\id REV - Bhumiya Standard Project \ide UTF-8 \h परकासितवाक्य \toc3 परकासितवाक्य \toc2 परकासितवाक्य \toc1 परकासितवाक्य \mt2 प्रकाशितवाक्य \mt1 परकासितवाक्य \imt परचा \ip परकासितवाक्य के किताब नबा नियम के आखरी किताब हबै इहो चेला \xt यूहन्ना 1:1\xt* दवारा मसीह के जनम के करीबन 95 साल के बाद लिखे गय रथै, उन यूहन्ना के जसना संदेस अउ तीनठे चिट्ठी 1 यूहन्ना 2 यूहन्ना अउ 3 यूहन्ना लिखिस। यूहन्ना के जेखर लग यीसु माया करथै के रूप हे जाने जथै। \xt यूहन्ना 13:23 \xt*ऊ पतमुस टापू हे परकासितवाक्य के किताब इहैनिता लिखिस, काखे ऊ यीसु मसीह के संदेस के परचार करै के निता निरवासित करे गय रथै। \xt परकासितवाक्य 1:9\xt* \ip परकासितवाक्य के किताब के लिखे हे यूहन्ना के उदेस्य पढै के यीसु मसीह के परति बिस्वास हे बने रहै, अउ उनके आसा देय के निता उतसाहित करे के हबै, काखे यीसु के लउटै के टेम लिघ्घो हबै। \xt 1:3—22:7 \xt*ऊ सगलू बिस्वासिन के आमतोर हे अउ सात बडा मंडली के पाठ \xt 2—3\xt* हे लिखे रथै यूहन्ना खुद के लिखइया आगू कर बात \xt 1:3\xt* के रूप हे स्थिर करथै अउ जउन कुछ ऊ देखिस, ओखर वरनन करै के निता पूर किताब हे कइठे रूप हे निस्तार करथै। \ip हइ किताब पुरान नियम के कुछ भागन के जसना हबै खास के। \xt जकर 6:1-8\xt* सात तुरही अउ सातठे खोरियो उन समस्या के जसना हबै, जेही भगवान मिस्र देस के सजा देय के निता पठोय रथै। \xt निरगमन 7—9\xt* रहस्य घटना टेम के आखरी के बारे हे बात करथै, कि यीसु जीतही अउ सगलू जउन ओखर उप्पर बिस्वास करथै, हरमेसा के निता ओखर संग रइहिन हइ किताब तुमके सचेत करै, अउ तुमके आसा देय के यीसु हरबी लउटही। \iot रूप रेखा \io1 1. यूहन्ना हइ कहै के दवारा सुरुवात करथै कि ऊ कोन हबै अउ ऊ हइ आगू कर बात दरसन कइसन पाइस। \ior 1:1-20\ior* \io1 2. ऊ सिध्धा यीसु के पार लग सातठे मंडली के संदेस देथै। \ior 1:1—3:22\ior* \io1 3. फेर ऊ सातठे मोहरन\ior 4:1—8:5\ior* अउ सातठे तुरही के वरनन करथै। \ior 8:6—11:19 \ior* \io1 4. एखर बाद यूहन्ना सातठे मूड के संग अजगर के खिलाप नर लरका के झगडा के वरनन करथै। \ior 12:1—14:20\ior* \io1 5. फेर ऊ गुस्सा के सातठे खोरिया के बारे हे लिखथै। \ior 15:1—16:18\ior* \io1 6. आगू यूहन्ना वरनन करथै कि कइसन भगवान स्वरग हे अपन बैरी लग जीताथै। \ior 17:1—20:15\ior* \io1 7. आखरी हे ऊ नबा स्वरग अउ नबा भुंइ के वरनन करथै जउन आखरी हे आही। \ior 21:1—22:21 \ior* \c 1 \s परचा अउ सोगत \p \v 1 हइ यीसु मसीह के परकासितवाक्य हबै, जउन उके भगवान इहैनिता दइस कि आय बाले भभिस्य हे सेबकन के यीसु मसीह अपन स्वरगदूत के पूर हक के संग पठोय के जउन बात हरबी पूर होमै बाले हबै, हइ परकासन अउ ग्यान अपन हरवाह यूहन्ना के गुठेइस। \v 2 यूहन्ना जउन कुछु देखे रथै, ओखर बारे हे गवाही देथै। कि ऊ सही हबै, जेही यीसु मसीह गुठे रथै, हइ ऊ संदेस हबै जउन भगवान के पल्ला लग हबै। \v 3 ऊ धन्य हबै जउन भगवान के बचन के पढ के सुनथै अउ जउन बात एहमा लिखे हबै अउ ऊ सही रास्ता हे चलथै, काखे परेसानी के टेम लिघ्घो हबै। \s सातठे मंडलिन कर सोगत \p \v 4 यूहन्ना के पल्ला लग सातठे मंडलिन के, जउन आसिया परदेस हे हबै, तुमके उनखर पल्ला लग अनुगरह अउ सान्ति मिलै, जउन हरमेसा रथै अउ जउन आय बाले हबै अउ सात आतमन के पल्ला लग जउन उनखर राजगद्दी के आगू हबै। \v 5 अउ यीसु मसीह के पल्ला लग जउन बिस्वास करे बाले गवाह अउ मरे हर मसे जी उठेबाले हे पहिलोउठन अउ भुंइ के राजन के मुखिया हबै, \p तुमके अनुगरह अउ सान्ति मिलत रहै, जउन हमर लग माया रखथै अउ ऊ अपन खून के दवारा हमके पापन लग छंडाय हबै। \v 6 ऊ हमके अक्ठी राज अउ अपन परम बाफ भगवान के सेबा हे पुजारी होमै के निता चुनिस, ओखर महिमा अउ सक्ति हरमेसा-हरमेसा होवत रहै। \p \v 7 देखा, उहै बादर हे आमै बाले हबै, सब मनसे उके देखहिन जउन उके छेदथै, उहो देखहिन अउ भुंइ के सगलू जात उनखर कारन रोइहिन हइ निस्चित हबै, आमीन। \p \v 8 परभु भगवान जउन हबै अउ जउन रथै अउ जउन आमै बाले हबै, जउन सर्वसक्तिमान हबै हइ कथै, “हे यहों सुरू अउ आखरी।” \s मसीह कर दरसन \p \v 9 मै तुम्हर भाई यूहन्ना यहों अउ यीसु के संकट, राज अउ धीर हे तुम्हर सहभागी हबो, भगवान कर बचन अउ यीसु के बारे हे गवाह के कारन मै पतमुस नाम दीप हे डाले गय रथो। \v 10 मै परभु के रोज आतमा हे आय गइस अउ अपन पाछू तुरही के बड्डे सब्द लग हइ कहत सुनथै। \v 11 “जउन कुछु तै देखथै उके किताब हे लिखके सातठे मंडली के लिघ्घो पठोय दे इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलदिलफिया अउ लउदीकिया के।” \fig एसिया हे सातठे मंडली के नक्सा|alt="Map of seven churches in Asia" src="hk00378c.tif" size="span" copy="Horace Knowles ©" ref="1:11"\fig* \p \v 12 तब मै उके जउन मोके गुठे रथै देखै के निता अपन मुंह मोडे हबै, सोना के सातठे चिमनी देखै हबै। \v 13 अउ उन चिमनी के बीच हे मै अक्ठी मनसे के देखो जउन “मनसे कर टोरवा” के जसना कउनो रथै, ऊ अपन गोड तक चरका बन्डी पहिन रखे रथै अउ ओखर छाती हे अक्ठी सोना के पट्टी बंधे रथै। \v 14 ओखर मूड के चूंदी हिम के जसना चरका ऊन के जसना उज्जर रथै अउ ओखर आंखी आगी के मेर धंधकत रथै। \v 15 ओखर गोड भट्टी हे तपाय हर पीतर के जसना चमकत रहै अउ ओखर आरो समुन्दर के पानी के लहरा जसना गरजत रहै। \v 16 ऊ अपन दहिना पल्ला हाथ हे सातठे तरइया लय हर रथै, ओखर मुंह लग तेज दुइधारी तलबार निकडे हर रथै, ओखर चेहरा बेरा के जसना चमकत रथै। \v 17 मै जब उके देखो ता मै ओखर गोड हे मरे लोथ के जसना गिर पडो, फेर ऊ मोर उप्पर हाथ धरके कथै, “झइ डर, हे यहों सुरू अउ आखरी हव। \v 18 अउ मै उहै यहों, जउन जिन्दा हबै, मै मरै रहों, पय देख, अब मै हरमेसा-हरमेसा के निता जिन्दा हव, मोर लिघ्घो मिरतू अउ नरक के चाभी हबै। \v 19 इहैनिता जउन कुछु तै देखे हबस, जउन कुछु घटत हबै अउ जउन भभिस्य हे घटे बाले हबै उके लिखत जा। \v 20 हइ जउन सातठे तरइया हबै, जेही तै मोर दहिना हाथ हे देखे हबस अउ हइ जउन सातठे चिमनी हबै, इनखर मतलब हबै, हइ सात तरइया सात मंडली के दूत हबै अउ हइ सातठे चिमनी सातठे मंडली हबै।” \c 2 \s इफिसुस कर संदेस \p \v 1 इफिसुस के मंडली के दूत के हइ लिख, “जउन अपन दहिना हाथ हे सातठे तरइया के धारन करे हबै अउ सोना के सातठे चिमनी के बीच घूमथै, ऊ हइ कहे हबै। \v 2 मै तुम्हर काम, तुम्हर मेहनत अउ तुम्हर धीर लग अच्छी तरह लग जानथो अउ इहो जानथो कि बुराई तुम्हर निता सहै लग बाहिर हबै, तुम उनही परखे हबा जउन खुदय के चेला कथै, पय उन नेहको हबै तुम उनखर परिक्छा लय हबै अउ उनके ठगरा पाय हबा। \v 3 तुम्हर लिघ्घो धीर हबै तुम मोर नाम के कारन दुख सहे हबा अउ हार नेहको माने। \v 4 पय मोके तुम्हर हइ सिकायत हबै कि तुम मोर परति अपन आगू बाले माया छांड दय हबा। \v 5 इहैनिता सुरता कर कि तै कछो लग गिरे हबै अउ मन फिरा अउ उन कामन के कर, जउन पहिले के जसना काम करत रथस। अगर तै मन नेहको फिरइहे, ता मै तोर लिघ्घो आयके तोर चिमनी के ओखर जाघा लग हटाय देहुं। \v 6 पय तुम केतका निक्खा हबा कि तै नीकुलइयों के काम लग घ्रिना करथस, जेखर लग मै घिनाथो।” \p \v 7 जेखर कान हबै ऊ सुन ले कि आतमा मंडली हइ असना कहाथै। जउन जीत पाइस, “ओही मै ऊ जीवन रूख के फडुहा खाय के निता देहुं जउन भगवान के स्वरग के बगिया हे हबै।” \s स्मुरना के मंडली कर निता संदेस \p \v 8 स्मुरना के मंडली के दूत के हइ लिख, “ऊ जउन पहिला अउ आखरी हबै, जउन मर गय रथै अउ अब फेरै जिन्दा हुइ गय हबै, ऊ हइ मेर कथै। \v 9 मै तोर दुख अउ कंगाली के बारे हे जानथो पय तै धन्नड हबस अउ मै हइ जानथो, कि उन मनसे तुम्हर केतका बदनामी करथै, जउन अपन खुद के यहूदी कथै अउ उन हइयो नेहको हबै, बलुक उन भुतवन के भक्ति करै बाले सभा हबै, उनखर बुराई के जानथो। \v 10 तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।” \p \v 11 जेखर कान हबै ऊ सुन ले कि आतमा मंडलिन लग काहिन कथै? जउन जीत पाइस, उके दूसर मिरतू लग हानि नेहको होही। \s पिरगमुन के मंडली कर निता संदेस \p \v 12 “पिरगमुन के मंडली के दूत के हइ लिख,” ऊ जउन तेज दुइधारी तलबार के धारन करथै, ऊ हइ मेर कथै। \v 13 मै हइ जानथो कि तै उहै रथस जिहां भुतवा के राजगद्दी हबै, तउभरमा मोर नाम के परति तोर सच्चाई हे बने हबै अउ तै मोर परति अपन बिस्वास के कबहुन नेहको नकारे, ऊ टेम जब मोर गवाह मोर बिस्वास के काबिल अन्तिपास के तुम्हर सहर हे जिहां भुतवा के घर हबै, खून के दय गइस। \v 14 पय मोके तोर बिरोध कुछ बात कहै के हबै, काखे तोर इहां कुछु असना हबै, जउन बिलाम के सिक्छा के मानथै, जउन लरका के इस्राएलिन के आगू ठोकड के कारन रखैके सिखाइस, कि ऊ मूरतिन हे बलि चढाय गय चीजन के खाय अउ गलत काम करे। \v 15 ओसनेन तुम्हरे इछो कुछ मनसे असना हबै, जउन नीकुलइयों के सिक्छा के मानथै। \v 16 इहैनिता मन के फिराबा, नहि ता मै तोर लिघ्घो हरबी अइहों अउ अपन मुंह के तलबार लग उन मनसे लग लडाई करिहों, \v 17 जेखर कान हबै ऊ सुन ले कि पवितर आतमा मंडलिन लग काहिन कथै। \p “जउन जीत जही, मै उके स्वरग हे लुके हर मन्ना देहुं, मै उके अक्ठी चरका पथरा देहुं, जेखर उप्पर अक्ठी नबा नाम होही, जउन ओखर सिबाय अउ कउ नेहको जानथै जेही ऊ दय गय हबै।” \s थुआतीरा