\id GAL - Biblica® Open Hindi Contemporary Version (Updated 2021) \ide UTF-8 \h गलातिया \toc1 गलातिया की कलीसिया के नाम पौलॉस का पत्र \toc2 गलातिया \toc3 गला \mt1 गलातिया की कलीसिया के नाम पौलॉस का पत्र \c 1 \p \v 1 यह पत्र पौलॉस की ओर से है, जिसे न तो मनुष्यों की ओर से और न ही किसी मनुष्य की प्रक्रिया द्वारा परंतु मसीह येशु और पिता परमेश्वर द्वारा, जिन्होंने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित किया, प्रेरित चुना गया, \v 2 तथा उन भाई बहनों की ओर से, जो इस समय मेरे साथ हैं, \b \p गलातिया प्रदेश की कलीसियाओं के नाम में: \b \p \v 3 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु येशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति प्राप्‍त हो. \v 4 मसीह येशु, जिन्होंने हमारे पापों के कारण स्वयं को इसलिये बलिदान कर दिया कि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छानुसार वह हमें वर्तमान बुरे संसार से छुड़ायें, \v 5 उन्हीं की महिमा हमेशा होती रहे. आमेन. \b \s1 एक चेतावनी \p \v 6 मैं यह जानकर चकित हूं कि तुम परमेश्वर से, जिन्होंने मसीह के अनुग्रह के द्वारा तुम्हें बुलाया, इतनी जल्दी भटक कर एक अन्य ईश्वरीय सुसमाचार की ओर फिर गये हो \v 7 पर वह दूसरा सुसमाचार जो वास्तव में ईश्वरीय सुसमाचार है ही नहीं! साफ़ तौर पर कुछ लोग हैं, जो मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार को बिगाड़कर तुम्हें घबरा देना चाहते हैं. \v 8 किंतु यदि हम या कोई स्वर्गदूत तक उस ईश्वरीय सुसमाचार के अलावा, जो हमने तुम्हें सुनाया है, किसी भिन्‍न ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करे तो वह शापित है! \v 9 जैसा हमने पहले भी कहा, मैं अब दोबारा कहता हूं: कि उस ईश्वरीय सुसमाचार के अलावा, जो हमने तुम्हें सुनाया, यदि कोई व्यक्ति तुम्हें अलग ईश्वरीय सुसमाचार सुनाए तो वह शापित है! \p \v 10 किसका कृपापात्र बनने की कोशिश कर रहा हूं मैं—मनुष्यों का या परमेश्वर का? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्‍न करने के लिए प्रयास कर रहा हूं? यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्‍न कर रहा होता तो मसीह का दास न होता. \s1 पौलॉस का परमेश्वर द्वारा बुलाया जाना \p \v 11 प्रिय भाई बहनो, मैं तुम पर यह स्पष्ट कर रहा हूं कि जो ईश्वरीय सुसमाचार मैंने तुम्हें सुनाया, वह किसी मनुष्य के दिमाग की उपज नहीं है. \v 12 यह मुझे न तो किसी मनुष्य से और न ही किसी शिक्षा से, परंतु स्वयं मसीह येशु के प्रकाशन के द्वारा प्राप्‍त हुआ है. \p \v 13 यहूदी मत के शिष्य के रूप में मेरी जीवनशैली कैसी थी, इसके विषय में तुम सुन चुके हो. मैं किस रीति से परमेश्वर की कलीसिया पर घोर अत्याचार किया करता था तथा उसे नाश करने के लिए प्रयास करता रहता था. \v 14 यहूदी मत में अपने पूर्वजों की परंपराओं के प्रति अत्यंत उत्साही, मैं अपनी आयु के यहूदियों से अधिक उन्‍नत होता जा रहा था. \v 15 किंतु परमेश्वर को, जिन्होंने माता के गर्भ से ही मुझे चुन लिया तथा