूक के आगे-आगे चलें.” \p \v 8 यहोशू ने दिये आदेश के मुताबिक, नरसिंगे लिए हुए सात पुरोहित आगे बढ़कर याहवेह के समक्ष नरसिंगे फूंकने लगे, और उनके पीछे याहवेह का संदूक था. \v 9 नरसिंगे फूंकते हुए पुरोहितों के आगे सैनिक बढ़ गए, और पीछे-पीछे पुरोहित नरसिंगे फूंकते हुए चल रहे थे. \v 10 यहोशू सैनिकों को यह आदेश दे चुके थे, “जब तक मैं तुम्हें जय जयकार करने को न कहूं, तब तक तुममें से कोई भी न तो जय जयकार करना, न तुम्हारा शब्द सुनाई दे और न तुम्हारे मुख से कोई भी आवाज निकले. तुम मेरे कहने पर ही जय जयकार करना.” \v 11 इस प्रकार यहोशू ने याहवेह के संदूक को लेकर नगर के चारों और घुमाया. फिर वे लौट आए तथा तंबू में रात बिताई. \p \v 12 अगले दिन प्रातः यहोशू शीघ्र उठे. और पुरोहितों ने याहवेह के संदूक को उठा लिया. \v 13 याहवेह के संदूक के आगे-आगे चल रहे सात पुरोहित सात नरसिंगे लिए हुए लगातार नरसिंगे फूंकते हुए बढ़ते चले जा रहे थे. अग्रगामी सैनिक उनके आगे चल रहे थे और याहवेह के संदूक के पीछे हथियार लिए हुए सैनिक चल रहे थे, सात पुरोहित लगातार नरसिंगे फूंकते जा रहे थे. \v 14 दूसरे दिन भी वे नगर के चारों ओर घूमकर वापस तंबू में लौट आए. छः दिन उन्होंने इसी प्रकार किया. \p \v 15 सातवें दिन वे सबेरे उठ गए, तथा उसी रीति से, परंतु सात बार, नगर के चारों ओर घूमे; केवल सातवें दिन ही वे सात बार घूमे. \v 16 सातवीं बार जब पुरोहितों ने नरसिंगे फूंके, तब यहोशू ने लोगों से कहा, “जय जयकार करो! क्योंकि याहवेह ने यह नगर हमें दे दिया है. \v 17 समस्त नगर एवं सभी कुछ जो नगर में है, उस पर याहवेह का अधिकार है. केवल राहाब तथा जितने लोग उसके घर में होंगे, जीवित रहेंगे, क्योंकि उसने उन दोनों को छिपा रखा था, जिनको हमने भेजा था. \v 18 तुम सब अर्पित की हुई वस्तुओं से दूर रहना, तुम उसका लालच न करना, ऐसा न हो कि तुम उनमें से अपने लिए कुछ वस्तु रख लो, और इस्राएलियों पर शाप और कष्ट का कारण बन जाओ. \v 19 सोना, चांदी, कांस्य तथा लौह की सभी वस्तुएं याहवेह के लिए पवित्र हैं. ये सभी याहवेह के भंडार में रखी जाएंगी.” \p \v 20 पुरोहितों ने नरसिंगें फूंके, और लोगों ने जय जयकार किया, और नगर की दीवार गिर गई, और लोग नगर में घुस गए. और नगर पर हमला किया. \v 21 नगर की हर एक वस्तु को उन्होंने पूरा नष्ट कर दिया. स्त्री-पुरुष, युवा और वृद्ध, बैल, भेड़ें तथा गधे, सभी तलवार से मार दिए गए. \p \v 22 उन दोनों व्यक्तियों को, जिन्हें यहोशू ने नगर की छानबीन करने भेजा था, उनको यहोशू ने आदेश दिया, “राहाब तथा उसका सब कुछ वहां से निकाल लाओ, ताकि उससे किया गया वायदा पूरा हो.” \v 23 तब वे दो व्यक्ति ने राहाब, उसके पिता, उसकी माता, उसके भाई तथा उसकी पूरी संपत्ति को वहां से निकाल लाए. उन्होंने उसके संबंधियों को भी वहां से निकाला और इन सभी को इस्राएल के पड़ाव के बाहर स्थान दिया. \p \v 24 उन्होंने नगर को तथा नगर की सब वस्तुओं को आग में जला दिया. केवल सोना, चांदी, कांस्य तथा लौह की वस्तुएं याहवेह के भवन के भंडार में रख दी. \v 25 राहाब और उसके पिता का पूरा परिवार तथा उसकी पूरी संपत्ति को यहोशू ने नष्ट नहीं किया. वे आज तक इस्राएल के बीच रह रहे हैं, क्योंकि उसने यहोशू द्वारा येरीख़ो का भेद लेने भेजे गये लोगों को छिपा रखा था. \p \v 26 तब यहोशू ने उनसे पवित्र शपथ करके कहा: “याहवेह के सम्मुख वह व्यक्ति शापित है, जो इस नगर येरीख़ो का फिर से निर्माण करेगा. \q1 “इसकी नींव रखने के समय \q2 वह अपना बड़ा बेटा खो देगा, \q1 तथा इसके पूरा हो जाने पर \q2 छोटा बेटा मर जायेगा.” \p \v 27 याहवेह यहोशू के साथ थे तथा उनकी प्रशंसा पूरे देश में फैल गई. \c 7 \s1 आखान का पाप \p \v 1 किंतु इस्राएल वंश ने चढ़ाई हुई वस्तुओं पर लालच किया. यहूदाह गोत्र से आखान, जो कारमी का पुत्र और ज़िमरी का पोता और ज़ेराह का परपोता था, उसने चढ़ाई हुई वस्तुओं में से कुछ अपने लिए रख लीं. इस्राएल के प्रति याहवेह का क्रोध भड़क उठा. \p \v 2 यहोशू ने येरीख़ो से कुछ व्यक्ति को अय नामक स्थान में भेजा अय बेथेल के पूर्व में बेथ-आवेन के पास है. यहोशू ने उनसे कहा, “जाकर उस जगह की जानकारी लो.” उन्होंने जाकर अय की जानकारी ली. \p \v 3 और उन्होंने यहोशू को आकर बताया, “ज़रूरी नहीं कि सभी लोग जाकर आक्रमण करें. केवल दो या तीन हजार लोग काफ़ी है अय पर आक्रमण करने के लिए. क्योंकि वहां कम ही लोग हैं.” \v 4 तब केवल तीन हजार व्यक्ति ही वहां गए; किंतु अय के निवासियों से उन्हें डरकर भागना पड़ा. \v 5 अय के निवासियों ने लगभग छत्तीस लोगों को मार दिया. उन्होंने शबारीम तक उनका पीछा किया और वहां उनको मार दिया. जब इस्राएल के लोगों ने यह देखा तो वे बहुत भयभीत हो उठे और हिम्मत छोड़ दिये. \p \v 6 इस पर यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़ डाले. वह याहवेह की संदूक के पास जाकर भूमि पर मुख के बल गिरे और शाम तक वहीं पड़े रहे. उनके साथ इस्राएल के बुजुर्ग भी थे. उन्होंने भी अपने सिर पर धूल डाल ली. \v 7 यहोशू ने प्रभु याहवेह से बिनती की, “हे याहवेह परमेश्वर, आप इन लोगों को यरदन से पार क्यों लाए, क्या इसलिये कि हम अमोरियों के अधीन कर दिया जाए और हम नष्ट कर दिए जाएं? अच्छा होता कि हम यरदन के पार ही बस जाते! \v 8 प्रभु, अब मैं क्या कहूं, इस्राएल अपने शत्रुओं के सामने से पीठ दिखाकर भागे है? \v 9 अब कनानी और इस देश के सभी लोग यह सुनकर हमें घेर लेंगे और पृथ्वी से हमारा नाम मिटा डालेंगे. तब आप अपनी महिमा के लिए क्या करेंगे?” \p \v 10 तब याहवेह ने यहोशू को उत्तर दिया, “उठो! मुख के बल क्यों पड़े हुए हो? \v 11 इस्राएल ने पाप किया है. उन्होंने मेरी बात नहीं मानी, जो मैंने उनसे कही थी. उन्होंने चढ़ाई हुई वस्तुएं अपने लिए रख ली हैं. उन्होंने चोरी की है, उन्होंने छल किया है. \v 12 इस कारण इस्राएल अपने शत्रुओं के सामने ठहर नहीं सके. और शत्रुओं के सामने से भाग गये, क्योंकि वे शापित हो चुके हैं. मैं उस समय तक तुम्हारे साथ न रहूंगा, जब तक तुम अपने पास से वे अर्पण की हुई वस्तुएं नष्ट नहीं कर देते. \p \v 13 “उठो! लोगों को पवित्र करो और उनसे कहो, ‘कल के लिए स्वयं को पवित्र करो, क्योंकि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने यह कहा है, तुम उस समय तक अपने शत्रुओं के सामने ठहर न सकोगे, जब तक तुम अपने बीच में से चढ़ाई हुई वस्तुएं हटा नहीं दोगे. \p \v 14 “ ‘सुबह तुम अपने-अपने गोत्र के अनुसार सामने आओगे. वह गोत्र जिसे याहवेह पकड़ेंगे वे, परिवार के साथ सामने आएंगे. और वह घराना, जिसे याहवेह इशारा करेंगे एक-एक करके सामने आएंगे. \v 15 तब वह व्यक्ति, जो पकड़ा जाएगा, जिसके पास चढ़ाई हुई वस्तुएं हैं, उसको आग में डाल दिया जाएगा, वह और सब कुछ, जो उसका है; क्योंकि उसने याहवेह कि वाचा को तोड़ा है, तथा उसने इस्राएल में निंदनीय काम किया है.’ ” \p \v 16 सुबह जल्दी उठकर यहोशू ने इस्राएल को गोत्रों के अनुसार इकट्ठा किया. फिर यहूदाह गोत्र को बुलाया गया, \v 17 और उन्हें एक साथ बुलाया, फिर ज़ेरहियों के घराने को बुलाया. फिर उन्होंने ज़ेरहियों के घराने को व्यक्तियों के अनुसार एक साथ बुलाया. \v 18 फिर उन्होंने व्यक्तियों के आधार पर उसके घराने को अलग किया, और आखान चुना गया, जो कारमी का पुत्र, ज़िमरी का पोता और ज़ेराह का परपोता था; वह यहूदाह के गोत्र से था. \p \v 19 आखान से यहोशू ने कहा, “मेरे पुत्र, मेरी विनती है, कि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के महिमा को स्वीकार करो, और उनकी वंदना करो. मुझे बताओ कि तुमने क्या किया है. मुझसे कुछ न छिपाना.” \p \v 20 आखान ने यहोशू को उत्तर दिया, “यह सच है कि मैंने जो कुछ किया है, उसके द्वारा मैंने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है. \v 21 मैंने लूटी हुई वस्तुओं में से एक बाह्य वस्त्र, दो किलो चांदी तथा आधा किलो सोने की ईंट को छिपा लिया था. मैंने इन्हें अपने तंबू की भूमि में छिपा रखा है. चांदी सबके नीचे रखी गई है.” \p \v 22 यहोशू ने कुछ दूतों को आखान के तंबू में भेजा. उन्होंने छिपाई गई वस्तुएं निकाली और चांदी सबके नीचे थी. \v 23 तंबू से निकालकर सब कुछ वे यहोशू के पास ले आए और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने रख दिया. \p \v 24 तब यहोशू एवं समस्त इस्राएल मिलकर ज़ेराह के पुत्र आखान को तथा उस चांदी, सोना तथा वस्त्र, उसके पुत्र-पुत्रियों, उसके बैल, गधे, भेड़ें, उसका तंबू और उसकी पूरी संपत्ति को आकोर की घाटी में ले गए. \v 25 और उससे यहोशू ने कहा, “तुम हम पर यह संकट क्यों ले आए? आज याहवेह तुम्हें संकट में डाल रहे हैं.” \p और समस्त इस्राएल ने उनका पत्थराव किया, और उन्हें आग में डाल दिया. \v 26 उन्होंने उसके ऊपर पत्थरों का ऊंचा ढेर लगा दिया, जो आज तक वहां है. तब याहवेह का गुस्सा शांत हो गया. इस कारण उस स्थान का नाम आकोर\f + \fr 7:26 \fr*\fq आकोर \fq*\ft अर्थ \ft*\fqa संकट\fqa*\f* घाटी पड़ गया. \c 8 \s1 अय पर विजय \p \v 1 फिर याहवेह ने यहोशू से कहा, “डरो मत और न घबराओ! अपने साथ सब योद्धाओं को लेकर अय पर आक्रमण करो. मैंने अय के राजा, प्रजा और उसके नगर और उसके देश को तुम्हें दे दिया है. \v 2 अय तथा उसके राजा के साथ तुम्हें वही करना होगा, जो तुमने येरीख़ो तथा उसके राजा के साथ किया था. लूट की सामग्री तथा पशु तुम अपने लिए रख सकते हो.” \p \v 3 तब यहोशू अपने समस्त योद्धाओं को लेकर अय पर आक्रमण के लिए निकल पड़े. यहोशू ने तीस हजार वीर योद्धा चुने और उन्हें रात को ही वहां भेज दिया. \v 4 उनसे यहोशू ने कहा, “तुम नगर के पीछे छिप जाना, नगर से ज्यादा दूर न जाना. तुम सब सावधान एवं तत्पर रहना. \v 5 तुम्हारे वहां पहुंचने पर मैं अपने साथ के योद्धाओं को लेकर नगर पर आक्रमण करूंगा. जब नगर के लोग सामना करने के लिए आगे बढ़ेंगे, तब हम उनके सामने से भागेंगे. \v 6 और जब वे पीछा करते हुए नगर से दूर आ जाएंगे तब वे सोचेंगे, ‘ये लोग पहले के समान हमें पीठ दिखाकर भाग रहे हैं.’ \v 7 तब तुम अपने छिपने के स्थान से उठकर नगर को अपने अधीन कर लेना; याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर नगर को तुम्हें सौंप देंगे. \v 8 फिर तुम उसमें आग लगा देना. तुम्हें यह याहवेह के वचन के अनुसार करना होगा. याद रखना, कि तुम्हारे लिए यह मेरा आदेश है.” \p \v 9 यह कहते हुए यहोशू ने उन्हें भेज दिया. वे अपने छिपने के जगह पर गए और वे बेथेल तथा अय के बीच में छिपे रहे, यह स्थान अय के पश्चिम में था. यहां यहोशू रात में सैनिकों के साथ तंबू में ही रहे. \p \v 10 सुबह जल्दी उठकर यहोशू सैनिकों एवं इस्राएल कि नेता को साथ लेकर अय पहुंचे. \v 11 तब सभी सैनिक यहोशू के साथ नगर में पहुंचे, और उन्होंने अय के उत्तर में तंबू डाल दिया. उनके तथा अय नगर के बीच केवल एक घाटी ही की दूरी थी. \v 12 तब यहोशू ने लगभग पांच हज़ार सैनिकों को बेथेल एवं अय के पश्चिम में खड़े कर दिए. \v 13 और खास सेना को नगर के उत्तर में, तथा कुछ सैनिकों को पश्चिम में खड़ा किया और यहोशू ने रात घाटी में बिताई. \p \v 14 जब अय के राजा ने यहोशू के सैनिकों को देखा; वे जल्दी नगर के लोगों को लेकर इस्राएल से युद्ध करने निकल पड़े. युद्ध मरुभूमि के मैदान में था. लेकिन राजा को नहीं मालूम था कि नगर के पीछे इस्राएली सैनिक छिपे हैं. \v 15 यहां यहोशू और उनके साथ के सैनिकों ने उनके सामने कमजोर होने का दिखावा किया. वे पीठ दिखाते हुए निर्जन प्रदेश में भागने लगे. \v 16 इनका पीछा करने के लिए नगरवासियों को तैयार किया था. वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर होते गए. \v 17 अब अय में और बेथेल में कोई भी पुरुष न बचा, सब पुरुष इस्राएल का पीछा करने जा चुके थे. नगर को बचाने के लिए कोई नहीं था. \p \v 18 तब याहवेह ने यहोशू से कहा, “जो बर्छी तुम अपने हाथ में लिए हुए हो, उसे अय की ओर उठाओ, क्योंकि मैं इसे तुम्हें दे रहा हूं.” तब यहोशू ने वह बर्छी, जो अपने हाथ में लिए हुए थे, नगर की ओर उठाई. \v 19 जब घात में बैठे सैनिक अपनी-अपनी जगह से बाहर आ गए और यहोशू ने वह बर्छी आगे बढ़ाई, तब ये सैनिक दौड़कर नगर में जा घुसे, और उस पर हमला किया और उन्होंने नगर में आग लगा दी. \p \v 20 दूसरी ओर जब उनका पीछा करते लोगों ने मुड़कर पीछे देखा, तो नगर से धुआं आकाश की ओर उठ रहा था. अब उनके लिए शरण लेने की कोई जगह न आगे थी, न पीछे, क्योंकि वे लोग, जो उन्हें पीठ दिखाकर निर्जन प्रदेश में भाग रहे थे, वे उनके विरुद्ध हो गए थे. \v 21 जब यहोशू के साथ के इस्राएली सैनिकों ने देखा कि घात लगाए सैनिकों ने नगर पर हमला किया है, और नगर से उठ रहा धुआं आकाश में पहुंच रहा है, तब उन्होंने अय के पुरुषों को मारना शुरू कर दिया. \v 22 वे सैनिक, जो नगर में थे, उनका सामना करने आ पहुंचे, तब अय के सैनिकों को इस्राएलियों ने घेर लिया. उन्होंने सबको ऐसा मारा कि न तो कोई बच सका और न कोई भाग पाया. \v 23 और वे अय के राजा को पकड़कर यहोशू के पास जीवित ले आए. \p \v 24 जब इस्राएलियों ने निर्जन प्रदेश में पीछा करते हुए अय के सब सैनिकों को तलवार से मार दिया, तब सारे इस्राएली वापस अय नगर में आ गए. \v 25 अय नगर में स्त्री-पुरुषों की संख्या बारह हजार थी. \v 26 यहोशू ने अपने हाथ की बर्छी उस समय तक नीची नहीं की जब तक उन्होंने अय के सभी लोगों को मार न दिया. \v 27 इस्राएलियों ने लूटे हुए सामान में से अपने लिए केवल पशु ही रखे, जैसा कि याहवेह ने यहोशू से कहा था. \p \v 28 यहोशू ने अय\f + \fr 8:28 \fr*\fq अय \fq*\ft अर्थ: \ft*\fqa बर्बादी\fqa*\f* को पूरा जला दिया, जो आज तक निर्जन पड़ा है. \v 29 उन्होंने अय के राजा को शाम तक वृक्ष पर लटकाए रखा और शाम होनें पर शव को वहां से उतारकर नगर के बाहर फेंक दिया, तथा उसके ऊपर पत्थरों का ऊंचा ढेर लगा दिया, जो आज तक वहीं है. \s1 वाचा का दोहराए जाना \p \v 30-31 फिर यहोशू ने मोशेह द्वारा लिखी व्यवस्था में से इस्राएल वंश को दिए गए निर्देशों के अनुसार एबल पर्वत में ऐसे पत्थरों को लेकर वेदी बनाई, जिन पर किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं किया गया था. इस वेदी पर उन्होंने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के लिए होमबलि तथा मेल बलि चढ़ाई. \v 32 सब इस्राएलियों के सामने यहोशू ने मोशेह के द्वारा लिखी हुई व्यवस्था की नकल कराई. \v 33 उस समय सब इस्राएली अपने धर्मवृद्धों, अधिकारियों तथा न्याय करनेवालो के साथ और याहवेह के वाचा का संदूक उठानेवाले दोनों ओर खड़े हुए थे; दूसरे लोग जो वहां रहते थे तथा जन्म से ही जो इस्राएली थे, उनमें आधे गेरिज़िम पर्वत के पास तथा आधे एबल पर्वत के पास खड़े थे. और यह याहवेह के सेवक मोशेह को पहले से कही गई थी कि इस्राएली प्रजा को आशीर्वाद दे. \p \v 34 इसके बाद यहोशू ने सबके सामने व्यवस्था की सब बातें जैसी लिखी हुई थी; आशीष और शाप की, सबको पढ़के सुनायी. \v 35 उसमें से कोई भी बात न छूटी, जो यहोशू ने उस समय सब इस्राएली, जिसमें स्त्रियां, बालक एवं उनके बीच रह रहे पराये भी थे, न सुनी हो. \c 9 \s1 गिबियोनियों का धोखा \p \v 1 जब उन सब राजाओं ने, जो यरदन पार, पर्वतीय क्षेत्र में तथा भूमध्य-सागर के तट पर लबानोन के निकट के निवासियों, हित्ती, अमोरी, कनानी, परिज्ज़ी, हिव्वी तथा यबूसियों ने इन घटनाओं के विषय में सुना, \v 2 वे यहोशू तथा इस्राएलियों से युद्ध करने के लिए एक साथ हो गए. \p \v 3 जब गिबयोन निवासियों ने वह सब सुना जो यहोशू ने येरीख़ो तथा अय के साथ किया था, \v 4 उन्होंने भी चालाकी की, व अपनी यात्रा राजदूतों के रूप में शुरू की. उन्होंने अपने गधों पर फटे पुराने बोरे, दाखमधु की कुप्पी बांध दी और \v 5 पुरानी चप्पलें तथा फटे पुराने कपड़े पहन लिये. उनकी रोटी भी सूख चुकी थी जो चूर-चूर हो रही थी. \v 6 वे यहोशू के पास गिलगाल में पहुंचे. उन्होंने यहोशू तथा इस्राएलियों से कहा, “हम दूर देश से आ रहे हैं. आप हमसे दोस्ती कर लीजिए.” \p \v 7 किंतु इस्राएलियों ने हिव्वियों से कहा, “क्या पता, आप हमारे ही देश के निवासी हो; अतः हम आपसे दोस्ती क्यों करें?” \p \v 8 किंतु उन्होंने यहोशू से कहा, “हम तो आपके सेवक हैं.” \p तब यहोशू ने उनसे पूछा, “तुम लोग कौन हो और कहां से आए हो?” \p \v 9 उन्होंने उत्तर दिया, “हम बहुत दूर देश से आए हैं, क्योंकि हमने याहवेह, आपके परमेश्वर की प्रशंसा सुनी है. हमने उनके बारे में जो उन्होंने मिस्र में किया था, सब सुन रखा है. \v 10 हमने यह भी सुना है कि उन्होंने अमोरियों के दो राजाओं के साथ क्या किया, जो यरदन के उस पार थे; हेशबोन का राजा सीहोन और बाशान का राजा ओग, जो अश्तारोथ पर थे. \v 11 तब हमारे बुजुर्गो तथा देशवासियों ने कहा कि यात्रा के लिए ‘अपने साथ ज़रूरी सामान ले लो, और उनसे मिलने जाओ तथा उनसे कहना, “हम आपके सेवक हैं, तब आप हमसे दोस्ती कर लीजिए.” ’ \v 12 यात्रा शुरू करते समय हम गर्म रोटी लेकर घर से निकले थे; किंतु अब देखिए, ये रोटियां सूख चुकी हैं. \v 13 और दाखमधु की ये थैली जब हम भर रहे थे, नई थी; किंतु अब देखिए, ये फट गई हैं. हमारे वस्त्र और चप्पलें फट रही हैं.” \p \v 14 तब इस्राएलियों ने याहवेह से पूछे बिना ही उनकी बात मान ली. \v 15 यहोशू ने उनके साथ दोस्ती कर ली, और कहा कि उनकी हत्या न की जाएगी, सभा के प्रधानों ने उनसे यह वायदा किया. \p \v 16 जब वे उनसे दोस्ती कर चुके, फिर तीन दिन बाद उन्हें पता चला कि वे तो उनके पड़ोसी ही थे, और वे उन्हीं के देश में रह रहे थे. \v 17 इस्राएल वंश के लोग तीसरे दिन गिबयोन, कफीराह, बएरोथ तथा किरयथ-यआरीम पहुंच गए. \v 18 और उस शपथ के कारण, जो सभा के प्रधानों ने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के सामने उनके साथ खाई थी, उनकी हत्या न कर सके. \p सब लोग इस कारण प्रधानों पर नाराज होने लगे. \v 19 लोगों के सामने प्रधान यह कहते रहेः “हमने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की शपथ ली है. अब तो हम उनको छू भी नहीं सकते. \v 20 हम इतना तो कर सकते हैं कि उन्हें जीवित रहने दें, अन्यथा उनसे की गई शपथ हम पर भारी पड़ेगी.” \v 21 प्रधानों ने लोगों से कहा: “उन्हें जीवित रहने दो!” तब गिबियोनियों को इस्राएली सभा के लिए लकड़हारे तथा पानी भरने वाले बनकर रहना पड़ा, जैसा उनके विषय में प्रधानों ने बताया था. \p \v 22 तब यहोशू ने गिबियोनियों को बुलाकर उनसे पूछा, “जब तुम लोग हमारे ही देश में रह रहे थे, तो तुमने हमसे झूठ क्यों बोला कि, ‘हम दूर देश से आए है!’ \v 23 तब अब तुम लोग शापित हो गए हो, और तुम मेरे परमेश्वर के भवन के लिए हमेशा लकड़ी काटने तथा पानी भरने वाले ही रहोगे.” \p \v 24 तब उन्होंने यहोशू से कहा, “इसके पीछे कारण यह है, कि आपके सेवकों को यह बताया गया था, कि याहवेह परमेश्वर ने अपने सेवक मोशेह को आदेश दिया था कि यह पूरा देश आपको दिया जाएगा, और आप इन निवासियों को मार दें. इसलिये अपने आपको बचाने के लिए हमें ऐसा करना पड़ा. \v 25 अब देखिए, हम आपके ही हाथों में हैं. हमारे साथ आप वही कीजिए, जो आपको सही और अच्छा लगे.” \p \v 26 तब यहोशू ने गिबियोनियों को बचाया और उनकी हत्या नहीं की. \v 27 किंतु यहोशू ने उसी दिन सोच लिया था कि वे अब से इस्राएली सभा के लिए तथा याहवेह द्वारा बताये जगह पर उनकी वेदी के लिए लकड़ी काटेंगे तथा उनके लिए पानी भरा करेंगे. \c 10 \s1 काल-प्रवाह का अवरोध \p \v 1 फिर दूसरे दिन जब येरूशलेम के राजा अदोनी-त्सेदेक ने यह सुना कि यहोशू ने अय नगर को अपने अधीन कर उसे पूरा नष्ट कर दिया है; ठीक जैसा उन्होंने येरीख़ो एवं उसके राजा के साथ किया था; वैसा ही उन्होंने अय और उसके राजा के साथ भी किया, तथा गिबयोनवासियों ने इस्राएल के साथ संधि कर ली और अब वे उसी देश में रह रहे हैं, \v 2 अदोनी-त्सेदेक और साथ के लोग डर गऐ, क्योंकि गिबयोन एक प्रतिष्ठित नगर था, और अय से अधिक बड़ा था तथा उसके लोग भी वीर थे. \v 3 तब येरूशलेम के राजा अदोनी-त्सेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम, यरमूथ के राजा पिरआम, लाकीश के राजा याफिया तथा एगलोन के राजा दबीर को यह संदेश भेजा कि, \v 4 “यहां आकर मेरी मदद कीजिए,” ताकि हम गिबयोन पर हमला करें, “क्योंकि उसने यहोशू तथा इस्राएल वंश से दोस्ती कर ली है.” \p \v 5 तब अमोरियों के पांच राजा येरूशलेम, हेब्रोन, यरमूथ लाकीश तथा एगलोन के राजा एक साथ मिल गए. उन्होंने अपनी-अपनी सेनाएं लेकर गिबयोन के पास तंबू खड़े किए तथा गिबयोन से लड़ाई शुरू की. \p \v 6 तब गिबयोनवासियों ने गिलगाल में यहोशू को यह संदेश भेजा, “अपने सेवकों को अकेला मत छोड़िए. हमारी मदद के लिए तुरंत आइए. और हमें बचाइए. अमोरियों के सभी राजा, जो पर्वतीय क्षेत्र के हैं, एक होकर हमारे विरुद्ध खड़े हैं.” \p \v 7 यह सुन यहोशू, उनके साथ युद्ध के लिए तैयार व्यक्ति तथा शूर योद्धा लेकर गिलगाल से निकले. \v 8 याहवेह ने यहोशू से कहा, “उनसे मत डरना, क्योंकि मैंने उन्हें तुम्हारे अधीन कर दिया है. उनमें से एक भी तुम्हारे सामने ठहर न सकेगा.” \p \v 9 तब गिलगाल से पूरी रात चलकर यहोशू ने उन पर अचानक हमला कर दिया. \v 10 याहवेह ने शत्रु को इस्राएलियों के सामने कमजोर कर दिया, तथा गिबयोन पर बड़ा विरोध किया. और बेथ-होरोन के मार्ग की चढ़ाई पर उनका पीछा किया और अज़ेका तथा मक्‍केदा तक उनको मारते गए. \v 11 वे इस्राएलियों से बेथ-होरोन की ढलान तक भागते रहे, याहवेह ने उन पर अज़ेका से बड़े-बड़े पत्थर समान ओले फैंके, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. और जो ओले से मरे वे कम थे, लेकिन तलवार से मारे गए लोग ज्यादा थे. \p \v 12 जिस दिन याहवेह ने अमोरियों को इस्राएल वंश के अधीन कर दिया था, उस दिन यहोशू ने याहवेह से बात की और इस्राएलियों के सामने कहा, \q1 “सूर्य, गिबयोन पर \q2 और चंद्रमा अय्जालोन घाटी पर रुक जाए.” \q1 \v 13 तब सूर्य एवं, \q2 चंद्रमा रुक गये, \q2 जब तक इस्राएली राष्ट्र की सेना ने अपने शत्रुओं से बदला न लिया. \m यह घटना याशार की किताब में लिखी है. \p सूर्य लगभग पूरा दिन आकाश के बीच रुका रहा, \v 14 इससे पहले और इसके बाद फिर कभी ऐसा नहीं हुआ कि, जब याहवेह ने किसी मनुष्य का ऐसा आग्रह स्वीकार किया हो; क्योंकि यह वह समय था, जब याहवेह इस्राएल की ओर से युद्ध कर रहे थे. \p \v 15 फिर यहोशू एवं उनके साथ सब इस्राएली गिलगाल चले गए. \s1 मक्‍केदा पर विजय \p \v 16 जब पांचों राजा भागकर मक्‍केदा की गुफा में छिपे थे, \v 17 यहोशू को यह बताया गया: “पांचों राजा मक्‍केदा की गुफा में छिपे हुए हैं.” \v 18 यहोशू ने उनसे कहा, “गुफा के मुख पर बड़ा गोल पत्थर रख दो और वहां कुछ पहरेदार बिठा दो, \v 19 और तुम वहां मत