के निता संदेस \p \v 18 “थुआतीरा के मंडली के दूत के हइ लिख,” “भगवान कर टोरवा, जेखर आंखी धंधकत आगी के जसना हबै अउ जेखर गोड सुध्द पीतर के जसना हबै, हइ मेर कथै।” \v 19 मै तोर काम, तोर माया, बिस्वास, सेबा अउ धीर के जानथो अउ इहो कि तोर पाछू के काम पहिलेन लग बढके हबै। \v 20 पय तोर बिरोध हे हइ हबै, तै इजेबेल नाम के ऊ डउकी के अपन बीच हे रहै देथा, जउन खुद के ग्यानी मनसे कथै अउ अपन ग्यान लग ऊ मोर सेबकन के गलत काम के परति अउ मूरती के बलि खाय के मजबूर करवाथै। \v 21 मै उके मन फिरामै के मउका दय हबो, पय ऊ अपन गलत काम लग मन फिरामै के नेहको चाहथै। \v 22 इहैनिता देखबे, मै उके नांगा करके खटिया के जठना हे डाल देहुं अउ उके जउन ओखर संग गलत काम हे समलित हबै, बोहत दुख हे डाल देहुं, अगर ऊ ओखर संग गलत काम करै लग मन नेहको फिराही। \v 23 मै उनखर लरकन के मार डरिहों अउ सगलू मंडली के हइ पता चल जही कि मै उहै यहों जउन मनसे के मन अउ उनखर दिमाक के जानथो, मै तुम सबझन के तुम्हर कामन के जसना सजा देहुं। \p \v 24 पय तुम थुआतीरा के बचे हर मनसेन लग जेतका हइ सिक्छा के नेहको मानथै अउ उन बातन के जिनखर भुतवा के गहिड बात कथै नेहको जानथै, हइ कथै कि मै तुम्हर उप्पर अउ बोझा नेहको डालहुं। \v 25 जउन सिक्छा तुम्हर लिघ्घो हबै, ओहमा मोर आमै तक मजबूत बने रइहा। \v 26 जउन जीत पाही अउ आखरी तक मोर काम के पूर करत रही, मै उके गैर यहुदिन हे हक परदान करिहों, \v 27 ऊ उन लोहा के राजदंड लग राज करही अउ ऊ माटी के भडवा के जसना चूर-चूर हुइ जही, ठीक जसना मोके ओसनेन हक अपन बाफ लग मिले हबै। \v 28 इहैनिता मै उके हक दय हबै जेही मै अपन बाफ लग पाय हव, मै ऊ मनसे के बिहन्ने के तरइया देहुं। \p \v 29 “जेखर कान हबै ऊ सुन ले कि आतमा मंडली लग काहिन कथै।” \c 3 \s सरदीस के मंडली के संदेस \p \v 1 सरदीस के मंडली के दूत के हइ लिख, जेखर लिघ्घो भगवान के सातठे आतमा अउ सातठे तरइया हबै, ऊ हइ कथै कि मै तोर कामन के जानथो, मनसेन के कहेका हबै कि तै जिन्दा हबस पय सही हे तै मरे हर हबस। \v 2 इहैनिता सचेत हुइ जा, तुम्हर हे जउन कुछु बाचे हबै, ऊ मिरतू के जसना हबै, ओहमा नबा जीवन के संचार करा, काखे मै अपन भगवान के नजर हे तुम्हर दूसर काम के आधा पाय हव। \v 3 इहैनिता सुरता करा कि तुम का सिक्छा पाय हबा अउ तुम का सुने रथा अउ ओखर पालन करत मन फिराबा, अगर तुम नेहको जगिहा ता मै चोरटा के जसना आहुं, तुम जानो नेहको पइहा कि मै कब तुम्हर लिघ्घो आय जइहों। \v 4 पय एतका सही हबै कि सरदीस हे तोर इहां कुछु असना मनसेन हबै जउन अपन-अपन बन्डी असुध्द नेहको करिन, चरका कपडा पहिने हर मोर संग घुमही, काखे ऊ हइ कबिल हबै। \v 5 अउ जउन जीत पाही ऊ इहै मेर चरका बन्डी पहनही, मै जीवन के किताब लग ओखर नाम के नेहको मिटाहुं, बलुक मै तो ओखर नाम के अपन बाफ अउ ओखर स्वरगदूत के लिघ्घो मान सम्मान परदान करिहों। \p \v 6 जेखर कान हबै ऊ सुन ले कि आतमा मंडलिन लग काहिन कथै। \s फिलदिलफिया कर संदेस \p \v 7 फिलदिलफिया के मंडली के निता संदेस स्वरगदूत के हइ लिख, जउन पवितर अउ सही हबै अउ जउन दाऊद के चाभी हबै, जउन असना दूरा खोलथै जेही कउ बन्द नेहको के सकथै अउ जउन असना दूरा बन्द करथै, जेही कउ नेहको खोल सकथै। \v 8 मै तोर कामन के जानथो, देख, मै तोर आगू अक्ठी दूरा खोल दय हव, जेही कउ बन्द नेहको के सकथै, मै जानथो कि तोर सक्ति चुटु हस हबै, पय तै मोर बचन के माने हबस अउ मोर नाम के नेहको नकारे हबस। \v 9 सुना कुछ असना हबै जउन भुतवा के मंडली के हबै अउ जउन यहूदी न होउत भरमा खुद के यहूदी कथै, जउन केबल ठगरा हबै, मै उनके इहां आमै लग मजबूर करके तोर गोड तरी झुकाय देहुं अउ मै उनके मजबूर करिहों कि ऊ हइ जानै कि तै मोर प्रिजन हबा। \v 10 तुम मोर आदेस के जसना मजबूत बने रइहा, इहैनिता महुं तुमके ऊ परिक्छा के टेम सुरक्छित रखिहों, जउन सगलू दुनिया हे रहैबाले मनसे के बिस्वास के परखही। \v 11 मै हरबी आमै बाले हव, जउन सिक्छा तुम्हर लिघ्घो हबै ओहमा बने रइहा, जेखर लग कउ तुम्हर मुकुट के झइ छंडाय पामै। \v 12 जउन जीत पाही उके मै अपन भगवान के मन्दिर हे अक्ठी खम्भा बनाहुं। अउ ऊ फेर कबहुन बाहिर नेहको निकडही अउ मै अपन भगवान के नाम अउ अपन भगवान के सहर मतलब नबा यरुसलेम के नाम, जउन मोर भगवान के लिघ्घो लग स्वरग लग उतरै बाले हबै अउ अपन नबा नाम ओखर उप्पर लिखहुं। \p \v 13 इहैनिता जेखर कान होय ऊ सुनले कि आतमा मंडलिन लग काहिन कथै। \s लउदीकिया कर संदेस \p \v 14 लउदीकिया के मंडली के दूत के हइ लिख, जउन ओसनेन हबै अउ जउन बिस्वास के काबिल अउ सही गवाह हबै अउ भगवान के रचना के मूल कारन हबै, ओखर संदेस हइ मेर हबै, \v 15 मै तोर कामन के जानथो कि तै न तो ठंड हबा अउ न गरम, केतका निक्खा होथै कि तुम ठंड या गरम हुइता। \v 16 इहैनिता कि तै कुनकुन हबा अउ न ठंड हबा अउ न गरम, मै तुमके अपन मुंह लग उगलै बाले हव। \v 17 तै कथस कि मै धन्नड हुइ गय हव अउ मोके कउन चीज के कमी नेहको, पय तोके पता नेहको हबै कि तै अभागा हबस, बेकार हबस बिना के दीन हबस, अंधरा अउ लंगडा हबस। \v 18 इहैनिता मै तोके सलाह देथो कि आगी हे ताय हर सोना खरीद के धन्नड हुइ जा अउ चरका बन्डी खरीद के पहिन लेया अउ अपन लंगडापन लग लज्जित झइ होबा अउ काजर खरीद के आंखी हे लगाबा, जेखर लग तुम देख सका। \v 19 मै जिनखर लग माया करथो, उनके दांकथो अउ सजा देथो, इहैनिता उकसामै बाले बना अउ पाप लग मन फिराबा। \v 20 सुन, मै दूरा हे ठाढ हव अउ ठोकठोकाथो, अगर कउ मोर आरो के सुनथै अउ दूरा के खोलथै ता मै ओखर घर हे घुसिहों अउ ओखर संग बइठके खाना खइहों अउ ऊ मोर संग बइठके खाना खाही। \v 21 पय जउन जीत पाही, उके मै अपन संग अपन राजगद्दी हे बइठाय के हक देहुं, ठीक जसना मै जीत के अउ अपन बाफ के संग ओखर राजगद्दी हे बइठे हव। \p \v 22 “जेखर कान होय ऊ सुन ले कि आतमा मंडलिन लग काहिन कथै।” \c 4 \s स्वरग हे महिमा \p \v 1 एखर बाद मै देखो कि स्वरग हे अक्ठी दूरा खुले हबै, तब तुरही के आरो के जसना ऊ सब्द, जउन मै पहिले सुने रथो, मोर लग बात करथै, “मोर लिघ्घो इछो उप्पर आ कि मै तोके ऊ सब दिखाहुं, जेखर इन सबके बाद घटै के जरूरी हबै।” \v 2 फेर मै अचानक आतमा के अधीन हुइ गयों, मै देखथो कि स्वरग हे अक्ठी राजगद्दी धररे हबै अउ ओखर उप्पर कउ बइठे हबै। \v 3 ऊ जउन राजगद्दी हे बइठे रथै, ओखर चमक किमती मनि अउ मनि के जसना रथै अउ राजगद्दी के चारो पल्ला दबोरा के जसना हीरा के चमक रथै। \v 4 ऊ राजगद्दी के चारो पल्ला चवबीस राजगद्दी रथै, जेखर उप्पर चवबीस सियान चरका बन्डी पहिने हर बइठे रथै अउ उनखर मूड हे सोना के मुकुट रथै। \v 5 राजगद्दी मसे बिजली, आरो, बारिस के गरजन निकडत हबै, राजगद्दी के आगू सात चिमनी जलत हबै, ऊ भगवान के सात आतमा हबै। \v 6 राजगद्दी के आगू आर पार दिखै बाले कांच के समुन्दर रथै, राजगद्दी के ठीक आगू अउ ओखर दोनो पल्ला चार परानी रथै, ओखर आगू अउ पाछू आंखै आंख रथै। \v 7 पहिले परानी बघवा के जसना रथै, दूसर परानी बइला के जसना रथै अउ तीसर परानी के मुंह मनसे के जसना रथै अउ चउथा परानी उडै बाले गिधवा के जसना रथै। \v 8 हइ चारो परानी के हर अक्ठी के छय छयठे पंख रथै, उनखर भित्तर के पल्ला अउ बाहिर के पल्ला आंखै आंख रथै अउ उन दिन रात लगेतार बिना रुके महिमा करथै, \q1 “पवितर परभु सर्वसक्तिमान बाले भगवान, \q2 जउन रथै जउन हबै अउ जउन आमै बाले हबै।” \p \v 9 जब-जब हइ परानी उनखर जउन राजगद्दी हे बइठे हबै, जउन हरमेसा जिन्दा हबै, महिमा करथै, इज्जत करथै अउ उनखर परति धन्यबाद परगट करथै। \v 10 ऊ चउबीस सियान ओखर गोड तरी गिरके, ऊ हरमेसा जिन्दा रहै बाले के अराधना करथै, ऊ राजगद्दी के आगू अपन मुकुट के डाल देथै अउ कथै। \q1 \v 11 “हे हमर परभु अउ हमर भगवान तहिन महिमा, \q2 इज्जत अउ सक्ति के काबिल हबस, \q1 काखे तहिन सगलू कुछु बनाय हबस, \q2 अउ तोरै इक्छा के कारन बनाय गय हबै अउ उनखर रचना हुइस।” \c 5 \s मुहरबन्द लगे किताब अउ गेडरा \p \v 1 जउन राजगद्दी हे बइठे रथै, मै उनखर दहिना पल्ला हाथ हे अक्ठी किताब देखो जउन दोनो पल्ला लिखे हर रथै अउ जउन सात सील दवारा बन्द करे हर रथै। \v 2 फेर मै अक्ठी बलवान स्वरगदूतन के देखो जउन बोहत आरो लग हइ परचार करथै, “हइ किताब के खोलै अउ ओखर सील तोडै के काबिल कोन हबै?” \v 3 न तो स्वरग हे, न भुंइ हे अउ न भुंइ के तरी कउ हइ काबिल नेहको रथै कि हइ किताब के खोलै या पढ सकै। \v 4 तब मै सुसुक-सुसुक के रोमै लग गयों, काखे किताब खोलै या पढै के काबिल कउ नेहको मिलथै। \v 5 तब उन सियान मसे अकझन मोर लग कथै, “बन्द के रोमै के, सुन, ऊ जउन यहूदा कुर के बघवा हबै, जउन दाऊद के महान वंसज हबै, ऊ बिजय होय हबै, ऊ किताब अउ ओखर सील खोलै के काबिल हबै।” \p \v 6 तब मै राजगद्दी के लिघ्घो चार परानी अउ सियानन के बीच ठाढ अक्ठी गेडरा के देखो, ऊ माना बलि चढाय हर गेडरा रथै, ओखर सात सींग अउ सातठे आंखी रथै, हइ भगवान के सात आतमा हबै जिनही भगवान सगलू भुंइ हे पठोय हबै। \v 7 तब गेडरा आगू बढके, जउन राजगद्दी हे बइठे रथै ओखर दहिना पल्ला जायके ओखर हाथ लग किताब के लइ लेथै। \v 8 जब गेडरा किताब के लइ चुकथै तब उन चार परानी अउ चउबीस सियान ऊ गेडरा के नमस्ते करथै, उन सबके लिघ्घो धूप अउ बसुरी रथै अउ उन महके बाले चीज लग भररे हर सोना के खोरिया