अपने अनुग्रह के द्वारा मुझे बुलाया, यह सही लगा \v 16 कि वह मुझमें अपने पुत्र को प्रकट करें कि मैं गैर-यहूदियों में उनका प्रचार करूं, इसके विषय में मैंने तुरंत न तो किसी व्यक्ति से सलाह ली \v 17 और न ही मैं येरूशलेम में उनके पास गया, जो मुझसे पहले प्रेरित चुने जा चुके थे, परंतु मैं अराबिया क्षेत्र में चला गया और वहां से दोबारा दमिश्क नगर लौट गया. \p \v 18 तीन वर्ष बाद, मैं कैफ़स से भेंट करने येरूशलेम गया और उनके साथ पन्द्रह दिन रहा. \v 19 किंतु प्रभु के भाई याकोब के अलावा अन्य किसी प्रेरित से मेरी भेंट नहीं हुई. \v 20 परमेश्वर के सामने मैं तुम्हें धीरज देता हूं कि अपने इस विवरण में मैं कुछ भी झूठ नहीं कह रहा. \p \v 21 तब मैं सीरिया और किलिकिया प्रदेश के क्षेत्रों में गया. \v 22 यहूदिया प्रदेश की कलीसियाओं से, जो अब मसीह में हैं, मैं अब तक व्यक्तिगत रूप से अपरिचित था. \v 23 मेरे विषय में उन्होंने केवल यही सुना था: “एक समय जो हमारा सतानेवाला था, अब वही उस विश्वास का प्रचार कर रहा है, जिसे नष्ट करने के लिए वह दृढ़ संकल्प था.” \v 24 उनके लिए मैं परमेश्वर की महिमा का विषय हो गया. \c 2 \s1 येरूशलेम में सम्मेलन \p \v 1 तब चौदह वर्ष बाद, मैं बारनबास के साथ दोबारा येरूशलेम गया. इस समय मैं तीतॉस को भी अपने साथ ले गया. \v 2 मैं एक ईश्वरीय प्रकाशन के उत्तर में वहां गया था और मैंने उनको वही ईश्वरीय सुसमाचार दिया, जिसका प्रचार मैं गैर-यहूदियों के बीच कर रहा हूं किंतु गुप्‍त रूप से, केवल नामी व्यक्तियों के बीच ही—इस भय से कि कहीं मेरी पिछली दौड़-धूप व्यर्थ न हो जाए. \v 3 किसी ने भी मेरे साथी तीतॉस को ख़तना के लिए बाध्य नहीं किया, यद्यपि वह यूनानी है. \v 4 यह प्रश्न उन पाखंडियों के कारण उठा था, जो हमारे बीच चुपके से घुस आए थे कि मसीह येशु में हमारी स्वतंत्रता का भेद लें और हमें दासत्व में डाल दें. \v 5 हम एक क्षण के लिए भी उनके आगे न झुके कि तुममें विद्यमान ईश्वरीय सुसमाचार की सच्चाई सुरक्षित रहे. \p \v 6 इसका मेरे लिए कोई महत्व नहीं कि वे, जो नामी थे, पहले क्या थे; परमेश्वर भेद-भाव करनेवाला नहीं हैं, मेरे संदेश में उन नामी व्यक्तियों का कोई योगदान नहीं था. \v 7 इसके विपरीत जब उन्होंने यह देखा कि अख़तनितों के लिए ईश्वरीय सुसमाचार मुझे उसी प्रकार सौंपा गया जिस प्रकार ख़तनितों के लिए पेतरॉस को, \v 8 क्योंकि जिस परमेश्वर ने ख़तनितों के बीच पेतरॉस की प्रेरिताई की सेवा में प्रभावशाली रीति से काम किया, उन्होंने अख़तनितों के बीच प्रेरिताई की सेवा में मुझमें भी प्रभावशाली रीति से काम किया. \v 9 मुझे मिले अनुग्रह को पहचानकर याकोब, कैफ़स तथा योहन ने, जो कलीसिया के स्तंभ के रूप में जाने जाते थे, बारनबास और मेरी ओर सहभागिता का दायां हाथ बढ़ाया कि हम गैर-यहूदियों में और वे ख़तनितों में जाएं. \v 10 उन्होंने हमसे सिर्फ यही विनती की कि हम निर्धनों की अनदेखी न करें—ठीक यही तो मैं भी चाहता था! \s1 पेतरॉस के प्रति पौलॉस का विरोध \p \v 11 जब कैफ़स अंतियोख़ नगर आए, मैंने उनके मुख पर उनका