रुकना. तुम अपने शत्रुओं का पीछा करना और उन पर वार करना, जो सबसे पीछे हैं, उन्हें मौका देना कि वे अपने नगर में जा पाएं, क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें तुम्हारे हाथों में सौंप दिया है.” \p \v 20 जब यहोशू एवं इस्राएल वंश उनको मार चुके और उनमें से कुछ लोग बच गए, वे नगर के गढ़ में चले गए, \v 21 तब सभी इस्राएली मक्‍केदा के पड़ाव में यहोशू के पास सुरक्षित लौट आए. इसके बाद फिर किसी में भी यह साहस न रहा कि इस्राएल के विरुद्ध कुछ कहें. \p \v 22 तब यहोशू ने कहा, “गुफा का पत्थर हटा दो और पांचों राजाओं को मेरे पास लाओ.” \v 23 वे गुफा में से उन पांच राजाओं को निकाल लाए; वे येरूशलेम, हेब्रोन, यरमूथ लाकीश तथा एगलोन के राजा थे. \v 24 जब इन्हें यहोशू के पास लाया गया, तब यहोशू ने सब इस्राएलियों को बुलाया तथा योद्धाओं के प्रमुखों को, जो उनके साथ युद्ध पर गए थे, उनसे कहा, “इन राजाओं की गर्दनों पर पैर रखो.” और वे उनके पास गए और उनकी गर्दन पर अपने पैर रखे. \p \v 25 तब यहोशू ने सब इस्राएली प्रजा को बोला, “न तो डरना और न निराश होना, बहादुर तथा साहसी बनना, क्योंकि याहवेह शत्रुओं की यही दशा करेंगे, जिन-जिन से तुम युद्ध करोगे.” \v 26 फिर यहोशू ने उनको मार दिया तथा उनके शवों को पांच वृक्षों पर लटका दिया; शाम तक उनके शव पेड़ों पर लटके रहे. \p \v 27 सूर्य ढलने पर यहोशू के आदेश पर उन्होंने वे शव उतारकर उसी गुफा में रख दिए, जहां वे छिपे थे. उन्होंने गुफा पर बड़े-बड़े पत्थरों का ढेर लगा दिया, जो आज तक वैसा ही है. \s1 दक्षिण फिलिस्तीन पर विजय \p \v 28 मक्‍केदा नगर को यहोशू ने उसी दिन अपने अधीन कर लिया और नगरवासियों तथा राजा को तलवार से मार दिया. और कोई भी जीवित न रहा. यहोशू ने मक्‍केदा के राजा के साथ ठीक वही किया, जैसा उन्होंने येरीख़ो के राजा के साथ किया था. \p \v 29 तब यहोशू तथा उनके साथ सब इस्राएली मक्‍केदा से होते हुए लिबनाह पहुंचे, और उन्होंने लिबनाह से युद्ध किया. \v 30 याहवेह ने लिबनाह नगर तथा उसके राजा को इस्राएल के अधीन कर दिया. यहोशू ने नगर के हर व्यक्ति को तलवार से मार दिया, किसी को भी जीवित न छोड़ा. राजा के साथ भी यहोशू ने वही किया, जो उन्होंने येरीख़ो के राजा के साथ किया था. \p \v 31 तब यहोशू और उनके साथ सब इस्राएली लिबनाह से होते हुए लाकीश पहुंचे. उन्होंने वहां उनसे लड़ाई की. \v 32 याहवेह ने लाकीश को इस्राएल के अधीन कर दिया. दूसरे दिन यहोशू ने हर एक व्यक्ति को तलवार से मार दिया. \v 33 लाकीश की मदद के लिए गेज़ेर का राजा होराम आया. यहोशू ने उसे और उसकी सेना को भी मार दिया. यहोशू ने किसी को भी जीवित न छोड़ा. \p \v 34 यहोशू और उनके साथ सभी इस्राएली लाकीश से होकर एगलोन पहुंचे. उन्होंने उसके पास तंबू डाले और उनसे लड़ाई की. \v 35 उन्होंने उसी दिन उस पर अधिकार कर लिया तथा सभी को तलवार से मार दिया. \p \v 36 फिर यहोशू और उनके साथ सभी इस्राएली एगलोन से हेब्रोन पहुंचे. उन्होंने उनसे युद्ध किया. \v 37 और उन पर अधिकार कर उन्हें नष्ट कर दिया, तथा उसके राजा और सभी लोगों को तलवार से मार दिया, और किसी को भी जीवित न छोड़ा; यहोशू ने नगर को तथा हर एक नगरवासी को पूरी तरह नष्ट कर दिया. \p \v 38 उसके बाद यहोशू तथा उनके साथ सब इस्राएली दबीर को गए, और उन्होंने उन पर आक्रमण कर दिया. \v 39 यहोशू ने उसके राजा तथा नगर को अपने अधीन करके तलवार से मार दिया. और कोई भी जीवित न रहा. ठीक जैसा उन्होंने हेब्रोन में किया था, दबीर तथा उसके राजा के साथ भी वही किया, जैसा उन्होंने लिबनाह तथा उसके राजा के साथ भी किया था. \p \v 40 इस प्रकार यहोशू ने, पर्वतीय क्षेत्र, नेगेव, तथा उनके राजाओं को भी नष्ट कर दिया, और किसी को भी जीवित न छोड़ा; ठीक जैसा याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का आदेश था. \v 41 यहोशू ने कादेश-बरनेअ से लेकर गाज़ा तक तथा गोशेन से लेकर गिबयोन तक पूरे देश को अपने अधीन कर लिया. \v 42 यहोशू ने एक ही बार में इन सभी राजाओं तथा उनकी सीमाओं को अपने अधिकार में ले लिया, क्योंकि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर उनके लिए युद्ध कर रहे थे. \p \v 43 इसके बाद यहोशू तथा उनकी सेना गिलगाल में अपने पड़ाव में लौट आए. \c 11 \s1 उत्तरी फिलिस्तीन का अधिग्रहण \p \v 1 जब हाज़ोर के राजा याबीन को यह बात मालूम पड़ी, उसने मादोन के राजा योबाब को, शिम्रोन तथा अकशाफ नगर के राजाओं, \v 2 उत्तर के पर्वतीय क्षेत्र के राजाओं, किन्‍नेरेथ के दक्षिण, अराबाह में यरदन नदी की घाटी के राजाओं, तराई के राजाओं तथा पश्चिमी समुद्रतट के राजाओं के पास अपने दूत भेजे. \v 3 उसने यरदन के दोनों तटों पर बसे कनानी, हित्ती, अमोरी, परिज्ज़ी तथा पर्वतीय यबूसी लोगों को, मिज़पाह के हरमोन पर्वत की तराई के निवासी हिव्वी लोगों के लिए भी दूत भेजे. \v 4 ये भी एक साथ अपनी-अपनी सेनाएं लेकर निकले. वे बहुत लोग थे. इनमें ज्यादा घोड़े तथा रथ थे. \v 5 इन सभी राजा ने एक साथ मिलकर मेरोम की नदी के किनारे पर अपने पड़ाव डाल दिए, ताकि वे इस्राएल पर आक्रमण कर सके. \p \v 6 याहवेह ने यहोशू से कहा, “इन लोगों से मत डरना, क्योंकि कल इसी समय मैं इस्राएल के सामने इन सभी को मार दूंगा. तुम उनके घोड़े के घुटनों की नस काटकर उन्हें लंगड़ा बनाना, तथा उनके रथों को जला देना.” \p \v 7 तब यहोशू तथा उनके साथ सब योद्धाओं ने मेरोम नदी के निकट उन पर अचानक हमला कर दिया. \v 8 और याहवेह ने उन्हें इस्राएल के अधीन कर दिया. इस्राएली बृहत्-सीदोन से मिसरेफोत-मयिम तक तथा पूर्व में मिज़पाह घाटी तक उनका पीछा करते चले गए. उन्होंने उनको ऐसा मारा, कि उनमें से एक भी योद्धा जीवित न रहा. \v 9 याहवेह ने यहोशू को जैसा बताये उसके अनुसार ही यहोशू ने किया: घोड़े लंगड़े कर दिये तथा रथ जला दिए गए. \p \v 10 फिर यहोशू ने उसी समय हाज़ोर नगर पर हमला किया तथा उसके राजा को तलवार से मार दिया, क्योंकि वह इन सभी राज्यों का राजा था. \v 11 उन्होंने इस नगर के हर व्यक्ति को तलवार से मार दिया और सब कुछ पूरा नष्ट कर दिया; उनमें एक भी व्यक्ति जीवित न रहा. फिर उन्होंने हाज़ोर को जला दिया. \p \v 12 यहोशू ने इन सभी नगरों और राजाओं को अपने अधिकार में कर लिया और तलवार से उनको मार दिया, जैसा याहवेह के सेवक मोशेह का आदेश था. \v 13 परंतु इस्राएलियों ने उस नगर को नहीं जलाया, जो टीलों पर बसा था केवल हाज़ोर को यहोशू ने जलाया, \v 14 इन सभी नगरों से लूटा हुआ सामान एवं पशु इस्राएल वंश ने अपने लिए रख लिया; उन्होंने हर एक मनुष्य को तलवार से मार दिया और इस तरह उन्होंने सब कुछ नष्ट कर दिया. उन्होंने किसी को भी जीवित न छोड़ा; \v 15 जैसा याहवेह ने अपने सेवक मोशेह को तथा मोशेह ने यहोशू को कहा था. यहोशू ने याहवेह द्वारा मोशेह को दी गयी किसी भी बात को अधूरा नहीं छोड़ा. \p \v 16 इस प्रकार यहोशू ने उस समस्त भूमि पर अपना अधिकार कर लिया: नेगेव का संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र, समस्त गोशेन क्षेत्र, अराबाह, तराइयां, इस्राएल का पर्वतीय क्षेत्र तथा तराई, \v 17 सेईर की दिशा में उन्‍नत पर्वत हालाक, हरमोन पर्वत की तराई से लबानोन घाटी में बाल-गाद तक. यहोशू ने इन सभी राजाओं को मार दिया. \v 18 इन राजाओं के साथ यहोशू का युद्ध लंबे समय तक चलता रहा. \v 19 गिबयोन निवासी हिव्वियों के अलावा कोई भी ऐसा नगर न था जिसने इस्राएल वंश के साथ संधि की हो. \v 20 यह याहवेह की इच्छा थी: उन्होंने इनके मन को ऐसा कठोर कर दिया, कि वे इस्राएल से युद्ध करते रहे, ताकि उनको मिटा डाले. याहवेह यही चाहते थे कि इस्राएल उन पर दया किए बिना, उन्हें नष्ट करता जाए, जैसा कि मोशेह का आदेश था. \p \v 21 इसके बाद यहोशू ने पर्वतीय क्षेत्र से, हेब्रोन, दबीर, अनाब तथा यहूदिया के समस्त पर्वतीय क्षेत्र से अनाकियों को मार दिया. यहोशू ने उन्हें उनके नगरों सहित पूरा नाश कर दिया. \v 22 अज्जाह, गाथ तथा अशदोद के अलावा इस्राएल देश में कहीं भी अनाकी शेष न बचे. \p \v 23 इस प्रकार यहोशू ने पूरे देश पर अपना अधिकार कर लिया, जैसा कि याहवेह ने मोशेह से कहा. यहोशू ने इस्राएल को उनके गोत्रों के अनुसार बांट दिया. फिर देश में लड़ाई रुक गई. \c 12 \s1 इस्राएल द्वारा पराजित राजा \li4 \v 1 ये हैं जो राजा यरदन के पूर्व अराबाह में थे, जिनको इस्राएलियों ने मारकर उनकी भूमि ली, इन राज्यों की सीमा आरनोन घाटी से लेकर हरमोन पर्वत तक तथा पूरे यरदन घाटी तक थी: \b \li1 \v 2 सीहोन अमोरियों का राजा था, जिसका मुख्यालय हेशबोन में था. \li2 उसका शासन आरनोन घाटी से लेकर अम्मोनियों के देश के यब्बोक नदी तक फैला था. इसमें घाटी के बीच से गिलआद का आधा भाग शामिल था. \li2 \v 3 उसका शासन पूर्व अराबाह प्रदेश जो किन्‍नेरेथ झील\f + \fr 12:3 \fr*\fq किन्‍नेरेथ झील \fq*\ft यानी \ft*\fqa गलील झील\fqa*\f* से अराबाह सागर\f + \fr 12:3 \fr*\fq अराबाह सागर \fq*\ft यानी \ft*\fqa मृत सागर\fqa*\f* तक, और पूर्व में बेथ-यशिमोथ तक तथा, दक्षिण में पिसगाह की ढलानों की तराई तक फैला था. \li1 \v 4 ओग बाशान का राजा जो रेफाइम में बचे हुए लोगों में से एक था. वह अश्तारोथ तथा एद्रेइ से शासन करता था. \li2 \v 5 उसके शासन का क्षेत्र हरमोन पर्वत, सलेकाह, गेशूरियों तथा माकाहथियों की सीमा तक पूरा बाशान तथा गिलआद का आधा क्षेत्र था, जो हेशबोन के राजा सीहोन की सीमा तक फैला था. \b \li4 \v 6 मोशेह, याहवेह के सेवक तथा इस्राएल वंश ने उन्हें हरा दिया तथा याहवेह के सेवक, मोशेह ने ये क्षेत्र रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र को निज भाग में दे दिया. \b \p \v 7 यरदन के पश्चिम में जो ज़मीन है, वो लबानोन घाटी में, बाल-गाद से लेकर सेईर में हालाक पर्वत तक के देश हैं, जिनके राजाओं को यहोशू एवं इस्राएलियों ने मार दिया था, और यहोशू ने उस भाग को इस्राएली गोत्रों में बाट दिया. \v 8 इस भाग में पर्वतीय क्षेत्र, तराइयां, अराबाह, ढलानें, निर्जन प्रदेश तथा नेगेव और इस क्षेत्र के मूल निवासी हित्ती, अमोरी, कनानी, परिज्ज़ी, हिव्वी तथा यबूसी: \b \li4 मारे गये राजा ये थे: \b \tr \tc1 \v 9 येरीख़ो का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 बेथेल का निकटवर्ती अय का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 10 येरूशलेम का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 हेब्रोन का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 11 यरमूथ का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 लाकीश का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 12 एगलोन का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 गेज़ेर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 13 दबीर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 गेदेर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 14 होरमाह का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 अराद का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 15 लिबनाह का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 अदुल्लाम का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 16 मक्‍केदा का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 बेथेल