रथै, जउन पवितर मनसे के बिनती रथै। \v 9 उन अक्ठी नबा भजन गाथै, \q1 “तै किताब लइके ओखर, \q2 सील खोलै के काबिल हबस, \q1 काखे तै बलि करे गय रथस अउ तै अपन खून बोहोय के भगवान के निता हर अक्ठी मनसे, हर अक्ठी भासा, \q2 सगलू कुर लग अउ देस लग मनसेन के खरीद लय हबस। \q1 \v 10 अउ उनके हमर भगवान के निता अक्ठी पुजारी बनाय दय हबै, \q2 अउ ऊ भुंइ हे राज करही।” \p \v 11 तब मै देखेव ता ऊ राजगद्दी अउ कइन मेर के स्वरगदूतन के आरो सुनो, हइ स्वरगदूत अनगिनत रथै अउ लाखन अउ करोडन अउ सियान चारो पल्ला ठाढ रथै। \v 12 उन स्वरगदूत बोहत आरो लग हइ गाथै, \q1 “ऊ गेडरा, जेखर बलि चढाय गइस, \q2 सक्ति, धन्नड, ग्यान, आसीस, बलवान, ईज्जत, महिमा, \q2 अउ स्तुति पामै के काबिल हबै।” \p \v 13 फेर मै सगलू रचना के स्वरग हे, \q1 अउ भुंइ हे अउ भुंइ के तरी सगलू जीव के हइ कहत सुनेव, \q2 “जउन राजगद्दी हे बइठे हबै अउ गेडरा के स्तुति ईज्जत, महिमा, आसीस, \q2 अउ सक्ति हरमेसा रहै।” \p \v 14 अउ चार परानी बोलथै, “आमीन” अउ सियान मुंह के बल गिरके अराधना करिन। \c 6 \s सातठे मुहर के खोले जाना \p \v 1 मै देखो कि गेडरा उन सात सीलन मसे पहली सील खोलिस, ऊ टेम मै चार परानी मसे अक्ठी के बिजली गाज के जसना आरो हे हइ कहत सुनो, “आबा” \v 2 तब उहां मोके अक्ठी घोडवा दिखथै जउन चरका रंग के रथै, जउन ओहमा बइठे हर रथै, ओखर हाथ हे धनही रथै उके अक्ठी मुकुट पहनाय गइस अउ ऊ अक्ठी बिजेता के जसना बिजय पामै के निता निकड पडिस। \p \v 3 जब ऊ दूसर सील खोलिस, ता मै दूसर परानी के हइ कहत सुनो, “आबा।” \v 4 तब मै उहां अक्ठी दूसर घोडवा के निकडत देखथो, जउन आगी के जसना लाल रंग के रथै, जउन ओखर उप्पर बइठे हर रथै उके अक्ठी बडा तलबार दय गय रहै अउ उके भुंइ लग सान्ति उठा लेय के आदेस दय गय रहै कि मनसे अक दूसर के बलि चढामै। \p \v 5 जब गेडरा तीसर सील खोलिस, ता मै तीसर परानी के हइ कहत सुनो, “आबा” अउ मोर आंखी के आगू अक्ठी करिया घोडवा देखथै, जउन ओखर उप्पर बइठे रथै ओखर हाथ हे तखरी रथै। \v 6 तबै मै ऊ चार परानी के बीच लग हइ आरो सुनो, “अक रोज के मजदूरी के बदला अक रोज के खाय के गोहूं अउ अक रोज के मजदूरी के बदला तीन रोज तक खाय के जबा, पय जैतून के तेल अउ दाखरस के हानि झइ पहुंचाबा।” \p \v 7 जब ऊ चउथा सील खोलिस, ता मै चउथा परानी के सब्द हइ कहत सुनो, “आबा।” \v 8 तब मोके उहां अक्ठी घोडवा दिखथै, जउन पीला रंग के रथै, जउन ओखर उप्पर बइठे रथै, ओखर नाम मिरतू रथै अउ नरक ओखर पाछू-पाछू चले आथै, उके भुंइ के अक्ठी चउथाई भाग हे हक दय गइस, कि अकाल महामारी अउ पतेरा के गोरू दवारा नास करै के हक दय गइस। \p \v 9 जब गेडरा पचमा सील खोलिस, ता मै बलि चढामै बाले बेदी के तरी उन मनसेन के आतमा के देखो, जउन भगवान के बचन के बारे हे गवाही दे के कारन मारे गय रथै। \v 10 उन बोहत आरो लग हइ कहत सुनो कि “हे पवितर अउ सत्य परभु, जउन हमके मारे हबै उनखर नियाव करै के तै कब तक ओरगत रइहे? अउ भुंइ के रहै बालेन लग हमर खून के बदला कब तक न लइहे?” \v 11 उनखर मसे हर अकझन के चरका खुरथा पइजामा दय गइस अउ उनखर लग चुटु हस टेम अउ धीर रखै के कहे गय हबै, जब तक उनखर संगी सेबकन अउ भाई-बेहन के गिनती पूर नेहको हुइ जाय, जउन उनखर जसना मरे जाय बाले रथै। \p \v 12 फेर जब गेडरा छठमा सील खोलिस ता मै देखो कि उहां अक्ठी बडा भुंइडोल हुइस, बेरा असना करिया हुइ गइस जसना कउनो सोक मनाउत मनसे के कपडा होथै अउ पूर जोंधइया खून के जसना लाल हुइ गय हबै। \v 13 अउ बादर के तरइया भुंइ हे गिर पडिस, जसना बडेरा लग डोलय लग अंजीर के रूख लग रोड्डा फडुहा झर जथै। \v 14 अउ बादर फट गय रथै अउ अक्ठी किताब के पन्ना के जसना सुकुल के चिपक जथै, सगलू डोंगर अउ दीप अपन-अपन जिघा लग डोल गय रथै। \v 15 तब भुंइ के राजा, सिपाही, सेना, धन्नड सक्तिसाली अउ सगलू मनसे जउन हरवाह हबै अउ सगलू आजाद मनसे माडा हे अउ डोंगर के पथरा हे जाय के लुक गइन। \v 16 अउ उन डोंगर अउ पथरन लग कथै, “हमर उप्पर गिर जा अउ ऊ जउन राजगद्दी हे बइठे हबै अउ ऊ गेडरा के गुस्सा लग हमके लुकाय ले। \v 17 काखे ओखर गुस्सा के भयंकर दिन आय पहुंचे हबै, असना कोन हबै जउन ठाढ रही सकथै?” \c 7 \s इस्राएल के अक लाख चवालिस हजार मनसे \p \v 1 एखर बाद भुंइ के चारो पल्ला चार स्वरगदूत के मै ठाढ देखो, भुंइ के चारो हवा के रोक के रखै रथै, ताकि भुंइ हे सागर हे अउ रूख हे उनखर मसे कउनो के उप्पर हवा झइ चल पाबै। \v 2 फेर मै देखो कि अक्ठी अउ स्वरगदूत हबै, जउन दिन उगती तरफ लग आउत देखथै, ऊ जिन्दा भगवान के सील लय हर रथै अउ ऊ उन चारो स्वरगदूतन लग जेही भुंइ अउ बादर के नास के देय के हक दय गय रथै, बोहत सब्द लग चिल्लाय के कहत रहै। \v 3 “जब तक हम अपन भगवान के सेबकन के लीलार हे सील न लगा दइ, तब तक तुम भुंइ, सागर अउ रूखन के नुसकान झइ पहुंचइहा।” \v 4 अउ मै सील लगे मनसेन के गिनती सुनो अउ उनखर गिनती अक लाख चवालिस हजार रथै अउ उन इस्राएलिन के सगलू बाराठे परवार मसे रथै। \v 5 यहूदा के परवार बारह हजार हे सील लगे मनसे रथै, रूबेन के परवार बारह हजार हे अउ गाद के परवार बारह हजार हे, \v 6 आसेर परवार मसे बारह हजार हे, नप्ताली के परवार बारह हजार मनसे अउ मनस्सिह के परवार बारह हजार रथै, \v 7 समोन के परवार मसे बारह हजार हे, लेबी के परवार मसे बारह हजार हे, इस्साकार के परवार मसे बारह हजार हे, \v 8 जबूलून के परवार मसे बारह हजार हे, यूसुफ के परवार मसे बारह हजार हे अउ बिन्यामीन के परवार मसे बारह हजार मनसेन हे सील लगे रथै। \s हर देस लग भीड \p \v 9 एखर बाद मै देखो कि मोर आगू अक्ठी बडा भीड के ठाढ देखे रथो, जेखर गिनती कउ नेहको कर सकथै, हइ भीड मसे हर कुर के मनसे, हर भासा के मनसे रथै, उन ऊ राजगद्दी अउ ऊ गेडरा के आगू ठाढ रथै, ऊ चरका खुरथा पइजामा पहिने रथै अउ उन अपन हाथन हे खजूर के डगइल लय हर रथै। \v 10 अउ उन बोहत आरो लग कथै, “हमर मुकति के निता भगवान के जय होय, जउन राजगद्दी हे बइठे हबै अउ मेमना के जय होय।” \v 11 सगलू स्वरगदूत राजगद्दी, सियानन अउ उन चार परानी के घेरे रथै, राजगद्दी के आगू परनाम करके हइ स्वरगदूत भगवान के अराधना करिन। \v 12 उन कथै, “हमर भगवान के स्तुति, महिमा, मन, धन्यबाद, आसीस, इज्जत, सक्ति अउ बल हरमेसा होवत रहै, ओसनेन होय।” \p \v 13 तब उन सियानन मसे कउनो मोर लग पूछथै, “हइ चरका खुरथा पइजामा बाले मनसे कोन हबै अउ हइ कछो लग आय हबै?” \v 14 मै उके जबाब दयों, हे परभु, तै तो जानथस अउ उन मोर लग कहिस, “हइ ऊ मनसे हबै, जउन बडा दुख मसे निकड के आय हबै, इन गेडरा के खून हे अपन खुरथा पइजामा धोय के चरका के लय हबै। \v 15 इहैनिता ऊ भगवान के राजगद्दी के आगू ठाढ हबै अउ ओखर मन्दिर हे दिन रात ओखर सेबा करत रथै अउ ऊ जउन राजगद्दी हे बइठे हबै, उनही सुरक्छा परदान करही अउ तम्बू जसना तानही। \v 16 न कबहुन उनके भूख लगही अउ न उन कबहुन पियसहिन, बेरा उनखर कुछु नेहको बिगाडही अउ न चटकत घांम कबहुन उनही लगही। \v 17 काखे ऊ मेमना जउन राजगद्दी के बीच हे हबै, उनखर देखभाल करही, ऊ उनके जीवन दे बाले पानी के झरना के लिघ्घो लइ जही अउ भगवान उनखर आंखी के हर आंसू के पोंछ देही।” \c 8 \s सतमा सील अउ सोना के धूपदान \p \v 1 जब मेमना सतमा सील खोलिस, ता स्वरग हे आधा घंटा तक सन्नाटा छाय रहिस। \v 2 फेर मै भगवान के आगू ठाढ होय बाले सात स्वरगदूत के देखो, उनके सात पोंगा दय गय रथै। \p \v 3 तब दूसर स्वरगदूत, सोना के धूप लइके आथै अउ बेदी के आगू ठाढ हुइ गइस, उके बोहत धूप दय गय रहै, जेखर लग ऊ उके सगलू पवितर सेबकन के बिनती के संग राजगद्दी के आगू बाले सोना के बेदी हे चढाय। \v 4 फेर स्वरगदूत के हाथ लग धूप के धुंवा पवितर मनसेन के बिनती के संग-संग भगवान के उपस्थिति हे पहुंचिस। \v 5 एखर बाद स्वरगदूत धूपदान लइके उके बेदी के आगी लग भरिस अउ भुंइ हे फटक दइस, जेखर लग बादर के गरजन, गडगडाहट अउ बिजली चमकय लगिस अउ भुंइडोल हुइस। \s सातठे पोंगा \p \v 6 तब उन सातठे स्वरगदूत जिनखर लिघ्घो सातठे पोंगा रथै अउ उनही फूंकै के निता तइयार हुइ गइन। \p \v 7 जब पहिला स्वरगदूत पोंगा फूंकिस, ता आगी अउ ओर पइदा हुइस, जेहमा खून मिले हर रथै, उनके भुंइ हे फटक दय गइस, एखर बाद अक्ठी भाग भुंइ जर गइस अउ अक्ठी भाग रूख जर गइस अउ सगलू हरियर चारो जर गइस। \p \v 8 जब दूसर स्वरगदूत पोंगा फूंकिस ता बडा डोंगर जसना कउनो जलत चीज समुन्दर हे फटक दय गइस, जेखर लग अक्ठी भाग समुन्दर खून हे बदल गइस। \v 9 अउ समुन्दर के अक्ठी भाग जीव मर गइन अउ अक्ठी भाग नाह जिहाज नास हुइ गइन। \p \v 10 जब तीसर स्वरगदूत पोंगा फूंकिस, ता बादर लग अक्ठी बडा तरइया चिमनी के जसना जलत अक्ठी भाग नदिया अउ पानी के झरना हे जाय गिरिस। \v 11 हइ तरइया के नाम नागदोना रथै, इहैनिता सगलू पानी अक्ठी भाग नागदोना हे बदल गइस अउ ऊ पानी लग बोहत मनसे मर गइस, काखे पानी बोहत करू हुइ गय रथै। \p \v 12 जब चउथा स्वरगदूत पोंगा फूंकिस ता अक्ठी भाग बेरा अउ अक्ठी भाग जोंधइया अउ अक्ठी भाग तरइया हे असना परहार हुइस, कि उनखर अक्ठी भाग अंधियार हुइ गइस, एहमा लग अक्ठी भाग दिन अंधियार हुइ गइस ओसनेन अक्ठी भाग रातो। \p \v 13 जब मै हइ सगलू देखत रथो, ता मै अपन उप्पर उडत अक्ठी गिधवा के बोहत आरो हे हइ कहत सुनो, “ऊ पोंगा नाद के कारन, जउन बचे तीन