विरोध किया क्योंकि उनकी गलती साफ़-साफ़ थी. \v 12 याकोब की ओर से कुछ लोगों के आने से पहले तो वह गैर-यहूदियों के साथ खान-पान में सम्मिलित होते थे किंतु याकोब के लोगों के यहां आने पर वह ख़तनितों के समूह के भय से अलग होकर गैर-यहूदियों से दूरी रखने लगे. \v 13 बाकी यहूदी भी उनके साथ इस कपट में शामिल हो गए, यहां तक कि बारनबास भी. \p \v 14 जब मैंने यह देखा कि उनका स्वभाव ईश्वरीय सुसमाचार के भेद के अनुसार नहीं है, मैंने सबके सामने कैफ़स से कहा, “यदि स्वयं यहूदी, होकर आपका स्वभाव यहूदियों के समान नहीं परंतु गैर-यहूदियों के समान है, तो आप गैर-यहूदियों को यहूदियों जैसे स्वभाव के लिए बाध्य कैसे कर सकते हो? \p \v 15 “आप और मैं जन्म से यहूदी हैं—गैर-यहूदियों के पापी वंशज नहीं. \v 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य मात्र मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा ही धर्मी ठहरता है, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा, इसलिये हमने भी मसीह येशु में विश्वास किया कि हम मसीह में विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहराए जाएं, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा—क्योंकि व्यवस्था का पालन करने से कोई भी मनुष्य धर्मी ठहराया नहीं जाता. \p \v 17 “किंतु, यदि हम मसीह में धर्मी ठहराए जाने के लिए प्रयास करने पर भी पापी ही पाए जाते हैं, तो क्या मसीह पाप के पालन पोषण करनेवाले हैं? बिलकुल नहीं! \v 18 यदि मैं उसी को दोबारा बनाता हूं, जिसे मैंने गिरा दिया था, तो मैं स्वयं को ही अपराधी साबित करता हूं. \p \v 19 “क्योंकि व्यवस्था के द्वारा मैं व्यवस्था के लिए मर गया कि मैं परमेश्वर के लिए जीऊं. \v 20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका हूं. अब से वह, जो जीवित है, मैं नहीं परंतु मसीह हैं, जो मुझमें जीवित हैं. अब वह जीवन, जो मैं शरीर में जी रहा हूं, परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करते हुए जी रहा हूं, जिन्होंने मुझसे प्रेम किया और स्वयं को मेरे लिए बलिदान कर दिया. \v 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं कर रहा, क्योंकि यदि व्यवस्था धार्मिकता का कारण होता, तब मसीह का प्राण त्यागना व्यर्थ हो जाता!” \c 3 \s1 विश्वास जनित धार्मिकता \p \v 1 निर्बुद्धि गलातियो! किसने तुम्हें सम्मोहित कर दिया? तुम्हारे सामने तो मसीह येशु को साफ़-साफ़ क्रूस पर दिखाया गया था. \v 2 मैं तुमसे सिर्फ यह जानना चाहता हूं: पवित्र आत्मा तुमने व्यवस्था के नियम-पालन द्वारा प्राप्‍त किया या ईश्वरीय सुसमाचार को सुनने और उसमें विश्वास करने के द्वारा? \v 3 क्या तुम इतने निर्बुद्धि हो? जो पवित्र आत्मा द्वारा शुरू किया गया था क्या वह मनुष्य के कार्यों से सिद्ध बनाया जा रहा है? \v 4 तुमने इतने दुःख उठाए तो क्या वे वास्तव में व्यर्थ थे? \v 5 परमेश्वर, जो तुम्हें अपना आत्मा प्रदान करते तथा तुम्हारे बीच चमत्कार करते हैं, क्या यह वह व्यवस्था का पालन करने के द्वारा करते हैं या विश्वास के साथ सुनने के द्वारा? \v 6 जैसे अब्राहाम ने “परमेश्वर में विश्वास किया, और यह उनके लिए धार्मिकता माना गया.”