\id ISA - Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021) \ide UTF-8 \h यशायाह \toc1 यशायाह \toc2 यशायाह \toc3 यशा \mt1 यशायाह \c 1 \p \v 1 यहूदिया तथा येरूशलेम के विषय में आमोज़ के पुत्र यशायाह का दर्शन, जो उन्हें यहूदिया के राजा उज्जियाह, योथाम, आहाज़, और हिज़किय्याह के शासनकाल में प्राप्‍त हुआ. \b \s1 परमेश्वर की प्रजा का विद्रोह \q1 \v 2 हे आकाश! और पृथ्वी सुनो! \q2 क्योंकि यह याहवेह की आज्ञा है: \q1 “कि मैंने अपने बच्चों का पालन पोषण किया और उन्हें बढ़ाया, \q2 किंतु उन्होंने मुझसे नफरत की. \q1 \v 3 बैल अपने स्वामी को जानता है, \q2 और गधा अपने स्वामी की चरनी को, \q1 किंतु इस्राएल, \q2 मेरी प्रजा को इसकी समझ नहीं.” \b \q1 \v 4 हाय है तुम लोगों पर, \q2 जो पाप और अधर्म से भरे हो, \q1 जिनमें सच्चाई नहीं, \q2 और जिनका स्वभाव बुरा है! \q1 जिसने याहवेह को छोड़ दिया है; \q2 और जिसने इस्राएल के पवित्र स्वामी का अपमान किया \q2 और जो याहवेह से दूर हो गया है! \b \q1 \v 5 तुम क्यों बुरा बनना चाहते हो? \q2 विद्रोह करते हो? \q1 तुम्हारे सिर में घाव है, \q2 और तुम्हारा मन दुःखी है. \q1 \v 6 सिर से पांव तक घाव और शरीर में \q2 खरोंच चोट है जिन्हें न तो पोंछा गया, \q1 न ही पट्टी बांधी गई और कोमल बनाने के लिए \q2 न ही उन पर तेल लगाया गया. \b \q1 \v 7 तुम्हारा देश उजड़ गया, \q2 नगर आग से भस्म कर दिए गए; \q2 लोगों ने तुम्हारे खेतों को ले लिया. \q1 \v 8 ज़ियोन की पुत्री \q2 अंगूर के बगीचे में छोड़ दी गई, \q1 ककड़ी के खेत में आश्रय के जैसे, \q2 या पिछड़े हुए नगर में अकेली खड़ी है. \q1 \v 9 यदि सर्वशक्तिमान याहवेह ने \q2 हमें न बचाया होता, \q1 तो हम भी सोदोम \q2 और अमोराह के समान हो जाते. \b \q1 \v 10 सोदोम के शासको, \q2 याहवेह का वचन सुनो; \q1 अमोराह के लोगों! \q2 हमारे परमेश्वर के व्यवस्था-विधान पर ध्यान दो. \q1 \v 11 याहवेह कहता है, \q2 “तुम्हारे बहुत से मेल बलि मेरे किस काम के? \q1 तुम्हारे मेढ़ों की अग्निबलियां \q2 और पशुओं की चर्बी; \q1 और बैलों, मेमनों और बकरों के \q2 रक्त से मैं खुश नहीं होता. \q1 \v 12 जब तुम मेरे सामने आते हो, \q2 तो तुम किस अधिकार से, \q2 मेरे आंगनों में चलते हो? \q1 \v 13 अब मुझे अन्‍नबलि न चढ़ाना \q2 और धूप से नये चांद. \q1 विश्राम दिन\f + \fr 1:13 \fr*\fq विश्राम दिन \fq*\fqa शब्बाथ \fqa*\ft सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है\ft*\f* और सभाओं का आयोजन \q2 मुझे अच्छा नहीं लगता. \q1 \v 14 नफरत है मुझे \q2 तुम्हारे नये चांद पर्वों तथा वार्षिक उत्सवों से. \q1 बोझ बन गए हैं ये मेरे लिए; \q2 थक गया हूं मैं इन्हें सहते सहते. \q1 \v 15 तब जब तुम प्रार्थना में मेरी ओर अपने हाथ फैलाओगे, \q2 मैं तुमसे अपना मुंह छिपा लूंगा; \q1 चाहे तुम कितनी भी प्रार्थनाएं करते रहो, \q2 मैं उन्हें नहीं सुनूंगा. \b \q1 “क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं! \b \q1 \v 16 “तुम अपने आपको शुद्ध करो. \q2 और मेरे सामने से अपने बुरे कामों को हटा दो; \q2 बुराई करना छोड़ दो. \q1 \v 17 अच्छा काम करना सीखो; \q2 दुखियों की सहायता करो. \q1 अनाथों की रक्षा करो; \q2 और विधवाओं को न्याय दिलवाओ.” \b \q1 \v 18 याहवेह यों कहते हैं, “अब आओ, हम मिलकर इसका निष्कर्ष निकालें, \q1 चाहे तुम्हारे पाप लाल रंग के हों, \q2 वे हिम समान श्वेत हो जाएंगे; \q1 चाहे वे बैंगनी रंग के हों, \q2 तो भी वे ऊन के समान सफेद हो जाएंगे. \q1 \v 19 यदि सच्चाई से मेरी बात मानोगे, \q2 तो इस देश की उत्तम से उत्तम चीज़ें खा पाओगे; \q1 \v 20 और यदि तुम विरोध करो और बात न मानोगे, \q2 तो तलवार से मार दिये जाओगे.” \q1 यह याहवेह का यही वचन है! \q1 \v 21 वह नगर जिसमें सत्य, न्याय और धार्मिकता पाई जाती है, \q2 उसमें व्यभिचार कैसे बढ़ गया! \q1 \v 22 तुम्हारी चांदी में मिलावट है, \q2 और तुम्हारे दाखरस में पानी मिला दिया गया है. \q1 \v 23 राज्य करनेवाले विद्रोही, \q2 और चोरों के मित्र हैं; \q1 सब घूस लेते हैं \q2 और लालची हैं. \q1 वे अनाथों की रक्षा नहीं करते; \q2 और न विधवाओं को न्याय दिलाते हैं. \b \q1 \v 24 अतः इस्राएल के सर्वशक्तिमान, \q2 प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह कहते हैं: \q2 “मैं अपने बैरियों से बदला लूंगा. \q1 \v 25 मैं तुम्हारे विरुद्ध अपना हाथ उठाऊंगा; \q2 मैं तुम्हारे धातु की गंदगी को दूर कर दूंगा \q2 और उसमें जो मिलावट है उसे दूर करूंगा. \q1 \v 26 मैं फिर से न्यायी और मंत्री बनाऊंगा और उनको उनका पद दूंगा. \q2 फिर इस नगर में कोई कमी नहीं होगी.” \b \q1 \v 27 ज़ियोन को न्याय से, \q2 और जो अपने आपको बदलेगा वे धर्म से छुड़ा लिये जायेंगे. \q1 \v 28 लेकिन विद्रोहियों और पापियों को एक साथ नष्ट कर दिया जाएगा, \q2 जिन्होंने याहवेह को त्याग दिया है. \b \q1 \v 29 “वे उन बांज वृक्षों से, \q2 जिनकी तुम चाह रखते थे लज्जित हो जाएंगे; \q1 और जिन क्यारियों में मेहनत करके खुश होते थे \q2 अब उसी से लज्जित होना पड़ेगा. \q1 \v 30 तुम उस बांज वृक्ष के समान हो जाओगे जिसके पत्ते सूख गए हैं, \q2 और सूखी क्यारियां जिसमें पानी नहीं पिलाया गया हो. \q1 \v 31 बलवान व्यक्ति आग \q2 और उसका काम चिंगारी होगा; \q1 और वे एक साथ जल जायेंगे, \q2 और कोई उन्हें बचा नहीं पाएगा.” \c 2 \s1 याहवेह का पर्वत \p \v 1 यहूदिया और येरूशलेम के विषय में आमोज़ के पुत्र यशायाह ने दर्शन देखा: \b \p \v 2 कि अंत के दिनों \q1 में वह पर्वत और पहाड़ \q2 जिस पर याहवेह का भवन है; \q1 उसे दृढ़ और ऊंचा किया जायेगा, \q2 और सब जाति के लोग बहती हुई नदी के समान उस ओर आएंगे. \p \v 3 और कहेंगे, \q1 “आओ, हम याहवेह के पर्वत, \q2 याकोब के परमेश्वर के भवन को चलें. \q1 कि वह हमें अपने नियम सिखाएं, \q2 और हम उनके मार्गों पर चलें.” \q1 क्योंकि ज़ियोन से व्यवस्था निकलेगी, \q2 और येरूशलेम से याहवेह का वचन आएगा. \q1 \v 4 परमेश्वर राज्यों के बीच न्याय करेंगे \q2 और लोगों की परेशानियां दूर करेंगे. \q1 तब वे अपनी तलवारों को पीट-पीटकर हल के फाल \q2 तथा अपने भालों को हंसिया बना लेंगे. \q1 एक देश दूसरे के विरुद्ध तलवार नहीं उठायेगा, \q2 तथा उन्हें फिर कभी लड़ने के लिए तैयार नहीं किया जाएगा. \b \q1 \v 5 याकोब के लोग आओ, \q2 हम याहवेह के प्रकाश में चलें. \s1 याहवेह का दिन \q1 \v 6 याहवेह, ने तो अपनी प्रजा, \q2 याकोब के वंश को छोड़ दिया है. \q1 क्योंकि वे पूर्णतः पूर्वी लोगों के समान हो गये; \q2 और फिलिस्तीनियों के समान उनकी सोच \q2 और काम हो गया है. \q1 \v 7 उनका देश भी सोना और चांदी से भरा है; \q2 और उनके पास धन की कमी नहीं. \q1 और उनका देश घोड़ों \q2 और रथों से भरा है. \q1 \v 8 उनका देश मूर्तियों से भरा है; \q2 जो अपने हाथों से बनाया हुआ है. \q1 \v 9 और मनुष्य उसके सामने झुकते \q2 और प्रणाम करते हैं, \q2 इसलिये उन्हें माफ नहीं किया जाएगा. \b \q1 \v 10 याहवेह के डर तथा उनके प्रताप के तेज के कारण \q2 चट्टान में चले जाओ और छिप जाओ! \q1 \v 11 मनुष्यों का घमंड नीचा करके; \q2 याहवेह को ऊंचा किया जायेगा. \b \q1 \v 12 क्योंकि हर घमंडी एवं अहंकारी व्यक्ति के लिए सर्वशक्तिमान याहवेह ने दिन ठहराया है, \q2 उस दिन उनका घमंड तोड़ दिया जाएगा, \q1 \v 13 और लबानोन के समस्त ऊंचे देवदारों, \q2 तथा बाशान के सब बांज वृक्षों पर, \q1 \v 14 समस्त ऊंचे पहाडों \q2 और ऊंची पहाड़ियों पर, \q1 \v 15 समस्त ऊंचे गुम्मटों \q2 और सब शहरपनाहों पर और, \q1 \v 16 तरशीश के सब जहाजों \q2 तथा सब सुंदर चित्रकारी पर. \q1 \v 17 जो मनुष्य का घमंड \q2 और अहंकार है दूर किया जाएगा; \q1 और केवल याहवेह ही ऊंचे पर विराजमान होगा, \q2 \v 18 सब मूर्तियां नष्ट कर दी जाएंगी. \b \q1 \v 19 जब याहवेह पृथ्वी को कंपित करने के लिए उठेंगे \q2 तब उनके भय तथा प्रताप के तेज के कारण \q1 मनुष्य चट्टानों की गुफाओं में \q2 तथा भूमि के गड्ढों में जा छिपेंगे. \q1 \v 20 उस दिन मनुष्य अपनी सोने-चांदी की मूर्तियां जिन्हें उन्होंने बनाई थी, \q2 उन्हें छछूंदरों और चमगादड़ों के सामने फेंक देंगे. \q1 \v 21 जब याहवेह पृथ्वी को कंपित करने के लिए उठेंगे \q2 तब उनके भय तथा उनके प्रताप के तेज के कारण, \q1 मनुष्य चट्टानों की गुफाओं में \q2 तथा चट्टानों में जा छिपेंगे. \b \q1 \v 22 तुम मनुष्यों से दूर रहो, \q2 जिनका सांस कुछ पल का है. \q2 जिनका कोई महत्व नहीं. \b \c 3 \s1 येरूशलेम और यहूदिया पर न्याय \q1 \v 1 प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह येरूशलेम और यहूदिया से उनका सहारा \q2 और उनके अन्‍न और जल का स्रोत सब दूर कर देगा, \q2 \v 2 वीर योद्धा तथा सैनिक, \q1 न्यायी तथा भविष्यद्वक्ता, \q2 भावी बोलनेवाले तथा बूढ़े, \q1 \v 3 मंत्री और प्रतिष्ठित व्यक्ति, \q2 सलाहकार, कारीगर और जादूगर को भी दूर करेंगे. \b \q1 \v 4 “मैं लड़कों को शासक बना दूंगा; \q2 और वे उन पर शासन करेंगे.” \b \q1 \v 5 लोग एक दूसरे पर अत्याचार करेंगे— \q2 सब अपने साथी, पड़ोसी पर, \q2 और लड़के, बूढ़ों से बुरा व्यवहार करेंगे. \b \q1 \v 6 जब एक व्यक्ति अपने पिता के घर में \q2 अपने भाई से ही यह कहने लगे, \q1 “तुम्हारे पास तो अच्छा वस्त्र है, तुम्हें हमारा न्यायी होना चाहिए; \q2 और यह देश जो उजड़ा हुआ है अपने अधीन कर लो!” \q1 \v 7 उस दिन कहेगा, \q2 “मैं चंगा करनेवाला नहीं हूं. \q1 क्योंकि मेरे घर में न तो भोजन है और न वस्त्र; \q2 ऐसा व्यक्ति प्रजा का शासक नहीं बन सकता.” \b \q1 \v 8 येरूशलेम लड़खड़ाया \q2 और यहूदिया गिर गया है; \q1 क्योंकि उनके वचन और उनके काम याहवेह के विरुद्ध हैं, \q2 जो याहवेह के तेजोमय आंखों के सामने बुराई करनेवाले हो गये. \q1 \v 9 उनका मुंह ही उनके विरुद्ध गवाही देता हैं; \q2 और वे सदोम के समान अपने ही पापों को बताते हैं; \q2 वे उन्हें छिपाते नहीं हाय उन पर. \q1 क्योंकि उन्होंने अपना ही नुकसान किया है. \b \q1 \v 10 धर्मियों को यह बताओ कि उनका अच्छा ही होगा, \q2 क्योंकि उन्हें उनके कामों का प्रतिफल मिलेगा. \q1 \v 11 हाय है दुष्ट पर! \q2 उनके साथ बुरा ही होगा! \q1 क्योंकि उनके बुरे कामों का फल \q2 उन्हें बुरा ही मिलेगा. \b \q1 \v 12 मेरे लोगों को बच्‍चे दुःख देते हैं, \q2 और स्त्रियां उन पर अधिकार करती हैं. \q1 हे मेरी प्रजा, जो तुम्हारे मार्ग बताते हैं; \q2 वे ही तुम्हें भटकाते हैं तथा वे तुम्हारे रास्ते को भूला देते हैं. \b \q1 \v 13 याहवेह तुम्हें बचाने \q2 और लोगों के न्याय निष्पादन के लिए तैयार हैं. \q1 \v 14 याहवेह न्याय के लिए शासन करनेवालों \q2 तथा बूढ़ों के साथ मिल गए हैं: \q1 “तुम ही ने खेत से अंगूर खा लिये; \q2 और गरीबों से लूटा गया सामान अपने घर में रखा. \q1 \v 15 क्यों मेरी प्रजा को परेशान \q2 और दुःखी करते हो?” \q1 प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह कहता है! \b \q1 \v 16 याहवेह कहता है, “ज़ियोन की पुत्रियां घमंड करती हैं, \q2 वे सिर ऊंचा कर आंखों को मटकाती, \q2 घुंघरूओं को छमछमाती हुई पायल पहनकर चलती हैं. \q1 \v 17 इसलिये प्रभु याहवेह ज़ियोन की पुत्रियों के सिर को गंजा कर देंगे; \q2 और उनके तन को विवस्त्र करेंगे.” \p \v 18 उस दिन प्रभु उनकी पायल, ललाट पट्टिका, झूमर, \v 19 झुमके, कंगन, झीना मुखावरण, \v 20 सुंदर वस्त्र, भुजबन्द, करधनी, ईत्रदान, कवच, \v 21 अंगूठी, नथ, \v 22 मख़मल के वस्त्र, कुरती, बुन्दियों, ओढ़नी; \v 23 बटूवा, अधोवस्त्र, पगड़ी और ओढ़नी की सुंदरता को हटा देंगे. \q1 \v 24 और खुशबू की जगह बदबू; \q2 करधनी के स्थान पर रस्सी; \q1 बालों की जगह गंजापन; \q2 बहुमूल्य वस्त्रों के स्थान पर टाट; \q2 और सुंदरता की जगह बदसूरती होगी. \q1 \v 25 तुम्हारे पुरुष तलवार से, \q2 और तुम्हारे योद्धा युद्ध में मारे जाएंगे. \q1 \v 26 तुम्हारे फाटक रोएंगे और शोक मनाएंगे; \q2 वह अकेली भूमि पर बैठी रहेगी. \c 4 \q1 \v 1 उस दिन सात स्त्रियां \q2 एक पुरुष को रोक कर \q1 कहेंगी, “हम अपने भोजन \q2 और वस्त्रों की व्यवस्था स्वयं कर लेंगी; \q1 सिर्फ हमें अपना नाम दे दो. \q2 और हमारा तिरस्कार दूर कर दो!” \s1 याहवेह की शाखा \p \v 2 उस दिन याहवेह की मनोहरता भूषण और महिमा ठहरेगी और बचे हुओं के लिए भूमि की उपज गर्व और सम्मान का विषय होगी. \v 3 ज़ियोन के बचे हुए और येरूशलेम में, वे जो बच गए हैं, वे पवित्र कहलाएंगे, जिनका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा गया है. \v 4 जब प्रभु न्याय और भस्म करनेवाली आत्मा के द्वारा ज़ियोन की पुत्रियों की गंदगी धो देंगे और खून से भरे हुए येरूशलेम को दूर कर देंगे. \v 5 तब याहवेह ज़ियोन पर्वत और सभी लोगों पर दिन के समय धुएं का बादल तथा रात में तेज आग की रोशनी दिखाएगा और इन सबके ऊपर याहवेह का तेज मंडराता रहेगा. \v 6 दिन की उष्णता, आंधी, पानी और हवा से बचने के लिये आड़ बनकर सुरक्षित रहे. \c 5 \s1 दाख बारी के लिये गीत \q1 \v 1 अब मैं अपने प्रिय के लिए \q2 और उसकी दाख की बारी के लिये एक गीत गाऊंगी: \q1 एक अच्छी उपजाऊ पहाड़ी पर \q2 मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी. \q1 \v 2 मिट्टी खोदकर अच्छी सफाई करके \q2 उसमें अंगूर की अच्छी बेल लगाई. \q2 और इसके बीच एक गुम्मट बनाया \q1 और अच्छे फल का इंतजार करने लगा, \q2 लेकिन उसमें से खराब गुच्छा निकला. \b \q1 \v 3 “अब येरूशलेम और यहूदिया के लोग, \q2 मेरे और मेरे अंगूर की बारी के बीच फैसला करेंगे. \q1 \v 4 मैंने अंगूर की बारी में कोई कमी नहीं रखी \q2 और अच्छा फल चाहा तो उसमें खराब फल निकला. \q1 \v 5 अब मैं तुम्हें बताऊंगा \q2 कि मैं अपनी बारी के चारों ओर बांधे हुए बाड़े को हटा दूंगा, \q1 ताकि पशु आकर उसे खा लें, \q2 और पौधों को नष्ट कर दें. \q1 \v 6 मैं इसे निर्जन बना दूंगा, \q2 न मैं इसकी छंटाई करूंगा, \q2 न ही सिंचाई! इसमें झाड़ उगेंगे. \q1 और मैं बादलों को भी कहूंगा \q2 कि बारिश न हो.” \b \q1 \v 7 क्योंकि इस्राएल वंश \q2 सर्वशक्तिमान याहवेह की दाख की बारी है, \q1 और यहूदिया की प्रजा \q2 उनका प्रिय पौधा. \q1 उन्होंने न्याय मांगा, लेकिन अन्याय मिला; \q2 उन्होंने धर्म चाहा, लेकिन अधर्म मिला. \s1 दुर्वृत्तों पर धिक्कार \q1 \v 8 हाय उन पर जो घर से घर \q2 और खेत से खेत \q1 जोड़ देते हैं कि \q2 और किसी को खाली जगह नहीं मिलती कि वे रहने लगें. \p \v 9 सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा; \q1 “निश्चय बड़े, \q2 और सुंदर घर सुनसान हो जाएंगे. \q1 \v 10 दस एकड़ के दाख की बारी से सिर्फ एक बत\f + \fr 5:10 \fr*\fq बत \fq*\ft करीब 22 लीटर\ft*\f* दाखरस ही मिलेगा; \q2 और होमेर\f + \fr 5:10 \fr*\fq होमेर \fq*\ft लगभग 160 किलोग्राम\ft*\f* भर बीज से एक एफा\f + \fr 5:10 \fr*\fq एफा \fq*\ft करीब 16 किलो\ft*\f* उपज होगी.” \b \q1 \v 11 हाय उन पर जो सुबह जल्दी उठकर शराब खोजते हैं, और शाम तक \q2 दाखमधु पीकर नशा करते हैं. \q1 \v 12 उनके उत्सवों में वीणा, सारंगी, \q2 खंजरी, बांसुरी और दाखरस होता है, \q1 किंतु वे न तो याहवेह के कामों पर ध्यान देते हैं, \q2 और न ही उनके हाथ के कामों को सोचते हैं. \q1 \v 13 यही कारण है कि मेरी प्रजा समझ की कमी से \q2 उन्हें बंदी बना दी गई; \q1 उनके प्रतिष्ठित लोग भूखे रह जाते हैं \q2 और साधारण लोग प्यासे रह जाते हैं. \q1 \v 14 इसलिये अधोलोक ने, \q2 अपना गला खोल दिया है; \q1 ताकि येरूशलेम का वैभव, उसका जनसमूह \q2 उसके शत्रु और लेनदेन करनेवाले सब उसमें उतर जाएंगे. \q1 \v 15 तब साधारण मनुष्य तो दबाएं जाते हैं \q2 और बड़े लोग नीचे किए जाते हैं, \q2 और घमंडी की आंखें झुका दी जाएंगी. \q1 \v 16 किंतु सर्वशक्तिमान याहवेह ही न्याय करेंगे, \q2 और पवित्र परमेश्वर अपनी धार्मिकता में स्वयं को पवित्र प्रकट करेंगे. \q1 \v 17 तब मेमने खेत में चरेंगे; \q2 तथा अमीरों की खाली जगहों पर परदेशियों को चराई के लिये जगह मिलेगी. \b \q1 \v 18 हाय उन पर जो अनर्थ को अधर्म से, \q2 तथा पाप को गाड़ी के रस्सियों से खींचते हैं, \q1 \v 19 जो कहते हैं, “इस्राएल के पवित्र परमेश्वर गति को बढ़ायें; \q2 और अपने कामों को जल्दी पूरा करें, \q2 ताकि हम उनकी इच्छा को जान सकें.” \b \q1 \v 20 हाय उन पर जो गलत को सही \q2 और सही को गलत कहते हैं, \q1 और अंधकार को ज्योति \q2 और ज्योति को अंधकार से, \q1 और कड़वे को मीठा \q2 तथा मीठे को कड़वा कहते हैं. \b \q1 \v 21 हाय उन पर जो अपने आपको ज्ञानी \q2 और बुद्धिमान कहते हैं. \b \q1 \v 22 हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर \q2 और बनाने में बहादुर हैं, \q1 \v 23 जो रिश्वत लेकर अपराधी को बचा लेते हैं, \q2 और निर्दोष को दोषी बना देते हैं. \q1 \v 24 इस कारण, जैसे आग खूंटी को जला देती है \q2 और सूखी घास जलकर राख हो जाती है, \q1 और उनकी जड़ें सड़ जाएगी \q2 और फल हवा में उड़ जाएंगे; \q1 क्योंकि उन्होंने सर्वशक्तिमान याहवेह की व्यवस्था को ठुकरा दिया है \q2 और इस्राएल के पवित्र वचन को तुच्छ समझा है. \q1 \v 25 इसलिये याहवेह ने क्रोधित होकर \q2 उनको मारा तब पर्वत हिलने लगा \q1 और शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे फिर भी वे शांत न हुए, \q2 और उनका हाथ अब तक उठा हुआ है. \b \q1 \v 26 वे दूर देश के लिए झंडा खड़ा करेंगे, \q2 और पृथ्वी के चारों ओर से लोगों को बुलाएंगे \q2 और सब तुरंत वहां आएंगे. \q1 \v 27 और उनमें न कोई थका हुआ होगा न ही कोई बलहीन होगा, \q2 न कोई ऊंघता है और न कोई सोता; \q1 न तो कोई बंधन खोलता है, \q2 और न कोई बांधता है. \q1 \v 28 उनके तीर तेज, \q2 और धनुष चढ़ाए हुए हैं; \q1 उनके घोड़ों के खुर वज्र के समान, \q2 और उनके रथों के पहिए चक्रवात के समान हैं. \q1 \v 29 उनकी दहाड़ सिंह के समान, \q2 हां, जो गुर्राते हुए शिकार पर झपटते हैं; \q1 और उसे उठाकर ले जाते हैं \q2 और उसका छुड़ाने वाला कोई नहीं होता. \q1 \v 30 उस दिन वे समुद्र में \q2 उठती लहरों के समान गरजेंगे. \q1 और सब जगह अंधकार और संकट दिखाई देगा, \q2 यहां तक कि रोशनी भी बादल में छिप जाएगी. \c 6 \s1 यशायाह का आयोग \p \v 1 यशायाह का दर्शन है उस वर्ष जब राजा उज्जियाह की मृत्यु हुई, उस वर्ष मैंने प्रभु को ऊंचे सिंहासन पर बैठे देखा, उनके वस्त्र से मंदिर ढंक गया है. \v 2 और उनके ऊपर स्वर्गदूत दिखाई दिए जिनके छः-छः पंख थे: सबने दो पंखों से अपना मुंह ढंक रखा था, दो से अपने पैर और दो से उड़ रहे थे. \v 3 वे एक दूसरे से इस प्रकार कह रहे थे: \q1 “पवित्र, पवित्र, पवित्र हैं सर्वशक्तिमान याहवेह; \q2 सारी पृथ्वी उनके तेज से भरी है.” \m \v 4 उनकी आवाज से द्वार के कक्ष हिल गए और भवन धुएं से भरा हुआ हो गया. \p \v 5 तब मैंने कहा, “हाय मुझ पर! क्योंकि मैं नष्ट हो गया हूं! मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं, जिसके होंठ अशुद्ध हैं और मैं उन व्यक्तियों के बीच रहता हूं जिनके होंठ अशुद्ध हैं; क्योंकि मैंने अपनी आंखों से महाराजाधिराज, सर्वशक्तिमान याहवेह को देख लिया है.” \p \v 6 तब एक स्वर्गदूत उड़कर मेरी ओर आया और उसके हाथ में अंगारा था, जिसे उसने चिमटे से वेदी पर से उठाया था. \v 7 उसने इस अंगारे से मेरे मुंह पर छूते हुए कहा, “देखो, तुम्हारे होंठों से अधर्म दूर कर दिया और तुम्हारे पापों को क्षमा कर दिया गया है.” \p \v 8 तब मैंने प्रभु को यह कहते हुए सुना, “मैं किसे भेजूं और कौन जाएगा हमारे लिए?” \p तब मैंने कहा, “मैं यहां हूं. मुझे भेजिए!” \p \v 9 प्रभु ने कहा, “जाओ और इन लोगों से कहो: \q1 “ ‘सुनते रहो किंतु समझो मत; \q2 देखते रहो किंतु ग्रहण मत करो.’ \q1 \v 10 इन लोगों के हृदय कठोर; \q2 कान बहरे \q2 और आंख से अंधे हैं. \q1 कहीं ऐसा न हो कि वे अपनी आंखों से देखकर, \q2 अपने कानों से सुनकर, \q2 और मन फिराकर मेरे पास आएं, \q1 और चंगे हो जाएं.” \p \v 11 तब मैंने पूछा, “कब तक, प्रभु, कब तक?” \p प्रभु ने कहा: \q1 “जब तक नगर सूना न हो जाए \q2 और कोई न बचे, \q2 और पूरा देश सुनसान न हो जाएं, \q1 \v 12 याहवेह लोगों को दूर ले जाएं \q2 और देश में कई जगह निर्जन हो जाएं. \q1 \v 13 फिर इसमें लोगों का दसवां भाग रह जाए, \q2 तो उसे भी नष्ट किया जाएगा. \q1 जैसे बांझ वृक्ष को काटने के बाद भी ठूंठ बच जाता है, \q2 उसी प्रकार सब नष्ट होने के बाद, \q2 जो ठूंठ समान बच जाएगा, वह पवित्र बीज होगा.” \c 7 \s1 इम्मानुएल का चिन्ह \p \v 1 यह उल्लेख उस समय का है, जब उज्जियाह का पोता, योथाम के पुत्र यहूदिया के राजा आहाज़, अराम के राजा रेज़िन और रेमालियाह के पुत्र इस्राएल के राजा पेकाह ने येरूशलेम पर हमला किया, और हार गये. \p \v 2 जब दावीद के घराने को यह पता चला कि अराम और एफ्राईम एकजुट हो गए है; तो उनके लोग आंधी से हिलते हुए वन वृक्षों के समान डर से कांपने लगे. \p \v 3 तब याहवेह ने यशायाह से कहा, “तुम्हें और तुम्हारे पुत्र शआर-याशूब को आहाज़ से मिलने राजमार्ग से लगे धोबी खेत में ऊपरी कुंड के पास पहुंचना है. \v 4 और उनसे कहना कि, ‘अराम के राजा, रेज़िन तथा रेमालियाह के पुत्र के क्रोध के कारण जो जलता हुआ धुआं दिखाई दे रहा है, सावधान और शांत बने रहना, भयभीत न होना और न ही घबराना. \v 5 क्योंकि अराम के राजा, रेमालियाह के पुत्र तथा एफ्राईम ने तुम्हारे विरुद्ध यह कहते हुए नई चाल चली है, \v 6 “आओ, हम यहूदाह पर आक्रमण कर उसे मार दें, और ताबील के पुत्र को उसका राजा बना दें.” \v 7 इसलिये प्रभु याहवेह ने कहा: \q1 “ ‘उनकी यह चाल सफल न होगी, \q2 यह कदापि सफल न होगी. \q1 \v 8 क्योंकि अराम का सिर दमेशेक है, \q2 और दमेशेक का रेज़िन. \q1 आगामी पैंसठ वर्षों के अंदर में एफ्राईम ऐसा नष्ट कर दिया जाएगा. \q1 \v 9 एफ्राईम का शीर्ष शोमरोन \q2 और शोमरोन का शीर्ष रेमालियाह का पुत्र है. \q1 यदि तुम विश्वास नहीं करोगे \q2 तो स्थिर भी नहीं रहोगे.’ ” \p \v 10 तब याहवेह ने आहाज़ से कहा, \v 11 “तुम याहवेह अपने परमेश्वर से अपने लिए एक चिन्ह मांगो, चाहे वह गहरे सागर का हो या आकाश का.” \p \v 12 किंतु आहाज़ ने कहा, “नहीं, मैं न तो मांगूंगा और न ही याहवेह को परखूंगा.” \p \v 13 इस पर यशायाह ने कहा, “हे दावीद के घराने सुनो! क्या तुम्हारे लिए लोगों के धैर्य की परीक्षा लेना काफ़ी न था, कि अब तुम मेरे परमेश्वर के धैर्य को भी परखोगे?” \v 14 तब प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिन्ह देंगे: सुनो, एक कन्या गर्भधारण करेगी, वह एक पुत्र को जन्म देगी और उसे इम्मानुएल\f + \fr 7:14 \fr*\fq इम्मानुएल \fq*\ft अर्थ \ft*\fqa परमेश्वर हमारे साथ\fqa*\f* नाम से पुकारेगी. \v 15 बुरे को अस्वीकार करने तथा भले को अपनाने की समझ होने तक वह मक्खन और शहद खाएगा, \v 16 क्योंकि बालक को बुरे को अस्वीकार करने तथा भले को अपनाने की समझ होने से पहले, जिन दो राजाओं से तुम डर रहे हो उनके राज्य निर्जन कर दिए जाएंगे. \v 17 याहवेह तुम पर, तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे पूर्वजों के वंश पर ऐसा समय लाएंगे जैसा उस समय से, जब अश्शूर के राजा के समय में एफ्राईम यहूदिया से अलग हुआ था, अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था. \s1 यहूदाह की भावी विपत्तियां \p \v 18 उस दिन याहवेह सीटी की आवाज से मिस्र देश की नदियों के छोर से मक्खियों को तथा अश्शूर देश से मधुमक्खियों को बुलाएंगे. \v 19 और वे सभी आकर ढलवां घाटियों, चट्टानों की दरारों में, कंटीली झाड़ियों और जलधाराओं के निकट में बस जाएंगी. \v 20 उस दिन प्रभु फ़रात नदी के पार के क्षेत्र से भाड़े पर लिए हुए छुरे से अश्शूर के राजा के सिर तथा पूरे शरीर के बाल और दाढ़ी को काट डालेंगे. \v 21 उस समय, मनुष्य केवल एक कलोर और भेड़ों के जोड़े को पालेगा. \v 22 दूध की बहुतायत के कारण दही उसका भोजन होगा क्योंकि देश में जीवित रह गए हर व्यक्ति का भोजन दही और मधु ही होगा. \v 23 उस समय, जहां हजार टुकड़े चांदी की हजार दाख लताएं होती थी, वहां अब कंटीली झाड़ियां तथा ऊंटकटारे उगेंगे. \v 24 लोग वहां धनुष और तीर लेकर जाएंगे क्योंकि पूरा देश कंटीली झाड़ियों से भरा होगा. \v 25 जिन पहाड़ियों पर कुदाली से खेती की जाती थी, अब तुम कंटीली झाड़ियों तथा ऊंटकटारों के कारण वहां नहीं जा पाओगे. मवेशी, भेड़, और बकरियां वहां चरेंगी. \c 8 \s1 यशायाह के पुत्र चिन्ह जैसे \p \v 1 याहवेह ने मुझसे कहा, “एक बड़ी पटिया में बड़े-बड़े अक्षरों में यह लिखो: महेर-शालाल-हाश-बाज़ अर्थात् त्वरित लूट, द्रुत डाका.” \v 2 मैं पुरोहित उरियाह और यबेरेकयाह के पुत्र ज़करयाह को अपने साथ दो विश्वासयोग्य गवाह के रूप में रखूंगा. \v 3 तब मैं नबिया के पास गया और उसने गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म दिया. तब याहवेह ने मुझसे कहा, “उसका नाम महेर-शालाल-हाश-बाज़ रखो. \v 4 और इससे पहले कि वह पिता और माता बुलाए, दमेशेक की संपत्ति और शमरिया की लूट अश्शूर के राजा के द्वारा ले जाई जाएगी.” \p \v 5 फिर याहवेह ने मुझसे कहा: \q1 \v 6 “इसलिये कि इस प्रजा ने \q2 शिलोह के धीरे धीरे बहने वाले सोते को छोड़ दिया \q1 और रेमालियाह के पुत्र \q2 और वे रेज़िन से मिलकर खुश हैं, \q1 \v 7 इसलिये अब प्रभु उन पर अर्थात् अश्शूर के राजा \q2 और उसके समस्त वैभव पर फरात का कष्ट लाने पर हैं. \q1 उसका जल उसकी समस्त नहरों, \q2 और तटों पर से उमड़ पड़ेगा. \q1 \v 8 तब पानी यहूदिया पर भी चढ़ जाएगा \q2 और बढ़ता जाएगा. \q1 और इम्मानुएल का पूरा देश \q2 उसके पंखों से ढंक जाएगा!” \q1 \v 9 हे दूर-दूर देश के सब लोगों, \q2 चिल्लाओ अपनी-अपनी कमर कसो. \q1 परंतु तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े किए जाएंगे \q2 और तुम नाश किए जाओगे! \q1 \v 10 तुम चाहे कुछ भी करो, कोई फायदा नहीं; \q2 और तुम्हारी सब बात झूठी होगी, \q2 क्योंकि परमेश्वर तो हमारे साथ हैं. \p \v 11 और याहवेह का मजबूत हाथ मेरे ऊपर था, और उन लोगों के समान न बनने के लिए याहवेह ने कहा: \q1 \v 12 “जिससे ये सब लोग नफरत करे \q2 तुम उससे नफरत न करना; \q1 और जिससे वे डरे हैं, \q2 तुम उससे डरो मत. \q1 \v 13 सर्वशक्तिमान याहवेह ही पवित्र परमेश्वर हैं, \q2 उन्ही का भय मानना, \q2 और उन्ही से डरना. \q1 \v 14 तब वे तुम्हारे शरणस्थान होंगे; \q2 लेकिन इस्राएल के दोनों परिवारों के लिए \q1 वे ठोकर का पत्थर \q2 और लड़खड़ाने की चट्टान. \q1 तथा येरूशलेम वासियों के लिए वे एक जाल \q2 और एक फंदा होंगे. \q1 \v 15 कई लोग उनसे ठोकर खाकर गिरेंगे; \q2 और टूट जाएंगे, \q2 वे फंदे में फंसेंगे और पकड़े जाएंगे.” \b \q1 \v 16 इस चेतावनी को बंद कर दो \q2 और मेरे चेलों के सामने इस व्यवस्था पर छाप लगा दो. \q1 \v 17 मैं याहवेह की प्रतीक्षा करता रहूंगा, \q2 जो याकोब वंश से अपना मुख छिपाए हुए हैं. \q1 मैं उन्हीं पर आशा लगाए रहूंगा. \p \v 18 देख: मैं यहां हूं, और याहवेह ने जो संतान मुझे दिये हैं! ज़ियोन पर्वत पर रहनेवाला जो सर्वशक्तिमान याहवेह हैं, उनकी ओर से हम चिन्ह और चमत्कार होंगे. \s1 अंधेरा ज्योति में बदल जाता है \p \v 19 जब वे तुमसे कहें कि, बुदबुदानेवाले और गुनगुनानेवाले तंत्र मंत्र करनेवालों से पूछो, तो क्या वे जीवित परमेश्वर से नहीं पूछ सकते, क्या जीवित लोग मरे हुओं से पूछेंगे? \v 20 परमेश्वर की शिक्षा और उनकी चेतावनी से पूछताछ करें. यदि वे लोग सच्चाई की बातों को नहीं मानते तो उनके लिए सुबह का नया दिन नहीं. \v 21 वे इस देश से बहुत दुःखी और भूखे होकर निकलेंगे और जब वे भूखे होंगे वे क्रोधित हो जाएंगे, वे क्रोध में अपना मुंह आकाश की ओर उठाकर अपने राजा और अपने परमेश्वर को शाप देंगे. \v 22 तब वे पृथ्वी की ओर देखेंगे और उन्हें धुंधलापन संकट, और अंधकार दिखाई देगा और वे घोर अंधकार में फेंक दिए जाएंगे. \c 9 \p \v 1 यद्यपि दुःख का समय हटेगा. पहले उसने ज़ेबुलून और नफताली से घृणा की थी, किंतु भविष्य में वह समुद्र के रास्ते यरदन के उस पार, अन्यजातियों का गलील प्रदेश सम्मानित किया जायेगा— \q1 \v 2 अंधकार में चल रहे लोगों ने \q2 एक बड़ी ज्योति को देखा; \q1 गहन अंधकार के निवासियों पर \q2 ज्योति चमकी. \q1 \v 3 जैसे फसल कटनी के समय \q2 आनंदित होती है, \q1 और जैसे लोग लूट बांटने के समय \q2 मगन होते हैं; \q1 वैसे तूने जाति को बढ़ाया \q2 और आनंदित किया. \q1 \v 4 क्योंकि परमेश्वर ने उनके जूए \q2 और भारी बोझ को दूर किया, \q2 जो मिदियान के द्वारा दिया गया था. \q1 \v 5 युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के जूते \q2 और खून से भरे हुए कपड़े जला दिए जाएंगे. \q1 \v 6 क्योंकि हमारे लिए एक पुत्र का जन्म हुआ है, \q2 प्रभुता उनके कंधों पर स्थित होगी, \q1 और उनका नाम होगा \q2 अद्भुत युक्ति करनेवाला, पराक्रमी, \q2 अनंत काल का पिता, और शांति का राजकुमार होगा. \q1 \v 7 दावीद के सिंहासन और उनके राज्य पर उनके अधिकार \q2 तथा उनकी शांति का अंत न होगा. \q1 इसलिये दावीद की राजगद्दी हमेशा न्याय \q2 और धर्म के साथ स्थिर रहेगी. सेनाओं के याहवेह का जोश इसे पूरा करेगा. \s1 इस्राएल के खिलाफ याहवेह का गुस्सा \q1 \v 8 याहवेह ने याकोब के पास एक संदेश भेजा; \q2 जो इस्राएल पर पूरा हुआ. \q1 \v 9 यह एफ्राईम और शमरिया के \q2 सभी लोगों को मालूम हो जाएगा— \q1 जो घमंड \q2 और कठोरता से बोलते हैं, \q1 \v 10 “ईंटें तो गिर गई हैं, \q2 लेकिन हम गिरे हुए पत्थरों से घर बनाएंगे, \q1 गूलर-वृक्ष तो काट दिए गए हैं, \q2 तब हम उनके स्थान पर देवदार उगाएंगे.” \q1 \v 11 तब याहवेह रेज़िन की ओर से उसके विरुद्ध शत्रु खड़े करेंगे \q2 और उसके अन्य शत्रुओं को उकसाएंगे. \q1 \v 12 पूर्व से अरामी और पश्चिम से फिलिस्तीनी \q2 जो मुंह खोलकर इस्राएल को निगल जाएंगे. \b \q1 यह सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा, \q2 और उनका हाथ उठा रहेगा. \b \q1 \v 13 फिर भी लोग उनकी ओर नहीं फिरे, \q2 और न ही उन्होंने सर्वशक्तिमान याहवेह की ओर ध्यान दिया. \q1 \v 14 इसलिये याहवेह एक ही दिन में इस्राएल से सिर और पूंछ, \q2 तथा खजूर के सरकंडे को काट डालेंगे; \q1 \v 15 सिर तो वह प्रतिष्ठित और बुज़ुर्ग व्यक्ति है, \q2 और पूंछ वह भविष्यद्वक्ता जो झूठी बात सिखाता है. \q1 \v 16 क्योंकि वे ही, उनको मार्ग बताकर भटका देते थे, \q2 और जो उनकी अगुवाई करते थे नाश हो गये. \q1 \v 17 इसलिये प्रभु उनके जवानों से खुश नहीं थे, \q2 और उनके अनाथ और विधवाओं पर कोई दया नहीं करता, \q1 क्योंकि सब श्रद्धाहीन और कुकर्मी थे, \q2 उनमें सब की बातें मूर्खता की होती थी. \b \q1 इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न हुआ, \q2 और उनका हाथ उठा रहा. \b \q1 \v 18 दुष्ट आग के समान जलता है; \q2 जो ऊंटकटारों तथा कंटीली झाड़ियों को जला देती है, \q1 वन के झुरमुट को जला देती है, \q2 और उसका धुआं ऊपर उठता है. \q1 \v 19 सर्वशक्तिमान याहवेह के क्रोध से \q2 देश झुलस गया है \q1 और प्रजा आग में जल गई है; \q2 भाई ने भाई को नहीं छोड़ा. \q1 \v 20 वे दायीं ओर से छीन झपटकर खाने पर भी भूखे ही रहते हैं, \q2 और वह भी खा जाते हैं; \q1 जो बाएं ओर होता है, \q2 फिर भी तृप्‍त नहीं होते. \q1 उनमें से हर एक अपनी ही बांह के मांस को खा जाता है: \q2 \v 21 एफ्राईम मनश्शेह को खाता है और मनश्शेह एफ्राईम को; \q2 वे एक साथ होकर यहूदाह के विरुद्ध हो गए हैं. \b \q1 इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा, \q2 और उनका हाथ उठा रहेगा. \b \b \c 10 \q1 \v 1 हाय उन पर जो गलत न्याय करते \q2 और उन पर दबाव डालने की आज्ञा लिख देते हैं, \q1 \v 2 कि वे कंगालों को न्याय से दूर कर दें \q2 और गरीबों के अधिकारों को छीन लें, \q1 जिससे वे विधवाओं को लूट सकें \q2 और अनाथों को अपना शिकार बना सकें. \q1 \v 3 क्या करोगे तुम दंड और विनाश के दिन पर, \q2 जो दूर से आएगा? \q1 तब सहायता के लिए तुम दौड़कर किसके पास जाओगे? \q2 और कहां छिपाओगे अपने आपको? \q1 \v 4 बंदियों के बीच चापलूसी और मरे हुओं के बीच छिपने के सिवा \q2 कोई भी रास्ता नहीं रह जाएगा. \b \q1 इतना सब होने पर भी, उनका क्रोध नहीं हटेगा, \q2 और उनका हाथ उठा रहेगा. \s1 अश्शूर पर दण्डाज्ञा \q1 \v 5 “अश्शूर पर हाय, \q2 जो मेरे क्रोध का सोंटा तथा लाठी है! \q1 \v 6 मैं उसको एक श्रद्धाहीन जाति के विरुद्ध भेजूंगा, \q2 और उन लोगों के विरुद्ध जिनसे मैं क्रोधित हूं, \q1 उसे आज्ञा दे रहा हूं कि वह इसे उजाड़ दे, \q2 लूट ले और गलियों के कीचड़-समान रौंद डाले. \q1 \v 7 किंतु फिर भी उसकी इच्छा यह नहीं \q2 और न ही उसके हृदय में ऐसी कोई युक्ति है; \q1 परंतु उसका यह उद्देश्य है, \q2 कि वह अनेक देशों को नष्ट करे और मिटा डाले. \q1 \v 8 क्योंकि वह यह कहता है, ‘क्या मेरे सब हाकिम राजा नहीं? \q2 \v 9 क्या कलनो कर्कमीश व हामाथ अरपाद के \q2 और शमरिया दमेशेक के समान नहीं है? \q1 \v 10 इसलिये कि मेरा हाथ मूर्तियों के राज्य में पहुंच गया है, \q2 जिनकी गढ़ी हुई मूर्ति येरूशलेम और शमरिया से अधिक थी— \q1 \v 11 क्या मैं येरूशलेम और उसकी मूर्तियों के साथ वही करूंगा \q2 जैसा मैंने शमरिया और उसकी मूर्तियों के साथ किया था?’ ” \p \v 12 तब अब ऐसा होगा जब प्रभु ज़ियोन पर्वत और येरूशलेम में अपना सब काम पूरा कर चुके होंगे, तब वे अश्शूर के राजा को उसके विचारों और घमंड को तोड़ देंगे. \v 13 क्योंकि उनका यह मानना था: \q1 “ ‘अपनी ही समझ और बल से राज्य की सीमाओं को मैंने हटाया \q2 और उनके धन को लूट लिया. \q1 \v 14 देश के लोगों की धन-संपत्ति इस प्रकार कब्जे में की, \q2 जिस प्रकार चिड़िया घोंसलों को \q2 और बचे हुए अण्डों को इकट्ठा करती है.’ ” \b \q1 \v 15 क्या कुल्हाड़ी अपनी प्रशंसा करेगी, \q2 या आरी स्वयं को जो उसे खींचता है अच्छा होने का दावा करेगी? \q1 यह तो उसी प्रकार है जैसे लाठी उसे उठाए जो काठ है ही नहीं, \q2 या मुगदर अपने प्रयोक्ता को चलाए! \q1 \v 16 तब सर्वशक्तिमान याहवेह, \q2 उनके बलवान योद्धाओं को कमजोर कर देंगे; \q1 और उनके ऐश्वर्य के नीचे आग की \q2 सी जलन होगी. \q1 \v 17 इस्राएल की ज्योति आग \q2 और पवित्र ज्वाला होगी; \q2 और उसके झाड़ आग में जल जाएंगे. \q1 \v 18 वे उसके वन और फलदायक उद्यान के वैभव को ऐसे नष्ट कर देंगे, जैसे एक रोगी की देह \q2 और प्राण कमजोर होते हैं. \q1 \v 19 उसके वन में शेष रह गए वृक्षों की संख्या इतनी अल्प हो जाएगी \q2 कि कोई बालक भी इसकी गणना कर लेगा. \s1 इस्राएल का शेषांश \q1 \v 20 उस दिन इस्राएल के बचे हुए लोग, \q2 और याकोब वंश के भागे हुए लोग, \q1 अपने मारने वाले पर \q2 फिर विश्वास नहीं करेंगे, \q2 बल्कि याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर भरोसा रखेंगे. \q1 \v 21 याकोब में से बचे हुए लोग \q2 पराक्रमी परमेश्वर के पास लौट आएंगे. \q1 \v 22 क्योंकि हे इस्राएल, चाहे तुम्हारी प्रजा समुद्र के बालू के समान भी हो, \q2 किंतु उनमें से कुछ ही बच पाएंगे. \q1 लेकिन विनाश पूरे \q2 न्याय के साथ होगा. \q1 \v 23 क्योंकि विनाश करने का निर्णय \q2 प्रभु, सेनाओं के याहवेह ने ले लिया है. \p \v 24 इसलिये प्रभु, सेनाओं के याहवेह यों कहते हैं: \q1 “हे ज़ियोन में रहनेवाले, अश्शूरियों से न डरना; \q2 चाहे वे सोंटे से और लाठी से तुम्हें मारें. \q1 \v 25 क्योंकि कुछ ही समय में तुम पर मेरा गुस्सा शांत हो जाएगा \q2 और मैं उनको नाश कर दूंगा.” \b \q1 \v 26 सर्वशक्तिमान याहवेह उनको चाबुक से ऐसा मारेंगे, \q2 जैसा उन्होंने ओरेब की चट्टान पर मिदियान को मारा था. \q1 उनकी लाठी समुद्र पर होगी और वे इसे ऐसे उठा लेंगे, \q2 जैसे उन्होंने मिस्र में किया था. \q1 \v 27 उस दिन उनका बोझ तुम्हारे कंधों से हट जाएगा, \q2 और उनका जूआ तुम्हारी गर्दन से; \q1 यह जूआ अभिषेक के साथ \q2 तोड़ दिया जाएगा. \b \q1 \v 28 उन्होंने अय्याथ पर हमला कर दिया है; \q2 और वे मिगरोन में से होकर निकल गये हैं; \q2 मिकमाश में उन्होंने अपने हथियार रखे हैं. \q1 \v 29 वे घाटी पार करके, \q2 “वे गेबा में रात रुकेंगे.” \q1 रामाह डरा हुआ है; \q2 शाऊल का गिबियाह भाग गया है. \q1 \v 30 हे गल्लीम की पुत्री, ऊंचे स्वर में चिल्लाओ! \q2 हे लयशाह के लोगों, सुनो! \q2 हे अनाथोथ, ध्यान दो! \q1 \v 31 मदमेनाह भाग गया है; \q2 गीबाम के लोग जाने के लिये तैयार हैं. \q1 \v 32 वे आज नोब में रुकेंगे; \q2 वे ज़ियोन की पुत्री के पर्वत \q1 अर्थात् येरूशलेम की पहाड़ी को, \q2 अपनी ताकत दिखाएंगे. \b \q1 \v 33 देखो, प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह, \q2 भयानक रूप से डालियों को काट डालेंगे. \q1 और वे जो ऊंचे हैं, \q2 नीचे किए जाएंगे. \q1 \v 34 वे घने वन के झुरमुटों को काट डालेंगे; \q2 और सर्वसामर्थ्यी परमेश्वर लबानोन को नाश कर देंगे. \c 11 \s1 यिशै से एक डाली \q1 \v 1 यिशै के जड़ से एक कोंपल निकलेगी; \q2 और एक डाली फलवंत होगी. \q1 \v 2 याहवेह का आत्मा, \q2 बुद्धि और समझ का आत्मा, \q2 युक्ति और सामर्थ्य का आत्मा, \q2 ज्ञान और समझ की आत्मा— \q1 \v 3 उनकी खुशी याहवेह के प्रति ज्यादा होगी. \b \q1 वे मुंह देखकर न्याय नहीं करेंगे, \q2 न सुनकर करेंगे; \q1 \v 4 वे तो कंगालों का न्याय धर्म से, \q2 और पृथ्वी के नम्र लोगों का न्याय सच्चाई से करेंगे. \q1 वे अपने मुंह के शब्द से पृथ्वी पर हमला करेंगे; \q2 और अपनी फूंक से दुष्टों का नाश कर देंगे. \q1 \v 5 धर्म उनका कटिबंध \q2 और सच्चाई उनकी कमर होगी. \b \q1 \v 6 भेड़िया मेमने के साथ रहेगा, \q2 चीता बकरी के बच्चों के पास लेटेगा, \q1 बछड़ा, सिंह और एक पुष्ट पशु साथ साथ रहेंगे; \q2 और बालक उनको संभालेगा. \q1 \v 7 गाय और रीछ मिलकर चरेंगे, \q2 उनके बच्‍चे पास-पास रहेंगे, \q2 और सिंह बैल समान भूसा खाएगा. \q1 \v 8 दूध पीता शिशु नाग के बिल से खेलेगा, \q2 तथा दूध छुड़ाया हुआ बालक काला सांप के बिल में हाथ डालेगा. \q1 \v 9 मेरे पूरे पवित्र पर्वत पर \q2 वे न किसी को दुःख देंगे और न किसी को नष्ट करेंगे, \q1 क्योंकि समस्त पृथ्वी याहवेह के ज्ञान से ऐसे भर जाएगी \q2 जैसे पानी से समुद्र भरा रहता है. \p \v 10 उस दिन यिशै का मूल जो देशों के लिए झंडा समान प्रतिष्ठित होंगे और देश उनके विषय में पूछताछ करेंगे, तथा उनका विश्राम स्थान भव्य होगा. \v 11 उस दिन प्रभु उस बचे हुओं को लाने के लिए अपना हाथ बढ़ाएंगे, जिसे उन्होंने अश्शूर, मिस्र, पथरोस, कूश, एलाम, शीनार, हामाथ और समुद्री द्वीपों से मोल लिया है. \q1 \v 12 वे देशों के लिए एक झंडा खड़ा करेंगे \q2 इस्राएल में रहनेवाले; \q1 और यहूदाह के बिखरे लोगों को पृथ्वी के \q2 चारों कोनों से इकट्ठा करेंगे. \q1 \v 13 तब एफ्राईम की नफरत खत्म हो जाएगी, \q2 और यहूदाह के परेशान करनेवाले काट दिए जाएंगे; \q1 फिर एफ्राईम यहूदाह से नफरत नहीं करेगा, \q2 और न ही यहूदाह एफ्राईम को तंग करेगा. \q1 \v 14 वे पश्चिम दिशा में फिलिस्तीनियों पर टूट पड़ेंगे; \q2 और वे सब एकजुट होकर पूर्व के लोगों को लूट लेंगे. \q1 वे एदोम और मोआब को अपने अधिकार में कर लेंगे, \q2 और अम्मोनी उनके अधीन हो जाएंगे. \q1 \v 15 याहवेह मिस्र के समुद्र की खाड़ी को \q2 विनष्ट कर देंगे; \q1 वे अपने सामर्थ्य का हाथ बढ़ाकर फरात नदी को सात धाराओं में बांट देंगे, \q2 ताकि मनुष्य इसे पैदल ही पार कर सकें. \q1 \v 16 उनके बचे हुए लोगों के लिए \q2 अश्शूर से एक राजमार्ग होगा, \q1 जैसे इस्राएल के लिए हुआ \q2 था जब वे मिस्र से निकले थे. \c 12 \s1 स्तुति के गीत \p \v 1 उस दिन तुम कहोगे: \q1 “याहवेह, मैं आपका आभार मानूंगा. \q2 यद्यपि आप मुझसे क्रोधित थे, \q1 अब आपका गुस्सा शांत हो गया \q2 और आपने मुझे शांति दी है. \q1 \v 2 परमेश्वर मेरे उद्धारकर्ता हैं; \q2 मैं भरोसा रखूंगा और न डरूंगा. \q1 क्योंकि याह, हां याहवेह ही, मेरा बल और मेरा गीत हैं; \q2 वे मेरे उद्धारकर्ता हो गए हैं.” \q1 \v 3 तुम उद्धार के स्रोतों से \q2 आनंदपूर्वक जल भरोगे. \p \v 4 उस दिन तुम कहोगे: \q1 “याहवेह की प्रशंसा करो, उनके नाम की दोहाई दो; \q2 जनताओं में उनके कामों का प्रचार करो, \q2 उन्हें यह याद दिलाओ कि प्रभु का नाम गौरवान्वित है. \q1 \v 5 गीतों से याहवेह की स्तुति करो, क्योंकि उन्होंने प्रतापमय काम किए हैं; \q2 और सारी पृथ्वी पर यह प्रकट हो जाए. \q1 \v 6 ज़ियोन के लोगों, ऊंचे स्वर से जय जयकार करो, \q2 क्योंकि इस्राएल के पवित्र परमेश्वर तुम्हारे साथ हैं.” \c 13 \s1 बाबेल पर दण्डाज्ञा \p \v 1 आमोज़ के पुत्र यशायाह को दर्शन मिला कि: \q1 \v 2 निर्जन पहाड़ी पर झंडा खड़ा करो, \q2 ऊंची आवाज से कहो कि; \q2 वे फाटकों से प्रवेश करें. \q1 \v 3 मैंने युद्ध के लिये अपने प्रशिक्षित लोगों से कहा है; \q2 और मैंने अपने क्रोध के लिए मेरे योद्धाओं को बुलाया है— \q2 जो गर्व के साथ आनंद करते हैं. \b \q1 \v 4 पर्वतों पर राज्य-राज्य से इकट्ठी की गई, \q2 बड़ी भीड़ का शोर सुनाई दे रहा है! \q1 और सेनाओं के याहवेह युद्ध के लिए \q2 अपनी सेना इकट्ठी कर रहे हैं. \q1 \v 5 वे दूर देशों से, \q2 आकाश की छोर से— \q1 याहवेह क्रोधित होकर— \q2 देश को नाश करने आ रहे हैं. \b \q1 \v 6 विलाप करो, क्योंकि याहवेह का दिन निकट है; \q2 वे सर्वशक्तिमान की ओर से सबको नाश करने आएंगे. \q1 \v 7 इसलिये सबके हाथ कमजोर हो जाएंगे, \q2 और सब मनुष्य का हृदय पिघल जाएगा. \q1 \v 8 वे निराश हो जाएंगे: \q2 दर्द और तकलीफ़ बढ़ जाएगी. \q1 वे हैरानी से एक दूसरे की ओर देखेंगे, \q2 और उनके मुंह जल जाएंगे. \b \q1 \v 9 याद रखो, याहवेह का दिन \q2 क्रोध और निर्दयता के साथ आता है— \q1 कि पृथ्वी को उजाड़ दे \q2 और पापियों को नाश करे. \q1 \v 10 उस दिन तारे और चंद्रमा \q2 अपनी रोशनी नहीं देंगे, \q1 और सूर्य उदय होते ही \q2 अंधेरा हो जाएगा. \q1 \v 11 मैं संसार को उसकी दुष्टता \q2 और बुराई के लिए दंड दूंगा. \q1 मैं घमंड को खत्म करूंगा \q2 और दुष्ट लोगों के गर्व को नाश कर दूंगा. \q1 \v 12 मैं मनुष्य को कुन्दन से भी अधिक मूल्यवान बनाऊंगा, \q2 और ओफीर के सोने से भी अधिक महंगा करूंगा. \q1 \v 13 सर्वशक्तिमान याहवेह अपने क्रोध से, \q2 आकाश को कंपित करेंगे, \q2 और पृथ्वी अपने स्थान से हिल जाएगी. \b \q1 \v 14 शिकार की गई हिरणी, \q2 और उन भेड़ों के समान जिनका कोई नहीं जो उन्हें संभाल सके, \q1 उनमें से वे अपने लोगों की \q2 ओर भाग जाएंगे. \q1 \v 15 वहां जो कोई भी पाया गया वह मार दिया जाएगा; \q2 और जो कोई भी पकड़ा गया उसे तलवार से घात किया जाएगा. \q1 \v 16 उनके शिशु उनके सामने ही टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएंगे; \q2 उनके घर लूट लिए जाएंगे और उनकी पत्नियों से बलात्कार किए जाएंगे. \b \q1 \v 17 याद रहे, कि मैं इनके विरुद्ध मेदिया लोगों को भेजूंगा, \q2 जिनको चांदी \q2 और सोने का लालच नहीं है. \q1 \v 18 वे तीर से जवानों को मारेंगे; \q2 और उनके बच्चों पर दया नहीं करेंगे, \q2 और न तरस खाएंगे. \q1 \v 19 जब परमेश्वर उन्हें नाश कर देंगे तब बाबेल, \q2 राज्यों का वैभव, \q1 कसदियों की भव्यता और उनका दिखावा \q2 सदोम और अमोराह के समान हो जाएगा. \q1 \v 20 फिर से इस देश को बसाया न जाएगा \q2 और कोई भी अरबी उसमें तंबू नहीं लगाएगा; \q2 और न ही कोई चरवाहे अपनी भेड़ों को चराएंगे. \q1 \v 21 लेकिन इसमें जंगली पशु रहेंगे, \q2 उनके घर गीदड़ों से भरे होंगे; \q1 और शुतुरमुर्ग बसेंगे, \q2 और वन्य बकरे छलांग लगाएंगे. \q1 \v 22 लकड़बग्घे उनके आश्रय-स्थलों \q2 और गीदड़ सुख-विलास के मंदिरों में कोलाहल करेंगे. \q1 उसके नाश होने का दिन पास है, \q2 बहुत जल्दी यह सब कुछ पूरा होगा. \b \b \c 14 \q1 \v 1 याकोब पर याहवेह की कृपा होगी; \q2 वे इस्राएल को फिर से अपना लेंगे \q2 और उन्हें उनके ही देश में बसा देंगे. \q1 परदेशी उनसे मिल जायेंगे. \q1 \v 2 देश-देश के लोग उन्हें उन्हीं के स्थान में आने के लिए सहायता करेंगे \q2 जो याहवेह ने उन्हें दिया है, \q2 वह देश इस्राएल के दास और दासियां होंगे. \q1 इस्राएल उन्हें अपना बंदी बना लेंगे जिनके वे बंदी हुआ करते थे \q2 वे उन पर शासन करेंगे जिन्होंने उन पर अत्याचार किया था. \p \v 3 उस दिन याहवेह तुम्हारी पीड़ा, बेचैनी तथा उस कठिन परिश्रम को खत्म करेंगे जो तुमसे करवाया जाता था, \v 4 तब तुम बाबेल के राजा पर यह ताना मारोगे कि: \q1 सतानेवाले का कैसा अंत हुआ! \q2 उसका सुनहरा मंदिर से भरा नगर नाश हो गया! \q1 \v 5 याहवेह ने दुष्ट के दंड \q2 और शासकों की लाठी को तोड़ डाला है, \q1 \v 6 जो जनताओं पर निरंतर सताव \q2 और गुस्से में शासन करता था. \q1 \v 7 पूरी पृथ्वी को विश्राम और चैन मिला है; \q2 और सब खुश होकर गा उठे हैं. \q1 \v 8 सनोवर और लबानोन के \q2 केदार उससे खुश हैं और कहते हैं, \q1 “कि जब से उसको गिरा दिया है, \q2 तब से हमें कोई काटने नहीं आया है.” \b \q1 \v 9 अधोलोक तुम्हारे आगमन पर \q2 तुमसे मिलने के लिए खुश है; \q1 यह तुम्हारे लिए मरे हुओं की आत्माओं को— \q2 जो पृथ्वी के सरदार थे; \q1 उन सभी को उनके सिंहासनों से उठाकर खड़ा कर रहा है \q2 जो देशों के राजा थे. \q1 \v 10 वे सब तुमसे कहेंगे, \q1 “तुम भी हमारे समान कमजोर हो गए हो; \q2 तुम भी हमारे समान बन गए हो.” \q1 \v 11 तुम्हारा दिखावा और तुम्हारे सारंगी का \q2 संगीत नर्क तक उतारा गया है; \q1 कीट तुम्हारी बिछौना \q2 और कीड़े तुम्हारी ओढ़नी समान हैं. \b \q1 \v 12 हे भोर के तारे! \q2 स्वर्ग से तुम अलग कैसे हुए. \q1 तुमने देशों को निर्बल कर दिया था, \q2 तुम काटकर भूमि पर कैसे गिरा दिए गए! \q1 \v 13 तुमने सोचा, \q2 “मैं स्वर्ग तक चढ़ जाऊंगा; \q1 मैं अपना सिंहासन परमेश्वर के \q2 तारागणों से भी ऊपर करूंगा; \q1 मैं उत्तर दिशा के दूर स्थानों में \q2 ज़ेफोन पर्वत पर विराजमान होऊंगा. \q1 \v 14 मैं बादल के ऊपर चढ़ जाऊंगा; \q2 और परम प्रधान परमेश्वर के समान हो जाऊंगा.” \q1 \v 15 परंतु तू अधोलोक के नीचे, \q2 नरक में ही उतार दिया गया है. \b \q1 \v 16 जो तुम्हें देखेंगे वे तुम्हें बुरी नजर से देखेंगे, \q2 और वे तुम्हारे बारे में यह कहेंगे: \q1 “क्या यही वह व्यक्ति है जिसने पृथ्वी को कंपा \q2 और देशों को हिला दिया था, \q1 \v 17 जिसने पृथ्वी को निर्जन बना दिया, \q2 और नगरों को उलट दिया था, \q2 जिसने बंदियों को उनके घर लौटने न दिया था?” \b \q1 \v 18 सभी देशों के सब राजा अपनी-अपनी \q2 कब्र में सो गए हैं. \q1 \v 19 परंतु तुम्हें तुम्हारी कब्र से \q2 एक निकम्मी शाखा के समान निकालकर फेंक दिया गया है; \q1 जिन्हें तलवार से मार दिया गया, \q2 तुम पैरों के नीचे कुचले गए \q1 और गड्ढे में पत्थरों के नीचे फेंक दिये गये. \q2 \v 20 तुम उन सबके साथ कब्र में दफनाए नहीं जाओगे, \q1 तुमने अपने देश का नाश किया \q2 और अपने ही लोगों को मारा है. \b \q1 \v 21 उनके पूर्वजों की गलतियों के कारण \q2 उनके पुत्रों के घात का स्थान तैयार करो; \q1 ऐसा न हो कि वे उठें और पृथ्वी पर अपना अधिकार कर लें \q2 और सारी पृथ्वी को अपने नगरों से भर दें. \b \q1 \v 22 “मैं उनके विरुद्ध उठ खड़ा हो जाऊंगा,” \q2 सेनाओं के याहवेह कहते हैं. \q1 “मैं बाबेल से उनके बचे हुए वंश, \q2 तथा भावी पीढ़ियों के नाम तक को मिटा दूंगा,” \q2 याहवेह कहते हैं! \q1 \v 23 “मैं उसे उल्लुओं के अधिकार में कर दूंगा \q2 और उसे झीलें बना दूंगा; \q2 मैं इसे विनाश के झाड़ू से झाड़ दूंगा.” \p \v 24 सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह शपथ की है, \q1 “जैसा मैंने सोचा है, वैसा ही होगा, \q2 और जैसी मेरी योजना है, वह पूरी होगी. \q1 \v 25 अपने देश में मैं अश्शूर के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा; \q2 और पहाड़ों पर उसे कुचल डालूंगा. \q1 उसके बंधन का बोझ इस्राएलियों से हट जाएगा, \q2 और उनके कंधों से उनका बोझ उठ जाएगा.” \b \q1 \v 26 यह वह योजना है जो सारी पृथ्वी के लिये ठहराई गई है; \q2 और यह वह हाथ है जो सब देशों के विरुद्ध उठा है. \q1 \v 27 जो बात सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह कही है, उसे कौन बदल सकेगा? \q2 उनका हाथ उठ गया है, तो कौन उसे रोक सकेगा? \s1 फिलिस्तीन के विरोध में भविष्यवाणी \p \v 28 जिस वर्ष राजा आहाज़ की मृत्यु हुई उसी वर्ष यह भविष्यवाणी की गई: \q1 \v 29 फिलिस्तीनी के साथ, आनंदित मत होना, \q2 जिस लाठी से तुम्हें मारा था वह टूट गई है; \q1 क्योंकि सांप के वंश से काला नाग पैदा होगा, \q2 और उससे उड़ते हुए सांप पैदा होंगे. \q1 \v 30 वे जो कंगाल हैं उन्हें भोजन मिलेगा, \q2 और गरीब सुरक्षित रहेंगे. \q1 मैं तुम्हारे वंश को दुःख से मार डालूंगा; \q2 और तुम्हारे बचे हुए लोग घायल किए जायेंगे. \b \q1 \v 31 हे फाटक! तू हाय कर, हे नगर! तू चिल्ला. \q2 हे फिलिस्तिया देश! डर से तू पिघल जा. \q1 क्योंकि उत्तर दिशा से धुआं उठ रहा है, \q2 और उसकी सेना में कोई पीछे नहीं रहेगा. \q1 \v 32 देशों के लोगों को \q2 कौन उत्तर देगा? \q1 “याहवेह ने ज़ियोन की नींव डाली है, \q2 उसमें दुखियों को शरण मिलेगी.” \c 15 \s1 मोआब के विरोध में भविष्यवाणी \p \v 1 एक ही रात में मोआब का: \q2 आर नगर उजाड़ दिया गया, \q1 और उसी रात में मोआब के, \q2 कीर नगर को नाश कर दिया गया! \q1 \v 2 दीबोन रोने के लिए अपने मंदिर में, हां उसकी ऊंची जगह में चढ़ गए; \q2 और मोआब के लोग नेबो और मेदेबा नगरों के लिये दुःखी होकर चिल्ला रहे हैं. \q1 वे दुःखी होकर अपने सिर \q2 और दाढ़ी मुंडवा रहे हैं. \q1 \v 3 और सड़कों में वे टाट ओढ़े हुए हैं; \q2 और अपने घरों की छतों और मैदानों में \q1 वे रो-रोकर, \q2 आंसू बहा रहे हैं. \q1 \v 4 हेशबोन तथा एलिआलेह नगर चिल्ला रहे हैं, \q2 और उनकी चिल्लाहट याहज़ नगर तक सुनाई दे रही है. \q1 इसलिये मोआब के सैनिक चिल्ला रहे हैं, \q2 और मोआब कांप उठा है. \b \q1 \v 5 मेरा हृदय मोआब के लिए दुःखी है; \q2 मोआब के लोग ज़ोअर, \q2 तथा एगलथ शलिशियाह के नगर में चले गए हैं. \q1 वे लूहीत की चढ़ाई, \q2 रोते हुए चढ़ रहे हैं; \q1 होरोनयिम की सड़क पर \q2 इस नाश के कारण रो रहे हैं. \q1 \v 6 निमरीम नदी सूख गयी है, \q2 घास मुरझा गई है; \q2 हरियाली नहीं बची है. \q1 \v 7 इस कारण जो धन उन्होंने अपने लिये बचाया था \q2 वे उसे अराबीम नाले के उस पार ले जा रहे हैं. \q1 \v 8 मोआब के देश में सब की चिल्लाहट सुनाई दे रही है; \q2 इसके रोने की आवाज एगलयिम, \q2 तथा बेर-एलीमा नगरों तक पहुंच गयी है. \q1 \v 9 क्योंकि दीमोन के सोते खून से भरे हैं, \q2 फिर भी मैं दीमोन पर और अधिक विपत्ति डालूंगा— \q1 भागे हुए मोआबी लोग \q2 तथा उस देश के बचे हुए लोगों के विरुद्ध मैं एक सिंह भेजूंगा. \b \b \c 16 \q1 \v 1 सेला नगर से \q2 ज़ियोन की बेटी के पर्वत पर, \q1 बंजर भूमि से हाकिम के लिए, \q2 एक मेमना तैयार करो. \q1 \v 2 आरनोन के घाट पर \q2 मोआब की बेटियां ऐसी हो गईं, \q1 जैसे घोंसले से पक्षियों के बच्चों को \q2 उड़ा दिया गया हो. \b \q1 \v 3 “हमें समझाओ, \q2 हमारा न्याय करो, और दिन में हमें छाया दो. \q1 घर से निकाले हुओं को सुरक्षा दो, \q2 भागे हुओं को मत पकड़वाओ. \q1 \v 4 मोआब के घर से निकाले हुओं को अपने बीच में रहने दो; \q2 विनाश करनेवालों से मोआब को बचाओ.” \b \q1 क्योंकि दुःख का अंत हो चुका है, \q2 और कष्ट समाप्‍त हो चुका है; \q2 और जो पैरों से कुचलता था वह नाश हो चुका है. \q1 \v 5 तब दया के साथ एक सिंहासन बनाया जाएगा; \q2 और दावीद के तंबू में \q2 एक व्यक्ति सच्चाई के साथ विराजमान होगा— \q1 यह वह व्यक्ति है जो न्याय से निर्णय करेगा \q2 और सच्चाई से काम करने में देरी न करेगा. \b \q1 \v 6 हमने मोआब के अहंकार— \q2 उसके अभिमान, \q1 गर्व और क्रोध के बारे में सुना है; \q2 वह सब झूठा था. \q1 \v 7 इसलिये मोआब को \q2 मोआब के लिए रोने दो. \q1 और कीर-हेरासेथ नगर की दाख की टिकियों के \q2 लिए दुःखी होगा. \q1 \v 8 हेशबोन के खेत तथा सिबमाह के दाख की बारी सूख गई हैं; \q2 देशों के शासकों ने अच्छी फसल को नुकसान कर दिया. \q1 \v 9 इसलिये मैं याज़र के लिए रोऊंगा, \q2 और सिबमाह के दाख की बारी के लिए दुःखी होऊंगा. \q1 हेशबोन तथा एलिआलेह, \q2 मैं तुम्हें अपने आंसुओं से भिगो दूंगा! \q1 क्योंकि तुम्हारे फल और तुम्हारी उपज की \q2 खुशी समाप्‍त हो गई है. \q1 \v 10 फलदायी बारी से आनंद और उनकी खुशी छीन ली गई है; \q2 दाख की बारी में से भी कोई खुशी से गीत नहीं गाएगा; \q1 कोई व्यापारी दाखरस नहीं निकाल रहा है, \q2 क्योंकि मैंने सब की खुशी खत्म कर दी है. \q1 \v 11 मेरा मन मोआब के लिए \q2 और ह्रदय कीर-हेरासेथ के लिए वीणा के समान आवाज करता है. \q1 \v 12 जब मोआब ऊंचाई पर जाकर थक \q2 जाए और प्रार्थना करने के लिए \q1 पवित्र स्थान में जाता है, \q2 उससे उनको कोई फायदा नहीं होगा. \p \v 13 यह मोआब के लिये पहले कहा हुआ याहवेह का वचन है. \v 14 परंतु अब याहवेह ने यों कहा: “मजदूरों की तीन वर्षों की गिनती के अनुसार, मोआब का वैभव तिरस्कार में तुच्छ जाना जाएगा और उसके बचे हुए अत्यंत कम और कमजोर होंगे.” \c 17 \s1 दमेशेक के विरोध में भविष्यवाणी \p \v 1 दमेशेक के विरोध में एक भविष्यवाणी: \q1 दमेशेक एक नगर न रहकर खंडहरों का एक ढेर बन जाएगा. \q1 \v 2 अरोअर के नगर उजाड़ कर दिए गए हैं \q2 वहां पशु चरेंगे और आराम करेंगे \q2 और उन्हें भगाने वाला कोई नहीं होगा. \q1 \v 3 एफ्राईम के गढ़ गुम हो जाएंगे, \q2 दमेशेक के राज्य में कोई नहीं बचेगा; \q2 यह सर्वशक्तिमान याहवेह की यह वाणी है. \b \q1 \v 4 “उस दिन याकोब का वैभव कम हो जाएगा; \q2 और उसका शरीर कमजोर हो जाएगा. \q1 \v 5 और ऐसा होगा जैसा फसल काटकर बालों को बांधे, \q2 या रेफाइम नामक तराई में सिला बीनता हो. \q1 \v 6 जैतून के पेड़ को झाड़ने पर कुछ फल नीचे रह जाते हैं, \q2 उसी प्रकार इसमें भी बीनने के लिए कुछ बच जाएगा,” \q2 यह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी है. \b \q1 \v 7 उस दिन मनुष्य अपने सृष्टिकर्ता की ओर अपनी आंखें उठाएंगे \q2 और उनकी दृष्टि इस्राएल के उस पवित्र की ओर होगी. \q1 \v 8 वह अपनी बनाई हुई धूप वेदी \q2 और अशेरा नामक मूर्ति या सूर्य को न देखेगा. \p \v 9 उस समय उनके गढ़वाले नगर, घने बंजर भूमि हो जाएंगे अथवा जो इस्राएल के डर से छोड़ दिए गए हो, उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा. \q1 \v 10 क्योंकि तुम अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गए; \q2 और अपनी चट्टान को याद नहीं किया, इसलिये तब \q1 चाहे तुम अच्छे पौधे \q2 और किसी अनजान के लिए दाख की बारी लगाओ, \q1 \v 11 उगाने के बाद तुम इसे बढ़ा भी लो \q2 और जो बीज तुमने लगाया और उसमें कोपल निकल आये, \q1 किंतु दुःख और तकलीफ़ के कारण \q2 उपज की कोई खुशी नहीं प्राप्‍त होगी. \b \q1 \v 12 हाय देश-देश के बहुत से लोगों का कैसा अपमान हो रहा है— \q2 वे समुद्र की लहरों के समान उठते हैं! \q2 और प्रचंड धारा के समान दहाड़ते हैं! \q1 \v 13 जैसे पहाडों से भूसी और धूल उड़कर फैलती है, \q2 वैसे ही राज्य-राज्य के लोग बाढ़ में बहते हुए बिखर जाएंगे. \q1 \v 14 शाम को तो घबराहट होती है! \q2 परंतु सुबह वे गायब हो जाते हैं! \q1 यह उनके लिए है जिन्होंने हमें लूटा है, \q2 और इससे भी ज्यादा उनके लिए जिन्होंने हमें सताया है. \b \c 18 \s1 कूश के विरोध में भविष्यवाणी \q1 \v 1 हाय कूश नदी के दूसरी \q2 ओर के देश पर जहां पंखों की फड़फड़ाहट की आवाज सुनाई देती है, \q1 \v 2 वह जो पानी में पपीरस नौकाओं में समुद्र के द्वारा दूत भेजता है, \b \q1 तुम जो स्वस्थ और लंबे डीलडौल के हो, \q1 उस देश में उन लोगों के पास जाओ, \q2 जहां दूर-दूर तक जिनका डर मन में है, \q1 तथा जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, \q2 और जिनके बीच से नदियां बहती हैं. \q1 \v 3 हे सारी पृथ्वी के लोगों सुनो, \q1 जब पर्वतों पर झंडा ऊंचा किया जाए \q2 और जब तुरही फूंकी जायेगी, \q1 \v 4 तब याहवेह ने मुझसे कहा, \q2 “सूर्य की तेज धूप तथा कटनी के समय ओस के बादल में रहकर मैं चुपचाप देखूंगा.” \q1 \v 5 क्योंकि जैसे ही कलियां खिल जाएं \q2 और फूल पके हुए दाख बन जाएं, \q1 तब याहवेह टहनी से वह अंकुरों को छांटेंगे, \q2 और बढ़ती हुई डालियों को काटकर अलग कर देंगे. \q1 \v 6 जो मांसाहारी पक्षियों \q2 और पृथ्वी के पशुओं के लिए होगा; \q1 मांसाहारी पक्षी इन पर धूप में, \q2 तथा पृथ्वी के पशु इस पर सर्दी में बैठेंगे. \p \v 7 स्वस्थ और लंबे डीलडौल के \q1 लोग जो अजीब भाषा का, आक्रामक राष्ट्र हैं, जिन्हें दूर और पास के सब लोग डरते हैं, \q2 और जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, \q2 जिसके बीच से नदियां बहती हैं— \m उनकी ओर से उस समय सेनाओं के याहवेह के नाम में प्रतिष्ठित ज़ियोन पर्वत पर भेंट लाई जाएगी. \c 19 \s1 मिस्र के विरोध में भविष्यवाणी \p \v 1 मिस्र के विरोध में भविष्यवाणी: \q1 देखो, याहवेह उड़नेवाले बादलों पर सवार होकर \q2 मिस्र आ रहे हैं. \q1 उनके आने से मूर्तियां हिलने लगेंगी, \q2 और मिस्र के लोग कांपने लगेंगे. \b \q1 \v 2 “मैं मिस्रियों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काऊंगा— \q2 वे आपस में झगड़ा करेंगे, भाई अपने भाई से, \q2 पड़ोसी अपने पड़ोसी से, \q2 नगर दूसरे नगर के विरुद्ध, \q2 और राज्य दूसरे राज्य के विरुद्ध हो जायेंगे. \q1 \v 3 तब मिस्रियों की हिम्मत टूट जाएगी, \q2 और मैं उनकी सब योजनाओं को विफल कर दूंगा; \q1 तब वे मूर्तियां, ओझों, तांत्रों \q2 तथा टोन्हों की शरण में जाएंगे. \q1 \v 4 मैं मिस्रियों को एक \q2 निर्दयी स्वामी के अधीन कर दूंगा, \q1 और एक भयंकर राजा उन पर शासन करेगा,” \q2 सर्वशक्तिमान याहवेह की यह वाणी है. \b \q1 \v 5 समुद्र का जल सूख जाएगा, \q2 और नदियां भी सूख कर खाली हो जाएंगी. \q1 \v 6 नदियों से बदबू आएगी; \q2 और मिस्र की नहरें सूख कर खाली हो जाएंगी. \q1 सरकंडे और सिवार मुरझा जाएंगे, \q2 \v 7 नदी तट के मुहाने के सरकंडे, \q2 और नदी के किनारे में लगाए गए पौधे सूख जाएंगे, वहां कुछ नहीं बचेगा. \q1 \v 8 मछुवे रोएंगे, \q2 जो नील नदी में मछली पकड़ने लिए जाल डालते हैं; \q2 वे दुःखी होंगे. \q1 \v 9 सूत बुनने वाले निराश होंगे. बुनकरों की उम्मीद कम हो जाएगी! \q1 \v 10 मिस्र के अमीर लोग निराश होंगे, \q2 और भाड़े के मज़दूर उदास हो जाएंगे. \b \q1 \v 11 ज़ोअन के शासक सब मूर्ख हैं; \q2 फ़रोह के सब मंत्री मूर्ख हैं. \q1 तुम फ़रोह से कैसे कह सकते हो, \q2 “मैं बुद्धिमान राजा का पुत्र हूं.” \b \q1 \v 12 तो, कहां है तुम्हारी बुद्धि? \q2 जो बता सके कि \q1 मिस्र के विरुद्ध सर्वशक्तिमान याहवेह ने \q2 क्या योजना बनाई है. \q1 \v 13 ज़ोअन के शासक मूर्ख हैं, \q2 और नोफ के उच्च अधिकारियों को धोखा मिला; \q1 जो उसके कुल के मुखिया थे \q2 वे मिस्र को विनाश की ओर ले गए हैं. \q1 \v 14 याहवेह ने मुखियाओं को \q2 मूर्खता की आत्मा दी है, \q1 मिस्र को उसके \q2 सब कामों में धोखा दे रहे थे. \q2 वे मतवाले की नाई डगमगाते थे. \q1 \v 15 मिस्र की न तो सिर और न ही पूंछ न ही ऊपर खजूर की डाली \q2 और न नीचे सरकंडा किसी प्रकार से सहायक हो सकेगा. \p \v 16 उस समय मिस्री स्त्रियों के समान होगें. जब याहवेह उन पर अपना हाथ बढ़ायेंगे तब वे डरकर कांपने लगेंगे. \v 17 यहूदाह मिस्र के लोगों के लिए डर का कारण हो जाएगा; जो कोई इनकी बात सुनेगा वह कांप जाएगा, त्सबाओथ के याहवेह ने उनके विरुद्ध ऐसा ही किया है. \p \v 18 उस समय मिस्र देश में पांच नगर होंगे जो कनानी भाषा बोलेंगे और वे सर्वशक्तिमान याहवेह के प्रति आदर रखने की शपथ खाएंगे. उन पांच नगरों में से एक नगर का नाम नाश नगर\f + \fr 19:18 \fr*\fq नाश नगर \fq*\ft कुछ पाण्डुलिपियों में \ft*\fqa सूर्य नगर\fqa*\f* रखा जाएगा. \p \v 19 उस समय वे मिस्र देश में याहवेह के लिए एक वेदी और गढ़ बनाएंगे, और मिस्र की सीमाओं में याहवेह के लिये एक खंभा खड़ा होगा. \v 20 मिस्र देश में यह सर्वशक्तिमान याहवेह का एक चिन्ह और साक्षी होगा. जब वे दुःख देने वालों के कारण याहवेह को पुकारेंगे, तब याहवेह उनके पास एक उद्धारकर्ता और रक्षक भेजकर उनको छुड़ाएंगे. \v 21 याहवेह स्वयं अपने आपको मिस्रियों पर प्रकट करेंगे, और उस दिन मिस्री याहवेह को पहचानेंगे और बलि और भेंट के साथ याहवेह की आराधना करेंगे. वे याहवेह की शपथ खाएंगे और उन्हें पूरा भी करेंगे. \v 22 याहवेह मिस्रियों को मारेंगे; याहवेह मारेंगे और चंगा भी करेंगे. तब वे याहवेह की ओर लौट आएंगे, याहवेह उन्हें उत्तर देंगे और चंगा करेंगे. \p \v 23 उस समय मिस्र से अश्शूर तक एक राजमार्ग होगा. अश्शूरी मिस्र देश में आएंगे और मिस्री अश्शूर देश में और दोनों मिलकर आराधना करेंगे. \v 24 उस समय मिस्र, अश्शूर तथा इस्राएल तीनों पृथ्वी पर आशीष पायेंगे. \v 25 जिनके विषय में याहवेह ने कहा है, “मेरी प्रजा मिस्र पर आशीष पाए और अश्शूर, जो मेरे हाथों की रचना है, तथा इस्राएल भी जो मेरी मीरास है.” \c 20 \s1 मिस्र और कूश के विरुद्ध चिन्ह \p \v 1 जिस वर्ष अश्शूर के राजा सर्गोन ने सेनापति बनाया, उस वर्ष उसने अशदोद पर हमला कर उस पर अधिकार कर लिया— \v 2 उस समय याहवेह ने आमोज़ के पुत्र यशायाह से कहा, “जाओ, अपनी कमर से टाट खोल दो तथा अपने पांव के जूते उतार दो.” तब यशायाह वस्त्रहीन और नंगे पांव रहता था. \p \v 3 तब याहवेह ने यह कहा, “जिस प्रकार मेरा सेवक यशायाह मिस्र और कूश के लिए एक नमूना बना वह तीन वर्ष तक वस्त्रहीन तथा नंगे पांव रहा, \v 4 उसी प्रकार अश्शूर का राजा मिस्रियों और कूश देश के लोगों को बंधक बनाकर देश से निकाल देगा, सबको चाहे वे जवान हों, बूढ़े हों सबको बंधुआ बनाकर बिना वस्त्र और नंगे पांव ले जाएगा. \v 5 तब कूश के कारण जिस पर उनको आशा थी और मिस्र पर वे घमंड करते थे वे विनाश और लज्जित हो जाएंगे. \v 6 और उस समय समुद्रतट के किनारे रहनेवाले कहेंगे कि, ‘देखो जिस पर हमारी आशा थी और अपने आपको बचाने के लिये हम अश्शूर के राजा के पास जानेवाले थे! अब उनकी ही ऐसी दशा हो गई तो अब हम कैसे बचेंगे?’ ” \c 21 \s1 बाबेल के विरुद्ध में भविष्यवाणी \p \v 1 समुद्र किनारे की मरुभूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी: \q1 जिस प्रकार दक्षिण के भूमि में आंधी आती है, \q2 उसी प्रकार बंजर भूमि से, \q2 अर्थात् आतंक का देश से निकलकर आक्रमणकारी आ रहा है. \b \q1 \v 2 मुझे एक दर्शन मिला जो दुःख का था कि: \q2 विश्वासघाती विश्वासघात करता है और नाशक नाश करता है. \q1 हे एलाम, चढ़ाई करो! हे मेदिया, सबको घेर लो! \q2 मैं उन सबके दुःख को खत्म कर दूंगा जो उसके कारण हुए हैं. \b \q1 \v 3 इस कारण मेरे शरीर में दर्द है, \q2 मैं इतना घबरा गया हूं, कि मुझे सुनाई नहीं देता; \q1 मैं इतना डर गया हूं, \q2 कि मुझे दिखाई नहीं देता. \q1 \v 4 मेरा हृदय कांपता है, \q2 डर ने मुझे घेर लिया है; \q1 वह शाम जिसकी मुझे चाह थी \q2 वह डर में बदल गई है. \b \q1 \v 5 भोजन की तैयारी हो गई \q2 और मेहमानों को बिठाया जा रहा है, \q1 शासकों उठो, \q2 ढालों पर तेल लगाओ! \p \v 6 प्रभु ने मुझसे कहा है: \q1 “जाओ, एक पहरेदार को खड़ा करो \q2 और जो कुछ वह देखे उसे बताने दो. \q1 \v 7 जब घोड़ों, गधों और ऊंटों पर \q2 सवारी आता देखे तब उन पर खास दे.” \p \v 8 तब वह पहरेदार सिंह के समान गुर्राते हुए कहेगा, \q1 “हे स्वामी, मैं दिन भर खड़ा पहरा देता रहता हूं; \q2 और पूरी रात जागता हूं. \q1 \v 9 और देखो रथ में एक आदमी आता है, \q2 दो-दो घोड़ों के रथ में सवार होकर आ रहे हैं. \q1 उसने कहा: \q2 ‘गिर गया, बाबेल गिर गया! \q1 सभी मूर्तियां गिरकर \q2 चूर-चूर हो गई हैं!’ ” \b \q1 \v 10 हे मेरे कुचले गए पुत्र, \q2 हे मेरे खलिहान के पुत्र \q1 सर्वशक्तिमान याहवेह इस्राएल के परमेश्वर ने, \q2 मुझसे जो कुछ कहा, वह मैंने तुम्हें बता दिया. \s1 एदोम के विरोध में भविष्यवाणी \p \v 11 दूमाह\f + \fr 21:11 \fr*\fq दूमाह \fq*\ft एदोम का दूसरा नाम \ft*\ft अर्थ \ft*\fqa खामोशी\fqa*\f* के विरोध में भविष्यवाणी: \q1 सेईर से मुझे कोई बुला रहा है, \q2 “हे पहरेदार, रात की क्या ख़बर है?” \q1 \v 12 पहरेदार ने कहा, \q2 “सुबह होती है, और रात भी. \q1 और जो कुछ आप पूछना चाहते हैं, पूछिए; \q2 और पूछने के लिये आईये.” \s1 अराबिया के खिलाफ़ एक भविष्यवाणी \q1 \v 13 अराबिया के खिलाफ़ एक भविष्यवाणी: ददान के यात्री संघो, \q2 अराबिया के बंजर भूमि में तुम रात बिताओगे, \q2 \v 14 तेमा देश के लोगों को पानी पिलाओगे; \q1 भागे हुओं को खाना दो. \q1 \v 15 क्योंकि वे युद्ध से भागे हुए हैं, \q2 और तलवार \q1 और धनुष के \q2 सामने से भागे हुए हैं. \p \v 16 क्योंकि प्रभु ने मुझसे ऐसा कहा है: “मज़दूर के अनुसार एक ही वर्ष में, केदार की शान खत्म हो जाएगी. \v 17 केदार के तीर चलानेवालों की गिनती कम हो जाएगी.” यह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, का वचन है. \c 22 \s1 येरूशलेम के विषय में नबूवत \p \v 1 दर्शन की घाटी के विरुद्ध भविष्यवाणी: \q1 क्या हो गया है तुम्हें, \q2 तुम सबके सब छतों पर क्यों चढ़ गए हो, \q1 \v 2 हे अधर्मी नगर, तुम जो खुशी मनाते थे, \q2 तुम्हारे लोग जो मारे गए हैं. \q1 वे न तो तलवार से मारे गए, \q2 और न ही उनकी मृत्यु युद्ध में हुई. \q1 \v 3 बल्कि वे सब भाग गए; \q2 और धनुष के बिना ही बंदी बना लिए गए. \q1 और भागे हुओं में जिनको पकड़ा गया, \q2 उन्हें बंदी बना लिया गया. \q1 \v 4 इसलिये मैं कहता हूं, “अपनी दृष्टि मुझसे हटा लो; \q2 मुझे फूट-फूटकर रोने दो. \q1 मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के विषय में \q2 मुझे तसल्ली देने का प्रयास न करो.” \b \q1 \v 5 क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह का \q2 दर्शन की घाटी में कोलाहल, \q2 रौंदा जाना, बेचैनी, \q1 प्राचीनों को गिरा देने \q2 और पर्वतों की दोहाई देने का एक दिन निश्चित है. \q1 \v 6 एलाम ने घोड़ों पर सवार, \q2 तथा रथों के साथ अपना तरकश साथ रख लिया है; \q2 और कीर ने ढाल खोल ली है. \q1 \v 7 तुम्हारी उत्तम घाटियां रथों से भरी थी, \q2 और घोड़े पर सवार द्वार पर खड़े हैं. \b \q1 \v 8 प्रभु ने यहूदाह की सुरक्षा को हटा दिया, \q2 उस समय तुम वन के \q2 भवन के शस्त्रों पर निर्भर थे. \q1 \v 9 तुमने देखा कि दावीद के \q2 नगर में दरारें बहुत थी; \q1 तुमने निचले हिस्से से ही \q2 पानी जमा किया. \q1 \v 10 तुमने येरूशलेम के भवनों की गिनती की \q2 और नगर को दृढ़ करने के लिए तुमने कई घरों को गिरा दिया. \q1 \v 11 पुराने तालाब के पानी के लिए \q2 दो दीवारों के बीच तुमने एक जलाशय बनाया, \q1 किंतु जिसने यह काम पूरा किया, \q2 और जिसने इसकी योजना प्राचीन काल में बनाई थी उसे भुला दिया. \b \q1 \v 12 उस दिन याहवेह ने तुम्हें रोने, सिर मुंडवाने, \q2 टाट ओढ़ने के लिए कहा. \q1 \v 13 यह सब होने पर भी वहां आनंद मनाया जा रहा है, \q2 पशुओं का वध और भेड़ों का संहार, \q2 मांस और दाखमधु पीकर कहा जा रहा है कि! \q1 “आओ हम खाएं-पिएं, \q2 क्योंकि कल तो हमारी मृत्यु होनी ही है!” \p \v 14 किंतु सर्वशक्तिमान याहवेह ने मुझसे कहा: “यह अपराध तब तक क्षमा नहीं किया जाएगा जब तक तुम्हारी मृत्यु न हो जाए,” प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा! \p \v 15 फिर प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा: \q1 “शेबना के उस भंडारी के पास जाओ, \q2 जो उस राजपरिवार का चौकीदार है. \q1 \v 16 तुम्हारा यहां क्या काम है \q2 और कौन है तुम्हारा यहां, \q1 जो तुमने अपने लिए एक कब्र बना ली है, \q2 और अपने लिए चट्टान में एक घर बना लिया है? \b \q1 \v 17 “हे पराक्रमी मनुष्य, सुनो, याहवेह तुम्हें पकड़कर \q2 दूर फेंक देंगे. \q1 \v 18 तुम्हें गेंद के समान लुढ़का देंगे \q2 तुम जो अपने स्वामी के लिए लज्जा का कारण हो. \q1 वहां तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी \q2 और तुम्हारे भव्य रथ वहीं रह जायेंगे. \q1 \v 19 मैं तुम्हें तुम्हारे ऊंचे पद से \q2 हटा दूंगा और. \p \v 20 “हिलकियाह के पुत्र एलियाकिम को तुम्हारा पद दूंगा. \v 21 मैं तुम्हारा वस्त्र उसे पहनाऊंगा और तुम्हारे वस्त्र का कटिबंध उस पर बांध दूंगा, मैं तुम्हारा अधिकार उसे दे दूंगा. वह यहूदाह और येरूशलेम के निवासियों का पिता होगा. \v 22 मैं दावीद वंश का पूरा अधिकार उसे दूंगा. उसके पास उसके पद की कुंजी होगी; वह जो पायेगा उसे कोई बंद नहीं करेगा, और वह जो बंद कर देगा उसे कोई न खोलेगा. \v 23 मैं उसे सुरक्षित स्थान में स्थिर कर दूंगा; और वह अपने पिता के वंश के लिए एक वैभव का सिंहासन होगा. \v 24 उस पर उसके पिता के वंश का वैभव, संतान, छोटे पात्र, कटोरे तथा सुराहियों को लटका देंगे. \p \v 25 “सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा, जो खूंटी सुरक्षित स्थान में स्थिर की गई थी वह उखड़ जाएगी; यहां तक की वह टूटकर बिखर जाएगी, और इस पर लटका बोझ हटा दिया जाएगा,” याहवेह की वाणी है! \c 23 \s1 सोर के विषय में नबूवत \p \v 1 सोर के विरुद्ध में भविष्यवाणी: \q1 तरशीश के जलयानों विलाप करो! \q2 क्योंकि सोर नगर नष्ट कर दिया गया है, \q2 वहां न तो कोई घर बचा और न ही कोई बंदरगाह. \q1 इसकी सूचना \q2 कित्तिमयों के देश से दी गई. \b \q1 \v 2 हे द्वीप के निवासियो, \q2 सीदोन के व्यापारियो चुप हो जाओ, \q2 तुम्हें संदेश देने वालों ने समुद्र पार किया है. \q1 \v 3 उन्होंने अनेक सागरों की यात्रा की, \q2 शीहोर का अन्‍न; \q1 और नदियों की उपज उनकी आमदनी थी, \q2 और यह अनेक देशों के लिये व्यापार की जगह थी. \b \q1 \v 4 हे सीदोन लज्जित हो जाओ, \q2 क्योंकि समुद्र की यह घोषणा है: \q1 “न तो मुझे प्रसव पीड़ा हुई और न ही मैंने किसी शिशु को जन्म दिया; \q2 न तो मैंने युवकों का और न ही कन्याओं का पालन पोषण किया.” \q1 \v 5 जब यह समाचार मिस्र देश पहुंचेगा तो, \q2 वे सोर के विषय में मिले समाचार से दुःखी हो जाएंगे. \b \q1 \v 6 तुम उस पार तरशीश नगर को चले जाओ; \q2 और हे द्वीप के निवासियो, रोओ. \q1 \v 7 क्या यही खुशी से भरा तुम्हारा नगर है, \q2 जो पुराने समय से चला आ रहा है, \q1 जिसमें रुकने के लिये \q2 दूर तक चले जाते थे? \q1 \v 8 वह नगर जो मुकुटों का दाता था, \q2 जिसके व्यापारी शासक, \q1 और जिसके व्यवसायी पृथ्वी के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, \q2 किसने सोर के विरुद्ध ऐसी योजना बनाई? \q1 \v 9 सर्वशक्तिमान याहवेह ने, \q2 समस्त सुंदरता के घमंड को चूर-चूर कर देने \q2 और पृथ्वी के प्रतिष्ठितों को तुच्छ कर देने के लिए यह योजना बनाई है. \b \q1 \v 10 हे तरशीश नगर की पुत्री, \q2 नील नदी समान अपना देश पार करके उस पार चली जाओ, \q2 अब कोई विरोधी नहीं बचा. \q1 \v 11 याहवेह ने समुद्र पर अपनी बांह उठाई है \q2 उन्होंने देशों को हिला दिया है. \q1 याहवेह ने कनान के विषय में \q2 उसके गढ़ को नाश कर देने का आदेश दिया है. \q1 \v 12 याहवेह ने कहा है, “सीदोन की दुःखी कुंवारी पुत्री, \q2 तुम अब और आनंदित न होगी! \b \q1 “उठो, कित्तिमयों के देश के उस पार चली जाओ; \q2 किंतु तुम्हें वहां भी शांति नहीं मिलेगी.” \q1 \v 13 कसदियों के देश पर ध्यान दो, \q2 ये वे लोग हैं जो वस्त्रहीन हो गए हैं! \q1 अश्शूर ने इन्हें \q2 जंगली पशुओं के लिए छोड़ दिया था; \q1 उन्होंने उन्हें घेरकर गुम्मट खड़े किए, \q2 उन्होंने उनके राज्यों को लूट लिया \q2 उन्होंने इसे खंडहर बना दिया. \b \q1 \v 14 तरशीश के जहाजों, रोओ; \q2 क्योंकि तुम्हारे गढ़ नष्ट हो गए हैं! \p \v 15 उस दिन सोर नगर एक राजा के दिनों के समान सत्तर वर्षों के लिए बढ़ा दिया जाएगा. सत्तर वर्षों के बीतने पर, सोर वेश्या की नाई गीत गाने लगेगा: \q1 \v 16 “हे वेश्या, \q2 वीणा लेकर नगर में घूम; \q1 वीणा बजा और गीत गा, \q2 ताकि लोग तुझे याद करें.” \p \v 17 सत्तर वर्षों के बीतने पर याहवेह सोर पर ध्यान देंगे. सोर फिर से व्यापार करने लगेगा. धरती के सभी देशों के लिये सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा. \v 18 उसका व्यवसाय तथा उसकी मेहनत याहवेह के लिए पवित्र होगी; वह न भंडार में रखी जाएगी न संचय की जाएगी. उनके व्यापार की प्राप्‍ति उन्हीं के काम में आएगी जो याहवेह के सामने रहा करेंगे, ताकि उनको भरपूर भोजन और चमकीला वस्त्र मिले. \c 24 \s1 समस्त पृथ्वी पर न्याय-दंड \q1 \v 1 सुनो, याहवेह पृथ्वी को सुनसान \q2 और निर्जन कर देने पर हैं; \q1 वह इसकी सतह को उलट देंगे \q2 और इसके निवासियों को तितर-बितर कर देंगे— \q1 \v 2 प्रजा पुरोहित के समान, \q2 सेवक अपने स्वामी के समान, \q2 सेविका अपनी स्वामिनी के समान, \q2 खरीदने और बेचनेवाले के समान, \q2 साहूकार ऋणी के समान \q2 और वह जो उधार देता है, \q2 और जो उधार लेता है सब एक समान हो जायेंगे. \q1 \v 3 पृथ्वी पूरी तरह निर्जन हो जाएगी \q2 और लूट ली जाएगी. \q1 क्योंकि यह याहवेह की घोषणा है. \b \q1 \v 4 पृथ्वी रो रही है और थक गई है, \q2 संसार रो रहा है और थक गया है, \q2 और आकाश भी पृथ्वी के साथ रो रहे है. \q1 \v 5 पृथ्वी अपने रहनेवालों के कारण दूषित कर दी गई; \q2 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था \q1 और आज्ञाओं को नहीं माना \q2 तथा सनातन वाचा को तोड़ दिया. \q1 \v 6 इसलिये शाप पृथ्वी को निगल लेगा; \q2 और जो इसमें रहते हैं वे दोषी होंगे. \q1 इसलिये पृथ्वी के निवासियों को जला दिया जाता है, \q2 और बहुत कम बचे हैं. \q1 \v 7 नया दाखरस रो रहा है और खराब हो गया है; \q2 वे जो खुश थे अब दुःखी होगें. \q1 \v 8 डफ की हर्ष रूपी आवाज खत्म हो चुकी है, \q2 आनंदित लोगों का कोलाहल शांत हो गया है, \q2 वीणा का सुखदायी शब्द थम गया है. \q1 \v 9 लोग गीत गाते हुए दाखमधु पान नहीं करते; \q2 दाखमधु उनके लिए कड़वी हो गई है. \q1 \v 10 निर्जन नगर को गिरा दिया गया है; \q2 हर घर के द्वार बंद कर दिए गए हैं कि कोई उनमें जा न सके. \q1 \v 11 दाखरस की कमी के कारण गलियों में हल्ला हो रहा है; \q2 सब खुशी दुःख में बदल गई है; \q2 पृथ्वी पर से खुशी मिट गई है. \q1 \v 12 नगर सुनसान पड़ा, \q2 और सब कुछ नष्ट कर दिया गया है. \q1 \v 13 जिस प्रकार जैतून वृक्ष को झड़ाया जाता \q2 और दाख की उपज के बाद उसको जमा करने पर कुछ बच जाता है, \q1 उसी प्रकार पृथ्वी पर \q2 लोगों के बीच वैसा ही होगा. \b \q1 \v 14 लोग आनंदित होकर ऊंची आवाज में गाते हैं; \q2 वे याहवेह के वैभव के लिए पश्चिम दिशा से जय जयकार करते हैं. \q1 \v 15 तब पूर्व दिशा में याहवेह की प्रशंसा करो; \q2 समुद्रतटों में, \q2 याहवेह इस्राएल के परमेश्वर की महिमा करो. \q1 \v 16 पृथ्वी के छोर से हमें सुनाई दे रहा है: \q2 “धर्मी की महिमा और प्रशंसा हो.” \b \q1 परंतु, “मेरे लिए तो कोई आशा ही नहीं है! \q2 हाय है मुझ पर! \q1 विश्वासघाती विश्वासघात करते हैं! \q2 और उनका विश्वासघात कष्टदायक होता जा रहा है!” \q1 \v 17 हे पृथ्वी के लोगों, डरो, \q2 गड्ढे और जाल से तुम्हारा सामना होगा. \q1 \v 18 तब जो कोई डर से भागेगा \q2 वह गड्ढे में गिरेगा; \q1 और गड्ढे से निकला हुआ \q2 जाल में फंस जायेगा. \b \q1 क्योंकि आकाश के झरोखे खोल दिये गये हैं, \q2 और पृथ्वी की नींव हिल गई है. \q1 \v 19 पृथ्वी टुकड़े-टुकड़े होकर, \q2 फट गई है \q2 और हिला दी गई है. \q1 \v 20 पृथ्वी झूमती है और लड़खड़ाती है, \q2 और एक झोपड़ी समान डोलती है; \q1 और इतना अपराध बढ़ गया है, \q2 कि पाप के बोझ से दब गई और फिर कभी भी उठ न पाएगी. \b \q1 \v 21 उस दिन याहवेह आकाश में सेना को \q2 तथा पृथ्वी पर राजाओं को दंड देंगे. \q1 \v 22 उन सभी को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया जाएगा; \q2 और बहुत दिनों तक उन्हें दंड दिया जाएगा. \q1 \v 23 तब चंद्रमा \q2 और सूर्य लज्जित होगा, \q1 क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह \q2 ज़ियोन पर्वत से येरूशलेम में शासन करेंगे, \q2 और उनका वैभव उनके धर्मवृद्धों पर प्रकट होगा. \c 25 \s1 परमेश्वर के लिए स्तवन गीत \q1 \v 1 याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं; \q2 मैं आपकी प्रशंसा करूंगा और आपके नाम की महिमा करूंगा, \q1 क्योंकि आपने बड़े अद्भुत काम किए हैं, \q2 और उन सनातन योजनाओं को \q2 पूरी विश्वस्तता एवं सच्चाई से आपने पूरा किया है. \q1 \v 2 आपने नगरों को गिरा दिया, \q2 और खंडहर कर दिया, \q1 परदेशियों का अब कोई नगर नहीं; \q2 और न ही उन्हें फिर बसाया जाएगा. \q1 \v 3 इसलिये बलवंत प्रजा आपकी महिमा करेगी; \q2 और निर्दयी आपका भय मानेंगे. \q1 \v 4 दीनों के लिए आप शरणस्थान, \q2 और विपत्ति के समय आप उनके लिए ढाल होंगे, \q1 दरिद्रों के लिये \q2 उनके शरण और रक्षक होंगे. \q1 \v 5 जैसे निर्जल देश में बादल से ठंडक होती है; \q2 वैसे ही परदेशियों का कोलाहल, \q2 और निर्दयी लोगों का जय जयकार शांत हो जाएगा. \b \q1 \v 6 इसी पर्वत पर सर्वशक्तिमान याहवेह \q2 सब लोगों को भोजन खिलाएंगे, \q1 जिसमें पुराना दाखरस— \q2 और उत्तम से उत्तम चिकना भोजन जो अच्छा और स्वादिष्ट होगा. \q1 \v 7 इस पर्वत पर आकर सब जातियों \q2 और देशों के बीच जो पर्दा, \q1 और दीवार है तोड़ देगा; \q2 \v 8 वह सदा-सर्वदा के लिए मृत्यु को नाश करेंगे. \q1 और प्रभु याहवेह सभी के चेहरों से \q2 आंसुओं को पोंछ देंगे; \q1 वह अपने लोगों की निंदा को \q2 दूर कर देंगे. \q1 याहवेह का यह संदेश है. \p \v 9 उस दिन लोग यह कहेंगे, \q1 “कि, यही हैं हमारे परमेश्वर; \q2 यही हैं वह याहवेह जिनका हमने इंतजार किया. \q1 आओ, हम उनके उद्धार में आनंद मनाएं \q2 और प्रसन्‍न रहेंगे.” \b \q1 \v 10 क्योंकि याहवेह का हाथ सदा बना रहेगा; \q2 मोआब उनके द्वारा रौंद दिया जाएगा \q2 जिस प्रकार गोबर-कुण्ड में एक तिनके को रौंद दिया जाता है. \q1 \v 11 जिस प्रकार एक तैराक अपने हाथों को फैलाता है, \q2 उसी प्रकार मोआब भी अपने हाथों को फैलाएगा. \q1 किंतु याहवेह उसके घमंड को चूर-चूर \q2 और उसके हाथों की कुशलता को कमजोर कर देंगे. \q1 \v 12 याहवेह उसकी दृढ़ शहरपनाह को गिरा देंगे \q2 वह उन्हें भूमि पर फेंक देंगे; \q2 उन्हें मिट्टी में मिला देंगे. \c 26 \s1 एक स्तुति गीत \p \v 1 उस समय यहूदिया देश में यह गीत गाया जाएगा कि: \q1 हमारा एक दृढ़ नगर है; \q2 याहवेह ने हमारी रक्षा के लिए चारों \q2 ओर शहरपनाह और गढ़ को बनाया है. \q1 \v 2 नगर के फाटकों को खोल दो \q2 कि वहां सच्चाई से, \q2 जीनेवाली एक धर्मी जाति आ सके. \q1 \v 3 जो परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं \q2 उनके मन को पूर्ण शांति मिलती है, \q2 और याहवेह उनकी रक्षा करते हैं. \q1 \v 4 सदा याहवेह पर भरोसा रखो, \q2 क्योंकि याह, याहवेह ही, हमारी सनातन चट्टान हैं. \q1 \v 5 क्योंकि उन्होंने पर्वत पर \q2 बसे दृढ़ नगर के निवासियों को गिरा दिया है; \q1 उन्होंने इसे गिराकर \q2 धूल में मिला दिया है. \q1 \v 6 दुखियों और दरिद्रों के \q2 पांव इन्हें कुचल देंगे. \b \q1 \v 7 धर्मी का मार्ग सीधा होता है; \q2 आप धर्मी के मार्ग को समतल बनाते हैं. \q1 \v 8 हे याहवेह, आपके न्याय के मार्ग पर हम आपकी प्रतीक्षा करते हैं; \q2 आपका स्मरण हमारे प्राणों का अभिलाषी है. \q1 \v 9 रात के समय मेरा प्राण आपकी लालसा करता है; \q2 मेरा मन अंदर ही अंदर आपको खोजता रहता है. \q1 क्योंकि जब पृथ्वी पर आपके न्याय का काम होता है, \q2 तब लोग धर्म को सीखते हैं. \q1 \v 10 यद्यपि दुष्ट पर दया की जाए, \q2 फिर भी वह धर्म नहीं सीखता. \q1 दुष्ट चाहे भले लोगों के बीच में रहे, \q2 लेकिन वह तब भी बुरे कर्म करता रहेगा. \q1 वह दुष्ट कभी भी याहवेह की महानता नहीं देख पायेगा \q1 \v 11 याहवेह का हाथ उठा हुआ है, \q2 फिर भी वे इसे नहीं देखते. \q1 अपनी प्रजा के लिए आपके प्यार और लगन को देखकर वे लज्जित हुए हैं; \q2 आग आपके शत्रुओं को निगल लेगी. \b \q1 \v 12 याहवेह हमें शांति देंगे; \q2 क्योंकि आपने हमारे सब कामों को सफल किया है. \q1 \v 13 हे याहवेह हमारे परमेश्वर आपके अलावा और स्वामियों ने भी हम पर शासन किया है, \q2 किंतु हम तो आपके ही नाम का स्मरण करते हैं. \q1 \v 14 वे मर गये हैं, वे जीवित नहीं होंगे; \q2 वे तो छाया-समान हैं, वे नहीं उठेंगे. \q1 आपने उन्हें दंड दिया और उनका नाश कर दिया; \q2 आपने उनकी याद तक मिटा डाली. \q1 \v 15 हे याहवेह, आपने जाति को बढ़ाया; \q2 और आप महान हुए. \q1 आपने देश की सब सीमाओं को बढ़ाया. \b \q1 \v 16 हे याहवेह, कष्ट में उन्होंने आपको पुकारा; \q2 जब आपकी ताड़ना उन पर हुई, \q2 वे प्रार्थना ही कर सके. \q1 \v 17 जिस प्रकार जन्म देने के समय \q2 प्रसूता प्रसव पीड़ा में चिल्लाती और छटपटाती है, \q2 उसी प्रकार याहवेह आपके सामने हमारी स्थिति भी ऐसी ही है. \q1 \v 18 हम गर्भवती समान थे, हम प्रसव पीड़ा में छटपटा रहे थे, \q2 ऐसा प्रतीत होता है मानो हमने वायु प्रसव की. \q1 हमने अपने देश के लिए कोई विजय प्राप्‍त न की, \q2 और न ही संसार के निवासियों का पतन हुआ. \b \q1 \v 19 इस्राएली जो मरे हैं वे जीवित हो जाएंगे; \q2 और उनके शव उठ खड़े होंगे, \q1 तुम जो धूल में लेटे हुए हो \q2 जागो और आनंदित हो. \q1 क्योंकि तुम्हारी ओस भोर की ओस के समान है; \q2 और मरे हुए पृथ्वी से जीवित हो जाएंगे. \b \q1 \v 20 मेरी प्रजा, आओ और अपनी कोठरी में जाकर \q2 द्वार बंद कर लो; \q1 थोड़ी देर के लिए अपने आपको छिपा लो \q2 जब तक क्रोध शांत न हो जाए. \q1 \v 21 देखो, याहवेह अपने निवास स्थान से \q2 पृथ्वी के लोगों को उनके अपराधों के लिए दंड देने पर हैं. \q1 पृथ्वी अपना खून प्रकट कर देगी; \q2 और हत्या किए हुओं को अब और ज्यादा छिपा न सकेगी. \c 27 \s1 इस्राएल की विमुक्ति \p \v 1 उस दिन, \q1 याहवेह अपनी बड़ी और भयानक तलवार से, \q2 टेढ़े चलनेवाले सांप लिवयाथान को दंड दिया करेंगे, \q2 टेढ़े चलनेवाले सांप लिवयाथान; \q1 वह उसको मार देंगे जो समुद्र में रहता है. \p \v 2 उस दिन— \q1 “आप दाख की बारी के विषय में एक गीत गाओगे: \q2 \v 3 मैं, याहवेह इसका रक्षक हूं; \q2 हर क्षण मैं इसकी सिंचाई करता हूं. \q1 मैं दिन-रात इसका पहरा देता हूं \q2 कि कोई इसको नुकसान न पहुंचाएं. \q2 \v 4 मैं कठोर नहीं हूं. \q1 किंतु यदि कंटीले झाड़ मेरे विरुद्ध खड़े होंगे! \q2 तो मैं उन्हें पूर्णतः भस्म कर दूंगा. \q1 \v 5 या मेरे साथ मिलकर मेरी शरण में \q2 आना चाहे तो वे मेरे पास आए.” \b \q1 \v 6 उस दिन याकोब अपनी जड़ मजबूत करेगा, \q2 इस्राएल और पूरा संसार \q2 इसके फल से भर जाएगा. \b \q1 \v 7 क्या याहवेह ने उन पर वैसा ही आक्रमण किया है, \q2 जैसा उनके मारने वालों पर आक्रमण करता है? \q1 या उनका वध उस प्रकार कर दिया गया, \q2 जिस प्रकार उनके हत्यारों का वध किया गया था? \q1 \v 8 जब तूने उसे निकाला तब सोच समझकर उसे दुःख दिया, \q2 पूर्वी हवा के समय उसको आंधी से उड़ा दिया. \q1 \v 9 जब याकोब वेदियों के पत्थरों को चूर-चूर कर देगा, \q2 फिर न कोई अशेराह और न कोई धूप वेदी खड़ी रहेगी: \q1 तब इसके द्वारा याकोब का अपराध क्षमा किया जाएगा; \q2 यह उसके पापों का प्रायश्चित होगा. \q1 \v 10 क्योंकि नगर निर्जन हो गया है, \q2 घर मरुभूमि, छोड़ी हुई और बंजर भूमि समान कर दिया गया है; \q1 वहां बछड़े चरेंगे, \q2 और आराम करेंगे; \q2 और इसकी शाखाओं से भोजन करेंगे. \q1 \v 11 जब इसकी शाखाएं सूख जाएंगी, \q2 तब महिलाएं आकर इन्हें आग जलाने के लिए काम में लेंगी. \q1 क्योंकि ये निर्बुद्धि लोग हैं; \q2 इसलिये उनका सृष्टि करनेवाला उन पर अनुग्रह नहीं करेगा, \q2 जिन्होंने उन्हें सृजा, वे उन पर दया नहीं करेंगे. \p \v 12 उस दिन याहवेह फरात नदी से मिस्र की घाटी तक अपने अनाज को झाड़ेंगे और इस्राएल, तुम्हें एक-एक करके एकत्र किया जाएगा. \v 13 उस दिन नरसिंगा फूंका जाएगा. वे जो अश्शूर देश में नष्ट किए गए थे और वे जो मिस्र देश में तितर-बितर कर दिए गए थे, वे सब आएंगे और येरूशलेम में पवित्र पर्वत पर याहवेह की आराधना करेंगे. \c 28 \s1 येरूशलेम और एफ्राईम पर न्याय-दंड \q1 \v 1 घमंड का मुकुट जो एफ्राईम के मतवालों का है, \q2 उनकी सुंदरता पर, जो मुर्झाने वाला फूल है, \q1 जो उपजाऊ तराई के सिरे पर— \q2 दाखमधु से मतवालों की है! \q1 \v 2 देखो, याहवेह के पास एक है जो शक्तिशाली और मजबूत है, \q2 जिसने एक शक्तिशाली ओलावृष्टि और एक मूसलाधार बारिश की तरह, \q1 विनाश की आंधी और बाढ़ से, \q2 पृथ्वी को नुकसान पहुंचाया है. \q1 \v 3 एफ्राईम मतवालों के अहंकारी मुकुट को, \q2 पैरों तले रौंद दिया गया है. \q1 \v 4 इसकी सुंदरता मुरझाया हुआ फूल, \q2 जो उपजाऊ घाटी के ऊंचाई पर स्थित है, \q1 और वह जैसे ग्रीष्मकाल से पहले पके अंजीर के समान होगा— \q2 जिसे देखते ही जल्दी खा जाते हैं. \b \q1 \v 5 उस दिन सर्वशक्तिमान याहवेह \q2 अपनी प्रजा के बचे हुओं के लिए, \q2 एक प्रतापी और सुंदर मुकुट ठहराएगा. \q1 \v 6 और जो न्याय-सिंहासन पर बैठा होता है \q2 उसके लिए न्याय की आत्मा, \q1 हां, जो फाटक से शत्रुओं को पीछे धकेलते हैं \q2 उनके लिये वह ढाल ठहरेगा. \b \q1 \v 7 पुरोहित और भविष्यद्वक्ता भी दाखमधु पीकर डगमगाते हैं, \q2 वे मधु से बेहाल होकर नीचे गिर पड़ते हैं, \q2 वे मधु से लड़खड़ाते हैं. \q1 भविष्यद्वक्ता जब अपने दर्शन देखते हैं, तभी भी वे पिए हुए होते हैं, \q2 और दर्शन पाकर भी भटक जाते हैं, \q1 न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो \q2 वे नशे में डूबे हुए होकर न्याय में गलती करते हैं. \q1 \v 8 क्योंकि भोजन करने की जगह गंदगी से भरी हुई हैं \q2 और कहीं भी सफाई नहीं है. \b \q1 \v 9 “किसको सिखाएं और किसको समझाएं? \q2 क्या उन्हें, जो अभी-अभी दूध छुड़ाए गये बच्‍चे हैं, \q2 जो मां के स्तन से अलग किए गए हैं? \q1 \v 10 आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा, \q2 नियम पर नियम, नियम पर नियम; \q2 थोड़ा यहां, थोड़ा वहां.” \b \q1 \v 11 परमेश्वर इन लोगों को हकलाते हुए होंठों \q2 और विदेशी भाषा वालों के द्वारा बात करेंगे, \q1 \v 12 जिन्होंने उन्हें इस प्रकार कहा, \q2 “विश्राम यहां है, जो थके हैं उन्हें आराम दो”; \q1 “विश्राम यहीं है”— \q2 किंतु वे नहीं सुनेंगे. \q1 \v 13 तब उनके लिए याहवेह ने उनसे कहा: \q2 आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा, \q2 नियम पर नियम, नियम पर नियम; \q2 थोड़ा यहां, थोड़ा वहां— \q1 जिससे वे ठोकर खाकर गिरकर घायल हो जायें और; \q2 जाल में फंसकर पकडे जाएं. \b \q1 \v 14 इस कारण हे ठट्ठा करनेवालो, याहवेह की बात सुनो, \q2 वह जो इस प्रजा पर शासन करते हैं वे येरूशलेम में रहते हैं. \q1 \v 15 क्योंकि तुमने कहा है, “हमने मृत्यु से एक वाचा बांधी है \q2 और अधोलोक से एक समझौता किया है. \q1 जब यह कष्ट बढ़ जाये, \q2 तब यह हम तक नहीं पहुंच पाएगा, \q1 क्योंकि हमने झूठ को अपना शरणस्थान बनाया है \q2 और झूठ की आड़ में हमने अपने आपको छिपा रखा है.” \p \v 16 इसलिये याहवेह यों कहते हैं: \q1 “देखो, मैंने ज़ियोन में एक पत्थर, एक परखा हुआ पत्थर, \q2 नींव के लिए एक मूल्यवान कोने का पत्थर रखा है. \q1 \v 17 मैं न्याय को नाप की डोरी \q2 और धर्मी को साहुल बनाऊंगा; \q1 तब झूठ का शरणस्थान ओलों से बह जाएगा, \q2 और छिपने की जगह डूब जाएगी. \q1 \v 18 मृत्यु से तुम्हारी वाचा टूट जाएगी; \q2 और अधोलोक से तुम्हारा समझौता सिद्ध न होगा. \q1 जब विपत्ति दंड के रूप में निकलेगी, \q2 तब तुम कुचल दिए जाओगे. \q1 \v 19 जितना तुम बढ़ोगे वह तुम्हें दबा देगी; \q2 क्योंकि हर दिन और हर रात किसी भी समय होकर वह निकलेगा, \q2 और इस बात से तुम डर जाओगे.” \b \q1 \v 20 किसी को फैलकर सोने के लिए बिछौना छोटा पड़ जाता है, \q2 और किसी को ओढ़ने के लिए चादर संकरी. \q1 \v 21 क्योंकि याहवेह उसी प्रकार खड़े हो जाएंगे जिस प्रकार वह पराज़ीम पर्वत पर खड़े हुए थे, \q2 और वह उसी प्रकार क्रोधित होंगे जैसे वह गिबयोन की घाटी में क्रोधित हुए थे— \q1 फिर से वह अपना काम करेगा, \q2 जो अद्भुत और अचंभित है. \q1 \v 22 इसलिये अब ठट्ठा करनेवालों के समान मत बनो, \q2 नहीं तो तुम्हारी बेड़ियों को और अधिक मजबूत कर दिया जाएगा; \q1 क्योंकि प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह से \q2 मैंने सारी पृथ्वी पर विनाश के विषय में सुना है. \b \q1 \v 23 ध्यान दो और सुनो सचेत हो जाओ; \q2 और मेरी बातों पर ध्यान दो. \q1 \v 24 क्या बीज बोने वाले के लिए एक किसान भूमि को जोतता रहता है? \q2 क्या वह भूमि को निरंतर पलटता और सींचता रहता है? \q1 \v 25 क्या वह इसे समतल नहीं बनाता और इसमें सौंफ उगाता, \q2 जीरे को छितराता, पंक्तियों में गेहूं उगाता, \q2 जौ और बाजरे को उसके स्थान पर नहीं बोता? \q1 \v 26 क्योंकि उसे बताये गए हैं, \q2 और परमेश्वर उसे सिखा देते हैं. \b \q1 \v 27 सौंफ की दंवरी पटरे से नहीं की जाती, \q2 और न ही जीरे के ऊपर गाड़ी का पहिया चलाया जाता है; \q1 किंतु सौंफ की दंवरी तो लाठी से \q2 और जीरे की मुगदर से की जाती है. \q1 \v 28 क्या दंवरी में रोटी के लिए अन्‍न को चूर-चूर किया जाता है; \q2 नहीं, किसान इसकी दंवरी सर्वदा नहीं करता रहता. \q1 जब वह अपनी गाड़ी के पहिए को घोड़ों के द्वारा इसके ऊपर चलाता है, \q2 वह इसे चूर-चूर नहीं करता. \q1 \v 29 इसे नियुक्त करनेवाला भी सर्वशक्तिमान याहवेह ही, \q2 अद्भुत युक्ति वाला और महा बुद्धिमान है. \c 29 \s1 दावीद के नगर पर हाय! \q1 \v 1 हाय तुम पर, अरीएल, अरीएल, \q2 वह नगर जिसे दावीद ने अपने रहने के लिए बनाए थे! \q1 अपने वर्षों को \q2 और अधिक बढ़ा लो और खुशी मना लो. \q1 \v 2 मैं तुम पर विपत्ति लाऊंगा; \q2 और अरीएल नगर विलाप और शोक का नगर हो जाएगा, \q2 यह मेरे लिए अरीएल\f + \fr 29:2 \fr*\fq अरीएल \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa अग्निकुण्ड\fqa*\f* समान होगा. \q1 \v 3 मैं तुम्हारे चारों ओर दीवार लगाऊंगा, \q2 और तुम्हें घेर लूंगा \q2 और मैं तुम्हारे विरुद्ध गढ़ खड़े करूंगा. \q1 \v 4 तब तुम्हारा पतन पूरा हो जाएगा; \q2 अधोलोक से तुम्हारे स्वर सुनाई देंगे. \q1 धूल में से तुम्हारी फुसफुसाहट सुनाई देगी; \q2 एक प्रेत के समान तुम्हारे शब्द पृथ्वी से सुनाई देंगे. \b \q1 \v 5 किंतु तुम्हारे शत्रुओं का बड़ा झुंड धूल के छोटे कण के समान \q2 और क्रूर लोगों का बड़ा झुंड उस भूसी के समान हो जाएगा. \q1 जो उड़ जाता है, \q2 \v 6 सेनाओं के याहवेह की ओर से बादल गर्जन, \q2 भूकंप, आंधी और भस्म करनेवाली आग आएगी. \q1 \v 7 पूरे देश जिसने अरीएल से लड़ाई की यद्यपि वे सभी, \q2 जिन्होंने इस नगर अथवा इसके गढ़ों के विरुद्ध आक्रमण किया तथा उसे कष्ट दिया है, \q1 वे रात में देखे गए स्वप्न, \q2 तथा दर्शन के समान हो जाएंगे— \q1 \v 8 यह ऐसा होगा जैसे एक भूखा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, \q2 किंतु जब वह नींद से जागता है तब वह पाता है कि उसकी भूख मिटी नहीं; \q1 उसी प्रकार जब एक प्यासा व्यक्ति स्वप्न देखता है कि वह पानी पी रहा है, \q2 किंतु जब वह नींद से जागता है वह पाता है कि उसका गला सूखा है और उसकी प्यास बुझी नहीं हुई है. \q1 उसी प्रकार उन सब देशों के साथ होगा \q2 जो ज़ियोन पर्वत पर हमला करते हैं. \b \q1 \v 9 रुक जाओ और इंतजार करो, \q2 अपने आपको अंधा बना लो; \q1 वे मतवाले तो होते हैं किंतु दाखरस से नहीं, \q2 वे लड़खड़ाते तो हैं किंतु दाखमधु से नहीं. \q1 \v 10 क्योंकि याहवेह ने तुम्हारे ऊपर एक भारी नींद की आत्मा को डाला है: \q2 उन्होंने भविष्यवक्ताओं को अंधा कर दिया है; \q2 और तुम्हारे सिर को ढंक दिया है. \p \v 11 मैं तुम्हें बता रहा हूं कि ये बातें