स्वरगदूत दवारा करे जही, भुंइ हे रहैबाले हाय, हाय, हाय होय।” \c 9 \s पचमा पोंगा \p \v 1 जब पचमा स्वरगदूत पोंगा बजाइस ता मै बादर लग भुंइ हे गिरे हर अक्ठी तरइया देखो, जउन पत्ताल कुन्ड के चाभी दय गय रथै। \v 2 ऊ अथाह कुन्ड के खोलिस अउ कुन्ड मसे बडा भट्टी के धुंवा उठिस अउ कुन्ड के धुंवा लग बेरा अउ हवा अंधियार हुइ गय। \v 3 हइ धुंवा मसे चिड्डा निकड के भुंइ हे बगर गइन, उनके उहै सक्ति दय रहिस जउन भुंइ हे बीछी के होथै। \v 4 उनके हइ आदेस दय गइस कि ऊ भुंइ के चारा अउ कउनो रूख या फडुहा के नुसकान झइ पहुंचामै, बलुक केबल उन मनसेन के, जिनखर लीलार हे भगवान के सील नेहको लगे हबै। \v 5 चिड्डा के कउ के जान ले का हक नेहको मिले रथै, बलुक पांच महिना तक पीरा दे के हक दय गय रथै, हइ पीरा ओसना रथै, जसना बीछी के चाबै लग होथै। \v 6 उन पांच महिना के भित्तर मनसे मउत के खोजत फिरहिन पय मउत उनके नेहको मिल पाही, उन मरै के निता तरसहिन पय मउत उनखर लग दुरिहां भगही। \p \v 7 अउ अब देखा कि ऊ चिड्डा युध्द के निता तइयार करे हर घोडवा के जसना दिखत रहै, उनखर मूड हे सोना लग मुकुट बांधे रथै, उनखर मुंह मनसे के जसना रथै अउ उनखर दांत बघवा के जसना रथै। \v 8 उनखर बाल डउकी के जसना रथै अउ उनखर दांत बघवा के दांत के जसना रथै। \v 9 उनखर सरीर माना लोहा के कवच लग ढंके हर रथै, उनखर पंख के आरो असना रथै, जसना लडाई हे कइन मेर के घोडवा जात अउ दउडत रथ के होथै। \v 10 उनखर पूंछी के चूंदी असना रथै, जसना बीछी के डंक होय अउ ओहमा मनसेन के पांच महिना तक पीरा देय के सक्ति रथै। \v 11 पत्ताल कुन्ड के साहब दूत के उन अपन राजा के रूप हे लय हर रथै, इब्रानी भासा हे ओखर नाम अबद्दोन रथै अउ यूनानी भासा हे ऊ अपुल्लयोन कहाथै। जेखर मतलब नास करै बाले, \p \v 12 पहली बडा दुख गुजर चुके हबै, पय एखर बाद आमै बाले दुइठे दुख हबै, जउन अबे बांकी हबै। \p \v 13 फेर जब छठमा स्वरगदूत पोंगा फूंकिस, ता मै भगवान के आगू अक्ठी सोना के बेदी देखो, ओखर चार कोनन मसे अक्ठी आरो सुनाई पडिस। \v 14 जउन छठमा स्वरगदूत के निता जउन पोंगा फूंके रथै, उके हइ आदेस मिले रथै, “उन चार स्वरगदूतन के आजाद के देया जउन फरात महानदी के लिघ्घो बंधे रथै।” \v 15 इहैनिता चारो स्वरगदूत के आजाद के दइन, ऊ उहै टेम, उहै रोज, उहै महिना उहै साल के निता तइयार रखे गय रथै, ताकि ऊ अक तिहाई मनसेन के मार डालै। \v 16 घोडवा हे चढै बाले के गिनती बीस करोड रथै, मै उनखर गिनती सुने रहों। \v 17 मै दरसन हे घोडवा अउ उनके देखो, जउन उनखर उप्पर बइठे रथै, उन कवच पहिने हर रथै, जउन धंधकत आगी के जसना लाल, गहिरा नीला अउ गंधक जसना पीला रथै अउ उन घोडवन के मूड बघवन के मूड मेर रथै अउ उनखर मुंह लग आगी, कोहिटा अउ गंधक निकडत रथै। \v 18 हइ तीन महामारियो के दवारा, मतलब आगी, धुंवा अउ गंधक दवारा, जउन घोडवा के मुंह लग निकडत रथै, अक्ठी भाग मनसे नास हुइ गइन। \v 19 हइ घोडवा के सक्ति उनखर मुंह अउ उनखर पूंछी हे रथै, काखे उनखर पूंछी सपुवा के जसना रथै, जेखर निस्तार ऊ मनसेन के पीरा पहुंचामै के निता करथै। \p \v 20 बचे हर मनसे, जउन हइ महामारी लग नास नेहको होय रथै, अपन हाथ के कामन लग मन नेहको फिराइन, उन परेत अउ सोना, चांदी, पीतर अउ लकडी के उन मूरती के पूजा करथै, जउन न तो देख सकथै अउ न सुन सकथै अउ न चल सकथै। \v 21 उन अपन दवारा करे हर काम, जसना खून, जादू टोना, गलत काम अउ चोरी करै लग मन नेहको फिराइन। \c 10 \s स्वरगदूत अउ नान किताब \p \v 1 तब मोके स्वरग लग उतरत अक्ठी दूसर सक्तिसाली स्वरगदूत के देखथै, जउन बादर के बन्डी के जसना पहिने हर रथै, ओखर मूड दबोरा के सात रंग के जसना रथै, ओखर चेहरा बेरा कस अउ गोड आगी के खम्भा के जसना रथै। \v 2 ऊ हाथ हे अक्ठी नान हस खुले हर किताब लय रथै, ऊ अपन दहिना पल्ला गोड समुन्दर हे रखिस अउ टेटरा पल्ला गोड भुंइ हे रखिस। \v 3 फेर ऊ बघवा के जसना दहाडत बोहत आरो लग चिल्लाइस, ओखर चिल्लाय हे सातो गरजन के आरो सुनाय देय लगिस। \v 4 जब सात बादर के गरजन बोल चुकथै, तब मै लिखे के निता तइयार रथो, पय मै स्वरग लग हइ आरो सुनो, “जउन कुछ सात बादर के गरजन कहे हबै, उके झइ लिख पय सील बन्द के देया।” \p \v 5 जउन स्वरगदूत के मै समुन्दर अउ भुंइ हे ठाढ देखे रथो, ऊ अपन दहिना हाथ स्वरग के पल्ला उठाइस, \v 6 अउ जउन हरमेसा जिन्दा हबै, जउन बादर, भुंइ के, सागर अउ जउन कुछ ओहमा हबै, उन सब के बनाय हबै, ओखर किरिया खाय के स्वरगदूत हइ कथै, “अब अउ जादा देरी नेहको होही। \v 7 ऊ टेम जब सतमा स्वरगदूत पोंगा फुकही, तब भगवान अपन गुप्त योजना पूर करही, जेखर संदेस उन अपन सेबकन अउ अपन ग्यानी मनसे लग करे रथै।” \p \v 8 जउन आरो मै स्वरग लग सुने रथो, ऊ दुबारा मोके कहे हबै, “जा, ऊ स्वरगदूत के हाथ लग, जउन समुन्दर अउ भुंइ हे ठाढ हबै, ऊ खुले हर किताब के लइ लेया।” \p \v 9 मै स्वरगदूत के लिघ्घो जायके ओखर लग बिनती करी, कि ऊ नान हस किताब मोके दइ दे, ऊ कथै, “इके लइ ले अउ खा जा, हइ तोर पेट के करू लगही, पय तोर मुंह हे भमर रस के जसना मीठ लगही।” \p \v 10 मै स्वरगदूत के हाथ लग नान हस किताब लइ लयो अउ खा लयो, ऊ मोर मुंह के बोहत मीठ लगिस, पय जब मै उके खाय चुके रहों ता मोर पेट करू लग भर गइस। \v 11 तब मोर लग कहे गइस, “हइ जरूरी हबै कि तै दुबारा कइन मेर के कुर, देस, भासन अउ राजा के बारे हे आगू कर बात करिहों।” \c 11 \s दुइठे गवाह \p \v 1 एखर बाद नापै के निता अक्ठी फिता मोके दय गइस, जउन नापै के डंडा के जसना दिखत रहै, मोके कहे गइस, “उठ अउ भगवान के मन्दिर अउ बेदी के नाप अउ जउन मनसेन मन्दिर के भित्तर अराधना करत हबै, उनखर गिनती के। \v 2 पय मन्दिर के बाहर अंगना के छांड देबे, उके झइ नापहे, काखे हइ दूसर कुर के दइ दय गय हबै, उन बयालिस महिना तक पवितर सहर के अपन गोड लग कचरहिन। \v 3 मै अपन दुइठे गवाह के आदेस दइहों अउ ऊ अक हजार दुइ सव साठ दिन तक आगू कर बात गुठेही, ऊ सन के फट्टी ओढ के अराधना करत रइहीं।” \p \v 4 हइ दुइ गवाह जैतून के दुइठे रूख अउ दुइठे चिमनी हबै जउन भुंइ के परभु के आगू ठाढ हबै। \v 5 अगर कउ उनके हानि पहुंचामै चाहथै, ता उनखर मुंह लग आगी निकडथै अउ ऊ इनखर बैरी के नास के देथै, जउन इनके हानि पहुंचामै चाही, उके हइ मेर लग मरैके पडही। \v 6 इन बादर के बन्द कर देय के सक्ति हबै कि उनखर आगू कर बात के दिनन हे बरिसा झइ होय, उन हे पानी के खून हे बलद देय के अउ जब-जब ऊ चइहिन, भुंइ हे महामारी के पठोमै के हक हबै। \p \v 7 जब ऊ अपन गवाही दइ चुकै के बाद, ऊ गोरू ऊ अथाह कुन्ड लग बाहिर निकडही अउ उनखर लग लडाई करही अउ उनके हराय के उनही नास के डरही। \v 8 उनखर लोथ ऊ महानसहर के चउकी हे पडे रही, हइ सहर जउन सरल भासा अउ आतमिक रूप हे सदोम अउ मिस्र कहाथै, इहै उनखर परभु के क्रूस हे चढाय के मारे रथै। \v 9 सगलू मनसे, कुर, भासा अउ देस के साढे तीन रोज तक उनखर लोथ के देखै के निता अउत रइहिन अउ ऊ उन लोथन के मरघटी हे गाढै नेहको दइहिन। \v 10 भुंइ के रहैबाले उनखर मिरतू हे खुसी मनइहिन, इहां तक कि उन अक दूसर के दान दइहिन काखे हइ दोनो ग्यानी मनसे भुंइ के रहैबाले के बोहत दुख दय रथै। \v 11 पय साढे तीन रोज बाद भगवान के पल्ला लग हइ दोनो हे जीवन के सांस आइस अउ हइ उठके ठाढ हुइ गइस, तब सब देखैबाले हे बोहत डर छाय गइस। \v 12 स्वरग लग अक्ठी तेज आरो आथै अउ हइ कथै, “इछो, उप्पर आ” अउ ऊ अपन बैरी के देखत-देखत बादर हे स्वरग के तरफ कढ गइस। \v 13 उहै टेम बोहत भुंइडोल हुइस अउ सहर के दसमा भाग माटी हे मिल गइस, सात हजार मनसे भुंइडोल हे मर गइन अउ जउन बच गइन, उनखर भित्तर डर समाय गइस अउ उन स्वरग के भगवान के धन्यबाद महिमा करै लगिन। \p \v 14 सुना दूसर महापरेसानी बीत गइस, अब तीसर महापरेसानी हरबी आमै बाले हबै। \s सतमा पोंगा \p \v 15 जब सतमा स्वरगदूत पोंगा के बजाइस, ता स्वरग लग हइ कइन मेर के आरो आथै, “दुनिया के राज अब हमर परभु अउ उनखर मसीह के राज हुइ गय हबै, उहै जुग-जुग राज करही।” \v 16 तब उन चउबीसो सियान, जउन अपन-अपन राजगद्दी हे बइठे रथै, भगवान के आगू परनाम करत ओखर अराधना करिन। \v 17 हे \q1 “सर्वसक्तिमान परभु भगवान जउन हबै अउ जउन रथै, \q1 हम तोके धन्यबाद देथन, काखे तै अपन सक्ति के प्रदरसन करिस, \q2 अउ राजधिकार स्वीकार के लय हबै। \q1 \v 18 देस गुस्सा हुइ गइस, \q2 उनखर उप्पर तोर बोहत गुस्सा आय गय हबै, \q2 अब टेम आ गय हबै, कि मरे हर के नियाव करे जाय, \q1 तोर हरवाह ग्यानी मनसे, पवितर मनसे, \q2 अउ तोर सगलू बिस्वास करै बाले चाहे ऊ सही होय या खास होय जउन तोर नाम लग डरथै, \q2 उनखर बदला दय जही, \q1 अउ तोर दवारा उनके नास करे जाय, जउन भुंइ के नास करथै।” \p \v 19 तब भगवान के मन्दिर, जउन स्वरग हे हबै, खोल दय गइस अउ ऊ मन्दिर हे उनखर टीमा के पेटी दिखथै, उहै टेम बिजली चमकै लगिस अउ बादर के गडगडाहट गरजन हुइस अउ अक्ठी भुंइडोल हुइस अउ बडा-बडा ओर गिरिस। \c 12 \s डउकी अउ पंख बाले अजगर \p \v 1 फेर स्वरग हे अक्ठी बड्डे चिन्हा दिखाई दइस, अक्ठी डउकी जउन बेरा के फरिया ओढे रथै अउ जोंधइया ओखर गोड के तरी अउ जेखर मूड हे बाराठे तरइया के अक्ठी मुकुट रथै। \v 2 ऊ लादा हे रथै अउ पीरा हे चिल्लाथै, काखे ओखर लरका पइदा होय के पीरा सुरू हुइ गय रथै। \p \v 3 तब उहै टेम स्वरग हे दूसर