\f + \fr 3:6 \fr*\ft \+xt उत्प 15:6\+xt*\ft*\f* \p \v 7 इसलिये अब यह भली-भांति समझ लो कि जिन्होंने विश्वास किया है वे ही अब्राहाम की संतान हैं. \v 8 पवित्र शास्त्र ने पहले से जानकर कि परमेश्वर गैर-यहूदियों को विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएंगे, पहले ही अब्राहाम को यह शुभ संदेश देते हुए कहा था: “सभी राष्ट्र तुममें आशीषित होंगे.”\f + \fr 3:8 \fr*\ft \+xt उत्प 12:3; 18:18; 22:18\+xt*\ft*\f* \v 9 इसलिये वे सभी, जो विश्वास करते हैं, अब्राहाम—विश्वास पुरुष—के साथ, जो स्वयं विश्वासी थे, आशीषित किए जाते हैं. \p \v 10 वे, जो व्यवस्था के कार्यों पर निर्भर हैं, शापित हैं क्योंकि पवित्र शास्त्र का वर्णन है: “शापित है वह, जो व्यवस्था के हर एक नियम का पालन नहीं करता.”\f + \fr 3:10 \fr*\ft \+xt व्यव 27:26\+xt*\ft*\f* \v 11 यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी धर्मी नहीं ठहरता; क्योंकि लिखा है: “वह, जो धर्मी है, विश्वास से जीवित रहेगा.”\f + \fr 3:11 \fr*\ft \+xt हब 2:4\+xt*\ft*\f* \v 12 फिर भी, व्यवस्था विश्वास पर आधारित नहीं है, “इसके विपरीत, जो इसका अनुसरण करेगा, वह इसके कारण जीवित रहेगा.”\f + \fr 3:12 \fr*\ft \+xt लेवी 18:5\+xt*\ft*\f* \v 13 मसीह ने स्वयं शाप बनकर हमें व्यवस्था के शाप से मुक्त कर दिया, जैसा कि लिखा है: “शापित है हर एक, जो काठ पर लटकाया जाता है.”\f + \fr 3:13 \fr*\ft \+xt व्यव 21:23\+xt*\ft*\f* \v 14 यह सब इसलिये कि मसीह येशु में अब्राहाम की आशीषें गैर-यहूदियों तक आएं और हम विश्वास द्वारा प्रतिज्ञा की हुई पवित्र आत्मा प्राप्‍त करें. \s1 व्यवस्था द्वारा प्रतिज्ञा अस्वीकार नहीं की गई \p \v 15 प्रिय भाई बहनो, मैं सामान्य जीवन से उदाहरण दे रहा हूं. एक मानवीय वाचा की पुष्टि के बाद उसे न तो कोई अलग करता है और न ही उसमें कुछ जोड़ता है. \v 16 प्रतिज्ञाएं अब्राहाम और उनके वंशज से की गई थी. वहां यह नहीं कहा गया “वंशजों से,” मानो अनेकों से परंतु एक ही से अर्थात् “वंशज से,”\f + \fr 3:16 \fr*\ft \+xt उत्प 12:7; 13:15; 24:7\+xt*\ft*\f* अर्थात् मसीह से. \v 17 मेरे कहने का मतलब यह है: परमेश्वर ने अब्राहाम से एक वाचा स्थापित की तथा उसे पूरा करने की प्रतिज्ञा भी की. चार सौ तीस वर्ष बाद दी गई व्यवस्था न तो परमेश्वर की वाचा को मिटा सकती है और न परमेश्वर की प्रतिज्ञा को. \v 18 यदि मीरास का आधार व्यवस्था है तो मीरास प्रतिज्ञा पर आधारित हो ही नहीं सकती, किंतु परमेश्वर ने अब्राहाम को यह मीरास प्रतिज्ञा द्वारा ही प्रदान की. \p \v 19 तब क्या उद्देश्य है व्यवस्था का? अपराध का अहसास. उसे स्वर्गदूतों द्वारा एक मध्यस्थ के माध्यम से आधिकारिक रूप से उस वंशज के आने तक बनाये रखा गया जिसके विषय में प्रतिज्ञा की गई थी. \v 20 सिर्फ एक पक्ष के लिए मध्यस्थ आवश्यक नहीं होता, जबकि परमेश्वर सिर्फ एक हैं. \p \v 21 तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विपरीत