का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 17 तप्पूआह का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 हेफेर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 18 अफेक का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 शारोन\f + \fr 12:18 \fr*\fq शारोन \fq*\ft या \ft*\fqa लशारोन\fqa*\f* का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 19 मादोन का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 हाज़ोर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 20 शिमरोन-मरोन का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 अकशाफ का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 21 तानख का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 मगिद्दो का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 22 केदेश का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 कर्मेल के योकनआम का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 23 नाफ़ात-दोर में दोर का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 गिलगाल में गोयिम का राजा \tcr2 एक \tr \tc1 \v 24 तथा तिरज़ाह के राजा \tcr2 एक \b \tr \tc1 \tcr2 ये पूरे एकतीस राजा थे. \c 13 \s1 कुलों में कनान का विभाजन \p \v 1 जब यहोशू बहुत बूढ़े हो चुके थे, तब याहवेह ने उनसे यह कहा: “तुम बूढ़े हो चुके हो, और भूमि का एक बड़ा अंश अब भी तुम्हारें अधिकार में नहीं आया हैं. \b \li4 \v 2 “वह देश जो रह गए है: \b \li1 “फिलिस्तीनियों की समस्त भूमि तथा गेशूरियों का देश; \v 3 मिस्र के पूर्व में स्थित शीहोर से लेकर उत्तर में एक्रोन की सीमा तक, जो कनान देश माना जाता था, हालांकि यह प्रदेश फिलिस्तीनियों के पांच शासकों के कब्जे में था. उनके नगर थे: गाज़ा, अशदोद, अश्कलोन, गाथ, \li1 एक्रोन; तथा दक्षिण में अव्वी, \v 4 कनानियों का पूरा देश तथा मेआराह, \li1 जो सीदोनियों का राज्य था, यह अमोरियों के अफेक की सीमा तक फैला था; \li1 \v 5 गिबलियों का देश लबानोन, \li1 बाल-गाद से नीचे की ओर हरमोन पर्वत से लेकर लबो-हामाथ तक. \b \p \v 6 “मैं इस्राएलियों के सामने से लबानोन के पर्वतीय क्षेत्र के पूरे निवासियों को, जो मिसरेफोत-मयिम तक बसे हैं, सीदोनियों को, सबको भगा दूंगा. और मेरे कहे अनुसार यह देश इस्राएलियों को मीरास में दिया जायेगा, \v 7 और यह देश नौ गोत्रों तथा मनश्शेह के आधा गोत्र को दे मीरास में दिया जाएगा.” \s1 यरदन के पूर्व की सीमाएं \li4 \v 8 मनश्शेह के आधा गोत्र के साथ रियूबेन तथा गाद के गोत्रों ने यरदन के पूर्व में मोशेह द्वारा अपना हिस्सा ले लिया, ठीक जैसा याहवेह के सेवक मोशेह ने उन्हें दिया था: \li1 \v 9 आरनोन घाटी की सीमा तक अरोअर से तथा उस नगर से, जो घाटी के बीच में है, तथा मेदेबा से लेकर दीबोन तथा पूरे पठार तक; \v 10 अमोरियों का राजा, जो हेशबोन में शासन करता था, अम्मोन की सीमा तक उसके सब नगर; \li1 \v 11 गिलआद, गेशूरियों तथा माकाहथियों का पूरा देश; पूरा हरमोन पर्वत तथा सलेकाह तक पूरा बाशान; \v 12 बाशान में ओग का, जो अश्तारोथ तथा एद्रेइ में राज करता था और रेफाइम में केवल वही बच गया था; क्योंकि मोशेह ने उनको मारकर उनकी प्रजा को देश से निकाल दिया था. \v 13 लेकिन इस्राएल वंश ने गेशूरियों अथवा माकाहथियों को देश से बाहर नहीं निकाला था. आज तक वे इस्राएलियों के बीच ही रह रहे हैं. \b \li1 \v 14 मोशेह ने केवल लेवी के गोत्र को कोई हिस्सा नहीं दिया. इस्राएल के परमेश्वर याहवेह के आदेश के अनुसार, उनके लिए चढ़ाये जानेवाली अन्‍नबलि ही उनका हिस्सा हैं. \b \li4 \v 15 मोशेह ने रियूबेन गोत्र को उनके कुलों के अनुसार हिस्सा दिया: \li1 \v 16 अर्थात् आरनोन कि घाटी की सीमा से लगे हुए अरोअर, जिसमें वह नगर भी है, और जो घाटी के बीच में है, उसमें मेदेबा का पूरा मैदान शामिल है; \v 17 हेशबोन तथा मैदानी क्षेत्र के नगर ये हैं: दीबोन, बामोथ-बाल तथा बेथ-बाल-मेओन, \v 18 यहत्स, केदेमोथ तथा मेफाअथ \v 19 किरयथाईम, सिबमाह, ज़ेरेथ-शहर, जो घाटी की पहाड़ी पर है, \v 20 बेथ-पिओर, पिसगाह की ढलान, बेथ-यशिमोथ, \v 21 मैदान में स्थित सभी नगर, हेशबोन में अमोरियों का राजा सीहोन जिसको मोशेह ने मारा था उसके सब नगर; मोशेह ने मिदियानी प्रधान एवी, रेकेम, ज़ुर, हूर तथा रेबा को भी पराजित किये थे. \v 22 इस्राएलियों ने बेओर के पुत्र बिलआम को भी, जो भविष्य बताया करता था, सबके साथ तलवार से मार दिया. \li4 \v 23 रियूबेन वंशजों के लिए यरदन नदी सीमा थी. रियूबेन के पुत्रों तथा उनके परिवारों के अनुसार यही नगर तथा गांव उनका हिस्सा था. \b \li4 \v 24 मोशेह ने गाद के गोत्र को उनके परिवारों के अनुसार हिस्सा दिया; \li1 \v 25 तथा उनकी सीमा में याज़र तथा गिलआद के सभी नगर तथा अरोअर तक अम्मोनियों का आधा देश, जो रब्बाह के पूर्व में है, \v 26 तथा हेशबोन से रामथ-मिज़पाह, बटोनीम और माहानाईम से दबीर की सीमा तक; \v 27 तथा बेथ-हाराम की घाटी में बेथ-निमराह, सुक्कोथ तथा ज़ेफोन, हेशबोन के राजा सीहोन का बचा हुआ राज्य, जिसकी सीमा यरदन नदी थी तथा पूर्व में यरदन के किन्‍नेरेथ सागर के सीमा तक. \li4 \v 28 गाद के पुत्रों को, उनके गोत्रों के अनुसार दिया गया हिस्सा नगर एवं गांव यही थे. \b \li4 \v 29 मोशेह ने मनश्शेह के आधे गोत्र को यह भाग उनके परिवारों के अनुसार दिया: \li1 \v 30 उनकी सीमा माहानाईम से लेकर बाशान के राजा, ओग का पूरा राज्य, याईर का पूरा नगर, जो बाशान में, साठ नगर; \v 31 गिलआद का आधा भाग, अश्तारोथ तथा एद्रेइ (बाशान में ओग राजा के नगर थे ये). \li4 ये सभी मनश्शेह के पुत्र माखीर वंश को उनके परिवारों के अनुसार बांट दिया गया. \b \li4 \v 32 ये येरीख़ो के पूर्व में यरदन के पार, मोआब के मैदानों में मोशेह द्वारा बांटी गई थी. \v 33 लेवी के गोत्र को मोशेह ने कोई हिस्सा नहीं दिया. मोशेह ने उन्हें बताया कि, याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ही उनका हिस्सा हैं, जैसा याहवेह ने उनसे कहा था. \c 14 \s1 यरदन के पश्चिम की मीरास \p \v 1 पुरोहित एलिएज़र तथा नून के पुत्र यहोशू तथा इस्राएल के परिवारों के मुखियों द्वारा कनान देश में इस्राएलियों को दिया गया हिस्सा इस प्रकार है. \v 2 उनके भाग के लिए चिट्ठी डालकर, नाम चुनकर मीरास का निर्णय लिया गया. साढ़े नौ गोत्रों के संबंध में याहवेह ने मोशेह को यही आदेश दिया था. \v 3 मोशेह तो ढाई गोत्रों को यरदन के पार हिस्सा दे चुके थे. उनके साथ मोशेह ने लेवी गोत्र को कोई भी हिस्सा नहीं दिया, \v 4 क्योंकि योसेफ़ के दो गोत्र थे; मनश्शेह तथा एफ्राईम. इस देश में लेवी के वंश को कोई भी हिस्सा नहीं दिया गया था. उन्हें केवल रहने के लिए ही जगह दी गई थी. उनके चराइयां एवं उनके पशु ही उनकी संपत्ति थी. \v 5 इस विषय में इस्राएल वंश ने ठीक वही किया जैसा याहवेह द्वारा मोशेह को आदेश दिया गया था. \s1 कालेब की सीमा \p \v 6 जब गिलगाल में यहूदाह गोत्र के लोग यहोशू के पास आए, और कनिज्ज़ी येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ने यहोशू से आग्रह किया, “कादेश-बरनेअ में परमेश्वर के दास मोशेह से आपके तथा मेरे संबंध में की गई याहवेह की प्रतिज्ञा आपको मालूम है. \v 7 जब याहवेह के सेवक मोशेह ने मुझे कादेश-बरनेअ से इस देश की जानकारी लेने भेजा था, तब मेरी आयु चालीस वर्ष की थी. और मैं उनके लिए सही सूचना लाया. \v 8 फिर भी उन लोगों ने, जो मेरे साथ वहां आये थे उनको डरा दिया; किंतु मैंने याहवेह अपने परमेश्वर की बात को पूरा किया. \v 9 तब उस दिन मोशेह ने यह कहते हुए शपथ ली: ‘निश्चय जिस भूमि पर तुम्हारे पांव पड़े हैं, हमेशा के लिए तुम्हारे तथा तुम्हारे बच्चों के लिए हो जाएंगे, क्योंकि तुमने पूरे मन से याहवेह, मेरे परमेश्वर की इच्छा अनुसार काम किया है.’\f + \fr 14:9 \fr*\ft \+xt व्यव 1:36\+xt*\ft*\f* \p \v 10 “जब इस्राएली मरुभूमि में भटक रहे थे, तब याहवेह ने मोशेह को इस बारे में बताया था कि, अपने वायदे के अनुसार याहवेह ने मुझे पैंतालीस वर्ष जीवित रखा है. आज मेरी उम्र पचासी वर्ष की हो चुकी है. \v 11 मुझमें आज भी वैसा ही बल है, जैसा उस समय था, जब मोशेह ने मुझे वहां भेजा था. युद्ध के लिए मुझमें जैसा बल उस समय था, आज भी उतनी ही ताकत है. \v 12 तब मुझे याहवेह के उस दिन दिए गए वचन के अनुसार यह देश दे दीजिए, क्योंकि आपको मालूम था कि वहां अनाकियों के लोग रहते थे. यह बहुत बड़ा भी हैं. यदि याहवेह मेरे साथ रहेंगे तो मैं उनकी प्रतिज्ञा के अनुसार उन अनाकियों को निकाल भगाऊंगा.” \p \v 13 यहोशू ने येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब के लिए आशीष की बातें कहीं और उसे हिस्से में हेब्रोन दे दिया. \v 14 इस प्रकार आज तक हेब्रोन येफुन्‍नेह कालेब का भाग है, क्योंकि उसने पूरे मन से याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर को माना था. \v 15 हेब्रोन इससे पहले किरयथ-अरबा के नाम से जाना जाता था, क्योंकि अनाकियों में सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति का नाम अरबा था. \p इसके बाद सारे देश में लड़ाई की स्थिति थम गई. \c 15 \s1 यहूदिया की सीमा \li4 \v 1 यहूदाह गोत्र को उनके परिवारों के अनुसार बंटवारे में एदोम की सीमा मिली, जो ज़िन के वन के निर्जन प्रदेश में दक्षिण दिशा की ओर है. \b \li1 \v 2 उनकी दक्षिण सीमा लवण-सागर के दक्षिण छोर से, उस खाड़ी से, जो दक्षिण की ओर मुड़ती है; \v 3 और यह अक्रब्बीम चढ़ाई की ओर होती हुई ज़िन की ओर बढ़ जाती है, फिर कादेश-बरनेअ के दक्षिण से बढ़ते हुए हेज़रोन पहुंचती है, और अद्दार की ओर से कारका की ओर बढ़ जाती है. \v 4 यह आज़मोन की ओर से मिस्र की सरिता की ओर बढ़ती है तथा समुद्र में जाकर मिल जाती है; यह दक्षिण सीमा में थी. \li1 \v 5 यरदन के मुहाने तक लवण-सागर पूर्वी सीमा थी; \li1 और उत्तरी सीमा समुद्र की खाड़ी से थी, जो यरदन के मुहाने पर है. \v 6 फिर सीमा उत्तर दिशा से बढ़कर बेथ-होगलाह तक और उत्तर में बेथ-अराबाह से आगे बढ़ते हुए रियूबेन के पुत्र बोहन की शिला तक पहुंची. \v 7 सीमा फिर आकोर की घाटी से दबीर तक बढ़ी, और उत्तर में गिलगाल की ओर मुड़ गई, जो अदुम्मीम की चढ़ाई के पास, घाटी के दक्षिण में है. यह सीमा आगे बढ़ते हुए एन-शेमेश के सीमा तक पहुंचकर एन-रोगेल पर खत्म हो गई. \v 8 इसके बाद यह सीमा बेन-हिन्‍नोम की घाटी के यबूसी ढाल तक पहुंची, जो दक्षिण दिशा में अर्थात् येरूशलेम में हे, और यह सीमा पश्चिम में हिन्‍नोम की घाटी के पास पर्वत के शिखर तक पहुंची. जो हिन्‍नोम की घाटी के पश्चिमी में है, जो उत्तर की ओर रेफाइम की घाटी के अंतिम छोर पर है. \v 9 पर्वत शिखर से सीमा आगे बढ़कर नेफतोआह के झरने की ओर मुड़कर एफ्रोन पर्वत के नगरों की ओर बढ़ जाती है, तत्पश्चात सीमा बालाह अर्थात् किरयथ-यआरीम की ओर मुड़ जाती है. \v 10 फिर सीमा बालाह से पश्चिम दिशा में सेईर पर्वत की ओर मुड़ जाती है, और आगे बढ़ते हुए उत्तर में यआरीम पर्वत के अर्थात् कसालोन के ढाल पर पहुंचती है और आगे बेथ-शेमेश में जो तिमनाह पहुंचती है. \v 11 तब सीमा एक्रोन के उत्तर की ओर बढ़कर शिक्‍केरोन की ओर जाती है और बालाह पर्वत की ओर से यबनेएल समुद्र पर जाकर समाप्‍त हुई. \li1 \v 12 पश्चिमी सीमा भूमध्य सागर थी. \b \li4 जो यहूदाह गोत्रजों के लिए उनके