चिन्हा दिखथै अउ अक्ठी लाल रंग के बोहत बडा पोखडी बाले अजगर सपुवा, ओखर सातठे मूड रथै, दस सींग रथै अउ हर अक्ठी के मूड हे अक्ठी मुकुट रथै। \v 4 ओखर पूंछी बादर के तरइया के अक्ठी तिहाई भाग के सरपेटा मारके भुंइ हे तरी फटिक दइस, ऊ डउकी जउन लरका के पइदा करे बाले रथै, ऊ अजगर ओखर आगू ठाढ हुइ गइस, ताकि ऊ जसनै ऊ लरका के पइदा करै ता ऊ उहै टेम ओखर लरका के लील ले। \v 5 ऊ डउकी अक्ठी टोरवा के पइदा करिस, जेखर सगलू देस हे लोहा के राजदंड लग राज करै के तय रथै, हइ लरका के हरबी भगवान अउ ओखर राजगद्दी के लिघ्घो पहुंचाय दइस। \v 6 पय ऊ डउकी पतेरा छो भाग गइस, जछो भगवान दवारा ओखर निता अक्ठी जिघा तइयार करे गय रथै, कि उछो बारह सव साठ दिन तक ओखर पालपोस के सकै। \p \v 7 तब स्वरग हे दुबारा लडाई सुरू हुइ गइस, स्वरगदूत मीकाईल अउ ओखर दूत के पोखडी बाले अजगर सपुवा लग लडैके पडिस, पंख बाले अजगर सपुवा अउ ओखर दूत उनखर संग लडिन, \v 8 पय ऊ अजगर सपुवा नेहको जीत पाइस अउ स्वरग हे उनखर निता कउनो जिघा नेहको रहिस। \v 9 तब ऊ सक्तिसाली पोखडी बाले अजगर सपुवा ऊ पुरान सपुवा, जउन दोस लगामै बाले भुतवा कहाथै अउ सगलू दुनिया के भटकाथै, अपन दूत के संग भुंइ हे गिराय दइन। \p \v 10 तब फेर मै स्वरग हे कउनो के बोहत आरो लग हइ कहत सुनो “अब हमर भगवान कर मुकति, सक्ति अउ राज अउ ओखर मसीह के हक परगट होय हबै, काखे हमर भाई-बेहन हे दोस लगामै बाले के तरी गिराय दय हबै, जउन दिन-रात हमर भगवान के आगू उनखर उप्पर दोस लगाय करथै। \v 11 उन गेडरा के खून अउ अपन गवाह के बचन के दवारा भुतवा के हराय दय हबै, आखरी सांस तक उन अपन परान के चिन्ता नेहको करिस। \v 12 इहैनिता सगलू स्वरग अउ ओखर निबासी खुसी मनाबा, हाय हबै, भुंइ के रहैबाले अउ समुन्दर के, काखे भुतवा तुम्हर लिघ्घो पहुंच चुके हबै, ऊ बडा गुस्सा हे भर गय हबै, काखे उके पता हुइ चुके हबै कि मोर टेम बोहत कम हबै।” \p \v 13 जब पोखडी बाले अजगर सपुवा के हइ पता चलथै कि मोके भुंइ हे फटक दय गय हबै, ता ऊ डउकी के पीछा करे लगिस, जउन ऊ टोरवा के पइदा करे रथै। \v 14 पय ऊ डउकी के अक्ठी बडा गिधवा के दुइठे पोखडी मिलिस, ताकि ऊ उहै पतेरा छो उड के जाय सकै, जउन ओखर निता तइयार करे गय रथै, साढे तीन साल तक उहै ऊ पोखडी बाले अजगर सपुवा लग दुरिहां ओखर पालेपोसै के निता जाय के रथै। \v 15 अउ तब अजगर सपुवा अपन मुंह लग नदिया के जसना पानी हइ मेर लग बहाइस कि ऊ डउकी बाढ लग बहि जाय। \v 16 पय भुंइ ऊ डउकी के बचामै के निता अपन मुंह खोलके ऊ नदिया के पानी के पी लेथै, जउन पोखडी बाले अजगर सपुवा अपन मुंह लग पानी बहाय रथै। \v 17 एखर बाद पोखडी बाले अजगर सपुवा ऊ डउकी के उप्पर बोहत गुस्साथै अउ ऊ ओखर बचे हर लरका के संग जउन भगवान के आदेस के मानथै अउ यीसु मसीह के गवाह हबै, लडाई करै के निता निकड पडिस। \v 18 एखर बाद पोखडी बाले अजगर सपुवा समुन्दर के बगल हे ठाढ हुइ जथै। \c 13 \s दुइठे गोरू \p \v 1 तब मै अक्ठी गोरू के समुन्दर मसे निकडत देखो, ओखर दसठे सींग अउ सातठे मूड रथै। ओखर दसों सींग हे अक-अक्ठी मुकुट रथै अउ ओखर मूड हे निन्दा के नाम लिखे रथै। \v 2 मै जउन गोरू के देखो रथो ऊ चितवा के जसना रथै, पय ओखर गोड भलुवा के जसना रथै अउ ओखर मुंह बघवा के मुंह जसना रथै अउ पोखडी बाले अजगर सपुवा उके अपन सक्ति अउ राजगद्दी अउ बडा हक सउप दइस। \v 3 मै देखो कि ओखर अक्ठी मूड असना दिखथै जसना ओखर उप्पर जीव ले बाले हमला करे होय, पय ओखर ऊ खत्ता मिट गय रथै सगलू दुनिया चकित हुइके ऊ गोरू के पाछू चले लग जथै। \v 4 अउ ऊ उस पोखडी बाले अजगर के पूजा करे लग जथै, काखे ऊ अपन सगलू हक ऊ गोरू के दइ देथै, उन ऊ गोरू के पूजा करत कहे लग जथै, “हइ गोरू के जसना कोन हबै? अउ असना कोन हबै जउन ओखर संग लड सकै?” \v 5 उके आदेस मिल गय रथै कि भगवान के बुराई करै के हक अउ बयालिस महिना तक राज करै के आदेस दय रथै। \v 6 इहैनिता ऊ भगवान के बुराई करै के सुरू के दइस, ऊ भगवान के नाम अउ ओखर तम्बू अउ जउन स्वरग हे रथै उनखर बुराई करै लगिस। \v 7 उके पवितर मनसेन हे लडैके अउ उनके हरामै अउ सगलू वंस, कास्ट, भासा अउ देस हे हक दय गइस। \v 8 भुंइ के उन सगलू निबासी ऊ गोरू के पूजा करही जिनखर नाम ऊ गेडरा के जीवन के किताब हे दुनिया के सुरू लग नेहको लिखिस जेखर बलि करै के जरूरी हबै। \p \v 9 जेखर कान होय, ऊ सुन ले। \v 10 जउन जेल के निता लिखे गय हबै ऊ जेलखाना हे जही, जउन तलबार लग मारथै उके तलबार लग मारे जही, एखर निता जरूरी हबै पवितर मनसेन के धीर अउ बिस्वास। \p \v 11 एखर बाद मै भुंइ लग निकडत अक्ठी अउ गोरू के देखो ओखर गेडरा के सींग जसना दुइठे सींग रथै, पय ऊ अक्ठी पोखडी बाले अजगर सपुवा के जसना बोलथै। \v 12 ऊ सपुवा के आगू ऊ पहिले गोरू के सगलू हक के निस्तार करथै, ऊ भुंइ अउ भुंइ हे सगलू रहैबाले लग ऊ पहिले गोरू के पूजा करवाइस जेखर खत्ता मिट गय रथै। \v 13 दूसर गोरू बडा-बडा चिन्हा चकित के काम करिस, इहां तक कि सगलू मनसेन के आगू ऊ भुंइ हे बादर लग आगी बरसवा दइस। \v 14 ऊ भुंइ के रहैबाले के चिन्हा चकित के काम दिखाउत कढ गइस, काखे ओखर लिघ्घो पहिले गोरू के मउजूदगी हे चकित के काम दिखामै के सक्ति रथै, दूसर गोरू भुंइ के रहैबाले लग ऊ पहिले गोरू के इज्जत देय के निता जेखर उप्पर तलबार के खत्ता लगे रथै अउ जउन निक्खा हुइ गय रथै, ओखर मूरती बनामै के कहे गइस। \v 15 उके ऊ गोरू के मूरती के जिन्दा करै के ‌सक्ति दय गइस कि ऊ मूरती बोल सकै अउ उन सगलू के मरवाय देथै, जउन कउ ऊ मूरती के पूजा नेहको करथै। \v 16 ऊ दूसर गोरू सगलू मनसेन के चाहे ऊ नान होय या बडा, धन्नड होय या गरीब, अजाद हरवाह या कैदी, सगलू के दहिना हाथ पल्ला या लीलार हे अक्ठी चिन्हा छाप लगुवामै के निता मजबूर करिस। \v 17 जेखर उप्पर ऊ छाप गोरू के नाम अउ ओखर नाम के अंक नेहको लगे हबै, ऊ लेन-देन नेहको के सकथै। \p \v 18 जेखर दिमाक होय, ऊ उस गोरू के अंक के जोड ले काखे ऊ अंक कउनो मनसे के नाम लग सबंध हबै, ओखर अंक हबै छय सव छियासठ। \c 14 \s गेडरा अउ ओखर मनसे \p \v 1 तब मै देखो कि ऊ गेडरा सियोन डोंगर हे ठाढ हबै अउ ओखर संग अक लाख चवालिस हजार मनसे हबै, जिनखर लीलार हे ओखर अउ ओखर बाफ के नाम लिखररे हर हबै। \v 2 तब मोके स्वरग लग अक्ठी आरो सुनाई दइस, जउन प्रचन्ड आंधी के आरो के जसना अउ जउन बडा गरजन के आरो के जसना रथै, हइ आरो, जउन मै सुने रहों, असना रथै माना कइन मेर के बसुरी बजामै बाले बजाउत होय। \v 3 ऊ राजगद्दी के आगू, चारो परानी अउ सियान के आगू अक्ठी नबा गीत गाथै, उन अक लाख चवालिस हजार मनसे के अलाबा, जउन सगलू भुंइ के मनसेन मसे खरीदे गय रथै अउ कउ ऊ गीत नेहको सीख सकथै। \v 4 ऊ असना मनसे रथै, जउन कउनो डउकी लग असुध्द अउ गलत काम नेहको करे रथै, काखे ऊ कुंवारा रथै, जिहां कहुं गेडरा जथै, हइ ओखर संग चलथै, भगवान अउ गेडरा के निता पहिला फडुहा के रूप हे इनखरै मनसेन मसे खरीदे गय हबै। \v 5 उनखर मुंह लग कबहुन झूठ नेहको निकडे रथै, ऊ निरदोस हबै। \s तीनठे स्वरगदूत के संदेस \p \v 6 तब मै अक्ठी दूसर स्वरगदूत के बीच बादर हे उडत देखो, भुंइ हे रहैबाले के हर अक्ठी देस, कुर, भासा अउ कास्ट के मनसे सुनामै के निता ओखर लिघ्घो अक्ठी निक्खा अनन्त संदेस रथै। \v 7 ऊ बोहत आरो लग कथै, “भगवान लग डरै, ओखर महिमा करा काखे नियाव के टेम आय गय हबै, बडाई ओखर के ऊ स्वरग, भुंइ, समुन्दर अउ पानी के सोरोत के बनाय हबै।” \p \v 8 ओखर पाछू अक दूसर स्वरगदूत आइस अउ कथै, “ओखर नास हुइ गय हबै बडा सहर बेबीलोन के नास हुइ गय हबै, जउन सगलू देस के अपन गलत काम के नसा के दारू पिलाय हबै।” \p \v 9 उन दोनो के बाद फेर अक्ठी तीसर स्वरगदूत आइस अउ बोहत आरो लग कथै, “अगर कउ ऊ गोरू अउ ओखर मूरती के पूजा करथै अउ अपन हाथ या लीलार हे ओखर छाप लगवाथै, \v 10 ता उके भगवान के गुस्सा के दारू पिलाय जही, जउन बिना मिच्चर के ओखर गुस्सा के खोरिया हे कुढाय गय हबै अउ ऊ पवितर स्वरगदूतन अउ गेडरा के आगू आगी के बोहत पीरा हे डाल दय जही। \v 11 जउन मनसे गोरू या ओखर मूरती के पूजा करथै अउ ओखर नाम के छाप लगवाथै, उनखर पीरा के धुंवा हरमेसा उठत रही अउ उनके न तो दिन हे सान्ति मिलही अउ न रात हे।” \p \v 12 एखर निता जरूरी हबै कि पवितर मनसेन के धीर, जउन भगवान के आदेस के मानथै अउ जिनखर बिस्वास मसीह यीसु हे हबै। \p \v 13 मै स्वरग लग अक्ठी आरो हइ आदेस देत सुनाई देथै, “लिख, धन्य हबै।” ऊ मिरतू, जउन अब लग परभु हे बिस्वास करत मरे हबै, आतमा कथै, “असनेन होय, ताकि ऊ अपन मेहनत के बाद आराम के सकै, काखे उनखर निक्खा काम उनखर संग हबै।” \s भुंइ के खेत के कटनी \p \v 14 फेर मै देखो कि मोर आगू उहां अक्ठी चरका बादर रथै अउ ऊ बादर हे अक्ठी मनसे बइठे रथै, जउन मनसे कर टोरवा जसना दिखथै, ऊ मूड हे अक्ठी सोना के मुकुट पहिने हर रथै अउ ओखर हाथ हे अक्ठी चोंख बाले हंसिया रथै। \v 15 तब मन्दिर मसे अक्ठी अउ स्वरगदूत निकडिस, ऊ जउन बादर हे बइठे रथै, ओखर लग बोहत आरो लग कथै, “हंसिया चला अउ फसल अकजुट के काखे फसल काटैके टेम आय गय हबै अउ भुंइ के फसल पक चुके हबै।” \v 16 इहैनिता जउन बादर हे बइठे रथै, ऊ भुंइ हे अपन हंसिया चलाइस अउ भुंइ के फसल काट के लइ गइस। \p \v 17 तब अक्ठी अउ स्वरगदूत ऊ मन्दिर लग जउन स्वरग हे हबै, बाहिर निकडिस ओखर हाथ हे चोंख हंसिया