है? बिलकुल नहीं! यदि कोई ऐसी व्यवस्था दी गई होती, जो जीवन प्रदान कर सकती थी, तब निश्चयतः उस व्यवस्था के पालन करने पर धार्मिकता प्राप्‍त हो जाती. \v 22 किंतु पवित्र शास्त्र ने यह स्पष्ट किया कि पूरा विश्व पाप की अधीनता में है कि मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा प्रतिज्ञा उन्हें दी जा सके, जो विश्वास करते हैं. \s1 विश्वास का पदार्पण \p \v 23 मसीह येशु में विश्वास के प्रकाशन से पहले हम व्यवस्था के संरक्षण में रखे गए, उस विश्वास से अनजान, जो प्रकट होने पर था. \v 24 इसलिये व्यवस्था हमें मसीह तक पहुंचाने के लिए हमारा संरक्षक हुआ कि हम विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाएं. \v 25 परंतु अब, जब विश्वास आ चुका है, हम संरक्षक के अधीन नहीं रहे. \p \v 26 इसलिये तुम सब मसीह येशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर की संतान हो, \v 27 तुम सबने जो मसीह में बपतिस्मा लिया है, मसीह को धारण कर लिया है. \v 28 इसलिये अब न कोई यहूदी है, न कोई यूनानी; न कोई स्वतंत्र है, न कोई दास और न कोई पुरुष है, न कोई स्त्री क्योंकि तुम सब मसीह येशु में एक हो. \v 29 यदि तुम मसीह के हो, तो तुम अब्राहाम के वंशज हो, परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वारिस. \c 4 \p \v 1 मेरा कहने का उद्देश्य यह है कि जब तक वारिस बालक है, दास और उसमें किसी भी प्रकार का अंतर नहीं होता, यद्यपि वह हर एक वस्तु का स्वामी है. \v 2 वह पिता द्वारा निर्धारित समय तक के लिए रक्षकों व प्रबंधकों के संरक्षण में रहता है. \v 3 इसी प्रकार हम भी, जब बालक थे, संसार की आदि शिक्षा के अधीन दासत्व में थे. \v 4 किंतु निर्धारित समय के पूरा होने पर परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मे, व्यवस्था के अधीन, \v 5 कि उन सबको छुड़ा लें, जो व्यवस्था के अधीन हैं, कि हम परमेश्वर की संतान होने का अधिकार प्राप्‍त कर सकें. \v 6 अब इसलिये कि तुम संतान हो, परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो अब्बा, पिता पुकारता है, हमारे हृदयों में भेज दिया है. \v 7 इसलिये अब तुम दास नहीं परंतु संतान बन गए हो और यदि तुम संतान हो तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी. \s1 गलातिया के लिए पौलॉस की चिंता \p \v 8 जब तुम परमेश्वर को नहीं जानते थे, उस समय तुम उनके दास थे, जो वास्तव में ईश्वर हैं ही नहीं. \v 9 किंतु अब, जब तुमने परमेश्वर को जान लिया है, परंतु यह कहें कि परमेश्वर द्वारा जान लिये गए हो, तो फिर तुम कमजोर तथा दयनीय आदि शिक्षाओं का दास बनने के लिए क्यों लौट रहे हो? क्या तुम्हें दोबारा उन्हीं का दास बनने की लालसा है? \v 10 तुम तो विशेष दिवस, माह, ऋतु तथा वर्ष मनाते जा रहे हो. \v 11 मुझे तुम्हारे लिए आशंका है कि कहीं तुम्हारे लिए मेरा परिश्रम व्यर्थ ही तो नहीं गया. \p \v 12 प्रिय भाई बहनो, मैं तुमसे विनती करता हूं कि तुम मेरे समान बन जाओ क्योंकि मैं भी तुम्हारे समान बन गया हूं. तुमने मुझे कोई हानि नहीं