घटेंगी. किंतु तुम मुझे नहीं समझ रहे. मेरे शब्द उस पुस्तक के समान है, जो बंद हैं और जिस पर एक मुहर लगी है. तुम उस पुस्तक को एक ऐसे व्यक्ति को दो जो पढ़ सकता हो, तो वह व्यक्ति कहेगा, “मैं पुस्तक को पढ़ नहीं सकता क्योंकि इस पर एक मुहर लगी है, और मैं इसे खोल नहीं सकता.” \v 12 अथवा तुम उस पुस्तक को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दो, जो पढ़ नहीं सकता, और उस व्यक्ति से कहो कि वह उस पुस्तक को पढ़ें. तब वह व्यक्ति कहेगा, “मैं इस किताब को नहीं पढ़ सकता, क्योंकि मैं अनपढ़ हूं!” \p \v 13 तब प्रभु ने कहा: \q1 “ये लोग अपने शब्दों से तो मेरे पास आते हैं \q2 और अपने होंठों से मेरा सम्मान करते हैं, \q2 किंतु इन्होंने अपने दिल को मुझसे दूर रखा है. \q1 और वे औरों के दबाव से \q2 मेरा भय मानते हैं. \q1 \v 14 इसलिये, मैं फिर से इन लोगों के बीच अद्भुत काम करूंगा \q2 अद्भुत पर अद्भुत काम; \q1 इससे ज्ञानियों का ज्ञान नाश हो जाएगा; \q2 तथा समझदारों की समझ शून्य.” \q1 \v 15 हाय है उन पर जो याहवेह से \q2 अपनी बात को छिपाते हैं, \q1 और जो अपना काम अंधेरे में करते हैं और सोचते हैं, \q2 “कि हमें कौन देखता है? या कौन जानता है हमें?” \q1 \v 16 तुम सब बातों को उलटा-पुलटा कर देते हो, \q2 क्या कुम्हार को मिट्टी के समान समझा जाए! \q1 या कोई वस्तु अपने बनानेवाले से कहे, \q2 कि तुमने मुझे नहीं बनाया और “तुम्हें तो समझ नहीं”? \b \q1 \v 17 क्या कुछ ही समय में लबानोन को फलदायी भूमि में नहीं बदला जा सकता \q2 और फलदायी भूमि को मरुभूमि में नहीं बदला जा सकता है? \q1 \v 18 उस दिन बहरे उस पुस्तक की बात को सुनेंगे, \q2 और अंधे जिन्हें दिखता नहीं, वे देखेंगे. \q1 \v 19 नम्र लोगों की खुशी याहवेह में बढ़ती चली जाएगी; \q2 और मनुष्यों के दरिद्र इस्राएल के पवित्र परमेश्वर में आनंदित होंगे. \q1 \v 20 क्योंकि दुष्ट और ठट्ठा \q2 करनेवाले व्यक्ति नहीं रहेंगे, \q2 और वे सभी काट दिये जाएंगे जिनको बुराई के लिए एक नजर हैं. \q1 \v 21 वे व्यक्ति जो शब्दों में फंसाते हैं, \q2 और फंसाने के लिए जाल बिछाते हैं \q2 और साधारण बातों के द्वारा धोखा देते हैं. \p \v 22 इसलिये याहवेह, अब्राहाम का छूडाने वाला, याकोब को कहते हैं: \q1 “याकोब को अब \q2 और लज्जित न होना पड़ेगा. \q1 \v 23 जब याकोब की संतान परमेश्वर के काम को देखेंगे, \q2 जो परमेश्वर उनके बीच में करेगा; \q1 तब वे मेरा नाम पवित्र रखेंगे; \q1 और वे इस्राएल के \q2 पवित्र परमेश्वर का भय मानेंगे. \q1 \v 24 उस समय मूर्ख बुद्धि पायेंगे और जो कुड़कुड़ाते हैं; \q2 वे शिक्षा ग्रहण करेंगे.” \b \c 30 \s1 जिद्दी राष्ट्र पर हाय! \q1 \v 1 याहवेह ने कहा, \q2 “हाय उन विद्रोही लड़कों पर! \q1 वे योजनाएं बनाते हैं किंतु मेरी सहायता से नहीं, \q2 वाचा तो बांधते हैं, परंतु मेरी आत्मा से नहीं. \q2 इस प्रकार वे पाप करते हैं; \q1 \v 2 वे मुझसे बिना पूछे \q2 मिस्र जाते हैं; \q1 कि फ़रोह के साथ में रहे \q2 और मिस्र की छाया की शरण लें. \q1 \v 3 इस कारण फ़रोह की सुरक्षा ही तुम्हारी लज्जा का कारण, \q2 और मिस्र की छाया की शरण तुम्हारा अपमान होगी. \q1 \v 4 क्योंकि उनके अधिकारी ज़ोअन में हैं \q2 और उनके संदेश देनेवाले हानेस तक आ पहुंचे हैं, \q1 \v 5 हर व्यक्ति को उन लोगों के कारण लज्जित किया जाएगा \q2 जिनसे उन्हें कोई लाभ नहीं है, \q1 ये वे हैं जो किसी लाभ या सहायता के लिए नहीं, \q2 बल्कि लज्जा और अपमान करने के लिए ही है.” \p \v 6 नेगेव के पशु के बारे में कहा कि; \q1 विपत्ति और वेदना के देश से होकर, \q2 जहां से सिंह और सिंहनी, \q2 सांप और वे सांप जो उड़ते हैं, \q1 वे अपनी धन-संपत्ति अपने गधों पर और अपना खजाना ऊंटों पर, \q2 रखकर उन लोगों के पास ले जाते हैं, \q1 जिनसे उनको कोई फायदा नहीं, \q2 \v 7 मिस्र की सहायता व्यर्थ और झूठी है. \q1 इसलिये मैंने उसका नाम \q2 राहाब जो व्यर्थ रखा है. \b \q1 \v 8 अब जाओ, इस बात को उनके सामने एक पत्थर पर खोदकर, \q2 और एक पुस्तक में लिखकर दो, \q1 जिससे यह संदेश हमेशा के लिए \q2 एक साक्ष्य रहे. \q1 \v 9 क्योंकि यह एक विद्रोही प्रजा, धोखेबाज संतान है, \q2 वह संतान जो याहवेह की आज्ञा को नहीं मानती है. \q1 \v 10 कौन दर्शकों को कहता है, \q2 “तुम दर्शन मत देखो!” \q1 भविष्यवक्ताओं से, \q2 “तुम हमें इस विषय में भविष्यवाणी मत बताओ कि सही क्या है और \q1 हमसे चिकनी-चुपड़ी बातें करो, \q2 झूठी भविष्यवाणी करो. \q1 \v 11 तुम रास्ता छोड़ दो, \q2 मार्ग से हट जाओ, \q1 इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के विषय में \q2 और कुछ न सुनाओ!” \p \v 12 इस कारण इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ने कहा: \q1 “क्योंकि तुमने इस बात को नहीं माना \q2 और तुमने विश्वास झूठ और कपट में किया है \q2 और तुम उन्हीं पर आश्रित रहे हो, \q1 \v 13 इसलिये यह अपराध तुम्हारे ऊपर ऐसे आया, \q2 जैसे एक दीवार टूटकर अचानक गिर जाती है. \q1 \v 14 इसका टूटकर गिरना वैसा जैसे कुम्हार के एक बर्तन को, \q2 चूर-चूर कर दिया जाता है \q1 जिसके कारण इसके टुकड़ों में कुछ भी न बचेगा \q2 इससे न चूल्हे में से राख निकाली जा सके या जल कुंड में से पानी.” \p \v 15 क्योंकि प्रभु याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह यों कहते हैं: \q1 “अगर तुम चुप रहते और लौट आते तो उद्धार पाते, \q2 तथा शांत रहकर विश्वास करते तो सफल होते, \q2 परंतु तुमने ऐसा नहीं किया. \q1 \v 16 लेकिन तुमने कहा कि, ‘हम तो घोड़ों पर चढ़कर भाग जाएंगे.’ \q2 इसलिये तुम भाग जाओगे! \q1 और घोड़े को तेज भगाकर चले जायेंगे, \q2 इसलिये जो तुम्हारा पीछा करेंगे, वे भी तेज होंगे! \q1 \v 17 एक व्यक्ति के भय से \q2 एक हजार भागेंगे; \q1 पांच के डराने से \q2 तुम ऐसा भागोगे \q1 कि भागते भागते पहाड़ की आखिरी ऊंचाई पर \q2 जहां निशानी के लिये झंडा गाड़ा जाता है \q2 वहां तक पहुंच जाओ.” \b \q1 \v 18 याहवेह तुम पर कृपा करने के लिए उठ गए हैं; \q2 क्योंकि याहवेह न्यायी परमेश्वर हैं. \q1 धन्य हैं वे सब, \q2 जो उस पर आशा लगाये रहते हैं! \p \v 19 हे ज़ियोन के लोगो, येरूशलेम के वासियो, तुम अब और न रोओगे. याहवेह तुम्हारे रोने को सुनकर तुम पर दयालु होंगे और तुम्हें उत्तर देंगे. \v 20 यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे. \v 21 जब कभी भी तुम दायें अथवा बायें मुड़ो तुम्हें पीछे से एक आवाज सुनाई देगी, “यही है वह मार्ग; इसी पर चला करो.” \v 22 तुम्हारे सोने और चांदी जिसमें मूर्तियां खुदी हुई है; उसे अशुद्ध करोगे और उसे पुराने कपड़ों के समान उठाकर फेंक दोगे, “दूर हो जाओ!” \p \v 23 तब याहवेह उस बीज के लिए तुम्हें बारिश देंगे जो तुमने भूमि में लगाई है, और भोजन अर्थात् वह उपज जो भूमि से मिलती है उत्तम और भरपूर होगी. \v 24 बैल और गधे जो खेतों के लिए काम में लाए जाते हैं, वे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी खाकर तृप्‍त होंगे. \v 25 उस महा संहार के समय जब दुर्ग गिरेंगे, तब पहाड़ों और हर ऊंची पहाड़ियों से सोते बहेंगे. \v 26 उस समय जब याहवेह अपने लोगों के घाव पर पट्टी बांधेंगे और उन खरोचों को ठीक करेंगे, जो उन्होंने उन्हें पहुंचाई थी, उस दिन चंद्रमा का तेज सूर्य के तेज के समान होगा और सूर्य का प्रकाश सात गुणा अर्थात् वह सात दिन के प्रकाश के समान होगा. \q1 \v 27 देखो, याहवेह अपनी महिमा में दूर से आ रहे हैं, \q2 उनका क्रोध भड़क उठा है और धुंए का बादल उठ रहा है; \q1 उसके होंठ क्रोध से भरे हैं, \q2 और उनकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है. \q1 \v 28 उनकी श्वास उमड़ती हुई धारा के समान है, \q2 जो गले तक पहुंचती है. \q1 वह सब जनताओं को छलनी में आगे-पीछे हिला देंगे; \q2 और लोगों के जबड़ों में ऐसी लगाम कस देंगे \q2 जो नाश की ओर ले जाती है. \q1 \v 29 तुम्हारे गीत \q2 पवित्र पर्व पर रात में गाए गीतों के समान होंगे; \q1 और तुम्हारा दिल ऐसे आनंदित होगा \q2 जैसे कोई याहवेह के पर्वत \q1 इस्राएल की चट्टान पर, \q2 बांसुरी की आवाज के साथ आगे बढ़ता जाता है. \q1 \v 30 तब याहवेह अपनी प्रतापमय वाणी सुनायेंगे \q2 और स्वर्ग से उनका बल उनके प्रचंड क्रोध, \q1 भस्म करनेवाली आग, भारी वर्षा \q2 और ओलों के द्वारा दिखाई देगा. \q1 \v 31 क्योंकि याहवेह की शक्ति पर अश्शूर डर जाएगा; \q2 जब याहवेह उनको दंड देंगे. \q1 \v 32 उस समय खंजरी और नेबेल की आवाज सुनाई देगी, \q2 याहवेह हथियार से उनसे युद्ध करेंगे. \q1 \v 33 क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड\f + \fr 30:33 \fr*\fq अग्निकुण्ड \fq*\ft मूल में तोफेथ \ft*\ft जलाने की जगह\ft*\f* तैयार किया गया है; \q2 यह राजा के लिए तैयार किया गया है. \q1 अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता; \q2 गंधक की धारा के समान, \q2 याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं. \c 31 \s1 सहायता मिस्र में नहीं किंतु प्रभु में \q1 \v 1 हाय उन पर जो मिस्र देश में सहायता के लिए जाते हैं, \q2 और जो घोड़ों पर आश्रित होते हैं, \q1 उनका भरोसा रथों पर है क्योंकि वे बहुत हैं, \q2 और सवारों पर क्योंकि वे बलवान है, \q1 किंतु वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर की ओर सहायता के लिए नहीं देखते, \q2 और न ही वे याहवेह को खोजते हैं. \q1 \v 2 परंतु वह भी बुद्धिमान हैं याहवेह और दुःख देंगे; \q2 याहवेह अपने वायदे को नहीं बदलेंगे. \q1 वह अनर्थकारियों के विरुद्ध लड़ेंगे, \q2 और उनके खिलाफ़ भी, जो अपराधियों की सहायता करते हैं. \q1 \v 3 मिस्र के लोग मनुष्य हैं, ईश्वर नहीं; और उनके घोड़े हैं, \q2 और उनके घोड़े आत्मा नहीं बल्कि मांस हैं. \q1 याहवेह अपना हाथ उठाएंगे और जो सहायता करते हैं, \q2 वे लड़खड़ाएंगे और जिनकी सहायता की जाती है; \q2 वे गिरेंगे और उन सबका अंत हो जाएगा. \p \v 4 क्योंकि याहवेह ने मुझसे कहा: \q1 “जिस प्रकार एक सिंह अथवा, \q2 जवान सिंह अपने शिकार पर गुर्राता है— \q1 और सब चरवाहे मिलकर \q2 सिंह का सामना करने की कोशिश करते हैं, \q1 परंतु सिंह न तो उनकी ललकार से डरता है \q2 और न ही उनके डराने से भागता है— \q1 उसी प्रकार सर्वशक्तिमान याहवेह ज़ियोन पर्वत पर \q2 उनके विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार हो जाएंगे. \q1 \v 5 पंख फैलाए हुए\f + \fr 31:5 \fr*\fq पंख फैलाए हुए \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa एक पक्षी के समान\fqa*\f* \q1 पक्षी के समान \q2 सर्वशक्तिमान याहवेह येरूशलेम की रक्षा करेंगे; \q2 और उन्हें छुड़ाएंगे.” \p \v 6 हे इस्राएल तुमने जिसका विरोध किया है, उसी की ओर मुड़ जाओ. \v 7 उस समय हर व्यक्ति अपनी सोने और चांदी की मूर्तियों को फेंक देगा, जो तुमने बनाकर पाप किया था. \q1 \v 8 “अश्शूरी के लोग तलवार से मार दिये जाएंगे, वह मनुष्य की तलवार से नहीं; \q2 एक तलवार उन्हें मार डालेगी, किंतु वह तलवार मनुष्य की नहीं है. \q1 इसलिये वह उस तलवार से बच नहीं पाएगा \q2 और उसके जवान पुरुष पकड़े जाएंगे. \q1 \v 9 डर से उसका गढ़ गिर जाएगा; \q2 और उसके अधिकारी डर के अपना झंडा छोड़कर भाग जाएंगे,” \q1 याहवेह की यह वाणी है कि, \q2 जिनकी अग्नि ज़ियोन में, \q2 और जिनका अग्निकुण्ड येरूशलेम की पहाड़ी पर युद्ध करने को उतरेंगे. \b \c 32 \s1 धार्मिकता का राज्य \q1 \v 1 देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे \q2 और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे. \q1 \v 2 सब मानो आंधी से छिपने \q2 का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा, \q1 मरुभूमि में झरने \q2 एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे. \b \q1 \v 3 तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी, \q2 और जो सुनते हैं वे सुनेंगे. \q1 \v 4 उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, \q2 और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे. \q1 \v 5 मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा \q2 न कंजूस दानी कहलायेगा. \q1 \v 6 क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है, \q2 और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है: \q1 वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है \q2 जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके. \q1 \v 7 दुष्ट गलत बात सोचता है, \q2 और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है. \q1 \v 8 किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है, \q2 और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है. \s1 येरूशलेम की स्त्रियां \q1 \v 9 हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो, \q2 मेरी बात को सुनो; \q1 हे निश्चिंत पुत्रियो उठो, \q2 मेरे वचन पर ध्यान दो! \q1 \v 10 हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष \q2 और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी; \q1 क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है, \q2 और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे. \q1 \v 11 हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो; \q2 कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो! \q1 अपने वस्त्र उतारकर \q2 अपनी कमर पर टाट बांध लो. \q1 \v 12 अच्छे खेतों के लिए \q2 और फलदार अंगूर के लिये रोओ, \q1 \v 13 क्योंकि मेरी प्रजा, \q2 जो बहुत खुश और आनंदित है, \q1 उनके खेत में झाड़ \q2 और कांटे उग रहे हैं. \q1 \v 14 क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा, \q2 और नगर सुनसान हो जायेगा; \q1 पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है, \q2 वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे. \q1 \v 15 जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए, \q2 और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए, \q2 और फलदायक खेत वन न बन जाए. \q1 \v 16 तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा, \q2 और फलदायक खेत में धर्म रहेगा. \q1 \v 17 धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन; \q2 और हमेशा के लिए साहस! \q1 \v 18 तब मेरे लोग शांति से, \q2 और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे. \q1 \v 19 और वन विनाश होगा \q2 और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा, \q1 \v 20 क्या ही धन्य हो तुम, \q2 जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो, \q2 और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो. \c 33 \s1 संकट और सहायता \q1 \v 1 हाय! तुम पर, \q2 जिनको नाश नहीं किया गया! \q1 और हाय! तुम विश्‍वासघातियों पर, \q2 जिनके साथ विश्वासघात नहीं किया गया! \q1 जब तुम नाश करोगे, \q2 तब तुम नाश किए जाओगे; \q1 और जब तुम विश्वासघात कर लोगे, \q2 तब तुम्हारे साथ विश्वासघात किया जायेगा. \b \q1 \v 2 हे याहवेह, हम पर दया कीजिए; \q2 हम आप ही की ओर देखते हैं. \q1 प्रति भोर आप हमारा बल \q2 तथा विपत्ति में हमारा सहायक बनिये. \q1 \v 3 शोर सुनते ही लोग भागने लगते हैं; \q2 जब आप उठते तब, लोग बिखरने लगते हैं. \q1 \v 4 जैसे टिड्डियां खेत को नष्ट करती हैं; \q2 उसी प्रकार लूटकर लाई गई चीज़ों को नष्ट कर दिया गया है, मनुष्य उस पर लपकते हैं. \b \q1 \v 5 याहवेह महान हैं, वह ऊंचे पर रहते हैं; \q2 उन्होंने ज़ियोन को न्याय तथा धर्म से भर दिया है. \q1 \v 6 याहवेह तुम्हारे समय के लिए निश्चित आधार होगा! उद्धार, बुद्धि और ज्ञान तुम्हारा हक होगा; \q2 और याहवेह का भय उसका धन होगा. \b \q1 \v 7 देख, उनके सैनिक गलियों में रो रहे हैं; \q2 शांति के राजदूत फूट-फूटकर रो रहे हैं. \q1 \v 8 मार्ग सुनसान पड़े हैं, \q2 और सब वायदों को तोड़ दिया गया है. \q1 उसे नगरों\f + \fr 33:8 \fr*\fq नगरों \fq*\ft कुछ हस्तलेखों में \ft*\fqa गवाहों\fqa*\f* से घृणा हो चुकी है, \q2 मनुष्य के प्रति उसमें कोई सम्मान नहीं है. \q1 \v 9 देश रो रहा है, और परेशान है, \q2 लबानोन लज्जित होकर मुरझा रहा है; \q1 शारोन मरुभूमि के मैदान के समान हो गया है, \q2 बाशान तथा कर्मेल की हरियाली खत्म हो चुकी हैं. \b \q1 \v 10 याहवेह ने कहा, “अब मैं उठूंगा, \q2 अब मैं अपना प्रताप दिखाऊंगा; \q2 और महान बनाऊंगा. \q1 \v 11 तुम्हें सूखी घास का गर्भ रहेगा, \q2 और भूसी उत्पन्‍न होगी; \q2 तुम्हारी श्वास ही तुम्हें भस्म कर देगी. \q1 \v 12 जो लोग भस्म होंगे वे चुने के समान हो जाएंगे; \q2 उन कंटीली झाड़ियों को आग में भस्म कर दिया जायेगा.” \b \q1 \v 13 हे दूर-दूर के लोगों, सुनो कि मैंने क्या-क्या किया है; \q2 और तुम, जो पास हो, मेरे सामर्थ्य को देखो! \q1 \v 14 ज़ियोन के पापी डर गये; \q2 श्रद्धाहीन कांपने लगे: \q1 “हममें से कौन इस आग में जीवित रहेगा? \q2 जो कभी नहीं बुझेगी.” \q1 \v 15 वही जो धर्म से चलता है \q2 तथा सीधी बातें बोलता, \q1 जो गलत काम से नफरत करता है \q2 जो घूस नहीं लेता, \q1 जो खून की बात सुनना नहीं चाहता \q2 और बुराई देखना नहीं चाहता— \q1 \v 16 वही ऊंचे स्थान में रहेगा, \q2 व चट्टानों में शरण पायेगा. \q1 उसे रोटी, \q2 और पानी की कमी नहीं होगी. \b \q2 \v 17 तुम स्वयं अपनी ही आंखों से राजा को देखोगे \q2 और लंबे चौड़े देश पर ध्यान दोगे. \q1 \v 18 तुम्हारा हृदय भय के दिनों को याद करेगा: \q2 “हिसाब लेनेवाला और \q1 कर तौलकर लेनेवाला कहां रहा? \q2 गुम्मटों का लेखा लेनेवाला कहां रहा?” \q1 \v 19 उन निर्दयी लोगों को तू दोबारा न देखेगा, \q2 जिनकी भाषा कठिन है और जो हकलाते हैं, \q2 तथा उनकी बातें किसी को समझ नहीं आती. \b \q1 \v 20 ज़ियोन के नगर पर ध्यान दो, जो उत्सवों का नगर है; \q2 येरूशलेम को तुम एक शांत ज़ियोन के रूप में देखोगे, \q2 एक ऐसे शिविर, जिसे लपेटा नहीं जाएगा; \q1 जिसके खूंटों को उखाड़ा न जाएगा, \q2 न ही जिसकी रस्सियों को काटा जाएगा. \q1 \v 21 किंतु वही याहवेह जो पराक्रमी परमेश्वर हैं हमारे पक्ष में है. \q2 वह बड़ी-बड़ी नदियों एवं नहरों का स्थान है. \q1 उन पर वह नाव नहीं जा सकती जिसमें पतवार लगते हैं, \q2 इस पर बड़े जहाज़ नहीं जा सकते. \q1 \v 22 क्योंकि याहवेह हमारे न्यायी हैं, \q2 याहवेह हमारे हाकिम, \q1 याहवेह हमारे राजा हैं; \q2 वही हमें उद्धार देंगे. \b \q1 \v 23 तुम्हारी रस्सियां ढीली पड़ी हुई हैं: \q2 वे जहाज़ को स्थिर न रख सकतीं, \q2 न पाल को तान सके. \q1 तब लूटी हुई चीज़ों को बांटकर \q2 विकलांग ले जाएंगे. \q1 \v 24 कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा, “मैं बीमार हूं”; \q2 वहां के लोगों के अधर्म को क्षमा कर दिया जायेगा. \b \c 34 \s1 राष्ट्रों के विरोध न्याय \q1 \v 1 हे राज्य, \q2 राज्य के लोगो, सुनो! \q1 सारी पृथ्वी के लोगो, \q2 और जो कुछ इसमें है ध्यान से सुनो! \q1 \v 2 क्योंकि याहवेह का क्रोध सब जातियों पर \q2 तथा उनके शत्रुओं पर है. \q1 उन्होंने तो इन शत्रुओं को पूरा नष्ट कर दिया है, \q2 उन्होंने इन शत्रुओं को वध के लिए छोड़ दिया है. \q1 \v 3 जो मर गये हैं उन्हें बाहर फेंक दिया जाएगा, \q2 उनके शव सड़ जायेंगे; \q2 तथा पर्वत उनके रक्त से गल जाएंगे. \q1 \v 4 आकाश के सभी तारे छिप जाएंगे \q2 तथा आकाश कागज़ की नाई लपेट दिया जाएगा; \q1 आकाश के तारे मुरझाई हुई \q2 पत्तियों के समान गिर जायेंगे. \b \q1 \v 5 क्योंकि स्वर्ग में मेरी तलवार पीकर तृप्‍त हो चुकी है; \q2 अब न्याय के लिए एदोम पर बरसेगी, \q2 उन लोगों पर जिन्हें मैंने नाश के लिए अलग कर दिया है. \q1 \v 6 याहवेह की तलवार लहू से भरी है, \q1 यह मेमनों तथा बकरों के रक्त \q2 तथा चर्बी से तृप्‍त हो चुकी है. \q1 क्योंकि याहवेह ने बोज़राह में यज्ञ बलि अर्पण आयोजित किया है \q2 तथा एदोम देश में एक विशाल संहार. \q1 \v 7 जंगली बैलों का भी उन्हीं के साथ संहार हो जाएगा, \q2 तथा पुष्ट सांड़ बछड़े के साथ वध हो जाएंगे. \q1 इस प्रकार उनका देश रक्त से गल जाएगा, \q2 तथा वहां की धूल वसायुक्त हो जाएगी. \b \q1 \v 8 क्योंकि याहवेह द्वारा बदला लेने का दिन तय किया गया है, \q2 यह ज़ियोन के हित में प्रतिफल का वर्ष होगा. \q1 \v 9 एदोम की नदियां झरने बन जायेंगी, \q2 तथा इसकी मिट्टी गंधक; \q2 तथा देश प्रज्वलित झरने हो जाएंगे! \q1 \v 10 न तो यह दिन में बुझेगी, न रात्रि में; \q2 इसका धुआं सदा ऊपर उठता रहेगा. \q1 पीढ़ी से पीढ़ी तक यह सुनसान पड़ा रहेगा; \q2 कोई भी इसके बाद यहां से होकर नहीं जाएगा. \q1 \v 11 हवासिल तथा साही इस पर अपना अधिकार कर लेंगे; \q2 यह उल्लू तथा कौवों का घर हो जाएगा. \q1 याहवेह इसके ऊपर निर्जनता की सीमा-निर्धारण डोर तान देंगे \q2 तथा रिक्तता का साहुल भी. \q1 \v 12 वहां ऐसा कोई भी नहीं जिसे वे राजा घोषित करें, वहां के ऊंचे पद वाले \q2 तथा उसके सब शासक किसी के योग्य नहीं हैं. \q1 \v 13 गढ़नगर के महलों पर कंटीली झाड़ियां उग जाएंगी, \q2 इसके नगरों में बिच्छू, पौधे तथा झाड़ बढ़ जायेंगे. \q1 यहां सियारों का बसेरा हो जाएगा, \q2 जहां शुतुरमुर्ग घर करेंगे. \q1 \v 14 वहां मरुभूमि के प्राणियों, \q2 तथा भेड़ियों का सम्मेलन हुआ करेगा; \q1 जंगली बकरे एक दूसरे को पुकारेंगे \q2 तथा वहां रात के जीव लेट जाएंगे. \q1 \v 15 वहां उल्लू अपना घोंसला बनाएगा तथा वहीं वह अंडे देगा, \q2 वहां चूज़े पैदा होंगे तथा वह उन्हें अपने पंखों की छाया में ले लेगा; \q2 तब वहां बाज़ भी एकत्र होंगे. \p \v 16 याहवेह की पुस्तक से खोज करते हुए पढ़ो: \q1 इनमें से एक भी न हटेगा, \q2 न किसी जोड़े को साथी का अभाव होगा. \q1 क्योंकि स्वयं याहवेह ने कहा है, \q2 तथा उनके आत्मा ने उन्हें एक किया है. \q1 \v 17 याहवेह ने उनके लिए पासे फेंके हैं; \q2 स्वयं उन्होंने डोरी द्वारा बांट दिया हैं. \q1 इस पर उनका हक सर्वदा बना रहेगा \q2 एक से दूसरी पीढ़ी तक वे इसमें निवास करते रहेंगे. \b \c 35 \s1 मुक्ति पाये हुओं का आनंद \q1 \v 1 वह निर्जन स्थान \q2 तथा वह मरुस्थल भूमि खुश होंगे, \q1 मरुस्थल आनंदित होकर केसर समान खिल उठेंगे. \q2 \v 2 वह अत्यंत आनंदित होगी \q1 तथा जय जयकार और उसे लबानोन का शौर्य दिया जायेगा \q2 उसकी समृद्धि कर्मेल तथा शारोन के समान हो जाएगी, \q2 वे याहवेह की महिमा, परमेश्वर के प्रताप को देखेंगे. \b \q1 \v 3 जो उदास है उन्हें उत्साहित करो, \q2 तथा जो निर्बल हैं उन्हें दृढ़ करो; \q1 \v 4 घबराने वाले व्यक्तियों से कहो, \q2 “साहस बनाए रखो, भयभीत न हो; \q1 स्मरण रखो, तुम्हारा परमेश्वर पलटा लेने \q2 और प्रतिफल देने आ रहा है.” \b \q1 \v 5 तब अंधों की आंखें खोली जायेंगी \q2 तथा बहरों के कान खोल दिये जायेंगे. \q1 \v 6 तब लंगड़ा हिरण के समान उछलेगा, \q2 गूंगे अपनी जीभ से जय जयकार करेंगे. \q1 सुनसान जगह पर सोता फूट निकलेगा \q2 तथा मरुस्थल में नदियां बहेंगी. \q1 \v 7 सूखी हुई भूमि पोखर सोते में बदल जायेगी, \q2 तथा धारा झरनों में बदलेगी. \q1 तथा तृषित धरा झरनों में; जिस जगह पर कभी सियारों का बसेरा था, \q2 वहां हरियाली हो जायेगी. \b \q1 \v 8 वहां एक मार्ग होगा; \q2 उसका नाम पवित्र मार्ग होगा. \q1 अशुद्ध उस पर न चल पाएंगे; \q2 निर्धारित लोग (परमेश्वर के पवित्र लोग) ही उस पर चला करेंगे; \q2 न ही मूर्ख वहां आएंगे. \q1 \v 9 उस मार्ग पर सिंह नहीं होगा, \q2 न ही कोई जंगली पशु वहां आयेगा; \q2 इनमें से कोई भी उस मार्ग पर नहीं चलेगा. \q1 \v 10 इसलिये वे जो याहवेह द्वारा छुड़ाए गए हैं, \q2 जय जयकार के साथ ज़ियोन में आएंगे; \q1 उनके सिर पर आनंद के मुकुट होंगे \q2 और उनका दुःख तथा उनके आंसुओं का अंत हो जायेगा, \q1 तब वे सुख तथा खुशी के अधिकारी हो जाएंगे. \c 36 \s1 सेनहेरीब द्वारा यहूदिया पर हमला \p \v 1 राजा हिज़किय्याह के शासनकाल के चौदहवें वर्ष में अश्शूर के राजा सेनहेरीब ने यहूदिया के समस्त गढ़ नगरों पर आक्रमण करके उन पर अधिकार कर लिया. \v 2 अश्शूर के राजा ने लाकीश से प्रमुख सेनापति के साथ येरूशलेम में राजा हिज़किय्याह से युद्ध करने एक विशाल सेना प्रेषित कर दी तथा स्वयं धोबी के खेत के राजमार्ग के निकटवर्ती ऊपरी ताल की जल प्रणाली के निकट खड़ा हो गया. \v 3 तब गृह प्रबंधक एलियाकिम, जो हिलकियाह का पुत्र था, शास्त्री शेबना तथा आसफ का पुत्र योआह, जो प्रालेख अधिकारी था, राजा से भेंट करने गए. \p \v 4 प्रमुख सेनापति ने उन्हें आदेश दिया, “हिज़किय्याह से जाकर यह कहो, \pm “ ‘पराक्रमी राजा, अश्शूर के राजा का संदेश यह है कौन है तुम्हारे इस भरोसे का आधार? \v 5 युद्ध से संबंधित तुम्हारी रणनीति तथा तुम्हारी शक्ति मात्र खोखले शब्द हैं. किस पर है तुम्हारा अवलंबन कि तुमने मुझसे विद्रोह का साहस किया है? \v 6 देखो, तुमने जो मिस्र देश पर भरोसा किया है, वह है ही क्या, एक टूटी हुई छड़ी! यदि कोई व्यक्ति इसकी टेक लेना चाहे तो यह छड़ी उसके हाथ में ही चुभ जाएगी. मिस्र का राजा फ़रोह भी उन सबके लिए ऐसा ही साबित होता है, जो उस पर भरोसा करते हैं. \v 7 हां, यदि तुम मुझसे कहो, “हम तो याहवेह हमारे परमेश्वर पर भरोसा करते हैं,” तो क्या ये वही नहीं हैं, जिनके पूजा-स्थल तथा वेदियां हिज़किय्याह ने ध्वस्त कर दी हैं तथा यहूदिया तथा येरूशलेम को यह आदेश दिया गया है: “तुम्हें इसी वेदी के समक्ष आराधना करनी होगी?” \pm \v 8 “ ‘तब अब आओ और हमारे स्वामी, अश्शूर के राजा से मोलभाव कर लो: मैं तुम्हें दो हज़ार घोड़े दूंगा, यदि तुम अपनी ओर से उनके लिए दो हज़ार घुड़सवार ला सको. \v 9 रथों और घुड़सवारों के लिए मिस्र देश पर निर्भर रहते हुए यह कैसे संभव है कि तुम मेरे स्वामी के छोटे से छोटे सेवक से टक्कर ले उसे हरा दो! \v 10 क्या मैं याहवेह के बिना ही इस स्थान को नष्ट करने आया हूं? याहवेह ही ने मुझे आदेश दिया है, इस देश पर हमला कर इसे खत्म कर दो.’ ” \p \v 11 तब एलियाकिम, शेबना तथा योआह ने प्रमुख सेनापति से आग्रह किया, “अपने सेवकों से अरामी भाषा में संवाद कीजिए, क्योंकि यह भाषा हम समझते हैं; यहूदिया की भाषा में संवाद मत कीजिए, क्योंकि प्राचीर पर कुछ लोग हमारा वार्तालाप सुन रहे हैं.” \p \v 12 किंतु प्रमुख सेनापति ने उत्तर दिया, “क्या मेरे स्वामी ने मुझे मात्र तुम्हारे स्वामी तथा मात्र तुम्हें यह संदेश देने के लिए प्रेषित किया है तथा प्राचीर पर बैठे व्यक्तियों के लिए नहीं, जिनके लिए तो यही दंड निर्धारित है, कि वे तुम्हारे साथ स्वयं अपनी विष्ठा का सेवन करें तथा अपने ही मूत्र का पान?” \p \v 13 यह कहते हुए प्रमुख सेनापति खड़ा हो गया और सबके सामने उच्च स्वर में यहूदिया की भाषा में यह कहा: “अश्शूर के राजा प्रतिष्ठित सम्राट का यह संदेश सुन लो: \v 14 सम्राट का आदेश यह है: हिज़किय्याह तुम्हें इस छल में सम्भ्रमित न रखे, क्योंकि वह तुम्हें विमुक्त करने में समर्थ न होगा; \v 15 न ही हिज़किय्याह यह कहते हुए तुम्हें याहवेह पर भरोसा करने के लिए उकसाए, ‘निःसंदेह याहवेह हमारा छुटकारा करेंगे. यह नगर अश्शूर के राजा के अधीन होने न दिया जाएगा.’ \p \v 16 “हिज़किय्याह के आश्वासन पर ध्यान न दो, क्योंकि अश्शूर के राजा का संदेश यह है, मुझसे संधि स्थापित कर लो. नगर से निकलकर बाहर मेरे पास आ जाओ. तब तुममें से हर एक अपनी ही लगाई हुई दाखलता से फल खाएगा, तुममें से हर एक अपने ही अंजीर वृक्ष से अंजीर खाएगा और तुममें से हर एक अपने ही कुंड में से जल पीएगा. \v 17 तब मैं आऊंगा और तुम्हें एक ऐसे देश में ले जाऊंगा, जो तुम्हारे ही देश के सदृश्य है, ऐसा देश जहां अन्‍न की उपज है तथा नई द्राक्षा भी. यह भोजन तथा द्राक्षा उद्यानों का देश है. \p \v 18 “सावधान! ऐसा न हो कि हिज़किय्याह तुम्हें यह कहकर बहका दे: ‘याहवेह हमें विमुक्ति प्रदान करेंगे.’ क्या राष्ट्रों के किसी देवता ने अश्शूर के सम्राट के अधिकार से अपने देश को विमुक्ति प्रदान की है? \v 19 कहां हैं हामाथ तथा अरपाद के देवता? कहां हैं सेफरवाइम के देवता? और हां, उन्होंने शमरिया को कब मेरे अधिकार से विमुक्त किया है? \v 20 इन देशों के किस देवता ने अपने देश को मेरे हाथों से विमुक्त किया है, जो ये याहवेह येरूशलेम को मेरे हाथों से विमुक्त करा लेंगे?” \p \v 21 मगर प्रजा मौन रही. किसी ने भी उससे एक शब्द तक न कहा, क्योंकि राजा का आदेश ही यह था, “उसे उत्तर न देना!” \p \v 22 हिलकियाह के पुत्र एलियाकिम ने, जो राजघराने में गृह प्रबंधक था, लिपिक शेबना और आसफ के पुत्र योआह ने, जो लेखापाल था अपने वस्त्र फाड़े और जाकर प्रमुख सेनापति के शब्द हिज़किय्याह राजा को जा सुनाए. \c 37 \s1 हिज़किय्याह द्वारा सहायता की याचना \p \v 1 जब राजा हिज़किय्याह ने यह सब सुना, उसने अपने वस्त्र फाड़ दिए, टाट पहन लिया और याहवेह के भवन में चला गया. \v 2 राजा ने गृह प्रबंधक एलियाकिम, सचिव शेबना, पुरनियों और पुरोहितों को, जो टाट धारण किए हुए थे, आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह के पास भेजा. \v 3 उन्होंने जाकर यशायाह से विनती की, “हिज़किय्याह की यह विनती है, ‘आज का दिन संकट, फटकार और अपमान का दिन है. प्रसव का समय आ पहुंचा है मगर प्रसूता में प्रसव के लिए शक्ति ही नहीं रह गई. \v 4 संभव है याहवेह, आपके परमेश्वर राबशाकेह\f + \fr 37:4 \fr*\fq राबशाकेह \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa मैदान के सेनापति\fqa*\f* द्वारा कहे गए सभी शब्द सुन लें, जो उसके स्वामी, अश्शूर के राजा ने जीवित परमेश्वर की निंदा में उससे कहलवाए थे. संभव है इन शब्दों को सुनकर याहवेह, आपके परमेश्वर उसे फटकार लगाएं. इसलिये कृपा कर यहां प्रजा के बचे हुओं के लिए आकर प्रार्थना कीजिए.’ ” \p \v 5 जब राजा हिज़किय्याह के सेवक यशायाह के पास पहुंचे, \v 6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहना, ‘याहवेह का संदेश यह है, उन शब्दों के कारण जो तुमने सुने हैं, जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के सेवकों ने मेरी निंदा की है, तुम डरना मत. \v 7 तुम देख लेना मैं उसमें एक ऐसी आत्मा ड़ाल दूंगा कि उसे उड़ते-उड़ते समाचार सुनाई देने लगेंगे और वह अपने देश को लौट जाएगा और ऐसा कुछ करूंगा कि वह अपने ही देश में तलवार का कौर हो जाएगा.’ ” \p \v 8 जब प्रमुख सेनापति अपने देश लौटा, उसने पाया कि अश्शूर राजा लाकीश छोड़कर जा चुका था और वह लिबनाह से युद्ध कर रहा था. \p \v 9 जब सेनहेरीब ने कूश के राजा तिरहाकाह से यह सुना कि वह तुमसे युद्ध करने निकल पड़ा है तब उसने अपने दूत हिज़किय्याह के पास यह कहकर भेजा: \v 10 “तुम यहूदिया के राजा हिज़किय्याह से यह कहना, ‘जिस परमेश्वर पर तुम भरोसा करते हो, वह तुमसे यह प्रतिज्ञा करते हुए छल न करने पाए, कि येरूशलेम अश्शूर के राजा के अधीन नहीं किया जाएगा. \v 11 तुम यह सुन ही चुके हो, कि अश्शूर के राजाओं ने सारे राष्ट्रों को कैसे नाश कर दिया है. क्या तुम बचकर सुरक्षित रह सकोगे? \v 12 जब मेरे पूर्वजों ने गोज़ान, हारान, रेत्सेफ़ और तेलास्सार में एदेन की प्रजा को खत्म कर डाला था, क्या उनके देवता उनको बचा सके थे? \v 13 कहां है हामाथ का राजा, अरपाद का राजा, सेफरवाइम नगर का राजा और हेना और इव्वाह के राजा?’ ” \s1 मंदिर में हिज़किय्याह की प्रार्थना \p \v 14 इसके बाद हिज़किय्याह ने उन पत्र ले आनेवाले दूतों से वह पत्र लेकर उसे पढ़ा और याहवेह के भवन को चला गया और उस पत्र को खोलकर याहवेह के सामने रख दिया. \v 15 हिज़किय्याह ने याहवेह से यह प्रार्थना की: \v 16 “सर्वशक्तिमान याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, आप, जो करूबों से भी ऊपर सिंहासन पर विराजमान हैं. परमेश्वर आप ही ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया. \v 17 अपने कान मेरी ओर कीजिए, याहवेह, मेरी प्रार्थना सुन लीजिए. अपनी आंखें खोल दीजिए और याहवेह, देख लीजिए और उन शब्दों को सुन लीजिए, जो सेनहेरीब ने जीवित परमेश्वर का मज़ाक उड़ाते हुए कहे हैं. \p \v 18 “याहवेह, यह सच है कि अश्शूर के राजाओं ने राष्ट्रों को और उनकी भूमि को उजाड़ कर छोड़ा हैं. \v 19 और उनके देवताओं को आग में डाल दिया है, सिर्फ इसलिये कि वे देवता थे ही नहीं, वे तो सिर्फ मनुष्य के बनाए हुए थे, सिर्फ लकड़ी और पत्थर. इसलिये वे नाश कर दिए गए. \v 20 अब, हे याहवेह, हमारे परमेश्वर, हमें उनके हाथ से बचा ताकि पूरी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि याहवेह, केवल आप ही परमेश्वर हैं.” \s1 सेनहेरीब का पतन \p \v 21 तब आमोज़ के पुत्र यशायाह ने हिज़किय्याह को यह संदेश भेजा: “याहवेह, इस्राएल का परमेश्वर यों कहते हैं; इसलिये कि तुमने अश्शूर के राजा सेनहेरीब के संबंध में मुझसे विनती की. \v 22 उसके विरुद्ध कहे गए याहवेह के शब्द ये है: \q1 “ज़ियोन की कुंवारी \q2 कन्या ने तुम्हें तुच्छ समझा है, तुम्हारा मज़ाक उड़ाया है. \q1 येरूशलेम की पुत्री \q2 तुम्हारी पीठ पीछे सिर हिलाती है. \q1 \v 23 तुमने किसका अपमान और निंदा की है? \q2 किसके विरुद्ध तुमने आवाज ऊंची की है? \q1 और किसके विरुद्ध तुम्हारी दृष्टि घमण्ड़ से उठी है? \q2 इस्राएल के महा पवित्र की ओर! \q1 \v 24 तुमने अपने दूतों के द्वारा \q2 याहवेह की निंदा की है. \q1 तुमने कहा, \q2 ‘अपने रथों की बड़ी संख्या लेकर \q1 मैं पहाड़ों की ऊंचाइयों पर चढ़ आया हूं, \q2 हां, लबानोन के दुर्गम, दूर के स्थानों तक; \q1 मैंने सबसे ऊंचे देवदार के पेड़ काट गिराए हैं, \q2 इसके सबसे उत्तम सनोवरों को भी; \q1 मैंने इसके दूर-दूर के घरों में प्रवेश किया, \q2 हां, इसके घने वनों में भी. \q1 \v 25 मैंने कुएं खोदे \q2 और परदेश का जल पिया, \q1 अपने पांवों के तलवों से \q2 मैंने मिस्र की सभी नदियां सुखा दीं.’ \b \q1 \v 26 “ ‘क्या तुमने सुना नहीं? \q2 इसका निश्चय मैंने बहुत साल पहले कर लिया था? \q1 इसकी योजना मैंने बहुत पहले ही बना ली थी, \q2 जिसको मैं अब पूरा कर रहा हूं, \q1 कि तुम गढ़ नगरों को \q2 खंडहरों का ढेर बना दो. \q1 \v 27 तब जब नगरवासियों का बल जाता रहा, \q2 उनमें निराशा और लज्जा फैल गई. \q1 वे मैदान की वनस्पति \q2 और जड़ी-बूटी के समान हरे हो गए. \q1 वैसे ही, जैसे छत पर उग आई घास बढ़ने के पहले ही मुरझा जाती है. \b \q1 \v 28 “ ‘मगर तुम्हारा उठना-बैठना मेरी दृष्टि में है, \q2 तुम्हारा भीतर आना और बाहर जाना भी \q2 और मेरे विरुद्ध तुम्हारा तेज गुस्सा भी! \q1 \v 29 मेरे विरुद्ध तुम्हारे तेज गुस्से के कारण \q2 और इसलिये कि मैंने तुम्हारे घमण्ड़ के विषय में सुन लिया है, \q1 मैं तुम्हारी नाक में अपनी नकेल डालूंगा \q2 और तुम्हारे मुख में लगाम \q1 और तब मैं तुम्हें मोड़कर उसी मार्ग पर चलाऊंगा \q2 जिससे तुम आए थे.’ \p \v 30 “तब तुम्हारे लिए यह चिन्ह होगा: \q1 “इस साल तुम्हारा भोजन उस उपज का होगा, जो अपने आप उगती है; \q2 अगले साल वह, जो इसी से उपजेगी; \q1 तीसरे साल तुम बीज बोओगे, उपज काटोगे, \q2 अंगूर के बगीचे लगाओगे और उनके फल खाओगे. \q1 \v 31 तब यहूदाह गोत्र का बचा हुआ भाग दोबारा अपनी जड़ें भूमि में \q2 गहरे जा मजबूत करता जाएगा और ऊपर वृक्ष फलवंत होता जाएगा. \q1 \v 32 क्योंकि येरूशलेम से एक बचा हुआ भाग ही विकसित होगा, \q2 और ज़ियोन पर्वत से भागे हुए लोग. \q1 सेनाओं के याहवेह अपनी जलन के कारण ऐसा करेंगे. \p \v 33 “इसलिये अश्शूर के राजा के बारे में याहवेह का यह संदेश है: \q1 “वह न तो इस नगर में प्रवेश करेगा, \q2 न वह वहां बाण चलाएगा. \q1 न वह इसके सामने ढाल लेकर आएगा \q2 और न ही वह इसकी घेराबंदी के लिए ढलान ही बना पाएगा. \q1 \v 34 वह तो उसी मार्ग से लौट जाएगा जिससे वह आया था. \q2 वह इस नगर में प्रवेश ही न करेगा.” \q2 यह याहवेह का संदेश है. \q1 \v 35 “क्योंकि अपनी और अपने सेवक दावीद की \q2 महिमा के लिए मैं इसके नगर की रक्षा करूंगा!” \p \v 36 उसी रात ऐसा हुआ कि याहवेह के एक स्वर्गदूत ने अश्शूरी सेना के शिविर में जाकर एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार दिया. सुबह जागने पर लोगों ने पाया कि सारे सैनिक मर चुके थे. \v 37 यह होने पर अश्शूर का राजा सेनहेरीब अपने देश लौट गया और नीनवेह नगर में रहने लगा. \p \v 38 एक बार, जब वह अपने देवता निसरोक के भवन में उसकी उपासना कर रहा था, उसी के पुत्रों, अद्राम्मेलेख और शारेज़र ने तलवार से उस पर वार किया और वे अरारात प्रदेश में जाकर छिप गए. उसके स्थान पर उसके पुत्र एसारहद्दन ने शासन करना शुरू किया. \c 38 \s1 हिज़किय्याह का रोग \p \v 1 उन्हीं दिनों में हिज़किय्याह को ऐसा रोग हो गया कि वह मरने पर था. आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह उससे मिलने आए. उन्होंने हिज़किय्याह से कहा, “याहवेह का संदेश यह है—अपने परिवार की व्यवस्था कर लीजिए क्योंकि आपकी मृत्यु होनी ही है, आपका रोग से ठीक हो पाना संभव नहीं.” \p \v 2 यह सुन हिज़किय्याह ने अपना मुंह दीवार की ओर कर याहवेह से यह प्रार्थना की, \v 3 “याहवेह, कृपा कर याद करें कि मैं पूरे मन से कैसे सच्चाई में आपके सामने आचरण करता रहा हूं. और मैंने वही किया है, जो आपकी दृष्टि में सही है.” तब हिज़किय्याह फूट-फूटकर रोने लगा. \p \v 4 तब यशायाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ: \v 5 “जाकर हिज़किय्याह से कहो, ‘तुम्हारे पूर्वज दावीद के परमेश्वर याहवेह का संदेश यह है: मैंने तुम्हारी विनती सुनी है, तुम्हारे आंसू मैंने देखे हैं; अब देखना कि मैं तुम्हारे जीवन में पन्द्रह वर्ष और बढ़ा रहा हूं. \v 6 मैं तुम्हें तथा इस नगर को अश्शूर के राजा के अधिकार से मुक्त करूंगा. इस नगर की रक्षा मैं करूंगा. \p \v 7 “ ‘जो कुछ याहवेह ने कहा वह उसे पूरा करेंगे, याहवेह की ओर से तुम्हारे लिए इसका चिन्ह यह होगा: \v 8 तुम देखोगे कि सूर्य की छाया को मैं दस अंश पीछे हटा दूंगा.’ ” तब सूर्य द्वारा उत्पन्‍न छाया दस अंश पीछे हट गई. \b \p \v 9 यहूदिया के राजा हिज़किय्याह की बात, जो उसने अपने रोगी होकर चंगा होने के बाद लिखी है: \q1 \v 10 मैंने सोचा, “कि मेरे जीवन के बीच में ही \q2 मुझे नर्क के फाटकों में से जाना होगा \q2 और मेरे जीवन का कोई पल अब बचा नहीं?” \q1 \v 11 मैंने सोचा, “मैं जीवितों की पृथ्वी पर\f + \fr 38:11 \fr*\fq मैं जीवितों की पृथ्वी पर \fq*\ft जब तक मैं ज़िंदा रहूंगा, तब तक!\ft*\f* याहवेह को\f + \fr 38:11 \fr*\ft मूल में “याह को”\ft*\f* देख न सकूंगा; \q2 मैं अब याहवेह को और मनुष्य को नहीं देख सकूंगा. \q1 \v 12 मेरा घर चरवाहे के तंबू के समान \q2 हटा लिया गया है. \q1 मैंने तो अपना जीवन बुनकर लपेट लिया था, \q2 प्रभु ने मुझे करघे से काटकर अलग कर दिया है; \q2 एक ही दिन में तू मेरा अंत कर डालेगा. \q1 \v 13 सुबह तक मैं अपने आपको शांत करता रहा, \q2 प्रभु सिंह के समान मेरी हड्डियों को तोड़ते रहे; \q2 दिन से शुरू कर रात तक आपने मेरा अंत कर दिया है. \q1 \v 14 मैं सुपाबेनी या सारस के समान चहकता हूं, \q2 मैं पण्डुक के समान कराहता हूं. \q1 मेरी आंखें ऊपर की ओर देखते-देखते थक गई है. \q2 हे प्रभु, मैं परेशान हूं आप मेरे सहायक हों!” \b \q1 \v 15 अब मैं क्या कहूं? \q2 क्योंकि उन्होंने मुझसे प्रतिज्ञा की और पूरी भी की है. \q1 मैं जीवन भर दुःख के साथ \q2 जीवित रहूंगा. \q1 \v 16 हे प्रभु, ये बातें ही तो मनुष्यों को जीवित रखती हैं; \q2 इन्हीं से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है. \q1 आप मुझे चंगा कीजिए \q2 और जीवित रखिए. \q1 \v 17 शांति पाने के लिए \q2 मुझे बड़ी कड़वाहट मिली. \q1 आपने मेरे प्राण को \q2 नाश के गड्ढे से निकाला है; \q1 क्योंकि मेरे सब पापों को \q2 आपने पीठ पीछे फेंक दिया है. \q1 \v 18 अधोलोक आपका धन्यवाद नहीं कर सकता, \q2 न मृत्यु आपकी महिमा कर सकती है; \q1 जो कब्र में पड़े हैं \q2 वे आपकी विश्वासयोग्यता की आशा नहीं कर सकते. \q1 \v 19 जीवित व्यक्ति ही आपका धन्यवाद कर सकते हैं, \q2 जिस प्रकार मैं आज कर रहा हूं; \q1 पिता अपनी संतान से \q2 आपकी विश्वस्तता की बात बताता है. \b \q1 \v 20 निश्चयतः याहवेह मेरा उद्धार करेंगे, \q2 इसलिये याहवेह के भवन में \q1 पूरे जीवनकाल में \q2 मेरे गीत तार वाले बाजों पर गाते रहेंगे. \p \v 21 यशायाह ने कहा, “अंजीर की टिकिया हिज़किय्याह के फोड़े पर लगा दो, ताकि उसे इससे आराम मिल सके.” \p \v 22 इसी पर हिज़किय्याह ने पूछा था, “इसका चिन्ह क्या होगा कि मैं याहवेह के भवन में फिर से जा पाऊंगा?” \c 39 \s1 बाबेल का प्रतिनिधिमण्डल \p \v 1 उसी समय बाबेल के राजा बलादन के पुत्र मेरोदाख-बलादान ने हिज़किय्याह के लिए पत्र तथा एक उपहार भेजा, क्योंकि उन्हें यह समाचार मिला, कि हिज़किय्याह अस्वस्थ था तथा अब वह ठीक है. \v 2 हिज़किय्याह उनकी बातें ध्यान से सुनता रहा, फिर उनका स्वागत करते हुए उसने उन्हें अपना सारा खजाना, सोना-चांदी और सभी मसाले, कीमती तेल, अपना हथियार घर और अपने भंडार घर की सारी वस्तुएं दिखा दीं; यानी सभी कुछ, जो उसके खजानों में जमा था. उसके घर में या उसके सारी राज्य में ऐसा कुछ न था, जो उसने उन्हें न दिखाया हो. \p \v 3 यह होने के बाद भविष्यद्वक्ता यशायाह राजा हिज़किय्याह से भेंट करने गए और उससे कहा, “क्या कह रहे हैं ये लोग, कहां से आए थे?” \p “हिज़किय्याह ने उत्तर दिया, वे एक दूर देश से—बाबेल से मेरे पास आए थे.” \p \v 4 भविष्यद्वक्ता यशायाह ने राजा से पूछा, “क्या-क्या देखा उन्होंने आपके घर का?” \p हिज़किय्याह ने उत्तर दिया, “जो कुछ मेरे घर में है, वे सभी कुछ देख गए हैं, मेरे खजाने में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उन्होंने न देखा हो.” \p \v 5 यह सुन यशायाह ने हिज़किय्याह से कहा, “याहवेह का संदेश सुनिए: \v 6 ‘यह देख लेना कि वे दिन आ रहे हैं, जब वह सभी कुछ, जो आपके घर में है, वह सब, जो आपके पूर्वजों द्वारा आज तक इकट्ठा किया गया है, बाबेल को ले जाया जाएगा—कुछ भी बाकी न रह जाएगा,’ यह याहवेह का संदेश है. \v 7 तुम्हारे ही अपने पुत्रों में से कुछ को, जो तुम्हारे अपने पुत्र होंगे उन्हें बंधुआई में ले जाया जाएगा. वे बाबेल के राजा के राजघराने में नपुंसक बना दिए जाएंगे.” \p \v 8 तब हिज़किय्याह ने यशायाह से कहा, “याहवेह का वचन जो तुमने कहा वह भला ही है,” फिर कहा, “कम से कम मेरे जीवनकाल में तो शांति एवं सुरक्षा बनी रहेगी.” \c 40 \s1 परमेश्वर की प्रजा को शांति \q1 \v 1 तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है, \q2 कि मेरी प्रजा को शांति दो, शांति दो! \q1 \v 2 येरूशलेम से शांति की बात करो, \q2 उनसे कहो \q1 कि अब उनकी कठिन सेवा खत्म हो चुकी है, \q2 क्योंकि उनके अधर्म का मूल्य दे चुका है, \q1 उसने याहवेह ही के हाथों से अपने सारे पापों के लिए \q2 दो गुणा दंड पा लिया है. \b \q1 \v 3 एक आवाज, जो पुकार-पुकारने वाले की, कह रही है, \q1 “याहवेह के लिए जंगल \q2 में मार्ग को तैयार करो; \q1 हमारे परमेश्वर के लिए उस मरुस्थल में \q2 एक राजमार्ग सीधा कर दो. \q1 \v 4 हर एक तराई भर दो, \q2 तथा हर एक पर्वत तथा पहाड़ी को गिरा दो; \q1 असमतल भूमि को चौरस मैदान बना दो, \q2 तथा ऊंचा नीचा है वह चौड़ा किया जाए. \q1 \v 5 तब याहवेह का प्रताप प्रकट होगा, \q2 तथा सब जीवित प्राणी इसे एक साथ देख सकेंगे. \q1 क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला हुआ वचन है.” \b \q1 \v 6 फिर बोलनेवाले कि आवाज सुनाई दी कि प्रचार करो. \q2 मैंने कहा, “मैं क्या प्रचार करूं?” \b \q1 “सभी मनुष्य घास समान हैं, \q2 उनकी सुंदरता\f + \fr 40:6 \fr*\fq सुंदरता \fq*\ft या \ft*\fqa धार्मिकता\fqa*\f* मैदान के फूल समान है. \q1 \v 7 घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है, \q2 जब याहवेह की श्वास चलती है. \q2 तब घास सूख जाती है. \q1 \v 8 घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है, \q2 किंतु हमारे परमेश्वर का वचन स्थिर रहेगा.” \b \q1 \v 9 किसी ऊंचे पर्वत पर चले जाओ, \q2 हे ज़ियोन, तुम तो शुभ संदेश सुनाते हो. \q1 अत्यंत ऊंचे स्वर में घोषणा करो, \q2 हे येरूशलेम, तुम जो शुभ संदेश सुनाते हो, \q1 बिना डरे हुए ऊंचे शब्द से \q2 कहो; यहूदिया के नगरों को बताओ, \q2 “देखो ये हैं हमारे परमेश्वर!” \q1 \v 10 तुम देखोगे कि प्रभु याहवेह बड़ी सामर्थ्य के साथ आएंगे, \q2 वह अपने भुजबल से शासन करेंगे. \q1 वह अपने साथ मजदूरी लाए हैं, \q2 उनका प्रतिफल उनके आगे-आगे चलता है. \q1 \v 11 वह चरवाहे के समान अपने झुंड की देखभाल करेंगे: \q2 वह मेमनों को अपनी बाहों में ले लेंगे \q1 वह उन्हें अपनी गोद में उठा लेंगे और बाहों में लेकर चलेंगे; \q2 उनके साथ उनके चरवाहे भी होंगे. \b \q1 \v 12 कौन है जिसने अपनी हथेली से महासागर को नापा है, \q2 किसने बित्ते से आकाश को नापा है? \q1 किसने पृथ्वी की धूल को माप कर उसकी गिनती की है, \q2 तथा पर्वतों को कांटे से \q2 तथा पहाड़ियों को तौल से मापा है? \q1 \v 13 किसने याहवेह के आत्मा को मार्ग बताया है, \q2 अथवा याहवेह का सहायक होकर उन्हें ज्ञान सिखाया है? \q1 \v 14 किससे उसने सलाह ली, \q2 तथा किसने उन्हें समझ दी? \q1 किसने उन्हें न्याय की शिक्षा दी तथा उन्हें ज्ञान सिखाया, \q2 किसने उन्हें बुद्धि का मार्ग बताया? \b \q1 \v 15 यह जान लो, कि देश पानी की एक बूंद \q2 और पलड़ों की धूल के समान है; \q2 वह द्वीपों को धूल के कण समान उड़ा देते हैं. \q1 \v 16 न तो लबानोन ईंधन के लिए पर्याप्‍त है, \q2 और न ही होमबलि के लिए पशु है. \q1 \v 17 उनके समक्ष पूरा देश उनके सामने कुछ नहीं है; \q2 उनके सामने वे शून्य समान हैं. \b \q1 \v 18 तब? किससे तुम परमेश्वर की तुलना करोगे? \q2 या किस छवि से उनकी तुलना की जा सकेगी? \q1 \v 19 जैसे मूर्ति को शिल्पकार रूप देता है, \q2 स्वर्णकार उस पर सोने की परत चढ़ा देता है \q2 तथा चांदी से उसके लिए कड़ियां गढ़ता है. \q1 \v 20 कंगाल इतनी भेंट नहीं दे सकता \q2 इसलिये वह अच्छा पेड़ चुने, जो न सड़े; \q1 फिर एक योग्य शिल्पकार को ढूंढ़कर \q2 मूरत खुदवाकर स्थिर करता है ताकि यह हिल न सके. \b \q1 \v 21 क्या तुम नहीं जानते? \q2 क्या तुमने सुना नहीं? \q1 क्या शुरू में ही तुम्हें नहीं बताया गया था? \q2 क्या पृथ्वी की नींव रखे जाने के समय से ही तुम यह समझ न सके थे? \q1 \v 22 यह वह हैं जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर \q2 आकाश में विराजमान हैं. \q1 पृथ्वी के निवासी तो टिड्डी के समान हैं, \q2 वह आकाश को मख़मल के वस्त्र के समान फैला देते हैं. \q1 \v 23 यह वही हैं, जो बड़े-बड़े हाकिमों को तुच्छ मानते हैं \q2 और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य बना देते हैं. \q1 \v 24 कुछ ही देर पहले उन्हें बोया गया, \q2 जड़ पकड़ते ही हवा चलती \q1 और वे सूख जाति है, \q2 और आंधी उन्हें भूसी के समान उड़ा ले जाती है. \b \q1 \v 25 “अब तुम किससे मेरी तुलना करोगे? \q2 कि मैं उसके तुल्य हो जाऊं?” यह पवित्र परमेश्वर का वचन है. \q1 \v 26 अपनी आंख ऊपर उठाकर देखो: \q2 किसने यह सब रचा है? \q1 वे अनगिनत तारे जो आकाश में दिखते हैं \q2 जिनका नाम लेकर बुलाया जाता है. \q1 और उनके सामर्थ्य तथा उनके अधिकार की शक्ति के कारण, \q2 उनमें से एक भी बिना आए नहीं रहता. \b \q1 \v 27 हे याकोब, तू क्यों कहता है? \q2 हे इस्राएल, तू क्यों बोलता है, \q1 “मेरा मार्ग याहवेह से छिपा है; \q2 और मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की चिंता नहीं करता”? \q1 \v 28 क्या तुम नहीं जानते? \q2 तुमने नहीं सुना? \q1 याहवेह सनातन परमेश्वर है, \q1 पृथ्वी का सृजनहार, वह न थकता, \q2 न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अपरंपार है. \q1 \v 29 वह थके हुओं को बल देता है, \q2 शक्तिहीनों को सामर्थ्य देता है. \q1 \v 30 यह संभव है कि जवान तो थकते, \q2 और मूर्छित हो जाते हैं और लड़खड़ा जाते हैं; \q1 \v 31 परंतु जो याहवेह पर भरोसा रखते हैं \q2 वे नया बल पाते जाएंगे. \q1 वे उकाबों की नाई उड़ेंगे; \q2 वे दौड़ेंगे, किंतु श्रमित न होंगे, \q2 चलेंगे, किंतु थकित न होंगे. \b \c 41 \s1 इस्राएल का सहायक \q1 \v 1 हे द्वीपो, चुप रहकर मेरी सुनो! \q2 देश-देश के लोग, नया बल पायें! \q1 वे पास आकर बात करें; \q2 न्याय के लिए हम एक दूसरे के पास आएं. \b \q1 \v 2 “किसने उसे उकसाया है जो पूर्व में है, \q2 जिसको धर्म के साथ अपने चरणों में बुलाता हैं? \q1 याहवेह उसे देश सौंपते जाते हैं \q2 तथा राजाओं को उसके अधीन करते जाते हैं. \q1 वह उसकी तलवार से उन्हें धूल में, \q2 तथा उसके धनुष से हवा में उड़ती भूसी में बदल देता है. \q1 \v 3 वह उनका पीछा करता है तथा एक ऐसे मार्ग से सुरक्षित उनसे आगे निकल जाता है, \q2 जिस पर इससे पहले वह चलकर कभी पार नहीं गया. \q1 \v 4 आदिकाल से अब तक \q2 की पीढ़ियों को किसने बुलाया है? \q1 मैं ही याहवेह, जो सबसे पहला \q2 और आखिरी हूं.” \b \q1 \v 5 तटवर्ती क्षेत्रों ने यह देखा तथा वे डर गए; \q2 पृथ्वी कांपने लगी, और पास आ गए. \q1 \v 6 हर एक अपने पड़ोसी की सहायता करता है \q2 तथा अपने बंधु से कहता है, “हियाव बांध!” \q1 \v 7 इसी प्रकार शिल्पी भी सुनार को हिम्मत दिलाता है, \q2 जो हथौड़े से धातु को समतल बनाकर कील मारता है \q2 और हिम्मत बांधता है. \q1 निहाई पर हथौड़ा चलाता है. \q2 वह टांकों को ठोक ठोक कर कसता है ताकि वह ढीला न रह जाए. \b \q1 \v 8 “हे मेरे दास इस्राएल, \q2 मेरे चुने हुए याकोब, \q2 मेरे मित्र अब्राहाम के वंश, \q1 \v 9 तुम्हें जिसे मैं दूर देश से लौटा लाया हूं, \q2 तथा पृथ्वी के दूरतम स्थानों से तुम्हें बुलाकर तुम्हें यह आश्वासन दिया है. \q1 ‘तुम मेरे सेवक हो’; \q2 मेरे चुने हुए, मैंने तुम्हें छोड़ा नहीं है. \q1 \v 10 इसलिये मत डरो, मैं तुम्हारे साथ हूं; \q2 इधर-उधर मत ताको, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर मैं हूं. \q1 मैं तुम्हें दृढ़ करूंगा और तुम्हारी सहायता करूंगा; \q2 मैं तुम्हें अपने धर्ममय दाएं हाथ से संभाले रखूंगा. \b \q1 \v 11 “देख जो तुझसे क्रोधित हैं \q2 वे लज्जित एवं अपमानित किए जाएंगे; \q1 वे जो तुमसे झगड़ा करते हैं \q2 नाश होकर मिट जायेंगे. \q1 \v 12 तुम उन्हें जो तुमसे विवाद करते थे खोजते रहोगे, \q2 किंतु उन्हें पाओगे नहीं. \q1 जो तुम्हारे साथ युद्ध करते हैं, \q2 वे नाश होकर मिट जाएंगे. \q1 \v 13 क्योंकि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, \q2 जो तुम्हारे दाएं हाथ को थामे रहता है \q1 जो तुम्हें आश्वासन देता है, मत डर; \q2 तुम्हारी सहायता मैं करूंगा. \q1 \v 14 हे कीड़े समान याकोब, \q2 हे इस्राएली प्रजा मत डर, \q1 तुम्हारी सहायता मैं करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. \q2 इस्राएल के पवित्र परमेश्वर तेरे छुड़ानेवाले हैं. \q1 \v 15 “देख, मैंने तुम्हें छुरी वाले \q2 उपकरण समान बनाया है. \q1 तुम पर्वतों को कूट-कूट कर चूर्ण बना दोगे, \q2 तथा घाटियों को भूसी का रूप दे दोगे. \q1 \v 16 तुम उन्हें फटकोगे, हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी, \q2 तथा आंधी उन्हें बिखेर देगी. \q1 किंतु तुम याहवेह में खुश होगे \q2 तुम इस्राएल के पवित्र परमेश्वर पर गर्व करोगे. \b \q1 \v 17 “जो दीन तथा दरिद्र हैं वे जल की खोज कर रहे हैं, \q2 किंतु जल कहीं नहीं; \q2 प्यास से उनका गला सूख गया है. \q1 मैं याहवेह ही उन्हें स्वयं उत्तर दूंगा; \q2 इस्राएल का परमेश्वर होने के कारण मैं उनको नहीं छोड़ूंगा. \q1 \v 18 मैं सूखी पहाड़ियों से नदियों को बहा दूंगा, \q2 घाटियों के मध्य झरने फूट पड़ेंगे. \q1 निर्जन स्थल जल ताल हो जाएगा, \q2 तथा सूखी भूमि जल का सोता होगी. \q1 \v 19 मरुस्थल देवदार, बबूल, मेंहदी, \q2 तथा जैतून वृक्ष उपजाने लगेंगे. \q1 मैं मरुस्थल में सनौवर, \q2 चिनार तथा चीड़ के वृक्ष उगा दूंगा, \q1 \v 20 कि वे देख सकें \q2 तथा इसे समझ लें, \q1 कि यह याहवेह के हाथों का कार्य है, \q2 तथा इसे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ही ने किया है.” \b \q1 \v 21 याहवेह कहता है, \q2 “अपनी बात कहो.” \q1 अपना मुकदमा लड़ो, \q2 “यह याकोब के राजा का आदेश है. \q1 \v 22 वे देवताएं आएं, तथा हमें बताएं, \q2 कि भविष्य में क्या होनेवाला है. \q1 या होनेवाली घटनाओं के बारे में भी बताएं. \q2 \v 23 उन घटनाओं को बताओ जो भविष्य में होने पर हैं, \q2 तब हम मानेंगे कि तुम देवता हो. \q1 कुछ तो करो, भला या बुरा, \q2 कि हम चकित हो जाएं तथा डरें भी. \q1 \v 24 देखो तुम कुछ भी नहीं हो \q2 तुम्हारे द्वारा किए गए काम भी व्यर्थ ही हैं; \q2 जो कोई तुम्हारा पक्ष लेता है वह धिक्कार-योग्य है. \b \q1 \v 25 “मैंने उत्तर दिशा में एक व्यक्ति को चुना है, वह आ भी गया है— \q2 पूर्व दिशा से वह मेरे नाम की दोहाई देगा. \q1 वह हाकिमों को इस प्रकार रौंद डालेगा, जिस प्रकार गारा रौंदा जाता है, \q2 जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी को रौंदता है. \q1 \v 26 क्या किसी ने इस बात को पहले से बताया था, कि पहले से हमें मालूम हो, \q2 या पहले से, किसी ने हमें बताया कि, ‘हम समझ सकें और हम कह पाते की वह सच्चा है?’ \q1 कोई बतानेवाला नहीं, \q2 कोई भी सुननेवाला नहीं है. \q1 \v 27 सबसे पहले मैंने ही ज़ियोन को बताया कि, ‘देख लो, वे आ गए!’ \q2 येरूशलेम से मैंने प्रतिज्ञा की मैं तुम्हें शुभ संदेश सुनाने वाला दूत दूंगा. \q1 \v 28 किंतु जब मैंने ढूंढ़ा वहां कोई नहीं था, \q2 उन लोगों में कोई भी जवाब देनेवाला नहीं था, \q2 यदि मैं कोई प्रश्न करूं, तो मुझे उसका उत्तर कौन देगा. \q1 \v 29 यह समझ लो कि वे सभी अनर्थ हैं! \q2 व्यर्थ हैं उनके द्वारा किए गए काम; \q2 उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां केवल वायु एवं खोखली हैं.” \c 42 \s1 याहवेह का सेवक \q1 \v 1 “मेरे इस सेवक को देखो, जिससे मैं खुश हूं, \q2 वह मेरा चुना हुआ है मेरा प्रिय; \q1 उस पर मैंने अपना आत्मा रखा है, \q2 वही देशों का निष्पक्ष न्याय करेगा. \q1 \v 2 वह न तो चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, \q2 और न सड़क में उसका शब्द सुनाई देगा. \q1 \v 3 कुचले हुए नरकट को वह तोड़ न फेंकेगा, \q2 और न ही वह टिमटिमाती बत्ती को बुझा देगा. \q1 वह सच्चाई से न्याय करेगा; \q2 \v 4 जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे \q1 वह न तो निराश होगा न थकेगा. \q2 द्वीप उसकी व्यवस्था की प्रतीक्षा करेंगे.” \b \q1 \v 5 परमेश्वर, जो याहवेह हैं— \q2 जिन्होंने आकाश बनाया तथा पृथ्वी को बढ़ाया और फैलाया, \q2 जो पृथ्वी पर पाए जाते हैं, \q2 जिन्होंने पृथ्वी के लोगों को श्वास \q2 और जीवन उस पर चलने वालों को दिया: \q1 \v 6 “मैं ही, वह याहवेह हूं, मैंने धर्म से तुम्हें बुलाया है; \q2 मैं तुम्हारा हाथ थाम कर तुम्हारी देखभाल करूंगा. \q1 मैं तुम्हें लोगों के लिए वाचा \q2 और देशों के लिए ज्योति ठहराऊंगा, \q1 \v 7 ताकि अंधे देख पाएं, \q2 बंदी कारागार से बाहर लाया जाए \q2 जो कारागार के अंधकार में रहता है. \b \q1 \v 8 “मैं ही वह याहवेह हूं; यही मेरा नाम है! \q2 किसी और को मैं अपनी महिमा न दूंगा, \q2 और मेरी स्तुति खुदी हुई मूर्ति को न दूंगा. \q1 \v 9 देखो, पुरानी बातें बीत चुकी हैं, \q2 अब मैं नई बात बताता हूं. \q1 अब वे बातें पहले ही बताऊंगा \q2 जो आगे चलकर घटने वालीं हैं.” \s1 याहवेह के लिए एक स्तुति गीत \q1 \v 10 हे समुद्र पर चलने वालो, \q2 हे समुद्र के रहनेवालो, \q1 हे द्वीपो और उनमें रहनेवालो, तुम सब याहवेह की स्तुति में एक नया गीत गाओ, \q2 पृथ्वी के छोर से उनकी स्तुति करो. \q1 \v 11 मरुस्थल एवं उसमें स्थित नगर नारे लगाओ; \q2 बस्तियां और गुफा में भी बसे हुए जय जयकार करो. \q1 सेला के निवासी नारे लगाओ; \q2 पर्वत शिखरों पर से खुशी के नारे लगाएं. \q1 \v 12 वे याहवेह की महिमा को प्रकट करें \q2 तथा द्वीपों में उसका गुणगान करें. \q1 \v 13 याहवेह वीर के समान निकलेगा, \q2 योद्धा के समान अपनी जलन दिखाएगा; \q1 वह ऊंचे शब्द से ललकारेगा \q2 और शत्रुओं पर विजयी होगा. \b \q1 \v 14 “बहुत समय से मैंने अपने आपको चुप रखा, \q2 अपने आपको रोकता रहा. \q1 अब जच्चा के समान चिल्लाऊंगा, \q2 अब मैं हांफ रहा हूं और मेरा श्वास फूल रहा है. \q1 \v 15 मैं पर्वतों तथा घाटियों को उजाड़ दूंगा \q2 सब हरियाली को सुखा दूंगा; \q1 नदियों को द्वीपों में बदल दूंगा \q2 तथा नालों को सुखा दूंगा. \q1 \v 16 अंधों को मैं ऐसे मार्ग से ले जाऊंगा जिसे वे जानते नहीं, \q2 उन अनजान रास्तों पर मैं उन्हें अपने साथ साथ ले चलूंगा; \q1 मैं उनके अंधियारे को दूर करूंगा \q2 उनके टेढ़े रास्ते को सीधा कर दूंगा. \q1 मैं यह सब कर दिखाऊंगा; \q2 इसमें कोई कमी न होगी. \q1 \v 17 वे बहुत लज्जित होंगे, \q2 जो मूर्तियों पर भरोसा रखते, \q2 और खुदी हुई मूर्तियों से कहते हैं, ‘तुम ही हमारे ईश्वर हो.’ \s1 अंधे और बहरे इस्राएल \q1 \v 18 “हे बहरो सुनो; \q2 हे अंधो, इधर देखो, तुम समझ सको! \q1 \v 19 कौन है अंधा, किंतु सिवाय मेरे सेवक के, \q2 अथवा कौन है बहरा, सिवाय मेरे उस भेजे हुए दूत के? \q1 अंधा कौन है जिसके साथ मैंने वाचा बांधी, \q2 अंधा कौन है सिवाय याहवेह का दास? \q1 \v 20 अनेक परिस्थितियां तुम्हारे आंखों के सामने हुईं अवश्य, किंतु तुमने उन पर ध्यान नहीं दिया; \q2 तुम्हारे कान खुले तो थे, किंतु तुमने सुना ही नहीं.” \q1 \v 21 याहवेह अपनी धार्मिकता के लिये \q2 अपनी व्यवस्था की प्रशंसा ज्यादा करवाना चाहा. \q1 \v 22 किंतु ये ऐसे लोग हैं जो लूट लिए गए हैं, \q2 तथा जिनकी वस्तुएं छीनी जा चुकी हैं और सभी गड्ढों में जा फंसे हैं, \q2 तथा सभी को जेल में बंद कर दिया गया है. \q1 वे ऐसे फंस चुके हैं, \q2 जिन्हें कोई निकाल नहीं सकता; \q1 और उनसे जो सामान लूटा गया है, \q2 उसे लौटाने को कोई नहीं कहता. \b \q1 \v 23 तुममें से ऐसा कौन है, जो यह सब सुनने के लिए तैयार है? \q2 और कौन सुलझाएगा? \q1 \v 24 किसने याकोब को लुटेरों के हाथों में सौंप दिया, \q2 तथा इस्राएल को लुटेरों के अधीन कर दिया? \q1 क्या याहवेह ने यह नहीं किया, \q2 जिनके विरुद्ध हमने पाप किया है? \q1 जिसके मार्ग पर उन्होंने चलना न चाहा; \q2 और उनकी व्यवस्था का उन्होंने पालन नहीं किया. \q1 \v 25 इस कारण याहवेह ने उन्हें अपने क्रोध की आग में, \q2 और युद्ध की भीड़ में डाल दिया. \q1 उसे चारों ओर से आग ने घेर लिया! फिर भी वह यह सब समझ न सका; \q2 इसने उसे भस्म कर दिया, तब भी उसने ध्यान नहीं दिया. \c 43 \s1 इस्राएल का एकमात्र छुड़ाने वाला \q1 \v 1 हे इस्राएल तेरा रचनेवाला और हे याकोब, तुम्हारे सृजनहार याहवेह— \q2 जिन्होंने तुम्हारी रचना की है, \q2 वह याहवेह यों कहते हैं: \q1 “मत डर, क्योंकि मैंने तुम्हें छुड़ा लिया है; \q2 मैंने नाम लेकर तुम्हें बुलाया है; अब तुम मेरे हो गए हो. \q1 \v 2 जब तुम गहरे जल से होकर चलोगे, \q2 तुम मुझे अपने पास पाओगे; \q1 जब तुम नदियों से होकर आगे बढ़ोगे, \q2 वे तुम्हें डूबा न सकेंगी. \q1 जब तुम आग में से होकर निकलोगे, \q2 आग तुम्हें झुलसा न सकेगी; \q2 न ही लौ तुम्हें भस्म कर सकेगी. \q1 \v 3 क्योंकि मैं ही याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, \q2 तुम्हारा छुड़ाने वाला, इस्राएल का पवित्र परमेश्वर हूं; \q1 मैंने मिस्र देश से तुम्हें छुड़ाया है, \q2 कूश एवं सेबा को तुम्हारी संती दी है. \q1 \v 4 इसलिये कि तुम मेरी दृष्टि में अनमोल तथा प्रतिष्ठित \q2 और मेरे प्रिय हो, \q1 इस कारण मैं तेरी संती मनुष्यों को, \q2 और तेरे प्राण के बदले में राज्य-राज्य के लोगों को दे दूंगा. \q1 \v 5 मत डर, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूं; \q2 मैं तुम्हारे वंश को पूर्व से ले आऊंगा \q2 तथा तुम्हें पश्चिम में इकट्ठा करूंगा. \q1 \v 6 और उत्तर से कहूंगा, ‘वे मुझे दे दो!’ \q2 और दक्षिण से की, ‘मत रोके रहो उन्हें.’ \q1 दूर से मेरे पुत्रों \q2 और पुत्रियों को ले आओ— \q1 \v 7 उन सभी को जो मेरे नाम से जाने जाते हैं, \q2 जिन्हें मैंने अपनी महिमा के लिए सृजा है, \q2 जिसकी रचना मैंने की है.” \b \q1 \v 8 उन्हें बाहर लाओ जिनकी आंखें हैं, लेकिन अंधे हैं, \q2 और कान होते हुए भी बहरे हैं. \q1 \v 9 जाति-जाति के लोग एक साथ हो, \q2 और राज्य-राज्य के लोग इकट्ठा हो. \q1 किसी भी मिथ्या देवता ने कभी इन बातों के बारे में कुछ कहा है \q2 और भूतकाल में यह बताया था कि आगे क्या कुछ होगा \q1 तो उन्हें अपने गवाह लाने दो \q2 और उन मिथ्या देवताओं को प्रामाणिक सिद्ध करने दो. \q2 उन्हें सत्य बताने दो और उन्हें सुनो. \q2 इनमें से कौन बीती हुई बातों को बता सकता और सुनकर कहे कि यह सच है? \q1 \v 10 याहवेह ने कहा, “तुम मेरे गवाह बनो,” \q2 और वे सेवक जिनको मैंने चुना है, \q1 ताकि तुम मुझे पहचानो, मुझमें विश्वास करो \q2 तथा समझ पाओ कि मैं ही परमेश्वर हूं. \q1 न मुझसे पहले कोई था, \q2 न बाद में कोई हुआ. \q1 \v 11 मैं ही याहवेह हूं, \q2 मुझे छोड़ कोई और नहीं है. \q1 \v 12 मैं ही हूं जिसने समाचार दिया और उद्धार किया— \q2 तथा वर्णन भी किया, तुम्हारे बीच कोई और देवता नहीं था. \q1 “इसलिये तुम ही मेरे गवाह हो, यह याहवेह की वाणी है. \q2 \v 13 मैं ही परमेश्वर हूं तथा आगे भी मैं वही हूं. \q1 कोई और नहीं है जो मेरे हाथों से किसी को छीनकर छुड़ा ले. \q2 कौन है, जो मेरे द्वारा किए गए काम को पलट सके?” \s1 परमेश्वर की करुणा और इस्राएल के अविश्वास \q1 \v 14 इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह, जो तुम्हारे उद्धारकर्ता हैं, \q2 उनकी वाणी यह है: \q1 “तुम्हारे कारण मैंने बाबेल पर हमला किया \q2 मैं उन सभी को बंधक बना दूंगा, \q2 और उन्हीं के जहाज़ पर चढ़ाकर ले आऊंगा. \q1 \v 15 मैं याहवेह तुम्हारा पवित्र परमेश्वर, \q2 इस्राएल का रचनेवाला, तुम्हारा राजा हूं.” \b \q1 \v 16 याहवेह ने कहा है— \q2 जिन्होंने समुद्र में से मार्ग तैयार किया, \q2 और गहरे जल में से पथ निकालता है. \q1 \v 17 वह जो रथों तथा अश्वों, \q2 और सेना को निकाल लाता है, \q1 और शूर योद्धा गिरा दिये जायेंगे, \q2 और फिर उठ न सकेंगे: \q1 \v 18 “न तो पुरानी बातों को याद करो; \q2 और न ही अतीत पर विचार करो. \q1 \v 19 देखो, मैं एक नई बात करता हूं! \q2 जो अभी प्रकट होगी, क्या तुम उससे अनजान रहोगे? \q1 मैं बंजर भूमि में एक मार्ग बनाऊंगा \q2 और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा. \q1 \v 20 मैदान के पशु सियार \q2 तथा शुतुरमुर्ग मेरी महिमा करेंगे, \q1 क्योंकि निर्जन स्थान में नदियां \q2 तथा मरुस्थल में लोगों को पीने के लिए जल मिलेगा, \q2 \v 21 वे लोग, जिन्हें मैंने इस उद्देश्य से बनाया है, \q2 कि वे मेरी प्रशंसा करें. \b \q1 \v 22 “याकोब, यह सब होने पर भी तुमने मेरी महिमा नहीं की, \q2 इस्राएल, तुम तो मुझसे थक गए हो. \q1 \v 23 होमबलि के लिए अलग की गई भेड़ को तुम मेरे पास नहीं लाए, \q2 अपनी बलि के द्वारा तुमने मेरा आदर नहीं किया. \q1 बलि चढ़ाने के लिए मैंने नहीं कहा \q2 न ही धूप चढ़ाने के लिए मेरी इच्छा तुम पर बोझ बढ़ाने के लिए थी. \q1 \v 24 तुमने मेरे लिए सुगंध सामग्री मोल नहीं लिया, \q2 और न तुमने मुझे बलियों की चर्बी चढ़ाई. \q1 इसके बदले तुमने मुझ पर अपने पापों का बोझ ही डाल दिया है \q2 और अधर्म के कामों से मुझे थका दिया है. \b \q1 \v 25 “मैं ही हूं, जो अपने नाम के निमित्त \q2 तुम्हारे पापों को मिटा देता हूं, \q2 तुम्हारे पापों को मैं याद नहीं रखूंगा. \q1 \v 26 मुझे याद दिलाओ, \q2 कि हम आपस में बातचीत करें; \q2 तुम अपनी सच्चाई को बताओ जिससे तुम निर्दोष ठहरे. \q1 \v 27 तुम्हारे पूर्वजों ने पाप किया; \q2 और जो मेरे और तुम्हारे बीच आए उन्होंने मुझसे बदला लिया. \q1 \v 28 इस कारण मैं पवित्र स्थान के शासकों को अपवित्र कर दूंगा; \q2 मैं याकोब को सर्वनाश के लिए \q2 तथा इस्राएल को निंदा के लिए छोड़ दूंगा. \c 44 \s1 इस्राएल—याहवेह के चुने हुए \q1 \v 1 “परंतु अब हे मेरे दास याकोब, \q2 हे मेरे चुने हुए इस्राएल, सुन लो. \q1 \v 2 याहवेह, जो तुम्हारे सहायक हैं, \q2 जिन्होंने गर्भ में ही तुम्हारी रचना कर दी थी, \q2 वे यों कहते हैं: \q1 हे मेरे दास याकोब, हे मेरे चुने हुए यशुरून\f + \fr 44:2 \fr*\fq यशुरून \fq*\ft अर्थ \ft*\fqa धर्मी \fqa*\ft अर्थात् \ft*\fqa इस्राएल\fqa*\f* मत डर, \q2 तुम भी, जो मेरे मनोनीत हो. \q1 \v 3 क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल, \q2 तथा सूखी भूमि पर नदियां बहाऊंगा; \q1 मैं अपना आत्मा तथा अपनी आशीषें, \q2 तुम्हारी संतान पर उंडेल दूंगा. \q1 \v 4 वे घास के बीच अंकुरित होने लगेंगे, \q2 और बहती जलधारा के किनारे लगाए गए वृक्ष के समान होंगे. \q1 \v 5 कोई कहेगा, ‘मैं तो याहवेह का हूं’; \q2 और याकोब के नाम की दोहाई देगा; \q1 और कोई अपनी हथेली पर, ‘मैं याहवेह का’ लिख लेगा, \q2 वह इस्राएल का नाम अपना लेगा. \s1 प्रतिमा पूजन की मूर्खता \q1 \v 6 “वह जो याहवेह हैं, \q2 सर्वशक्तिमान\f + \fr 44:6 \fr*\fq सर्वशक्तिमान \fq*\ft मूल में \ft*\fqa सेनाओं का \fqa*\f* याहवेह इस्राएल के राजा, अर्थात् उसको छुड़ाने वाला है: \q1 वह यों कहता है, मैं ही पहला हूं और मैं ही अंत तक रहूंगा; \q2 मेरे सिवाय कोई और परमेश्वर है ही नहीं. \q1 \v 7 मेरे समान है कौन? जब से मैंने मनुष्यों को ठहराया \q2 तब से किसने मेरे समान प्रचार किया? \q2 या वह बताये, मेरी बातों को पहले ही से प्रकट करें. \q1 \v 8 तुम डरो मत, क्या मैंने बहुत पहले बता न दिया था. \q2 क्या मैंने उसकी घोषणा न कर दी थी? \q1 याद रखो, तुम मेरे गवाह हो. क्या मेरे सिवाय कोई और परमेश्वर है? \q2 या क्या कोई और चट्टान है? नहीं, मैं किसी और को नहीं जानता.” \q1 \v 9 वे सभी जो मूर्तियां बनाते हैं वे व्यर्थ हैं, \q2 उनसे कोई लाभ नहीं. \q1 उनके साक्षी न कुछ देखते न कुछ जानते हैं; \q2 उन्हें लज्जित होना पड़ेगा. \q1 \v 10 कौन है ऐसा निर्बुद्धि जिसने ऐसे देवता की रचना की या ऐसी मूर्ति बनाई, \q2 जो निर्जीव और निष्फल है? \q1 \v 11 देख उसके सभी साथियों को लज्जा का सामना करना पड़ेगा; \q2 क्योंकि शिल्पकार स्वयं मनुष्य है. \q1 अच्छा होगा कि वे सभी एक साथ खड़े हो जाएं तो डर जाएंगे; \q2 वे सभी एक साथ लज्जित किए जाएं. \b \q1 \v 12 लोहार लोहे को अंगारों से गर्म करके \q2 हथौड़ों से मारकर कोई रूप देता है; \q1 अपने हाथों के बल से उस मूर्ति को बनाता है, \q1 फिर वह भूखा हो जाता है, उसकी ताकत कम हो जाती है; \q2 वह थक जाता है, वह पानी नहीं पीता और कमजोर होने लगता है. \q1 \v 13 एक और शिल्पकार वह काठ को रूप देता है \q2 वह माप का प्रयोग करके काठ पर निशान लगाता है; \q1 वह काठ पर रन्दे चलाता है \q2 तथा परकार से रेखा खींचता है, \q2 तथा उसे एक सुंदर व्यक्ति का रूप देता है. \q1 \v 14 वह देवदार वृक्षों को अपने लिए काटता है, \q2 वह जंगलों से सनौवर तथा बांज को भी बढ़ाता है. \q1 वह देवदार पौधा उगाता है, \q2 और बारिश उसे बढ़ाती है. \q1 \v 15 फिर इसे मनुष्य आग जलाने के लिए काम में लेता है; \q2 आग से वह अपने लिए रोटी भी बनाता है, \q2 और उसी से वह अपने लिए एक देवता भी गढ़ लेता है. \q1 वह इसके काठ को गढ़ते हुए उसे मूर्ति का रूप देता है; \q2 और फिर इसी के समक्ष दंडवत भी करता है. \q1 \v 16 इसका आधा तो जला देता है; \q2 जिस आधे पर उसने अपना भोजन बनाया, \q2 मांस को पकाता, जिससे उसकी भूख मिटाये. \q1 “इसी आग से उसने अपने लिए गर्मी भी पायी.” \q1 \v 17 बचे हुए काठ से वह एक देवता का निर्माण कर लेता है, उस देवता की गढ़ी गई मूर्ति; \q2 वह इसी के समक्ष दंडवत करता है. \q1 और प्रार्थना करके कहता है, \q2 “मेरी रक्षा कीजिए! आप तो मेरे देवता हैं!” \q1 \v 18 वे न तो कुछ जानते हैं और न ही कुछ समझते हैं; \q2 क्योंकि परमेश्वर ने उनकी आंखों को अंधा कर दिया है, \q2 तथा उनके हृदय से समझने की शक्ति छीन ली है. \q1 \v 19 उनमें से किसी को भी यह बात उदास नहीं करती, \q2 न कोई समझता है, \q1 “मैंने आधे वृक्ष को तो जला दिया है; \q2 उसी के कोयलों पर मैंने भोजन तैयार किया, \q2 अपना मांस को भूंजता, \q2 अब उसके बचे हुए से गलत काम किया.” \q1 \v 20 उसने तो राख को अपना भोजन बना लिया है; उसे एक ऐसे दिल ने बहका दिया है, जो स्वयं भटक चुका है; \q2 स्वयं को तो वह मुक्त कर नहीं सकता, \q2 “जो वस्तु मैंने अपने दाएं हाथ में पकड़ रखी है, क्या वह सच नहीं?” \b \q1 \v 21 “हे याकोब, हे इस्राएल, इन सब बातों को याद कर, \q2 क्योंकि तुम तो मेरे सेवक हो. \q1 मैंने तुम्हारी रचना की है; \q2 हे इस्राएल, यह हो नहीं सकता कि मैं तुम्हें भूल जाऊं. \q1 \v 22 तुम्हारे अपराधों को मैंने मिटा दिया है जैसे आकाश से बादल, \q2 तथा तुम्हारे पापों को गहरे कोहरे के समान दूर कर दिया है. \q1 तुम मेरे पास आ जाओ, \q2 क्योंकि मैंने तुम्हें छुड़ा लिया है.” \b \q1 \v 23 हे आकाश, आनंदित हो, क्योंकि याहवेह ने यह कर दिखाया है; \q2 हे अधोलोक के पाताल भी खुश हो. \q1 हे पहाड़ों, \q2 आनंद से गाओ, \q1 क्योंकि याहवेह ने याकोब को छुड़ा लिया है, \q2 तथा इस्राएल में उन्होंने अपनी महिमा प्रकट की है. \s1 येरूशलेम नगर फिर बसाया जाएगा \q1 \v 24 “याहवेह तुम्हें उद्धार देनेवाले हैं, \q2 जिन्होंने गर्भ में ही तुम्हें रूप दिया था, वह यों कहता है: \b \q1 “मैं ही वह याहवेह हूं, \q2 सबको बनानेवाला, \q2 मैंने आकाश को बनाया, \q2 तथा मैंने ही पृथ्वी को अपनी शक्ति से फैलाया, \q1 \v 25 मैं झूठे लोगों की बात को व्यर्थ कर देता हूं \q2 और भविष्य कहने वालों को खोखला कर देता हूं, \q1 बुद्धिमान को पीछे हटा देता \q2 और पंडितों को मूर्ख बनाता हूं. \q1 \v 26 इस प्रकार याहवेह अपने दास के वचन को पूरा करता हैं, \q2 तथा अपने दूतों की युक्ति को सफल करता है वह मैं ही था, \b \q1 “जिसने येरूशलेम के विषय में यह कहा था कि, ‘येरूशलेम नगर फिर बसाया जाएगा,’ \q2 तथा यहूदिया के नगरों के लिए, ‘उनका निर्माण फिर किया जाएगा,’ \q2 मैं उनके खंडहरों को ठीक करूंगा, \q1 \v 27 मैं ही हूं, जो सागर की गहराई को आज्ञा देता हूं, ‘सूख जाओ, \q2 मैं तुम्हारी नदियों को सूखा दूंगा,’ \q1 \v 28 मैं ही हूं वह, जिसने कोरेश के बारे में कहा था कि, \q2 ‘वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है जो मेरी इच्छा पूरी करेगा; \q1 येरूशलेम के बारे में उसने कहा, “उसको फिर से बसाया जायेगा,” \q2 मंदिर के बारे में यह आश्वासन देगा, “तुम्हारी नींव डाली जाएगी.” ’ ” \b \b \c 45 \q1 \v 1 “परमेश्वर के अभिषिक्त कोरेश को याहवेह ने कहा, \q2 मैंने उसका दायां हाथ थाम रखा है \q1 कि मैं उसके सामने जनताओं को उसके अधीन कर दूं \q2 और राजाओं की कमर ढीली कर दूं, \q1 कि इसके लिए फाटक खोल दूं \q2 ताकि फाटक बंद ही न हो सकें: \q1 \v 2 मैं तेरे आगे-आगे चलूंगा \q2 ऊंची-ऊंची भूमि को सीधा बना दूंगा; \q1 मैं कांस्य के दरवाजों को चूर-चूर कर दूंगा \q2 लोहे के जंजीर को काटता हुआ निकल जाऊंगा. \q1 \v 3 मैं तुम्हें अंधकार से छिपा हुआ, \q2 और गुप्‍त स्थानों में गढ़ा हुआ धन दूंगा, \q1 कि तुम्हें यह मालूम हो जाये कि यह मैं ही वह याहवेह, \q2 इस्राएल का परमेश्वर हूं, जो तुम्हें तुम्हारा नाम लेकर बुलाता है. \q1 \v 4 मेरे सेवक याकोब के हित में, \q2 तथा मेरे चुने हुए इस्राएल के हित में, \q1 तुम्हारा नाम लेकर \q2 मैंने बुलाया है, मैंने तुम्हें ऊंचा पद दिया है, \q2 परंतु तुम तो मुझे जानते भी न थे. \q1 \v 5 मैं ही वह याहवेह हूं और कोई नहीं; \q2 मेरे सिवाय परमेश्वर कोई नहीं. \q1 मैं तुम्हें विषमता के लिए सुसज्जित कर दूंगा, \q2 परंतु तुम मुझे जानते ही नहीं थे तो भी मैं तुम्हारी कमर कसूंगा, \q1 \v 6 यह इसलिये कि पूर्व से \q2 पश्चिम तक \q1 सभी को यह मालूम हो जाए, कि मेरे सिवाय कोई भी नहीं है. \q2 याहवेह मैं ही हूं, दूसरा और कोई नहीं. \q1 \v 7 मैं वह हूं जो उजियाला और अंधियारे का सृजन करता हूं, \q2 मैं सुख-शांति का दाता और विपत्ति को भी रचता हूं; \q2 मैं वह याहवेह हूं, जो इन सबका नाश करता हूं. \b \q1 \v 8 “हे आकाश, अपनी ऊंचाई से धार्मिकता बरसा \q2 और बादल से धार्मिकता की बारिश हो. \q1 पृथ्वी खुल जाए, \q2 जिससे उद्धार हो, \q1 और नीति भी उसके साथ उगे; \q2 मैं, याहवेह ने ही इसकी सृष्टि की है. \b \q1 \v 9 “हाय उस व्यक्ति पर जो अपने रचनेवाले से झगड़ता है, \q2 वह तो मिट्टी के बर्तनों के बीच मिट्टी का एक बर्तन है. \q1 क्या मिट्टी कुम्हार से कहेगी कि, \q2 ‘यह क्या कर रहे हो तुम मेरे साथ?’ \q1 क्या कारीगर की बनाई हुई वस्तु यह कहेगी कि, \q2 ‘उसके तो हाथ ही नहीं हैं’? \q1 \v 10 हाय उस व्यक्ति पर जो अपने पिता से पूछे, \q2 ‘किसे जन्म दे रहे हैं आप?’ \q1 और अपनी माता से पूछे, \q2 ‘तू किसकी माता है?’ \b \q1 \v 11 “याहवेह जो इस्राएल का पवित्र और उसका बनानेवाला है, \q2 वे यों कहते हैं: \q1 क्या तुम होनेवाली घटनाओं के बारे में मुझसे पूछोगे, \q2 क्या मेरे पुत्रों और मेरे कामों के लिए मुझसे कहोगे? \q1 \v 12 मैं ही हूं वह जिसने पृथ्वी को बनाया \q2 तथा मनुष्य की रचना की. \q1 अपने ही हाथों से मैंने आकाश को फैलाया; \q2 और उसके सारे तारों को आज्ञा दी है. \q1 \v 13 मैंने उसे धार्मिकता में जगाया: \q2 तथा अब मैं उसका मार्ग सीधा बनाऊंगा. \q1 वह मेरे नगरों को बसायेगा \q2 तथा मेरे बंधक को, \q1 बिना किसी दाम अथवा बदला लिये छुड़ा लेगा, \q2 यह सर्वशक्तिमान याहवेह की घोषणा है.” \p \v 14 याहवेह का संदेश है: \q1 “मिस्र देश की कमाई तथा कूश देश के व्यापार की \q2 लाभ सामग्री \q1 तथा सीबा के लोग स्वयं तुमसे मिलने आएंगे \q2 तथा तुम्हारे अधीन हो जाएंगे; \q1 वे झुककर दंडवत करेंगे, \q2 वे तुमसे विनती करेंगे और कहेंगे. \q1 ‘परमेश्वर आपके साथ हैं, और दूसरा कोई नहीं उसके सिवाय; \q2 कोई और परमेश्वर नहीं.’ ” \b \q1 \v 15 हे इस्राएल के परमेश्वर, हे उद्धारकर्ता, \q2 सच तो यह है कि आप अपरंपार परमेश्वर हैं, जो स्वयं को अदृश्य कर लेते हैं. \q1 \v 16 वे लज्जित किए जाएंगे यहां तक कि वे अपमानित हो जाएंगे, वे सभी; \q2 वे जो मूर्तियों को बनानेवाले सब लज्जित और अपमानित किए जाएंगे. \q1 \v 17 इस्राएल याहवेह द्वारा छुड़ा दिया गया है, \q2 उनका यह छुटकारा सदा तक स्थिर रहेगा; \q1 फिर न तो वे लज्जित किए जाएंगे, \q2 और न ही अपमानित होंगे. \b \q1 \v 18 आकाश का रचनेवाला याहवेह, \q2 वही परमेश्वर; \q1 जिन्होंने पृथ्वी की रचना कर उसे रूप दिया, \q2 और उन्होंने इसे स्थिर किया; \q1 तथा इसमें एक भी स्थान ऐसा नहीं जो बसाया गया न हो, \q2 लेकिन इसको इसलिये बनाया कि इसे बसाया जाये— \q1 वह यों कहता है: \q1 “मैं ही वह याहवेह हूं, \q2 अन्य कोई भी नहीं. \q1 \v 19 मैंने जो कुछ कहा है वह गुप्‍त में नहीं कहा है, \q2 न ही अंधकार में; \q1 मैंने याकोब के वंश को यह नहीं कहा कि, \q2 ‘मेरी खोज व्यर्थ में करो.’ \q1 मैं, याहवेह, सत्य ही कहता हूं; \q2 मैं सही बातें ही बताता आया हूं. \b \q1 \v 20 “हे अन्यजातियों में से बचे हुए लोगो, एक साथ पास आओ; \q2 वे जो लकड़ी की खुदी हुई मूर्ति लेकर फिरते हैं. \q1 जिससे उद्धार नहीं हो सकता, \q2 वे अनजान है इसलिये प्रार्थना करते हैं. \q1 \v 21 प्रचार करके उनको लाओ, \q2 कि वे आपस में मिलें, किसने पहले ये बताया और सब प्रकट किया. \q1 क्या मैं याहवेह ही ने यह सब नहीं किया? \q2 इसी लिये मुझे छोड़ और कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है, \q1 धर्मी और उद्धारकर्ता; \q2 परमेश्वर मैं ही हूं. \b \q1 \v 22 “हे सारी पृथ्वी के लोगो, \q2 मेरी ओर फिरो; \q2 क्योंकि परमेश्वर मैं ही हूं, कोई नहीं है मेरे सिवाय. \q1 \v 23 मैंने अपनी ही शपथ ली है, \q2 धर्म के अनुसार मेरे मुंह से यह वचन निकला है \q2 यह नहीं बदलेगा: \q1 हर एक घुटना मेरे सामने झुकेगा; \q2 और मुंह से मेरी शपथ खाई जाएगी. \q1 \v 24 मेरे विषय में लोग कहेंगे कि, ‘केवल याहवेह में ही \q2 नीति और शक्ति है.’ ” \q1 मनुष्य उनकी ओर चले आएंगे, \q2 वे सभी जिन्होंने उन पर क्रोध किया वे लज्जित किए जाएंगे. \q1 \v 25 इस्राएल के सारे लोग \q2 याहवेह ही के कारण धर्मी ठहरेंगे \q2 और उसकी महिमा करेंगे. \b \c 46 \s1 बाबेल की मूर्ति और देवताएं \q1 \v 1 बाबेल की मूर्ति बेल और नेबो देवता झुक गए हैं; \q2 उनकी मूर्तियों को पशुओं पर रखकर ले जाया जा रहा है. \q1 जिन वस्तुओं को वे उठाए फिरते थे, \q2 वे अब बोझ बन गई है. \q1 \v 2 वे दोनों देवता ही झुक गए हैं; \q2 वे इन मूर्तियों के बोझ को उठा न सके, \q2 वे तो स्वयं ही बंधुवाई में चले गए हैं. \b \q1 \v 3 “हे याकोब के घराने, मेरी सुनो, \q2 इस्राएल के बचे हुए लोग, \q1 तुम भी सुनो! तुम तो जन्म ही से, \q2 मेरी देखरेख में रहे हो. \q1 \v 4 तुम्हारे बुढ़ापे तक भी मैं ऐसा ही रहूंगा, \q2 तुम्हारे बाल पकने तक मैं तुम्हें साथ लेकर चलूंगा. \q1 मैंने तुम्हें बनाया है और मैं तुम्हें साथ साथ लेकर चलूंगा; \q2 इस प्रकार ले जाते हुए मैं तुम्हें विमुक्ति तक पहुंचा दूंगा. \b \q1 \v 5 “तुम मेरी उपमा किससे दोगे तथा मुझे किसके समान बताओगे, \q2 कि हम दोनों एक समान हो जाएं? \q1 \v 6 वे जो अपनी थैली से सोना \q2 उण्डेलते या कांटे से चांदी तौलते हैं; \q1 जो सुनार को मजदूरी देकर देवता बनाते हैं, \q2 फिर उसको प्रणाम और दंडवत करते हैं. \q1 \v 7 वे इस मूर्ति को अपने कंधे पर लेकर जाते हैं; \q2 और उसे उसके स्थान पर रख देते हैं और वह वहीं खड़ी रहती है. \q2 वह मूर्ति अपनी जगह से हिलती तक नहीं. \q1 कोई भी उसके पास खड़ा होकर कितना भी रोए, उसमें उत्तर देने की ताकत नहीं; \q2 उसकी पीड़ा से उसे बचाने की ताकत उसमें नहीं है! \b \q1 \v 8 “यह स्मरण रखकर दृढ़ बने रहो, \q2 हे अपराधियो, इसे मन में याद करते रहो. \q1 \v 9 उन बातों को याद रखो, जो बहुत पहले हो चुकी हैं; \q2 क्योंकि परमेश्वर मैं हूं, मेरे समान और कोई नहीं. \q1 \v 10 मैं अंत की बातें पहले से ही बताता आया हूं, \q2 प्राचीन काल से जो अब तक पूरी नहीं हुई हैं. \q1 जब मैं किसी बात की कोई योजना बनाता हूं, \q2 तो वह घटती है; \q1 मैं वही करता हूं जो मैं करना चाहता हूं \q1 \v 11 मैं पूर्व दिशा से उकाब को; \q2 अर्थात् दूर देश से मेरी इच्छा पूरी करनेवाले पुरुष को बुलाता हूं. \q1 मैंने ही यह बात कही; \q2 और यह पूरी होकर रहेगी. \q1 \v 12 हे कठोर मनवालो, \q2 तुम जो धर्म से दूर हो, मेरी सुनो. \q1 \v 13 मैं अपनी धार्मिकता को पास ला रहा हूं, \q2 यह दूर नहीं है; \q2 मेरे द्वारा उद्धार करने में देर न हो. \q1 मैं इस्राएल के लिए अपनी महिमा, \q2 और ज़ियोन का उद्धार करूंगा.” \b \c 47 \s1 बाबेल का पतन \q1 \v 1 याहवेह कहते हैं, “बाबेल की कुंवारी बेटी, \q2 आओ, धूल में बैठ जाओ; \q1 कसदियों की बेटी सिंहासन पर नहीं, \q2 अब धूल में बैठो. \q1 क्योंकि अब तुम्हें कोई \q2 कोमल तथा सुकुमारी नहीं कहेगा. \q1 \v 2 चक्की लेकर आटा पीसो; \q2 अपना घूंघट हटा दो. \q1 बाह्य वस्त्र उतार दो, \q2 कि नंगे पैर नदियां पार कर सको. \q1 \v 3 तुम्हारी नग्नता सामने आ जायेगी \q2 तुम्हारी लज्जा बाहर दिखेगी. \q1 मैं तुमसे बदला लूंगा; \q2 और एक भी व्यक्ति छूट न सकेगा.” \b \q1 \v 4 हमें छुटकारा देनेवाले का नाम है सर्वशक्तिमान याहवेह \q2 इस्राएल के पवित्र परमेश्वर है. \b \q1 \v 5 “हे कसदियों की पुत्री, \q2 अंधकार में जाकर शांत बैठ जाओ; \q1 क्योंकि अब तुम महलों की \q2 रानी नहीं कहलाओगी. \q1 \v 6 मैं अपनी प्रजा से अप्रसन्‍न था, \q2 मैंने अपने निज भाग को अपवित्र किया; \q1 और तुम्हें सौंप दिया, \q2 तुमने उन पर दया नहीं की. \q1 बूढ़ों पर भारी \q2 बोझ रख दिया. \q1 \v 7 फिर भी तुम ज़िद करती रही कि, \q2 ‘रानी तो सदैव मैं ही बनी रहूंगी!’ \q1 न तो तुमने इन बातों का ध्यान रखा \q2 और न ही इसके बारे में सोचा. \b \q1 \v 8 “इसलिये, अब सुन, \q2 तुम जो इस समय सुरक्षित रह रही हो, \q1 जो मन ही मन सोच रही हो कि, \q2 ‘मेरे सिवाय ऐसा कोई भी नहीं है. \q1 मैं विधवा के समान न बैठूंगी \q2 न मेरे बच्‍चे मिटेंगे.’ \q1 \v 9 किंतु ये दोनों दुःख अचानक \q2 एक ही दिन में तुम पर आ पड़ेंगे: \q2 बालकों की मृत्यु तथा विधवा हो जाना. \q1 तुम्हारे अनेक टोन्हों के होने पर भी \q2 तथा जादू की शक्ति होते हुए भी यह होगा. \q1 \v 10 अपनी गलती में सुरक्षा का अनुभव करते हुए \q2 तुमने यही सोचा कि, ‘कोई मुझे नहीं देख सकता.’ \q1 तुम्हारे ही ज्ञान तथा तुम्हारी बुद्धि ने तुम्हें भटका दिया है \q2 क्योंकि तुमने मन ही मन सोचा था, \q2 ‘मैं जो हूं, मेरे सिवाय ऐसा कोई भी नहीं है.’ \q1 \v 11 किंतु कष्ट तो तुम पर आएगा ही, \q2 अपने जादू-टोने से इसे दूर कर पाना मुश्किल होगा. \q1 तुम पर तो घोर विपत्ति टूट ही पड़ेगी \q2 जिसका सामना करना तुम्हारे लिए संभव न होगा; \q1 यह ऐसी घोर विपत्ति होगी, जिसके विषय में तुम्हें मालूम न होगा \q2 यह तुम पर अचानक आ पड़ेगी. \b \q1 \v 12 “अपने जादू-टोन्हों, जिसका तुमने बचपन से अभ्यास किया है, \q2 कदाचित उससे तुमको फायदा होगा \q1 या शायद उनके बल से स्थिर रह सकोगी! \q1 \v 13 तू तो कोशिश करते-करते थक गई है, अब ज्योतिषी, \q2 जो तारों और नये चांद को देखकर होनहार बताते हैं, वे तुम्हें उससे बचाएं जो तुम पर घटने वाली है. \q1 \v 14 देख वे भूसे के समान आग में जल जायेंगे, \q2 वे अपने आपको आग से न बचा पायेंगे. \q1 यह तापने के लिए अंगार नहीं, \q2 और न ही सेंकने के लिए आग! \q1 \v 15 जिनके साथ तुम मेहनत करती रही हो— \q2 बचपन से ही जिनसे \q2 तुम्हारा लेनदेन होता रहा है. \q1 उनमें से हर एक अपने ही रास्ते पर भटक रहा है; \q2 तुम्हारी रक्षा के लिए कोई भी नहीं बचा. \b \c 48 \s1 जिद्दी इस्राएल \q1 \v 1 “हे याकोब के वंश, \q2 तुम जो इस्राएली कहलाते हो \q2 तथा जो यहूदाह की संतान हो, \q1 जो याहवेह के नाम की शपथ लेते हो \q2 जो इस्राएल के परमेश्वर की दोहाई देते हो— \q2 किंतु यह सब न तो सच्चाई से होता है और न धर्म से होता है— \q1 \v 2 क्योंकि वे पवित्र होने का दावा करते हैं \q2 वे इस्राएल के परमेश्वर पर भरोसा भी रखते हैं— \q2 जिनका नाम सर्वशक्तिमान याहवेह: \q1 \v 3 होनेवाली बातों को पहले ही बताया है, \q2 यह मेरे ही मुंह से निकली और सब सच हो गई. \q1 \v 4 इसलिये कि मुझे मालूम है कि तुम हठीले हो; \q2 तुम्हारी गर्दन लोहे की बनी हुई है, \q2 तथा तुम्हारा सिर कांस्य का बना है. \q1 \v 5 इस कारण मैंने यह बात पहले ही बता दी थी; \q2 उनके होने के पहले मैंने ये बता दिया था \q1 ताकि तुम यह न कहो कि, \q2 ‘यह तो मेरी मूर्तियों ने किया जिसको हमने बनाया था.’ \q1 \v 6 तुम सुन चुके हो; अब यह देख लो. \q2 क्या अब तुम इसकी घोषणा न करोगे? \b \q1 “अब मैं तुम्हें नई नई और गुप्‍त बातें सुनाऊंगा, \q2 जिन्हें तुम नहीं जानते. \q1 \v 7 इसकी रचना अभी की गई है पहले से नहीं; \q1 परंतु आज से पहले तुमने इसके विषय में नहीं सुना है. \q1 कि तुम यह कह सको कि, \q2 ‘यह तो मुझे पहले से ही मालूम था.’ \q1 \v 8 हां सच तुमने सुना नहीं, तुम्हें इसका ज्ञान तक न था; \q2 न तुम्हारे कान खोले गए थे क्योंकि मुझे मालूम था. \q1 कि तुम अवश्य धोखा दोगे; \q2 इस कारण गर्भ ही से तुम्हारा नाम अपराधी पड़ा है. \q1 \v 9 अपने ही नाम के कारण मैंने अपने क्रोध को रोक रखा है; \q2 अपनी ही महिमा के निमित्त तुम्हारे हित में मैं इसे रोके रहा, \q2 कि तुम मिट न जाओ. \q1 \v 10 यह देख, मैंने तुम्हें शुद्ध तो किया है, परंतु चांदी के समान मैंने तुम्हें दुःख देकर; \q2 जांच कर तुम्हें चुन लिया है. \q1 \v 11 अपने हित में, हां! अपने हित में, मैंने यह किया है. \q2 क्योंकि यह कैसे संभव हो सकता है कि मेरा नाम दूषित हो? \q2 अपनी महिमा किसी और को दो. \s1 इस्राएल की आज़ादी \q1 \v 12 “हे याकोब, \q2 हे मेरे बुलाये हुए इस्राएल: \q1 मैं वही हूं; \q2 मैं ही आदि और अंत हूं. \q1 \v 13 इसमें कोई संदेह नहीं कि मेरे हाथों ने पृथ्वी की नींव रखी, \q2 मेरे दाएं हाथ ने आकाश को बढ़ाया है; \q1 जब मैं कहता हूं, \q2 वे एक साथ खड़े हो जाते हैं. \b \q1 \v 14 “तुम सब मेरी बात ध्यान से सुनो: \q2 उनमें से कौन है, जिसने इन बातों को बताया? \q1 याहवेह उससे प्रेम करते हैं \q2 वही बाबेल के बारे में याहवेह की इच्छा पूरी करेगा; \q2 याहवेह का हाथ कसदियों\f + \fr 48:14 \fr*\fq कसदियों \fq*\ft बाबेल के लोग\ft*\f* के ऊपर उठेगा. \q1 \v 15 मैंने कह दिया है; \q2 और मैंने उनको बुलाया है. \q1 मैं उसे लाया हूं, \q2 तथा याहवेह ही उसके काम को सफल करेंगे. \p \v 16 “मेरे पास आकर यह सुनो, \q1 “शुरू से अब तक मैंने कोई बात नहीं छुपाई; \q2 जिस समय ऐसा होता है, तब मैं वहां हूं.” \b \q1 और अब प्रभु याहवेह ने मुझे \q2 तथा अपनी आत्मा को भेज दिया है. \b \q1 \v 17 तुम्हें छुड़ाने वाला इस्राएल के पवित्र परमेश्वर, \q2 याहवेह यों कहते हैं: \q1 “मैं ही याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, \q2 जो तुम्हें वही सिखाता हूं, \q2 जो तुम्हारे लिए सही है, और जिस मार्ग में तुम्हें चलना चाहिये. \q1 \v 18 यदि तुमने मेरी बातों पर मात्र ध्यान दिया होता, \q2 तब तो तुम्हारी शांति नदी के समान, \q2 और तुम्हारा धर्म सागर की लहरों के समान होता. \q1 \v 19 तुम्हारे वंश बालू के कण के समान होते, \q2 मेरे कारण उनके नाम न तो मिटाए न ही काटे जाएंगे.” \b \q1 \v 20 बाबेल से निकल जाओ, \q2 कसदियों के बीच से भाग जाओ! \q1 जय जयकार के साथ बताओ, \q2 “याहवेह ने अपने सेवक याकोब को छुड़ा लिया है; \q2 यह बात पृथ्वी के छोर तक फैलाओ.” \q1 \v 21 जब याहवेह उन्हें मरुस्थल में से लेकर आए थे, वे प्यासे नहीं हुए; \q2 उनके लिए याहवेह ने चट्टान से जल निकाला था; \q1 उन्होंने चट्टान को चीरा \q2 और उसमें से जल फूट पड़ा था. \b \q1 \v 22 “दुष्टों को कोई शांति नहीं मिलेगी,” यह याहवेह का वचन है. \b \c 49 \s1 याहवेह का सेवक \q1 \v 1 हे द्वीपो, मेरी ओर कान लगाकर सुनो; \q2 हे दूर देश के लोगो, \q1 ध्यान दो! माता के गर्भ से याहवेह ने मुझे बुलाया; \q2 जब मैं अपनी माता की देह में ही था उन्होंने मुझे नाम दे दिया था. \q1 \v 2 उन्होंने मेरे मुंह को तलवार के समान तेज धार बना दिया है, \q2 उन्होंने मुझे अपने हाथ की छाया में छिपा रखा है; \q1 हां, उन्होंने मुझे एक विशेष तीर का रूप भी दे दिया है, \q2 और उन्होंने मुझे अपनी आड़ में छिपा लिया है. \q1 \v 3 उन्होंने मुझसे कहा, “इस्राएल तुम मेरे सेवक हो, \q2 तुम्हीं से मैं अपनी महिमा प्रकट करूंगा.” \q1 \v 4 तब मैंने कहा, “मेरी मेहनत व्यर्थ ही रही; \q2 अपना बल मैंने व्यर्थ ही खो दिया. \q1 तो भी निश्चय मेरा न्याय याहवेह के पास है, \q2 मेरा प्रतिफल मेरे परमेश्वर के हाथ में है.” \b \q1 \v 5 और वह याहवेह, \q2 जिन्होंने अपना सेवक होने के लिए मुझे माता के गर्भ से चुन लिया था \q1 कि वे याकोब को अपनी ओर लौटा ले आएं \q2 कि इस्राएल को एक साथ कर दिया जाए, \q1 क्योंकि मैं याहवेह के सम्मुख ऊंचा किया गया \q2 तथा मेरा परमेश्वर ही मेरा बल हैं. \q1 \v 6 याहवेह ने कहा: \q1 “याकोब के गोत्रों का उद्धार करने \q2 और इस्राएल के बचे हुओं को वापस लाने के लिए \q2 मेरा सेवक बना यह तो मामूली बात है. \q1 मैं तो तुम्हें देशों के लिए ज्योति ठहराऊंगा, \q2 ताकि मेरा उद्धार पृथ्वी के एक कोने से दूसरे कोने तक फैल जाए.” \b \q1 \v 7 जो घृणा का पात्र है, जो देश के द्वारा तुच्छ माना गया है— \q2 जो अपराधियों का सेवक है— \q1 उसके लिए इस्राएल का छुड़ाने वाला पवित्र परमेश्वर, \q2 अर्थात् याहवेह का संदेश यह है: \q1 “राजा उसे देखकर उठ खड़े होंगे, \q2 हाकिम भी दंडवत करेंगे, \q1 क्योंकि याहवेह ने, जो विश्वासयोग्य हैं, \q2 इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ने तुम्हें चुन लिया है.” \s1 इस्राएल का पुनरुद्धार \p \v 8 याहवेह ने कहा: \q1 “एक अनुकूल अवसर पर मैं तुम्हें उत्तर दूंगा, \q2 तथा उद्धार करने के दिन मैं तुम्हारी सहायता करूंगा; \q1 मैं तुम्हें सुरक्षित रखकर \q2 लोगों के लिए एक वाचा ठहराऊंगा, \q1 ताकि देश को स्थिर करे \q2 और उजड़े हुए मीरास को ठीक कर सके, \q1 \v 9 और जो बंधुवाई में हैं, ‘उन्हें छुड़ा सके,’ \q2 जो अंधकार में हैं, ‘उन्हें कहा जाए कि अपने आपको दिखाओ!’ \b \q1 “रास्ते पर चलते हुए भी उन्हें भोजन मिलेगा, \q2 सूखी पहाड़ियों पर भी उन्हें चराई मिलेगी. \q1 \v 10 न वे भूखे होंगे और न प्यासे, \q2 न तो लू और न सूर्य उन्हें कष्ट पहुंचा सकेंगे. \q1 क्योंकि, जिनकी दया उन पर है, \q2 वही उनकी अगुवाई करते हुए उन्हें पानी के सोतों तक ले जाएंगे. \q1 \v 11 मैं अपने सब पर्वतों को मार्ग बना दूंगा, \q2 तथा मेरे राजमार्ग ऊंचे किए जायेंगे. \q1 \v 12 देखो, ये लोग दूर देशों से \q2 कुछ उत्तर से, कुछ पश्चिम से \q1 तथा कुछ सीनीम देश से आएंगे.” \b \q1 \v 13 हे आकाश, जय जयकार करो; \q2 हे पृथ्वी, आनंदित होओ; \q2 हे पर्वतो, आनंद से जय जयकार करो! \q1 क्योंकि याहवेह ने अपनी प्रजा को शांति दी है \q2 और दीन लोगों पर दया की है. \b \q1 \v 14 परंतु ज़ियोन ने कहा, “याहवेह ने मुझे छोड़ दिया है, \q2 प्रभु मुझे भूल चुके हैं.” \b \q1 \v 15 “क्या यह हो सकता है कि माता अपने बच्‍चे को भूल जाए \q2 और जन्माए हुए बच्‍चे पर दया न करे? \q1 हां, वह तो भूल सकती है, \q2 परंतु मैं नहीं भूल सकता! \q1 \v 16 देख, मैंने तेरा चित्र हथेलियों पर खोदकर बनाया है; \q2 तेरी शहरपनाह सदैव मेरे सामने बनी रहती है. \q1 \v 17 तेरे लड़के फुर्ती से आ रहे हैं, \q2 और उजाड़नेवाले तेरे बीच में से निकल रहे हैं. \q1 \v 18 अपनी आंख उठाकर अपने आस-पास देखो; \q2 वे सभी तुम्हारे पास आ रहे हैं.” \q1 याहवेह ने कहा “शपथ मेरे जीवन की, \q2 तुम उन सबको गहने के समान पहन लोगे; \q2 दुल्हन के समान अपने शरीर में सबको बांध लोगे. \b \b \q1 \v 19 “जो जगह सुनसान, उजड़ी, \q2 और जो देश खंडहर हैं, \q1 उनमें अब कोई नहीं रहेगा, \q2 और तुम्हें नष्ट करनेवाले अब दूर हो जायेंगे. \q1 \v 20 वे बालक जो तुझसे ले लिये गये \q2 वे फिर तुम्हारे कानों में कहेंगे, \q1 ‘मेरे लिए यह जगह छोटी है; \q2 मेरे लिये बड़ी जगह तैयार कीजिए की मैं उसमें रह सकूं.’ \q1 \v 21 तब तुम अपने मन में कहोगे, \q2 ‘कौन है जिसने इन्हें मेरे लिए जन्म दिया है? \q1 क्योंकि मेरे बालक तो मर गये हैं; \q2 बांझ थी मैं, यहां वहां घूमती रही. \q2 फिर इनका पालन पोषण किसने किया है? \q1 मुझे तो अकेला छोड़ दिया गया था, \q2 ये कहां से आए हैं?’ ” \p \v 22 प्रभु याहवेह ने कहा: \q1 “मैं अपना हाथ जाति-जाति के लोगों की ओर बढ़ाऊंगा, \q2 और उनके सामने अपना झंडा खड़ा करूंगा; \q1 वे तुम्हारे पुत्र व पुत्रियों को \q2 अपनी गोद में उठाएंगे. \q1 \v 23 राजा तेरे बच्चों का सेवक \q2 तथा उनकी रानियां दाईयां होंगी. \q1 वे झुककर तुम्हें दंडवत करेंगी; \q1 फिर तुम यह जान जाओगे कि मैं ही याहवेह हूं; \q2 मेरी बाट जोहने वाले कभी लज्जित न होंगे.” \b \q1 \v 24 क्या वीर के हाथ से शिकार छीना जा सकता है, \q2 अथवा क्या कोई अत्याचारी से किसी बंदी को छुड़ा सकता है? \p \v 25 निःसंदेह, याहवेह यों कहते हैं: \q1 “बलात्कारी का शिकार उसके हाथ से छुड़ा लिया जाएगा, \q2 तथा निष्ठुर लोगों से लूट का समान वापस ले लिये जायेंगे; \q1 क्योंकि मैं उनसे मुकदमा लड़ूंगा जो तुमसे लड़ेगा, \q2 और मैं तुम्हारे पुत्रों को सुरक्षित रखूंगा. \q1 \v 26 जो तुमसे लड़ते हैं उन्हें मैं उन्हीं का मांस खिला दूंगा; \q2 वे अपना ही खून पीकर मतवाले हो जाएंगे. \q1 तब सब जान जायेंगे \q2 कि याहवेह ही तुम्हारा उद्धारकर्ता है, \q2 तेरा छुड़ाने वाला, याकोब का सर्वशक्तिमान परमेश्वर मैं ही हूं.” \c 50 \s1 इस्राएल के पाप और सेवक की आज्ञाकारिता \p \v 1 याहवेह यों कहता है: \q1 “कहां है वह तलाक पत्र जो मैंने तुम्हारी माता से अलग होने पर दिया था \q2 या किसी व्यापारी को बेचा था? \q1 देखो तुम्हारे ही अधर्म के कारण \q2 तुम बेचे गये? \q1 और तुम्हारे ही पापों के कारण; \q2 तुम दूर किए गये. \q1 \v 2 मेरे यहां पहुंचने पर, यहां कोई पुरुष क्यों न था? \q2 मेरे पुकारने पर, जवाब देने के लिये यहां कोई क्यों न था? \q1 क्या मेरा हाथ ऐसा कमजोर हो गया कि छुड़ा नहीं सकता? \q2 या मुझमें उद्धार करने की शक्ति नहीं? \q1 देखो, मैं अपनी डांट से ही सागर को सूखा देता हूं, \q2 और नदियों को मरुस्थल में बदल देता हूं; \q1 जल न होने के कारण वहां की मछलियां मर जाती हैं \q2 और बदबू आने लगती है. \q1 \v 3 मैं ही आकाश को दुःख का काला कपड़ा पहना देता हूं \q2 ओर टाट को उनका आवरण बना देता हूं.” \b \q1 \v 4 परमेश्वर याहवेह ने मुझे सिखाने वालों की जीभ दी है, \q2 ताकि मैं थके हुओं को अपने शब्दों से संभाल सकूं. \q1 सुबह वह मुझे जगाता है, \q2 और मेरे कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं. \q1 \v 5 वह जो प्रभु याहवेह हैं, उन्होंने मेरे कान खोल दिए हैं; \q2 मैंने न तो विरोध किया, \q2 और न पीछे हटा. \q1 \v 6 मैंने विरोधियों को अपनी पीठ दिखा दी, \q2 तथा अपने गाल उनके सामने किए, कि वे मेरी दाढ़ी के बाल नोच लें; \q1 मैंने अपने मुंह को थूकने \q2 तथा मुझे लज्जित करने से बचने के लिये नहीं छिपाया. \q1 \v 7 क्योंकि वह, जो प्रभु याहवेह हैं, मेरी सहायता करते हैं, \q2 तब मुझे लज्जित नहीं होना पड़ा. \q1 और मैंने अपना मुंह चमका लिया है, \q2 और मैं जानता हूं कि मुझे लज्जित होना नहीं पड़ेगा. \q1 \v 8 मेरे निकट वह है, जो मुझे निर्दोष साबित करता है. \q2 कौन मुझसे लड़ेगा? \q2 चलो, हम आमने-सामने खड़े होंगे! \q1 कौन मुझ पर दोष लगाएगा? \q2 वह मेरे सामने आए! \q1 \v 9 सुनो, वह जो प्रभु याहवेह हैं, मेरी सहायता करते हैं. \q2 कौन मुझे दंड की आज्ञा देगा? \q1 देखो, वे सभी वस्त्र समान पुराने हो जाएंगे; \q2 उन्हें कीड़े खा जाएंगे. \b \q1 \v 10 तुम्हारे बीच ऐसा कौन है जो याहवेह का भय मानता है, \q2 जो उनके सेवक की बातों को मानता है? \q1 जो अंधकार में चलता है, \q2 जिसके पास रोशनी नहीं, \q1 वह याहवेह पर भरोसा रखे \q2 तथा अपने परमेश्वर पर आशा लगाये रहे. \q1 \v 11 तुम सभी, जो आग जलाते \q2 और अपने आस-पास आग का तीर रखे हुए हो, \q1 तुम अपने द्वारा जलाई हुई आग में जलते रहो, \q2 जो तुमने जला रखे हैं. \q1 मेरी ओर से यही होगा: \q2 तुम यातना में पड़े रहोगे. \b \c 51 \s1 सिय्योन के लिए अनंत उद्धार \q1 \v 1 “हे धर्म पर चलने वालो, ध्यान से मेरी सुनो, \q2 तुम, जो याहवेह के खोजी हो: \q1 उस चट्टान पर विचार करो जिसमें से तुम्हें काटा गया है \q2 तथा उस खान पर जिसमें से तुम्हें खोदकर निकाला गया है; \q1 \v 2 अपने पूर्वज अब्राहाम \q2 और साराह पर ध्यान दो. \q1 जब मैंने उनको बुलाया तब वे अकेले थे, \q2 तब मैंने उन्हें आशीष दी और बढ़ाया. \q1 \v 3 याहवेह ने ज़ियोन को शांति दी है \q2 और सब उजाड़ स्थानों को भी शांति देंगे; \q1 वह बंजर भूमि को एदेन वाटिका के समान बना देंगे, \q2 तथा उसके मरुस्थल को याहवेह की वाटिका के समान बनाएंगे. \q1 वह आनंद एवं खुशी से भरा होगा, \q2 और धन्यवाद और भजन गाने का शब्द सुनाई देगा. \b \q1 \v 4 “हे मेरी प्रजा के लोगो, मेरी ओर ध्यान दो; \q2 हे मेरे लोगो मेरी बात सुनो: \q1 क्योंकि मैं एक नियम दूंगा; \q2 जो देश-देश के लोगों के लिए ज्योति होगा. \q1 \v 5 मेरा छुटकारा निकट है, \q2 मेरा उद्धार प्रकट हो चुका है, \q2 मेरा हाथ लोगों को न्याय देगा. \q1 द्वीप मेरी बाट जोहेंगे \q2 और मेरे हाथों पर आशा रखेंगे. \q1 \v 6 आकाश की ओर देखो, \q2 और पृथ्वी को देखो; \q1 क्योंकि आकाश तो धुएं के समान छिप जाएगा, \q2 तथा पृथ्वी पुराने वस्त्र के समान पुरानी हो जाएगी, \q2 और पृथ्वी के लोग भी मक्खी जैसी मृत्यु में उड़ जाएंगे. \q1 परंतु जो उद्धार मैं करूंगा वह सर्वदा स्थिर रहेगा, \q2 और धर्म का अंत न होगा. \b \q1 \v 7 “तुम जो धर्म के माननेवाले हो, मेरी सुनो, \q2 जिनके मन में मेरी व्यवस्था है: \q1 वे मनुष्यों द्वारा की जा रही निंदा से न डरेंगे \q2 और न उदास होंगे. \q1 \v 8 क्योंकि कीट उन्हें वस्त्र के समान नष्ट कर देंगे; \q2 तथा कीड़ा उन्हें ऊन के समान खा जाएगा. \q1 परंतु धर्म सदा तक, \q2 और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा.” \b \q1 \v 9 हे याहवेह, जाग, \q2 और शक्ति को पहन ले! \q1 जैसे पहले युग में, \q2 पीढ़ियां जागी थी. \q1 क्या तुम्हीं ने उस राहाब के टुकड़े न किए, \q2 और मगरमच्छ को छेदा? \q1 \v 10 क्या आप ही न थे जिन्होंने सागर को सुखा दिया, \q2 जो बहुत गहरा था, \q1 और जिसने सागर को मार्ग में बदल दिया था \q2 और छुड़ाए हुए लोग उससे पार हुए? \q1 \v 11 इसलिये वे जो याहवेह द्वारा छुड़ाए गए हैं. \q2 वे जय जयकार के साथ ज़ियोन में आएंगे; \q2 उनके सिर पर आनंद के मुकुट होंगे. \q1 और उनका दुःख तथा उनके आंसुओं का अंत हो जायेगा, \q2 तब वे सुख तथा खुशी के अधिकारी हो जाएंगे. \b \q1 \v 12 “मैं, हां! मैं ही तेरा, शान्तिदाता हूं. \q2 कौन हो तुम जो मरने वाले मनुष्य और उनकी संतान से, \q2 जो घास समान मुरझाते हैं, उनसे डरते हो, \q1 \v 13 तुम याहवेह अपने सृष्टिकर्ता को ही भूल गये, \q2 जिन्होंने आकाश को फैलाया \q2 और पृथ्वी की नींव डाली! \q1 जब विरोधी नाश करने आते हैं \q2 तब उनके क्रोध से तुम दिन भर कांपते हो, \q2 द्रोही जलजलाहट करता रहता था. \q1 किंतु आज वह क्रोध कहां है? \q2 \v 14 शीघ्र ही वे, जो बंधन में झुके हुए हैं, छोड़ दिए जाएंगे; \q1 गड्ढे में उनकी मृत्यु न होगी, \q2 और न ही उन्हें भोजन की कमी होगी. \q1 \v 15 क्योंकि मैं ही वह याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं, \q2 जो सागर को उथल-पुथल करता जिससे लहरें गर्जन करने लगती हैं— \q2 उनका नाम है याहवेह त्सबाओथ\f + \fr 51:15 \fr*\fq याहवेह त्सबाओथ \fq*\ft सेनाओं का याहवेह\ft*\f* \q1 \v 16 मैंने तुम्हारे मुंह में अपने वचन डाले हैं \q2 तथा तुम्हें अपने हाथ की छाया से ढांप दिया है— \q1 ताकि मैं आकाश को बनाऊं और, \q2 पृथ्वी की नींव डालूं, \q2 तथा ज़ियोन को यह आश्वासन दूं, ‘तुम मेरी प्रजा हो.’ ” \s1 याहवेह के क्रोध का कटोरा \q1 \v 17 हे येरूशलेम, \q2 जाग उठो! \q1 तुमने तो याहवेह ही के हाथों से \q2 उनके क्रोध के कटोरे में से पिया है. तुमने कटोरे का लड़खड़ा देनेवाला मधु पूरा पी लिया है. \q1 \v 18 उससे जन्मे पुत्रों में से \q2 ऐसा कोई भी नहीं है, जो उनकी अगुवाई करे; \q2 न कोई है जो उनका हाथ थामे. \q1 \v 19 तुम्हारे साथ यह दो भयावह घटनाएं घटी हैं— \q2 अब तुम्हारे लिए कौन रोएगा? \q1 उजाड़ और विनाश, अकाल तथा तलवार आई है— \q2 उससे कौन तुम्हें शांति देगा? \q1 \v 20 तुम्हारे पुत्र मूर्छित होकर \q2 गली के छोर पर, \q2 जाल में फंसे पड़े हैं. \q1 याहवेह के क्रोध और परमेश्वर की डांट से \q2 वे भर गये हैं. \b \q1 \v 21 इस कारण, हे पीड़ित सुनो, \q2 तुम जो मतवाले तो हो, किंतु दाखमधु से नहीं. \q1 \v 22 प्रभु अपने लोगों की ओर से युद्ध करते हैं, \q2 याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने कहा हैं: \q1 “देखो, मैंने तुम्हारे हाथों से \q2 वह कटोरा ले लिया है; \q1 जो लड़खड़ा रहा है और, मेरे क्रोध का घूंट, \q2 अब तुम इसे कभी न पियोगे. \q1 \v 23 इसे मैं तुम्हें दुःख देने वालो के हाथ में दे दूंगा, \q2 जिन्होंने तुमसे कहा था, \q2 ‘भूमि पर लेटो, कि हम तुम पर से होकर चल सकें.’ \q1 तुमने अपनी पीठ भूमि पर करके मार्ग बनाया, \q2 ताकि वे उस पर चलें.” \b \b \c 52 \q1 \v 1 हे ज़ियोन, जागो, \q2 और अपना बल पाओ! \q1 हे पवित्र नगर येरूशलेम, \q2 अपने सुंदर वस्त्र पहन लो. \q1 क्योंकि अब न तो खतना-रहित \q2 और न ही अशुद्ध व्यक्ति आएंगे. \q1 \v 2 हे येरूशलेम, तुम जो बंदी हो, \q2 अपने ऊपर से धूल झाड़ कर उठ जाओ. \q1 ज़ियोन की बंदी पुत्री, \q2 अपने गले में पड़ी हुई जंजीर को उतार दो. \p \v 3 क्योंकि याहवेह यों कहते हैं: \q1 “तुम तो बिना किसी मूल्य के बिक गए थे, \q2 तथा बिना मूल्य चुकाए छुड़ाए भी जाओगे.” \p \v 4 क्योंकि प्रभु याहवेह यों कहते हैं: \q1 “पहले मेरे लोग मिस्र देश इसलिये गए थे, कि वे वहां परदेशी होकर रहें; \q2 अश्शूरियों ने उन्हें बिना कारण दुःख दिये.” \p \v 5 याहवेह ने कहा है: \q1 “बिना किसी कारण मेरे लोग बंधक बना लिए गए, \q2 अब मेरे पास क्या रह गया है,” \q2 याहवेह यों कहते हैं. \q1 “वे जो उन पर शासन कर रहे हैं, उनको सता रहे हैं, \q2 वे पूरे दिन मेरे नाम की निंदा करते हैं. \q1 \v 6 इस कारण अब मेरी प्रजा मेरे नाम को पहचानेगी; \q2 और उन्हें यह मालूम हो जाएगा कि मैं ही हूं, \q1 कि मैं ही हूं जो यह कह रहा है. \q2 हां, मैं यहां हूं.” \b \q1 \v 7 पर्वतों पर से आते हुए उनके पैर कैसे शुभ हैं, \q2 जो शुभ संदेश ला रहे हैं, \q1 जो शांति, \q2 और भलाई की बात सुनाते हैं, \q2 जो उद्धार की घोषणा करते हैं, \q1 तथा ज़ियोन से कहते हैं, \q2 “राज्य तुम्हारे परमेश्वर का है!” \q1 \v 8 सुनो! तुम्हारे पहरा देनेवाले ऊंचे शब्द से पुकार रहे हैं; \q2 वे सभी मिलकर जय जयकार कर रहे हैं. \q1 क्योंकि वे देखेंगे, \q2 कि याहवेह ज़ियोन को वापस बनाएंगे. \q1 \v 9 हे येरूशलेम के उजड़े स्थानो, \q2 तुम उच्च स्वर से जय जयकार करो, \q1 क्योंकि याहवेह ने अपने लोगों को शांति दी है, \q2 उन्होंने येरूशलेम को छुड़ा दिया है. \q1 \v 10 याहवेह ने अपना पवित्र हाथ \q2 सभी देशों को दिखा दिया है, \q1 कि पृथ्वी के दूर-दूर देश के सब लोग \q2 हमारे परमेश्वर के द्वारा किए गये उद्धार को देखेंगे. \b \q1 \v 11 चले जाओ यहां से! \q2 किसी भी अशुद्ध वस्तु को हाथ न लगाओ! \q1 तुम जो याहवेह के पात्रों को उठानेवाले हो, \q2 नगर के बीच से निकलकर बाहर चले जाओ तथा अपने आपको शुद्ध करो. \q1 \v 12 फिर भी तुम बाहर जाने में उतावली न करना \q2 न ही तुम ऐसे जाना मानो तुम चल रहे हो; \q1 क्योंकि याहवेह तुम्हारे आगे-आगे चलेंगे, \q2 तथा इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे पीछे भी रक्षा करते चलेंगे. \s1 सेवक की पीड़ा और महिमा \q1 \v 13 देखों, मेरा सेवक बढ़ता जाएगा; \q2 वह ऊंचा महान और अति महान हो जाएगा. \q1 \v 14 मेरे लोग जिस प्रकार तुम्हें देखकर चकित हुए— \q2 क्योंकि उसका रूप व्यक्ति से \q2 तथा उसका डीलडौल मनुष्यों से अधिक बिगड़ चुका था— \q1 \v 15 वैसे ही वह बहुत सी जातियों को छिड़केगा,\f + \fr 52:15 \fr*\fq छिड़केगा \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa पवित्र करेगा\fqa*\f* \q2 राजा शांत रहेंगे क्योंकि जो बातें नहीं कही गई थी. \q1 वे उनके सामने आएंगी, \q2 और जो कुछ उन्होंने नहीं सुना था, उन्हें समझ आ जाएगा. \b \c 53 \q1 \v 1 किसने हमारी बातों पर विश्वास किया \q2 और याहवेह के हाथ किस पर प्रकट हुए हैं? \q1 \v 2 क्योंकि वह जो उनके सामने अंकुर के समान \q2 और ऐसे उगा जैसे सूखी भूमि से निकला हो. \q1 उसका रूप न तो सुंदर था न प्रभावशाली कि हमें अच्छा लगे, \q2 न ही ऐसा रूप कि हम उसकी ओर देखते. \q1 \v 3 वह तो मनुष्यों द्वारा तुच्छ जाना जाता तथा त्यागा हुआ था, \q2 वह दुःखी पुरुष था, रोगों से परिचित था. \q1 उसे देखकर लोग अपना मुंह छिपा लेते हैं \q2 वह तुच्छ जाना गया, और हमने उसके महत्व को न जाना. \b \q1 \v 4 उसने हमारे रोगों को सह लिया और उठा लिया \q2 उसने हमारे ही दुखों को अपने ऊपर ले लिया, \q1 स्वयं हमने उसे परमेश्वर द्वारा मारा कूटा \q2 और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा. \q1 \v 5 हमारे पापों के कारण ही उसे रौंदा गया, \q2 हमारे अधर्म के कामों के कारण वह कुचला गया; \q1 उसके कोड़े खाने से, \q2 हम चंगे हुए. \q1 \v 6 हम सभी भेड़ों के समान भटक गए थे, \q2 हममें से हर एक ने अपना मनचाहा मार्ग अपना लिया; \q1 किंतु याहवेह ने हम सभी के अधर्म का \q2 बोझ उसी पर लाद दिया. \b \q1 \v 7 वह सताया गया और, \q2 फिर भी कुछ न कहा; \q1 वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने के समान उसको ले जाया गया, \q2 तथा जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शांत रहता है, \q2 वैसे ही उसने भी अपना मुख न खोला. \q1 \v 8 अत्याचार करके और दोष लगाकर \q2 उसे दंड दिया गया. \q1 वह जीवितों के बीच में से उठा लिया गया; \q2 मेरे ही लोगों के पापों के कारण उसे मार पड़ी. \q1 \v 9 उसकी कब्र दुष्ट व्यक्तियों के साथ रखी गई, \q2 फिर भी अपनी मृत्यु में वह एक धनी व्यक्ति के साथ था, \q1 क्योंकि न तो उससे कोई हिंसा हुई थी, \q2 और न उसके मुंह से कोई छल की बात निकली. \b \q1 \v 10 तो भी याहवेह को यही अच्छा लगा की उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया, \q2 ताकि वह अपने आपको पाप बलिदान के रूप में अर्पित करें, \q1 तब वह अपने वंश को देख पायेंगे और वह बहुत दिन जीवित रहेंगे, \q2 तथा इससे याहवेह की इच्छा पूरी होगी. \q1 \v 11 और अपने प्राणों का दुःख उठाकर \q2 उसे देखेंगे और संतोष पायेंगे; \q1 अपने ज्ञान के द्वारा वह जो धर्मी व्यक्ति है मेरा सेवक अनेकों को धर्मी बनाएगा, \q2 क्योंकि वही उनके पाप का बोझ उठाएगा. \q1 \v 12 अतः मैं उसे महान लोगों के साथ एक भाग दूंगा, \q2 वह लूटी हुई चीज़ों को सामर्थ्यी व्यक्तियों में बांट देगा, \q1 उसने अपने प्राणों को मृत्यु में ढाल दिया, \q2 उसकी गिनती अपराधियों में की गई. \q1 फिर भी उसने अनेकों के पाप का बोझ उठाया, \q2 और अपराधियों के लिए मध्यस्थता की! \c 54 \s1 येरूशलेम के भविष्य की महिमा \q1 \v 1 यह याहवेह की वाणी है, \q2 “बांझ, तुम, जो संतान पैदा करने में असमर्थ हो, आनंदित हो. \q1 तुम, जो प्रसव पीड़ा से अनजान हो, \q2 जय जयकार करो, \q1 क्योंकि त्यागी हुई की संतान, \q2 सुहागन की संतान से अधिक है. \q1 \v 2 अपने तंबू के पर्दों को फैला दो, \q2 इसमें हाथ मत रोको; \q1 अपनी डोरियों को लंबा करो, \q2 अपनी खूंटियों को दृढ़ करो. \q1 \v 3 क्योंकि अब तुम दाएं तथा बाएं दोनों ही ओर को बढ़ाओगे; \q2 तुम्हारे वंश अनेक देशों के अधिकारी होंगे \q2 और उजड़े हुए नगर को फिर से बसाएंगे. \b \q1 \v 4 “मत डर; क्योंकि तुम्हें लज्जित नहीं होना पड़ेगा. \q2 मत घबरा; क्योंकि तू फिर लज्जित नहीं होगी. \q1 तुम अपनी जवानी की लज्जा को भूल जाओगे \q2 और अपने विधवापन की बदनामी को फिर याद न रखोगे. \q1 \v 5 क्योंकि तुम्हें रचनेवाला तुम्हारा पति है— \q2 जिसका नाम है त्सबाओथ\f + \fr 54:5 \fr*\fq त्सबाओथ \fq*\ft अर्थात् \ft*\fqa सेना\fqa*\f* के याहवेह— \q1 तथा इस्राएल के पवित्र परमेश्वर हैं; \q2 जिन्हें समस्त पृथ्वी पर परमेश्वर नाम से जाना जाता है. \q1 \v 6 क्योंकि याहवेह ने तुम्हें बुलाया है \q2 तुम्हारी स्थिति उस पत्नी के समान थी— \q1 जिसको छोड़ दिया गया हो, \q2 और जिसका मन दुःखी था,” तेरे परमेश्वर का यही वचन है. \q1 \v 7 “कुछ पल के लिए ही मैंने तुझे छोड़ा था, \q2 परंतु अब बड़ी दया करके मैं फिर तुझे रख लूंगा. \q1 \v 8 कुछ ही क्षणों के लिए \q2 क्रोध में आकर तुमसे मैंने अपना मुंह छिपा लिया था, \q1 परंतु अब अनंत करुणा और प्रेम के साथ \q2 मैं तुम पर दया करूंगा,” \q2 तेरे छुड़ानेवाले याहवेह का यही वचन है. \b \q1 \v 9 “क्योंकि मेरी दृष्टि में तो यह सब नोहा के समय जैसा है, \q2 जब मैंने यह शपथ ली थी कि नोहा के समय हुआ जैसा जलप्रलय अब मैं पृथ्वी पर कभी न करूंगा. \q1 अतः अब मेरी यह शपथ है कि मैं फिर कभी तुम पर क्रोध नहीं करूंगा, \q2 न ही तुम्हें कभी डाटूंगा. \q1 \v 10 चाहे पहाड़ हट जाएं \q2 और पहाड़ियां टल जायें, \q1 तो भी मेरा प्रेम कभी भी तुम पर से न हटेगा \q2 तथा शांति की मेरी वाचा कभी न टलेगी,” \q2 यह करुणामय याहवेह का वचन है. \b \q1 \v 11 “हे दुखियारी, तू जो आंधी से सताई है और जिसको शांति नहीं मिली, \q2 अब मैं तुम्हारी कलश को अमूल्य पत्थरों से जड़ दूंगा, \q2 तथा तुम्हारी नीवों को नीलमणि से बनाऊंगा. \q1 \v 12 और मैं तुम्हारे शिखरों को मूंगों से, \q2 तथा तुम्हारे प्रवेश द्वारों को स्फटिक से निर्मित करूंगा. \q1 \v 13 वे याहवेह द्वारा सिखाए हुए होंगे, \q2 और उनको बड़ी शांति मिलेगी. \q1 \v 14 तू धार्मिकता के द्वारा स्थिर रहेगी: \q1 अत्याचार तुम्हारे पास न आएगा; \q2 तुम निडर बने रहना; \q2 डर कभी तुम्हारे पास न आएगा. \q1 \v 15 यदि कोई तुम पर हमला करे, तो याद रखना वह मेरी ओर से न होगा; \q2 और वह तुम्हारे द्वारा हराया जाएगा. \b \q1 \v 16 “सुन, लोहार कोयले की आग में \q2 हथियार बनाता है, वह मैंने ही बनाया है \q2 और बिगाड़ने के लिये भी मैंने एक को बनाया है. \q1 \v 17 कोई भी हथियार ऐसा नहीं बनाया गया, जो तुम्हें नुकसान पहुंचा सके, \q2 तुम उस व्यक्ति को, जो तुम पर आरोप लगाता है, दंड दोगे. \q1 याहवेह के सेवकों का भाग यही है, \q2 तथा उनकी धार्मिकता मेरी ओर से है,” \q2 याहवेह ही का यह वचन है. \b \c 55 \s1 प्यासों को निमंत्रण \q1 \v 1 “हे सब प्यासे लोगो, \q2 पानी के पास आओ; \q1 जिनके पास धन नहीं, \q2 वे भी आकर दाखमधु \q1 और दूध \q2 बिना मोल ले जाएं! \q1 \v 2 जो खाने का नहीं है उस पर धन क्यों खर्च करते हो? \q2 जिससे पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों मेहनत करते हो? \q1 ध्यान से मेरी सुनों, तब उत्तम वस्तुएं खाओगे, \q2 और तृप्‍त होंगे. \q1 \v 3 मेरी सुनो तथा मेरे पास आओ; \q2 ताकि तुम जीवित रह सको. \q1 और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बांधूंगा, \q2 जैसा मैंने दावीद से किया था. \q1 \v 4 मैंने उसे देशों के लिए गवाह, \q2 प्रधान और आज्ञा देनेवाला बनाया है. \q1 \v 5 अब देख इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह, ऐसे देशों को बुलाएंगे, जिन्हें तुम जानते ही नहीं, \q2 और ऐसी जनता, जो तुम्हें जानता तक नहीं, तुम्हारे पास आएगी, \q2 क्योंकि तुम्हें परमेश्वर ने शोभायमान किया है.” \b \q1 \v 6 जब तक याहवेह मिल सकते हैं उन्हें खोज लो; \q2 जब तक वह पास हैं उन्हें पुकार लो. \q1 \v 7 दुष्ट अपनी चालचलन \q2 और पापी अपने सोच-विचार छोड़कर याहवेह की ओर आए. \q1 तब याहवेह उन पर दया करेंगे, जब हम परमेश्वर की ओर आएंगे, \q2 तब वह हमें क्षमा करेंगे. \b \q1 \v 8 क्योंकि याहवेह कहते हैं, \q2 “मेरे और तुम्हारे विचार एक समान नहीं, \q2 न ही तुम्हारी गति और मेरी गति एक समान है. \q1 \v 9 क्योंकि जिस प्रकार आकाश और पृथ्वी में अंतर है, \q2 उसी प्रकार मेरे और तुम्हारे कामों में बहुत अंतर है \q2 तथा मेरे और तुम्हारे विचारों में भी बहुत अंतर है. \q1 \v 10 क्योंकि जिस प्रकार बारिश और ओस \q2 आकाश से गिरकर भूमि को सींचते हैं, \q1 जिससे बोने वाले को बीज, \q2 और खानेवाले को रोटी मिलती है, \q1 \v 11 वैसे ही मेरे मुंह से निकला शब्द व्यर्थ नहीं लौटेगा: \q2 न ही उस काम को पूरा किए बिना आयेगा \q2 जिसके लिये उसे भेजा गया है. \q1 \v 12 क्योंकि तुम आनंद से निकलोगे \q2 तथा शांति से पहुंचोगे; \q1 तुम्हारे आगे पर्वत \q2 एवं घाटियां जय जयकार करेंगी, \q1 तथा मैदान के सभी वृक्ष \q2 आनंद से ताली बजायेंगे. \q1 \v 13 कंटीली झाड़ियों की जगह पर सनोवर उगेंगे, \q2 तथा बिच्छुबूटी की जगह पर मेंहदी उगेंगी. \q1 इससे याहवेह का नाम होगा, \q2 जो सदा का चिन्ह है, \q2 उसे कभी मिटाया न जाएगा.” \c 56 \s1 सब राष्ट्रों को आशीष \p \v 1 याहवेह यों कहते हैं: \q1 “न्याय का यों पालन करो \q2 तथा धर्म के काम करो, \q1 क्योंकि मैं जल्द ही तुम्हारा उद्धार करूंगा, \q2 मेरा धर्म अब प्रकट होगा. \q1 \v 2 क्या ही धन्य है वह व्यक्ति जो ऐसा ही करता है, \q2 वह मनुष्य जो इस पर अटल रहकर इसे थामे रहता है, \q1 जो शब्बाथ को दूषित न करने का ध्यान रखता है, \q2 तथा किसी भी गलत काम करने से अपने हाथ को बचाये रखता है.” \b \q1 \v 3 जो परदेशी याहवेह से मिल चुका है, \q2 “यह न कहे कि निश्चय याहवेह मुझे अपने लोगों से अलग रखेंगे.” \q1 खोजे भी यह कह न सके, \q2 “मैं तो एक सुखा वृक्ष हूं.” \p \v 4 इस पर याहवेह ने कहा है: \q1 “जो मेरे विश्राम दिन को मानते और जिस बात से मैं खुश रहता हूं, \q2 वे उसी को मानते \q2 और वाचा का पालन करते हैं— \q1 \v 5 उन्हें मैं अपने भवन में और भवन की दीवारों के भीतर \q2 एक यादगार बनाऊंगा तथा एक ऐसा नाम दूंगा; \q2 जो पुत्र एवं पुत्रियों से उत्तम और स्थिर एवं कभी न मिटेगा. \q1 \v 6 परदेशी भी जो याहवेह के साथ होकर \q2 उनकी सेवा करते हैं, \q1 और याहवेह के नाम से प्रीति रखते है, \q2 उसके दास हो जाते है, \q1 और विश्राम दिन को अपवित्र नहीं करते हुए पालते है, \q2 तथा मेरी वाचा पूरी करते हैं— \q1 \v 7 मैं उन्हें भी अपने पवित्र पर्वत पर \q2 तथा प्रार्थना भवन में लाकर आनंदित करूंगा. \q1 उनके चढ़ाए होमबलि तथा मेलबलि \q2 ग्रहण करूंगा; \q1 क्योंकि मेरा भवन सभी देशों के लिए \q2 प्रार्थना भवन कहलाएगा.” \q1 \v 8 प्रभु याहवेह, \q2 जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहे हैं: \q1 “उनका संदेश है कि जो आ चुके हैं, \q2 मैं उनमें औरों को भी मिला दूंगा.” \s1 दुष्टों के प्रति चेतावनी \q1 \v 9 हे मैदान के पशुओ, \q2 हे जंगली पशुओ, भोजन के लिए आ जाओ! \q1 \v 10 अंधे हैं उनके पहरेदार, \q2 अज्ञानी हैं वे सभी; \q1 वे ऐसे गूंगे कुत्ते हैं, \q2 जो भौंकते नहीं; \q1 बिछौने पर लेटे हुए स्वप्न देखते, \q2 जिन्हें नींद प्रिय है. \q1 \v 11 वे कुत्ते जो लोभी हैं; \q2 कभी तृप्‍त नहीं होते. \q1 ऐसे चरवाहे जिनमें समझ ही नहीं; \q2 उन सभी ने अपने ही लाभ के लिए, \q2 अपना अपना मार्ग चुन लिया. \q1 \v 12 वे कहते हैं, “आओ, \q2 हम दाखमधु पीकर तृप्‍त हो जाएं! \q1 कल का दिन भी आज के समान, \q2 या इससे भी बेहतर होगा.” \b \b \c 57 \q1 \v 1 धर्मी व्यक्ति नाश होते हैं, \q2 और कोई इस बात की चिंता नहीं करता; \q1 भक्त उठा लिये जाते हैं, \q2 परंतु कोई नहीं सोचता. \q1 धर्मी जन आनेवाली परेशानी से \q2 बचने के लिये उठा लिये जाते हैं. \q1 \v 2 वे शांति पहचानते हैं, \q2 वे अपने बिछौने\f + \fr 57:2 \fr*\fq बिछौने \fq*\ft मृत्यु का भी हो सकता है\ft*\f* पर आराम पाते हैं; \q2 जो सीधी चाल चलते हैं. \b \q1 \v 3 “परंतु हे जादूगरनी, \q2 व्यभिचारी और उसकी संतान यहां आओ! \q1 \v 4 तुम किस पर हंसते हो? \q2 किसके लिए तुम्हारा मुंह ऐसा खुल रहा है \q2 किस पर जीभ निकालते हो? \q1 क्या तुम अत्याचार \q2 व झूठ की संतान नहीं हो? \q1 \v 5 सब हरे वृक्ष के नीचे कामातुर होते हो और नालों में \q2 तथा चट्टानों की गुफाओं में अपने बालकों का वध करते रहते हो. \q1 \v 6 तुम्हारा संबंध तो चट्टान के उन चिकने पत्थरों से है; \q2 वही तुम्हारा भाग और अंश है. \q1 तुम उन्हीं को अन्‍नबलि और पेय बलि चढ़ाते हो. \q2 क्या इन सबसे मेरा मन शांत हो जाएगा? \q1 \v 7 ऊंचे पर्वत पर तुमने अपना बिछौना लगाया है; \q2 और तुमने वहीं जाकर बलि चढ़ाई है. \q1 \v 8 द्वार तथा द्वार के चौखट के पीछे \q2 तुमने अपने अन्य देवताओं का चिन्ह बनाया है, तुमने अपने आपको मुझसे दूर कर लिया है. \q1 तुमने वहां अपनी देह दिखाई, \q2 तब तुमने अपने बिछौने के स्थान को बढ़ा लिया; \q1 तुमने उनके साथ अपने लिए एक संबंध बना लिया, \q2 तुम्हारे लिए उनका बिछौना प्रिय हो गया, \q1 और उनकी नग्न शरीरों पर आसक्ति से नज़र डाली! \q1 \v 9 राजा से मिलने के लिए तुमने यात्रा की \q2 तथा सुगंध द्रव्य से श्रृंगार कर उसे तेल भेंट किया. \q1 तुमने दूर देशों \q2 और अधोलोक में अपना दूत भेजा! \q1 \v 10 तुम तो लंबे मार्ग के कारण थक चुके थे, \q2 फिर भी तुमने यह न कहा कि, ‘व्यर्थ ही है यह.’ \q1 तुममें नए बल का संचार हुआ, \q2 तब तुम थके नहीं. \b \q1 \v 11 “कौन था वह जिससे तुम डरती थी \q2 जब तुमने मुझसे झूठ कहा, \q1 तथा मुझे भूल गई, \q2 तुमने तो मेरे बारे में सोचना ही छोड़ दिया था? \q1 क्या मैं बहुत समय तक चुप न रहा \q2 तुम इस कारण मेरा भय नहीं मानती? \q1 \v 12 मैं तुम्हारे धर्म एवं कामों को बता दूंगा, \q2 लेकिन यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा. \q1 \v 13 बुलाने पर, \q2 तुम्हारी मूर्तियां ही तुम्हारी रक्षा करें! \q1 किंतु होगा यह कि हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी, \q2 केवल श्वास उन्हें दूर कर देगी. \q1 परंतु वे जो मुझ पर भरोसा रखते हैं, \q2 वह देश के अधिकारी होंगे, \q2 तथा वह मेरे पवित्र पर्वत का स्वामी हो जाएगा.” \s1 भग्न हृदयों को याहवेह की शांति \p \v 14 तब यह कहा जाएगा: \q1 “निर्माण करो, निर्माण करो, पांति बांधकर राजमार्ग बनाओ! \q2 हर एक रुकावट मेरी प्रजा के मार्ग से हटाई जाए.” \q1 \v 15 क्योंकि जो महान, उत्तम और सदा-सर्वदा जीवित रहते हैं— \q2 जिनका नाम ही पवित्र है, वे यों कहते हैं: \q1 “मैं ऊंचे एवं पवित्र स्थान में निवास करता हूं, \q2 और दुःखी तथा नम्र लोगों के साथ भी रहता हूं, \q1 ताकि मैं नम्र और दुःखी \q2 लोगों के मन को खुशी दूं. \q1 \v 16 क्योंकि मैं सदा-सर्वदा वाद-विवाद करता न रहूंगा, \q2 न ही मैं सर्वदा रुठा रहूंगा, \q1 क्योंकि वे आत्माएं मेरी बनायी हुई हैं— \q2 और जीव मेरे सामने मूर्छित हो जाते हैं. \q1 \v 17 उसके लालच के कारण मैं उससे क्रोधित होकर; \q2 उसको दुःख दिया और मुंह छिपाया था, \q2 पर वह अपनी इच्छा से दूर चला गया था. \q1 \v 18 मैंने उसका चालचलन देखा है, फिर भी अब उसको चंगा करूंगा; \q2 मैं उसे ले चलूंगा तथा उसके शोक करनेवालों को शांति दूंगा, \q2 \v 19 मैं उनके होंठों के फल का रचनेवाला हूं. \q1 जो दूर हैं उन्हें शांति, और पास हैं उन्हें भी मैं शांति दूंगा,” \q2 यह याहवेह का वचन है, “मैं उसे चंगा करूंगा.” \q1 \v 20 परंतु दुष्ट लहराते हुए सागर समान है, \q2 जो स्थिर रह ही नहीं सकता, \q2 उसकी तरंगें कचरे और कीचड़ को उछालती रहती हैं. \q1 \v 21 मेरे परमेश्वर का वचन है, “दुष्टों के लिए शांति नहीं.” \b \c 58 \s1 सच्चा उपवास \q1 \v 1 “ऊंचे स्वर में नारा \q2 लगाओ बिना किसी रोक के. \q1 नरसिंगों का शब्द ऊंचा करो, मेरी प्रजा को उनकी गलती, \q2 तथा याकोब वंश पर उसके पाप की घोषणा करो. \q1 \v 2 यह सब होने पर भी वे दिन-प्रतिदिन मेरे पास आते; \q2 तथा प्रसन्‍नतापूर्वक मेरी आज्ञाओं को मानते हैं. \q1 मानो वे धर्मी हैं, \q2 जिसने अपने परमेश्वर के नियम को नहीं टाला. \q1 वे मुझसे धर्म के बारे में पूछते \q2 और परमेश्वर के पास आने की इच्छा रखते हैं. \q1 \v 3 ‘ऐसा क्यों हुआ कि हमने उपवास किया, \q2 किंतु हमारी ओर आपका ध्यान ही नहीं गया? \q1 हमने दुःख उठाया, \q2 किंतु आपको दिखाई ही नहीं दिया?’ \b \q1 “इसका कारण यह है कि जब तुम उपवास करते हो, तब तुम अपनी अभिलाषाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, \q2 तुम उस समय अपने सेवकों को कष्ट देते हो. \q1 \v 4 तुम यह समझ लो कि तुम उपवास भी करते हो तथा इसके साथ साथ वाद-विवाद, \q2 तथा कलह भी करते हो और लड़ते झगड़ते हो. \q1 उस प्रकार के उपवास से यह संभव ही नहीं \q2 कि तुम्हारी पुकार सुनी जाएगी. \q1 \v 5 क्या ऐसा होता है उपवास, \q2 जो कोई स्वयं को दीन बनाए? \q1 या कोई सिर झुकाए या \q2 टाट एवं राख फैलाकर बैठे? \q1 क्या इसे ही तुम उपवास कहोगे, \q2 क्या ऐसा उपवास याहवेह ग्रहण करेंगे? \b \q1 \v 6 “क्या यही वह उपवास नहीं, जो मुझे खुशी देता है: \q1 वह अंधेर सहने के बंधन को तोड़ दे, \q2 जूए उतार फेंके और उनको छुड़ा लिया जाए? \q1 \v 7 क्या इसका मतलब यह नहीं कि तुम भूखों को अपना भोजन बांटा करो \q2 तथा अनाथों को अपने घर में लाओ— \q1 जब किसी को वस्त्रों के बिना देखो, तो उन्हें वस्त्र दो, \q2 स्वयं को अपने सगे संबंधियों से दूर न रखो? \q1 \v 8 जब तुम यह सब करने लगोगे तब तुम्हारा प्रकाश चमकेगा, \q2 और तू जल्दी ठीक हो जायेगा; \q1 और तेरा धर्म तेरे आगे-आगे चलेगा, \q2 तथा याहवेह का तेज तेरे पीछे तुम्हारी रक्षा करेगा. \q1 \v 9 उस समय जब तुम याहवेह की दोहाई दोगे, तो वह उसका उत्तर देंगे; \q2 तुम पुकारोगे, तब वह कहेंगे: मैं यहां हूं. \b \q1 “यदि तुम अपने बीच से दुःख का जूआ हटा दोगे, \q2 जब उंगली से इशारा करेंगे तब दुष्ट बातें करना छोड़ देंगे, \q1 \v 10 जब तुम भूखे की सहायता करोगे \q2 तथा दुखियों की मदद करोगे, \q1 तब अंधकार में तेरा प्रकाश चमकेगा, \q2 तथा घोर अंधकार दोपहर समान उजियाला देगा. \q1 \v 11 याहवेह तुझे लगातार लिये चलेगा; \q2 और सूखे में तुझे तृप्‍त करेगा \q2 वह तुम्हारी हड्डियों में बल देगा. \q1 तुम सींची हुई बारी के समान हो जाओगे, \q2 तथा उस सोते का जल कभी न सूखेगा. \q1 \v 12 खंडहर को तेरे वंश के लिये फिर से बसायेंगे \q2 और पीढ़ियों से पड़ी हुई नींव पर घर बनाएगा; \q1 टूटे हुए बाड़े और सड़क को, \q2 ठीक करनेवाला कहलायेगा. \b \q1 \v 13 “यदि तुम शब्बाथ दिन को अशुद्ध न करोगे, \q2 अर्थात् मेरे पवित्र दिन के हित में अपनी इच्छा को छोड़ देते हो, \q1 शब्बाथ दिन को आनंद का दिन मानकर \q2 और याहवेह के पवित्र दिन का सम्मान करते हो, \q1 अपनी इच्छाओं को छोड़कर \q2 अपनी बातें न बोले, \q1 \v 14 तू याहवेह के कारण आनंदित होगा, \q2 मैं तुम्हें पृथ्वी की ऊंचाइयों तक ले जाऊंगा \q2 और तुम्हारे पिता याकोब के भाग की उपज से खायेगा.” \q1 क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला वचन है. \b \c 59 \s1 पाप, पश्चात्ताप और उद्धार \q1 \v 1 याहवेह का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सकें, \q2 न ही वह बहरे हो चुके कि सुन न सकें. \q1 \v 2 परंतु तुम्हारे बुरे कामों ने \q2 तुम्हारे एवं परमेश्वर के बीच में दूरी बना दी है; \q1 उनके मुंह को उन्होंने तुम्हारे ही पापों के कारण छिपा रखा है, \q2 कि वह नहीं सुनता. \q1 \v 3 खून से तुम्हारे हाथ तथा अधर्म से तुम्हारी उंगलियां दूषित हो चुकी हैं, \q2 तुम्हारे होंठों ने झूठ बोला है. \q2 तुम्हारी जीभ दुष्टता की बातें कहती है. \q1 \v 4 कोई भी धर्म व्यवहार में नहीं लाता; \q2 कोई भी सच्चाई से मुकदमा नहीं लड़ता. \q1 वे झूठ बोलते हैं और छल पर भरोसा रखते हैं; \q2 वे अनिष्ट का गर्भधारण करते हैं तथा पाप को जन्म देते हैं. \q1 \v 5 वे विषैले सांप के अंडे सेते हैं \q2 तथा मकड़ी का जाल बुनते हैं. \q1 जो कोई उनके अण्डों का सेवन करता है, उसकी मृत्यु हो जाती है, \q2 तथा कुचले अंडे से सांप निकलता है. \q1 \v 6 उनके द्वारा बुने गए जाल से वस्त्र नहीं बन सकते; \q2 अपनी शिल्पकारी से वे अपने आपको आकार नहीं दे सकते. \q1 उनके काम तो अनर्थ ही हैं, \q2 उनके हाथ से हिंसा के काम होते हैं. \q1 \v 7 उनके पैर बुराई करने के लिए दौड़ते हैं; \q2 निर्दोष की हत्या करने को तैयार रहते हैं. \q1 उनके विचार व्यर्थ होते हैं; \q2 उनका मार्ग विनाश एवं उजाड़ से भरा है. \q1 \v 8 शांति का मार्ग वे नहीं जानते; \q2 न उनके स्वभाव में न्याय है. \q1 उन्होंने अपने मार्ग को टेढ़ा कर रखा है; \q2 इस मार्ग में कोई व्यक्ति शांति न पायेगा. \b \q1 \v 9 इस कारण न्याय हमसे दूर है, \q2 धर्म हम तक नहीं पहुंचता. \q1 हम उजियाले की राह देखते हैं, यहां तो अंधकार ही अंधकार भरा है; \q2 आशा की खोज में हम अंधकार में आगे बढ़ रहे हैं. \q1 \v 10 हम अंधों के समान दीवार को ही टटोल रहे हैं, \q1 दिन में ऐसे लड़खड़ा रहे हैं मानो रात है; \q2 जो हृष्ट-पुष्ट हैं उनके बीच हम मृत व्यक्ति समान हैं. \q1 \v 11 हम सभी रीछ के समान गुर्राते हैं; \q2 तथा कबूतरों के समान विलाप में कराहते हैं. \q1 हम न्याय की प्रतीक्षा करते हैं, किंतु न्याय नहीं मिलता; \q2 हम छुटकारे की राह देखते हैं, किंतु यह हमसे दूर है. \b \q1 \v 12 हमारे अपराध आपके सामने बहुत हो गये हैं, \q2 हमारे ही पाप हमारे विरुद्ध गवाही दे रहे हैं: \q1 हमारे अपराध हमारे साथ जुड़ गए हैं, \q2 हम अपने अधर्म के काम जानते हैं: \q1 \v 13 हमने याहवेह के विरुद्ध अपराध किया, हमने उन्हें ठुकरा दिया \q2 और परमेश्वर के पीछे चलना छोड़ दिया, \q1 हम अंधेर और गलत बातें करने लगे, \q2 झूठी बातें सोची और कही भी है. \q1 \v 14 न्याय को छोड़ दिया है, \q2 तथा धर्म दूर खड़ा हुआ है; \q1 क्योंकि सत्य तो मार्ग में गिर गया है, \q2 तथा सीधाई प्रवेश नहीं कर पाती है. \q1 \v 15 हां यह सच है कि सच्चाई नहीं रही, \q2 वह जो बुराई से भागता है, वह खुद शिकार हो जाता है. \b \q1 न्याय तथा मुक्ति याहवेह ने देखा तथा उन्हें यह सब अच्छा नहीं लगा \q2 क्योंकि कहीं भी सच्चाई और न्याय नहीं रह गया है. \q1 \v 16 उसने देखा वहां कोई भी मनुष्य न था, \q2 और न कोई मध्यस्थता करनेवाला है; \q1 तब उसी के हाथ ने उसका उद्धार किया, \q2 तथा उसके धर्म ने उसे स्थिर किया. \q1 \v 17 उन्होंने धर्म को कवच समान पहन लिया, \q2 उनके सिर पर उद्धार का टोप रखा गया; \q1 उन्होंने पलटा लेने का वस्त्र पहना \q2 तथा उत्साह का वस्त्र बाहर लपेट लिया. \q1 \v 18 वह उनके कामों के अनुरूप ही, \q2 उन्हें प्रतिफल देंगे \q1 विरोधियों पर क्रोध \q2 तथा शत्रुओं पर बदला देंगे. \q1 \v 19 तब पश्चिम दिशा से, उन पर याहवेह का भय छा जाएगा, \q2 तथा पूर्व दिशा से, उनकी महिमा का भय मानेंगे. \q1 जब शत्रु आक्रमण करेंगे \q2 तब याहवेह का आत्मा उसके विरुद्ध झंडा खड़ा करेगा. \b \q1 \v 20 “याकोब वंश में से जो अपराध से मन फिराते हैं, \q2 ज़ियोन में एक छुड़ाने वाला आयेगा,” \q2 यह याहवेह की वाणी है. \p \v 21 “मेरी स्थिति यह है, उनके साथ मेरी वाचा है,” यह याहवेह का संदेश है. “मेरा आत्मा, जो तुम पर आया है, तथा मेरे वे शब्द, जो मैंने तुम्हारे मुंह में डाले; वे तुम्हारे मुंह से अलग न होंगे, न तुम्हारी संतान के मुंह से, न ही तुम्हारी संतान की संतान के मुंह से, यह सदा-सर्वदा के लिए आदेश है.” यह याहवेह की घोषणा है. \c 60 \s1 ज़ियोन का वैभव \q1 \v 1 “उठो, प्रकाशमान हो, क्योंकि तुम्हारा प्रकाश आया है, \q2 तथा याहवेह का तेज तुम्हारे ऊपर उदय हुआ है. \q1 \v 2 देख, पृथ्वी पर तो अंधकार \q2 और राज्य-राज्य के लोगों पर घोर अंधकार है, \q1 परंतु तुम्हारे ऊपर याहवेह उदय होगा \q2 और उनका तेज तुम्हारे ऊपर प्रकट होगा. \q1 \v 3 अन्य जातियां तुम्हारे पास प्रकाश के लिये, \q2 और राजा तुम्हारे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे. \b \q1 \v 4 “अपने आस-पास दृष्टि उठाकर देख: \q2 वे सभी इकट्‍ठे हो रहे हैं और वे तुम्हारे पास आ रहे हैं; \q1 दूर स्थानों से तुम्हारे पुत्र आ जाएंगे, \q2 तुम्हारी पुत्रियां गोद में उठाकर लाई जाएंगी. \q1 \v 5 तब तुम देखोगे तथा आनंदित होओगे, \q2 तुम्हारा हृदय आनंद से भर जाएगा; \q1 क्योंकि सागर का सारा धन तुम्हारा हो जायेगा, \q2 और देशों की धन-संपत्ति तुम्हारी हो जाएगी. \q1 \v 6 तुम्हारे देश असंख्य ऊंटों से भर जाएंगे, \q2 जो मिदियान तथा एफाह और शीबा देश से आएंगे. \q1 वे अपने साथ सोना तथा लोबान लाएंगे, \q2 वे याहवेह का आनंद से गुणगान करेंगे. \q1 \v 7 केदार की सब भेड़-बकरियां तुम्हारी हो जायेंगी, \q2 नेबाइयोथ के मेढ़े सेवा टहल के काम आएंगे; \q1 मेरी वेदी पर वे ग्रहण योग्य होंगे, \q2 मैं अपने घर को और प्रतापी कर दूंगा. \b \q1 \v 8 “कौन हैं ये जो बादल समान उड़ते हैं, \q2 और कबूतर समान अपने घर को पहुंच जाते हैं? \q1 \v 9 निश्चय द्वीप मेरी प्रतीक्षा करेंगे; \q2 तरशीश के जहाज़ पहले पहुंचेंगे, \q1 वे अपने साथ दूर देशों से तुम्हारे पुत्रों को लाएंगे, \q2 उनके साथ उनका सोना एवं उनकी चांदी होगी, \q1 यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की महिमा में होगा, \q2 क्योंकि उन्होंने ही तुम्हें प्रताप से शोभायमान किया है. \b \b \q1 \v 10 “परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, \q2 उनके राजा तेरी सेवा करेंगे. \q1 क्योंकि क्रोध में आकर मैंने तुझे दुःख दिया था, \q2 परंतु अब तुझसे प्रसन्‍न होकर दया करूंगा. \q1 \v 11 तुम्हारे फाटक निरंतर खुले रहेंगे, \q2 दिन हो या रात, वे बंद नहीं किए जाएंगे, \q1 देश की धन-संपत्ति और उनके राजा \q2 बंधुए होकर तेरे पास आएंगे. \q1 \v 12 वे लोग तथा वे राज्य जो तुम्हारी सेवा करना अस्वीकार करेंगे, नष्ट हो जाएंगे; \q2 ये देश पूर्णतः नष्ट हो जाएंगे. \b \q1 \v 13 “लबानोन का वैभव तुम्हारा हो जाएगा, \q2 सनोवर व देवदार तथा चीड़ वृक्ष, \q1 मेरे पवित्र स्थान के सौंदर्य को बढ़ाएंगे; \q2 मैं अपने चरणों के स्थान को भी महिमा का रूप दूंगा. \q1 \v 14 जिन्होंने तुम पर अत्याचार किया है, उनके पुत्र तुम्हारे सामने झुक जाएंगे; \q2 तथा वे सभी जिन्होंने तुमसे घृणा की है वे सब तुम्हारे सामने झुक जाएंगे! \q1 वे तुम्हारा नाम ‘याहवेह का नगर, \q2 इस्राएल के पवित्र का ज़ियोन’ बुलाएंगे. \b \q1 \v 15 “जब तुम त्यागी हुई घृणा के नगर थे, \q2 कोई भी तुममें से होकर नहीं जाता था, \q1 लेकिन अब मैं तुम्हें स्थिर गौरव का स्थान बना दूंगा \q2 और पीढ़ी दर पीढ़ी आनंद का कारण ठहराऊंगा. \q1 \v 16 तू अन्य जनताओं का दूध पी लेगी \q2 तुम्हें राजा दूध पिलाएंगे. \q1 तब तुम जान लोगे कि मैं, याहवेह ही, तुम्हारा उद्धारकर्ता, \q2 और याकोब का वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर, तुम्हारा छुड़ाने वाला हूं. \q1 \v 17 कांस्य के स्थान पर मैं सोना, \q2 लोहे के स्थान पर चांदी. \q1 लकड़ी के स्थान पर कांस्य, \q2 तथा पत्थरों के स्थान पर लोहा लेकर आऊंगा. \q1 तब मैं शांति को तेरा हाकिम तथा धार्मिकता को \q2 तेरा अधिकारी नियुक्त कर दूंगा. \q1 \v 18 अब तुम्हारे देश में फिर हिंसा न होगी, \q2 न ही तुम्हारी सीमाओं में हलचल या विनाश बिखर जायेगा, \q1 परंतु तुम अपनी शहरपनाह का नाम उद्धार \q2 और अपने फाटकों का नाम यश रखोगे. \q1 \v 19 तब दिन के समय तुम्हें प्रकाश के लिए, \q2 न तो सूर्य की आवश्यकता होगी और न रात को चांद की, \q1 परंतु याहवेह तुम्हारे लिए सदा का प्रकाश होंगे, \q2 और तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारा वैभव होगा. \q1 \v 20 तुम्हारा सूर्य कभी अस्त न होगा, \q2 न ही तुम्हारे चांद की ज्योति कम होगी; \q1 क्योंकि याहवेह तेरी सदैव की ज्योति होंगे, \q2 और तुम्हारे विलाप के दिन समाप्‍त हो जाएंगे. \q1 \v 21 तब तुम्हारे लोग धर्मी हो जाएंगे \q2 वे सदा-सर्वदा के लिए देश के अधिकारी हो जाएंगे. \q1 मेरे लगाये हुए पौधे, \q2 और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, \q2 जिससे मेरी महिमा प्रकट हो. \q1 \v 22 सबसे छोटा एक हजार हो जायेगा, \q2 और सबसे कमजोर एक सामर्थ्यी जाति बन जायेगा. \q1 मैं याहवेह हूं; \q2 ठीक समय पर सब कुछ पूरा करूंगा.” \b \c 61 \s1 याहवेह की कृपादृष्टि का वर्ष \q1 \v 1 मुझ पर प्रभु याहवेह का आत्मा है, \q2 क्योंकि याहवेह ने मेरा अभिषेक किया है \q2 कि उत्पीड़ितों तक सुसमाचार सुनाने के लिये, \q1 तथा दुःखी मनवालों को शांति दूं, \q2 कि बंदियों के लिए मुक्ति का तथा कैदियों के लिये \q2 छुटकारे का प्रचार करूं, \q1 \v 2 कि याहवेह की कृपादृष्टि का वर्ष का प्रचार करूं, \q2 और हमारे परमेश्वर के बदला लेने के दिन का प्रचार, \q1 कि उन सभी को शांति हो जो विलाप में हैं, \q2 \v 3 जो ज़ियोन में विलाप कर रहे हैं, उन्हें भस्म नहीं— \q1 परंतु सुंदर पगड़ी बांध दूं, \q2 ताकि उनके दुःख की जगह, \q1 आनंद का तेल लगाऊं \q2 और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊं \q1 जिससे वे धर्म और याहवेह के लगाये हुए कहलाएं और \q2 याहवेह की महिमा प्रकट हो. \b \q1 \v 4 तब वे खंडहरों का पुनर्निमाण करेंगे, \q2 वे बहुत पहले नाश हुए शहरों की मरम्मत करेंगे; \q2 उजाड़े हुए नगरों को फिर बसायेंगे. \q1 \v 5 अपरिचित लोग तुम्हारी भेड़-बकरियों की देखभाल करेंगे; \q2 विदेशी लोग तुम्हारे खेत ओर दाख की बारी की देखभाल करेंगे. \q1 \v 6 किंतु तुम याहवेह के पुरोहित कहलाओगे, \q2 वे तुमको हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे. \q1 तुम अन्यजातियों की संपत्ति के हकदार होंगे, \q2 तथा उनके धन पर तुम गर्व करोगे. \b \q1 \v 7 अपनी लज्जा के स्थान पर \q2 तुम्हें दो गुणा अंश मिलेगा, \q1 तथा निंदा के स्थान पर \q2 वे अपने भाग के कारण हर्ष करेंगे. \q1 तुम अपने देश में दुगुने होंगे, \q2 और सदा आनंदित रहोगे. \b \q1 \v 8 “क्योंकि मैं, याहवेह, न्याय प्रिय हूं; \q2 अन्याय और डकैती से मैं घृणा करता हूं. \q1 इसलिये मैं उन्हें सच्चाई का प्रतिफल दूंगा \q2 तथा उनके साथ सदा की वाचा बांधूंगा. \q1 \v 9 उनकी संतान जनताओं में प्रसिद्ध हो जाएगी \q2 तथा उनके वंश लोगों के बीच याहवेह से आशीषित होंगे. \q1 सभी उन्हें पहचान जाएंगे \q2 जो उन्हें देखेंगे.” \b \q1 \v 10 मैं याहवेह में अत्यंत आनंदित होऊंगा; \q2 मेरे प्राण मेरे परमेश्वर में मगन होंगे. \q1 क्योंकि उन्होंने मुझे उद्धार के वस्त्र पहनाए \q2 और धर्म की चादर ओढ़ा दी, \q1 जैसे दूल्हा फूलों से अपने आपको सजाता है, \q2 और दुल्हन गहनों से श्रृंगार करती है. \q1 \v 11 क्योंकि जिस प्रकार भूमि अपनी उपज उगाती \q2 और बारी में बोये गये बीज को अंकुरित करती है, \q1 उसी प्रकार प्रभु याहवेह \q2 सब देशों के बीच धार्मिकता बढ़ाएंगे. \b \c 62 \s1 ज़ियोन का नया नाम \q1 \v 1 ज़ियोन के हित में मैं चुप न रहूंगा, \q2 येरूशलेम के कल्याण के लिए मैं शांत न रहूंगा, \q1 जब तक कि उसकी धार्मिकता के समान, \q2 और उसका उद्धार जलते हुए पीतल के समान दिखाई न दे. \q1 \v 2 तब अन्य जातियां, \q2 तेरा धर्म और सब राजा तेरी महिमा देखेंगे; \q1 और तेरा एक नया नाम रखा जायेगा \q2 जो याहवेह के मुंह से निकलेगा. \q1 \v 3 तुम याहवेह के हाथों में एक सुंदर मुकुट, \q2 तथा परमेश्वर की हथेली में राज मुकुट ठहरोगे. \q1 \v 4 इसके बाद तुम्हारी पहचान त्यागी हुई के रूप में न होगी, \q2 न ही तुम्हारा देश उजड़ा हुआ कहलायेगा. \q1 परंतु तुम हेप्सीबा\f + \fr 62:4 \fr*\fq हेप्सीबा \fq*\ft अर्थ \ft*\fqa मेरी खुशी उसमें है\fqa*\f*, \q2 और तुम्हारी भूमि ब्यूला\f + \fr 62:4 \fr*\fq ब्यूला \fq*\ft अर्थ \ft*\fqa विवाहिता\fqa*\f* कहलाएगी; \q1 क्योंकि याहवेह तुमसे प्रसन्‍न है, \q2 और तुम्हारी भूमि अच्छी उपज उपजायेगी. \q1 \v 5 जिस प्रकार एक युवा कुंवारी कन्या से विवाह करता है, \q2 उसी प्रकार तुम्हारे निर्माण-कर्ता पुनः तुमसे विवाह करेंगे; \q1 जिस प्रकार वर के आनंद का विषय होती है वधू, \q2 उसी प्रकार तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे कारण आनंदित होंगे. \b \q1 \v 6 हे येरूशलेम, मैंने तुम्हारी शहरपनाह पर स्वर्गदूत बिठाए हैं; \q2 सारी रात और दिन वे चुप न रहेंगे. \q1 हे याहवेह को स्मरण करनेवालो, चुप न रहो. \q1 \v 7 तुम याहवेह को चैन मत देना जब तक वे येरूशलेम \q2 को स्थिर करके उसे पृथ्वी की प्रशंसा पात्र न बना दें! \b \q1 \v 8 याहवेह ने अपने दाएं हाथ: \q2 “तथा बलवंत हाथ की शपथ ली है: \q1 निश्चय अब मैं कभी भी तुम्हारी उपज को \q2 तुम्हारे शत्रुओं का भोजन न होने दूंगा, \q1 न ही मैं तुम्हारे मेहनत से लगाये दाखरस को \q2 परदेशियों को खाने दूंगा; \q1 \v 9 किंतु वे जो इसे जमा करेंगे \q2 वे इसे खाकर याहवेह की स्तुति करेंगे, \q1 और जिन्होंने दाखमधु भंडार में रखा हो \q2 वे ही उसके पवित्र स्थान के आंगनों में पायेंगे.” \b \q1 \v 10 सब फाटकों से होकर निकलो! \q2 लोगों के लिए मार्ग सीधा करो. \q1 राजमार्ग को बनाओ! \q2 सभी पत्थर मार्ग से हटाकर. \q1 लोगों के लिए झंडा ऊंचा करो. \b \q1 \v 11 देखो, याहवेह ने पृथ्वी की छोर तक \q2 इस आज्ञा का प्रचार किया है: \q1 “ज़ियोन की बेटी से कहो, \q2 ‘देख, तेरा उद्धारकर्ता आया है! \q1 और मजदूरी उसके पास है, \q2 तथा उनका प्रतिफल उन्हें देगा.’ ” \q1 \v 12 वे उन्हें पवित्र प्रजा, \q2 और याहवेह के छुड़ाए हुए कहेंगे, \q1 और तेरा नाम गृहण की हुई, \q2 अर्थात् न त्यागी गई नगरी पड़ेगा. \b \c 63 \s1 बदला और उद्धार का दिन \q1 \v 1 कौन है वह जो एदोम के बोज़राह से चला आ रहा है, \q2 जो बैंगनी रंग के कपड़े पहने हुए हैं? \q1 जो बलवान और बहुत \q2 भड़कीला वस्त्र पहने हुए आ रहा है? \b \q1 “मैं वही हूं, जो नीति से बोलता, \q2 और उद्धार करने की शक्ति रखता हूं.” \b \q1 \v 2 तुम्हारे वस्त्र लाल क्यों है, \q2 तुम्हारे वस्त्र हौद में दाख रौंदने वाले के समान क्यों है? \b \q1 \v 3 “मैंने अकेले ही दाख को रौंदा; \q2 जनताओं से कोई भी मेरे साथ न था. \q1 अपने क्रोध में ही मैंने दाख रौंदा \q2 और उन्हें कुचल दिया था; \q1 उनके लहू का छींटा मेरे वस्त्रों पर पड़ा, \q2 और मेरे वस्त्र में दाग लग गया. \q1 \v 4 मेरे मन में बदला लेने का दिन निश्चय था; \q2 मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ गया है. \q1 \v 5 मैंने ढूंढ़ा, तब कोई नहीं मिला सहायता के लिए, \q2 कोई संभालने वाला भी; \q1 तब मैंने अपने ही हाथों से उद्धार किया, \q2 और मेरी जलजलाहट ने ही मुझे संभाला. \q1 \v 6 मैंने अपने क्रोध में जनताओं को कुचल डाला; \q2 तथा अपने गुस्से में उन्हें मतवाला कर दिया \q2 और उनके लहू को भूमि पर बहा दिया.” \s1 स्तुति और प्रार्थना \q1 \v 7 जितनी दया याहवेह ने हम पर की, \q2 अर्थात् इस्राएल के घराने पर, \q2 दया और अत्यंत करुणा करके जितनी भलाई हम पर दिखाई— \q1 उन सबके कारण मैं याहवेह के करुणामय कामों का वर्णन \q2 और उसका गुण गाऊंगा. \q1 \v 8 क्योंकि याहवेह ही ने उनसे कहा, “वे मेरी प्रजा हैं, \q2 वे धोखा न देंगे”; \q2 और वह उनका उद्धारकर्ता हो गए. \q1 \v 9 उनके संकट में उसने भी कष्ट उठाया, \q2 उनकी उपस्थिति के स्वर्गदूत ने ही उनका उद्धार किया. \q1 अपने प्रेम एवं अपनी कृपा से उन्होंने उन्हें छुड़ाया; \q2 और पहले से उन्हें उठाए रखा. \q1 \v 10 तो भी उन्होंने विद्रोह किया \q2 और पवित्रात्मा को दुःखी किया. \q1 इस कारण वे उनके शत्रु हो गए \q2 और खुद उनसे लड़ने लगे. \b \q1 \v 11 तब उनकी प्रजा को बीते दिन, \q2 अर्थात् मोशेह के दिन याद आए: कहां हैं वह, \q1 जिन्होंने उन्हें सागर पार करवाया था, \q2 जो उनकी भेड़ों को चरवाहे समेत पार करवाया? \q1 कहां हैं वह जिन्होंने अपना पवित्रात्मा उनके बीच में डाला, \q1 \v 12 जिन्होंने अपने प्रतापी हाथों को \q2 मोशेह के दाएं हाथ में कर दिया, \q1 जिन्होंने सागर को दो भाग कर दिया, \q2 और अपना नाम सदा का कर दिया, \q1 \v 13 जो उन्हें सागर तल की गहराई पर से दूसरे पार ले गए? \q1 वे बिलकुल भी नहीं घबराए, \q2 जिस प्रकार मरुस्थल में घोड़े हैं; \q1 \v 14 याहवेह के आत्मा ने उन्हें इस प्रकार शांति दी, \q2 जिस प्रकार पशु घाटी से उतरते हैं. \q1 आपने इस प्रकार अपनी प्रजा की अगुवाई की \q2 कि आपकी महिमा हो क्योंकि आप हमारे पिता हैं. \b \q1 \v 15 स्वर्ग से अपने पवित्र एवं \q2 वैभवशाली उन्‍नत निवास स्थान से नीचे देखिए. \q1 कहां है आपकी वह खुशी तथा आपके पराक्रम के काम? \q2 आपके दिल का उत्साह तथा आपकी कृपा मेरे प्रति अब नहीं रह गई. \q1 \v 16 आप हमारे पिता हैं, \q2 यद्यपि अब्राहाम हमें नहीं जानता \q2 और इस्राएल भी हमें ग्रहण नहीं करता; \q1 तो भी, हे याहवेह, आप ही हमारे पिता हैं, \q2 हमारा छुड़ानेवाले हैं, प्राचीन काल से यही आपका नाम है. \q1 \v 17 हे याहवेह आपने क्यों हमें आपके मार्गों से भटक जाने के लिए छोड़ दिया हैं, \q2 आप क्यों हमारे दिल को कठोर हो जाने देते हैं कि हम आपका भय नहीं मानते? \q1 अपने दास के लिए लौट आइए, \q2 जो आप ही की निज प्रजा है. \q1 \v 18 आपका पवित्र स्थान आपके लोगों को कुछ समय के लिये ही मिला था, \q2 लेकिन हमारे शत्रुओं ने इसे रौंद डाला. \q1 \v 19 अब तो हमारी स्थिति ऐसी हो गई है; \q2 मानो हम पर कभी आपका अधिकार था ही नहीं, \q2 और जो आपके नाम से कभी जाने ही नहीं गए थे. \b \b \c 64 \q1 \v 1 भला हो कि आप आकाश को फाड़कर नीचे आ सकते, \q2 कि पर्वत आपके सामने कांप उठे! \q1 \v 2 जिस प्रकार आग झाड़ को जला देती है \q2 या जल को उबालती है, \q1 वैसे ही आपके विरोधियों को आपकी प्रतिष्ठा का बोध हो जाता \q2 कि आपकी उपस्थिति से राष्ट्र कांप उठते हैं! \q1 \v 3 जब आपने ऐसे भयानक काम किए थे, \q2 तब आप उतर आए थे, पर्वत आपकी उपस्थिति में कांप उठे. \q1 \v 4 पूर्वकाल से न तो उन्होंने सुना है, \q2 न ही देखा गया है, \q1 आपके सिवाय हमारे लिए और कोई परमेश्वर नहीं हुआ है, \q2 जो अपने भक्तों की ओर ध्यान दे. \q1 \v 5 आप उन्हीं से मिलते हैं जो आनंद से नीतियुक्त काम करते हैं, \q2 जो आपको याद रखते हुए आपके मार्गों पर चलते हैं. \q1 सच है कि आप हमारे पाप के कारण क्रोधित हुए, \q2 और हमारी यह दशा बहुत समय से है. \q2 क्या हमें छुटकारा मिल सकता है? \q1 \v 6 हम सभी अशुद्ध मनुष्य के समान हो गये है, \q2 हमारे धर्म के काम मैले चिथडों के समान है; \q1 हम सभी पत्तों के समान मुरझा जाते हैं, \q2 हमारे अधर्म के काम हमें हवा में उड़ा ले जाते हैं. \q1 \v 7 ऐसा कोई भी नहीं जो आपके नाम की दोहाई देता है \q2 और जो आपको थामे रहने का प्रयास यत्न से करता है; \q1 क्योंकि आपने हमसे अपना मुंह छिपा लिया \q2 है तथा हमें हमारी बुराइयों के हाथ कर दिया है. \b \q1 \v 8 किंतु अब, याहवेह, हमने आपको पिता समान स्वीकारा है. \q2 हम तो मात्र मिट्टी हैं, आप हमारे कुम्हार; \q2 हम सभी आपके हाथ की रचना हैं. \q1 \v 9 इसलिये हे याहवेह, क्रोधित न होईये; \q2 और अनंत काल तक हमारे पापों को याद न रखिए. \q1 हमारी ओर ध्यान दीजिए, \q2 हम सभी आपके अपने ही हैं. \q1 \v 10 देखो आपका पवित्र नगर बंजर भूमि हो गया है; \q2 ज़ियोन अब सुनसान है! येरूशलेम उजाड़ पड़ा है. \q1 \v 11 हमारा पवित्र एवं भव्य भवन, जहां हमारे पूर्वजों ने आपकी स्तुति की थी, \q2 आग से जला दिया गया है, \q2 हमारी सभी अमूल्य वस्तुएं नष्ट हो चुकी हैं. \q1 \v 12 यह सब होते हुए भी, याहवेह, क्या आप अपने आपको रोके रहेंगे? \q2 क्या आप हमें इस दुर्दशा में रहने देंगे? \b \c 65 \s1 न्याय और उद्धार \q1 \v 1 “मैंने अपने आपको उन लोगों में प्रकट किया, जिन्होंने मेरे विषय में पूछताछ ही नहीं की; \q2 मैंने अपने आपको उन लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया, जिन्होंने मुझे खोजने की कोशिश भी न की थी. \q1 वह देश जिसने मेरे नाम की दोहाई ही न दी थी, \q2 मैं उसका ध्यान इस प्रकार करता रहा, ‘देख मैं यहां हूं.’ \q1 \v 2 एक विद्रोही जाति के लिए \q2 मैं सारे दिन अपने हाथ फैलाए रहा, \q1 जो अपनी इच्छा से बुरे रास्तों पर \q2 चलते हैं, \q1 \v 3 जो ईंटों पर धूप जलाकर तथा बागों में बलि चढ़ाकर, \q2 मुझे क्रोधित करते हैं; \q1 \v 4 जो कब्रों के बीच बैठे रहते \q2 तथा सुनसान जगहों पर रात बिताते हैं; \q1 जो सूअर का मांस खाते, \q2 और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते हैं; \q1 \v 5 वे कहते हैं, ‘अपने आप काम करो; मत आओ हमारे पास, \q2 तुमसे अधिक पवित्र मैं हूं!’ \q1 मेरे लिए तो यह मेरे नाक में धुएं व उस आग के समान है, \q2 जो सारे दिन भर जलती रहती है. \b \q1 \v 6 “देखो, यह सब मेरे सामने लिखा है: \q2 मैं चुप न रहूंगा, किंतु मैं बदला लूंगा; \q2 वरन तुम्हारे और तुम्हारे पूर्वजों के भी अधर्म के कामों का बदला तुम्हारी गोद में भर दूंगा. \q1 \v 7 क्योंकि उन्होंने पर्वतों पर धूप जलाया है \q2 और पहाड़ियों पर उन्होंने मेरी उपासना की है, \q1 इसलिये मैं उनके द्वारा \q2 पिछले कामों का बदला उन्हीं की झोली में डाल दूंगा.” \p \v 8 याहवेह कहते हैं, \q1 “जिस प्रकार दाख के गुच्छे में ही नया दाखमधु भरा होता है \q2 जिसके विषय में कहा जाता है, ‘इसे नष्ट न करो, \q2 यही हमें लाभ करेगा,’ \q1 इसी प्रकार मैं भी अपने सेवकों के लिये काम करूंगा; \q2 कि वे सबके सब नष्ट न हो जाएं. \q1 \v 9 मैं याकोब के वंश को जमा करूंगा, \q2 और यहूदिया से मेरे पर्वतों का उत्तराधिकारी चुना जायेगा; \q1 वे मेरे चुने हुए वारिस होंगे, \q2 और वहां मेरे सेवक बस जायेंगे. \q1 \v 10 शारोन में उसकी भेड़-बकरियां चरेंगी, \q2 और गाय-बैल आकोर घाटी में विश्राम करेंगे, \q2 क्योंकि मेरी प्रजा मेरी खोज करने लगी है. \b \q1 \v 11 “परंतु तुम जिन्होंने याहवेह को छोड़ दिया हैं \q2 और जो मेरे पवित्र पर्वत को भूल जाते हैं, \q1 वे भाग्य देवता के लिए मेज़ पर खाना सजाते हैं \q2 और भावी देवी के लिये मसाला मिला दाखमधु रखते हैं, \q1 \v 12 मैं तुम्हारे लिए तलवार लाऊंगा, \q2 तुम सभी वध होने के लिए झुक जाओगे; \q1 क्योंकि तुमने मेरे बुलाने पर उत्तर न दिया, \q2 जब मैंने कहा तुमने न सुना. \q1 तुमने वही किया, जो मेरी दृष्टि में गलत है \q2 तथा वही करना चाहा जो मुझे नहीं भाता.” \p \v 13 तब प्रभु याहवेह ने कहा: \q1 “देखो, मेरे सेवक तो भोजन करेंगे, \q2 पर तुम भूखे रह जाओगे; \q1 कि मेरे सेवक पिएंगे, \q2 पर तुम प्यासे रह जाओगे; \q1 मेरे सेवक आनंदित होंगे, \q2 पर तुम लज्जित किए जाओगे. \q1 \v 14 मेरे सेवक आनंद से \q2 जय जयकार करेंगे, \q1 पर तुम दुःखी दिल से रोते \q2 और तड़पते रहोगे. \q1 \v 15 मेरे चुने हुए लोग \q2 तुम्हारा नाम लेकर शाप देंगे; \q1 और प्रभु याहवेह तुमको नाश करेंगे, \q2 परंतु अपने दासों का नया नाम रखेंगे. \q1 \v 16 क्योंकि वह जो पृथ्वी पर धन्य है \q2 वह सत्य के परमेश्वर द्वारा आशीषित किया गया है; \q1 वह जो पृथ्वी पर शपथ लेता है \q2 वह सत्य के परमेश्वर की शपथ लेगा. \q1 क्योंकि पुरानी विपत्तियां दूर हो जायेंगी, \q2 वह मेरी आंखों से छिप गया है. \s1 नया आकाश और नयी पृथ्वी \q1 \v 17 “क्योंकि देखो, \q2 मैं नया आकाश और पृथ्वी बनाऊंगा. \q1 पुरानी बातें न सोची, \q2 और न याद की जायेंगी. \q1 \v 18 इसलिये मैं जो कुछ बना रहा हूं \q2 उसमें सर्वदा मगन और खुश रहो, \q1 क्योंकि देखो मैं येरूशलेम को मगन \q2 और आनंदित बनाऊंगा. \q1 \v 19 मैं येरूशलेम में खुशी मनाऊंगा \q2 तथा अपनी प्रजा से मैं खुश रहूंगा; \q1 फिर येरूशलेम में न तो रोने \q2 और न चिल्लाने का शब्द सुनाई देगा. \b \q1 \v 20 “अब वहां ऐसा कभी न होगा \q2 कि कुछ दिन का बच्चा, \q2 या किसी वृद्ध की अचानक मृत्यु हो जाए; \q1 क्योंकि जवान ही की मृत्यु \q2 एक सौ वर्ष की अवस्था में होगी; \q1 तथा वह, जो अपने जीवन में एक सौ वर्ष न देख पाए, \q2 उसे शापित माना जाएगा. \q1 \v 21 वे घर बनाकर रहेंगे; \q2 वे दाख की बारी लगायेंगे और उसका फल खाएंगे. \q1 \v 22 ऐसा कभी न होगा कि घर तो वे बनाएंगे तथा उसमें कोई और रहने लगेगा; \q2 या वे बीज बोए, और दूसरे फसल काटे. \q1 क्योंकि जितना जीवनकाल वृक्ष का होगा, \q2 उतनी ही आयु मेरी प्रजा की होगी; \q1 मेरे चुने हुए अपने कामों का \q2 पूरा लाभ उठाएंगे. \q1 \v 23 उनकी मेहनत बेकार न होगी, \q2 न उनके बालक कष्ट के लिए उत्पन्‍न होंगे; \q1 क्योंकि वे याहवेह के धन्य वंश होंगे, \q2 और उनके बच्‍चे उनसे अलग न होंगे. \q1 \v 24 उनके पुकारते ही मैं उन्हें उत्तर दूंगा; \q2 और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा. \q1 \v 25 भेड़िये तथा मेमने साथ साथ चरेंगे, \q2 बैल के समान सिंह भूसा खाने लगेगा, \q2 तथा सांप का भोजन धूल होगा. \q1 मेरे पवित्र पर्वत पर \q2 किसी प्रकार की हानि और कष्ट न होगा,” \q2 यह याहवेह का वचन है. \c 66 \s1 न्याय और आशा \p \v 1 याहवेह यों कहते हैं: \q1 “स्वर्ग मेरा सिंहासन है, \q2 तथा पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है. \q1 तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे? \q2 कहां है वह जगह जहां मैं आराम कर सकूंगा? \q1 \v 2 क्योंकि ये सब मेरे ही हाथों से बने, \q2 और ये सब मेरे ही हैं.” \q2 यह याहवेह का वचन है. \b \q1 “परंतु मैं उसी का ध्यान रखूंगा: \q2 जो व्यक्ति दीन और दुःखी हो, \q2 तथा जो मेरे आदेशों का पालन सच्चाई से करेगा. \q1 \v 3 जो बैल की बलि करता है \q2 वह उस व्यक्ति के समान है जो किसी मनुष्य को मार डालता है, \q1 और जो मेमने की बलि चढ़ाता है \q2 वह उस व्यक्ति के समान है जो किसी कुत्ते की गर्दन काटता है; \q1 जो अन्‍नबलि चढ़ाता है \q2 वह उस व्यक्ति के समान है जो सूअर का लहू चढ़ाता है, \q1 और जो धूप जलाता है \q2 उस व्यक्ति के समान है जो किसी मूर्ति की उपासना करता है. \q1 क्योंकि उन्होंने तो अपना अपना मार्ग चुन लिया है, \q2 और वे अपने आपको संतुष्ट करते हैं; \q1 \v 4 अतः उनके लिए दंड मैं निर्धारित करके उन्हें वही दंड दूंगा, \q2 जो उनके लिए कष्ट से भरा होगा. \q1 क्योंकि जब मैंने बुलाया, तब किसी ने उत्तर नहीं दिया, \q2 जब मैंने उनसे बात की, तब उन्होंने सुनना न चाहा. \q1 उन्होंने वही किया जो मेरी दृष्टि में बुरा है, \q2 और उन्होंने वही चुना जो मुझे अच्छा नहीं लगता.” \b \q1 \v 5 तुम सभी जो याहवेह के वचन को मानते हो सुनो: \q1 “तुम्हारे भाई बंधु जो तुमसे नफरत करते हैं, \q2 जो तुम्हें मेरे नाम के कारण अलग कर देते हैं, \q1 ‘वे यह कह रहे हैं कि याहवेह की महिमा तो बढ़े, \q2 जिससे हम देखें कि कैसा है तुम्हारा आनंद.’ \q2 किंतु वे लज्जित किए जाएंगे. \q1 \v 6 नगर से हलचल तथा मंदिर से \q2 एक आवाज सुनाई दे रही है! \q1 यह आवाज याहवेह की है \q2 जो अपने शत्रुओं को उनके कामों का बदला दे रहे हैं. \b \q1 \v 7 “प्रसववेदना शुरू होने के पहले ही, \q2 उसका प्रसव हो गया; \q1 पीड़ा शुरू होने के पहले ही, \q2 उसे एक पुत्र पैदा हो गया. \q1 \v 8 क्या कभी किसी ने ऐसा सुना है? \q2 किसकी दृष्टि में कभी ऐसा देखा गया है? \q1 क्या यह हो सकता है कि एक ही दिन में एक देश उत्पन्‍न हो जाए? \q2 क्या यह संभव है कि एक क्षण में ही राष्ट्र बन जायें? \q1 जैसे ही ज़ियोन को प्रसव पीड़ा शुरू हुई \q2 उसने अपने पुत्रों को जन्म दे दिया. \q1 \v 9 क्या मैं प्रसव बिंदु तक लाकर \q2 प्रसव को रोक दूं?” \q2 याहवेह यह पूछते हैं! \q1 “अथवा क्या मैं जो गर्भ देता हूं, \q2 क्या मैं गर्भ को बंद कर दूं?” तुम्हारा परमेश्वर कहते हैं! \q1 \v 10 “तुम सभी जिन्हें येरूशलेम से प्रेम है, \q2 येरूशलेम के साथ खुश होओ, उसके लिए आनंद मनाओ; \q1 तुम सभी जो उसके लिए रोते थे, \q2 अब खुश हो जाओ. \q1 \v 11 कि तुम उसके सांत्वना देनेवाले स्तनों से \q2 स्तनपान कर तृप्‍त हो सको; \q1 तुम पियोगे \q2 तथा उसकी बहुतायत तुम्हारे आनंद का कारण होगा.” \p \v 12 क्योंकि याहवेह यों कहते हैं: \q1 “तुम यह देखोगे, कि मैं उसमें शांति नदी के समान, \q2 और अन्यजातियों के धन को बाढ़ के समान बहा दूंगा; \q1 और तुम उसमें से पियोगे तथा तुम गोद में उठाए जाओगे \q2 तुम्हें घुटनों पर बैठाकर पुचकारा जाएगा. \q1 \v 13 तुम्हें मेरे द्वारा उसी तरह तसल्ली दी जाएगी, \q2 जिस तरह माता तसल्ली देती है; \q2 यह तसल्ली येरूशलेम में ही दी जाएगी.” \b \q1 \v 14 तुम यह सब देखोगे, तथा तुम्हारा मन आनंद से भर जाएगा \q2 और तुम्हारी हड्डियां नई घास के समान हो जाएंगी; \q1 याहवेह का हाथ उनके सेवकों पर प्रकट होगा, \q2 किंतु वह अपने शत्रुओं से क्रोधित होंगे. \q1 \v 15 याहवेह आग में प्रकट होंगे, \q2 तथा उनके रथ आंधी के समान होंगे; \q1 उनका क्रोध जलजलाहट के साथ, \q2 तथा उनकी डांट अग्नि ज्वाला में प्रकट होगी. \q1 \v 16 क्योंकि आग के द्वारा ही याहवेह का न्याय निष्पक्ष होगा \q2 उनकी तलवार की मार सब प्राणियों पर होगी, \q2 याहवेह द्वारा संहार किए गये अनेक होंगे. \p \v 17 याहवेह ने कहा, “वे जो अपने आपको पवित्र और शुद्ध करते हैं ताकि वे उन बागों में जाएं, और जो छुपकर सूअर या चूहे का मांस तथा घृणित वस्तुएं खाते हैं उन सभी का अंत निश्चित है. \p \v 18 “क्योंकि मैं, उनके काम एवं उनके विचार जानता हूं; और मैं सब देशों तथा भाषा बोलने वालों को इकट्ठा करूंगा, वे सभी आएंगे तथा वे मेरी महिमा देखेंगे. \p \v 19 “उनके बीच मैं एक चिन्ह प्रकट करूंगा, तथा उनमें से बचे हुओं को अन्यजातियों के पास भेजूंगा. तरशीश, पूत, लूद, मेशेख, तूबल तथा यावन के देशों में, जिन्होंने न तो मेरा नाम सुना है, न ही उन्होंने मेरे प्रताप को देखा है, वहां वे मेरी महिमा को दिखाएंगे. \v 20 तब वे सब देशों में से तुम्हारे भाई-बन्धु याहवेह के लिए अर्पण समान अश्वों, रथों, पालकियों, खच्चरों एवं ऊंटों को लेकर येरूशलेम में मेरे पवित्र पर्वत पर आएंगे. जिस प्रकार इस्राएल वंश याहवेह के भवन में शुद्ध पात्रों में अन्‍नबलि लेकर आएंगे.” याहवेह की यही वाणी है. \v 21 “तब उनमें से मैं कुछ को पुरोहित तथा कुछ को लेवी होने के लिए अलग करूंगा,” यह याहवेह की घोषणा है. \p \v 22 “क्योंकि ठीक जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी जो मैं बनाने पर हूं मेरे सम्मुख बनी रहेगी,” याहवेह की यही वाणी है, “उसी प्रकार तुम्हारा वंश और नाम भी बना रहेगा. \v 23 यह ऐसा होगा कि एक नये चांद से दूसरे नये चांद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक सभी लोग मेरे सामने दंडवत करने आएंगे,” यह याहवेह का वचन है. \v 24 “तब वे बाहर जाएंगे तथा उन व्यक्तियों के शवों को देखेंगे, जिन्होंने मेरे विरुद्ध अत्याचार किया था; क्योंकि उनके कीड़े नहीं मरेंगे और उनकी आग कभी न बुझेगी, वे सभी मनुष्यों के लिए घृणित बन जाएंगे.”