परिवारों के अनुसार दिया गया उसकी यही सीमा थी. \b \p \v 13 यहोशू ने येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब को यहूदाह गोत्र के बीच एक भाग दिया. याहवेह की ओर से यहोशू को यही आदेश मिला था कि कालेब को किरयथ-अरबा अर्थात् हेब्रोन दिया जाए. (अरबा अनाक के पूर्व-पिता का नाम था.) \v 14 कालेब ने अनाक के तीन पुत्रों; शेशाइ, अहीमान तथा तालमाई को वहां से निकाल दिया, \v 15 फिर कालेब ने दबीर वासियों पर हमला किया. दबीर का पुराना नाम किरयथ-सेफेर था. \v 16 कालेब ने घोषणा की, “जो कोई किरयथ-सेफेर पर आक्रमण करके उसे अपने अधीन कर लेगा, मैं उसका विवाह अपनी पुत्री अक्सा से कर दूंगा!” \v 17 कालेब के भाई केनज़ के पुत्र ओथनीएल ने किरयथ-सेफेर को अधीन कर लिया, तब कालेब ने उसे अपनी पुत्री अक्सा उसकी पत्नी होने के लिए दे दी. \p \v 18 विवाह होने के बाद जब अक्सा अपने पति से बात कर रही थी, उसने उसे अपने पिता से एक खेत मांगने के लिए कहा. जब वह अपने गधे पर से उतर गई, तब कालेब ने उससे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिए?” \p \v 19 उसने उत्तर दिया, “मुझे आपके आशीर्वाद की ज़रूरत है. जैसे आप मुझे नेगेव क्षेत्र दे ही चुके हैं, और यदि हो सके तो मुझे जल के सोते भी दे दीजिए.” तब कालेब ने उसे ऊपर का सोता, नीचे का सोता दोनों दे दिया. \b \li4 \v 20 यहूदाह गोत्र के कुलों का उनके परिवारों के अनुसार जो बंटवारा किया वे ये हैं: \b \li1 \v 21 दक्षिण में एदोम की सीमा से लगे प्रदेश में यहूदाह गोत्र के कुलों को दिये गये नगर थे: \li2 कबज़ीएल, एदर तथा यागूर, \v 22 कीनाह, दीमोनाह, अदआदाह, \v 23 केदेश, हाज़ोर, यिथनान, \v 24 ज़ीफ़, तेलेम, बालोथ, \v 25 हाज़ोर हदत्ताह, केरिओथ-हेज़रोन अर्थात् हाज़ेर, \v 26 अमाम, शेमा, मोलादाह, \v 27 हाज़र-गद्दाह, हेशमोन, बेथ-पेलेट, \v 28 हाज़र-शूआल, बेअरशेबा, बिज़योथयाह, \v 29 बालाह, इय्यीम, एज़ेम, \v 30 एलतोलद, कसील, होरमाह, \v 31 ज़िकलाग, मदमन्‍नाह, सनसन्‍नाह, \v 32 लबाओथ, शिलहीम, एइन तथा रिम्मोन; उनके गांवों सहित कुल उनतीस नगर. \li1 \v 33 पश्चिम तलहटी में: \li2 एशताओल, ज़ोराह, अशनाह, \v 34 ज़ानोहा, एन-गन्‍नीम, तप्पूआह, एनाम, \v 35 यरमूथ, अदुल्लाम, सोकोह, अज़ेका, \v 36 शअरयिम, अदीथयिम, गदेरा तथा गदेरोथायिम और उनके गांवों के साथ चौदह नगर. \li2 \v 37 सेनान, हदाशा, मिगदल-गाद, \v 38 दिलआन, मिज़पाह, योकथएल, \v 39 लाकीश, बोत्सकथ, एगलोन, \v 40 कब्बोन, लहमास, किथलीश, \v 41 गदेरोथ, बेथ-दागोन, नामाह तथा मक्‍केदा; गांवों सहित सोलह नगर. \li2 \v 42 लिबनाह, एतेर, आशान, \v 43 यिफ्ताह, अशनाह, नज़ीब, \v 44 काइलाह, अकज़ीब तथा मारेशाह और गांवों सहित नौ नगर. \li2 \v 45 एक्रोन इसके गांवों तथा नगरों सहित; \v 46 एक्रोन से लेकर समुद्र तक, अपने-अपने गांवों के साथ, जितने नगर अशदोद की ओर है; \v 47 अशदोद तथा उसके समस्त गांवों का क्षेत्र; मिस्र की सरिता, भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्र से लेकर गांवों सहित अशदोद के नगर; गांवों सहित अज्जाह एवं उसके नगर. \li1 \v 48 पर्वतीय क्षेत्र में: \li2 शामीर, यत्तिर, सोकोह, \v 49 दन्‍नाह, किरयथ-सन्‍नाह अर्थात् दबीर, \v 50 अनाब, एशतमोह, अनीम, \v 51 गोशेन, होलोन तथा गिलोह; गांवों सहित ग्यारह नगर. \li2 \v 52 अरब, दूमाह, एशआन, \v 53 यानूम, बेथ-तप्पूआह, अफेकाह, \v 54 हूमटा, किरयथ-अरबा अर्थात् हेब्रोन तथा ज़ीओर; गांवों सहित नौ नगर. \li2 \v 55 माओन, कर्मेल, ज़ीफ़, युताह, \v 56 येज़्रील, योकदआम, ज़ानोहा, \v 57 कयीन, गिबियाह तथा तिमनाह; इनके गांवों सहित दस नगर. \li2 \v 58 हलहूल, बेथ-त्सूर, गेदोर, \v 59 माराथ, बेथ-अनोथ, एलतेकोन; इनके गांवों सहित छः नगर. \li2 \v 60 किरयथ-बाल अर्थात् किरयथ-यआरीम तथा रब्बाह, इनके गांवों सहित दो नगर. \li1 \v 61 निर्जन प्रदेश में: \li2 बेथ-अराबाह, मिद्दीन, सकाकाह, \v 62 निबशान, लवण का नगर तथा एन-गेदी; इनके गांवों सहित छः नगर जो. \b \p \v 63 यहूदाह गोत्रज येरूशलेम के ही रहनेवाले यबूसियों को निकाल न सके. इस कारण यबूसी अब तक यहूदाह गोत्रजों के साथ हैं. \c 16 \s1 एफ्राईम और मनश्शेह की सीमा \li1 \v 1 योसेफ़ को येरीख़ो नगर के पास यरदन नदी से लेकर येरीख़ो के जल के सोते तक और पूर्व में निर्जन प्रदेश तक भूमि दी गई जो येरीख़ो से लेकर पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए बेथेल तक थी. \v 2 यह सीमा बेथेल से लूज़ तक थी और आगे बढ़ते हुए अटारोथ के अर्कीयों की सीमा तक थी. \v 3 यह पश्चिम से होते हुए यफलेतियों की सीमा से आगे बढ़ते हुए बेथ-होरोन तथा गेज़ेर से होती हुई भूमध्य-सागर तट पर खत्म होती है. \b \li4 \v 4 इस प्रकार योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह तथा एफ्राईम को उनका हिस्सा मिला. \b \b \li4 \v 5 उनके परिवारों के अनुसार एफ्राईम वंश के मीरास की सीमाएं इस प्रकार थी: \b \li1 पूर्व में उनकी सीमा अटारोथ-अद्दार से लेकर उच्चतर बेथ-होरोन तक थी. \v 6 यह सीमा पश्चिम की ओर बढ़ती गई: जो उत्तर में मिकमथाथ, फिर पूर्व में तानथ-शिलोह की ओर मुड़ गई, फिर बढ़ते हुए यानोहा में जा पहुंची. \v 7 यानोहा से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए अटारोथ और नाराह पहुंचकर येरीख़ो पहुंच गई और वहां से निकलकर यरदन पर खत्म हुई. \v 8 फिर तप्पूआह से यह सीमा पश्चिम में कानाह नदी की और बढ़ जाती है और भूमध्य-सागर पर जाकर मिल जाती है. एफ्राईम गोत्र के परिवारों के अनुसार उनका हिस्सा यही है, \li1 \v 9 इसके अलावा कुछ ऐसे गांव एवं नगर भी हैं, जो मनश्शेह की विरासत की सीमा के अंदर थे, जो एफ्राईम वंश को दे दिए गए थे. \b \p \v 10 लेकिन उन्होंने उन कनानियों को बाहर नहीं निकाला, जो गेज़ेर में रह रहे थे. तब आज तक कनानी एफ्राईम वंश के बीच दास बनकर रह रहे हैं. \c 17 \p \v 1 फिर मनश्शेह के गोत्र के लिए भूमि का बंटवारा किया गया. मनश्शेह के बड़े बेटे माखीर को गिलआद तथा बाशान नामक स्थान दिया गया, क्योंकि वह एक योद्धा था. \v 2 तब मनश्शेह के शेष पुत्रों के लिए उनके परिवारों के अनुसार भूमि बांटी गई: अबीएज़ेर, हेलेक, अस्रीएल, शेकेम, हेफेर तथा शेमीदा के पुत्रों के लिए; ये सभी उनके परिवारों के अनुसार योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह के पुरुष वंशज थे. \p \v 3 हेफेर, जो गिलआद का बेटा माखीर का पोता और मनश्शेह का परपोता था, उसके पुत्र ज़लोफेहाद का कोई पुत्र न था—केवल बेटियां ही थी. उसकी पुत्रियों के नाम: महलाह, नोआ, होगलाह, मिलकाह तथा तिरज़ाह है. \v 4 ये सभी, पुरोहित एलिएज़र, नून के पुत्र यहोशू तथा प्रधानों के पास गईं तथा उनसे निवेदन किया, “याहवेह की ओर से मोशेह को यह कहा गया था कि वह हमें हमारे भाई-बंधुओं के साथ हमारा हिस्सा दे.” तब उन्होंने याहवेह के कहे अनुसार उन्हें उनके पिता के भाइयों के बीच हिस्सा दे दिया. \v 5 इसके अलावा गिलआद तथा बाशान मनश्शेह के हिस्से में दस अंश आए. यह यरदन के पार हैं, \v 6 तथा मनश्शेह गोत्र के पुत्रों के साथ पुत्रियों को भी हिस्सा दिया. गिलआद पर अब मनश्शेह के पुत्रों का अधिकार हो गया. \b \li1 \v 7 मनश्शेह प्रदेश की सीमा आशेर से शेकेम के पूर्व में मिकमथाथ तक थी. फिर यह सीमा दक्षिण की ओर मुड़ जाती है जहां एन-तप्पूआह का नगर है. \v 8 तप्पूआह देश मनश्शेह की संपत्ति थी, किंतु मनश्शेह की सीमा पर बसा नगर तप्पूआह एफ्राईम वंश की संपत्ति थी. \v 9 तब सीमा दक्षिण में कानाह नदी की ओर बढ़ जाती है, ये नगर मनश्शेह के नगरों के बीच होने पर भी, एफ्राईम ही की संपत्ति थी. मनश्शेह की सीमा, नदी के उत्तर में थी जो भूमध्य-सागर पर जाकर खत्म होती थी. \v 10 दक्षिण हिस्सा एफ्राईम का, तथा उत्तरी हिस्सा मनश्शेह का था. इनकी सीमा समुद्र तक थी. ये उत्तर में आशेर तथा पूर्व में इस्साखार तक पहुंचती थी. \li1 \v 11 इस्साखार तथा आशेर के भूमि प्रदेश के अंदर में ही मनश्शेह को ये दिए गये: बेथ-शान तथा इसके चारों ओर के गांवों, इब्लीम तथा इसके चारों ओर के गांवों, दोर तथा इसके चारों ओर के गांवों, एन-दोर तथा इसके चारों ओर के गांवों, तानख तथा इसके चारों ओर के गांवों, मगिद्दो तथा इसके चारों ओर के गांवों. (और तीसरा नगर नाफ़ोथ था.) \b \p \v 12 मनश्शेह इन नगरों को अपने अधिकार में न कर सके, क्योंकि कनानी ज़बरदस्ती इन नगरों में रह रहे थे. \v 13 जब इस्राएल वंश बलवंत हो गए, तब उन्होंने कनानियों को मज़दूर बना दिया; उन्होंने इन्हें देश से पूरी तरह बाहर न निकाला. \p \v 14 योसेफ़ गोत्रजों ने यहोशू से कहा, “आपने क्यों एक ही बार में हमें हिस्सा दे दिया, जबकि हम वह गोत्र हैं, जिसे याहवेह ने अब तक आशीष दी है, और हमारे गोत्र की संख्या बहुत ज्यादा है.” \p \v 15 यहोशू ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि तुम्हारे गोत्र की संख्या ज्यादा है, तो अच्छा होगा कि तुम लोग पर्वतीय वन में जाकर वन को साफ़ करें और परिज्ज़ियों तथा रेफाइम के प्रदेश में अपने लिए जगह बना लें, क्योंकि तुम्हारे लिए एफ्राईम का पर्वतीय क्षेत्र बहुत छोटा है.” \p \v 16 योसेफ़ गोत्रजों ने उन्हें उत्तर दिया, “पर्वतीय क्षेत्र भी हमारे लिए पूरा न होगा तथा उन सभी के पास लोहे के रथ हैं, जो कनानी तराई-घाटी की भूमि में रहते हैं; जो बेथ-शान और चारों ओर के गांवों में तथा जो येज़्रील घाटी में हैं.” \p \v 17 यहोशू ने योसेफ़—एफ्राईम तथा मनश्शेह—गोत्रों से कहा, “तुम लोग बहुत बलवान हो. तुम लोगों का फैसला एक ही बार में न होगा. \v 18 यह पर्वतीय क्षेत्र है, तुम इसे साफ़ करो और यह पूरा तुम्हारा ही होगा; और तुम कनानियों को निकाल बाहर करोगे, यद्यपि उनके पास लोहे के रथ हैं और वे ताकतवर भी हैं.” \c 18 \s1 शेष भूभाग का विभाजन \p \v 1 फिर सब इस्राएली एक साथ शीलो में इकट्‍ठे हुए. उन्होंने वहां मिलनवाले तंबू को खड़ा किया. पूरा देश उनके वश में हो चुका था, \v 2 फिर भी इस्राएल के सात गोत्र अब भी ऐसे थे, जिन्हें उनका हिस्सा नहीं मिला था. \p \v 3 तब यहोशू ने इस्राएल वंश से कहा, “याहवेह, तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने जो भूमि तुम्हें दे दी है, उसे अधिकार में करने के लिए कब तक टालते रहोगे? \v 4 हर गोत्र से तीन-तीन व्यक्तियों को इस कार्य की जवाबदारी दें, ताकि वे जाकर इस देश को देखें और अपनी इच्छा से अपने गोत्र के लिए विरासत चुन ले, और आकर मुझे बताये. \v 5 यहूदाह गोत्र अपनी ही सीमा के दक्षिण में, तथा योसेफ़ का गोत्र उत्तर में रहेगा. \v 6 तुम देश को सात भागों में बांटकर पूरी जानकारी मुझे देना. मैं, याहवेह हमारे परमेश्वर से तुम्हारे लिए बिनती करूंगा. \v 7 तुम्हारे बीच लेवियों को कोई भाग नहीं दिया गया है, क्योंकि याहवेह की और से मिला हुआ पुरोहित पद ही उनका भाग है. रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र को पूर्व में यरदन के दूसरी ओर हिस्सा मिल चुका है, जो, याहवेह के सेवक मोशेह द्वारा उन्हें दिया गया था.” \p \v 8 तब जिनको देश का हाल लिखने के लिए चुना गया था, वे उस देश में जाकर उसका नक्शा तैयार करने जब निकले, उनके लिए यहोशू का आदेश इस प्रकार था: “तुम उस देश को अच्छी तरह देखें, और आकर मुझे बताएं; तब मैं शीलो में तुम्हारे लिए याहवेह से बिनती कर निर्णय लूंगा.” \v 9 तब वे लोग उस देश में गए और पूरे देश में घूमें, तथा