पहुंचाई. \v 13 तुम्हें याद होगा कि, मैंने पहली बार अपनी बीमारी की स्थिति में तुम्हें ईश्वरीय सुसमाचार सुनाया था, \v 14 परंतु मेरी शारीरिक स्थिति के कारण, जो तुम्हारे लिए एक परख थी, तुमने न तो मुझसे घृणा की और न ही मुझसे मुख मोड़ा, परंतु मुझे इस प्रकार स्वीकार किया, मानो मैं परमेश्वर का स्वर्गदूत हूं, मसीह येशु हूं. \v 15 अब कहां गया तुम्हारा आनंद मनाना? मैं स्वयं गवाह हूं कि यदि संभव होता तो उस समय तुम अपनी आंखें तक निकालकर मुझे दे देते. \v 16 क्या सिर्फ सच बोलने के कारण मैं तुम्हारा शत्रु हो गया? \p \v 17 वे तुम्हें अपने पक्ष में करने को उत्सुक हैं, किंतु किसी भले मतलब से नहीं; उनका मतलब तो तुम्हें मुझसे अलग करना है कि तुम उनके शिष्य बन जाओ. \v 18 हमेशा ही अच्छे उद्देश्य के लिए उत्साही होना उत्तम होता है और मात्र उसी समय नहीं, जब मैं तुम्हारे मध्य उपस्थित होता हूं. \v 19 हे बालको, तुममें मसीह का स्वरूप पूरी तरह विकसित होने तक मैं दोबारा प्रसव पीड़ा में रहूंगा. \v 20 बड़ी अभिलाषा थी कि इस समय मैं तुम्हारे पास होता और मीठी वाणी में तुमसे बातें करता, क्योंकि तुम्हारे विषय में मैं दुविधा में पड़ा हूं. \s1 दो वाचाएं: हागार तथा साराह \p \v 21 मुझे यह बताओ: तुम, जो व्यवस्था के अधीन रहना चाहते हो, क्या तुम वास्तव में व्यवस्था का पालन नहीं करते? \v 22 पवित्र शास्त्र में लिखा है कि अब्राहाम के दो पुत्र थे, एक दासी से और दूसरा स्वतंत्र स्त्री से. \v 23 दासी का पुत्र शरीर से जन्मा था और स्वतंत्र स्त्री के पुत्र का जन्म प्रतिज्ञा के पूरा होने के लिए हुआ था. \p \v 24 यह एक दृष्टांत है. ये स्त्रियां दो वाचाएं हैं. सीनाय पर्वत की वाचा हागार है, जिससे दासत्व की संतान पैदा होती है. \v 25 हागार अराबिया में सीनाय पर्वत है, जो वर्तमान येरूशलेम का प्रतीक है क्योंकि वह संतानों सहित दासत्व में है. \v 26 किंतु स्वर्गीय येरूशलेम स्वतंत्र है. वह हमारी माता है. \v 27 जैसा कि लिखा है: \q1 “बांझ, तुम, जो संतान पैदा करने में असमर्थ हो, \q2 आनंदित हो. \q1 तुम, जो प्रसव पीड़ा से अनजान हो, \q2 जय जयकार करो, \q1 क्योंकि त्यागी हुई की संतान, \q2 सुहागन की संतान से अधिक है.”\f + \fr 4:27 \fr*\ft \+xt यशा 54:1\+xt*\ft*\f* \p \v 28 प्रिय भाई बहनो, तुम यित्सहाक के समान प्रतिज्ञा की संतान हो. \v 29 किंतु जैसे उस समय शरीर से जन्मा पुत्र आत्मा से जन्मे पुत्र को सताया करता था, वैसी ही स्थिति इस समय भी है. \v 30 पवित्र शास्त्र का लेख क्या है? “दासी व उसके पुत्र को निकाल दो क्योंकि दासी का पुत्र कभी भी स्वतंत्र स्त्री के पुत्र के साथ वारिस नहीं होगा.”