रथै। \p \v 18 तब बेदी लग अक्ठी अउ स्वरगदूत आइस, आगी हे ओखर हक रथै, ऊ स्वरगदूत लग बोहत आरो लग कथै, “अपन चोंख हंसिया चलायके भुंइ के पूर अंगूर के फसल के गुच्छा अकजुट के काखे अंगूर पक चुके हबै।” \v 19 तब ऊ स्वरगदूत अपन हंसिया भुंइ के पल्ला चलाइस अउ भुंइ के सगलू अंगूर के काटके अकजुट करिस अउ भगवान के बोहत गुस्सा के कुन्ड हे डाल दइस। \v 20 तब अंगूर सहर के बाहिर कुन्ड हे रउंदे गइस अउ ऊ कुन्ड हे खून बहिस, खून के लम्बाई तीन सव कोस के दुरिहां तक फइल गइस अउ घोडवा के लगाम के उंचाई तक पहुंच गइस। \c 15 \s आखरी परेसानी के संग स्वरगदूत \p \v 1 तब मै स्वरग हे अक्ठी बडा अउ चकित चिन्हा देखो, जउन सात स्वरगदूत सात आखरी परेसानी लय हर रथै, हइ आखरी परेसानी हबै, काखे इनखर दवारा भगवान के गुस्सा पूर हुइ जथै। \p \v 2 तब मोके असना अहसास हुइस कि मै अक्ठी कांच के समुन्दर के देखथो, जेहमा आगी मिलरे हर होय अउ मै देखथो कि उन ऊ गोरू के मूरती हे अउ ओखर नाम लग सबंधित गिनती हे जीत पाय लय हबै, उहो ऊ कांच के समुन्दर हे ठाढ हबै, उन भगवान के दवारा दय हर बसुरी रथै। \v 3 भगवान के हरवाह मूसा कर गीत अउ गेडरा के गीत गाय गायके कथै, \q1 “हे सर्वसक्तिमान परभु भगवान, \q2 तोर काम बडा अउ चकित हबै, \q1 हे जुग-जुग के राजा, \q2 तोर रास्ता निक्खा अउ सही हबै।” \q1 \v 4 “हे परभु, तोर लग सब कउ हरमेसा डरहिन, \q2 तोर नाम लइके सब कउ महिमा करही, \q2 काखे तहिन केबल पवितर हबस, \q1 सगलू मनसे तोर लिघ्घो अइहिन, \q2 तोर महिमा करही, \q2 काखे तोर काम परगट हबै, हे परभु तै जउन करथस, उहै नियाव हबै।” \p \v 5 एखर बाद मै देखो कि स्वरग के मन्दिर मतलब गवाह के तम्बू के खोले गइस। \v 6 ऊ मन्दिर मसे सात परेसानी लय सात स्वरगदूत निकडिन, ऊ सुध्द अउ उजियार बन्डी पहिने रथै अउ उनखर छाती हे सोना के पट्टी बांधे हर मन्दिर लग निकडिन। \v 7 फेर उन चार परानी मसे अक्ठी उन सात स्वरगदूत के सोना के खोरिया देथै, जउन हरमेसा के निता जिन्दा भगवान के गुस्सा लग भररे हर रथै। \v 8 भगवान के महिमा अउ ओखर सक्ति के कारन मन्दिर धुंवा लग भर जथै अउ कउ तब तक मन्दिर हे परवेस नेहको के सकथै, जब तक सात स्वरगदूत के सात पेरसानी पूर नेहको हुइ जाय। \c 16 \s भगवान कर परकोप के संग खोरिया \p \v 1 तब मोके मन्दिर मसे अक्ठी बोहत आरो उन सातो स्वरगदूत के कहत सुनाई देथै, “जा, भगवान कर गुस्सा के सातोठे खोरिया के भुंइ हे कुढाय देया।” \p \v 2 इहैनिता पहिले स्वरगदूत गइस अउ ऊ भुंइ हे अपन खोरिया कुढाय दइस, एखर बाद उन मनसेन के निता जउन ऊ गोरू के छाप लगे रथै अउ जउन ओखर मूरती के पूजा करथै, उनखर जीव हे बोहत पीरा बाले फुडिया निकड आथै। \p \v 3 एखर बाद दूसर स्वरगदूत अपन खोरिया समुन्दर हे कुढाय देथै अउ समुन्दर के पानी मरे हर मनसे के खून के जसना लाल हुइ जथै अउ समुन्दर के सगलू जीव मर जथै। \p \v 4 तीसर स्वरगदूत अपन खोरिया नदिया अउ पानी के सोरोत हे कुढाय दइस अउ ऊ खून बन गइस। \v 5 तब मै पानी के स्वरगदूत के हइ कहत सुनथो, “ऊ तहिन हबस जउन नियाइ हबस, जउन रथस हरमेसा-हरमेसा लग, तहिन हबस जउन पवितर हबस, तै जउन करे हबस ऊ नियाव करे हबस। \v 6 इहैनिता उन पवितर मनसे अउ ग्यानी मनसे के खून बहाय हबै अउ तै उनके खून पिलाइस अउ अपन काम लग सजा पाथै अउ उन इहै के काबिल हबै।” \v 7 फेर मोके बेदी लग हइ आरो सुनाई देथै, “हां, हे सर्वसक्तिमान परभु भगवान तोर नियाव सही अउ धरमी हबै।” \p \v 8 फेर चउथा स्वरगदूत अपन खोरिया बेरा हे कुढाय देथै, इहैनिता उके मनसेन के आगी लग जला देय के हक दय गय रथै। \v 9 अउ मनसे बोहत गरमी लग जर जइहिन, उन भगवान के नाम के बुराई करे हबै काखे हइ परेसानी हे ओखरै हक हबै, पय उन कउ मन नेहको फिराइन अउ न उके महिमा दइन। \p \v 10 एखर बाद पचमा स्वरगदूत अपन खोरिया ऊ गोरू के राजगद्दी हे कुढाय देथै अउ ऊ राज अंधियार हे छाय गइस, मनसे पीरा के मारे दांत अपन जीभ के दबाय लइस। \v 11 उन अपन पीरा अउ फुडियन के कारन स्वरग के भगवान के बुराई करिन, पय उन अपन बेकार काम के निता अपन मन के नेहको फिराइन। \p \v 12 फेर छठमा स्वरगदूत अपन खोरिया फरात महानदी हे कुढाय देथै अउ ओखर पानी सुखाय गइस, जेखर लग पूरुब दिसा के राजा के निता रास्ता तइयार हुइ जथै। \v 13 तब मै पंख बाले अजगर के मुंह लग, गोरू के मुंह लग अउ ठगरा ग्यानी मनसे के मुंह लग मेचका जसना तीन असुध्द आतमा के निकडत देखो। \v 14 हइ भुतवा दुस्ट आतमा रथै अउ उनखर भित्तर चिन्हा चकित के काम दिखामै के सक्ति रथै, ऊ सगलू दुनिया के राजा के सर्वसक्तिमान भगवान के बडा दिन, लडाई करै के निता अकजुट करै के निकड पडिस। \p \v 15 सुना, मै चोरटा के जसना अइहों, धन्य हबै ऊ, जउन जगथै अउ अपन बन्डी के अपन संग धरथै, ताकि कहुं असना झइ होय कि ऊ बिना बन्डी के फिरै अउ मनसे के बिना बन्डी के बेज्जती होमैके पडै। \p \v 16 हइ मेर ऊ दुस्ट आतमा उन राजन के अकजुट करके ऊ जिघा हे लइ आनथै, जेही इब्रानी भासा हे हरमगिदोन कहे जथै। \p \v 17 फेर सतमा स्वरगदूत जब अपन खोरिया हवा हे कुढाय दइस अउ मन्दिर के राजगद्दी लग अक्ठी बोहत आरो सुनाई देथै, “पूर हुइ गइस।” \v 18 तब बिजली चमके लगिस अउ बादर के गरजन गरजे लगिस अउ बोहत बडा भुंइडोल हुइस, भुंइ हे मनसे के बनाय लग पहिले एतका बडा भुंइडोल कबहुन नेहको होय रथै। \v 19 एखर लग महासहर के तीन खन्डा हुइ गइस, सगलू देस के सहर नास हुइ गइस, भगवान बडा सहर बेबीलोन के सुरता करिस अउ उके अपन गुस्सा लग दारू के नसा पिलाइस। \v 20 सगलू दीप खतम हुइ गइस अउ डोंगर गायब हुइ गइस। \v 21 चालीस-चालीस किलो के ओर, बादर लग मनसेन के उप्पर गिरथै अउ ओर के हइ बडा परेसानी के कारन मनसे भगवान के बुराई करिन, काखे हइ अक्ठी बोहत भयानक परेसानी रथै। \c 17 \s बेसिया अउ जानबर \p \v 1 एखर बाद उन सात स्वरगदूत मसे जिनखर लिघ्घो सात खोरिया रथै, अक्ठी मोर लिघ्घो आइस अउ कथै, “आ मै तोके बोहत नदिया के बगल हे बइठे ऊ बेसिया के सजा के दिखइहों। \v 2 भुंइ के राजा ओखर संग गलत काम करे हबै अउ उन जउन भुंइ हे रथै, ऊ ओखर गलत काम के दारू पी के नसा हे हुइ गइन।” \p \v 3 मै आतमा के वस हे हुइ गयों अउ स्वरगदूत मोके पतेरा छो लइ गइस, मै उहां अक्ठी डउकी के अक्ठी लाल रंग के गोरू के उप्पर बइठे हर देखथो, गोरू के सगलू देह हे बुराई सब्द लिखररे हर रथै, ओखर सात मूड अउ सात सींग रथै। \v 4 ऊ डउकी बैगनी अउ लाल रंग के फरिया पहिने हर रथै, ऊ मंहगी सोना अउ मोती लग सजे हर रथै ऊ अपन हाथ हे सोना के अक्ठी खोरिया लय हर रथै, जउन बेकार बात अउ ओखर गलत काम के असुध्द चीजन लग भरे हर रथै। \v 5 ओखर लीलार हे अक्ठी नाम रहस्य लिखे हर रथै। बडा बेबीलोन भुंइ हे गलत काम के दाय अउ सगलू असुध्द काम के दाय रथै। \v 6 मै देखो कि ऊ डउकी पवितर मनसे अउ मसीह यीसु के गवाह के खून पी के नसा हे रथै, उके देखो ता मै बोहत चकित रही गयों। \v 7 स्वरगदूत मोर लग कथै, “तै चकित काखे करथस?” मै तोके ऊ डउकी के राज के बात गुठेहूं अउ ऊ गोरू के जेखर उप्पर ऊ बइठे हबै अउ जेखर सात मूड अउ दस सींग हबै। \v 8 जउन तै देखे हबस, पहिले ऊ जिन्दा रथै, पय अब जिन्दा नेहको हबै, तउभरमा ऊ कुन्ड लग निकडे बाले हबै अउ तबै ओखर बिनास हुइ जही, फेर भुंइ के उन मनसेन के जिनखर नाम दुनिया के सुरुवात लग जीवन के किताब हे नेहको लिखे गय हबै, ऊ गोरू के देखके चकित हुइहिन काखे कबहुन ऊ जिन्दा रथै, पय अब जिन्दा नेहको हबै, पय तउभरमा ऊ आमै बाले हबै। \p \v 9 इके समझै के निता चलाक दिमाक के जरूरत हबै, सात मूड ऊ सात डोंगर हबै, जेखर उप्पर ऊ डउकी बइठे हबै, ऊ सात राजो हबै। \v 10 ऊ सातठे राजो हबै, पांच तो मर चुके हबै, अक्ठी अबहुन जिन्दा हबै अउ अक्ठी अब तक नेहको आइस जब ऊ आही, पय ऊ चुटु टेम के निता आही। \v 11 ऊ गोरू, जउन पहिले रथै अउ अब नेहको हबै अठमा हबै, पय ऊ सहीमा सात राजन मसे अक्ठी हबै अउ ओखर नास हुइ जही। \p \v 12 “तै जउन दस सींग के देखे हबस ऊ दस राजा हबै, उनके अब तक राज नेहको मिले हबै पय उनके चुटु टेम के निता गोरू के संग राजन के जसना हक दय जही। \v 13 हइ सब अक्ठी मन होही अउ ऊ अपन-अपन सक्ति अउ हक ऊ गोरू के दइहिन। \v 14 ऊ गेडरा के बिरोध लडाई करही, पय गेडरा अपन बुलाय हर चुने हर अउ बिस्वासी चेलन के संग उनके हराय देही, काखे ऊ राजो के राजा अउ परभुओ के परभु हबै।” \p \v 15 ऊ स्वरगदूत मोर लग हइ कहिस “तै जउन पानी के देखे हबस, जिहां बेसिया बइठे हर हबै ऊ पानी के मतलब हबै, कुर, मनसे, देस अउ भासा हइ सब चिन्हा हबै। \v 16 अउ जउन गोरू अउ दस सींग तै देखे हबस, ऊ गलत काम लग घिनइहिन, उके बिना फरिया के अकेल्ले छांड दइहिन, ओखर मांस खइहिन अउ उके आगी हे जराय दइहिन। \v 17 भगवान अपन मकसद के पूर करै के निता उन राजन के मन के अकजुट के दय हबै, कि ऊ जानबर के अपन राज तब तक के निता सउप दे, जब तक भगवान के बचन पूर झइ हुइ जाय।” \p \v 18 जउन डउकी के तै देखे हबस, ऊ महानगरी हबै, जेखर राज भुंइ के राजा हे हबै। \c 18 \s बेबीलोन देस के नास \p \v 1 एखर बाद मै दूसर स्वरगदूत के स्वरग लग उतरत देखा जेही बडका हक दय रथै, ओखर महिमा लग सगलू भुंइ चमक उठिस। \v 2 ऊ बोहत आरो लग पुकार के कथै, “गिर गइस, बडा बेबीलोन गिर गय हबै, ऊ भुतवन के जिघा अउ हर अक्ठी असुध्द आतमा के आड्डा अउ हर अक्ठी छूत अउ घिनहा चिरइया अउ गोरुन के