नगरों के अनुसार सात भागों में इसके बारे में पुस्तक में लिखा, और वे शीलो के पड़ाव में यहोशू के पास वापस आए. \b \li4 \v 10 यहोशू ने उधर उनके लिए याहवेह से बिनती की, और इस्राएल के लिए उनके भागों के अनुसार भूमि को बांट दिया. \s1 बिन्यामिन की सीमा \li4 \v 11 भूमि का सबसे पहला हिस्सा बिन्यामिन गोत्र को मिला. उनके परिवारों की संख्या के अनुसार चिट्ठी डाली गई, उन्हें यहूदाह तथा योसेफ़ के गोत्रों के बीच की भूमि पर अधिकार दिया गया. \li1 \v 12 उत्तर दिशा में उनकी सीमा यरदन से होते हुए, येरीख़ो के उत्तरी ढाल से होकर, पर्वतीय क्षेत्र से होते हुए, पश्चिम दिशा में मिल जाती है, और बेथ-आवेन पर जाकर रुक जाती है. \v 13 वहां से लूज़ की ओर से होकर बेथेल से दक्षिण दिशा में बढ़ती है. जहां से अटारोथ-अद्दार, जो पहाड़ी के निकट है, और बेथ-होरोन के दक्षिण में है. \li1 \v 14 वहां से पश्चिम से होकर दक्षिण की ओर मुड़ जाती है, और किरयथ-बाल पर जाकर समाप्‍त होती है, जो नगर यहूदाह गोत्र के अधीन था, और पश्चिमी सीमा में है. \li1 \v 15 दक्षिण की सीमा किरयथ-यआरीम से शुरू होकर, पश्चिम दिशा से बढ़ते हुए नेफतोआह जल के सोते तक पहुंचती है. \v 16 वह सीमा बढ़ती हुई बेन-हिन्‍नोम घाटी में स्थित पहाड़ी के पास पहुंचती है, जो उत्तर में रेफाइम की घाटी में है; और हिन्‍नोम, दक्षिण में यबूसियों का ढाल है, जो एन-रोगेल की ओर बढ़ जाती है. \v 17 यह उत्तर दिशा से होती हुई एन-शेमेश से गलीलोथ पहुंचती है, जो अदुम्मीम चढ़ाई के पास है. वहां से सीमा रियूबेन के पुत्र बोहन की शिला की ओर बढ़ती है. \v 18 यह सीमा अराबाह के ढाल की ओर बढ़कर. उत्तर की ओर से होकर घाटी में पहुंचती है. \v 19 सीमा आगे बढ़कर बेथ-होगलाह की बाहरी सीमा से होती हुई, उत्तर की ओर जाती है, जो लवण-सागर की उत्तरी खाड़ी में जाकर यरदन नदी के दक्षिणी मुहाने पर मिल जाती है. \li1 \v 20 यरदन नदी इसकी पूर्वी सीमा थी. \li4 यह उनके परिवारों एवं इसकी चारों ओर की सीमा के अनुसार बिन्यामिन वंश का हिस्सा था. \b \li4 \v 21 बिन्यामिन के गोत्र तथा उनके परिवारों के अनुसार उन्हें दिये गये नगर यह थे: \li1 येरीख़ो, बेथ-होगलाह, एमेक-कत्सीत्स, \v 22 बेथ-अराबाह, सेमाराइम, बेथेल, \v 23 अव्वीम, पाराह, ओफ़राह, \v 24 कफर-अम्मोनी, ओफनी तथा गेबा; ये सभी बारह नगर, उनके गांवों सहित. \li1 \v 25 गिबयोन, रामाह, बएरोथ, \v 26 मित्सपेह, कफीराह, मोत्साह, \v 27 रेकेम, यिरपएल, थरअलाह, \v 28 त्सेलाह, एलेफ तथा यबूसी नगर, अर्थात् येरूशलेम, गिबियाह तथा किरयथ—ये चौदह नगर, उनके गांवों सहित. \li4 बिन्यामिन वंश को, उनके परिवारों के अनुसार मिला हुआ हिस्सा यह था. \c 19 \s1 शिमओन की सीमा \li4 \v 1 दूसरा पासा शिमओन गोत्र के नाम पड़ा, शिमओन वंशजों के कुलों के नाम, उनके परिवारों के अनुसार. उनकी मीरास यहूदाह गोत्रजों की मीरास के मध्य हो गई. \v 2 परिणामस्वरूप, मीरास के रूप में: \li1 उन्हें बेअरशेबा अथवा शीबा,\f + \fr 19:2 \fr*\ft \+xt 1 इति 4:28\+xt*\ft*\f* मोलादाह, \v 3 हाज़र-शूआल, बालाह, एज़ेम, \v 4 एलतोलद, बतूल, होरमाह, \v 5 ज़िकलाग, बेथ-मरकाबोथ, हाज़र-सूसाह, \v 6 बेथ-लबाओथ तथा शारूहेन; उनके गांवों सहित तेरह नगर. \li1 \v 7 एइन, रिम्मोन, एतेर तथा आशान; चार नगर उनके गांवों सहित. \v 8 इनके अतिरिक्त इन सभी नगरों के आस-पास के गांव भी, जो बालथ-बएर, नेगेव की सीमा तक फैले हुए थे. \li4 यह शिमओन गोत्र के कुलों की उनके परिवारों के अनुसार दी गयी मीरास थी. \v 9 शिमओन को दी गयी यह मीरास यहूदाह को दी गयी मीरास में से ली गई थी, क्योंकि यहूदाह को दिया गया क्षेत्र उनके लिए अत्यंत विशाल हो गया था. इस प्रकार शिमओन वंशजों ने यहूदाह की मीरास के मध्य अपनी मीरास प्राप्‍त की. \s1 ज़ेबुलून की सीमा \li4 \v 10 पासा फेंकने पर तीसरा अंश ज़ेबुलून वंशजों के लिए उनके परिवारों के अनुसार निकला. \li1 उनकी मीरास की सीमा सारीद तक जा पहुंची. \v 11 इसके बाद सीमा पश्चिम में मरालाह की दिशा में बढ़ गई, तब इसने दब्बेशेथ का स्पर्श किया और फिर सीमा योकनआम की निकटवर्ती सरिता तक पहुंची. \v 12 तब सीमा सारीद से मुड़कर पूर्व में सूर्योदय की दिशा में आगे बढ़ते हुए किसलोथ-ताबोर को स्पर्श किया. यह आगे बढ़ी और दाबरथ तथा याफिया पहुंची. \v 13 वहां से यह पूर्व में सूर्योदय की दिशा में बढ़ती चली गई और गाथ-हेफ़ेर, एथ-काज़ीन पहुंची, और रिम्मोन की ओर बढ़ गई, जो नेआह तक विस्तृत है. \v 14 यह सीमा उत्तर में हन्‍नाथोन की परिक्रमा कर यिफतह-एल की घाटी में जाकर समाप्‍त हो गई. \li1 \v 15 इसमें कट्टाथ, नहलाल, शिम्रोन, यिदअला तथा बेथलेहेम भी सम्मिलित हैं; ये बारह नगर, इनके गांवों के साथ. \li4 \v 16 ये नगर इनके गांवों के सहित ज़ेबुलून वंशजों को उनके परिवार के अनुसार प्राप्‍त मीरास थी. \s1 इस्साखार की सीमा \li4 \v 17 चौथा पासा इस्साखार के पक्ष में पड़ा-यिस्साकार के गोत्र के पक्ष में, उसके परिवारों के अनुसार. \v 18 इसकी सीमा में था: \li1 येज़्रील तथा इसमें सम्मिलित थे कसुल्लोथ, शूनेम, \v 19 हफारयिम, सियोन, अनाहरथ, \v 20 रब्बीथ, किशयोन, एबेज़, \v 21 रेमेथ, एन-गन्‍नीम, एन-हद्दाह तथा बेथ-पत्सेत्स, \li1 \v 22 सीमा ताबोर, शहत्सीमा तथा बेथ-शेमेश पहुंची और उनकी सीमा यरदन पर जा समाप्‍त हो गई; \li1 ये इनके गांवों के सहित सोलह नगर थे. \li4 \v 23 ये नगर इनके गांवों के सहित इस्साखार गोत्र को उनके परिवारों के अनुसार दी गयी मीरास थी. \s1 आशेर की सीमा \li4 \v 24 पांचवां पासा आशेर गोत्र के नाम उनके परिवारों के अनुसार पड़ा. \v 25 उनकी सीमा थी, \li1 हेलकथ, हली, बेटेन, अकशाफ, \v 26 अलम्मेलेख, अमआद तथा मिशआल; यह पश्चिम में कर्मेल तथा शीहोर-लिबनाथ तक पहुंची थी. \v 27 तब यह पूर्व की ओर बेथ-दागोन की ओर मुड़कर ज़ेबुलून पहुंच गई और वहां से यिफतह-एल घाटी को और फिर उत्तर की ओर बेथ-एमेक तथा नईएल को; वहां से यह उत्तर में काबूल \v 28 एबदोन, रेहोब, हम्मोन तथा कानाह होते हुए बढ़कर वृहत्तर सीदोन पहुंचती है. \v 29 वहां सीमा रामाह तथा गढ़नगर सोर की ओर बढ़ती है, फिर यह सीमा होसाह की ओर बढ़ती है और अंततः अकज़ीब क्षेत्र में समुद्र पर जाकर समाप्‍त हो जाती है. \v 30 तब इसमें उमाह, अफेक तथा रेहोब, \li1 भी सम्मिलित थे; बाईस नगर जिनके साथ सम्मिलित थे इनके गांव. \li4 \v 31 यह आशेर गोत्र को, उनके परिवारों के अनुसार दी गयी मीरास थी; ये नगर तथा उनके साथ इनके गांव भी. \s1 नफताली की सीमा \li4 \v 32 छठा पासा नफताली वंशजों के पक्ष में पड़ा; नफताली वंशजों के लिए उनके परिवारों के अनुसार. \li1 \v 33 उनकी सीमा प्रारंभ हुई थी हेलेफ से, सानन्‍नीम के बांज वृक्ष से अदामी-नेकेब, यबनेएल से लेकर लक्कूम तक और यरदन नदी पर जाकर समाप्‍त हो गई. \v 34 उसके बाद सीमा पश्चिम में अज़नोथ-ताबोर की ओर मुड़ गई और बढ़ते हुए वहां से हूक्कोक पहुंची. वहां से वह ज़ेबुलून की ओर बढ़ी, जो दक्षिण में है. वहां उसने पश्चिम में आशेर को स्पर्श किया तथा पूर्व में यरदन तटवर्ती यहूदिया को. \li1 \v 35 वहां ये गढ़नगर थे: ज़िद्दीम, ज़ेर, हम्माथ, रक्कथ, किन्‍नेरेथ, \v 36 अदामा, रामाह, हाज़ोर, \v 37 केदेश, एद्रेइ, एन-हाज़ेर, \v 38 यिरओन, मिगदल-एल, होरेम, बेथ-अनात तथा बेथ-शेमेश; \li1 इनके गांवों सहित ये उन्‍नीस नगर. \li4 \v 39 यह उनके परिवारों के अनुसार नफताली गोत्र को दी गयी मीरास थी; ये सभी नगर, उनके गांवों के साथ. \s1 दान की सीमा \li4 \v 40 सातवां पासा दान गोत्र के कुलों के पक्ष में उनके परिवारों के अनुसार पड़ा. \v 41 उनकी मीरास की सीमा थी: \li1 ज़ोराह तथा एशताओल, ईर-शेमेश, \v 42 शअलब्बीन, अय्जालोन, यिथला, \v 43 एलोन, तिमनाह, एक्रोन, \v 44 एलतकेह, गिब्बथोन, बालाथ, \v 45 येहुद, बेने-बरक, गथ-रिम्मोन, \v 46 मे-यरकोन अर्थात् यरकोन की जल राशि, रक्कोन तथा योप्पा से लगी हुई सीमा. \li4 \v 47 (दान के वंशजों की सीमा इनके भी आगे गई है; क्योंकि दान वंशजों ने लेशेम पर आक्रमण किया और उसे अधीन कर लिया. तत्पश्चात उन्होंने उस पर तलवार का प्रहार किया, उन पर अधिकार कर वे उसमें बस गए और उसे अपने पूर्वज के नाम के आधार पर लेशेम-दान नाम दिया.) \li4 \v 48 ये नगर उनके गांवों के साथ दान के गोत्र की, उनके परिवारों के अनुसार उनकी मीरास हो गए. \s1 यहोशू की सीमा \li1 \v 49 जब मीरास के लिए सीमा के अनुसार बंटवारे की प्रक्रिया पूर्ण हो गई, इस्राएल वंशजों ने नून के पुत्र यहोशू को अपने मध्य एक मीरास प्रदान की. \v 50 याहवेह के आदेश के अनुसार उन्होंने यहोशू को वही नगर प्रदान किया, जिसकी उन्होंने याचना की थी—एफ्राईम के पर्वतीय प्रदेश में तिमनथ-सेरह\f + \fr 19:50 \fr*\ft दूसरा नाम तिमनथ-हेरेस (\+xt प्रशा 2:9\+xt* देखिये)\ft*\f*. यहोशू ने इस नगर का निर्माण किया और वहीं बस गए. \b \li4 \v 51 ये ही हैं वे क्षेत्र, जो पुरोहित एलिएज़र, नून के पुत्र यहोशू तथा इस्राएल वंशजों के गोत्रों के परिवारों के प्रधानों ने शीलो में याहवेह के समक्ष मिलनवाले तंबू के प्रवेश पर आवंटित की. इस प्रकार समस्त भूमि का विभाजन सम्पन्‍न हो गया. \c 20 \s1 शरण के शहर \p \v 1 फिर याहवेह ने यहोशू से कहा: \v 2 “इस्राएल वंश से कहो, कि मैंने मोशेह के द्वारा जैसा तुमसे कहा था, कि अपने लिए शरण के शहर बनाओ, \v 3 ताकि यदि किसी व्यक्ति से अनजाने में किसी की हत्या हो जाए, तब विरोधियों से अपने आपको बचाने के लिए उस शरण के शहर में जाकर छिप सके. \v 4 वो व्यक्ति अपनी भूल-चूक को बुजुर्गों को बताए और वे उसे नगर के अंदर ले लें, और उसे ठहरने को जगह दे, ताकि वह उनके साथ रहने लगे. \v 5 यदि हत्या का विरोधी उसका पीछा करता है, तो वे उस व्यक्ति को विरोधी के हाथ में न छोड़े, क्योंकि उससे यह हत्या जानबूझकर नहीं हुई है, और न उनके बीच कोई दुश्मनी थी. \v 6 हत्यारा उस नगर में तब तक रह सकता है, जब तक वह सभा में न्याय के लिए खड़ा न हो जाए, या जब तक उस समय के महापुरोहित की मृत्यु न हो जाए. उसके बाद ही वह हत्यारा अपने घर जा सकता है.” \p \v 7 इसके लिए उन्होंने नफताली के पर्वतीय प्रदेश के गलील में केदेश, एफ्राईम के पर्वतीय प्रदेश में शेकेम तथा यहूदिया के पर्वतीय प्रदेश में किरयथ-अरबा, अर्थात् हेब्रोन को शरण के शहर निश्चित किया. \v 8 और यरदन के पार येरीख़ो के पूर्व में रियूबेन के गोत्र के मैदानी निर्जन प्रदेश में बेज़र, गाद के गोत्र के गिलआद के रामोथ तथा मनश्शेह गोत्र के बाशान के गोलान भी चुने गये. \v 9 ये सभी नगर उन इस्राएली तथा विदेशी लोगों के लिए हैं, जिनसे अनजाने में किसी की हत्या हो जाती है, वह यहां आ जाए और सुरक्षित रहें ताकि विरोधी उसको मार न सके, जब तक सभा के सामने खूनी को नहीं लाया जाता तब तक वह व्यक्ति शरण शहर में ही रह सकता है! \c 21 \s1 लेवियों के लिए नगर \p \v 1 लेवी परिवारों के प्रमुख पुरोहित एलिएज़र, नून के पुत्र यहोशू तथा इस्राएली गोत्रों के मुखियों के पास गए. \v 2 कनान देश के शीलो में उन्होंने उनसे यह बात कही, “मोशेह के द्वारा याहवेह ने हमसे कहा कि हमें हमारे निवास के लिए नगर दिया जाएगा. और इन नगरों के आस-पास हमारे पशुओं को चराने की जगह भी होगी.” \b \li4 \v 3 तब इस्राएल वंश ने याहवेह के आदेश के अनुसार लेवियों को अपने हिस्से में से नगर दिये, जिनके आस-पास की चरागाह की भूमि भी थी. \b \li1 \v 4 पहला नाम कोहाथ के परिवारों