\f + \fr 4:30 \fr*\ft \+xt उत्प 21:10\+xt*\ft*\f* \v 31 इसलिये, प्रिय भाई बहनो, हम दासी की नहीं, परंतु स्वतंत्र स्त्री की संतान हैं. \c 5 \s1 मसीह में स्वतंत्रता \p \v 1 इसी स्वतंत्रता में बने रहने के लिए मसीह ने हमें स्वतंत्र किया है. इसलिये स्थिर रहो और दोबारा दासत्व के जूए में न जुतो. \p \v 2 यह समझ लो! मैं, पौलॉस, तुम्हें बताना चाहता हूं कि यदि तुम ख़तना के पक्ष में निर्णय लेते हो तो तुम्हारे लिए मसीह की कोई उपयोगिता न रह जायेगी. \v 3 मैं ख़तना के हर एक समर्थक से दोबारा कहना चाहता हूं कि वह सारी व्यवस्था का पालन करने के लिए मजबूर है. \v 4 तुम, जो धर्मी ठहराए जाने के लिए व्यवस्था पर निर्भर रहना चाहते हो, मसीह से अलग हो गए हो और अनुग्रह से तुम गिर चुके हो. \v 5 किंतु हम पवित्र आत्मा के द्वारा विश्वास से धार्मिकता की आशा की बाट जोहते हैं. \v 6 ख़तनित होना या न होना मसीह येशु में किसी महत्व का नहीं है; महत्व है सिर्फ विश्वास का जिसका प्रभाव दिखता है प्रेम में. \p \v 7 दौड़ में बहुत बढ़िया था तुम्हारा विकास. कौन बन गया तुम्हारे सच्चाई पर चलने में रुकावट? \v 8 यह उकसावा उनकी ओर से नहीं है, जिन्होंने तुम्हें बुलाया. \v 9 “थोड़ा-सा खमीर सारे आटे को खमीर कर देता है.” \v 10 प्रभु में मुझे तुम पर भरोसा है कि तुम किसी अन्य विचार को स्वीकार न करोगे. जो भी तुम्हें भरमाएगा व डांवा-डोल करेगा, वह दंड भोगेगा, चाहे वह कोई भी क्यों न हो. \v 11 प्रिय भाई बहनो, यदि मैं अब तक ख़तना का प्रचार कर रहा हूं तो मुझ पर यह सताना क्यों? इस स्थिति में तो क्रूस के प्रति विरोध समाप्‍त हो गया होता. \v 12 उत्तम तो यही होता कि वे, जो तुम्हें डांवा-डोल कर रहे हैं, स्वयं को नपुंसक बना लेते! \s1 स्वतंत्रता और भलाई \p \v 13 प्रिय भाई बहनो, तुम्हारा बुलावा स्वतंत्रता के लिए किया गया है. अपनी स्वतंत्रता को अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति का सुअवसर मत बनाओ परंतु प्रेमपूर्वक एक दूसरे की सेवा करो. \v 14 क्योंकि सारी व्यवस्था का सार सिर्फ एक वाक्य में छिपा हुआ है: “जैसे तुम स्वयं से प्रेम करते हो, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्रेम करो.”\f + \fr 5:14 \fr*\ft \+xt लेवी 19:18\+xt*\ft*\f* \v 15 यदि तुम एक दूसरे को हिंसक पशुओं की भांति काटते-फाड़ते रहे, तो सावधान! कहीं तुम्हीं एक दूसरे का नाश न कर बैठो. \p \v 16 मेरी सलाह यह है, तुम्हारा स्वभाव आत्मा से प्रेरित हो, तब तुम किसी भी प्रकार से शारीरिक लालसाओं की पूर्ति नहीं करोगे. \v 17 शरीर आत्मा के विरुद्ध और आत्मा शरीर के विरुद्ध लालसा करता है. ये आपस में विरोधी हैं कि तुम वह न कर सको, जो तुम करना चाहते हो. \v 18 यदि तुम पवित्र आत्मा द्वारा चलाए चलते हो तो तुम व्यवस्था के अधीन नहीं हो. \p \v 19 शरीर द्वारा उत्पन्‍न काम स्पष्ट हैं: वेश्यागामी, अशुद्धता, भ्रष्टाचार, \v 20 मूर्ति पूजा, जादू-टोना, शत्रुता, झगड़ा, जलन, क्रोध, स्वार्थ, मतभेद, विधर्म; \v 21 डाह, मतवालापन, लीला-क्रीड़ा तथा इनके समान अन्य, जिनके विषय में मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूं कि जिनका स्वभाव इस प्रकार का है, वे मेरी पूर्व चेतावनी के अनुरूप परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे. \p \v 22 परंतु आत्मा का फल है प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, दया, उदारता, विश्वस्तता, \v 23 विनम्रता तथा आत्मसंयम; कोई भी विधान इनके