माडा बन गइस। \v 3 काखे ओखर गलत काम के भयंकर दारू के कारन सगला कुर गिर गय हबै, अउ भुंइ के राजा ओखर संग गलत काम करे हबै अउ भुंइ के बनिया ओखर सुख-बिलास के कारन बोहत धन्नड हुइ गय हबै।” \p \v 4 फेर मै स्वरग लग अक्ठी अउ आरो सुनो, \q1 हे मोर मनसे ऊ बडा देस मसे निकड आबा, \q2 कहुं असना झइ होय कि तुम ओखर पाप हे सहभागी, \q2 अउ ओखर परेसानी के सिकार बन जा। \q1 \v 5 काखे ओखर पाप कूडा स्वरग तक पहुंच गय हबै, \q2 अउ भगवान ओखर पाप के सुरता करे हबै। \q1 \v 6 तुमो ओखर संग ओसना सोगत करा जसना तुम्हर संग ऊ करे रथै, \q2 जउन ऊ तुम्हर संग करिस ओखर लग दुइ गुना ओखर संग करा, \q1 ऊ जउन खोरिया हे दूसर के निता दारू तइयार करे हबै, \q2 तुम उहै हे ओखर निता दुइ गुना दारू भर देया। \q1 \v 7 जेतका ऊ अपन बडाई करिस अउ सुख-विलास करिस, \q2 ओतनै उके पीरा अउ दुख देया, \q1 काखे ऊ अपन मन हे कथै, \q1 मै रानी के जसना राजगद्दी हे बइठे हव, \q2 मै बिधवा नेहको हबो, \q2 अउ कबहुन सोक नेहको मनइहों। \q1 \v 8 इहै कारन अक्कै रोज हे ओखर उप्पर परेसानी आ पडही, \q2 मतलब महामारी, दुख अकाल, \q1 अउ उके आगी हे जराय दय जही, \q2 काखे सक्तिमान हबै परभु भगवान जउन ओखर नियाव करही। \p \v 9 भुंइ के राजा जेही ओखर संग गलत काम अउ सुख-विलास करिस, जब ओखर जलै के धुंवा देखहिन, ता ओखर निता रोइहिन अउ छाती पिटहिन। \v 10 ऊ ओखर पीरा लग डर के उहै लग बोहत दुरिहां ठाढ हुइके कइहिन, हे महानगरी, बेबीलोन, “हे महानगरी, सक्ति बाले, हाय हबै तोर उप्पर घंटा भरमा हे तोर सजा के टेम आय पहुंचे हबै।” \p \v 11 भुंइ के बनिया ओखर निता रोइहिन अउ तडपहिन, काखे अब कउ उनखर चीज नेहको खरीदहिन, \v 12 जसना सोना, चांदी, रतन, मोती, मलमल, बैगनी, रेसम अउ लाल रंग के बन्डी अउ हर मेर के महके बाले लकडी अउ हाथीदांत के हर मेर के चीज अउ मंहगा लकडी, पीतर, लोहा अउ संगमरमर के सब मेर के चीज, \v 13 अउ दारचीनी, मसाला, धूप, भडवा, महकनी तेल, लोबान, दारू, तेल, मइदा, गोहूं, गोरू-बइला, गेडरा-छेरिया, घोडवा, रथ, हरवाह अउ मनसेन के परान। \v 14 इहैनिता बनिया कथै, “हे महानगरी, तै जउन फडुहा के काम करथस, ऊ तोर लग दुरिहां कढ गय हबै, तोर सगलू एसो अराम अउ मंहगा-मंहगा चीज सगलू नास हुइ गय हबै, तै हइ सगलू फेर नेहको देखही।” \v 15 हइ चीजन के बनिया जउन ओखर दवारा धन्नड हुइ गय रथै, ओखर पीरा के डर के मारे दुरिहां ठाढ हुइहिन अउ रोउत अउ तडपत कइहिन, \v 16 हाय-हाय “हे बडा सहर जउन निक्खा मलमल के बैगनी कपडा अउ लाल रंग के कपडा पहिने करथै अउ सोना, कीमती मनि पथरा अउ मोती लग सजे रथै। \v 17 हइ सगलू धन टेम भर हे समापत हुइ गइस।” \p हर अक्ठी पानी बाले जिहाज के मालिक, हर अक्ठी ढिमरा अउ हर अक्ठी यातरी अउ जउन कउ समुन्दर लग कमाथै, ऊ महानगरी लग दुरिहां ठाढ रहै। \v 18 अउ ओखर जलै के धुंवा के देखके बोहत आरो लग कथै, “हइ महानगरी के बरोबरी कउन सहर के सकिस?” \v 19 फेर उन अपन मूड हे धूर डालत अउ रोउत कथै, “हे महानगरी, हाय-हाय जेखर पइसा के दवारा समुन्दर के सगलू नाह जिहाज बाले मालिक धन्नड हुइ गय रथै, पय अब तै घंटा भर हे सगलू खतम हुइ गइस।” \p \v 20 हे स्वरग अउ हे पवितर मनसेन, चेला अउ ग्यानी मनसे का फेर उनखर उप्पर खुसी मनाबा, काखे भगवान नियाव करके उनखर लग बदला लय हबै। \p \v 21 फेर अक्ठी सक्तिसाली स्वरगदूत चक्की के पट्टी जसना अक्ठी बडा पथरा उठाइस अउ उके समुन्दर हे फटकत कथै, “हे महानगरी, हे बेबीलोन, ठीक ओसनेन तै गिराय दय जइहे अउ उनखर पतो नेहको चलही। \v 22 अब लग तोके गाय बाले, बीना, बसुरी अउ तुरही के आरो कबहुन सुनाई नेहको देही, अब लग मिसतिरी के कउनो काम तोके फेर कबहुन नेहको मिलही, अब लग तोके चकिया के आरो सुनाई नेहको देही। \v 23 अउ चिमनी के उजेड फेर कबहुन तोर उप्पर नेहको चमकही अउ दुलहा अउ दुलही के आरो कबहुन तोके सुनाई नेहको देही। काखे तोर बनिया भुंइ के राजा रथै अउ तोर जादू टोना के कारन सगलू देस भरमाय गय रथै।” \p \v 24 बेबीलोन के ग्यानी मनसे के अउ हरवाह अउ उन सगलू पवितर मनसेन के खून पाय गइस, जिनखर भुंइ हे बलि चढाय दय गइस। \c 19 \s स्वरग हे भगवान के महिमा \p \v 1 एखर बाद मै स्वरग लग अक्ठी आरो सुनाई देथै, माना बडा भीड के तेज आरो लग हइ कहत रहै, “हल्लेलुइया मुकति अउ महिमा अउ सक्ति हमर भगवान के हबै। \v 2 काखे ओखर फइसला सही अउ धरमी हबै, ऊ बेसिया के सजा दय हबै, जउन अपन गलत काम के दवारा भुंइ के मनसेन के असुध्द करथै, भगवान ओखर लग अपन हरवाह के खून के पलटा लय हबै।” \v 3 तब उन फेर पुकार के कथै, “परभु के महिमा होय, महानगर के जलै के धुंवा हरमेसा उठत रही।” \v 4 तब चवबीसो सियान अउ चारो परानी गिरके भगवान के परनाम करिन, जउन राजगद्दी हे बइठे रथै अउ कथै, “ओसनेन होय, परभु के महिमा होय।” \s गेडरा के काज \p \v 5 तब राजगद्दी लग अक्ठी आरो सुनाई देथै, “तुम सब, जउन भगवान लग डरथै अउ सेबा करथा, तुम सब, नान-बडा जउन ओखर उप्पर बिस्वास रखत हबा, हमर भगवान के महिमा होय।” \v 6 तब मोके बडा भीड के आरो बोहत लेहरा अउ बादर के गरजन के आरो के जसना हइ कहत सुनाई देथै, “परभु के महिमा होय, हमर परभु भगवान, जउन सर्वसक्तिमान हबै, राज करत हबै। \v 7 आबा, हम खुसी मनइ अउ मगन हुइ जइ अउ भगवान के महिमा करी, काखे गेडरा के काज के टेम आ गय हबै अउ ओखर दुलहिन खुद के सजा लय हबै। \v 8 ओही सुध्द अउ चमके बाले निक्खा मलमल पहिनै के हक दय गइस।” हइ निक्खा मलमल कपडा हबै जउन पवितर मनसे के धरमी काम हबै। \p \v 9 तब स्वरगदूत मोर लग कथै, “धन्य हबै ऊ, जउन गेडरा के काज हे खाना खाय के निता बुलाय गय हबै, तब ऊ इहो कहे हबै, भगवान के दवारा पठोय गइस हइ संदेस सही हबै।” \p \v 10 इहैनिता मै ऊ स्वरगदूत के परनाम करै के निता ओखर गोड के तरी गिर पडो, पय ऊ मोर लग कहिस, “मोर महिमा झइ के, मै तो तुम्हर अउ तुम्हर भाई के जसना हव, जउन मसीह यीसु कर गवाही हबै, संगी हरवाह यहों, भगवान कर परनाम करा,” काखे यीसु के गवाही आगू कर बात के आतमा हबै। \s चरका घोडवा हे बइठथै \p \v 11 फेर मै स्वरग के उघरे हर देखव अउ उहां मोर आगू अक्ठी चरका घोडवा रथै, घोडवा के उप्पर बइठे सवारी बिस्वास के काबिल अउ सही कहाथै, काखे नियाव के संग ऊ फइसला करथै अउ युध्द करथै। \v 12 ओखर आंखी आगी के मेर धंधकथै अउ ओखर मूड हे कइन मेर के मुकुट हबै, ओखर सरीर हे अक्ठी नाम लिखररे हबै, जेही ओखर अलाबा अउ कउ नेहको जानथै। \v 13 ऊ असना खुरथा पइजामा पहिने रथै, जेही खून हे बुढाय गय रथै, उके नाम दय गय रहै, “भगवान के बचन।” \v 14 चरका घोडवा हे बइठे स्वरग के सेना ओखर पाछू-पाछू चलथै, उन सुध्द मलमल के चरका कपडा पहिने रथै। \v 15 ओखर मुंह लग अक्ठी बोहत चोंख तलबार निकडिस कि ऊ ओखर लग देस के नास करै, ऊ लोहा के राजदंड लग उनखर राज करही, ऊ सर्वसक्तिमान भगवान के गुस्सा के जलजलाहट के अंगूर कर रस कुन्ड राउंदही। \v 16 ओखर कपडा अउ जांघ के खुरथा पइजामा हे हइ नाम लिखे हबै, “राजा कर राजा अउ परभु कर परभु।” \p \v 17 एखर बाद मै देखो कि बेरा के उप्पर अक्ठी स्वरगदूत ठाढ हबै, ऊ बादर हे उडै बाले सगलू चिरइयन लग ऊंच आरो लग कथै, “आबा, भगवान कर महाभोजन के निता अकजुट हुइ जा। \v 18 तुम राजा, सिपाही, सूरबीर, घोडवा, घुडसबार अउ सगलू मनसे के, चाहे ऊ आजाद होय या सेबक होय, नान होय, या बडा, हरवाह मांस खा।” \p \v 19 तब मै गोरू अउ भुंइ के राजन के देखो अउ उन सेनन के, जउन चरका घोडवा हे बइठे हर मनसे अउ ओखर सेना लग युध्द करै के निता अकजुट हुइ जथै। \v 20 गोरू के घेर लेथै, ओखर संग ऊ ठगरा ग्यानी मनसे रथै, जउन ओखर आगू चिन्हा चकित के काम दिखाय करथै अउ उनके छले करथै, जिनखर उप्पर ऊ गोरू के छाप लगे रथै अउ जउन ओखर मूरती के पूजा करथै, ऊ गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसे दोनो झन के जलत आगी के धंधकत दहार हे जिन्दा डाल दय गय रथै। \v 21 बचे हर मनसे घुडसबार के मुंह लग निकडे बाले तलबार लग मारे गइन अउ सगलू चिरइया उनखर मांस खाय के तुल्य हुइ गइन। \c 20 \s अक हजार साल के राज \p \v 1 एखर बाद मै अक्ठी स्वरगदूत के स्वरग लग उतरत देखथो, ओखर हाथ हे पत्ताल कुन्ड के चाभी अउ अक्ठी बडा सांकड रथै। \v 2 अउ ऊ अजगर पंख बाले सपुवा के ऊ पुरान सपुवा मतलब दोस लगामै बाले भुतवा के पकडके अक हजार साल के निता बांधिस। \v 3 तब स्वरगदूत उके पत्ताल कुन्ड हे फटक देथै, उके बन्द करके ऊ पर सील लगाय दइस, कि ऊ अक हजार साल पूर होमै तक अब कउनो देस लग छल नेहको करै, हइ सगलू होमै के बाद हइ जरूरी रथै कि उके चुटु टेम के निता अजाद करे जाय। \p \v 4 तब मै राजगद्दी के देखो, ओखर उप्पर ऊ मनसे बइठे रथै, जेही नियाव करै के हक दय गय रथै, तब मै ओखर आतमा के देखो, जेखर मूड मसीह यीसु के गवाह अउ भगवान के बचन के परचार करै के कारन उडाय दय गय रथै, उन ऊ पंख बाले गोरू या ओखर मूरती के पूजा नेहको करे रथै, जिनखर छाप लीलार हे अउ हाथ हे ओखर सील नेहको लगे रथै, ऊ जिन्दा हुइ के हजार साल तक मसीह के संग राज करब। \v 5 इहै हबै ऊ पहिला फेरै लग जिन्दा होय बाले मनसे बांकी मरे हर तब तक जिन्दा नेहको हुइहिन, जब तक हजार साल पूर नेहको हुइ गइस। \v 6 धन्य अउ पवितर ऊ हबै, जउन पहिले फेरै लग जिन्दा होमै हे सामिल हबै, असना मनसे दूसर मिरतू के कउनो हक नेहको हबै, ऊ भगवान अउ मसीह के पुजारी