का आया, जो अहरोन वंश के लेवियों में से थे. यहूदाह, शिमओन तथा बिन्यामिन गोत्र को बांटी गई भूमि में से तेरह नगर उन्हें मिले. \li1 \v 5 कोहाथ के कुछ लोगों को एफ्राईम, दान तथा मनश्शेह के आधे गोत्र की भूमि में से दस नगर मिले. \li1 \v 6 गेरशोन वंश को इस्साखार, आशेर, नफताली गोत्रों की भूमि में से, तथा बाशान में मनश्शेह के आधे गोत्र की भूमि में से, कुल तेरह नगर मिले. \li1 \v 7 मेरारी वंश को उनके परिवारों के अनुसार रियूबेन, गाद तथा ज़ेबुलून के गोत्रों से बारह नगर मिले. \b \li4 \v 8 इस्राएलियों ने लेवियों को पशु चराने के लिए भी नगर दिए, जैसा मोशेह को याहवेह का आदेश था. \b \li1 \v 9 उन्होंने कुछ नगर यहूदाह तथा शिमओन गोत्र के कुलों को दिए: \v 10 ये अहरोन वंश, जो कोहाथियों के परिवारों में से लेवी वंश के थे, पहला नाम उन्हीं का आया था. \li2 \v 11 तब उन्होंने उन्हें यहूदिया के पर्वतीय प्रदेश में उनके आस-पास के जगह चरागाह सहित किरयथ-अरबा नगर दे दिया—अरबा नामक व्यक्ति अनाक अर्थात् हेब्रोन का पिता था. \v 12 परंतु नगर के खेत तथा इसके गांव उन्होंने येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब को दे दिए, कि ये उनकी अपनी भूमि हो. \v 13 उन्होंने अहरोन के वंशजों को ये नगर दिए: हेब्रोन (जो शरण शहर था), और लिबनाह, \v 14 यत्तिर, एशतमोह, \v 15 होलोन, दबीर, \v 16 एइन, युताह और बेथ-शेमेश को उनके चराइयों के साथ ये नगर भी दे दिए गए इस प्रकार दो गोत्रों के हिस्से में से यह नौ नगर दिए गए, \li1 \v 17 बिन्यामिन गोत्र से: \li2 गिबयोन, गेबा, \v 18 अनाथोथ आलमोन को चराइयों सहित चार नगर दिये गए. \li4 \v 19 इस प्रकार अहरोन वंश के पुरोहितों के लिए कुल तेरह नगर उनके चराइयों सहित अलग कर दिए गए. \b \li4 \v 20 तब कोहाथ वंश को, जो लेवी थे, तथा कोहाथ के बचे हुए पुरोहितों को एफ्राईम गोत्र से नगर दिये: \li1 \v 21 उन्होंने इन्हें एफ्राईम के पर्वतीय प्रदेश से \li2 शेकेम (जो मनुष्य के हत्यारे के लिए ठहराए शरण शहर) और गेज़ेर \v 22 किबज़यिम तथा बेथ-होरोन और इसके चराइयों के साथ; चार नगर दिये. \li1 \v 23 दान के गोत्र से: \li2 एलतके, गिब्बथोन, \v 24 अय्जालोन गथ-रिम्मोन; उनके चराइयों के साथ चार नगर दिये. \li1 \v 25 मनश्शेह के आधे गोत्र में से: \li2 उन्होंने उन्हें तानख और गथ-रिम्मोन; उनके चराइयों के साथ, दो नगर दिये. \li4 \v 26 कोहाथ वंश के बचे हुए परिवारों को दस नगर चराइयों सहित दिए गए. \b \li4 \v 27 गेरशोन वंश को, जो लेवी गोत्र से थे: \li1 मनश्शेह के आधे गोत्र में से \li2 बाशान का गोलान (जो हत्यारे के लिए निश्चित शरण शहर था) और उसके चराइयों सहित, बएशतरा उसके चराइयों सहित, दो नगर दिए. \li1 \v 28 इस्साखार के गोत्र में से: \li2 किशयोन, दाबरथ, \v 29 यरमूथ और एन-गन्‍नीम उसके चराइयों सहित; चार नगर दिये. \li1 \v 30 आशेर के गोत्र से: \li2 मिशआल, अबदोन, \v 31 हेलकथ तथा रेहोब उनके चराइयों सहित चार नगर दिए; \li1 \v 32 नफताली गोत्र से: \li2 उन्होंने उन्हें गलील में केदेश (जो हत्यारे के लिए निश्चित शरण शहर था), हम्मोथ-दोर तथा करतान; उनके चराइयों सहित तीन नगर दिये. \li4 \v 33 उनके परिवारों के अनुसार गेरशोन वंश को कुल तेरह नगर, उनके चराइयों सहित दिये. \b \li4 \v 34 मेरारी वंश के परिवारों को, जो लेवी गोत्र से बचे हुए थे: \li1 उन्होंने ज़ेबुलून के गोत्र से: \li2 योकनआम, करता, \v 35 दिमना तथा नहलाल, सबको चराइयों सहित; चार नगर दे दिए. \li1 \v 36 रियूबेन के गोत्र से: \li2 उन्होंने उन्हें बेज़र, यहत्स, \v 37 केदेमोथ तथा मेफाअथ उनके चराइयों सहित चार नगर दिए; \li1 \v 38 गाद के गोत्र से: \li2 उन्होंने उन्हें रामोथ-गिलआद (जो हत्यारे के लिए निश्चित शरण शहर था) उसके चराई के सहित, माहानाईम, \v 39 हेशबोन तथा याज़र; उनके चराइयों सहित कुल चार नगर दिए. \li4 \v 40 ये सभी नगर उनके परिवारों के अनुसार मेरारी वंश, और बचे हुए लेवियों के हो गए. उनके हिस्से में कुल बारह नगर आए. \b \li4 \v 41 इस्राएल वंश के मध्य लेवियों के हिस्से में उनके चराइयों सहित अड़तालीस नगर आए. \v 42 इन सभी नगरों के चारों और हरियाली थी; यह इन सभी नगरों के लिए सच था. \b \p \v 43 याहवेह ने इस्राएल को वह पूरा देश दे दिया, जिसकी शपथ उन्होंने उनके पूर्वजों से की थी. \v 44 उन्होंने इस देश पर अपना अधिकार कर लिया और वे इसमें रहने लगे. याहवेह द्वारा उन्हें चारों ओर से शान्तिपूर्ण वातावरण मिला—जैसी शपथ याहवेह ने उनके पूर्वजों से की थी. कोई भी शत्रु उनके सामने ठहर न सका—याहवेह ने सभी शत्रु उनके अधीन कर दिए. \v 45 इस्राएल वंश से याहवेह द्वारा किया गया एक भी वायदा पूरा हुए बिना न रहा. सब वायदे याहवेह ने पूरे किए. \c 22 \s1 यरदन के पूर्व के कुल \p \v 1 तब यहोशू ने रियूबेन और गाद के गोत्र तथा मनश्शेह के आधे गोत्र को बुलवाया \v 2 और उनसे कहा, “याहवेह के सेवक मोशेह ने जो आज्ञाएं तुम्हें दी थीं, तुमने उन सबका पालन किया, तथा मेरी भी सब बातों को माना है. \v 3 तुमने बीते दिनों से आज तक अपने भाई-बंधुओं की बुराई नहीं की, परंतु तुमने याहवेह, अपने परमेश्वर द्वारा दिए गए आदेशों को माना है. \v 4 और अब, उनसे की गई अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे भाई-बंधुओं को शान्तिपूर्ण और आरामदायक वातावरण दिया. अब तुम अपने तंबू में जाओ, जिसका अधिकार तुम्हें दिया गया है, जो तुम्हें यरदन के पार याहवेह के सेवक मोशेह द्वारा मिला है. \v 5 तुम मोशेह द्वारा दिये आदेशों व नियमों को सावधानी से मानते रहना, और याहवेह अपने परमेश्वर से प्रेम करना, उनकी विधियों को मानना, उनके प्रति एक मन होकर रहना, तथा उनकी सेवा पूरे हृदय से करते रहना.” \p \v 6 यह कहते हुए यहोशू ने उन्हें आशीष देकर विदा किया और वे सब अपने-अपने तंबू में चले गए. \v 7 मोशेह ने मनश्शेह के आधे गोत्र को बाशान में संपत्ति दी थी, किंतु अन्य आधे गोत्र को यहोशू ने यरदन के पश्चिम में उनके बंधुओं के साथ भूमि दी थी. यहोशू ने उन्हें उनके तंबू में जाने को कहा और यहोशू ने उन्हें आशीष देकर विदा किया. \v 8 यहोशू ने कहा, “अपने-अपने तंबू में से संपत्ति एवं पशु, चांदी, सोना, कांसा, लोहा तथा वस्त्र को लेकर आओ, और अपने भाई-बंधुओं के साथ शत्रुओं से लूटी गई सामग्री बांट लो.” \p \v 9 तब रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र अपने-अपने घर को चले गये और कनान देश में शीलो पर जाकर इस्राएल वंश से अलग हो गए, और गिलआद देश की ओर बढ़ गए, जहां उनकी संपत्ति थी, जिसे उन्होंने मोशेह के द्वारा याहवेह से पाया था. \p \v 10 जब वे यरदन पहुंचे, जो कनान देश में है, रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र के लोगों ने यरदन के तट पर एक वेदी बनाई, जो बहुत बड़ी थी. \v 11 जब इस्राएलियों को यह पता चला, तो वे कहने लगे, “देखो, रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र ने कनान देश के द्वार पर एक वेदी बनाई है, जो यरदन में उस ओर है, जो इस्राएल के वंश की संपत्ति है.” \v 12 जब इस्राएल वंश ने यह सुना तब पूरा इस्राएल शीलो में उनसे युद्ध करने के इच्छा से जमा हुआ. \p \v 13 तब इस्राएल वंश ने एलिएज़र के पुत्र फिनिहास को गिलआद देश में रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के आधे गोत्र से मिलने के लिए भेजा. \v 14 उसके साथ उन्होंने दस प्रधान भी भेजे जो इस्राएल के हर गोत्र के परिवार की ओर से एक-एक था. उनमें से हर एक इस्राएल के पूर्वजों के घरानों का प्रधान था. \p \v 15 इन सबने गिलआद में रियूबेन, गाद गोत्र तथा मनश्शेह के आधे गोत्र से मिलकर उनसे कहा, \v 16 “याहवेह की पूरी प्रजा की ओर से यह संदेश है: ‘इस्राएल के परमेश्वर के प्रति तुमने गलत काम क्यों किया? तुमने उनके वचन पर चलना छोड़ दिया और तुमने अपने लिए एक वेदी बनाई है. तुमने याहवेह के विरुद्ध पाप किया है! \v 17 क्या पेओर का अपराध कम था, जिससे हम अब तक बाहर न आ सके, जिसके कारण याहवेह के लोगों में महामारी फैल गई थी; \v 18 क्या, तुम्हें भी याहवेह के पीछे चलना छोड़ना पड़ रहा है? \p “ ‘यदि आज तुम लोग याहवेह के विरुद्ध विद्रोह करोगे तो वह इस्राएल की सारी प्रजा से रुठ जाएंगे. \v 19 फिर भी, यदि तुम्हारा यह देश अशुद्ध है, तो इस देश से चले जाओ, जो याहवेह के अधीन है, जहां याहवेह की उपस्थिति है और हमारे मध्य आकर बस जाओ. बस, याहवेह हमारे परमेश्वर की वेदी के बदले अपने लिए वेदी बनाकर याहवेह तथा हमारे विरुद्ध विद्रोह मत करो. \v 20 क्या, तुम्हें याद नहीं कि ज़ेराह के पुत्र आखान ने भेंट की हुई वस्तुओं के संबंध में छल किया, और पूरे इस्राएल पर दंड आया? उसकी गलती के कारण केवल उसकी ही मृत्यु नहीं हुई.’ ” \p \v 21 यह सुन रियूबेन तथा गाद गोत्र और मनश्शेह के आधे गोत्र ने इस्राएल के परिवारों के प्रधानों को उत्तर दिया, \v 22 “सर्वशक्तिमान हैं परमेश्वर याहवेह! सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, याहवेह! वह सर्वज्ञानी हैं, और इस्राएल को भी यह मालूम हो जाए, कि यदि यह विद्रोह के उद्देश्य से किया गया है, और यदि यह याहवेह के प्रति धोखा है तो, आज आप हमें न छोड़ें! \v 23 यदि हमने इस वेदी को याहवेह से अलग होने के लिए किया है, या इसलिये कि इस पर होमबलि अन्‍नबलि अथवा मेल बलि चढ़ाएं तो, स्वयं याहवेह हमसे इसका हिसाब लें. \p \v 24 “यह करने के पीछे हमारी यह इच्छा थी: भविष्य में कहीं वह समय न आ जाए, जब आपके बच्‍चे हमारे बच्चों से कहें, ‘इस्राएल के परमेश्वर याहवेह से तुम्हारा क्या लेना देना है? \v 25 क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे तथा हमारे बीच में यरदन को एक सीमा बना दिया है. तुम, जो रियूबेन तथा गाद वंश के हो; याहवेह में तुम्हारा कोई भाग नहीं है.’ ऐसा कहकर आपकी संतान हमारी संतान को याहवेह के प्रति जो भय और आदर के योग्य है उससे दूर कर देगी तो? \p \v 26 “इसलिये हमने सोचा है, ‘हम एक वेदी बनाये जो होमबलि और मेल बलि के लिए नहीं,’ \v 27 परंतु इसलिये कि यह आपके तथा हमारे और हमारी आनेवाली पीढ़ियों के बीच गवाह हो, कि हम अपनी होमबलियों, तथा मेल बलियों के द्वारा याहवेह के समक्ष उनकी सेवा-आराधना करेंगे, और आपकी संतान हमारी संतान से कभी यह न कहे, ‘तुम्हारे याहवेह से हमारा कोई लेना देना नहीं है.’ \p \v 28 “तब हमने यह विचार भी किया, कि हो सकता है कि भविष्य में यदि वे हमसे अथवा हमारी पीढ़ी के लोगों से यह पूछे, तब उनके लिए हमारा उत्तर होगा, ‘हमारे पूर्वजों द्वारा बनाया याहवेह की वेदी देख लो, जो न तो होमबलि के लिए है और न ही मेल बलि के लिए, परंतु यह हमारे और तुम्हारे बीच एक गवाह बनने के लिए है.’ \p \v 29 “कभी ऐसा न हो कि हम याहवेह हमारे परमेश्वर की वेदी को छोड़कर होमबलि, अन्‍नबलि तथा मेल बलि चढ़ाने के लिए दूसरी वेदी बनाकर याहवेह से दूर हो जायें, उनके पीछे चलना छोड़ दें.” \p \v 30 जब पुरोहित फिनिहास, सभा के नेताओं तथा इस्राएल के परिवारों के प्रधानों ने, जो उस समय वहां थे, रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह के वंश से जब यह सब सुना, तब वे खुश हो गये. \v 31 एलिएज़र के पुत्र फिनिहास ने रियूबेन, गाद तथा मनश्शेह वंश को बताया, “आज हमें विश्वास हो गया हैं कि याहवेह हमारे साथ है, क्योंकि तुमने याहवेह की दृष्टि में कोई बुरा नहीं किया हैं. तुमने इस्राएल वंश को याहवेह के द्वारा सजा पाने से बचा लिया है.” \p \v 32 तब एलिएज़र के पुत्र पुरोहित फिनिहास तथा सभी प्रधान, रियूबेन तथा गाद वंश के देश गिलआद से इस्राएल वंश के देश कनान को लौट गए और उन्हें सब बात बता दी. \v 33 सब बात सुनकर इस्राएल वंशी खुश हो गए. उन्होंने परमेश्वर की महिमा की. और उन्होंने उस देश को, जिसमें रियूबेन तथा गाद वंश के लोग रह रहे थे, नष्ट करने के उद्देश्य से उनसे युद्ध करने का विचार छोड़ दिया. \p \v 34 रियूबेन एवं गाद वंश ने उस वेदी को एद अर्थात् स्मारक नाम दिया, क्योंकि यह वेदी याहवेह परमेश्वर तथा उनके मध्य एक यादगार थी. \c 23 \s1 इस्राएली नेताओं से यहोशू की विदाई \p \v 1 जब याहवेह ने इस्राएल को उनके पड़ोसी राष्ट्रों के शत्रुओं से बचाया, बहुत समय बीत गया और यहोशू बहुत बूढ़ा हो गया. \v 2 तब यहोशू ने समस्त इस्राएल के नेताओं, प्रधानों, प्रशासकों तथा अधिकारियों को बुलाया और उनसे कहा, “मैं बहुत बूढ़ा हो चुका हूं. \v 3 तुमने वह सब देख लिया है, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे लिए सभी राष्ट्रों के साथ किया है, वास्तव में यह याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ही थे, जो तुम्हारी ओर से लड़ रहे थे. \v 4 यह याद रखो कि मैंने यरदन से लेकर भूमध्य सागर तक के देशों को तुम्हारे गोत्रों का भाग बनाया है, बचे हुए भाग को छोड़ दिया है. \v 5 याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हारे बीच से निकाल देंगे, और उन्हें तुमसे अलग कर देंगे और तुम उनके देश पर अधिकार कर लोगे, ठीक जैसा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने कहा था. \p \v 6 “दृढ़ होकर मोशेह द्वारा लिखे व्यवस्था और नियमों का पालन करना; इससे न तो दाईं ओर और न ही बाईं ओर मुड़ना. \v 7 तुम इन लोगों से मत मिलना, जो अब तक तुम्हारे बीच में हैं; तुम उनके देवताओं का नाम मत लेना और न उन देवताओं की शपथ लेना, न उनकी आराधना करना और न उनको दंडवत करना. \v 8 बल्कि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास में बने रहना; जैसा तुम आज तक करते आए हो. \p \v 9 “याद रहेः याहवेह ने बड़े एवं बलवंत लोगों को तुम्हारे बीच से निकाला है, और कोई तुम्हारे सामने ठहर न सका. \v 10 तुममें से एक ही व्यक्ति हजार शत्रुओं को मारने के लिए काफ़ी है; क्योंकि तुमसे किए वायदे के अनुसार याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, तुम्हारी ओर से लडते आये हैं. \v 11 इसलिये याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति तुम्हारा प्रेम दृढ़ बना रहे. \p \v 12 “यदि तुम उन लोगों से दोस्ती बढ़ाओगे, जो अब तक तुम्हारे बीच में रह रहे हैं, तुम्हारे तथा उनके बीच गहरे संबंध हो जाएंगे, उनसे वैवाहिक संबंध स्थापित करोगे, \v 13 तो निश्चयतः याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर इन राष्ट्रों को तुम्हारे बीच से नहीं निकालेंगे; ये जनता तुम्हारे लिए जाल तथा फंदा, तुम्हारी पसलियों पर लगी चाबुक तथा आंखों की चुभन साबित होगें, अंत में यह अच्छी भूमि जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने दी है नष्ट हो जाएगी. \p \v 14 “अब मेरी मृत्यु समय निकट है, जिस मार्ग पर पृथ्वी के सभी को चलना है. हृदय तथा प्राणों की गहराई में तुम जान लो, कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के मुंह से निकली हुई हर बात बिना पूरी हुई न रही है. तुम्हारे लिए कही हुई सब बातें पूरी हुई है. \v 15 फिर जिस प्रकार तुम्हारे विषय में याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा कही गई सब भली बातें पूरी हुई है, उसी प्रकार याहवेह सभी कष्ट तुम पर तब तक डालते रहेंगे, जब तक तुम इस देश से, जो तुम्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दिया गया है, नष्ट न हो जाए; \v 16 अगर तुम तुम्हारे परमेश्वर की वाचा तोड़ोगे, जिसका आदेश उन्होंने तुम्हें दिया था, और तुम दूसरे देवताओं की वंदना करोगे, उनके सम्मान में झुकोगे! तब याहवेह का दंड तुम पर आएगा और तुरंत ही तुम याहवेह की ओर से दिए गये इस उत्तम देश से नष्ट हो जाओगे.” \c 24 \s1 इस्राएल द्वारा याहवेह के प्रति समर्पण का नवीकरण \p \v 1 यहोशू ने इस्राएल के सभी गोत्रों को शेकेम में जमा किया और इस्राएल के नेताओं, उनके प्रधानों, उनके प्रशासकों एवं अधिकारियों को बुलाया, और वे सभी परमेश्वर के सामने उपस्थित हुए. \p \v 2 सभी को यहोशू ने कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है, ‘पहले तो तुम्हारे पूर्वज अब्राहाम तथा नाहोर के पिता तेराह, फरात नदी के पार रहा करते थे, वे दूसरे देवताओं की उपासना करते थे. \v 3 तब मैंने उस नदी के पार से तुम्हारे पूर्वज अब्राहाम को पूरे कनान देश में घुमाया. मैंने उसके वंश को बढ़ाया, उसे पुत्र यित्सहाक दिया. \v 4 फिर यित्सहाक को दो पुत्र दिए: याकोब तथा एसाव. एसाव को मैंने सेईर पर्वत दे दिया, परंतु याकोब तथा उनके पुत्र मिस्र देश चले गए. \p \v 5 “ ‘तब मैं, याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को उनके बीच भेजा. मैंने मिस्र देश पर विपत्तियां भेजी, फिर मैं तुम्हें वहां से निकाल लाया. \v 6 बाद में मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र देश से निकाला और तुम लोग सागर तट पर जा पहुंचे. मिस्रवासी भी रथों तथा घोड़ों को लेकर तुम्हारा पीछा करते हुए लाल सागर तक पहुंच गए. \v 7 तुम्हारी पुकार सुनकर मैंने तुम्हारे एवं मिस्रियों के बीच में अंधकार कर दिया और समुद्र उनके ऊपर छा गया, और वे सब उसमें डूब गए. स्वयं तुमने अपने आंखों से यह सब देखा, कि मैंने मिस्र देश में क्या-क्या किया है. तुम निर्जन प्रदेश में बहुत समय तक रहे. \p \v 8 “ ‘फिर मैं तुम्हें अमोरियों के देश में ले आया, जो यरदन के दूसरी ओर रहते थे. उन्होंने तुमसे युद्ध किया और मैंने उन्हें तुम्हारे अधीन कर दिया. तुमने उनके देश पर अधिकार कर लिया. तुम्हारे सामने मैंने उन्हें नाश कर दिया. \v 9 तब मोआब के राजा ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक इस्राएल से युद्ध के लिए तैयार हुआ. उसने बेओर के पुत्र बिलआम को बुलाया कि वह तुम्हें शाप दे, \v 10 किंतु मैंने बिलआम की एक न सुनी. वह तुम्हें आशीष पर आशीष देता गया. इस प्रकार मैंने तुम्हें उसके हाथों से बचा लिया. \p \v 11 “ ‘तुम लोगों ने यरदन नदी पार की और येरीख़ो जा पहुंचे. येरीख़ो के प्रधानों ने तुमसे युद्ध किया. इनके अलावा अमोरियों, परिज्ज़ियों, कनानी और हित्तियों, गिर्गाशियों, हिव्वियों तथा यबूसियों ने भी तुमसे युद्ध किया और सबको मैंने तुम्हारे अधीन कर दिया. \v 12 तब मैंने तुम्हारे आगे-आगे बर्रे भेज दिए, उन्होंने अमोरियों के उन दो राजाओं को तुम्हारे सामने से भगा दिया. यह विजय न तो तुम्हारी तलवार की और न तुम्हारे धनुष की थी. \v 13 मैंने तुम्हें एक ऐसा देश दिया है, जिसके लिए तुमने कोई मेहनत नहीं की; ऐसे नगर, जिनको तुमने नहीं बनाया, जहां अब तुम रह रहे हो. तुम उन दाख की तथा जैतून की बगीचे के फलों को खा रहे हो, जिनको तुमने नहीं लगाया!’ \p \v 14 “अब याहवेह के प्रति आदर, भय और पूर्ण मन तथा सत्य से उनकी सेवा करो, उन देवताओं को छोड़ो, जिनकी उपासना तुम्हारे पूर्वज उस समय तक करते रहे, जब वे उस नदी के पार और मिस्र देश में रहते थे. आराधना केवल याहवेह ही की करो. \v 15 यदि इस समय तुम्हें याहवेह की सेवा करना अच्छा नहीं लग रहा है, तो आज ही यह निर्णय कर लो कि किसकी सेवा करोगे तुम; उन देवताओं की, जिनकी उपासना तुम्हारे पूर्वज फरात नदी के पार किया करते थे या अमोरियों के उन देवताओं की, जिनके देश में तुम अब रह रहे हो. जहां तक मेरा और मेरे परिवार की बात है, हम तो याहवेह ही की सेवा-वन्दना करेंगे.” \p \v 16 यह सुन उपस्थित लोगों ने कहा, “ऐसा कभी न होगा कि हम याहवेह को छोड़, उन देवताओं की सेवा-वन्दना करें. \v 17 हमारे परमेश्वर याहवेह ही हैं, जिन्होंने हमें तथा हमारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर निकाला है. वही हैं, जिन्होंने हमारे सामने अनोखे काम किए, तथा हमारी पूरी यात्रा में हम सबके साथ थे, जो हमें मार्ग में मिले थे, और हमारी रक्षा की. \v 18 याहवेह ने ही हमारे बीच से अमोरियों को और सब जातियों को निकाले, तब तो हम भी याहवेह ही की सेवा-वन्दना करेंगे, क्योंकि वही हैं हमारा परमेश्वर.” \p \v 19 तब यहोशू ने लोगों से कहा, “याहवेह की सेवा-वन्दना करने की ताकत तुम लोगों में नहीं है. वह पवित्र परमेश्वर हैं. वह ईर्ष्या रखनेवाला परमेश्वर हैं; वह न तो तुम्हारे अपराधों को और न ही तुम्हारे पापों को क्षमा करेंगे. \v 20 अब यदि तुम याहवेह को छोड़कर उन देवताओं की उपासना करोगे, तो हालांकि अब तक तुम्हारा भला ही किया है, फिर भी वह तुम्हारे विरुद्ध हानि करेंगे और तुम नाश हो जाओगे.” \p \v 21 प्रजा ने यहोशू से कहा, “ऐसा नहीं होगा. हम याहवेह ही की सेवा-वन्दना करेंगे.” \p \v 22 तब यहोशू ने उनसे कहा, “अपने आपके गवाह तुम खुद हो, कि तुमने याहवेह के पक्ष में निर्णय लिया है कि तुम उन्हीं की सेवा-वन्दना करते रहोगे.” \p उन्होंने जवाब दिया, “हम गवाह हैं.” \p \v 23 इस पर यहोशू ने कहा, “तो अपने बीच से दूसरे देवताओं को दूर हटा दो और अपना हृदय याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की ओर कर दो.” \p \v 24 लोगों ने यहोशू को उत्तर दिया, “सेवा-आराधना तो हम याहवेह, हमारे परमेश्वर ही की करेंगे और हम उन्हीं के आदेशों का पालन भी करेंगे.” \p \v 25 यहोशू ने उस दिन लोगों के साथ पक्का वादा किया तथा शेकेम में उनको नियम एवं विधि बताई. \v 26 यहोशू ने वह सब परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में लिख दिया. फिर उन्होंने एक बड़ा पत्थर लेकर याहवेह के पवित्र स्थान के निकट, बांज वृक्ष के नीचे खड़ा कर दिया. \p \v 27 यहोशू ने सब लोगों से कहा, “देखो, यह पत्थर अब हमारे लिए गवाह होगा, क्योंकि इसने याहवेह द्वारा हमसे कही बातों को सुन लिया है. इसलिये अब यही तुम्हारा गवाह होगा, यदि तुम्हारा मन परमेश्वर के विरुद्ध हो जाएं.” \p \v 28 यह कहकर यहोशू ने लोगों को भेज दिया. और सभी अपने-अपने घर पर चले गए. \s1 यहोशू की मृत्यु एवं अंत्येष्टि \p \v 29 इसके बाद याहवेह के सेवक नून के पुत्र यहोशू की मृत्यु हो गई. इस समय उनकी आयु एक सौ दस वर्ष कि थी. \v 30 उन्होंने उन्हें तिमनथ-सेरह\f + \fr 24:30 \fr*\ft \+xt प्रशा 2:9\+xt*\ft*\f* में, उन्हीं की भूमि पर दफना दिया. वह जगह एफ्राईम के पर्वतीय क्षेत्र में गाश पर्वत के उत्तर दिशा में है. \p \v 31 इस्राएल जन यहोशू तथा यहोशू के बाद पुरनियों के सारे जीवनकाल में याहवेह की सेवा और स्तुति करते रहे. ये उन सभी महान कामों को अनुभव किये थे, जो याहवेह द्वारा इस्राएल की भलाई के लिए किए गए थे. \p \v 32 योसेफ़ की वे अस्थियां, जो इस्राएल वंश मिस्र देश से अपने साथ ले आए थे, उन्होंने इन्हें शेकेम में गाड़ दिया. यह वह ज़मीन थी, जिसे याकोब ने शेकेम के पिता हामोर के पुत्रों से चांदी की एक सौ मुद्राएं देकर खरीदी थी. यह ज़मीन अब योसेफ़ वंश की मीरास हो गयी थी. \p \v 33 फिर अहरोन के पुत्र एलिएज़र की मृत्यु हो गई. उन्होंने उसे गिबियाह में गाड़ दिया. यह उसके पुत्र फिनिहास का नगर था, जो एफ्राईम के पर्वतीय प्रदेश में उसे मिला था.