विरुद्ध नहीं है. \v 24 जो मसीह येशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी वासनाओं और अभिलाषाओं सहित क्रूस पर चढ़ा दिया है. \v 25 अब, जबकि हमने पवित्र आत्मा द्वारा जीवन प्राप्‍त किया है, हमारा स्वभाव भी आत्मा से प्रेरित हो. \v 26 न हम घमंडी बनें, न एक दूसरे को उकसाएं और न ही आपस में द्वेष रखें. \c 6 \s1 कृपालुता तथा सतत-प्रयास-प्रवृत्ति संबंधी निर्देश \p \v 1 प्रिय भाई बहनो, यदि तुम्हें यह मालूम हो कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तो तुम, जो आत्मिक हो, उसे नम्रतापूर्वक सुधारो, किंतु तुम स्वयं सावधान रहो कि कहीं तुम भी परीक्षा में न पड़ जाओ. \v 2 एक दूसरे का बोझ उठाया करो. इसके द्वारा तुम मसीह की व्यवस्था को पूरा करोगे. \v 3 यदि कोई व्यक्ति कुछ न होने पर भी स्वयं को पहुंचा हुआ समझता है तो वह स्वयं को धोखा देता है. \v 4 हर एक व्यक्ति अपने कामों की जांच स्वयं करे, तब उसके सामने किसी और पर नहीं, खुद अपने पर घमंड करने का कारण होगा \v 5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना बोझ स्वयं ही उठाएगा. \v 6 जिसे वचन की शिक्षा दी जा रही है, वह हर एक उत्तम वस्तु में अपने शिक्षक को सम्मिलित करे. \p \v 7 किसी भ्रम में न रहना: परमेश्वर मज़ाक के विषय नहीं हैं क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटता है. \v 8 वह, जो अपने शरीर के लिए बोता है, शरीर के द्वारा विनाश की उपज काटेगा; किंतु वह, जो पवित्र आत्मा के लिए बोता है, पवित्र आत्मा के द्वारा अनंत जीवन प्राप्‍त करेगा. \v 9 हम भलाई के काम करने में साहस न छोड़ें क्योंकि यदि हम ढीले न हो जाएं तो हम निर्धारित समय पर उपज अवश्य काटेंगे. \v 10 जब तक हमारे सामने सुअवसर है, हम सभी का भला करते रहें, विशेषकर विश्वासी परिवार के सदस्यों का. \b \s1 उपसंहार \p \v 11 ध्यान दो कि कैसे बड़े आकार के अक्षरों में मैंने तुम्हें अपने हाथों से यह लिखा है! \b \p \v 12 जितने भी लोग तुम पर उत्तम प्रभाव डालने के लक्ष्य से तुम्हें ख़तना के लिए मजबूर करते हैं, वे यह सिर्फ इसलिये करते हैं कि वे मसीह येशु के क्रूस के कारण सताए न जाएं. \v 13 वे, जो ख़तनित हैं, स्वयं तो व्यवस्था का पालन नहीं करते किंतु वे यह चाहते अवश्य हैं कि तुम्हारा ख़तना हो जिससे यह उनके लिए घमंड करने का विषय बन जाए. \v 14 ऐसा कभी न हो कि मैं हमारे प्रभु येशु मसीह के क्रूस के अलावा और किसी भी विषय पर घमंड करूं. इन्हीं मसीह के कारण संसार मेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है और मैं संसार के लिए. \v 15 महत्व न तो ख़तना का है और न खतनाविहीनता का महत्व है; तो सिर्फ नई सृष्टि का. \v 16 वे सभी, जो इस सिद्धांत का पालन करते हैं, उनमें तथा परमेश्वर के इस्राएल में शांति व कृपा व्याप्‍त हो. \b \p \v 17 अंत में, अब कोई मुझे किसी प्रकार की पीड़ा न पहुंचाए क्योंकि मेरे शरीर पर मसीह येशु के घाव के चिह्न हैं. \b \p \v 18 प्रिय भाई बहनो, हमारे प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह तुम पर बना रहे. आमेन.