हुइहिन अउ उनखर संग अक हजार साल तक राज करही। \s भुतवा के नास \p \v 7 जब अक हजार साल पूर होय के बाद भुतवा के जेल लग छांड दय जही। \v 8 अउ ऊ सगलू भुंइ हे फइले मनसेन के भरमामै के निता निकड पडिस, ऊ गोग अउ मागोग के भरमाही ऊ उनके युध्द के निता अकजुट करही, ऊ ओतकै अनगिनत हुइहिन जेतका समुन्दर के कुदरा हबै। \v 9 भुतवा के सेना सगलू भुंइ हे फइल जही अउ ऊ भगवान के पवितर सेबकन के जिघा अउ पिरिया सहर के घेर लइहिन अउ स्वरग लग आगी उतरही अउ उनके जलाय के नास के देही। \v 10 तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं। \s महान चरका राजगद्दी के आगू नियाव \p \v 11 फेर मै अक्ठी बडा चरका राजगद्दी के अउ उके ओखर उप्पर बइठे रथै, देख ओखर आगू लग भुंइ अउ बादर भुलाय गइस, उनखर पता तक नेहको चल पाइस। \v 12 फेर मै नान होय या बडा सगलू मरे हर मनसे के राजगद्दी के आगू ठाढ देखथो अउ किताब खोले गइस, तब अक्ठी दूसर किताब मतलब जीवन के किताब खोले गइस अउ किताबो हे लिखररे हर बातन के जसना मरे हरन के उनखर काम के जसना सजा दय गइस। \v 13 जउन समुन्दर हे मरे हर रथै, उनके समुन्दर भगवान के आगू ठाढ करिस अउ नरक हे जिनखर मिरतू हुइ गय रथै, ऊ ओखर आगू ठाढ करिस, हर अक्ठी मनसे के उनखर काम के जसना सजा दय गइस। \v 14 एखर बाद मिरतू अउ नरक के आगी के झील हे फटक दय गइस, हइ आगी के झील दूसर मिरतू आय। \v 15 अगर कउनो के नाम जीवन के किताब हे लिखे हर नेहको मिलही, ता उके आगी के झील हे फटक दय जही। \c 21 \s नवा बादर अउ नवा भुंइ \p \v 1 तब फेर मै अक्ठी नबा स्वरग अउ नबा भुंइ देखो, काखे पहिला स्वरग अउ पहली भुंइ भुलाय चुके रथै अउ ऊ समुन्दरो नेहको रहिस। \v 2 अउ फेर मै पवितर सहर नबा यरुसलेम के स्वरग लग, भगवान के लिघ्घो लग उतरत देखथो, ऊ अपन दुलहा के निता सजाय हर दुलही के जसना सजे रथै। \v 3 तब मै राजगद्दी लग अक्ठी आरो सुनथो, ऊ कथै, “देख अब भगवान के मन्दिर मनसेन के बीच हबै अउ ऊ उनखर बीच घर बनाय के रहे करही, ऊ ओखर चेला हुइहिन अउ खुद भगवान उनखर भगवान होही। \v 4 भगवान उनखर आंखी लग हर अक्ठी आंसू पोंछ डालही अउ उहां अब न कबहुन मिरतू होही, न सोक के कारन कउ रइहिन अउ न कउनो पीरा, काखे हइ सगलू पुरान बात समापत हुइ चुके हबै।” \p \v 5 तब राजगद्दी हे बइठे मनसे कथै, “देख, मै सब कुछ नबा करथो।” एखर बाद ऊ कथै, “हइ बात लिख, काखे हइ बिस्वास के काबिल अउ सही हबै।” \v 6 तब ऊ फेर मोर लग कथै, “काम पूर हुइ चुके हबै, मै सुरू अउ अंत हबो, मै सुरू अउ आखरी हबो, जउन पियासे हबै, ओही जीवन के जल फिरी हे पीय के निता दइहों। \v 7 जउन जीत पाही ऊ सगलू कुछु के मालिक बनही, मै ओखर भगवान हुइहों अउ ऊ मोर टोरवा होही। \v 8 पय डरपुच्चा, अबिस्वासी, गलत काम करै बाले, टोनहा अउ मूरती पूजा, सब झूठ बोलै बाले के जिघा ऊ दहार हे होही, जउन आगी लग कुन्ड धंधकत रथै इहै आय दूसर मिरतू।” \s नबा यरुसलेम \p \v 9 जउन सात स्वरगदूत सातठे खोरिया रखे रथै, जेहमा आखरी सात पेरसानी लग भररे हर रथै, उनखर मसे अक्ठी मोर लिघ्घो आयके कथै, “आ, मै तोके दुलही, गेडरा के डउकी के दिखाहुं।” \v 10 तब मै आतमा के वस हे हुइ गयों, स्वरगदूत मोके बडा डोंगर हे लइ जाके पवितर सहर यरुसलेम के देखाइस, ऊ स्वरग लग भगवान के इहां लग उतरथै। \v 11 अउ भगवान के महिमा लग सजे रथै अउ मंहगी पथरा अउ बेरा के जसना उजियार चमकथै। \v 12 सहर के चारो पल्ला अक्ठी बडा ऊंच भीठी रथै, जेहमा बाराठे दूरा रथै, उन बाराठे दूरा हे बाराठे स्वरगदूत रथै अउ बाराठे दूरा हे इस्राएल के बाराठे कुलन के नाम लिखररे हर रथै। \v 13 इन मसे तीनठे दूरा पूरुब के पल्ला रथै, तीनठे दूरा उत्तर के पल्ला, तीनठे दूरा दख्खिन के पल्ला, तीनठे दूरा पस्चिम के पल्ला रथै। \v 14 अउ सहर के भीठी बाराठे नीह बनाय गय रथै अउ गेडरा ओखर उप्पर बाराठे चेलन के नाम लिखे रथै। \v 15 जउन स्वरगदूत मोर लग बात करथै ओखर लिघ्घो सोना लग बने हर नापै बाले अक्ठी टेप रथै जेखर लग ऊ उस सहर के ओखर दूरा के अउ ओखर भीठी के नाप सकथै। \v 16 सहर के चार कोर हे बसाय गय रथै, हइ जेतका लम्बा रथै ओतकै चउडा रथै ऊ स्वरगदूत ऊ टेप लग ऊ सहर के नापिस, ता ऊ बारह हजार दुइ सव बीस कोस रथै, ओखर लम्बा चउडा अउ ऊंच अक जसना रथै। \v 17 स्वरगदूत सहर के भीठी के नापिस, ऊ अक सव चवालिस हाथ रथै, ऊ मनसे के हाथ के लम्बाई लग नापै गय रथै, जउन हाथ स्वरगदूतो के हाथ हबै। \v 18 सहर के भीठी यसब नाम कीमती पथरा लग बने रथै अउ सहर के कांच के जसना चमकत सुध्द सोना लग बनाय गय रथै। \v 19 ऊ सहर के भीठी के नीह हर मेर के कीमती पथरन लग सजाय गय रथै नीह के पहिला पथरा यसब के बने रथै, दूसर नीलम लग, तीसर स्फाटिक रथै, चउथा पन्ना के रथै। \v 20 पचमा गोमेद लग, छठमा मानक लग सतमा पीत पथरा लग, अठमा पेरोज लग, नउमा पुखराज लग, दसमा लहसनिया लग, ग्यारमी धूम्रकांत लग अउ बरहमी चन्द्रकांत पथरा लग बने रथै। \v 21 बाराठे दूरा मोतियन लग बने रथै, हर अक्ठी दूरा अक्ठी-अक्ठी मोती लग बने रथै, सहर के गली सुध्द सोना लग बने रथै, जउन सुध्द कांच के जसना रथै। \p \v 22 हइ सहर हे मोके कउनो मन्दिर दिखाई नेहको दइस, काखे खुदय सर्वसक्तिमान परभु भगवान अउ गेडरा एखर मन्दिर हबै। \v 23 ऊ सहर के उजियार देय के निता न बेरा के जरूरत हबै न जोंधइया के काखे भगवान उके बोहत उजियार देथै, ओखर उजियार अउ गेडरा ओखर चिमनी हबै। \v 24 सगलू जात के मनसे हइ चिमनी के उजियार के मदद लग रेंगही-बगही अउ हइ भुंइ के राजा महिमा के हइ सहर लइहिन। \v 25 दिन के टेम एखर दूरा कबहुन बंद नेहको होही अउ उहां कबहुन रात नेहको होही। \v 26 अउ देसन के महिमा अउ धन डेरा ऊ सहर हे लाय जही। \v 27 अउ असुध्द चीज ओहमा परवेस तक नेहको के पाही अउ न कउ असना मनसे जउन घ्रनित के काम करै बाले या झूठ बोलथै, ऊ मनसे ऊ सहर हे उहै परवेस के सकथै, जेखर नाम गेडरा के जीवन के किताब हे लिखररे हर हबै। \c 22 \p \v 1 एखर बाद ऊ स्वरगदूत मोके जीवन देय बाले पानी के अक्ठी नदिया देखाइस, ऊ नदिया आर पार कांच जसना उजियार रथै ऊ भगवान अउ गेडरा के राजगद्दी लग बहत निकडथै। \v 2 हइ नदिया सहर के बडा रास्ता लग बहत, नदिया के दोनो पल्ला जीवन के रूख हबै, जेहमा बारह मेर के फडुहा उत्पन्न होथै, हइ रूख हे हर महिना फडुहा देथै हइ रूख के पत्ता हे देस-देस के मनसेन के निक्खा करै के सक्ति हबै। \v 3 अब लग उहां सरापित कुछु चीज नेहको रही, भगवान अउ गेडरा के राजगद्दी ऊ सहर हे होही, ओखर हरवाह उनखर महिमा करही। \v 4 ऊ ओखर सकल के देखहिन अउ ओखर नाम उनखर लीलार हे लिखररे हर होही। \v 5 उहां फेर कबहुन रात नेहको होही, उनके चिमनी या बेरा के उजियार के जरूरत नेहको होही, काखे परभु भगवान उनखर उजियार होही, ऊ हरमेसा-हरमेसा राज करही। \s फेरै लग आही \p \v 6 फेर ऊ स्वरगदूत मोर लग कथै, “हइ बचन बिस्वास करै के काबिल अउ सही हबै, परभु जउन ग्यानी मनसे के आतमा के भगवान हबै, अपन सेबकन के जउन कुछ हरबी घटे बाले रथै, ओही बतामै के निता अपन स्वरगदूत के पठोय हबै।” \p \v 7 “सुना, मै हरबी आय बाले हव, धन्य हबै ऊ जउन हइ किताब के जउन आगू कर बात के बचन के मानथै।” \p \v 8 मै यूहन्ना हव, मै हइ बात सुने अउ देखे हव, जब मै हइ बात देखे सुनो ता ऊ स्वरगदूत के गोड हे गिरके मै ओखर महिमा करव, जउन हइ बात देखाय करत रहै। \v 9 पय स्वरगदूत मोर लग कथै, “देख असना झइ के, काखे मै तो तुम्हर भाई ग्यानी मनसे अउ हइ किताब के बचन के मानै बाले अउ भगवान के हरवाह हव तुम भगवान के अराधना करा।” \v 10 ऊ मोर लग फेरै कथै, “हइ किताब के आगू कर बात बताय गय हबै, उनके लुकाय के झइ रख, काखे हइ बातन के घटै के टेम लिघ्घो हबै। \v 11 जउन बेकार चाल चलथै, ऊ बेकार चाल चलै जउन पापी हबै ऊ पापी बने रहै, जउन धरमी हबै ऊ धरमी बने रहै जउन पवितर हबै ऊ पवितर बने रहै।” \p \v 12 यीसु कथै सुना, मै हरबी आमै बाले हव, हर अक्ठी मनसेन के ओखर काम के जसना परतिफल दइहों, मै अपन संग लइके आथो। \v 13 मै पहिला अउ आखरी अउ सुरू अउ आखरी हबो। \p \v 14 धन्य हबै ऊ जउन अपन खुरथा पइजामा धोय लय हबै, काखे उनके जीवन के रूख के लिघ्घो आमैके हक मिलही अउ ऊ दूरा लग हुइके सहर हे परवेस करही। \v 15 पय कुकरा अउ जादू टोना करै बाले, गलत काम अउ खुनहा अउ मूरती पूजा अउ हर कउ झूठ के रास्ता हे चलथै अउ झूठ के माया करथै, उन बाहिर पडे रइहिन। \p \v 16 “यीसु कथै, मै मंडली के बारे हे हइ बात परगट करै के निता अपन स्वरगदूत के तुम्हर लिघ्घो पठोय हव, मै दाऊद के बडा वंसज अउ लरका यहों अउ मुरगउसा के चमकत तरइया हबो।” \p \v 17 आतमा अउ दुलही दोनो कथै, “आ” \p अउ जउन इके सुनथै, उहो कथै, “आ” \p अउ जउन पियासे हबै, उहो आबै अउ जउन चाहै उहो हइ जीवन के जल फिरी हे पिया। \p \v 18 जउन मनसे हइ किताब के आगू कर बात के सुनथै, मै उन सगलू के हइ चेतावनी देथो, अगर कउन इनखर मसे कुछ जुडहीं, ता भगवान हइ किताब हे लिखररे हर परेसानी ओखर उप्पर ढा देही। \v 19 अउ अगर आगू कर बात के हइ किताब हे लिखे हर बचन मसे कउनो अक्ठी सब्द हटाय जही ता भगवान हइ किताब हे लिखे हर जीवन रूख अउ पवितर सहर मसे ओखर भाग ओखर लग निकाड देही। \p \v 20 यीसु जउन हइ बातन के गवाही देथै, ऊ कथै, “हां, मै हरबी अउत हबो।” \p ओसनेन होय, हे परभु यीसु आ। \p \v 21 परभु यीसु के दया, अनुगरह तुम सबके उप्पर बने रहै, ओसनेन होय।